अंजुला पचौरी जी बहुत ही अच्छी ग़जल लिखती हैं। इनकी लेखनी यथार्थ का दर्पण है जो समसामयिक विषयों पर लिखना पसंद करती हैं। शिक्षकों की समस्याओं को उन्होंने अपनी ग़ज़ल में बहुत ही लाजवाब अंदाज में प्रस्तुत किया है। पर ग़जल से पूर्व उनका संक्षिप्त परिचय ...
नाम - अंजुला पचौरी
पति का नाम - श्री विकास पचौरी
पिता का नाम - श्री राजकुमार शर्मा
माता का नाम - श्री मती मालती शर्मा
शैक्षिक योग्यता - बी. ए. (हिन्दी भाषा, हिन्दी साहित्य)
कार्य - घरेलू महिला।
शौक - काव्य लिखना एवं पढ़ना, गीत सुनना आदि।
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नाइंसाफी क्यूँ कर दी तूने ओ दुनियां के रखवाले,
ज्ञान बांटने वाले के जीवन में पड़ गये अब ये जाले ।
जिसने खुद भूखा रह रोटी कमाने की राह दिखायी,
उसको ही दुश्वार हुए हैं रोटी के कुछ अब ये निवाले ।
सियासी कुर्सी पर बैठे वो अपनी जेबें भरने में लगे हैं,
फिक्र नहीं कैसे जियेंगे अब उस शिक्षक के घरवाले ।
आँखें नम होती हैं जब ठोकर खाते उनको देखा है,
मजबूर हो पीने पड़े हैं फिर उनको जहर के प्याले।
कुछ अपनी जीविका का उपाय भी कर सकते हैं,
यही जीविका जिनकी क्या करें ऐसी किस्मत वाले।
तुमने तो फरमान सुना दिया शिक्षण कार्य बंद करो,
बच्चों को क्या खिलायें और क्या खायें वो घरवाले।
कुछ उपाय तो करना होगा देश के रखवाले को,
खुद ही अंधेरा न बन जायें सबको देने वाले उजाले।।
अंजुला पचौरी (कासगंज, उत्तरप्रदेश)