*आई दीवाली*
आई दीवाली मिल कर दीप जलाएँ,
घर आँगन का कोना कोना महकाएँ।
प्रथम पुज्य श्रीगणेश जी को करें वदंन,
अक्षय फल प्राप्त अर्जित करें जन जन।
खोया बुद्धि विवेक मिले पूजें हंसवाहिनी,
माता लक्ष्मी विराजे सदा वैभव प्रदायिनी।
अविनाशी फल दें घर धन धान्य भराएँ,
आई दीवाली मिल कर दीप जलाएँ....
जात पात भेद न हो करें हंसी व ठिठोली,
घर आँगन सजे सुन्दर-सुन्दर रंग रंगोली।
खिल बतासे बाँट-बाँट खायें पेड़ा मिठाई,
नूतनवस्त्र धारण करें फूलझड़ी लेअंगड़ाई।
सपरिवार मिल कर दीपावली संग मनाएँ।
आई दीवाली मिल कर दीप जलाएँ.....
सबके मन में उपजे ज्ञान और प्रकाश,
माँ की गुण गायें मिले हर्ष और उल्लास।
ऊँच नीच का भेद भाव हम सब भुलाएँ,
जीवन की बगिया में रोशनी हम फैलाएँ।
हर्षित मन होआरती की थाल सजाएँ।
आई दीवाली मिल कर दीप जलाएँ....
मिट्टी की सौंधी-सौंधी खुशबू से तन-मन,
रिझ उठे हैं दीपों की ललकती लौ मगन।
दीपों की मालाओं से दुल्हन सी सजी धरा,
सर में ताज पहने अम्बर दिखे तारों से भरा।
आशाओं की ज्योति से नव प्रकाश फैलाएँ,
आई दीवाली मिल कर दीप जलाएँ......
सर्वहित के लिए हम आज एक संकल्प लें,
वादा खुद करें क्रोधअनल लालच छोड़ दें।
सदा रहे महान दीपावली पर्व इस जहान में,
फूलों सी बगिया सजी रहे सदा जीवन में।
निष्ठा पूर्वक गृह रोशनी की अवली सजाएँ
आई दीवाली मिल कर दीप जलाएँ.....
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*सुशीला साहू* *शीला*
*रायगढ़* *(छत्तीसगढ़)*
बहुत खूबसूरत रचना....बहुत बहुत बधाई इस शानदार सृजन की 💐💐💐💐💐
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