Monday, 11 November 2019

भाई दूज (नव गीत ) .... इन्द्राणी साहू " साँची "


विधा - नवगीत
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मात्रा भार - 16 - 12
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सब पर्वों में सबसे पावन ,
              भाई दूज अनमोल ।
बहन भ्रात के नाते का तो ,
                नहीं है कोई मोल ।।
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मंगल तिलक लगाती बहनें ,
             कर रहीं शुभकामना ।
हर सुख दुख में प्यारे भैया ,
              आकर हाथ थामना ।
गदगद मन से अंक लगाते ,
                कह रहे मीठे बोल ।
बहन भ्रात के नाते का तो ,
                नहीं है कोई मोल ।।
***
बहन भ्रात का बंधन ऐसा ,
              तोड़ सके नहीं कोय ।
इक दूजे पर जान लुटादे ,
                 इसी रिश्ते में होय ।
अमिट प्यार का है ये रिश्ता ,
              सकते न कोई तोल ।   
बहन भ्रात के नाते का तो ,
               नहीं है कोई मोल ।।
***
बहन दुआएँ करती हरपल ,
                भ्राता खुशियाँ पाए ।
सदा बहन की रक्षा करने ,
                  भाई वचन उठाए ।
आशीषों से भरा खजाना ,
                एक दूजे पर खोल ।
बहन भ्रात के नाते का तो ,
                नहीं है कोई मोल ।।
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✍️इन्द्राणी साहू "साँची"✍️
   भाटापारा (छत्तीसगढ़)
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1 comment:

  1. बहुत सुंदर 👌👌👌 बहुत बहुत बधाई 💐💐💐

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