Monday, 21 October 2019

षोडषाक्षरावृत्ति चामर छंद....धनेश्वरी देवांगन " धरा "

 
*विध------षोडषाक्षरावृत्ति  चामर छंद*
*विषय---- ---शरद पूर्णिमा*


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बयार मंद शुभ्र चाँद चाँदनी धुली धुली ।
सुहावनी छटा बिखेरती निशा खिली खिली ।।

खिले उमंग दूधिया धरा तले पड़े सुधा ।
चकोर ताकता अधीर हो चला बुझे क्षुधा ।।

कहीं नदी कगार जो प्रिया पिया निहारती ।
उजास रेशमी भरी विभावरी पुकारती ।।

प्रभास चंद्र की सुदूर अभ्र में बिछी हुई ।
मही खिली अभी पराग पुंज सी सजी हुई ।।

कहे सखी मनोहरा समीर शीत मोहता ।
पवित्र ताल आरसी बने मृगांक सोहता ।।

अनंत लाभ हो प्रसाद खीर से बने सुधी  ।
खुशी प्रदान चंचला करें "धरा" रहे सुखी ।।
  

*धनेश्वरी देवांगन "धरा"*
*रायगढ़ ,छत्तीसगढ़*
@kalam ki sugandh

1 comment:

  1. सुंदर रचना ....बधाई 💐💐💐

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