विधा- गीत (प्रेयसी का संदेश प्रियतम के नाम)
विषय- मल्हार
छेड़ रही *मल्हार* पायलिया।
कहती क्या झनकार साँवरिया।।
सदियाँ लगते हैं ये पलछिन।
रातें कटती तारे गिन-गिन।
और नहीं अब तुम तड़पाओ,
विनय करे है तेरी विरहन।।
*पहनाएगी गलहार बावरिया।*
*आ जाओ इकबार साँवरिया।।*
छेड़ रही मल्हार........
छुप-छुप के कबतलक मिलेंगे।
किसी रोज सब देख ही लेंगे।
हुए लाज से पानी- पानी,
बोलो फिर क्या लोग कहेंगे।।
*डोली संग कहार साँवरिया।*
*ले आओ एकबार नगरिया।।*
छेड़ रही मल्हार...........
बनके दुल्हन साथ चलूँगी।
सात जनम तक हाथ गहूँगी।
मन मंदिर में तुझे बिठाकर,
पूजा मैं दिन-रात करूँगी।।
*ओढ़ के मैं रतनार चुनरिया।*
*चल दूँगी दिलदार डगरिया।।*
छेड़ रही मल्हार.........
पुष्पा गुप्ता "प्रांजलि"
कटनी
@Kalam ki Sugandh
सुंदर रचना ....बहुत बहुत बधाई 💐💐💐
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