Monday, 25 November 2019

प्रेयसी का संदेश प्रियतम के नाम....पुष्पा गुप्ता " प्रांजलि"

विधा- गीत (प्रेयसी का संदेश प्रियतम के नाम)
विषय- मल्हार

छेड़  रही  *मल्हार*  पायलिया।
कहती क्या झनकार साँवरिया।।

सदियाँ लगते हैं ये पलछिन।
 रातें कटती तारे गिन-गिन।
और नहीं अब तुम तड़पाओ,
 विनय करे है तेरी विरहन।।

 *पहनाएगी गलहार बावरिया।*
*आ जाओ इकबार साँवरिया।।*
छेड़ रही मल्हार........

छुप-छुप के कबतलक मिलेंगे।
 किसी रोज सब देख ही लेंगे।
 हुए  लाज  से  पानी- पानी,
बोलो फिर क्या लोग कहेंगे।।

*डोली संग कहार साँवरिया।*
*ले आओ एकबार नगरिया।।*
छेड़ रही मल्हार...........

बनके  दुल्हन  साथ चलूँगी।
सात जनम तक हाथ गहूँगी।
मन मंदिर में तुझे बिठाकर,
पूजा मैं  दिन-रात करूँगी।।

*ओढ़ के मैं रतनार चुनरिया।*
*चल दूँगी दिलदार डगरिया।।*
छेड़ रही मल्हार.........

पुष्पा गुप्ता "प्रांजलि"
कटनी
@Kalam ki Sugandh

1 comment:

  1. सुंदर रचना ....बहुत बहुत बधाई 💐💐💐

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