Sunday, 12 January 2020

कुण्डलियाँ छंद ....आधा,यात्रा

[12/01 6:20 PM] अनुराधा चौहाण मुम्बई: कलम की सुगंध
कुण्डलियाँ शतकवीर
दिनाँक--12/1/20

45
आधा
आधा शिव का रूप है,आधी गौरा वाम।
गौरी शंकर रूप का,,पूजन आठों याम
पूजन आठों याम,कहें सब बम-बम भोले।
शिवशंकर साकार,गले में विषधर डोले।
देखी अनु शुभ रूप,मिटी जीवन से बाधा।
अर्द्धनारीश्वर शिव,सती शिव अंगी आधा।

46
यात्रा
यात्रा जीवन से जुड़ी,नरम गरम सी छाँव।
बरसे खुशियों की झड़ी,कहीं दुखों का गाँव।
कहीं दुखों का गाँव,अकारण पाले दुविधा।
करते नित संघर्ष,कहाँ सब पाते सुविधा।
कहती अनु कुछ सीख,गिनों सुख दुख की मात्रा।
धूप छाँव सम भार,यही है जीवन यात्रा

अनुराधा चौहान स्वरचित ✍️
[12/01 6:21 PM] धनेश्वरी देवाँगन 'धरा': कुँडलिया शतक वीर हेतु

41) गहरा 

गहरा दरिया हृदय का , रहे भरा  बस प्रीत।
मिले कहीं जो जन दुखी , बन जाये मन  मीत ।।
बन जाये मन मीत , भरी हो उर अनुकंपा।
दमके नित दिन दीप , नेह लौ बनके दंपा।
सुनो "धरा" की बात , भावना मारे लहरा ।
दया धर्म अरु प्रेम, चित्त हो हर दम गहरा ।।

42) आँगन

झिलमिल आँगन दमकता , कुंदन सा निज धाम ।
मान सम्मान महकता ,  निश दिन आठों याम‌।।
निश दिन आठों याम‌ , प्रतिक्षण खुशियाँ बिखरे ।
चित हो चारु विचार  , चाँदनी वाणी निखरे ।।
कहे "धरा" कर जोड़ , रहें जुड़ हम सब हिलमिल‌।
बंधन रहे अटूट‌  ,  चमकता हो घर झिलमिल‌ ।।


*धनेश्वरी देवांगन "धरा"*
*रायगढ़, छत्तीसगढ़*
[12/01 6:22 PM] रजनी रामदेव: शतकवीर प्रतियोगिता हेतु
12/01/2020:: रविवार

आधा
आधा खाली है लगे,आधा भरा गिलास।
अपनी अपनी सोच है, अपनी अपनी प्यास।।
अपनी अपनी प्यास,खड़े सब बने सवाली।
रहा कभी जो तृप्त, बना है आज रुदाली।।
मन मे लेकर चाह,माँगते ज्यादा-ज्यादा।।
कोई भी इंसान, नहीं चाहे है आधा।।

यात्रा
आओ मिल साझा करें, यात्रा का वृत्तान्त।
सुखदायी रहती कभी, करती कभी क्लांत।।
करती कभी क्लांत, आप बीती है अपनी।
टिकिट गए हम भूल, हुई फिर अपनी छटनी।।
बोले टीटी सा'ब, चलो दूजी बनवाओ।
जुर्माना दो साथ, तभी गाड़ी में आओ।।
                   रजनी रामदेव
                      न्यू दिल्ली
[12/01 6:23 PM] प्रतिभा प्रसाद: *कुंडलियाँ*
विषय ---  *आधा , यात्रा*
दिनांक ---  12.1.2020..

(47)           *आधा*

आधा देखो चंद्रमा , उसमें भी है दाग ।
फिर भी मानक है सदा , सुंदरता का भाग ।
सुंदरता का भाग , अक्स गौरी में पाता ।
और चकोरी चाँद , सदा किस्से में आता ।
कह कुमकुम कविराय , कभी मत डालो बाधा ।
पूरा होगा प्यार , नहीं होगा वो आधा ।।


(48)          *यात्रा*

चर्चा यात्रा की चली , खुशियाँ गई बिखेर ।
मन पंछी उड़ने लगा , कोई मिले कुबेर ।
कोई मिले कुबेर , घूम डोलें जग सारा ।
प्रीत रीत के बोल , सदा जीवन है हारा ।
तुम भी ऐसा सोच , करोगे कितना खर्चा ।
घुमें सदा ही धाम , चले जीवन में चर्चा ।।



🌹 *प्रतिभा प्रसाद कुमकुम*
       दिनांक  12.1.2020......


_____________________________________
[12/01 6:28 PM] डॉ मीना कौशल: गहरा

गहरा मन में प्यार हो,महके सदा मिठास।
मोहन के दीदार हो,इन नैनों की प्यास।।
इन नयनों की प्यास, आस मनमोहन की है।
राधे संग सुवास,रास वृन्दावन की है।।
प्रेम पिपासे हृदय,रहे न कोई पहरा।
राधेकिशन प्रणाम,प्रेम चरणों में गहरा।।

आँगन

आँगन विचरण कर रहे,दशरथ के सुत चार।
देख जननि हर्षित भयीं,लोचन रहीं निहार।।
लोचन रहीं निहार,अजिर की शोभा न्यारी।
क्रीडा दीनदयाल,करें महके फुलवारी।।
हर लें सभी बलाय,माँगती माता माँगन।
चारों वेद स्वरूप,करें क्रीडा नृप आँगन।।
डा.मीना कौशल
[12/01 6:30 PM] अटल राम चतुर्वेदी, मथुरा: 12.01.2020 (रविवार )

45-  आधा
***********
आधा छूटा काम जो, कहाँ पूर्णता पाय ?
जैसे-तैसे पूर्ण हो, कमी मगर रह जाय।
कमी मगर रह जाय, गाँठ की जैसे डोरी।
जब-जब फेरें हाथ, निराशा मिलती कोरी।
"अटल" होय शुभ काम, निरंतर आतीं बाधा।
कृपा रखें श्रीराम, पूर्णता मेंटे बाधा।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏


46-   यात्रा
**********
दुनिया में जब तक रहें, करें यात्रा आप।
जहाँ-जहाँ घूमा करें, रखें साथ निज छाप।
रखें साथ निज छाप, याद कुछ लेकर आयें।
अनुभव अपने आप, सभी को तुरत बतायें।
"अटल" साथ परिवार, रहें खुश मुन्ना-मुनिया।
जब तक तन में साँस, घूमते रहिए दुनिया।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏
[12/01 6:37 PM] बोधन राम विनायक: *कलम की सुगन्ध छंदशाला*
कुण्डलियाँ - शतकवीर सम्मान हेतु-
दिनाँक - 12.01.2020 (रविवार )

(45)
विषय - *आधा*
आधा  है  ये  चन्द्रमा, आधी  है  ये  रात।
ऐसे में साजन करूँ,तुझसे दिल की बात।।
तुझसे दिल की बात,बताऊँ हाल सुनाऊँ।
नहीं चैन दिन रैन, तुझी  पर प्रेम लुटाऊँ।।
कहे विनायक राज, रहे  मत  कोई बाधा।
प्यार मिले भरपूर, नहीं हो इसका आधा।।

(46)
विषय - *यात्रा*
अनजानी गर हो डगर,यात्रा क्या आसान।
सोच समझ पग धारिए,मंजिल को पहचान।।
मंजिल को पहचान, भटकना  नहीं  पड़ेगा।
साथी  मेरे   यार,  जमाना  साथ   चलेगा।।
कहे  विनायक राज, नहीं करना  मनमानी।
एक नहीं तुम साथ,चलो जग है अनजानी।।


बोधन राम निषादराज"विनायक"
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)
[12/01 6:41 PM] डॉ मीना कौशल: आधा

आधा श्यामा श्याम बिन,राधे पूरण श्याम।
संग राधिके हैं सदा,मोहन पूरणकाम।।
मोहन पूरणकाम,नाम है राधेकृष्णा।
भज लो कृष्णकृपालु,मिटे जीवन की तृष्णा।।
आयेंगे घनश्याम,जपो मन राधा-राधा।
जपो किशोरी नाम ,रहोगे फिर न आधा।।

यात्रा

यात्रा हो वृजधाम की,चक्षु बसें घनश्याम।
कण-कण तृण-तृण मोहिनी,प्रतिध्वनि राधेश्याम।।
प्रतिध्वनि राधेश्याम,नाम पुलकावलि बाढ़ी।
प्रेम सरोवर अक्षि भरे,हुलसावलि गाढ़ी।।
चरण शरण हे श्याम,राधिके माँ हृत्पात्रा।
मानस का संकल्प,पूर्ण हो ये शुभ यात्रा।।
डा.मीना कौशल
[12/01 6:41 PM] सरला सिंह: *12.01.2020 (रविवार )*
*कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुंडलियाँ शतकवीर हेतु*

*दिन - रविवार* 
*दिनांक-12/01/20*
*विषय: आधा, यात्रा
*विधा कुण्डलियाँ*

   *45-आधा*

  रोती क्यों जगमें वही,आधा जो संसार।
  उसके बिन संभव नहीं,चले सृष्टि व्यापार।
  चले सृष्टि व्यापार, कहां नारी बिन धरती।
  करते कुछ अपमान,कहीं जीवित ही मरती।
  सरला कहती आज, यही क्यों हैं दुख ढोती।
  नारी जग आधार, वही सदियों से रोती।।

   *डॉ सरला सिंह स्निग्धा*
   *दिल्ली*

   *46-यात्रा*

  जीवन यात्रा है विकट,चलो पैर संभाल।
  देखो पथ केवल सुपथ,रखना उन्नत भाल।
  रखना उन्नत भाल,सदा परहित रत रहना।
  कंटक पथ के साथ, सदा नदियों-सा बहना।
  कहती सरला बात, धरो धीरज संजीवन।
  मंजिल हो आसान, बने अति सुन्दर जीवन।।

   *डॉ सरला सिंह स्निग्धा*
   *दिल्ली*
[12/01 6:41 PM] डा कमल वर्मा: कलम की सुगंध छंद शाला। प्रणाम। 🙏🏻
कुंडलियाँ शतक वीर के लिए
कुंडलियाँ क्र67
विषय _आधा 
तन मन को पूरा लगा, जिद से करते काम, 
आधा छूटे मत कभी,पूरे के बाद विराम। 
पूरे के बाद विराम, ध्येय वें पा कर रहतें। 
होता उनका नाम,जगत में ख्याती गहते।
कमल कहे कस कमर,फेंक दे अपनी अचकन। 
मिलें सही परिणाम,लगा दें पूरा तनमन। 

कुंडलियाँ क्र68
विषय__यात्रा
लंबी यात्रा सी लगे,चलता जीवन एक।                              रुकते राहों में कहीं,साथी मिलें अनेक। 
साथी मिलें अनेक,छोड़ कर कुछ है जाते,                              खट्टे मीठे स्वाद,हमें पल सभी चखातें। 
कमल सभी को छोड़,बनो मत परावलंबी
करें अकेले पार,जीव की यात्रा लंबी। 
रचना कार _डॉ श्रीमती कमल वर्मा।
[12/01 6:46 PM] उमाकांत टैगोर: *कुण्डलिया शतकवीर हेतु* 

*दिनांक -02/01/20*

कुण्डलिया (31) 
विषय- अनुपम

अनुपम उसका रूप, दर्शन तरसे नैन।
बिन देखे उस दिव्य को, तनिक न आये चैन।।
तनिक न आये चैन, निहारूँ अपलक उसको।
नटखट है घनश्याम, चुराये मुझसे मुझको।।
दर्शन बिन हर रोज, रहे आँखे मेरी नम।
खिल जाती है शाम, रूप जब देखूँ अनुपम।।

कुण्डलिया(32)
विषय- धड़कन

धड़कन बन के हे प्रभो, रहना मुझमें आप।
सुबह शाम जपते रहूँ, प्रभो तुम्हारे जाप।।
प्रभो तुम्हारे जाप, बिना कैसे रह पाऊँ।
इतनी सी है चाह, सदा तुमको ही गाऊँ।।
सुनकर तेरा नाम, दूर जाये सब अड़चन।
रहना मेरे संग, प्रभो तुम बनकर धड़कन।।

*दिनांक -04/01/20*

कुण्डलिया (33) 
विषय- वीणा

जय देवी जय शारदे, इतना कर उपकार।
हर दे सब अज्ञानता, दे वीणा झंकार।।
दे वीणा झंकार, तमस इस जग से हर दे।
सब के मन में दीप, जले ऐसा कुछ कर दे।।
सदा रहे अनुराग, कभी भी आये मत भय।
सरस्वती हे मातु!, करूँ तेरी मैं जय जय।।

कुण्डलिया (34) 
विषय- नैतिक

ज्ञानी बनना बाद में, प्रथम बनो इंसान।
नैतिक शिक्षा भी रहे, तभी मिले पहचान।।
तभी मिले पहचान, किताबी ही मत रहना।
कभी किसी को आप, बुरा बिलकुल मत कहना।।
पाकर थोड़ा ज्ञान, नहीं बनना अभिमानी।
इतना रखना ज्ञान, अगर बनना है ज्ञानी।।

रचनाकार- उमाकान्त टैगोर
कन्हाईबंद, जाँजगीर(छ.ग.)
[12/01 6:51 PM] +91 94241 55585: शतकवीर सम्मान रविवार के लिये
               12,1,2020         
                    यात्रा 

 धार्मिक यात्रा जब करें ,सावधान तुम खास ।
 पूजा अर्चना जब करो, भक्ति भाव हो पास।
 भक्ति भाव हो पास, करे फलाहार उपवास।
 मंदिर देवों को देख ,अद्भुत कला का प्रयास।
 करती धरती उपकार ,गिनती नहीं मात्रा ।
 कहती गुल है यही ,करो पवित्र सभी यात्रा।

                       आधा
 आधा मिलता है तभी ,होती पूरे की चाह ।
 सब कुछ मिलता है नहीं ,करते प्रयास माह ।
 करते प्रयास माह , कठिन है रास्ता साथी   ।
 भटकने लगते राह, चले है जैसे हाथी ।
 पथिक निहारता है, भगवन है कृष्ण राधा   ।
 कहती गुल है बात , भक्त  पुकारते  आधा ।

          धनेश्वरी सोनी गुल बिलासपुर
[12/01 7:02 PM] नवनीत चौधरी विदेह: *शतकवीर सम्मान हेतु कुंडलियाँ*
विषय ---  *आधा , यात्रा*
दिनांक ---  12.1.2020..

(47)           *आधा*

आधा पौना ही रहा, इस जीवन का हाल |
पूर्ण कभी ना हो सका, इसका रहा मलाल |
इसका रहा मलाल, खुशी अधरों की छीनी |
दाता तेरा न्याय, सदा ही लगा मशीनी |
कह विदेह नवनीत, मुझे कब तूने साधा |
जीवन मेरा हाय, रहा पौना अरु आधा ||


(48)          *यात्रा*

यात्रा चंदा की अजब, देखी हमने यार |
रजनी का मन तोड़कर, करता है अभिसार |
करता है अभिसार, चंद्रिका संग थिरकता |
मौन हुआ संसार, अवनि पर नूर बरसता |
कह विदेह नवनीत, घटी दु:खों की मात्रा |
संग चंद्रिका रास,अजब चंदा की यात्रा || 


*नवनीत चौधरी विदेह*
*किच्छा, ऊधम सिंह नगर*
*उत्तराखंड*
[12/01 7:09 PM] चमेली कुर्रे सुवासिता: कलम की सुगंध छंदशाला 
*कुण्डलिया शतकवीर*

दिनांक- 12/01/2020
कुण्डलिया- ( *43*)
  विषय - ( *गहरा*)

सपना गहरा देखते , मात पिता तो रोज। 
हरदम संतति के लिए , करें कौर की खोज।। 
करें कौर की खोज , सदा खुद भूखे रहते। 
एसा पालन देख , नमित हो संतति कहते।। 
सुवासिता कर जोड़ , वार दे तन-मन अपना ।
छू कर चरण असीम ,पूर्ण कर गहरा सपना।।

कुण्डलिया -( *44*)
विषय - *आँगन*
आँगन हरदम हो बड़ा , खिले प्रेम के फूल। 
पल पल मिल कर रोज ही , करे साफ मन धूल।। 
करे साफ मन धूल , सदा ही मिलकर रहते।
व्यथित हुए क्यों आज , कष्ट तो सब ही सहते ।।
सुवासिता दे ध्यान , नही टूटे कोई मन।
मिटते जब हिय भेद , फूल से महके आँगन।।

कुण्डलिया -( *45*)
विषय - *आधा*
आधा 'र' रहे प्रीत में , दिखता अर्ध  'श' श्याम ।
नारीश्वर हो पूर्ण तब , अर्ध अर्ध अभिराम।। 
अर्ध अर्ध अभिराम , सृष्टि की रचना करते। 
बढ़ती हरदम शक्ति , कष्ट दोनों ही हरते।। 
सुवासिता की चाह , मिटे सब की बाधा। 
जीवन हो खुशहाल , रहे कोई क्यों आधा।।


कुण्डलिया - ( *46*)
विषय - *यात्रा*

करते यात्रा जब कभी , रखना तुम ये ध्यान। 
रख हरदम सामान कम , ज्ञानी देते  ज्ञान।। 
ज्ञानी देते ज्ञान ,  नही बाहर का  खाना। 
फल रख लो तुम साथ , दूर होता जब जाना।। 
सुवासिता सुन बात , तत्व पोषक फल भरते ।
दुर्घटना हो बंद , सफल यात्रा सब करते।।
           🙏🙏🙏
✍चमेली कुर्रे 'सुवासिता'
जगदलपुर (छत्तीसगढ़)
[12/01 7:16 PM] इंद्राणी साहू साँची: कलम की सुगंध छंदशाला

कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु

दिनाँक - 12/01/2020
दिन -रविवार
45 - कुण्डलिया (1)
विषय - आधा
**************
आधा मन से जो करे ,बने न पूरा काम ।
कोशिश पूरी कीजिए , मिले तभी आराम ।
मिले तभी आराम ,भरोसा जब अपनाते ।
असमंजस को धार ,भँवर में ही रह जाते ।
लगनशील इंसान , कार्य उसने ही साधा ।
मंजिल होगी पास , यत्न जब रहे न आधा ।।

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46 - कुण्डलिया (2)
विषय - यात्रा
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जीवन यात्रा मार्ग पर , पकड़ी सुख दुख रेल ।
साँस रहे जब तक हृदय ,चले अनवरत खेल ।
चले अनवरत खेल ,कर्म से प्रतिफल पाते ।
कोई बनते संत , भोग में कुछ रम जाते ।
मन में मैल समाय , कहाँ होता प्रभु दर्शन ।
हृदय बना लो तीर्थ , बने तब उत्तम जीवन ।।

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✍️इन्द्राणी साहू "साँची"✍️
   भाटापारा (छत्तीसगढ़)
★★★★★★★★★★★★★★★★
[12/01 7:18 PM] गीता द्विवेदी: कलम की सुगंध
कुण्डलियाँ शतकवीर
दिनाँक--12/1/20

45
आधा

आधा चाँद निहारता,पट खोले आकाश।
कर सोलह श्रृंगार तू, चल सजन आवास।।
चल सजन आवास, मिलन की बेला आयी।
ये जीवन की रीत, सखी काहे शरमायी।।
पति देवता तूल्य, सहें आगे बढ़ बाधा।
सुख दुख बाँटो संग, सदा तुम आधा आधा।।

46
यात्रा

भव सागर में डूबकर, क्या पाओगे मीत।
मन डूबे श्री राम में, जीवन यात्रा गीत।।
जीवन यात्रा गीत, सुहाना पथ बन जाए।
अंत समय में धीर, अंधेरा घिर न पाए।।
चरणों में हो प्रीत, वही स्थायी आगर।
तारक हैं रघुवीर, वही नैया भव सागर।।

सादर प्रस्तुत🙏🙏
गीता द्विवेदी
[12/01 7:26 PM] अनंत पुरोहित: कलम की सुगंध छंदशाला
कार्यक्रम कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
अनंत पुरोहित 'अनंत'

दिन शनिवार 11.01.2020

43) गहरा 

गहरा सागर पालता, मोती सीपी पेट 
जो जितना गहरा गया, लेता ब्रह्म समेट
लेता ब्रह्म समेट, ज्ञान यूँ गहरा पलता 
घोंघा उथले घाट, शंख गहरे में चलता 
कह अनंत कविराय, मोह में क्यों तू ठहरा 
मोती को ले थाम, पैठ सागर में गहरा

44) आँगन

45) आधा

आधा आधा रूप है, लेकिन वो हैं एक
अर्धनारीश रूप में, काम करें वे नेक
काम करें वे नेक, जगत का करते चालन 
पति पत्नी आदर्श, सभी का करते पालन
कह अनंत कविराय, कृष्ण की आधी राधा
पत्नी को दो मान, मान लो उसको आधा

46) यात्रा

रचनाकार-
अनंत पुरोहित 'अनंत'
[12/01 7:35 PM] संतोष कुमार प्रजापति: कलम की सुगंध छंदशाला 

*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु* 

दिनांक - 12/01/2020

कुण्डलिया (45) 
विषय- आधा
===========

आधा जीवन  रह गया, किया न आधा काम I
पाकर  नर तन  कीमती, अभी भँजालो दाम ll
अभी  भँजालो  दाम, नहीं  पुनि  मौका आए l
होगा  जीवन  व्यर्थ, समय  से  चेत  न  पाए ll
कह 'माधव कविराय', शरण गह माधव-राधा l
करो कृत्य कुछ नेक, सँभालो  जीवन आधा ll

कुण्डलिया (46) 
विषय- यात्रा
===========

धरती   की   यात्रा  किया, मिले   यात्री   भिन्न I
कर्मों के अनुसार कुछ, दिखें सुखी कुछ खिन्न ll
दिखें  सुखी  कुछ खिन्न, मिला उनको वैसा ही l
समय, बुद्धि  उपयोग, किया  जिसने जैसा ही ll
कह 'माधव कविराय', भलाई  सब  दुख हरती l
रहो स्वयं  खुश आप, बनाओ  खुशमय धरती ll

रचनाकार का नाम-
           सन्तोष कुमार प्रजापति 'माधव'
                        महोबा (उ.प्र.)
[12/01 7:37 PM] केवरा यदु मीरा: शतक वीर कुंडलिया छंद 
12-1-2020

आधा 

आधा तेरे बिन लगे, तेरे श्याम का नाम ।
पुर्ण करो आकर सदा, तब हो राधे श्याम ।।
तब हो राधे श्याम, राधिके  जिया न लागे 
रहना तुम मत दूर, फिरूँ तुझ बिन मैं अभागे ।
कहती मीरा बात,बीच में कैसी बाधा ।
इक दूजे का श्याम,  प्रीत फिर कैसे आधा ।।

यात्रा 

यात्रा करना है सदा, बस अपनो के साथ ।
खेल नहीं समझो इसे, छूटे कभी न हाथ ।
छूटे कभी न हाथ, पड़ेगा फिर पछताना ।
शहर ड़गर अनजान,कहाँ पर तेरा जाना ।
रखना कम सामान, होय मत ज्यादा मात्रा ।
मीरा कहती तभी, सफल हो तेरी यात्रा ।।

केवरा यदु "मीरा "
राजिम
[12/01 7:43 PM] कमल किशोर कमल: नमन
12.01.2020
कुंडलियाँ शतकवीर हेतु

41-गहरा
गहरे रिश्ते आजकल,मिलें एक- दो चार।
युग मशीन का आ गया,तोड़ चले सौ बार।
तोड़ चले सौ बार,साधना स्वारथ भारी।
किसी तरह हो काम,भले भाई  महतारी।
कहे कमल कविराज,बढ़ाते दूरी बहरे।
दर्द निवारक खोज,अभी तक गहरे- गहरे।
42-
आँगन
चिड़ियाँ आँगन में रहें,दिल से करो प्रयास।
दस दाना यदि डाल दे,बन जाते हैं खास।
बन जाते हैं खास,नेहवश चीं -चीं करतीं।
फुदक- फुदक कर खेल,दुआ रजकण से करतीं।
कहे कमल कविराज,बनाकर डालो बिलियाँ।
उड़ कर आतीं पास,देखिए प्यारी चिड़ियाँ।

45-
आधा-
आधी धरती बोलती,आधा है आकाश।
आधा सूरज चाँद है,आधा करे प्रकाश।
आधा करे प्रकाश,रोशनी आधी मिलती।
आधी धरती तिमिर,आध में बिजली होती।
कहे कमल कविराज,जमाना उर्वर परती।
हरी -भरी के साथ,रुखाई आधी धरती।
46-
यात्रा
जीवन यात्रा पर चले,राशन पानी बाँध।
दो हाथों से पकड़कर,वजन रखा है काँध।
वजन रखा है काँध,सहारा लेकर तन का।
धूप -छाँव का खेल,सितारा है जन- मन का।
कहे कमल कविराज,काम में होता यौवन।
हो भवसागर पार,हवा -सा बहता जीवन।

कवि-कमल किशोर "कमल"
       हमीरपुर बुन्देलखण्ड।
[12/01 7:45 PM] कुसुम कोठारी: कमल की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
१२/१/२०
कुसुम कोठारी।

कुण्डलियाँ (४५)

विषय-आधा
आधा चाँद छुपा रहा ,कर बादल की ओट ,
आज चकोरी के हृदय ,लगी जोर से चोट ,
लगी जोर से चोट , हुई घायल  बेचारी 
शशि के मुख पर हास  ,देख उसकी लाचारी  ,
कहे कुसुम ये राज , चकोरी है ज्यों राधा ,
धुंँधली है मुख कान्ति ,चाँद ज्यों नभ में आधा ।।

कुण्डलियाँ (४६)

विषय-यात्रा

तोड़ो बंधन सांकले , मोक्ष मुक्ति का साक्ष्य ,
यात्रा हो उस धाम की , सद्गति हो बस लक्ष्य ,
सद्गति हो बस लक्ष्य,विमल निश्छल ही रहना ,
जीवन में जो दर्द  ,सभी धीरज से सहना  
कुसुम ज्ञान की बात , कमाई भव की जोड़ो ,
सद्भावों के वृक्ष , लदे फल मीठे तोड़ो ।।
फल=पूर्व कृत कर्म।

कुसुम कोठारी।
[12/01 7:46 PM] अटल राम चतुर्वेदी, मथुरा: 12.01.2020 (रविवार )

45-  आधा
***********
आधा छूटा काम जो, कहाँ पूर्णता पाय ?
जैसे-तैसे पूर्ण हो, कमी मगर रह जाय।
कमी मगर रह जाय, गाँठ की जैसे डोरी।
जब-जब फेरें हाथ, निराशा मिलती कोरी।
"अटल" होय शुभ काम, निरंतर आतीं बाधा।
कृपा रखें श्रीराम, होय पूरा, जो आधा।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏


46-   यात्रा
**********
दुनिया में जब तक रहें, करें यात्रा आप।
जहाँ-जहाँ घूमा करें, रखें साथ निज छाप।
रखें साथ निज छाप, याद कुछ लेकर आयें।
अनुभव अपने आप, सभी को तुरत बतायें।
"अटल" साथ परिवार, रहें खुश मुन्ना-मुनिया।
जब तक तन में साँस, घूमते रहिए दुनिया।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏
[12/01 7:48 PM] आशा शुक्ला: कलम की सुगंध छंदशाला
कुंडलियाँ शतकवीर हेतु



(45)
विषय-आधा

जीवन आधा शेष है , अभी बहुत है काम।
काम क्रोध को छोड़के,भज लो हरि का नाम।
भज लो हरि का नाम,नाम चमकाएं ऐसा।
तज  आधे  की  बात  ,पूर्ण  चंद्र के जैसा।
करके आधा बाँट ,हुआ बहुत दुखी ये मन।
करके आधा काम ,रहा उलझन में जीवन।




(46)
विषय-यात्रा

यात्रा जीवन की बड़ी, दुर्गम और कठोर।
 कंटक इतने  राह में , कोई ओर  न छोर।
 कोई ओर न  छोर, बहुत लंबा ये  पथ है।
 साहस ही है साथ, बना तन यात्रा रथ है।
इच्छाओं के  घोड़े, बहुत है इनकी  मात्रा।
कर कंटक सब दूर, चले जीवन की यात्रा।

रचनाकार-आशा शुक्ला
शाहजहाँपुर, उत्तरप्रदेश
[12/01 7:49 PM] कृष्ण मोहन निगम: दिनाँक ....12 जनवरी 2020 
कलम की सुगंध छंद शाला।
कुंडलियाँ शतक वीर ।।
विषय........   ( 45 )        *आधा*
आधा काम न छोड़िए , करिए मत आलस्य ।
छूटा 'आधा' व्याधि बन , होगा खड़ा अवश्य ।।
होगा   खड़ा अवश्य ,   अधूरापन   दुख  देता ।
करता   है   आराम ,  काम कर पूर्ण  सुचेता।।
कहे "निगम" कविराज, न  हो क्यों कैसी बाधा।
सैनिक, सजग किसान , काम कब छोड़े आधा।। 

विषय ........   (46 )     *यात्रा*

यात्रा पर तो चल  दिया ,   किया न  पंथ  विचार ।
जाना   था  गुजरात तो ,   पहुँचे   आप  बिहार।। 
पहुँचे   आप  बिहार ,  अर्थ समझो अब इसका ।
सुगम मार्ग का मोह ,  भ्रमित मन करे न किसका ।।
"निगम"  देख गंतव्य , गिनो मत श्रम की मात्रा ।
लक्ष्य मिलाए राह ,   राह वो,  सार्थक यात्रा ।।

 कलम से 
कृष्ण मोहन निगम ।
,सीतापुर  ,
जिला सरगुजा (छत्तीसगढ़)
[12/01 8:07 PM] राधा तिवारी खटीमा: कलम की सुगंध छंदशाला 
कुंडलियाँ शतकवीर हेतु
दिनांक -12/01/2020

आधा (43)
आधा शबरी खा रही, आधा खाते राम।
 शबरी के तो बेर भी, लगते मीठे आम।
 लगते मीठे आम, चखे वो पहले खुद ही।
 खुश होते हैं राम, नहीं खुद की भी सुध ली।
कह राधेगोपाल, मिट गई सारी बाधा ।
आधा खाते राम, रही चख शबरी आधा।।

यात्रा (44)

यात्रा पर निकलो कभी, रखना इतना ध्यान।
 टिकट रखो तुम जेब में, आए न व्यवधान।
 आए न व्यवधान,करो तुम यात्रा पूरी।
 जाना मिल परिवार ,यही है बहुत जरूरी ।
कह राधेगोपाल, घटेगी दुख की मात्रा।
 इतना रखना ध्यान, करोगे जब भी यात्रा।।

राधा तिवारी "राधेगोपाल"
खटीमा 
उधम सिंह नगर
उत्तराखंड
[12/01 8:11 PM] वंदना सोलंकी: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुंडलियाँ  शतकवीर हेतु*
रविवार-12.01.2020

*45)*आधा*

आधा अधूरा ही मिले,जब हो मनुज अधीर।
जाने क्या वो सोचता,बैठा सागर तीर।
बैठा सागर तीर,कि मोती यहीं मिलेंगे।
होगा वो धनवान,नवरत्न धन बरसेंगे।
मत बैठा तू सोच,कि आ जायेगी बाधा।
श्रम से होता काम,न छोड़ अधूरा आधा।।

*46)*यात्रा*

राघव संग चली सिया,छोड़ भवन सुख धाम।
वन यात्रा को चुन लिया,न किया कभी विश्राम।
न किया कभी विश्राम,पतिव्रता देवी सीता।
बैठी गंगा तीर,भरा घट जल से रीता।
बैठी कुटिया मध्य,तभी प्रकटा इक दानव।
बनाये भिक्षुक वेश,जब नहीं उपस्थित राघव।।

*रचनाकार-वंदना सोलंकी*
*नई दिल्ली*
[12/01 8:19 PM] डा कमल वर्मा: कलम की सुगंध छंद शाला। प्रणाम। 🙏🏻
कुंडलियाँ शतक वीर के लिए
कुंडलियाँ क्र67
विषय _आधा 
तन मन को पूरा लगा, जिद से करते काम, 
आधा छूटे मत कभी,पूरे के बाद विराम। 
पूरे के बाद विराम, ध्येय वें पा कर रहतें। 
होता उनका नाम,जगत में ख्याती गहते।
कमल कहे कस कमर,फेंक दे अपनी अचकन। 
मिलें सही परिणाम,लगा दें पूरा तनमन। 

कुंडलियाँ क्र68
विषय__यात्रा
लंबी यात्रा सी लगे,चलता जीवन एक।                              रुकते राहों में कहीं,साथी मिलें अनेक। 
साथी मिलें अनेक,छोड़ कर कुछ है जाते,                              खट्टे मीठे स्वाद,हमें पल सभी चखातें। 
कमल सभी को छोड़,बनो मत परावलंबी
करें अकेले पार,जीव की यात्रा लंबी। 
रचना कार _डॉ श्रीमती कमल वर्मा।
[12/01 8:20 PM] प्रमिला पाण्डेय: कल की संशोधित कुंडली  रचनाए
कलम की सुगंध कुंडलियां प्रतियोगिता

(43)गहरा

सागर से गहरा हृदय,  वाणी है अनमोल।
     संतों की  बोली भली,    ज्ञान चक्षु दे खोल।
 ज्ञान चक्षु दे खोल,  मोह  ममता मिट जावे।
    मिटता  मन का कलुष, दिव्य  ज्योती    दिखलावे।
 कह प्रमिला कविराय, संत मन मणि की गागर।
  रखते हृदय विशाल,  प्रेम का गहरा सागर।।


(44ऑगन

ऑगन लीपें जानकी,  शिव धनु लियो उठाय।
 देखि जनक विस्मित भये, प्रण ठाना चितलाय।
 प्रण ठाना चित लाय,  वरण वो करेगा सीता।
तोड़े शिव को चाप,नही फिर जाये रीता।
   कह प्रमिला कविराय ,  चलीं सिय देव मनावन।।
 रचा स्वंयवर आज, जनक राजा केआँगन।।

 प्रमिला पान्डेय
[12/01 8:20 PM] प्रमिला पाण्डेय: कलम की सुगंध शतकवीर कुंडलियां छंद प्रतियोगिता
 12/1/2020
शब्द-  आधा/यात्रा
(45)
       शंकर जी ने जब धरा, आधा नारी रूप।
 मोहे सारे जगत के,  देव दनुज सुर भूप।
 देव दनुज सुर भूप, सभी दर्शन को आये।
  किया जगत कल्याण, वो नारीश्वर कहलाये।
 कह प्रमिला कविराय, लगे नहि काटा कंकर।
  करते भव से पार,  सभी को भोले शंकर।।

(46)यात्रा

   धरती पर सबसे बड़ा , है वृंदावन धाम।
  जहाँ बसें श्री राधिका, कृष्ण संग बलराम।।

 कृष्ण संग बलराम,  सुदामा हलधर भइया।
       माखन मैया देत ,चरावत  मोहन गइया।
कह प्रमिला कविराय,  मही की मटकी बहती ।
 लूटत गोपी ग्वाल, वही गोकुल की धरती।।

 प्रमिला पान्डेय
 ,
[12/01 8:29 PM] कमल किशोर कमल: नमन
12.01.2020
कुंडलियाँ शतकवीर हेतु

43-गहरा
गहरे रिश्ते आजकल,मिलें एक- दो चार।
युग मशीन का आ गया,तोड़ चले सौ बार।
तोड़ चले सौ बार,साधना स्वारथ भारी।
किसी तरह हो काम,भले भाई  महतारी।
कहे कमल कविराज,बढ़ाते दूरी बहरे।
दर्द निवारक खोज,अभी तक गहरे- गहरे।
44-
आँगन
चिड़ियाँ आँगन में रहें,दिल से करो प्रयास।
दस दाना यदि डाल दे,बन जाते हैं खास।
बन जाते हैं खास,नेहवश चीं -चीं करतीं।
फुदक- फुदक कर खेल,दुआ रजकण से करतीं।
कहे कमल कविराज,बनाकर डालो बिलियाँ।
उड़ कर आतीं पास,देखिए प्यारी चिड़ियाँ।

45-
आधा-
आधी धरती बोलती,आधा है आकाश।
आधा सूरज चाँद है,आधा करे प्रकाश।
आधा करे प्रकाश,रोशनी आधी मिलती।
आधी धरती तिमिर,आध में बिजली होती।
कहे कमल कविराज,जमाना उर्वर परती।
हरी -भरी के साथ,रुखाई आधी धरती।
46-
यात्रा
जीवन यात्रा पर चले,राशन पानी बाँध।
दो हाथों से पकड़कर,वजन रखा है काँध।
वजन रखा है काँध,सहारा लेकर तन का।
धूप -छाँव का खेल,सितारा है जन- मन का।
कहे कमल कविराज,काम में होता यौवन।
हो भवसागर पार,हवा -सा बहता जीवन।

कवि-कमल किशोर "कमल"
       हमीरपुर बुन्देलखण्ड।
[12/01 8:33 PM] रवि रश्मि अनुभूति: 9920796787****रवि रश्मि 'अनुभूति '

  🙏🙏

  47 ) आधा
************
रहना ज़ीवन में सुखी , होती माँ की चाह ।
देती सारे संस्कार , सही दिखाये राह ।।
सही दिखाये राह , जीवन साथ है आधा ।
गुज़रे आधा साथ , खुशी में रहे न बाधा ।।  
आशीषें दे सदा , भले आधा खा कहना ।।
आधे में है वाह , सुखी जीवन में रहना ।।


48 ) यात्रा 
***********
यात्रा कर चारों धाम , मन से उतरे पाप ।
मन पवित्र ही रहे सदा , रहे नहीं संताप ।।
रहे नहीं संताप , कभी जन्मे नहीं पीड़ा । 
यात्रा सुखकर सदा , जगह ले सदैव क्रीड़ा ।।
रहे न मन कामना , रहे न तनिक भी मात्रा ।
संतोष रहे सदा , कर चारों धाम यात्रा ।।
%%%%%%

(C) रवि रश्मि 'अनुभूति '
12.1.2020 , 7:52 पीएम पर रचित ।
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🙏🙏 समीक्षार्थ व संशोधनार्थ 🌹🌹
[12/01 8:42 PM] +91 99810 21076: कुण्डलियाँ
विषय-आधा,यात्रा
दिनांक-12/01/2020

               (5) आधा
आधा हो जब कार्य तो,पूरा करना ठीक।
गुप्त रहे हर सोच,चले एक ही लीक।।
चले एक ही लीक,सफलता मिल ही जावे।
चल कर मंजिल पास,सामने होकर भावे।।
ख़ुशी मिले जब खूब,रहे मत कोई बाधा।
काम कभी मत छोड़,बीच में उसको आधा।।

               (6)यात्रा
यात्रा करनी हो अगर,रहना खाली पेट।
उल्टी लगे खुद को कभी,पास रहे फिर गेट।।
पास रहे फिर गेट,दबा ले मुँह में गोली।
चाकलेट हो खूब,रहे बच्चों की टोली।।
खाना होवे ओक,भोज्य लेना कम मात्रा।
सफर मस्त ही होय,करे जब भी हम यात्रा।।

राजकिशोर धिरही
[12/01 8:47 PM] पुष्पा विकास गुप्ता कटनी म. प्र: कलम की सुगंध छंदशाला
*कुंडलिया शतकवीर हेतु*

दिनाँक- ११.१.२०२०
कुंडलिया (43) *गहरा*

गहरा  होता  प्रेम  जब, चले  न कोई जोर।
बँध जाती जब साथिया, मन से मन की डोर।।
मन से मन की डोर, टूटती कब वह तोड़े।
एक मिलन की आश, दिवस हो चाहे थोड़े।।
प्रांजलि पक्का प्रेम, लगाओ कितना पहरा।
तोड़े  सारे  बंध, प्रेम  जब  होता गहरा।।

कुंडलिया (44) *आँगन*

बिसरी याद समेटती, आँगन वह दहलीज।
माँ की ममता मायका, होते सदा अजीज।।
होते  सदा  अजीज, छूटकर भी कब छूटे।
ले  पीहर  का  नाम, डाल से पत्ता टूटे।।
प्रांजलि आती याद, आज वे घड़ियाँ बिखरी।
मात-पिता का लाड़, नहीं  वे  यादें बिसरी।।

___पुष्पा गुप्ता प्रांजलि
[12/01 8:50 PM] अभिलाषा चौहान: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*कण्डलियाँ शतकवीर हेतु*

*कुण्डलियाँ(४५)*
*विषय-आधा*
आधा जीवन खो दिया,किया कहाँ कुछ काम।
मन अस्थिर चंचल रहा,लिया न प्रभु का नाम।
लिया न प्रभु का नाम,काम में ऐसा उलझा।
जैसे जाल कुरंग,उलझ के फिर कब सुलझा।
कहती'अभि'निज बात,दिखें बाधा ही बाधा।
जपलो प्रभु का नाम ,बचा ये जीवन आधा।

काम-कर्म
काम-काम वासना
अनुप्रास,यमक,उदाहरण अलंकार का प्रयोग।

*कुण्डलियाँ(४६)*
*विषय-यात्रा*

नश्वर इस संसार में,यात्रा करता जीव।
रमता तनगृह में सदा, छोड़े तो निर्जीव।
छोड़े तो निर्जीव,पथिक नित चलता जाता।
अमर अछेद अभेद,आग में जल न पाता।
कहती'अभि'निज बात,जीव में बसता ईश्वर।
करो सदा सत्कर्म,मिटेगा तन ये नश्वर।


अनुप्रास और रूपक अलंकार का प्रयोग।

*रचनाकार-अभिलाषा चौहान*
[12/01 8:52 PM] बाबूलाल शर्मा बौहरा: °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
•••••••••••••••••••••••••••••बाबूलालशर्मा
.           *कलम की सुगंध छंदशाला* 

.           कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु

.              दिनांक - १२.०१.२०२०

कुण्डलियाँ (1) 
विषय-      *आधा*
आधा तन नर का  हुआ, आधा नारी गात!
महादेव  ने  सृष्टि हित, उपजाए  मनुजात!
उपजाए मनुजात, कहे मनु अरु शतरूपा!
करने  कर्म अनूप, नही  थे  मद छल यूपा!
शर्मा  बाबू  लाल, सृष्टि हित   टालें  बाधा!
कर्म और अधिकार, बाँटकर आधा आधा!

यूपा ~ द्यूत
•.                  ••••••••••  
कुण्डलियाँ (2) 
विषय-.      *यात्रा*
 यात्रा  करते   जन बहुत, जाते  देश विदेश!
धर्म ज्ञान हित भी करे, भ्रमण सभी परिवेश!
भ्रमण  सभी  परिवेश, शहर  हो या  देहाती!
दर्शन   मंदिर    धाम, आरती   गाई   जाती!
शर्मा    बाबू   लाल,  देख   नेपाल   सुमात्रा!
भ्रमण मौज आनंद, सफल सबकी हो यात्रा!
•.                     •••••••••
रचनाकार -✍©
बाबू लाल शर्मा,बौहरा
सिकंदरा,दौसा, राजस्थान
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
[12/01 8:52 PM] डॉ मीता अग्रवाल: *कलम की सुगंध छंद शाला* 
कुंड़लिया छंद शतकवीर हेतु
12/1/2020

                *(45)आधा* 

घातक होता है सदा, आधा मंतर ज्ञान ।
बैगा गुनिया फेर तो,खतरा ही है मान।
खतरा ही है मान,अंगुठा छाप अनाड़ी।
तंत्र मंत्र का जाल,बिछा घूमे है गाड़ी ।
कहती मधुर विचार,जान धो बैठा जातक।
तंत्र मंत्र की चाल,होत है जीवन घातक।
                  *(46)यात्रा* 

दुनिया को जाने सभी,घूमघाम के आय।
अजब गजब हो यात्रा,ज्ञान तभी तो पाय।
ज्ञान तभी तो पाय,नैतिकता पाठ पढावे।
बातचीत का दौर, चले सब मिलजुल गावें।
कहती मधुर विचार,संग हो मून्ना मुनिया।
वसुधा एक कुटुंब,सैर कर सारी दुनिया ।

 *मीता अग्रवाल मधुर रायपुर छत्तीसगढ़*
[12/01 8:56 PM] विद्या भूषण मिश्र 'भूषण': *कुण्डलिया शतक-वीर आयोजन। दिनांक--११/०१/२०२०, दिन-- रविवार*
~~~~~~~~~~~
*४५--आधा*
~~~~~~~~~~
आधा मन लेकर कभी, पूर्ण न होते काम।
पूरे मन से श्रम करो, त्याग सभी आराम।
त्याग सभी आराम, लक्ष्य ऊँचा ही रखना।
तब  हो कर निश्चिंत ,सफलता का फल चखना।
पूरे होंगे काम , दूर होगी सब बाधा।
सदा रखो यह ध्यान, नहीं मन होवे आधा।
~~~~~~~~~~~~~~

*४६--यात्रा*
~~~~~~~~
दुर्गम पथ,जीवन कठिन, यात्रा है अभिराम।
आगे बढ़ते जाइये, किये बिना विश्राम।
किये बिना विश्राम, कभी साहस मत तोड़ें।
मन में लें विश्वास, राम का नाम न छोड़ें। 
पूरे होंगे काम ,विघ्न हो जाएँगे कम।
मिल जाएगा लक्ष्य, भले पथ होवे दुर्गम।।
~~~~~~~~~
*विद्या भूषण मिश्र "भूषण", बलिया, उत्तरप्रदेश।*
~~~~~~~~~~~~~~
[12/01 8:57 PM] गीतांजलि जी: कुण्डलिया शतकवीर 

दिनांक १२/०१/२०

(४५) आधा 

आधा बल सुग्रीव का, लिया जब बालि खींच।
कुछ नहीं अनुज कर सका, लौटा लथपथ कीच। 
लौटा लथपथ कीच, लिए तन घाव अनेका। 
कैसी तोरी प्रीत, कहे प्रभु से अविवेका।  
बोले राघव मीत, रही दृग पथ में बाधा। 
कैसे सधता तीर, जभी मन निश्चय आधा। 

(४६) यात्रा 

यात्रा दक्षिण देश की, यद्यपि गृह से दूर। 
सीता मन को मोहती, वन सर नग भरपूर। 
वन सर नग भरपूर, वनी जन सभ्य सुसंस्कृत। 
प्रबल प्रकृति का पूर, छटा चहुँ दिशा अलंकृत।
सतत पिया का संग, विपुल स्नेह  की सुमात्रा। 
सखी, सुंदर सकार्थ, रही अब तक यह यात्रा।

गीतांजलि ‘अनकही’
[12/01 8:58 PM] नीतू ठाकुर 'विदुषी': शतक वीर कुंडलिया छंद 
12-1-2020

आँगन
सूना आँगन हो गया, बदला जब परिवेश।
मात पिता को छोड़ कर, बच्चे बसे विदेश।।
बच्चे बसे विदेश, देश की मिट्टी भूले।
सूखे बगिया खेत, नही दिखते अब झूले।।
रिश्तों का कर त्याग,कमाते धन अब दूना।
फिर भी रहा निहार,बावला आँगन सूना।।

आधा 
राधा बिन आधा लगे, कान्हा जी का नाम।
दोनों भज लो साथ में , होंगे पूरे काम।।
होंगे पूरे काम, न करना लालच ज्यादा।
समझें मन के भाव, निभाते अपना वादा।।
मन में भर के प्रीत, दूर होती हर बाधा।
ईश्वर बनते मीत, रीत सिखलाती राधा।।

रचनाकार का नाम-नीतू ठाकुर 'विदुषी'
[12/01 9:00 PM] केवरा यदु मीरा: शतक वीर कुंडलिया छंद 
12-1-2020

आधा 

आधा तेरे बिन लगे, तेरे श्याम का नाम ।
पुर्ण करो आकर सदा, तब हो राधे श्याम ।।
तब हो राधे श्याम, राधिके  जिया न लागे 
रहना तुम मत दूर, फिरूँ तुझ बिन मैं अभागे ।
कहती मीरा बात,बीच में कैसी बाधा ।
इक दूजे का श्याम,  प्रीत फिर कैसे आधा ।।

यात्रा 

यात्रा करना है सदा, बस अपनो के साथ ।
खेल नहीं समझो इसे, छूटे कभी न हाथ ।
छूटे कभी न हाथ, पड़ेगा फिर पछताना ।
शहर ड़गर अनजान,कहाँ पर तेरा जाना ।
रखना कम सामान, होय मत ज्यादा मात्रा ।
मीरा कहती आज, सफल हो तेरी यात्रा ।।

केवरा यदु "मीरा "
राजिम
[12/01 9:23 PM] सरोज दुबे: कलम की सुगंध शतकवीर हेतु 
कुंडलियाँ -45
दिनांक -12-1-20

विषय -आधा

रहता जीवन में सुनो , समय सदा बलवान  l
आधा आधा ही मिले, सुख दुख हे  इंसान l
सुख दुख हे इंसान, मिले जो भी खुश रहना l
नहीं होना उदास, खुशी से हर गम सहना
कहती सुनो सरोज, भाव में तू है बहताl
परेशान क्यों आज, वक्त रूके कब रहता l
   
कुंडलियाँ -46
दिनांक -12-1-20

विषय -यात्रा

यात्रा में मिलते सदा, तरह तरह के लोग l
जाने किसके साथ में, किसका है संजोग l
किसका है संजोग, सही अभिमत से मिलताl
देता फिर आराम, प्रेम  का गुल जब खिलताl
कहती सुनो सरोज, बढ़े अपनों की मात्राl
सुघड़  बने पहचान, सहज कटती है यात्रा l

सरोज दुबे 
रायपुर छत्तीसगढ़ 
🙏🙏🙏🙏
[12/01 9:26 PM] +91 94241 55585: शतकवीर सम्मान रविवार के लिये
               12,1,2020         
                    यात्रा 

 धार्मिक यात्रा जब करें ,सावधान तुम खास ।
 पूजा अर्चना जब करो, भक्ति भाव हो पास।
 भक्ति भाव हो पास, करे फलाहार उपवास।
 मंदिर देवों को देख ,अद्भुत कला का प्रयास।
 करती भू  उपकार ,गिनती है नहीं मात्रा ।
 कहती गुल है यही ,करो पवित्र सभी यात्रा।

                       आधा
 आधा मिलता है तभी ,हो पूरे की चाह ।
 सब कुछ मिलता है नहीं ,करते प्रयास माह ।
 करते प्रयास माह , कठिन है रास्ता साथी   ।
 भटकने लगे राह, चले है जैसे हाथी ।
 पथिक निहारता है, भगवन है कृष्ण राधा   ।
 कहती गुल है बात , भक्त  पुकारते  आधा ।

          धनेश्वरी सोनी गुल बिलासपुर
[12/01 9:32 PM] अमित साहू: कलम की सुगंध~कुण्डिलयाँ शतकवीर

45-आधा (12.01.2020)
ज्ञान अधूरा जो रखे, वो जी का जंजाल।
थोथा बाजे है घना, करता फिरे बवाल।।
करता फिरे बवाल, जानकारी रख आधा।
मद में हो मतवाल, खड़ा करते खुद बाधा।।
कहे अमित कविराज, स्वयं बन बीज धतूरा।
घातक है यह बात, रखे जो ज्ञान अधूरा।।


46-यात्रा 
यात्रा जीवन को समझ, चलें सदा अविराम।
है सराय सम यह जगत, नहीं पूर्ण विश्राम।।
नहीं पूर्ण विश्राम, रातदिन चलते जाना।
जग में कर्म प्रधान, यहाँ निज धर्म निभाना।
अपना-अपना भाग्य, पूर्व निर्धारित मात्रा।
होता नहीं समाप्त, सतत है जीवन यात्रा।।

कन्हैया साहू 'अमित'
[12/01 9:52 PM] सुशीला जोशी मुज़्ज़फर नगर: *कलम की सुंगध कुंडलियाँ प्रतियोगिता 2019-,2020*

12-1-2020 

45--- *आधा*
आधा आधा बाँट कर , नारिश्वर  कहलाय 
अर्ध अंग नारी बसी , आधे पुरुष बसाय
आधे पुरुष बसाय , पूर्ण साधी है आत्मा  
एक रूप दो होय , रहा पूर्ण परमात्मा 
पूर्ण रहा पूर्ण , अलग हो करके आधा 
नारिश्वर कहलाय , बाँट कर आधा आधा ।

46-- *यात्रा*

जीवन तो एक  यात्रा , चले निरन्तर  जाय 
चलती अंतिम साँस तक, लक्ष्य नही  मिल पाय
नही मिल पाय लक्ष्य , करे प्रयास  जीवन भर 
अच्छे खोटे कर्म , डरावे उर को  मन भर 
माला मनके फेर , फिकर न किसी सीवन की 
चली निरन्तर  जाय , यही यात्रा जीवन की ।।

सुशीला जोशी 
मुजफ्फरनगर

1 comment:

  1. सभी एक से बढ़कर एक कुण्डलियाँ । बेहतरीन संकलन 👌👌👌

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