Monday, 14 October 2019

आल्हा छंद "दशहरा'...इन्द्राणी साहू " साँची"

विधा - आल्हा छंद ,मात्रिक ,(16,15) ,
          पदांत - 2 1       
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*रचना*
.आज दशहरा पावन आया ,
      दंशहरन का है त्योहार ।
बैर भाव को दूर भगाएँ ,
    खुशियाँ तब ही मिले अपार ।।
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सुनो दशहरा पावन गाथा ,
       समुद्र मंथन हुआ अपार ।
तभी गरल बाहर है आया ,
      शिव ने कण्ठ लिया है धार ।
दंशहरन(विष का हरण)कर धरा बचाया ,
         यही दशहरा का है सार ।
आज दशहरा पावन आया ,
            दंशहरन का है त्योहार ।।
***
अति बलशाली योद्धा रावण ,
        अहंकार वश सुध बिसराय ।
सीता माता हरकर लाया ,
        रावण कुल का नाश कराय ।
पतिव्रता को बंधक रखकर ,
        देता अतुलित कष्ट अपार ।
आज दशहरा पावन आया ,
          दंशहरन का है त्योहार ।।
***
नवदिन देवी सेवा करके ,
      शक्ति अतुलित पा रहे राम ।
माँ सीता को चले बचाने ,
        हुआ भयंकर तब संग्राम ।
अहंकार का अंत हुआ फिर ,
          जीता धर्म अधर्मी  हार ।
आज दशहरा पावन आया ,
         दंशहरन का है त्योहार ।।
***
सीता माता मुक्त हो गई ,
       खुशियाँ छाई धरा अपार ।
हम भी यह संकल्प उठाएँ ,
       बुरे कर्म को देंगे मार ।
वही दशहरा सच्चा होगा ,
       तभी मिटे धरती से भार ।
आज दशहरा पावन आया ,
        दंशहरन का है त्योहार ।।
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✍️इन्द्राणी साहू "साँची"✍️
   भाटापारा (छत्तीसगढ़)
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1 comment:

  1. सुंदर रचना 👌👌👌 ढेर सारी शुभकामाएं 💐💐💐

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