Sunday, 6 October 2019

कलम की बगावत....पुष्पा गुप्ता "प्रांजलि"

कलम की बगावत

जब हृदय धधकती ज्वाला है,
 कैसे अमन और प्यार लिखूँ।
 ये कलम बगावत कर बैठी,
अब पुष्प नहीं अंगार लिखूँ।।

सड़कों पर लुटती अस्मत या,
लपटों में लिपटे तन लिख दूँ।
कोख में मिटती किलकारियाँ,
भीख माँगता बचपन लिख दूँ।

 धर्म नाम  से  दंगे  बलवे,
सने खून से अखबार लिखूँ।
ये कलम बगावत कर बैठी,
अब पुष्प नहीं अंगार लिखूँ।।

ठोकर खाता  लिखूँ बुढ़ापा,
 फुटपाथ पे सोयी जिंदगानी।
भीषण सूखा या बाढ़ कभी,
 मौसम की लिख दूँ मनमानी।

  जले  तेजाब  से  मुखड़े हों,
  कैसे मिलन व श्रंगार लिखूँ।
 ये कलम बगावत कर बैठी,
 अब पुष्प नहीं अंगार लिखूँ।।

पुष्पा गुप्ता "प्रांजलि"
      कटनी

2 comments:

  1. लाजवाब रचना 👌👌👌 शानदार सृजन की ढेर सारी बधाई 💐💐💐

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