विधा - आल्हा छंद ,मात्रिक ,(16,15) ,
पदांत - 2 1
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*रचना*
.आज दशहरा पावन आया ,
दंशहरन का है त्योहार ।
बैर भाव को दूर भगाएँ ,
खुशियाँ तब ही मिले अपार ।।
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सुनो दशहरा पावन गाथा ,
समुद्र मंथन हुआ अपार ।
तभी गरल बाहर है आया ,
शिव ने कण्ठ लिया है धार ।
दंशहरन(विष का हरण)कर धरा बचाया ,
यही दशहरा का है सार ।
आज दशहरा पावन आया ,
दंशहरन का है त्योहार ।।
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अति बलशाली योद्धा रावण ,
अहंकार वश सुध बिसराय ।
सीता माता हरकर लाया ,
रावण कुल का नाश कराय ।
पतिव्रता को बंधक रखकर ,
देता अतुलित कष्ट अपार ।
आज दशहरा पावन आया ,
दंशहरन का है त्योहार ।।
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नवदिन देवी सेवा करके ,
शक्ति अतुलित पा रहे राम ।
माँ सीता को चले बचाने ,
हुआ भयंकर तब संग्राम ।
अहंकार का अंत हुआ फिर ,
जीता धर्म अधर्मी हार ।
आज दशहरा पावन आया ,
दंशहरन का है त्योहार ।।
***
सीता माता मुक्त हो गई ,
खुशियाँ छाई धरा अपार ।
हम भी यह संकल्प उठाएँ ,
बुरे कर्म को देंगे मार ।
वही दशहरा सच्चा होगा ,
तभी मिटे धरती से भार ।
आज दशहरा पावन आया ,
दंशहरन का है त्योहार ।।
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✍️इन्द्राणी साहू "साँची"✍️
भाटापारा (छत्तीसगढ़)
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सुंदर रचना 👌👌👌 ढेर सारी शुभकामाएं 💐💐💐
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