विषय - शरद पूर्णिमा
विधा - चौपाई
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वर्षा गई शरद ऋतु आई ,
शरद पूर्णिमा निशा सुहाई ।
निर्मल व्योम हुआ अति सुंदर ,
स्वच्छ चाँदनी बिखरी भू पर ।
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निष्कलंक सा दिखता अम्बर ,
जलद छुप गया जाय कहीं पर ।
पंक रहित धरती सुख पाई ,
शीतल पवन चली पुरवाई ।
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पूर्ण ज्योत्सना शशि बिखराए ,
सुमन सुगन्ध निशा महकाए ।
रजनी मोहक रूप बनाती ।
पंचम स्वर में तान सुनाती ।
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शरद पूर्णिमा अति मन भावन ,
अमृत बरसे शीतल पावन ।
मंत्र मुग्ध करती यह रजनी ,
विरह वेदना व्याकुल सजनी ।
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शरद पूर्णिमा के शुभ अवसर ,
अद्भुत रास रचा धरती पर ।
राधा गोपी सब मिल आए ,
संग कृष्ण के रास रचाए ।
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जीव आत्मा हो रहा संगम ,
दृश्य हुआ है बड़ा विहंगम ।
आलौकिक छवि धरती पाई ,
शरद पूर्णिमा रात सुहाई ।।
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✍️इन्द्राणी साहू "साँची"✍️
भाटापारा (छत्तीसगढ़)
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@kalam ki sugandh
सुंदर रचना 👌👌👌 बधाई आदरणीया 💐💐💐
ReplyDeleteसुंदर सृजन
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