चौपाई छंद
*भोलेनाथ*
डम डम डमरू बजा नटेश्वर।
दिया जगत को सूत्र महेश्वर।।
वैद्यनाथ औषधि निर्माता।
शल्य चिकित्सा के शिव दाता।।
भोलेनाथ बड़े भण्डारी।
चन्द्र भाल धरते त्रिपुरारी।।
हे नटराज नृत्य के देवा।
सेवा से सब पाते मेवा।।
पालक सृजनहार संहर्ता।
सुखकारी भोले दुखहर्ता।।
शीश जटा में गंग विराजे।
काला नाग गले में साजे।।
आक धतूरा भंग चढ़ावें।
इच्छित मनवांछित वर पावें।।
ओइम नमः शिव अंतर्यामी।
भस्म होय खर दूषण कामी।
जय कैलाशपति बाघम्बर।
कुटिल भृकुटि काँपे भू अम्बर।
खुले तीसरा नेत्र भयंकर।
काँपे सृष्टि नमो प्रलयंकर।।
वन्दना शर्मा"वृन्दा"
अजमेर
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