ओढ़े घूँघट लाज का, कर सोलह श्रंगार।
पिया मिलन को है चली, एक सुहागन नार।।
खूब निखारा रूप को, और सँवारे केश।
सेंदुर भरके माँग मे, धरे दुल्हन का वेश।।
नैन नशीले दो सखी, है कजरे की धार।
पिया मिलन........
रचा *मेंहदी* हाथ में, लिख प्रियतम का नाम।
खनकें कंगन चूड़ियाँ, सजनी आठों याम।।
पाँव *महावर* है लगा, पायल की झनकार।
पिया मिलन को.......
कटि में करधन बाँध के, चले निराली चाल।
जूड़ा, गजरा, नौलखा, नाक नथनियाँ, डाल।।
होठों में लाली लगी, बिंदिया पे बलिहार।
पिया मिलन को......
नाम- पुष्पा गुप्ता *प्रांजलि*
पता- कटनी (म.प्र.)
बहुत खूबसूरत रचना 👌👌👌बधाई हो 💐💐💐
ReplyDeleteअति सुंदर रचना आ..👌👌💐💐💐
ReplyDelete