Monday, 23 November 2020

कलम की सुगंध



 

लाख बधाई जन्म दिवस की 

विदुषी सदा प्रसन्न रहे।

दूर रहें विपदा जीवन की

खिलता मधुबन पुष्प कहे।।


चांद चाँदनी की वर्षा कर

राग मल्हार सुनाये फिर

हर्ष गीत क्षण की वीणा पर

मध्य्म सुर में गाये फिर

छाये फिर खुशियाँ अनुपम सी

इंद्र धनुष सा रंग बहे।।


वरे शारदे छंद लेखनी

उत्तम काव्य प्रवाह बने

कहें वाह सब श्रोता पाठक

भाव पढ़ें वे गूढ़ घने

पर्व मने फिर नित्य दिवाली 

अंधेरा ले घात सहे।।


आज कलम की सुगंध तुमको 

मंगल भाव प्रदान करे

बढ़ो प्रगति पथ पर तुम नित ही 

साधो अपने लक्ष्य खरे

थके डरे बिन इतना चमको

ऊँचे से ध्रुव अटल डहे।।



संजय कैशिक 'विज्ञात'

संस्थापक (कलम की सुगंध)


कलम की सुगंध परिवार की तरफ से महाराष्ट्र कलम की सुगंध समूह की अध्यक्ष नीतू ठाकुर 'विदुषी' जी को जन्मदिन की अशेष शुभकामनाएं 💐💐💐



नीतू ठाकुर 'विदुषी'

अध्यक्ष (महाराष्ट्र कलम की सुगंध)


आज विदुषी धन्य हुई हैं

स्वयं गुरु ने जिन पर लेख लिखा

स्वर अब मुखरित हो जायेंगे

सरगम को उन्माद दिखा।


प्रिय नीतू ,


‌मंगलमय हो आपको नया ये बसंत

जो जीवन में लाये खुशियों की तरंग।।

आप हँसते रहो मुसकुराते रहो

खुशियाँ ही खुशियाँ लुटाते रहो।।


जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।


                        कुसुम कोठारी

🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹

चले निरन्तर जीवन यात्रा पूरे बरस हजार 

हर पड़ाव पर घुलता जाये रंग अबीर गुलाल  ॥ 


जनम दिन की बहुत बहुत बधाई सखी नीतू जी 

हर सुख वैभव तेरे साथ हो ' 

हर राह बने आसान 

मस्तक पर यश की आभा हो बन जाओ दिन मान ॥ 


🎂🌾💐☕😍💞

डॉ़ इन्दिरा  गुप्ता यथार्थ


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आ.नीतू जी 

जन्मदिन आपका

आपको ढेरों बधाई

चाहे वह थोड़ी देरी से आईं

कहा दिल ने तुम हो लेट

फिर सोचा

शुभ काम में काहे की वेट!

चलो मनाते हैं आपका जन्मदिन 

शुभकामनाएँ देते हैं गिन गिन 🌟🌟

जन्मदिन मुबारक बहना जी 

सदा सुखी ,स्वस्थ व सम्पन्न रहें

हर वर्ष दूने जोश से जन्मदिन मनाते रहें ।

🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂

माता रानी का आशीर्वाद रहे आप पर

परिवार की खुशियाँ बढ़ती रहें निरंतर

💐💐💐💐💐💐💐💐

आकाश की हर ऊँचाई हो आपकी धुरी

हर आकाँक्षा हो आपकी हमेशा पूरी

😊😊😊😊😊😊😊😊

 अपने कार्यक्षेत्र में बढ़ती जाएँ

जीवन में ऊँचा मुकाम आप पाएँ ।

🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

आप जीओ हजारों साल ,साल के दिन हों पचास हजार...........

हैप्पी बर्थड़े टू यू डियर नीतू जी 

हैप्पी बर्थड़े टू यू.....

🎂💐🌟🍿🍺🍦🍹🍰

प्रभु आशीर्वाद हैंअनगिनत

शुभकामनाएँ हैं असीमित

करती हूँ मातारानी से यह प्रार्थना

जीवन खुशियों से महकता रहे ये मंगलकामना💞💞

जन्मदिन मुबारक नीतू जी 

परिवार में सभी को बधाई

                 नीरजा शर्मा


💮🌈💮🌈💮🌈💮🌈💮🌈💮🌈💮🌈💮


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प्यारी नीतू बहना के लिए


विदुषी जिसका नाम है, सृजन करती छंद ।

नवगीत लिखे नित दिवस, हाइकु सृजन चंद ।।


सपना🎤🌹🌹

🌸🍂🌸🍀🌸🍂🌸🍀🌸🍂🌸🍀🌸


जन्मदिन की शुभकामनाएं


जन्मदिवस शुभकामना,करें आप स्वीकार।

आलोकित हो पथ सदा,खुशियां मिले अपार।।


सौम्य सहज व्यक्तित्व अरु,मुख पर है मुस्कान।

स्वर वीणा के तार से,झंकृत हो पहचान ।।


मार्गदर्शिका आप हो,रखतीं सबका ख्याल।

निर्झर ये जीवन रहे,करिये सृजन कमाल।।


सुखमय भविष्य हो सदा,सुखी रहे परिवार।

नाम रूपता दीप्ति सी,नीतू जी अवतार।।


मन भावुक सा हो रहा,मिला आप का स्नेह।

अनदेखे रिश्ते बने,सजा लेखनी गेह।।


अनिता सुधीर आख्या

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

*जन्मदिन की ढ़ेरसारी* *शुभकामनाएं प्रिय *नीतू जी*  💐💐🍫🍫🍫🍫🍨🍨🎂

कुछ पंक्तियाँ हमसब की तरफ से....  


बड़ी प्यारी सहेली हो,मुबारक जन्म दिन तुमको l

सदा ही मुस्कुराना तुम नहीं छूना कभी गमको l

करें हम याद हरदिन ही मगर मिलना नहीं होता

सदा हँसते हुए रहना 

गगन में चाँद सा चमकोl


*सरोज दुबे 'विधा'*

*रायपुर छत्तीसगढ़*

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*नीतु बहन को‌ जन्म दिन पर चंद दोहे समर्पित*🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🎂🎂🎂🎂🎂🎂🍬🍬🍬🍬🍬🍬🍬🍬🍬🍬😊😊😊


नीतू बहना आप हैं,  कलम पटल की शान। 

देते हम शुभ कामना , खिले सदा मुस्कान ।। 


प्यारी प्यारी नीतु जी, बोलें मीठे बोल ।

रहे हँसी मुख पर सदा, सृजन करें अनमोल ।।


*धनेश्वरी देवाँगन धरा*


💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐


सभी मित्रो को व गुरूजनो को भोर का नमन सा 


नित्य  करे  सत्संग  सब, होगा बेङा  पार।

सत की नाव सदा तरे,महिमा बङी अपार।।


मदन सिंह शेखावत ढोढसर स्वरचित


🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀


सपने देखे जो आप ने,हो पूरे अरमान दी। 

 फूलों जैसे नभ में खिलो,बने लेख पहचान दी।।


हर पग हो गम से दूर दी, मन से हम कहते यही।

आप रहो दी जिस स्थान पर ,खुशी भरा जग हो वही ।।


बहे प्रेम की धारा सदा,  मिले यही उपहार दी ।

फूलों जैसी हो ये हँसी, खुशियाँ मिले अपार दी।। 


*जन्म दिवस की बहुत बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएँ दीदी जी*

🌹🙏🌹🎂💐

©चमेली कुर्रे 'सुवासिता'


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*आदरणीया नीतू जी को समर्पित* 


बिना आपके लग रहा, सूना सूना गाँव ।

आ जाने से आपके, मिली है शीतल छाँव ।


नीतू जी के जन्म से, मिली एक आवाज,

पढ़कर रचना आपकी, धन्य हुए हम आज ।


धन्य आपका मिल गया, हमको दर्शन लाभ ।

मधुर गीत गा लग रही, जैसे कोई अमिताभ ।


जैसी   सुन्दर   लेखनी,  वैसी ही   आवाज ।

अद्भुत प्रतिभा की धनी, बनी आज सरताज ।


   नित उन्नत पथ पर चलें, शिखर चढ़ें बस आप। 

ज्ञान मिले हमें आपसा, करते निस दिन जाप।

 *आपको जन्मदिन की हार्दिक* *शुभकामनाएँ।* 

  

अर्चना पाठक निरंतर अम्बिकापुर छत्तीसगढ़


🍃🌺🍃🍃🌺🍃🍃🌺🍃🍃🌺🍃🍃🌺🍃

जीवन सुरभित खुशियों से हो, जीत मिले हर पग पर नित्य।

मधुरभाषिणी सबकी प्यारी, मृदुल स्वभाव  बात ये सत्य।।

शुभकामना सदैव हमारी, राह जीत की हो आसान।

हर सपना साकार आपका, पूरे हों सारे अरमान।।


जन्मदिवस की अनंत बधाइयां आदरणीया नीतू जी


गीता द्विवेदी

🌹🌹🌹🌹🌹💐💐💐💐💐💐💐🙏🙏🙏


नीतू नीतू सब कहें, नीतू सबकी मीत। 

निश्छल निर्मल हास्य से, लेती मन को जीत॥

बिन नीतू जी मंच पर, होता नहीं प्रकाश।

ऐसी मीठी मोहनी, भरती सब मन आश॥


जन्मदिन 🎂 की हार्दिक शुभकामनायें सखी। हंसतीं रहें। 😘 हंसाती रहें। 🤗


गीतांजलि 'विधायनी'


🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼


विदुषी जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹


मधुर मधुर मुस्कान से, लेती मन को जीत।

  जैसे सदियों से रही,  मेरी प्यारी मीत।।

🎂🎂🎂🎂🎂

सुंदर मुखड़ा चांँद सा, हंँसी में झरते फूल।

 छंद छंद मोती बना, रखती हो अनुकूल।।

🌹🌹🌹🌹🌹🌹



*आशा मेहर 'किरण' रायगढ़ छत्तीसगढ़*


🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿


एक कुशल संचालिका, अद्भुत उनका ज्ञान ।

स्वस्थ सुखी जीवन रहें, बढ़े जगत में मान ।।


नीतू जी जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।🎉🎉💐💐

अमिता श्रीवास्तव 

🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉


आद. नीतू "विदुषी"जी

अवतरण दिवस की अनंत शुभेच्छाएँ..


नीतू जी नित नव छंदों को शब्दाभूषित ज्यों करतीं।

शतकवीर-नवगीत,  छन्द शाला का ज्यों प्रणयन करती।

त्यों प्रभु सदा आपके जीवन-आँगन में खुशियाँ भर दे।

असमंजस अवसाद अनिच्छित को अंतरमन से हर ले।

जन्मदिवस हो शुभ मंगलमय और कामना पूर्ण सभी हों..।

रहें साधनारत साहित्यिक, पथ से कब्भी  नही प्रथक हो...।।


बहुत बहुत बधाई और अस्सीम शुभेच्छाएँ

जीवेद् शरदःशतम्.💐💐💐💐.


(कृष्णमोहन निगम)


🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾


करते हैं यह कामना,

 जियो हजारों साल।

 रहे हमेशा संग हम,

 समय रहे जो हाल।।


जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं🌹🌹🌹🍿🥧


 चंद्र किरण  शर्मा भाटापारा


🌈🌈🌈🌈🌈🌈🌈🌈🌈🌈🌈🌈🌈🌈🌈

जीवन  में महके सदा ,बेला औ गुलनार।

 नीतू तेरा जन्मदिन, आये सौ -सौ  बार।।


प्रमिला पान्डेय


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खुशी मिले सब आप को,

मिले बधाई गीत।

जनम दिवस बेला सभी,

सखियाँ हो नव प्रीत।।


*जन्मदिन की बधाई व शुभकामनाएं*

कन्हैया लाल श्रीवास 'आस'


🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂


जन्म दिवस शुभ कामना, कर लेना स्वीकार ।

मंगलमय सब काज हो आये बारम्बार ।।


मदन सिंह शेखावत ढोढसर


🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁


🎈🎈 *आदरणीय नीतू बहना को अशेष बधाईयाँ.....*🎉🎉🎊🎉🎉 🎈🎈

*तुम‌ जियो हजारों साल,*

*साल भर खुशियों की बौछार....* 👌💐💐

*साथ हो अपनों का प्यार*

*नेह रंग भरा मिले उपहार...*

  डा. सीमा अवस्थी ,भाटापारा,🙏🙏


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परमजीत सिंह ,कहलूरी, हिमाचलप्रदेश





Saturday, 31 October 2020

कलम की सुगंध काव्यमंच काव्य का गौरव प्रस्तुति

*कलम की सुगंध काव्यमंच*

        *काव्य का गौरव* 




*उत्साही कवि वर्ग के लिए खुशखबरी*

*मित्रों बाल दिवस के उपलक्ष्य पर एक स्वस्थ, सार्थक प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है। कोई आयु सीमा नहीं आइये निःशुल्क पंजीकरण करवाइये और विजय यात्रा के सफल राही बन जाइये।*

🌹 *पंजीकरण 3 अक्टूबर से आरम्भ* 🌹


प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले विजेताओं को उनका सम्मान का प्रतीक 

स्मृति चिह्न डाक द्वारा भेजा जाएगा और ई प्रमाण पत्र *कलम की सुगंध काव्य का गौरव सम्मान* से सम्मानित किया जाएगा। शेष अन्य प्रतिभागियों को भी प्रतिभागिता प्रमाणपत्र से सम्मानित किया जाएगा। 


प्रतिभागी को  स्वैच्छिक विषय पर स्वरचित गीत, ग़ज़ल या कविता की एक सुंदर सी वीडियो प्रेषित करनी है।  *सर्वप्रथम पंजीकरण करवाना अनिवार्य होगा।*


1) पंजीकरण निःशुल्क रहेगा। इच्छुक प्रतिभागी अपना 👉 नाम स्थान और कलम की सुगंध काव्य गौरव प्रतियोगिता पंजीकरण हेतु 👈 लिख कर भेजें एक साफ सुंदर छाया चित्र ,साहित्यिक परिचय के साथ व्हाट्सएप्प करना होगा व्हाट्सएप्प न. 9991505193 कृपया कॉल न करें निवेदन सम्पर्क केवल व्हाट्सएप्प के माध्यम से ही करें।

पंजीकरण के आवेदन के 24 घण्टे पश्चात आपको आपकी वीडियो की तिथि बता दी जाएगी वह कब प्रसारित होगी।

2 प्रतियोगिता एक महीने तक  चलेगी।

जनता जनार्धन निर्णायक की भूमिका निभाएगी।  प्रतिभागी को  'ई' सम्मान समारोह 14 नवम्बर को आयोजित होने वाले कार्यक्रम में सम्मानित किया जाएगा।

3) 3 अक्टूबर 2020 से 2 नवंबर 2020 तक प्रतियोगिता संचालित रहेगी। जिसमें प्रतिदिन एक या अधिकतम 2 वीडियो प्रसारित किए जा सकेंगे।

4) भेजी जा रही वीडियो की समय अवधी 3 से 4 मिनट ही रहेगी। यह प्रतिभागी ध्यान रखें। 

5 ) 7 नवंबर को संध्या के समय 7 बजे तक के प्रदर्शन के आधार पर परिणाम घोषित होंगे।

6) वीडियो की उत्तमता और श्रेष्ठता अबकी बार भी आपके प्रशंसक वर्ग के हाथ में रहेगी।

7) सर्वाधिक दर्शन प्राप्त हुई रचना को प्रथम पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। अर्थात (maximum viewer) इसी प्रकार से द्वितीय और तृतीय स्थान निर्धारित किये जा सकेंगे। 

8) वीडियो पंजीकरण के पश्चात प्राप्त निर्देश के पश्चात ही बनाएं। बाहरी ध्वनि नहीं होनी चाहिए पीछे दीवार बिल्कुल प्लेन होनी चाहिए। शेष अन्य जानकारी पंजीकरण के समय दी जाएगी। उससे पृथक वीडियो अमान्य।


कलम की सुगंध काव्यमंच की प्रस्तुति देखने के लिए इस लिंक को स्पर्श करें ... 

Sunday, 27 September 2020

शिक्षक से नाइंसाफी : अंजुला पचौरी

 


अंजुला पचौरी जी बहुत ही अच्छी ग़जल लिखती हैं। इनकी लेखनी यथार्थ का दर्पण है जो समसामयिक विषयों पर लिखना पसंद करती हैं। शिक्षकों की समस्याओं को उन्होंने अपनी ग़ज़ल में बहुत ही लाजवाब अंदाज में प्रस्तुत किया है। पर ग़जल से पूर्व  उनका संक्षिप्त परिचय ...

नाम - अंजुला पचौरी

पति का नाम - श्री विकास पचौरी

पिता का नाम - श्री राजकुमार शर्मा 

माता का नाम - श्री मती मालती शर्मा 

शैक्षिक योग्यता - बी. ए. (हिन्दी भाषा, हिन्दी साहित्य)

कार्य - घरेलू महिला। 

शौक - काव्य लिखना एवं पढ़ना, गीत सुनना आदि। 

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नाइंसाफी क्यूँ कर दी तूने ओ दुनियां के रखवाले,

ज्ञान बांटने वाले के जीवन में पड़ गये अब ये जाले ।


जिसने खुद भूखा रह रोटी कमाने की राह दिखायी,

उसको ही दुश्वार हुए हैं रोटी के कुछ अब ये निवाले ।


सियासी कुर्सी पर बैठे वो अपनी जेबें भरने में लगे हैं,

फिक्र नहीं कैसे जियेंगे अब उस शिक्षक के घरवाले ।


आँखें नम होती हैं जब ठोकर खाते उनको देखा है,

मजबूर हो पीने पड़े हैं फिर उनको जहर के प्याले।


कुछ अपनी जीविका का उपाय भी कर सकते हैं,

यही जीविका जिनकी क्या करें ऐसी किस्मत वाले।


तुमने तो फरमान सुना दिया शिक्षण कार्य बंद करो,

बच्चों को क्या खिलायें और क्या खायें वो घरवाले।


कुछ उपाय तो करना होगा देश के रखवाले को,

खुद ही अंधेरा न बन जायें सबको देने वाले उजाले।।


अंजुला पचौरी (कासगंज, उत्तरप्रदेश)

Sunday, 2 August 2020

कलम की सुगंध द्वारा 14 एकल संग्रहों का लोकार्पण


          बड़े ही हर्ष का विषय है कि कलम की सुगंध छंदशाला परिवार की संचालक *आ. अनिता मंदिलवार जी* के संपादन में *अन्तरा शब्दशक्ति प्रकाशन* से डॉ. प्रीति समकित सुराना द्वारा प्रकाशित 14 कुण्डलियाँ एकल संग्रहों का विमोचन एक साथ हो रहा है कवि परिवार के लिए यह प्रथम अवसर है कि एकसाथ इतनी पुस्तकों का लोकार्पण किया जाना तय हुआ इस आयोजन से जुड़े सभी घटक महत्वपूर्ण हैं किसी का नाम छूट जाए तो क्षमा करेंगे। आइये शुरू करते हैं लोकार्पण समारोह अतिथि देवीभवः आदरणीया डॉ. प्रीति समकित सुराना जी का स्वागत है अपने कर कमलों से इस पुनीत पावन कार्यक्रम को गति प्रदान कर आयोजन को सफल बनायें 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐


*कुण्डलियाँ शतकवीर के आज एक साथ 14 एकल संकलन प्रकाशित हो रहे हैं*

*सरोज की कुण्डलियाँ*
कवयित्री :-
            सरोज दुबे 'विधा'
आपको ढेरों बधाई एवं शुभ कामनाएं 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

 *लक्षिता*
कवयित्री :-
             राधा तिवारी "राधेगोपाल"
आपको ढेरों बधाई एवं शुभ कामनाएं 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

*राम नाम रस भीनी कुण्डलियाँ*
कवयित्री :-
            गीतांजलि मित्तल 'विधायनी'
आपको ढेरों बधाई एवं शुभ कामनाएं 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

 *मन श्री कुंडलिया*
कविवर :-
             कमल किशोर कमल
आपको ढेरों बधाई एवं शुभ कामनाएं 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

*जीवन आख्या*
कवयित्री :-
              अनिता सुधीर 'आख्या'
आपको ढेरों बधाई एवं शुभ कामनाएं 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

*मन की वीणा*
कवयित्री :-
              कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
आपको ढेरों बधाई एवं शुभ कामनाएं 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

*पयस्विनी कुण्डलिया शतक*
कविवर :-
             संतोष कुमार प्रजापति
आपको ढेरों बधाई एवं शुभ कामनाएं 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

*मेरी कुण्डलियाँ*
कवयित्री :-
            डॉ.सरला सिंह ''स्निग्धा''
आपको ढेरों बधाई एवं शुभ कामनाएं 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

*हाँ! मैं आत्मा हूँ*
कवयित्री :-
              रंजना श्रीवास्तव
आपको ढेरों बधाई एवं शुभ कामनाएं 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

*सुवासिता की यात्रा*
कवयित्री :-
             चमेली कुर्रे 'सुवासिता'
आपको ढेरों बधाई एवं शुभ कामनाएं 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

 *त्रिपथगा*
कवयित्री :-
              हेमलता शर्मा 'मनस्विनी'
आपको ढेरों बधाई एवं शुभ कामनाएं 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

 *निरंतर की साधना*
कवयित्री :-
              अर्चना पाठक "निरन्तर'
आपको ढेरों बधाई एवं शुभ कामनाएं 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

*गुल की कुंडलियाँ*
कवयित्री :-
                 धनेश्वरी सोनी गुल
आपको ढेरों बधाई एवं शुभ कामनाएं

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*कुण्डलिया शतकवीर* में भी एक कवयित्री का एक और संकलन प्रकाशित हुआ है

*राधे की कुण्डलिया*
कवयित्री :-
            राधा तिवारी "राधेगोपाल"
आपको ढेरों बधाई एवं शुभ कामनाएं 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

विश्वास है सभी रचनाकार इस पावन अवसर पर उपस्थित होंगे आप सभी को लगातार 50 दिन तक निरन्तर सृजानत्मक श्रम का सुखद परिणाम आज कुण्डलियाँ संकलन के रूप में प्राप्त हो रहा है सभी को मंच और परिवार की तरफ से ढेरों बधाइयाँ एवं शुभकामनाएं 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

अब
*अन्तरा शब्दशक्ति प्रकाशन*
     और आप सभी की पुस्तक प्राकशित कर चुकी आदरणीया डॉ. प्रीति समकित सुराना जी आप मंच पर आइये और सभी साथियों की ई-पुस्तक और ई-स्मृति चिन्ह अपने हाथों से वितरित कर सभी का मान बढाइये, आपके द्वारा की गई मेहनत निःसन्देह प्रशंसनीय है स्वागत है डॉ. प्रीति समकित सुराना जी 💐💐💐

Monday, 20 July 2020

तपती धरती : भरत नायक 'बाबूजी'


कविवर भरत नायक 'बाबूजी' एक ऐसा नाम जो साहित्य जगत में किसी भी परिचय का मोहताज नहीं है। साहित्य की शीतल धारा उनकी लेखनी से प्रस्फुटित होकर इस प्रकार बह कर निकलती है कि पाठक मंत्र मुग्ध पड़ता सा उसमें स्नान करता सा प्रतीत होता है। आज हम उन्हीं की एक रचना को आप सभी के समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं 

*"संक्षिप्त जीवन परिचय"*-
1- नाम- भरत नायक "बाबूजी"
2- माता का नाम- स्व. चम्पादेवी नायक
 पिता का नाम- स्व. अभयराम नायक
सहधर्मिणी का नाम- श्रीमती राजकुमारी नायक
संतान- श्रीमती रजनी बाला चौधरी (बडी- पुत्री)
दुष्यंत कुमार नायक (छोटा- पुत्र)
3- स्थाई पता- लोहरसिंह, रायगढ़ (छ.ग.), पिन- 496100
4- मो. नं.- 9340623421
5- जन्म तिथि- 11- 06- 1956
जन्म स्थल- लोहरसिंह, रायगढ़ (छ.ग.)
6- शिक्षा- स्नातकोत्तर (हिंदी, समाज शास्त्र), बी. टी., रत्न
7- व्यवसाय- सेवा निवृत्त व्याख्याता
8- प्रकाशित रचनाओं की संख्या- पंच शताधिक
9- प्रकाशित पुस्तकों की संख्या- साझा संकलन- तीस, एकल- एक ("भोर करे अगवानी"- छत्तीसगढ़ी कविता संग्रह)
10- काव्य पाठ का विवरण- दिल्ली सहित देश के विभिन्न भागों के सैकड़ों मंचों पर काव्य पाठ अध्यक्षता, मुख्य आतिथ्य,विशेष आतिथ्य एवं आकाशवाणी से प्रसारण।
11- सम्मान का विवरण- छ. ग. शासन, प्रशासन एवं भा. द. सा. अकादमी नयी दिल्ली से डॉ. अम्बेडकर फैलोशिप  सम्मान, अखिल भारतीय राष्ट्रीय कवि संगम छत्तीसगढ़ इकाई से वरिष्ठ साहित्यकार दिनकर सम्मान के साथ शताधिक  विभिन्न सम्मान एवं अभिनंदन ।
12- लेखन- हिन्दी एवं छत्तीसगढ़ी भाषा में स्वतंत्र लेखन।
प्रतिनिधित्व- नवोन्मेष रचना मंच घरघोड़ा, रायगढ़ का संस्थापक अध्यक्ष, कला कौशल साहित्य संगम छत्तीसगढ़ का संस्थापक/अध्यक्ष, भरत साहित्य मंडल, लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.) का संस्थापक, अनेक साहित्यिक पटलों एवं साहित्यानुरागियों का मार्गदर्शन।
13- Email ID- bharatlalnaik3@gmail.com

संकलन कर्त्ता 
नीतू ठाकुर विदुषी

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*"तपती धरती तपस्विनी सी, ताक रही है अंबर को"*
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(लावणी छंद गीत)
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विधान- १६,१४ मात्राओं के साथ ३० मात्रा प्रतिपद। पदांत लघु गुरु का कोई बंधन नहीं। युगल पद तुकबंदी।
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●धरा कहे सरसा दो जल से, वासव! मम उर-अंतर को।
तपती धरती तपस्विनी सी, ताक रही है अंबर को।।
नीर-दान दे आज सँवारो, मेरे तन-मन जर्जर को।
तपती धरती तपस्विनी सी, ताक रही है अंबर को।।

●मेरा तप कब होगा पूरा? हे घनवाहन! बतलाना।
खंजर-दाघ-निदाघ भोंक अब, छलनी और न करवाना।।
व्याकुल होकर आज धरा है, करे पुकार पुरंदर को।
तपती धरती तपस्विनी सी, ताक रही है अंबर को।।

●कृष्ण-मेघ बरसोगे कब तुम? मुझको कब सरसाओगे?
तृषित चराचर चित चिंतन को, बोलो कब हरसाओगे??
करो वृष्टि अब सृष्टि तृप्त हो, रच भू-गगन स्वयंबर को।
तपती धरती तपस्विनी सी, ताक रही है अंबर को।।

●नित उजाड़ शृंगार धरा का, हरियाली को तरसेंगे।
बची रहेगी अटवी अपनी, बादल भी तब बरसेंगे।।
देखे मन मारे महि-मीरा, अपने अंबर-गिरधर को।
तपती धरती तपस्विनी सी, ताक रही है अंबर को।।

●जीव जंतु नग नदियाँ घाटी, तरस रहे हैं पानी को।
प्रतिबंधित अब करनी होगी, मानव की मनमानी को।।
ताप नित्य बढ़ता है वैश्विक, ज्ञान गहो अब उर्वर को।
तपती धरती तपस्विनी सी, ताक रही है अंबर को।।

●आये दिन यह मानसून भी, अब धोखा दे जाता है।
हाल हुआ है बद से बदतर, फाँसी कृषक लगाता है।।
त्राहिमाम भू कहती "नायक", पुकारती है ईश्वर को।
तपती धरती तपस्विनी सी, ताक रही है अंबर को।।
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भरत नायक "बाबूजी"
लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.)
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@kalam_ki_sugandh

Thursday, 11 June 2020

कलम की सुगंध अंतरराष्ट्रीय लाइव कवि सम्मेलन का समापन



*प्रेस - विज्ञप्ति*

अंतरराष्ट्रीय लाइव कवि सम्मेलन का समापन 

कोरोना भारत बंद के समय से अर्णव कलश एसोसिएशन के राष्ट्रीय सहित्यिक मिशन कलम की सुगंध के फेसबुक पर लाइव कवि सम्मेलन का अवसर दिया जो दो ग्रुप में संचालित किया गया कलम की सुगंध सृजनशाला और कलम की सुगंध छंदशाला ग्रुपों के माध्यम से सैकड़ों कवियों को काव्य पाठ का अवसर दिया गया जिसमें प्रतिष्ठित कवि से लेकर नवोदित कवियों को भी काव्य पाठ का अवसर मिला।  कार्यक्रम का उद्घाटन सत्र, डॉ. अनिता भारद्वाज अर्णव जी ने अपने  शुभकमना संदेश तथा  काव्य पाठ से प्रारम्भ किया तो वहीं समापन सत्र में भारतीय हिन्दी साहित्य जगत के एक सशक्त हस्ताक्षर डॉ. कुँवर बेचैन जी के काव्य पाठ से कल रात्रि 8 से 9 बजे समा बांधती हुई प्रस्तुति के साथ सम्पन्न हुआ है। आज 11 बजे से लेकर 12 बजे तक अर्णव कलश के राष्ट्रीय साहित्यक मिशन कलम की सुगंध के संस्थापक संजय कौशिक विज्ञात ने सभी कवियों के आभार में दो-दो पंक्तियों की कविता कही और अंत में कुछ गीत और मुक्तक के साथ कार्यक्रम का समापन किया। 
लाइव कवि सम्मेलन में एक घण्टे की काव्य प्रस्तुति के लिए हरियाणा ग्रन्थ अकादमी के उपाध्यक्ष महोदय वीरेंद्र सिंह चौहान, कवि महेंद्र जैन हिसार, महेंद्र बिलोटिया, सुशीला जोशी विद्योत्तमा मुज्जफरनगर, दरभंगा बिहार से बिनोद हँसोड़ा, हास्य कवि सुरेंद्र यादवेंद्र राजस्थान, अमेरिका से गीतांजलि विधायनी, सरोज दुबे विधा, चमेली कुर्रे सुवासिता, और विजेंदर ग़ाफ़िल के साथ साथ नवोदित लक्ष्य कौशिक, सुमित कौशिक, ध्रुव कौशिक, चेतन भारद्वाज आदि की प्रस्तुति मनमोहक रही। अर्णव के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरु जी रमेश चंद्र कौशिक ने बताया कि संजय कौशिक विज्ञात के संयोजन और विदुषी के संचलन में यह कार्यक्रम सफल रहा। डॉ. अनिता भारद्वाज अर्णव इस कार्यक्रम में सह संचालन और सह संयोजन का प्रभार निभाती दिखी। इस प्रकार से एक सफल संदेश कोरोना भारत बंदी के समय घरों में रहिये सुरक्षित रहिये को बल देने का प्रयास सफल सिद्ध हुआ। अभी कलम की सुगंध छंदशाला ग्रुप अनिता मंदिलवार सपना के संयोजन और तोषण कुमार दिनकर के संचालन में 30 जून तक चलेगा यह लाइव कवि सम्मेलन कार्यक्रम।

इस अवसर पर आदरणीय संजय कौशिक विज्ञात जी ने कहा.....
सादर नमस्कार प्रणाम मित्रों । बड़े हर्ष का विषय है कि आप विद्वत समाज के सहयोग से कलम की सुगन्ध सृजनशाला ने कठिन समय को विचारों की प्रस्तुति से सहजता का  आभास कराया । आदि शक्ति स्वरूपा माताओं, बहनों ,बेटियों से सुसज्जित परिवार ने मनोयोग से कार्यक्रम को गति प्रदान करने में  सहयोग दिया ,मित्रों, ये कार्यक्रम ,कलम की सुगंध के दो समूहों में चलाया गया है दूसरे  समूह छंदशाला से भी उत्साह की छवि निरन्तर निखरती चली आ रही है । सृजनशाला के लाइव कवियों, सृजनकर्ताओं  का मैं हृदय की गहराइयों से आभार व्यक्त करता हूँ। कार्यक्रम का उद्घाटन सत्र, डॉ. अनिता भारद्वाज अर्णव जी ने अपने  शुभकमना संदेश तथा  काव्य पाठ से प्रारम्भ किया तो वहीं समापन सत्र में भारतीय हिन्दी साहित्य जगत के एक सशक्त हस्ताक्षर कुँवर बेचैन जी के काव्य पाठ से कल रात्रि 8 से 9 बजे समा बांधती हुई प्रस्तुति के साथ सम्पन्न हुआ है। कार्यक्रम अपने चरम बिंदु पर आकर समाप्त किया गया है। जबकि कवि परिवार के लगभग 100 हस्ताक्षर पंक्ति बद्ध थे जिनकी प्रस्तुति शेष थी जिनमें कुछ बड़े नाम कुछ नवोदित हैं। उनके लिए अलग से कोई योजना बनाई जाए परिवार से विनम्र निवेदन है। उन्हें अवसर अवश्य दिया जाना चाहिए। अपने इस सफल कार्यक्रम की मध्य अवधि में, उत्तरांचल से भूषण जी, सुशीला जोशी जी,वीरेंदर सिंह चौहान जी हरियाणा, महेन्द्र जैन जी हरियाणा ने अपने विचारों से श्रोताओं को मंत्र मुग्ध किया। जैसा कि आप सबको विदित है कि अनेक बड़े हस्ताक्षर आये और अनेक नवांकुरों को भी मंच पर काव्य पाठ अवसर मिल सका। आज आप सभी का हार्दिक आभार प्रकट करने का आदेश कलम की सुगंध परिवार द्वारा मुझे प्राप्त हुआ है। जिसकी अनुपालना करते हुए मैं अग्रिम पंक्तियों के साथ  आपका आभार व्यक्त करता है।

सर्वप्रथम डॉ. अनिता भारद्वाज अर्णव जी आपका हार्दिक आभार आपने बहुत सुंदर काव्य पाठ किया इन दो पंक्तियों के साथ कलम की सुगंध परिवार आपका हार्दिक आभार कहता है

1
अर्णव का कौशल करे, अर्णव सी शुरुआत।
उत्तम नेक विचार ही, हरे तिमिर की रात।।। 
 
तो अग्रिम प्रस्तुति मशहूर ग़ज़लकार फिरोज खान जी की रही आपके आभार में प्रस्तुत हैं दो पंक्तियाँ         
2
रख्खे कलम फिरोज जब, खिल उठते हैं शेर।
और ग़ज़ल निखरी लगे, चमक उठे वो फेर।।


अग्रिम प्रस्तुति से मंच को मंत्रमुग्ध कर देने वाली कवयित्री आदरणीया सुशीला जोशी जी परिवार की तरफ से आपका हार्दिक आभार
3
मधुर काव्य विद्योत्तमा, काव्य सहित अनुवाद।
खण्ड काव्यमय पाठ की, गूँजे चहुँ दिश नाद।।

कविवर महेंद्र सिंह बिलोटिया जी आपका हार्दिक आभार इन 2 पंक्तियों के साथ किया जाता है
4
बोली ये हरियाणवीं, जिनके मुख के बोल।।
सुंदर कहें बिलोटिया, काव्य रसों को घोल।।

कवयित्री पूनम दुबे वीणा जी इन दो पंक्तियों के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है
5
जैसे वीणा गूँजती, गूँजे उत्तम राग।
पूनम स्वर ऐसे लगें, कूके कोयल बाग।।

कवयित्री ऋतु कौशिक जी इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
6
काव्य सशक्त प्रवाह हो, कविता का ये काम।
काव्य पाठ मोहक करे, ऋतु कौशिक है नाम।।

कविवर पंकज अंगार जी इन 2 पंक्ति के साथ आपका हार्दिक आभार प्रकट किया जाता है।
7
सब रस की कविता कहें, मुख्य रहे शृंगार।
युवा हृदय की धड़कने, समझें सब अंगार।।

माननीय कविवर वीरेंद्र चौहान जी उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रन्थ अकादमी इन 2 पंक्ति के साथ आपका हार्दिक आभार प्रकट किया जाता है।
8
उत्तम गुण पहचान के, करते उत्तम काव्य।
कवि कुल में चौहान जी, श्रेष्ठ रहें संभाव्य।।

लाइव कार्यक्रम समापन के अंतिम दिवस आप सभी की उपस्थिति प्रशंसनीय है हार्दिक वंदन अभिनंन्द
के साथ चलते हैं हिन्दी काव्य के अग्रिम सशक्त हस्ताक्षर
कविवर दिनेश रघुवंशी जी इन 2 पंक्ति के साथ आपका हार्दिक आभार प्रकट किया जाता है। बहुमूल्य समय परिवार को दिया, निकट भविष्य में भी ये आपका भ्रात विज्ञात आपको पुनः अधिकार स्वरूप परेशान करता रहेगा।😀
9
रघुवंशी वह नाम है, जो कवि कुल सिरमौर।
कहते मुक्तक गीत जब, लगे उन्हीं का दौर।।

कविवर जय प्रकाश जी इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
10
कवियों  के इस गाँव में, सुना एक 'जय' नाम।
श्रोता के मन की कहें, बसें हृदय के धाम।।

कविवर कौशल शुक्ला जी इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
11
मन की कहते बात सब, कौशल कवि के भाव।
भावों की नदिया बहे, अलग सृजन की नाव।।

कविवर भूषण त्यागी जी इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
12
भूषण कहते वीर रस, राष्ट्रवाद के कार्य।
पावन इनका क्षेत्र वो, जहाँ रहे हैं आर्य।।

कवयित्री मीनाक्षी पारीक जी इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
13
मीनाक्षी पारीक को, सुनते श्रोता खूब।
कविता की गंगा बहे, कहें भाव में डूब।।

कविवर महेंद्र जैन जी इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
14
कविवर जैन महेंद्र जी, हरियाणा की शान।
सतत कर्म नित श्रेष्ठ हैं, इनकी ये पहचान।।

पुत्र ध्रुव इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
15
वर ध्रुव वीणापाणि का, उत्तम स्वर का ज्ञान।
सीख चलो कविता कथन, बने अलग पहचान।।

सरोज दुबे विधा जी इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
16
मधुर लुभावन स्वर सरित, बहे 'विधा' की गंग।
वर ये वीणापाणि का, कविता काव्य उमंग।।

कवयित्री शील कौशिक जी इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
17
हरियाणे की ये सुता, शील कहें सब नाम।
गीत गजल पहचान से, सिद्ध काव्य के काम।।

कवयित्री पूजा सुगंध जी इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
18
पूजा काव्य सुगंध से, सुरभित कलम सुगंध।
छंद अनेक प्रकार के, कहे अनेको बंध।।

कविवर कमल प्यासा पृथि जी इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
19
काव्य कमल प्यासा कहे, कविता के सब भाव।
विश्लेषण  भी  दे  रहे,  चली  भाव   की   नाव।।

कवयित्री प्रगति सिन्हा जी इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
20
प्रगति गीत मुक्तक कहे, कहे निराले बंध।
काव्य धार गंगा बहे, खिलती बाग सुगंध।।

कवयित्री गायत्री शुक्ला जी इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
21
गायत्री शुक्ला बनी, एक प्रतीक महान।
शिक्षण जैसे कार्य की, ऊँची सी है शान।।

कवयित्री गीतांजलि विधायनी जी इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
22
गीतांजलि इस देश का, अनुपम सा उपहार।
अमेरिका में कर रही, हिन्दी बोल प्रचार।।

गजलकारा सोना रानू जी इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
23
सोना रानू की ग़ज़ल, इनके उत्तम बोल।
परिचय इनका दे रहे, शेर बड़े अनमोल।।

कविवर देव कवड़कर जी इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
24
देव कवड़कर काव्य के, एक पुरोधा तुल्य।
देख समस्या बोलते, श्रेष्ठ कथन बाहुल्य।।

मशहूर ग़ज़लकार विजेंदर ग़ाफ़िल साहेब जी इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
25
ग़ाफ़िल ग़ज़ल विजेंद्र का, रहा नाम पर्याय।
कीर्तिमान सब बोलते, ढूँढे विश्व उपाय।।

मशहूर गजलकारा अल्पना सुहासिनी जी इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
26
सुहासिनी जी अल्पना, पढ़ें काव्य गंभीर।
सच का दर्पण दे दिखा, कविता की तासीर।।

युवा कविवर चेतन भारद्वाज जी इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
27
चेतन प्रतिभावान है, अनुपम ये कविराज।
काव्य धरोहर मानते, देख रहे जो आज।।

कविवर भारत भूषण वर्मा जी इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
28
भारत भूषण श्रेष्ठ कवि, श्रेष्ठ रखें पहचान।
पड़ी लेखनी सोच में, कैसे लिखदे शान।।

मशहूर ग़ज़लकार रवि कांत अनमोल जी इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
29
उत्तम कवि रवि कांत है, उत्तम इनके बोल।
चमके अम्बर चांद ज्यूँ, इन्हें कहें अनमोल।।

महशूर ग़ज़लकार रमेश पुहाल जी इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
30
और रमेश पुहाल को, किस्से सब कंठस्थ।
हाली की हर बात वो, जिनके रहे तटस्थ।।

हास्य कविवर सुरेंद्र यादवेंद्र जी इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
31
हास्य सुरेंद्र प्रभाव है, यादवेंद्र है नाम।
एक व्यक्ति दो नाम से, काव्य व्यंग्य के काम।।

हास्य कविवर बिनोद हँसोड़ा जी आपने हँसा-हँसा कर सबको लोटपोट किया इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
32
विधिवत रस सधते जहाँ, एक बिनोद प्रमाण।
और हास्य रस की नदी, फूटे बिन ही बाण।।

पुत्र कविवर लक्ष्य कौशिक इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
33
नाम लक्ष्य कौशिक प्रमुख, सुने नवांकुर गीत।
करता नाम यथार्थ ये, मिले सदा ही जीत।।

शीला गहलावत सीरत जी आपका आत्मीय आभार प्रकट करती पंक्ति सौंपते हैं आपको
34
शीला सीरत काव्य की, सरिता एक महान।
उत्तम रस धारा बहे, उत्तम इनका ज्ञान।।

पुत्र कविवर सुमित कौशिक इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
35
काव्य सुमित कौशिक करे, भाव जड़े गंभीर।
काव्य जगत में कीर्ति हो, बढ़े निरन्तर वीर।।

हरियाणा के मशहूर गीतकार विकास यश कीर्ति जी इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
36
छंद बद्ध यश कीर्ति के, सुने अनेकों बंध।
बढ़ती दुगनी ही रही, इनकी काव्य सुगंध।।

हरियाणा के हास्य कविवर सुंदर कटारिया जी इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
37
कटारिया सुंदर कहे, देख हास्य के बोल।
सुनते ही सब हँस पड़े, लाये मिश्री घोल।।

कलम की सुगंध सृजनशाला समूह की मुख्य संचालिका कवयित्री नीतू ठाकुर 'विदुषी' जी इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
38
कवयित्री नीतू पढ़े, आज जगत के रोग।
करे प्रहार कुरीति पर, दिखे जहाँ उद्योग।।

कवयित्री एकता भारती इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
39
आज एकता भारती, नया नहीं है नाम।
काव्य पाठ के क्षेत्र में, इनके ऊँचे दाम।।

हरियाणा के हास्य कविवर कृष्ण गोपाल विद्यार्थी जी प्रस्तुत हैं आपके आभार की पंक्तियाँ
40
कृष्ण यही गोपाल है, विद्यार्थी उपनाम।
हास्य व्यंग्य के योग से, इनके अद्भुत काम।।

कवयित्री रजनी रामदेव जी प्रस्तुत हैं आपकी 2 पंक्तियाँ
41
रामदेव रजनी कहे, उत्तम सारे बंध।
सभी जड़ाऊ बोलती, अनुपम से ये छंद।।

कलम की सुगंध छंदशाला समूह की मुख्य संचालिका कवयित्री अनिता मंदिलवार सपना जी इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
42
अनिता मंदिलवार जी, काव्य करे गंभीर।
भाव भरी नौका चले, लगे सरयु के तीर।।

हिन्दी ग़ज़ल के बड़े हस्ताक्षर कविवर कुँवर बेचैन जी इन 2 पंक्ति के साथ आपका आभार प्रकट किया जाता है।
43
श्रेष्ठ कुँअर बेचैन कवि, दिखते सूर्य समान।
आज मंच ये खुश हुआ, पाकर इनसे ज्ञान।।





पत्रकार आदरणीय अशोक चुघ जी

पत्रकार सुरेश निरंकारी जी

पत्रकार अरविंद जी

अशोक चुघ पत्रकार
सुरेश निरंकारी पत्रकार
अरविंद पत्रकार 
आप सभी का कलम की सुगंध परिवार की तरफ से हार्दिक आभार पत्रकार महोदय , नमन, प्रणाम आपके अतुलनीय सहयोग के लिए, भविष्य में भी परिवार आपसे इसी सहयोग भाव की अपेक्षा रखता है पुनः हार्दिक आभार।



संजय कौशिक 'विज्ञात'
(कलम की सुगंध)

Tuesday, 17 March 2020

कलम की सुगंध के अनमोल रत्न

*कलम की सुगंध*

  अर्णव कलश एसोसिएशन के राष्ट्रीय साहित्यिक मिशन कलम की सुगंध के स्वरूप पर दो शब्दों की व्याख्या गद्य -पद्य की भिन्न-भिन्न साहित्यिक विधाओं के भिन्न-भिन्न व्हाट्सएप्प ग्रुप के माध्यम से और फेसबुक के माध्यम से हजारों कलमकारों को उनकी मनपसंद विधा में सृजन, लेखन कार्य नियमानुसार सीखना और सीखाना।


*कलम की सुगंध के अनमोल रत्न*

सजंय कौशिक 'विज्ञात'  (पानीपत हरियाणा) कलम की सुगंध संस्थापक के बहुमूल्य रत्न बाबूलाल शर्मा 'विज्ञ' (दौसा राजस्थान), अनिता मंदिलवार 'सपना' (अंबिकापुर छतीसगढ़) नजर द्विवेदी (उत्तरप्रदेश) हीरालाल यादव (मुंबई महाराष्ट्र) मेहुल लूथरा (चरखी दादरी हरियाणा) संजय सनन (पानीपत हरियाणा) नरेश 'जगत' (नवागाँव, महासमुंद छत्तीसगढ़) ऋतु कुशवाह (मध्यप्रदेश) देव टिंकी होता (छत्तीसगढ़)  नीतू ठाकुर 'विदुषी' (महाड, महाराष्ट्र) अनंत पुरोहित 'अनंत' (छत्तीसगढ़) निधि सिंगला (उत्तरप्रदेश) अनुपमा अग्रवाल (उत्तरप्रदेश) अनुराधा चौहान (मुम्बई, महाराष्ट्र) अभिलाषा चौहान (राजस्थान) रुनु बरुआ (असम) नवलपाल प्रभाकर 'दिनकर' (साल्हावास, झज्जर, हरियाणा) सुशीला जोशी 'विद्योत्मा' (मुज्जफरनगर) कुसुम कोठारी (कलकत्ता पाश्चिम बंगाल) डॉ. इन्दिरा गुप्ता 'यथार्थ' (दिल्ली) अर्चना पाठक निरन्तर (अंबिकापुर छत्तीसगढ़) इंद्राणी साहू साँची (भाटापारा, छत्तीसगढ़)  बोधन राम निषादराज 'विनायक' सहसपुर लोहारा, जिला-कबीरधाम(छ.ग.) गोपाल साखी पांडा (छत्तीसगढ़) मनोरमा जैन 'विभा' (मध्यप्रदेश) चमेली कुर्रे 'सुवासिता' (बस्तर छत्तीसगढ़) सरोज दुबे 'विधा' (रायपुर छत्तीसगढ़) रूपेश कुमार (सिवान, बिहार) सहित अर्णव कलश अध्यक्ष रमेश चंद्र कौशिक गुरु जी बेरी वाले (समालखा, पानीपत, हरियाणा) और महासचिव डॉ. अनिता भारद्वाज 'अर्णव' (चरखी दादरी हरियाणा) पवन रोहिला (पानीपत हरियाणा)

*ये कुण्डलियाँ बोलती हैं*

कुण्डलियाँ साझा संग्रह रवीना प्रकाशन के माध्यम से प्रकाशित हो चुका है जिसमें पूरे भारत वर्ष के समकालीन 74 कुण्डलियाँ रचनाकारों को सम्मिलित किया गया है जिसमें कवि रचनाकारों के साथ-साथ कवयित्री रचनाकारों ने भी बढ़ चढ़ कर प्रतिभागिता दर्ज की है। इससे यह प्रमाणित होता है कि कुण्डलियाँ 6 पंक्ति 12 चरण की छंदबद्ध विधा को जितनी सरलता से कवयित्री रचनाकारों ने सृजन किया है वह बहुत ही प्रशंसनीय है। कलम की सुगंध के राष्ट्रीय साहित्यिक मिशन छंद को कलम द्वारा अधिक से अधिक लिखा जाये इन उद्देश्यों की पूर्ति में लगभग प्रतिवर्ष 100 से अधिक नवोदित रचनाकार और प्रतिष्ठित रचनाकार जो छंद मुक्त और अतुकांत लिखते आ रहे हैं उन्हें प्रशिक्षित करके छंद लिखवाए जाते हैं।

*योजनाबद्ध साझा संग्रह*

*विज्ञात नवगीत साझा संग्रह* अनेक साझा संग्रह प्रकाशित करवा चुके प्रधान सम्पादक संजय कौशिक 'विज्ञात' अर्णव कलश एसोसिएशन के राष्ट्रीय साहित्यिक मिशन कलम की सुगंध के माध्यम से नवगीत साझा संग्रह योजनाबद्ध किया गया है इस संग्रह में सह सम्पादक नीतू ठाकुर 'विदुषी' के सहयोग से सम्पूर्ण भारत वर्ष के नवगीतकारों को सम्मिलित करके इस विधा के माध्यम से सृजन में बिम्ब, सकारात्मक सोच, नवधारस और सपाट कथन के चलते लुप्त प्रतीत अलंकारों के पुनः प्रयोग कर सृजनात्मक शैली में सरलता से अपनाया जा सके ऐसी योजना है।

*प्रकाशनाधीन साझा संग्रह*

भारत वर्ष के समकालीन सर्वोत्तम दोहाकारों के साथ *ये दोहे बोलते हैं* दोहा साझा संग्रह फरवरी 29 को सम्पूर्ण किया गया था। जिसमें सम्पूर्ण भारत वर्ष 153 समकालीन दोहाकारों को सम्मिलित किया गया था। उत्कर्ष प्रकाशन ने कलम की सुगंध राष्ट्रीय साहित्यिक मिशन के सहयोग से प्रधान सम्पादक संजय कौशिक 'विज्ञात' सह सम्पादक अनिता मंदिलवार 'सपना' और सम्पादक की भूमिका में डॉ. अनीता रानी भारद्वाज 'अर्णव' हैं।

*हाइकु संग्रह* :- देश के अलग-अलग प्रान्तों से 17 नियमों पर  101 हाइकुकारों को सम्मिलित कर साझा संग्रह प्रकाशनाधीन है जिसमें गत 3 वर्षों से सह सम्पादक नरेश 'जगत' के अथक परिश्रम से 10-10 हाइकु चयन हो सके।यह अपने आप में 3 साल की लंबी अवधि में तैयार होने वाला विशेष और अद्भुद संग्रह है।

*कवि सम्मेलन* : धरातल पर वार्षिक आयोजन 4 कवि सम्मेलन और मुशायरे से अलग ऑनलाइन कवि सम्मेलन , छंद काव्य पाठ सम्मेलन, मुशायरे समय समय पर आयोजित होते रहते हैं।

*ई-पत्रिका* मासिक / त्रय मासिक ई पत्रिका भी उपलब्ध करवाई जाती है जिसमें ग़ज़ल, छंद नवगीत, लघु कथा आदि सम्मिलित किये जाते हैं।

*शतकवीर सृजन कार्यक्रम* इस कार्यक्रम में किसी एक विधा पर प्रदत्त शब्द के माध्यम से एक- एक विधा को 100-100 बार लिखवाया जाता है। इसके पश्चात सृजनकर्त्ता को शतकवीर सम्मान से सम्मानित किया जाता है। दोहा, रोला, चौपाई, मुक्तक, मनहरण जैसी विधाओं के पश्चात अब हाल ही में कुण्डलियाँ शतकवीर कार्यक्रम सफलता पूर्वक सम्पन्न हो चुका है।

*एकल संग्रह की योजना* गत चार वर्षों में इस वर्ष पहली बार एकल संग्रह भी निकालने की योजना बनाई गई है। जिसकी शुरूवात कुण्डलियाँ एकल संग्रह लघु पुस्तिका के रूप में प्रारम्भ की जा चुकी है।

*वर्कशाप* के माध्यम से विधा , छंद अलंकार और अन्य बारीकियों पर समय-समय पर सामूहिक चर्चाएं आयोजित होती रहती हैं। जिनसे शिल्प की बारीकियां आसानी से समझी जा सकती हैं।


*ये कुण्डलियाँ बोलती हैं*  *(साझा संग्रह)*
*प्रधान सम्पादक*
*संजय कौशिक 'विज्ञात'*
9991505193

Sunday, 8 March 2020

प्रसिद्धि...दिव्या राकेश शर्मा


प्रसिद्धि
_______
"ये कहानी है?".... नव्या की लिखी रचना को प्रकाशक फेंकते हुए बोला।
"ना कोई रस ना आकर्षण।"

"मै समझी नहीं सर ...कैसा आकर्षण?"
"एक सच्चे प्रेम पर कुछ लिखने की कोशिश की है और एक लेखक हैं उनको भी दिखाई थी।"

"प्लीज़ सर अपने अखबार में जगह दीजिए ना एक बार।"नव्या ने कहा।

"बकवास......तुम क्या प्रेम के बीच प्रकृति को लाई हो और नायिका का चित्रण!!
कम से कम नायिका के सौंदर्य का चित्रण तो ठीक करती।"
"ये क्या लिखा है ...आँखें चितचोर
होंठ अंगारे ....जुल्फें रेशमी।
ये क्या चित्रण हुआ।"

"शरीर के उन अंगों का चित्रण छोड दिया जिससे पुरूष उत्तेजित हो ...
प्रेमालाप करते दिखा रही हो और फूल और चाँद का साहारा ले रही हो ...।कम से कम उनके प्रेम की व्याख्या तो करती...काम को प्रदर्शित करना जरुरी है..।"
"लोलुपता दिखाने के लिए कम से कम नायक के मन में कामवृत्ति तो दिखाती ....मिलन दिखा रही हो और उपमा का सहारा ले रही हो ,संसर्ग तो ठीक से दिखाती..तुम्हारी रचना को पाठक नहीं मिलेंगे ,क्योंकि तुम विचारों को विस्तृत नहीं कर पा रही हो ....ऐसी रचना छाप कर हमें अपना नाम खराब नहीं करना ।"
शांति से सुनती नव्या फट पडी....
"तो सर प्रेम की भावनाओं को दिखाने के लिए मैं अश्लीलता भरे शब्दों का सहारा लूं ?"
"माफ कीजिएगा सर ..जब कोई आपसे पूछता है, कि आप किसकी संतान है ,तो आप ये नहीं कहते कि मैं मेरे पिता द्वारा माता के गर्भ में रोपित बीज हूँ.....आप सिर्फ नाम बताते हैं , आप स्थान बताते है ये नहीं बताते कि बच्चे दो टाँगों के बीच से पैदा हुआ ,आप ये नहीं बताते की माता के किस अंग से पैदा हुए ।"

" फिर मै कैसे व्याख्या करूं कि वो प्रेम कैसे कर रहे है ?...कथा लिखी है ,विधि नहीं!और ना मिले पाठक और ना मिले प्रसिद्धि।इसके लिए मैं स्त्री के अंगों का मसाले दार वर्णन नहीं कर सकती।"

"बहुत देखी है तुम जैसी!इस बदतमीजी के बदले मै तुम्हारा कैरियर खराब करवा सकता हूँ।"

"डर किसे है?मैं तो साधारण हूँ। प्रसिद्धि तो आपके पास है।"

दिव्या राकेश शर्मा

३०-९-१७

Tuesday, 3 March 2020

शर्म कहाँ ..दिव्या राकेश शर्मा

शर्म कहाँ ..

उसके तन से खून रिस रहा था।कपड़े तार तार हो गए थे।वह लड़खड़ाते कदमों से उसके निकट आ पैरों पर गिर पड़ी।
"मेरी रक्षा करों।"
   "कौन हो तुम?"वह चौक कर बोला।

"आह!"बस एक कराहट निकली।
"मुझे अपना परिचय दो।"वह पुनः बोला।
"मैं...मैं..मानवता हूँ।मुझे बचाइए वरना.. वरना.. मुझे मार डालेंगे।"मार्मिकता से वह बोली।
"कौन मार देगा!इस प्रकार घायल अवस्था में कैसे?"
"यह समाज।जिससें रिसता मवाद मुझे लील रहा है।मेरे शरीर में असंख्य घाव हुए हैं।चोटिल हूँ मैं और डरती हूँ जीवित न रहूंगी।"विलाप कर वह बोली।
"कैसे हुए यह घाव?"वह आश्चर्य से बोला।
"आह्!"वह पुनः करहाइ.."जब भी किसी स्त्री, किसी अबोध कन्या पर दरिंदगी होती है चोटिल तो मैं ही होती हूँ।"
"जब भी किसी भ्रूण को इसलिए कुचल दिया जाता है क्योंकि वह स्त्री है तो रोती तो मैं हूँ।मुझे बचा लीजिए आप ,बचा लीजिए।"वह बिलखने लगी।
"परंतु मैं तुम्हारी रक्षा नहीं कर सकता।"दुखी हो वह बोला।
"परंतु आप तो धर्म है आप मेरी रक्षा क्यों नहीं कर सकते?"रोष से वह बोली।
"हाँ मैं धर्म हूँ पर बंदी बना दिया गया हूँ।इस सड़े समाज में मैं बंधक हूँ।"वह लाचारगी से बोला।
तभी एक मवाद की लहर उन दोनों के निकट दिखने लगी और उस लहर में बह रही थी एक स्त्री।
समाज वहीं खड़ा अट्टहास कर रहा था।

दिव्या राकेश शर्मा।

Sunday, 1 March 2020

गीत और नवगीत में छंदों का बढ़ता महत्व - कुसुम कोठारी जी ,कोलकाता

गीत और नवगीत में छंदों का बढ़ता महत्व


सबसे पहले हमें यह जानना है कि हिन्दी काव्य में छंद का महत्व क्या है।

लय न हो तो काव्य में सरसता का भान कम हो जाता है ।
लय लाने के लिए कविता या गीत में वर्णों की संख्या और स्थान से सम्बंधित नियमों का निर्धारण किया जाता है, जो छंद के द्वारा होता है।
काव्य सृजक सब जानते हैं कि
छंद लेखन कोई नई  विधा नहीं है यह वेदिक युग से चली आ रही है ।

हिंदी  गीतों  में छंद का महत्व गीत को संगीत के साथ जोड़ता है।
संगीत हिंदी में भाव व्यक्त करने का सबसे सहज माध्यम है ।
गीत छंदों से जुड़कर सरस संगीतात्मक और मनोहर हो जाते  है, इनमें रंजकता बढ़ती है।
कोई भी साधारण उक्ति विशेष लय ,मात्रा और वर्ण योजना में  बंधकर निखरती है ,तो वो भाव रस व्यक्त करने में और भी सक्षम हो जाती है।
गीत एक ऐसी विधा है जिसमें भावों की कोमलता प्रधान रहती है, इसलिए सदा भावों के लालित्य और मर्म  को स्पष्ट प्रवाहता और गति देना ही प्रधान अभिष्ट रहता है।

काव्य में गीत संप्रेषण का मुख्य घटक है ,ये श्रोता और पाठक दोनों को बांधने में सक्षम है, ऐसे मुख्य स्रोत को संबल सक्षम और जनप्रिय  बनाने में छंदों का महत्व पूर्ण योगदान है ।
इसलिए आजकल रचनाकारों का रुझान छंदों की तरफ बढ़ता परिलक्षित हो रहा है ।
गीत और नव गीत भी छंद में बंधकर नये बिंब नये प्रतीकों के साथ अपना अलग और उच्च स्थान बना रहे हैं ।

गीतों में छंद का प्रचलन अब साफ साफ दिखने लगा है आम रचनाकार भी छंदों से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता कारण साफ है।

छंदों से सौंदर्यबोध होता है,जो पाठक और श्रोता को आपस में जोड़ता है।

छंद मानवीय भावनाओं को
आडोलित करते हैं जिससे गीतों में निहित संदेश सुनने वालों तक सहज पहुंच ये है।

छंदों में स्थायित्व होता है,जिससे रचनाकार के सृजन को स्थायित्व मिलता है ।

छंद सरस होने के कारण मन को भाते हैं और बार-बार गुनगुनाने को लालायित करते हैं।
छंद  निश्चित लय पर आधारित होते  हैं इसलिए  सुगमतापूर्वक कण्ठस्थ हो जाते हैं।
आज भारतीय चित्रपट संगीत जन-जन के मुंह चढ़ा है ,
आश्चर्यजनक तथ्य ये है कि कुछ गाने मील का पत्थर बन गये कुछ बस थोड़े दिन में लोगों के दिल से उतर जाते हैं ।
अब देखते हैं थोड़ा गहराई से कि ज्यादा प्रसिद्ध गीतों ( गाने ) का आधार कोई ना कोई सनातनी छंद अवश्य है ।
छंदों पर आधारित होने के कारण ये सहज कंठस्थ हो जाते हैं और इनकी प्रवाहित लय के कारण ये सरलता से मन में स्थापित होजाते हैं ।
यही बहुत से कारण हैं जो गीत और नवगीत के रचनाकार छंद आधारित गीत लिखने लगे जिससे गीतों में छंदों का प्रचलन पिछले सालों में बहुतायत से बढ़ा है , जो साहित्य के लिए एक सकारात्मक परिणाम होगा ।

गीतों में छंद का प्रचलन अब साफ साफ दिखने लगा है आम रचनाकार भी छंदों से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता कारण साफ है।

छंदों से सौंदर्यबोध होता है,जो पाठक और श्रोता को आपस में जोड़ता है।

छंद मानवीय भावनाओं को
आडोलित करते हैं जिससे गीतों में निहित संदेश सुनने वालों तक सहज पहुंच ये है।

छंदों में स्थायित्व होता है,जिससे रचनाकार के सृजन को स्थायित्व मिलता है ।

छंद सरस होने के कारण मन को भाते हैं और बार-बार गुनगुनाने को लालायित करते हैं।
छंद  निश्चित लय पर आधारित होते  हैं इसलिए  सुगमतापूर्वक कण्ठस्थ हो जाते हैं।
आज भारतीय चित्रपट संगीत जन-जन के मुंह चढ़ा है ,
आश्चर्यजनक तथ्य ये है कि कुछ गाने मील का पत्थर बन गये कुछ बस थोड़े दिन में लोगों के दिल से उतर जाते हैं
अब देखते हैं थोड़ा गहराई से कि ज्यादा प्रसिद्ध गीतों( गाने)का आधार कोई ना कोई सनातनी छंद अवश्य है ।
छंदों पर आधारित होने के कारण ये सहज कंठस्थ हो जाते हैं और इनकी प्रवाहित लय के कारण ये सरलता से मन में स्थापित होजाते हैं ।
यही बहुत से कारण हैं जो गीत और नवगीत के रचनाकार छंद आधारित गीत लिखने लगे जिससे गीतों में छंदों का प्रचलन पिछले सालों में बहुतायत से बढ़ा है ,जो साहित्य के लिए एक सकारात्मक परिणाम होगा ।

-कुसुम कोठारी ,कोलकाता

Thursday, 20 February 2020

विरोधाभास : हिंदी साहित्य की एक आवश्यता- सुशीला जोशी मुज्जफरनगर

विरोधाभास : हिंदी साहित्य की  एक आवश्यता
: सुशीला जोशी मुज्जफरनगर

    विरोधाभास लेखन की वह अलंकार या  शैली  है जिससे किसी कहन में विरोध न होते हुए भी विरोधी आभास दे जाता है । जैसे -
" सुधि  आय , सुधि जाय "
"पिल्ले तो रोज गाड़ी के नीचे आते जाते रहते है।"
 यद्यपि इन वाक्यों में कहीं कोई विरोध नही है लेकिन फिर भी विरोध का आभास दे रहा है ।
      यदि विचार किया जाय तो पूरी प्रकृति विरोधाभास पर टिकी है । जन्म -मरण, दुख -सुख , प्रेम -घृणा, निर्माण -विनाश  जैसे आधार ले कर प्रकृति अडिग खड़ी विरोधाभास का निर्वहन कर रही है , क्योकि  ये एक दूसरे के पूरक हैं । प्रकृति को  अक्षुण बनाये रखने में सहायक है । प्रकृति के क्रियाकलाप परिवर्तन व विनाश के आधार पर ही सम्भव हैं ।
      असंगति , विभावना , और विशेषोक्ति सब विरोधाभास के ही पर्याय हैं  या ये सब विरोधाभास के प्रकार हैं ।
*विरोधाभास क्या है?*

1-- पद में कोई विरोधी बात या विचार न होते हुए भी जब कोई विरोध जताता है तो उसे विरोधाभास कहा जाता है ---
या अनुरागी चित्त की, गति समझे न कोय
*ज्यों ज्यों बूड़े श्याम रंग, त्यों त्यों उजले होय*

अवध को अपना कर त्याग से
तपोवन प्रभु ने किया
भरत ने उनके अनुराग से
भवन में वन का व्रत लिया

2--एक ही वाक्य में आपस मे कटाक्ष करते हुए दो या दो से अधिक भावों का प्रयोग किया जाय --वहाँ विरोधाभास होता है --
 *मुहब्बत एक मीठा जहर*

3--एक ही वक्तव्य में विरोधाभाषी  या विरोधी विचारों को प्रतिपादित किया गया हो ,वहाँ विरोधाभास होता है --
*गर्जनापूर्ण शांति/ मीठा दुख*

4-वास्तविक विरोध न होते हुए भी विरोध का आभास ही विरोधाभास है --
*बिषमयी गोदावरी , अमृतं जल देय*

*प्रकार*...

*असंगति*-- दो असम्भव चीजों के एक साथ प्रयोग में असंगति विरोधाभास होता है ---
*मैं अंधा भी देख रहा हूँ ,तुम्हारा रोना*

*विभावना*--- बिना कारण के किसी कार्य की संभावना दर्शाना विभावना विरोधाभास होता है --
*नीर भरे नितप्रति रहे, न तो प्यास बुझाई*

*विशेषोक्ति*-- किसी असम्भव बात को विशेष परिस्थितियों में सम्भव दर्शाने के लिए विशेषोक्ति का प्रयोग किया जाता है --
*वन सुन्य जबते मधुर , तबते सुनत न बैन*

*बिनु पड़ चलै ,सुनै बिनु काना*

*विरोधाभास का प्रतिपादन*....
       विरोधाभास को दो प्रकार से प्रतिपादित किया जा सकता है -
*1---तार्किक  रूप में*
      इस प्रकार में बहुधा विरोध तर्कसंगत होता है --
*नाई अपने बाल अपने आप नही काटता*

*2--गणित रूप में*----
 इसके प्रतिपादन में सबको एक सी संज्ञा दी जाती है --
*लंका में सभी बावन गज के*

*विरोधाभास की आवश्यकता* .....
साहित्य में आज के तकनीकी युग मे विरोधाभास की बहुत आवश्यकता है क्योंकि---
1---यह वर्ण -सम्बंधी जटिलताओं के बारे में सोचने को विवश करता है । 
2--यथार्थ को परखने को विवश करता है ।
3-- यद्यपि कभी कभी दुविधा भी उतपन्न करता है किंतु फिर भी उसके निराकरण का मार्ग दिखाता है ।।
4--- लेखक के अंतरात्मा की दुविधा को प्रस्तुत करता है ।
5-- विरोधाभास सत्य व्यक्ति परक है ।
6-- सरकार द्वारा परिभाषित विरोधाभास भी व्यक्तित्वों व भूखण्डों से जुड़ी  परतों और गहराइयों से जुड़ा  हैं  ।
      सामाजिक , राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय असंगतियों का हल ढूंढता है ।
7--लेखक के बुद्धि वैपर्य को निखार कुशाग्र बनाता है ।

सुशीला जोशी
मुजफ्फरनगर

Wednesday, 5 February 2020

कुण्डलियाँ...सहना, वंदन

[05/02 6 PM] बाबूलाल शर्मा बौहरा: °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
•••••••••••••••••••••••••••••बाबूलालशर्मा
.           *कलम की सुगंध छंदशाला*
.           कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु

.              दिनांक - ०५.०२.२०२०
.                    🌼🌼🌼
कुण्डलियाँ (1)
विषय-  *सहना*
सहना सुख का भी कठिन, उपजे मान घमंड!
गर्व  किये  सुख  कब  रहे, हो संतति  उद्दण्ड!
हो   संतति   उद्दण्ड ,चैन   सुख  सारे   खोते!
हो अशांत  आक्रोश, बीज खुद दुख  के बोते!
शर्मा   बाबू   लाल, मीत  दुख  संगत   रहना!
कृपा ईश की मान, मिले जो दुख सुख सहना!
•.                  •••••••••• 
कुण्डलियाँ (2)
विषय-   *वंदन*
वंदन करें किसान का, जय जय वीर जवान!
नमन श्रमिक मजदूर फिर, देश धरा विज्ञान!
देश धरा विज्ञान, लोक शिक्षक कवि सरिता!
सागर  पर्वत  पेड़, पिता  माता  की कमिता!
शर्मा   बाबू  लाल , पूज  शिव - गौरी  नंदन!
गाय  गगन खग नीर, वात  पावक का वंदन!
•.                     •••••••••
रचनाकार -✍©
बाबू लाल शर्मा,बौहरा
सिकंदरा,दौसा, राजस्थान
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[05/02 6:00 PM] अनंत पुरोहित: कलम की सुगंध छंदशाला
कार्यक्रम कुंडलियाँ शतकवीर हेतु
अनंत पुरोहित 'अनंत'

63) थाली

धागा थाली में रखा, पागा उसमें स्नेह।
रक्षाबंधन भोर में,  प्रेम भरा यह गेह।।
प्रेम भरा यह गेह, खुशी कण-कण में ढलकी।
भ्राता भगिनी प्रेम, आँख माता की छलकी।।
कह अनंत कविराय, पवित बंधन यह तागा।
स्नेह सुधा मनुहार, समेटे है यह धागा।।

64) बाती

बाती दीपक साथ में, करते साथ प्रकाश।
अंधकार को दूर कर, लाते नया उजास।।
लाते नया उजास, आस मन में हैं भरते।।
धारण कर उत्साह, मार्ग रौशन हैं करते।।
कह अनंत कविराय, उजाला खुशियाँ लाती।
करते मार्ग प्रशस्त, संग मिल दीपक बाती।।

65) आशा

आशा का दीपक सदा, मन में करे प्रकाश।
करता रह कर्तव्य को, प्रभु पर रख विश्वास।।
प्रभु पर रख विश्वास, कर्म को मन से करना।
दुश्चिंता को त्याग, लक्ष्य से कभी न डरना।।
कह अनंत कविराय, पास आए न निराशा।
मन को कर मजबूत, सदा रख उसमें आशा।।

66) उड़ना

उड़ना तुम आकाश में, ज्ञान डोर को थाम।
सारी दुनिया में करो, मात पिता का नाम।।
मात पिता का नाम, लोग तुमसे ही जानें।
बिटिया तुमपर गर्व, तुम्हें कुल गौरव मानें।।
कह अनंत कविराय, नहीं तुम पीछे मुड़ना।
कदम बढ़े हर बार, सदा ऊँचा ही उड़ना।।

रचनाकार-
अनंत पुरोहित 'अनंत'
[05/02 6:02 PM] केवरा यदु मीरा: चित्र चिंतन

पीली चादर ओढ़ के, धरा रही मुस्काय।
बच्चे सारे आ गये, देखो पतंग उड़ाय ।

सरसों गाती गीत हैं,आज पवन के संग ।
झूम झूम कर नाचती, कहे लगालो अंग ।।

ऋत बासंती आगयी, कोयल कूके बाग।
आजा अब परदेसिया, गायें मिलकर फाग ।।

पवन बसंती जा कहो साजन को संदेश ।
आया है ऋतु राज अब, सही न जाये क्लेश ।।

फूल फूल को चूम कर, मधुप मचाये शोर ।
विरह अगन में मैं जलूँ, आजा रे चितचोर ।।

केवरा यदु "मीरा "
राजिम
[05/02 6:02 PM] राधा तिवारी खटीमा: कलम की सुगंध छंदशाला
शतकवीर हेतु कुंडलियां
 विषय  सहना ,वंदन दिनांक 05/02/ 2020

 सहना(83)

 सहना पड़ता है सदा, अपना दुखड़ा आप।
औरों के दुख दर्द से, अपना दुख मत माप।।
 अपना दुख मत माप, दुखी हैं सब संसारी।
सहने को तो दर्द, सदा करना तैयारी।
 कह राधेगोपाल, नदी में सुख की बहना।
 अपना दुखड़ा आप, सदा  पड़ता हैं सहना।।

वंदन (84)
वंदन है माँ शारदे, तुम को बारंबार।
 तुमसे ही चलती रहे, ज्ञान नदी की धार।
 ज्ञान नदी की धार, सदा हिम्मत दे देना।
 छेड़ के वीणा तार,सभी दुख तुम हर लेना।
 कह राधेगोपाल, अरे तुम सुनना क्रंदन।
 तुम को बारंबार, शारदे करते वंदन।।

राधा तिवारी"राधेगोपाल"
 खटीमा
उधम सिंह नगर
 उत्तराखंड
[05/02 6:03 PM] बोधन राम विनायक: *कलम की सुगन्ध छंदशाला*
कुण्डलियाँ - शतकवीर सम्मान हेतु-
दिनाँक - 05.02.2020 (बुधवार)

(83)
विषय - सहना

सहना है हर दुःख को,सुख के दिन तो चार।
बिना दुःख के सुख नहीं, रीत यही संसार।।
रीत  यही  संसार, कर्म  सबको  है  करना।
प्यार मिले स्वीकार,किसी से क्यों है डरना।।
कहे विनायक राज,किसी से कुछ मत कहना।
भाग्य लिखा जो आज,सभी को सब कुछ सहना।।

(84)
विषय - वंदन

वंदन माटी का करूँ, जन्म  मिले  हर बार।
देह  समर्पण  देश हित, हो  मेरे  करतार।।
हो  मेरे   करतार,   प्रार्थना   तुमसे   मेरा।
जीवन के दिन चार, बिते  चरणों में तेरा।।
कहे विनायक राज,धरा की माटी चन्दन।
नित उठ सुबहो शाम,करूँ मैं इसकी वंदन।।

बोधन राम निषादराज"विनायक"
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)
[05/02 6:11 PM] सरला सिंह: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुंडलियाँ शतकवीर हेतु*

  *05/02/2020*
*दिन - बुधवार*
*विषय - सहना, वंदन*
*विधा-कुंडलियां*

                     *83-सहना*
सहना आता है नहीं,गलत दिखे जो काम।
करते हैं वहीं हिसाब, और देश का नाम।
और  देश का नाम, कांपते दुश्मन सारे।
भारत  वीर  महान,सभी हैं इससे  हारे।
कहती सरला आज,माने जो नहीं कहना।
दुश्मन मद हो चूर, वीर जानते न सहना। 
 
                   *84-वंदन*
वंदन मां तेरी करूं, चरणों में रख माथ,
करना मां कृपा सदा, रखना मुझको साथ।
रखना मुझको साथ,आस करना मां पूरी।
देना मां  आशीष, साध न  रहे  अधूरी।
कहती सरला आज, लगाती माथे चंदन।
दीपक लेकर हाथ, करूं मैं मां का वंदन।

*डॉ सरला सिंह 'स्निग्धा'*
*दिल्ली*
[05/02 6:13 PM] अभिलाषा चौहान: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलिया शतकवीर हेतु
कुंडलिया(८३)

विषय-सहना

सहना अत्याचार को,बनता है अभिशाप।
बढ़ता है अन्याय भी,बढ़ जाते हैं पाप।
बढ़ जाते हैं पाप,खड़ा दुर्भाग्य द्वार पर।
शोषण का दुख भोग,बैठ तू सदा हार कर।
कहती'अभि'यह देख,सदा बस रोते रहना।
अति वर्जित सर्वत्र, नहीं चुप रह कर सहना।

कुण्डलिया(८४)
विषय-वंदन

वंदन प्रभु तेरा करूँ,जपूँ तुम्हारा नाम।
ममता माया मोह में,मन न रहे निष्काम।
मन न रहे निष्काम,प्यास बढ़ती ही जाती।
मैले मन के भाव,सत्य मैं देख न पाती।
मैली काया सदा,बने अब कैसे चंदन।
'अभि' अज्ञानी रही,जानती कैसे वंदन?

रचनाकार-अभिलाषा चौहान
[05/02 6:17 PM] रजनी रामदेव: शतकवीर प्रतियोगिता हेतु
5/02/2020::बुधवार

सहना
सहना मीरा को पड़ा, कुल जग का अपमान।
राणा ने जो विष दिया, माना अमिय समान।।
माना अमिय समान, पान कर मीरा हाँसी।
धारा जोगन वेश ,भक्ति थी उसकी साँची।।
इकतारा ले हाथ , उतारा सारा गहना।
पड़ा बहुत अपमान ,भक्ति के कारण सहना।

वंदन

वंदन करती है धरा, आता जब ऋतुराज।
पवन बसन्ती झूमती, प्रकृति छेड़ती साज़।।
प्रकृति छेड़ती साज़, फ़ाग  के राग सुहाने।
करते भ्रमर गुँजार , लगी कलियाँ मुस्काने।।
टेसू महुआ खूब, महकते ज्यूँ हो चंदन।
आओ जी ऋतुराज, तुम्हारा घट घट वंदन।।
                    रजनी रामदेव
                       न्यू दिल्ली
[05/02 6:26 PM] इंद्राणी साहू साँची: कलम की सुगंध छंदशाला

कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु

दिनाँक -05 /02/2020
दिन - बुधवार
83 - कुण्डलिया (1)
विषय - सहना
***************
सहना सबके भार को , कृपा सिंधु भगवान ।
ज्ञानी ध्यानी या अधम , या हों संत सुजान ।
या हों संत सुजान , सभी हैं तेरे बालक ।
जगत पिता जगदीश , तुम्हीं हो जग के पालक ।
मिले ईश आशीष , वही है सच्चा गहना ।
क्षमा शील हो आप , भार धरती का सहना ।।
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
84 - कुण्डलिया (2)
विषय - वंदन
****************
वंदन है प्रभु आपको ,सुन लो पालनहार ।
भाव सुमन अर्पण करूँ , नमन करो स्वीकार ।
नमन करो स्वीकार , अकिंचन मुझको जानो ।
शरण पड़ी हूँ नाथ , भक्ति मेरी पहचानो ।
श्री चरणों की धूल , लगाऊँ माथे चंदन ।
रख दो करुणा हाथ , हृदय से है पग वंदन ।।
*********************************
✍️इन्द्राणी साहू "साँची"✍️
   भाटापारा (छत्तीसगढ़)
★★★★★★★★★★★★★★★★
[05/02 6:30 PM] धनेश्वरी देवाँगन 'धरा': कुँडलिया कलम वीर हेतु

83.).   वंदन

वंदन करती आपकी , गौरी सुवन गणेश ।
दो हमको शुभकामना,  मिटे रोग अरु क्लेश ।।
मिटे रोग अरु क्लेश ,  गजानन अंतर्यामी ।
प्रथम पूज्य गणराज , आप हो सबके स्वामी ।।
कहे "धरा" कर जोड़ , करूँ नित नित अभिनंदन।
मिले हमें बल बुद्धि , ह्रदय से करती  वंदन।।

84 ).   सहना

सहना है हर त्रास को , मिले छाँव या धूप ।
समय मनुज का तो सदा, रहे कहाँ अनुरूप ?।
रहे कहाँ अनुरूप , भला क्यों नैना रोती ?।
रखो चित्त में आस ,सीप मन धीरज मोती ।।
कहे "धरा" धर धीर , परम सुख संयम गहना ।
होगी बाधा त्राण , धैर्य से सुख दुख सहना ।।


*धनेश्वरी देवांगन धरा*
*रायगढ़, छत्तीसगढ़*
[05/02 6:35 PM] प्रतिभा प्रसाद: *कुंडलियाँ*
विषय  ----   *सहना, वंदन*
दिनांक  --- 5.2.2020....

(83)               *सहना*

सहना दर्द बहुत पड़ा ‌,  मत सह अत्याचार ।
पहल करे को रोक दे‌ , उचित यही व्यवहार ।
उचित यही व्यवहार , सुता ‌को समझा देना ।
रोको अनुचित कर्म , धर्म मानवता कहना ।
कह कुमकुम करजोरि , सुनो तुम मेरी बहना ।
मत करना बरजोरि , कभी पीड़ा भी सहना ।।


(84)              *वंदन*

वंदन सदा चरण‌न की‌ , प्रभुवर आठों याम ।
रहना मेरे साथ में , करती तेरा काम‌ ।
करती तेरा काम , सदा जपती हूँ भगवन ।
नित लेती हूँ नाम , कभी घुमती हूँ उपवन ।
सदा किया है ध्यान , रहे जीवन यूँ नंदन ।
जगत कहे जब राम , सदा ही तेरा वंदन‌ ।।


🌹 प्रतिभा प्रसाद कुमकुम
      दिनांक  5.2.2020......

_______________________________________
[05/02 6:49 PM] डा कमल वर्मा: कलम की सुगंध छंद शाला।
कुंडलियाँ शतक वीर के लिए।
कुंडलियाँ क्र.89
विषय_ सहना
सहना सीखें मात से,सुखी रखे परिवार।
कठिनाई सह के सभी,चलता है संसार।
चलता है संसार,सुबह से उठ लेती हैं।
सब का रखती ध्यान,काम सब कर देती है। रहता कमल बुखार, कहाँ सीखा है कहना।
माँ है घर की नींव,बोझ जाने है सहना।

कुंडलियाँ क्र 90
 विषय_वंदन
वंदन गुरुजन आपको,गये छंद सब जान।   आगे भी आशीष दें,सदा ही रखना ध्यान।
सदा ही रखना ध्यान,और कविता सिखलाना।
सिखला देना पूर्ण,निपुण सब को कर जाना।
कमल चरण की धूल,माथ हो जैसे चंदन। 
हम करते नित याद,आपको गुरुवर वंदन।
कृपया समिक्षा करें।
[05/02 6:56 PM] कुसुम कोठारी: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
५/२/२०२०
कुसुम कोठारी।

कुण्डलियाँ (८३)

विषय-सहना ।
सहना सब प्रारब्ध को , गति कर्मो की मान ।
शांत भाव से सब सहो ,बात भाग्य की जान।
बात भाग्य की जान, पुण्य पथ पर ही चलना ।
नेकी का कर काम ,दीप ज्यों झिलमिल जलना।
कुसुम कहे सुन संत , धैर्य है सुंदर गहना ।
सही नीति की बात ,नीति पूर्वक ही सहना ।।

कुण्डलियाँ (८४)

विषय-वंदन
वंदन हो तुझ पाद में ,दो विद्या वरदान ।
मेधा से झोली भरो , वरद हस्त दो दान ।
वरद हस्त दो दान , शीश चरणों में  रखती ।
छवि निरखूँ दिन रात , विनय से वंदन करती ।
कुसुम मिले तुझ दृष्टि , हृदय बन जाए चंदन।
कृपा करो हे मात , करूं तुझको नित वंदन ।।

कुसुम कोठारी।
[05/02 7:12 PM] डॉ मीता अग्रवाल: कलम की सुगंध छंद शाला*
कुंड़लिया छंद शतकवीर हेतु
         

          *(83)सहना*

सहना वसुधा की व्यथा,करती नाही क्लेश।
सबको देती एक सा,धरती माँ का वेश।
धरती माँ का वेश,पालथी पोषण करती।
शीत ग्रीष्म बरसात,मात सम सबकुछ सहती।
है अनुपम श्रृंगार, हरित हरियाली गहना।
देने का ही भाव,सिखाती सुख दुख सहना ।

                    *(84)वंदन* 
वंदन  माटी नित करें, महिमा अपरम्पार।
धर्म कर्म हो देश हित,माँगू जनम हजार।
माँगू जनम हजार,कामना सेवा करना।
जब भी आँख उठाय,पड़े दुश्मन को मरना।
करें मधुर मनुहार, लगा नित माथे चंदन।
बार बार हो जनम,भारती माटी वंदन।

 *मीता अग्रवाल मधुर रायपुर छत्तीसगढ़*
[05/02 7:30 PM] अनुराधा चौहाण मुम्बई: कलम की सुगंध
शतकवीर कुण्डलियाँ
दिनाँक-5/2/20
___________________
83
सहना
सहना पड़ती है कभी,अनचाही सी बात।
जिसके कारण ही सदा,बने अजब हालात।
बने अजब हालात,नहीं कोई गलती माने।
करते सदा विवाद,बिना ही सच को जाने।
कहती अनु सुन आज,किसी से तब कुछ कहना।
जब अनुचित हो बात,नहीं फिर चुप हो सहना।

84
वंदन
वंदन श्री हरि का करूँ,कर जोड़ सुबह शाम।
चारों तीरथ सुख मिले,विनती आठों याम।
विनती आठों याम,भजे मन हरि गोपाला।
विट्ठल विट्ठल नाम,मिले सुख जपते माला।
कहती अनु कर जोड़,लगा हरि माथे चंदन।
मिलता चरण निवास,करूँ नित हरि का वंदन।

अनुराधा चौहान
[05/02 7:35 PM] वंदना सोलंकी: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुंडलियाँ  शतकवीर हेतु*
सोमवार-03.02.2020

*81)माना*

कितना माना था उसे,दिया न उसने मान।
मना मना कर थक गई,टूटा निज अभिमान।
टूटा निज अभिमान,सजन जी पास न आए।
दे दूँ अपनी जान,बात शायद बन जाए।
वन्दू बड़ी उदास,प्यार है पिय से जितना।
समुंदर सा अथाह,असीमित जाने कितना।।

*82)कहना*

कहना सुनना कुछ नहीं,छुपा रहे करतूत।
बिना बात के तन रहे,लातों के ये भूत।
लातों के ये भूत,करो अब खूब पिटाई।
करें देश से द्रोह,राष्ट्र की शाख मिटाई।
क्षुब्ध हुए मन भाव,न भाए इनका रहना।
खींचो अब तलवार,बंद अब सुनना कहना।।

बुधवार-05-02-2020

*83)सहना*

सहना नहीं देखो सुता,अपने पर अन्याय।
दुष्ट दरिंदे लोग हैं,कौन दिलाये न्याय।
कौन दिलाए न्याय,सभी हैं गूंगे बहरे।
कहते तुम को शाप,लगाते तुम पर पहरे।
कह वन्दू कविराय,कभी न मौन तुम रहना।
खींच लेना तलवार,मगर कुछ गलत न सहना।।

*84)*वंदन*

विनती करती आपसे, दे दो माँ वरदान।
हाथ जोड़ वंदन करुँ,हम बालक नादान।
हम बालक नादान,तुम्हीं विद्या की दात्री।
हम भोले अनजान,बने कैसे सहपात्री।
कोई न देता भाव,कहीं न हमारी गिनती।
मिले हमें भी मान,यही बस करते विनती।।

*रचनाकार-वंदना सोलंकी*
*नई दिल्ली*
*****
[05/02 7:38 PM] कृष्ण मोहन निगम: दिनाँक 5/2/2020
कुंडलियाँ शतकवीर हेतु
विषय. *सहना*
सहना माता पिता गुरु,  इन तीनों की डाँट ।
ये तीनों सर्वस्व निज, देते हम में बाँट ।।
देते हम में बाँट, स्वयं  ये दुख सह लेते ।
हितकर-सच तत्काल, कटुक या मृद,कह देते।।
"निगम" सुहृद पितु मातु,  सदा इनके बन रहना।
करना सेवा मान , पड़े दुख इन्हें न सहना ।।

विषय       *वंदन*
वंदन जननी जन्म-भू ,  वंदन पद रज-संत ।
वंदन उस बलिदान का, जिसका मान अनंत।।
जिसका मान अनंत , किया उत्सर्ग प्राण का।
सिखा गए शुभ पाठ, हमें जो राष्ट्र त्राण का ।।
"निगम" स्वर्ग से श्रेष्ठ, सदा शुचि जैसे चंदन ।
मातृभूमि की धूल,  वंद्य कर इसका वंदन ।।

 कलम से ..
कृष्ण मोहन निगम
सीतापुर
जिला सरगुजा (छत्तीसगढ़)
[05/02 7:47 PM] धनेश्वरी सोनी: शतकवीर सम्मान
                 कलम की सुगंध
                  बुधवार  5/2/2020
                  कुण्डलिनीयाँ
                   बंधन

 वंदन करते राम की ,हाथ जोड़कर मंत्र ।
 चंदन टीका माथ पे, तिलक करे ताम्र यंत्र ।
 तिलक करें ताम्र यंत्र, पुजे जो पंडित भगवन।
 आरती वंदन थाल ,सजे अर्घ संध्या पुजन ।
 बटते प्रसाद हाथ ,सुबह रात्रि मिले लडुवन ।
 रखते सबपे आस ,करें सभी लोग वंदन ।

                         सहना

 सहना राम को है पड़ा ,पग-पग चल वनवास ।
 सीता कोमल भी चली ,लक्ष्मण भैया खास।
 लक्ष्मण भैया खास ,तीर तरकश पास रखें।
 धरती कड़क कठोर ,चुभे कंकड़ फुल दिखे।
 सीता चलती सोच ,भाग्य अब तुझसे कहना ।
 मांगी मैंने राम ,साथ प्रभु सब है सहना।

         धनेश्वरी सोनी गुल बिलासपुर
[05/02 7:48 PM] कमल किशोर कमल: कुंडलियाँ शतकवीर हेतु
05.02.2020
83-सहना
सहना पड़ता जगत में,धूप छाँव बरसात।
कभी शोक से दिल दुखे,कभी खुशी की रात।
कभी खुशी की रात,कि जीवन पवन समाना।
खंदक खाई नाल,नदी पर बहते जाना।
कहे कमल कविराज,यही संतों का कहना।
कितना भी दुख रहे,मगर चुपके से सहना।

84-वंदन
वंदन करता भोर उठ,तात मात बड़भ्रात।
उनके आशीर्वाद से,चंगा रहता गात।
चंगा रहता गात,दर्द सारे मिट जाते।
मिलती खुशी अपार,हास रस हँसकर आते।
कहे कमल कविराज,बड़ों का रज कण चंदन।
धन बल विद्या बढ़े,चलो रे करिये वंदन।

कवि-कमल किशोर "कमल"
         हमीरपुर बुन्देलखण्ड।
👏👏👏🌹🌹👏👏👏👍
[05/02 7:53 PM] चमेली कुर्रे सुवासिता: कलम की सुगंध छंदशाला
*कुण्डलिया शतकवीर*

दिनांक- 05/02/2020
कुण्डलिया- ( *83*)
विषय - *सहना*
सहना चुप हो कर नही , नारी अत्याचार।
तोड़ भ्रमित दीवार को , ले अपना अधिकार।।
ले अपना अधिकार , रही क्यों बन बेचारी ।
अगर बनी कमजोर , समझ खुद से तू हारी।।
सुवासिता सुन बात , कमर कस ले है कहना।
बढ़ा आत्मविश्वास , कभी दुख फिर मत सहना।।

कुण्डलिया -( *84*)
विषय - *वंदन*
वंदन नारी शक्ति को , मैं करती हूँ आज ।
पत्नी बेटी माँ बहू , बन कर करती काज ।।
बन कर करती काज , सदा रहती आभारी।
नव जीवन को साँस ,  दिये लक्ष्मी अवतारी ।।
सुवासिता ये धूल , बना माथे का चंदन।
नजर दोष कर दूर , करू शत शत मैं वंदन।।

           🙏🙏🙏
✍चमेली कुर्रे 'सुवासिता'
जगदलपुर (छत्तीसगढ़)
[05/02 7:55 PM] आशा शुक्ला: कलम की सुगंध छंदशाला
कुंडलियाँ शतकवीर हेतु

(83)
विषय-सहना
सहना अत्याचार को,बहुत बड़ा है पाप।
मिली छूट जो दुष्ट को,पीड़ित होंगे आप।
पीड़ित होंगे आप, नहीं खुशी और कैसी।
लज्जा है धिक्कार, जिंदगी कायर जैसी।
कह आशा निज बात, सभी को कहना।
चाहे डँस ले काल,नहीं अधर्म है सहना।


(84)
वंदन गुरुजन का करो,मिलता ज्ञान अपार।
हो जाये उनकी कृपा, खुलता यश का द्वार।
खुलता यश का द्वार,ज्ञान-रहस्य खुलवाते।
हम हों अगर निराश, साहस हमें बँधवाते।
कह आशा निज बात,नमन करते हम वंदन।

रचनाकार-आशा शुक्ला
शाहजहाँपुर, उत्तरप्रदेश
[05/02 7:57 PM] पुष्पा विकास गुप्ता कटनी म. प्र: कलम की सुगंध छंदशाला
*कुंडलिया शतकवीर हेतु*

दिनाँक- 5.2.2020
कुंडलिया (83) *सहना*

सहना सीमित ही सही, होते अत्याचार।
कायरता कहते इसे, सहना नहीं अपार।।
सहना  नहीं अपार, बात यह मेरी मानो।
अपनी आँखें खोल, सत्य मिथ्या पहचानो।।
हो वाणी में तेज, मौन बिल्कुल मत रहना।
बना झूठ व्यापार, नहीं अब हमको सहना।।

कुंडलिया (84) *वंदन*

वंदन  भारत  मात का, करते  वीर जवान।
रखते उसकी आन को, होकर वे बलिदान।।
होकर  वे  बलिदान, रक्त से तिलक लगाते।
करते नित गुणगान, माल मस्तक पहनाते।।
धन्य मात के लाल, समझते रज को चंदन।
उनपर  होता  गर्व, करें सब उनका वंदन।।

_______पुष्पा गुप्ता प्रांजलि
[05/02 8:09 PM] संतोष कुमार प्रजापति: कलम की सुगंध छंदशाला

*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु*

दिनांक - 05/02/2020

कुण्डलिया (83)
विषय- सहना
=========

सहना गहना  मनुज का, रिश्तों में  अनुबन्ध I
खट्टा - मीठा अति सरल, रहे सुखद सम्बन्ध ll
रहे  सुखद  सम्बन्ध, बचाओ  नाजुक  रिश्ते l
बात - बात  में  ताव, सभी  सम्बन्धी  रिसते ll
कह 'माधव' कविराय, बड़ों का मानो कहना l
पर  अनीति  अन्याय, नहीं  सपने में  सहना ll

कुण्डलिया (84)
विषय- वन्दन
=========

वन्दन  चढ़ते  सूर्य  का, करता  सकल जहान I
वही भानु  ढलता हुआ, भय  अवसाद वितान ll
भय  अवसाद   वितान, भुलाए  गुण  ही  सारे l
पथ  प्रशस्त  कर आप, मिली जो प्रभा सहारे ll
कह 'माधव कविराय',न छोड़ो अहिभ्रम चन्दन l
अवगुण  सभी  बिसार, गुणों का  करिये वन्दन ll

रचनाकार का नाम-
           सन्तोष कुमार प्रजापति 'माधव'
                        महोबा (उ.प्र.)
[05/02 8:09 PM] गीता द्विवेदी: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलिया शतकवीर प्रतियोगिता हेतु

दिनांक-03-02-020

81
विषय-माना

माना धीरे चल रहा, जाना भी है दूर।
आशा अरु विश्वास है, साहस भी भरपूर।।
साहस भी भरपूर, नहीं संकट से डरना।
काँटे लगते फूल, चुभन हँसकर ही सहना।।
धारण लक्ष्य महान, विजय परचम लहराना।
जग देखता शौर्य, तभी तो लोहा माना।।

82
विषय-कहना

कागा कहना राम से, संकट का आकाश।
कर लूँगी मैं पार जब, उसका हो विश्वास।।
उसका हो विश्वास, वही है एक सहारा।
पापी हो या संत, सभी को उसने तारा।।
जोड़े रखना नाथ, तुम्हीं से पावन धागा।
कह देना संदेश, सताना छोड़ो कागा।।


दिनांक-05-02-020

83
विषय-सहना

सहना तबतक धर्म है, जब तक है उपचार।
बढ़ता अत्याचार जो, सहना है बेकार।।
सहना है बेकार, विरोध जताना होगा।
सच्चाई की जीत, जलेगा झूठ का चोगा।।
तभी तो हो आसान, जगत में सबका रहना।
जब तक धर्म निबाह, उचित तब तक ही सहना।।


84
विषय-वंदन

वंदन करती आपका, करूँ मात नित ध्यान।
ममता की मूरत तुम्हीं, दो विद्या का दान।।
दो विद्या का दान, मुझे अपना लो माता।।
हूँ जग में लाचार, सदा तेरे गुण गाता।।
गाएँ तीनों लोक, हरष के तेरे नंदन।
शीतल बहे समीेर, करें सूरज शशि वंदन।।

 सादर प्रस्तुत🙏🙏
गीता द्विवेदी
[05/02 8:24 PM] अटल राम चतुर्वेदी, मथुरा: 05.02.2020 (बुधवार)*
83-  सहना
*********
सहना मुश्किल है बहुत, सबकी ही सब बात।
अगर करें प्रतिकार तो, समझें सब आघात।
समझें सब आघात, बुरी है ये बीमारी।
आदत से लाचार, करें यह गलती भारी।
"अटल" अधिक मत बोल, बड़ों का है यह कहना।
जिस की ज्यादा बात, उसे मुश्किल है सहना।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏

84-   वंदन
**********
वंदन भारत भूमि को, जिसमें बसती जान।
हम भारत के पुत्र हैं, इस पर है अभिमान।
इस पर है अभिमान, करेंगे इसकी पूजा।
यह धरती का स्वर्ग, नहीं कुछ इस सा दूजा।
"अटल" चमकता भाल, यहाँ की माटी चंदन।
जब तक तन में साँस, करें इसका अभिनन्दन।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏
[05/02 8:25 PM] अनुपमा अग्रवाल: कलम की सुगंध छंदशाला

कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु

दिनांक - 05.01.2020

कुण्डलियाँ (79)
विषय-चमका
चमका जग, नभ चाँदनी,नीरवता चहुँ ओर।
देखो सुन्दर यामिनी,शीतलता हर कोर।
शीतलता हर कोर,धरा वधु सी शरमाई।
प्रकृति करे श्रृंगार,रूपसी वो इठलाई।
वर्णन कर अनु आज,दामिनी सा नभ दमका।
टिमटिमा रहे दीप,गगन में चंदा चमका।।

कुण्डलियाँ (80)
विषय-गीता
गीता पावन ग्रंथ है, सब ग्रंथों का सार।
कर्म धर्म का मूल है,होगा बेड़ा पार।
होगा बेड़ा पार,कर्म बस करते रहना।
फल की इच्छा छोड़,यही गीता का कहना।
गीता पढ़ अनु आज,यही है सच्ची मीता।
पिछली बातें भूल,बढ़ो कहती है गीता।।



 
   

रचनाकार का नाम-

अनुपमा अग्रवाल
कलम की सुगंध छंदशाला

कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु

दिनांक - 05.01.2020

कुण्डलियाँ (81)
विषय-माना
माना अपना ईश को,हो गयी मैं निहाल।
रिश्ते नाते तोड़के,तोड़ो भय का काल।
तोड़ो भय का काल,शरण में उनकी हो लो।
लेंगे फिर वो गोद,आँख तुम अपनी खोलो।
बातें अनु लो मान,भक्ति पथ बढ़ते जाना।
समर्पित अहंकार,सदा बस हरि को माना।।



कुण्डलियाँ (82)
विषय-कहना
कहना तो चाहें सभी,क्या सुनते दे ध्यान?
अपनी ढपली राग है,कौन सुने दे कान?
कौन सुने दे कान,सभी धुन में हैं  खोये।
तू-तू,मैं-मैं राज,पीटके सिर फिर रोये।
अनु का ये संदेश,गाँठ बाँधे मत रहना।
सबकी सुन लो खूब,तभी तुम अपनी कहना।।



   
   

रचनाकार का नाम-

अनुपमा अग्रवाल
[05/02 8:32 PM] केवरा यदु मीरा: शतक वीर कुंडलिया छंद

सहना 83

सहना सीता को पड़ा, हरण किया लंकेश ।
रटती रामा नाम वह, सहती रही कलेश ।
सहती रही कलेश, राम फिर आये लंका ।
कर रावण का नाश, बजा कर  सबका ड़ंका।
कहते वेद पुराण, काम तुम बुरा न करना ।
हो कर के बदनाम,मरण पड़ता है सहना ।।

वंदन

वंदन भारत देश को, महिमा अपरम्पार ।
राम कृष्ण जन्में जहाँ, जन्म मिले सौ बार ।
जन्म मिले सौ बार,श्याम जी इतना करना ।
मातृ भूमि के हेतु, वरण है मुझको मरना ।
कहती मीरा नाथ, यहाँ की माटी चंदन ।
जगत गुरू कहलाय, भरत भू  शत शत वंदन ।।

केवरा यदु"मीरा "
राजिम
[05/02 8:33 PM] रवि रश्मि अनुभूति: 9920796787****रवि रश्मि 'अनुभूति '

  🙏🙏

79 ) सहना
************
सहना न अन्याय कभी , करना तुम प्रतिकार ।
मानो कभी न बात को , भाग्य का आधार ।।
भाग्य का आधार , इसे बदलना अभी  है ।
कुरीति हो अमान्य , दिशा बदलती तभी है ।।
करना हरदम न्याय , यही हमको है कहना ।
सच्ची ही हो नीति , सदा सही न्याय सहना ।।
%%%%%%


80 ) वंदन
***********
वंदन कर माँ शारदे , माँगें हम वरदान ।
इतना करना काम ही , दे दो विद्या दान ।।
दे दो विद्या दान , सुनो मातु विनय करते ।
तेरे चरणों लोट , कहें माँ दम हम भरते ।।
आशीष मिले साथ , बना दो जग यह नंदन ।
खुशियाँ माँगें आज , करें माँ शारद वंदन ।।
&&&&&&&&

(C) रवि रश्मि 'अनुभूति '
5.2.2020 , 7:50 पीएम पर रचित ।
####################

●●
🙏🙏समीक्षार्थ व संशोधनार्थ 🌹🌹
[05/02 8:33 PM] रामलखन शर्मा अंकित: जय माँ शारदे

कुंडलियाँ

85. सहना

सहना जिसको आ गया, जीवन का दुख दर्द।
इस दुनिया मे है वही, सचमुच सच्चा मर्द।
सचमुच सच्चा मर्द, नहीं जो घबराता है।
करता जो संघर्ष, विजयश्री वो पाता है।
कह अंकित कविराय, मान लो मेरा कहना।
जीवन के दुख दर्द, आप भी सीखो सहना।।

86. वंदन

वंदन प्रभु का कीजिये, करता वो उद्धार।
उससे करना चाहिए, हमको सच्चा प्यार।।
हमको सच्चा प्यार, वही देता है जीवन।
उसका ही उपहार, हमारा तन, मन, यौवन।।
कह अंकित कविराय,लगाकर उसके चंदन।
हाथ जोड़कर नित्य, कीजिये उसका वंदन।।

----- राम लखन शर्मा ग्वालियर
[05/02 8:34 PM] कन्हैया लाल श्रीवास: कलम की सुगंध छंद शाला........कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
★★★★★★★★★★★☆★★★★★                   
           *विषय........माना*
             विधा.........कुण्डलियाँ 
★★★★★★★★★★★★★★★★★
मानव जीवन है मिला,माना सब अधिकार।
भाव भक्ति के पाथ में,करता जग उपकार।
करता  जग  उपकार ,नेह मानुष का पाता।
मीठा  वाणी  बोल , सदा पावन मन भाता।
कहता कवि श्रीवास,बनो मत कभी न दानव।
रखना  सबका  मान,काज उत्तम कर मानव।
★★★★★★★★★★★★★★★★★                 
           *विषय........कहना*
             विधा.........कुण्डलियाँ 
★★★★★★★★★★★★★★★★★
कहना मित भाषी सदा,उत्तम रखो विचार।
वाणी  मीठा  भी  रहें , नेक रखो व्यवहार।
नेक  रखो  व्यवहार ,मंच है प्यारा आलम।
करो  नहीं तकरार,बना हो सबका सालम।
कहता कवि श्रीवास,साथ में हमको रहना।
होता जीवन खास,वचन सत का ही कहना।
★★★★★★★★★★★★★★★★★               
           *विषय........सहना*
             विधा.........कुण्डलियाँ 
★★★★★★★★★★★★★★★★★
सहना मत अपमान को,गलत किसी की बात।
स्वाभिमान पालन करो, कुछ  भी  हो हालात।
कुछ  भी हो हालात ,नेक  हो  अपना  कार्य।
रहता  अपना  मान , पाथ  मंगल  का  धार्य।
कहता कवि श्रीवास, सदा हो मिलकर रहना।
होता हर दिन खास , बड़ो  की  बातें  सहना।
★★★★★★★★★★★★★★★★★
           *विषय........वंदन*
             विधा.........कुण्डलियाँ 
★★★★★★★★★★★★★★★★★
वंदन चंदन भाल पर,भारत माँ की शान।
वीर शहादत देश पर,धरती माँ की आन।
धरती माँ की आन,लोक जग धारा बहता।
रखे  भारती लाज,आज हर भाषा कहता।
कहता कवि श्रीवास,बने वासी रघुनंदन।
रखे देश  का मान,करें सब भारत वंदन।
★★★★★★★★★★★★★★★★★
स्वलिखित
कन्हैया लाल श्रीवास
भाटापारा छ.ग.
जि.बलौदाबाजार भाटापारा
[05/02 8:45 PM] केवरा यदु मीरा: शतक वीर कुंडलिया छंद
3-2-2020

माना 81

माना मैं नारी सही, पर नहीं लाचार ।
छू रही आसमान को, अनपढ़ नहीं गँवार।
अनपढ़ नहीं गँवार, राह खुद चुनती जाती ।
हर क्षेत्रों में नाम, नहीं अब है घबराती ।
कहती मीरा आज, कदम तुम सदा बढाना ।
नारायणी है आज, जगत ने तुझको माना ।।

कहना 82

कहना मेरा मानलो, रखो मात पित साथ ।
चरणों में तीरथ समझ,सदा झुकाओ माथ ।
सदा झुकाओ माथ, कभी तुम दूर न करना ।
मात पिता भगवान, सदा सेवारत रहना ।।
बनना भरत समान,श्रवण बन सँग ही रहना।
मिलता आशीर्वाद, यही मीरा का
है कहना ।।

केवरा यदु"मीरा "
राजिम
[05/02 8:47 PM] अर्चना पाठक निरंतर: कलम की सुगंध
कुऩ्डलियाँ शतकवीर हेतु
दिनाँक-३०/०१/२०२०
कुण्डलियाँ
विषय
यादें
-----
यादें अपनी दे गया,वो बचपन भी खूब।
नटखट सी शैतानियाँ,खेलें चढ़ती धूप।।
खेलें चढ़ती धूप,सखा सपने में आये।
तड़पाये मन प्राण,कभी भी  लौट न पाये।।
करे निरंतर बात,बहुत तड़पाती नादें।
मीठा -मीठा साथ,शेष बचपन की यादें।।

छोटी

छोटी सी ये जिंदगी,रखना  इसे सँभाल।
जी सको सभी हाल में खुद को एेसा ढाल।।
खुद को एेसा ढाल,जटिल राहें हो सीधी।
मन में बाँधो गाँठ,आस रखना मत आधी।।
कहे निरंतर बात,पेट भरती है रोटी।
करे बड़ा वो काम,लगे दिखने में छोटी।।

अर्चना पाठक 'निरंतर'
[05/02 8:52 PM] सरोज दुबे: कलम की सुगंध शतकवीर हेतु
कुंडलियाँ -83
दिनांक -5-2-20

विषय -सहना
सहना अब तुम सीख लो, जीना हो आसान l
धीरज से कटता सदा, संकट सब लो जान l
संकट सब लो जान, धैर्य जिसमें है रहता l
होता वो बलवान, सदा मीठा ही कहता l
कहती सुनो सरोज, सहन करके तुम बहना
करना तुम मत क्रोध, सीख लो सब कुछ सहना l

कुंडलियाँ -84
दिनांक -5-2-20

विषय -वंदन

वंदन  जननी  का करो, लेलो  तुम वरदान l
 उनके पग में  सर  झुके, मिले  सदा सम्मानl
मिले सदा सम्मान,भ्रमित हो कर  मत रहना l
रखो डगर तुम साफ, आगे बढ़ना तुम नंदन l
रखना माँ की लाज, करो उनका तुम वंदन l

सरोज दुबे
रायपुर छत्तीसगढ़
🙏🙏🙏🙏
[05/02 8:57 PM] नीतू ठाकुर 'विदुषी': कलम की सुगंध छंदशाला
*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु*

दिनाँक- 5.2.2020
विषय- *सहना*

सहना भी अपराध है, सीखो मन प्रतिकार।
त्याग,तपस्या,प्रेम का, मौन नही आधार।।
मौन नही आधार, ह्रदय जो व्याकुल करता।
करे अधर्मी मौज , दंड शोषित है भरता।।
जानो तुम उद्देश्य, जगत में क्यों है रहना।
मिटा पाप उत्साह , बढ़ावा देता सहना।।

विषय-*वंदन*

वंदन है उस मातु को, सींचे तन नौ मास।
सब कुछ अर्पण जो करे, तोड़े कभी न आस।।
तोड़े कभी न आस , पास हरदम वो रहती।
सहती कष्ट अपार , किसी से कुछ कब कहती।।
माँ चरणों की धूल, शीश पर लागे चंदन।
मत भूलो उपकार,करो शत शत तुम वंदन।।

नीतू ठाकुर 'विदुषी'
[05/02 8:58 PM] गीतांजलि जी: कुण्डलिया शतकवीर

दिनांक ०५/०२/२०

८३) सहना

सहना है विरहा सखी, गये पिया वनवास।
चौदह सावन काटने, रख कर मन में आस॥
रख कर मन में आस, नहीं पल भर है रोना।
चलना सत की राह, नहीं धीरज है खोना॥
दे सुख तप अलि, अंत, यही संतों का कहना।
रहना मन को थाम, मुझे है विरहा सहना॥

८४) वंदन

वंदन करती वन सिया, अर्चे चरण सरोज।
लौटें पति देवर कुशल, गए जो मृग की खोज॥
गए जो मृग की खोज, बली हठ मेरा सुन कर।
काँधे धनु को धार, उठा शर तीखे चुन कर॥
हे अम्बे, जग मात, लगा तव पद शुचि चंदन।
माँगूँ शुभ वरदान, करूँ जननी मैं वंदन॥

गीतांजलि ‘अनकही’
[05/02 9:09 PM] शिवकुमारी शिवहरे: Date: 05 Feb 2020

Note:
कहना

कहना माना राम ने, भेज दिया वनवास।
चौदह वर्ष वन मे रहे,मिला बहुत है त्रास।
मिला बहुत है त्रास,साथ गये लक्ष्मन भ्राता।
दुख पाये अपार,  वन मे जानकी माता।
वन जाऊँगी साथ ,सदा राम संग  रहना।
भेज दिया वनवास,राम ने माना कहना।

शिवकुमारी  शिवहरे




Date: 05 Feb 2020

Note:
माना

माना ईश्वर को सदा, करते  भव से पार।
निशदिन  मै पूजा कँरू, जीवन को दे तार।
जीवन को दे तार, जीवन बन जाये चंदन
 प्रभु होते आधार,  कँरू मै प्रभु का वंदन।
करी प्रभु से प्रीत, हमेशा अपना है जाना।
करते भव से पार ,सदा ईश्वर को माना।

शिवकुमारी शिवहरे
[05/02 9:40 PM] सुशीला जोशी मुज़्ज़फर नगर: *कलम की सुगंध कुंडलियाँ प्रतियोगिता 2019-2020*

 83--- *सहना*
कहना मेरा मान कर , चलो नेक तुम राह ।
साधो पर उपकार को ,मिटती सभी कराह ।
मिटती सभी कराह , पार भवसागर गहरा ।
कटे पाप के शाप , रहे न दुख का पहरा ।
करो खूब उपकार , पड़े जो दुख भी सहना ।
*रखना* आत्मा शुद्ध , यही है मेरा कहना ।।

84-- *वन्दन*
वन्दन कर भगवान का , जिनसे ये संसार ।
खाने को सबकुछ दिया , रहने को घर बार ।
रहने को घर बार , दान दी मानव काया ।
रच करके संसार , *दिखाई*  अपनी माया ।
 दुख में धर ले धीर , करो मत  पीड़ा क्रंदन ।
जिनसे है संसार , करो  बस उसका वन्दन ।।

सुशीला जोशी
मुजफ्फरनगर