[26/12 6:04 PM] अटल राम चतुर्वेदी, मथुरा: 26.12.2019
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19- बहना
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बहना खुश रहना सदा,
पास रहे या दूर।
तुझको जीवन में मिलें।
सब खुशियाँ भरपूर।
सब खुशियाँ भरपूर,
घड़ी दुख की न आये।
आये भी जो कभी,
न विचलित तू हो पाये।
"अटल" तुझे आशीष,
सदा मुस्काती रहना।
रखना राखी याद,
दौज भाई की, बहना।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏
20- सखियाँ
********
सखियाँ घेरे खड़ी हैं,
पूछ रहीं सब हाल।
गोरी के भी हो रहे,
गाल शरम से लाल।
गाल शरम से लाल,
बात छिपती न छिपाए।
असमंजस में पड़ी,
कहो क्या, किसे बताए ?
"अटल" खड़ी चुपचाप,
राज खोलें दो अँखियाँ।
होंगी जब ससुराल,
समझ जायेंगी सखियाँ।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏
[26/12 6:06 PM] बोधन राम विनायक: *कलम की सुगन्ध छंदशाला*
कुण्डलियाँ-शतकवीर सम्मान हेतु-
दिनाँक - 26.12.19
(19)बहना
बहना मेरी है भली,सबका करती ख्याल।
पापा जी की लाडली,अम्मा पूछे हाल।।
अम्मा पूछे हाल, स्नेह है सबको देती।
करती चिंता दूर,सभी दुखड़ा हर लेती।।
कहे विनायक राज,यही हर घर की गहना।
सुख-दुख में है साथ,हमारी प्यारी बहना।।
(20)सखियाँ
आना सखियाँ बाग में, खेलेंगे कुछ खेल।
इसी बहाने साथ में, हो जाते हैं मेल।।
हो जाते हैं मेल, सभी खेले अटखेली।
अमराई की छाँव, नाचती ये अलबेली।।
कहे विनायक राज,बाग की ये फुलझड़ियाँ।
मिलकर करते शोर,मजे में प्यारी सखियाँ।।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
बोधन राम निषादराज"विनायक"
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)
[26/12 6:09 PM] बाबूलाल शर्मा बौहरा: 👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀
~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
. *कलम की सुगंध छंदशाला*
. कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
दिनांक - 26.12.19
. 🦚🤷🏻♀🦚
कुण्डलियाँ (1)
विषय- *बहना*
बंधन रिश्तों के निभे, रीत प्रीत अरमान।
प्यारी बहना चंद्र की, भारत भूमि महान।
भारत भूमि महान, गंग नद यमुना बहना।
बहना गंध समीर, भाव बहना कवि गहना।
कहे लाल कविराय,न बहना काजल चंदन।
पावन प्रीत प्रतीक, रक्ष बहना शुभ बंधन।
. 🦚🤷🏻♀🦚
कुण्डलियाँ (2)
विषय- *सखियाँ*
सखियाँ दुखिया हो रही, सहती कृष्ण वियोग।
उद्धव भँवरा बन रहा, ज्ञान बाँटता योग।
ज्ञान बाँटता योग, पन्थ निर्गुण समझाए।
सुनकर गोपी ज्ञान, भ्रमर का हृदय लुभाए।
शर्मा बाबू लाल, देख अलि झरती अँखियाँ।
हारा उद्धव ज्ञान, प्रेम पथ जीती सखियाँ।
. 🦚🤷🏻♀🦚
रचनाकार ✍©
बाबू लाल शर्मा,बौहरा
सिकंदरा,दौसा,राजस्थान
👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀
[26/12 6:22 PM] नवनीत चौधरी विदेह: *शतकवीर सम्मान हेतु कुंडलिया*
*दिनांक:-२६/१२/२०१९*
*दिवस:-गुरुवार*
*आज की कुंडलिया*
*विषय:-बहना*
*१८*
बहना भैया-दूज पर, आई थी इस बार |
भैया का मन खिल उठा,मना खूब त्यौहार |
मना खूब त्यौहार, खुशी का मौका आया |
मन में उठी तरंग, हृदय भी था हर्षाया |
कह विदेह नवनीत, लादकर आई गहना |
भैया को कर लाड़, चूमकर हँसती बहना ||
*विषय:-सखियाँ*
*१९*
सावन के झूले पड़े, सखियाँ गातीं गीत |
प्राणों को प्यारा लगे, मनभावन संगीत |
मनभावन संगीत, खुशी का मौसम आया |
पड़ने लगी फुहार, वधू का मन हर्षाया |
कह विदेह नवनीत, घटा घिर देख सुहावन |
सखियाँ गाएँ मल्हार, अरे लो आया सावन ||
*नवनीत चौधरी विदेह*
*किच्छा ऊधम सिंह नगर*
*उत्तराखंड*
[26/12 6:31 PM] डॉ मीना कौशल: बहना
बहना पीहर आ गयी,ले करके सौगात।
खुशियाँ छाई भ्रात घर,हुई पुरानी बात।।
हुई पुरानी बात,वही बचपन की प्यारी।
बच्चे सुने निहाल,मची आँगन किलकारी।।
झूम रहा परिवार,हर्ष का अब क्या कहना।
मना रहा त्यौहार,आज घर आई बहना।।
सखियाँ
सखियाँ सारी मिल करें,हँसकर सारी बात।
बातों में मिसरी घुली,मनमोहक सौगात।।
मनमोहक सौगात,मिली बचपन की संगत।
करती हैं जेवनार,बैठकर सबही पंगत।।
बड़े दिनों पश्चात,करे बचपन की बतियाँ।
करें प्यार मनुहार,मिली हैं सारी सखियाँ।।
डा.मीना कौशल
[26/12 6:34 PM] अनुराधा चौहाण मुम्बई: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*दिनाँक--26/12/19*
*विधा--कुण्डलियाँ*
(19)
*बहना*
बहना अपने भ्रात से,माँगे ऐसा दान।
नारी के सम्मान का,रखना होगा मान।
रखना होगा मान,सदा देवी सम पूजा।
उसकी हो पहचान,नहीं कुछ माँगू दूजा।
कहती अनु सुन भ्रात,यही है मेरा कहना।
नारी की रख लाज,यही बस माँगे बहना ।
(20)
सखियाँ सुमन सुगंध सी,सुंदर सरल स्वभाव।
कोमल काया की कली,करुणा के ले भाव।
करुणा के ले भाव,सखी की समझे पीड़ा।
करती दूर विषाद,उठाती सुख का बीड़ा।
कहती अनु यह देख, खुशी से भीगी अखियाँ।
देती दुख में साथ,भली होती हैं सखियाँ।
*अनुराधा चौहान*
[26/12 6:37 PM] रजनी रामदेव: शतकवीर प्रतियोगिता हेतु
26/12/2019:: वीरवार
बहना
बहना मन ये कह रहा, आजा मेरे वीर।
तू सरहद पर है खड़ा, मैं हूँ यहाँ अधीर।।
मैं हूँ यहाँ अधीर, ब्याह की पावन बेला।
सब हैं मेरे साथ, किंतु ये हृदय अकेला।।
दर पर है बारात, वहाँ व्याकुल मत रहना।
बदतर हैं हालात, समझती तेरी बहना।।
सखियाँ
सावन के झूले पड़े, आम्र वृक्ष की डाल।
सखियाँ मिलजुल झूलतीं, करतीं चुहल कमाल।।
करतीं चुहल कमाल, करें बातें साजन की।
हिया लिए अनुराग, बतातीं अपने मन की।।
रिमझिम गिरे फ़ुहार, लगे कितनी मनभावन।
दूरी उनकी आज , खल रही पलपल सावन।।
रजनी रामदेव
न्यू दिल्ली
[26/12 6:38 PM] प्रमिला पाण्डेय: कलम की सुगंध प्रतियोगिता
दिन-गुरुवार/26-12-19
(1)बहना
जंगल में ठहरीं सिया, प्रभु बोले मुस्काय।
इहाँ वहाँ निश्चर फिरै, सुनो सिया चित लाय।
सुनो सिया चित लाय, निशाचर हैं बहुरूपा।
रुप लिए विकराल, डरावैं छुप- छुप कूपा।
3 कह प्रमिला कविराय, बहन गाती है मंगल।
कभी लखन की ओर , कभी जाती है जंगल।।
(2)सखियाँ
गौरा पूजन को चलीं, सिया सखिन के संग।
सखियाँ मंगल गा रहीं, हिय में भरे उमंग।।
हिय में भरे उमंग, देखि छवि नयन जुड़ाने।
हो सीता संग व्याह, लगे पुर आने जाने।।
कह प्रमिला कविराय ,शीश धरि मंदिर चौरा।
बार-बार वर मांग , रहीं वर दे मां गौरा।।
प्रमिला पाण्डेय
कानपुर
[26/12 6:41 PM] अनंत पुरोहित: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु*
*दिन गुरूवार 26.12.2019*
*19) बहना*
बहना बड़भागी बहुत, पाया पति पितु प्यार
भाती भगिनी भ्रात भी, माँ माने मनुहार
माँ माने मनुहार, होय हठ हठिनी हठिली
भावज को भी भाय, ननद नटखट नखरीली
कह अनंत कविराय, कूकती कथनी कहना
कुंदन कंचन काय, केश कालिंदी बहना
*20) सखियाँ*
सखियाँ मुख मोती झरे, कूजे कोयल क्रोंच
गलियाँ गायन गूँजता, चहचह चिड़िया चोंच
चहचह चिड़िया चोंच, खगेंद्र खग खिलखिलाते
सखियाँ सम खद्योत, जगत मध्य झिलमिलाते
कह अनंत कविराय, कल्प की कल्पित कलियाँ
सखियों से संसार, खास होती हैं सखियाँ
*रचनाकार*
अनंत पुरोहित 'अनंत'
सादर समीक्षार्थ
[26/12 6:48 PM] प्रतिभा प्रसाद: *कुंडलियाँ*
विषय ---- *बहना , सखियाँ*
दिनांक ---- 26.12.19..
(019) *बहना*
भाई बहन साथ रहें , रहता घर गुलजार ।
शरारत कर बड़े हुए , कर सुंदर व्यवहार ।
कर सुंदर व्यवहार , बहन ने राखी बाँधी ।
बाँधी धागा नेह , सुता आबादी आधी ।
कह कुमकुम करजोरि , रखना ध्यान माई ।
परिवार रहे सुंदर , कहेगी बहना भाई ।।
(020) *सखियाँ*
सखियाँ जीवन में कहें , आँख मिचौली खेल ।
खिलखिलात आंगन लगे , नहीं कभी गम मेल ।
नहीं कभी गम मेल , कहती रहेगी गोरी ।
करो नहीं आघात , सुनाना है बरजोरी ।
कह कुमकुम कविराय , प्रेम भर देती अखियाँ ।
लो जीवन का ज्ञान , दे जाती सदा सखियाँ ।।
🌹 *प्रतिभा प्रसाद कुमकुम*
दिनांक 26.12.19.....
__________________________________________
[26/12 6:49 PM] अनिता सुधीर: नमन मंच कलम की सुगंधशाला
शतक वीर हेतु कुंडलिया
26/12
बहना
बहना बाँधे नेह की ,पावन रेशम डोर।
तिलक सजाती शीश पर,भीगा मन का कोर।।
भीगा मन का कोर,तुम्हीं से सजता जीवन ।
देती जब आशीष, खिले भाई का उपवन ।।
है आशा की भोर,कष्ट नहीं कभी सहना।
इस जग में अनमोल,लाख में मेरी बहना।।
सखियाँ
सखियां मिलतीं जब सभी,जीवन में उल्लास।
बातें फूलों की करें ,सबमें है कुछ खास ।।
सबमें है कुछ खास,गीत खुशियों के गायें ।
करती हैं दुख दूर, सहारा वो बन जायें ।।
छेड़ सुरीली तान,बसें सब मेरी अखियाँ।
बना रहे ये प्यार ,दूर नहि जाओ सखियाँ।।
अनिता सुधीर
लखनऊ
[26/12 6:54 PM] डॉ मीता अग्रवाल: *कलम की सुगंध छंद शाला*
कुंडलियां शतकवीर हेतु सादर
26/12/19
*(19)बहना*
बहना भ्राता खींचते, एक दुजे के कान ।
यादें खट मीठी भरी, बालापन की शान।
बाला पन की शान,दिनों दिन बहुते बाढै ।
जनम मरण की नात,धीरता संग प्रगाढ़ै।
सुनो मधुर झंकार, दूज राखी का कहना।
तिलक ड़ोर कर भाल,देत है भ्राता बहना।
*(20)सखियाँ*
सखियाँ झूला झूलती,अमियाँ कदंब डार।
चहक चमकती चंचला,तडित दामिनी वार।
तड़ित दामिनी वार,छाय है घटा घनेरी।
मादकता बढ़ जाय,खिले है कनक कनेरी।
सावन मधुर सुहाय,झींगुरे झाँये रतियाँ।
हँसी ठिठोली खूब, करें मिलजुल के सखियाँ।
*मीता अग्रवाल मधुर रायपुर छत्तीसगढ़*
[26/12 7:01 PM] डा कमल वर्मा: कलम की सुगंध छंद शाला।
कुंडलियाँ शतक वीर के लिए 🙏🏻
कुंडलियाँ क्र19
1) बहना🌹
मेरी बहना आ तुझे, लूं गोदी में पाय।
चुप अब हो जा तू बता, करूँ मैं क्या उपाय।
करूँ मैं क्या उपाय,दूध कैसे मै लाऊँ।
फसें हुए सब हाय,विपत से जान बचाऊँ।
कमल हुआ बदहाल,हुई भूकंपी फेरी।
मृत पाये माँ बाप,रही रो बहना मेरी।
कुंडलियाँ क्र.20
2) सखियाँ। 🌹
सखियाँ सब घेरे खडी,दुल्हे को बिजराय।
दुल्हे के शैतान से,मित्र घेर कर आय।
मित्र घेर कर आय,रही हो बाचाबाची।
जूते लिए छुपाय,नेंग मांगें है साची।
कहे कमल बहलाय,कभी मिचकातें अखियाँ।
लड़के तो है ढीठ,हँसे दुल्हन की सखियाँ।
रचना कार_डॉ श्रीमती कमल वर्मा
[26/12 7:02 PM] धनेश्वरी देवाँगन 'धरा': *कुँडलिया*
*दिनांक ------23/12.19*
(13) *उपवन*
जीवन उपवन हो खिला , सुख के पल हैं फूल ।
मन मंदिर में भाव रख , चुभे नहीं दुख शूल।।
चुभे नहीं दुख शूल , बने जग सबसे न्यारा ।
रहे हृदय में प्रेम , हर्षमय बहती धारा ।।
रखे धरा यह आस , लगे जग मधुरिम मधुबन
रख उर मैत्री भाव ,होय फिर सुन्दर जीवन।।
(14) *जीवन*
रचना जीवन लोक की , अद्भुत अप्रतिम होय।
हर क्षण सुख बेला नहीं , क्यों इस क्षण को खोय ।।
क्यों इस क्षण को खोय ,चिंता कल की हम छोडें।
जी लें जीवन आज , समय की धारा मोड़ें ।।
कहे धरा कर जोड़ , बैर से हमको बचना ।
मिला हमें वरदान ,ईश की सुंदर रचना ।।
*धनेश्वरी देवांगन "धरा"*
*रायगढ़, छत्तीसगढ़*
[26/12 7:03 PM] धनेश्वरी देवाँगन 'धरा': *कुँडलिया शतक वीर हेतु*
*दिनांक ----24/12/19*
(15 ) *कविता*
कविता मन की भावना , बहे पयो सी धार ।
शुद्ध चित्त अनुभूति सम , निश्छल रखे विचार ।।
निश्छल रखे विचार , हृदय हो पावन निर्मल ।
बनता रसमय छंद , काव्य की धारा चंचल।।
कहे धरा ये बात , सृजन की कलकल सरिता ।
बहती रहे अबाध , बने ये जीवन कविता ।।
(16) *ममता*
छाया सुख की होय माँ , आँचल तले दुलार ।
ममता धागा बाँध के , देती जीवन तार ।।
देती जीवन तार , जगत से माँ है न्यारी ।
ममता माँ का मर्म, होय जो सब पर भारी।।
करती धरा गुहार , मातु से जीवन पाया ।
समझो माँ की पीर , मिले हरपल माँ छाया ।।
*धनेश्वरी देवांगन "धरा"*
*रायगढ़, छत्तीसगढ़*
[26/12 7:04 PM] कृष्ण मोहन निगम: दिनांक 26 दिसंबर 2019
कलम की सुगंध छंद शाला
कुंडलिया शतक वीर प्रतियोगिता
19-- *बहन*
माँ की प्रति छाया बनी, रखती सबका ध्यान ।
किसको कब क्या चाहिए, बहन रखे अनुमान।।
बहन रखे अनुमान , कड़ा अनुशासन पाले ।
सबको दे सुख पुष्प , स्वयं ले लेती छाले ।।
"निगम" पदज- शिख त्याग , प्रेम ममता की झाँकी ।
बहन दुलारी बनी , पिता, भैया अरु माँ की ।।
20-- *सखियाँ*
सखियाँ- सखियाँ जब मिलें ,खिलें खुशी के फूल।
सब जग की चर्चा करें , अपनी जाएँ भूल ।।
अपनी जाएँ भूल , उन्हें बस चिंता इतनी ।
नई पड़ोसन पास , अरी हैं साड़ी कितनी ।।
"निगम" सभी मत एक , उधेड़ें सब की बखियाँ ।
अति रोचक संवाद, करें मिल जुल कर सखियाँ ।।
कलम से
कृष्ण मोहन निगम (सीतापुर)
[26/12 7:15 PM] मीना भट्ट जबलपुर: बहना
प्यारी हमारी बहना,करती हमको प्यार।
तिलक लगा माथ पर वो ,पाती सदा दुलार।।
पाती सदा दुलार ,करे जीवन उजियारा।
करती अनुपम प्रीत,बहाती अमरित धारा।।
कह मीना कविराय ,बहन होती है न्यारी।
मंगल की पहचान, हमारी बहना प्यारी।।
सखियाँ
सखियाँ संग राधे हैं ,मोहन हैं चितचोर।
फोडी दी है गगरिया,मच रहा देख शोर।।
मच रहा देख शोर ,साथ आये हैं ग्वाले।
रोक रहे हैं राह,लगें दिल के वो काले।।
कह मीना कविराय ,रोवत हैं सब की अँखियाँ।
ताने मिलत हजार,उदास रहें सब सखियाँ।।
मीना भट्ट
[26/12 7:21 PM] वंदना सोलंकी: संशोधित व पुनः प्रेषित
*सखियां*
सखियाँ सालों में मिलीं,गलबहियां दीं डाल।
बिहँस बिहँस कर पूछतीं,इक दूजे का हाल।
इक दूजे का हाल,,कि वे सब हैं हमजोली।
वनिता,ललिता नाम,इकट्ठी सब ही हो लीं।
सुन वन्दू के राज,सजल हैं सबकी अखियाँ।
दिल है भावविभोर,विदा जब लेती सखियाँ ।।
*वंदना सोलंकी*
[26/12 7:44 PM] राधा तिवारी खटीमा: कलम की सुगंध छंदशाला
कुंडलियाँ शतकवीर हेतु
दिनांक -26/12/19
बहना(19)
बहना भाई साथ में, खेल रहे हैं खेल।
बिगड़े कोई बात पे, करते हैं फिर मेल।।
करते हैं फिर मेल, कभी हँसते गाते हैं।
जाना हो जब दूर, सदा ही सँग जाते हैं ।
कह राधेगोपाल, सदा मिलकर के रहना।
खेलो सबके साथ, सदा तुम भाई बहना।
सखियाँ (20)
सखियाँ सारी खेलती, हैं राधा के साथ।
पनघट पर सब जा रहीं, पकड़ पकड़ के हाथ।।
पकड़ पकड़ के हाथ, करें सब जोरा जोरी।
हँसकर करतीं बात, सुने सब राधा गोरी।
कह राधेगोपाल, मटकती कैसे अखियाँ।
राधा के तो साथ, हमेशा खेले सखियाँ।
राधा तिवारी "राधेगोपाल"
खटीमा
उधम सिंह नगर
उत्तराखंड
[26/12 7:55 PM] संतोष कुमार प्रजापति: कलम की सुगंध छंदशाला
*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु*
दिनांक - 26/12/2019
कुण्डलिया (19)
विषय- बहना
==========
बहना बिन सूना सदन, सूने सब त्योहार I
बन्धु बहन से सीखता, नारी सँग व्यवहार ll
नारी सँग व्यवहार, प्रतिष्ठा क्या होती है ?
उर में हो आभास, बहन जब भी रोती है ll
कह 'माधव कविराय', हृदय दुख पड़ता सहना l
भाई को मर्याद, सिखाती उसकी बहना ll
कुण्डलिया (20)
विषय- सखियाँ
===========
सखियाँ गुरु क्रम तीसरी, देतीं अदभुत ज्ञान I
अ से ज्ञ तक हर विषय, हर पहलू पर ध्यान ll
हर पहलू पर ध्यान, नहीं वय अन्तर पड़ता l
रिश्तेदारी, गाँव, मदरसा, संघ उमड़ता ll
कह 'माधव कविराय', विदाई भीगें अखियाँ l
कहीं न उतना प्यार, निभाती जितना सखियाँ ll
रचनाकार का नाम-
सन्तोष कुमार प्रजापति 'माधव'
महोबा (उ.प्र.)
[26/12 7:58 PM] केवरा यदु मीरा: शतक वीर कुंडलिया छंद
26-12-19
बहना मेरी लाड़ली, आज चली ससुराल ।
नैनन में आँसू भरे, करती एक सवाल
करती एक सवाल,मात पित सेवा करना ।
पापा को संभाल, भ्रात यह दिल में धरना ।
रोती है गर मात, हंसकर इतना कहना ।
तुमसे मिलने हेतु, रहेगी आती बहना ।।
सखियाँ
सखियाँ झूला झूलती, गाती सुमधुर गीत ।
जिनके पिय परदेश है, कहती आ मन मीत ।
कहती आ मन मीत, पड़ गया सावन झूला ।
बरसे नैनन नीर, सजन तू कैसे भूला ।
कह मीरा कर जोड़, साजना अब घर आओ ।
बाँध प्रीत की ड़ोर,संग पिय हमें झुलाओ ।।
केवरा यदु "मीरा "
राजिम
[26/12 8 PM] गीता द्विवेदी: 🌷कलम की सुगंध छंदशाला🌷
कुंडलिया शतकवीर प्रतियोगिता हेतु
दिनांक-24-12-019
(15)
विषय-कविता
शीतल मंद बयार हो, हो पूनम की रात।
कविता कुछ रच डालिए, पुलकित होगा गात।।
पुलकित होगा गात, हृदय हर्षित अति भारी।
रसभीगे हों शब्द, विचारों की छवि न्यारी।।
भावहीन साहित्य ,लगे है जैसे पीतल।
सुन्दर भावना रंग, सृजन मनभावन शीतल।।
(16)
ममता
तारे गगन चमक रहे, देते हैं संदेश।
तुम भी चमको बालकों, अपने अपने देश।।
अपने अपने देश, करो जगत में उजाला।
ममता का सम्मान, तुम्हें है जिसने पाला।।
जागेंगे आशीष से, सोये भाग्य तुम
हारे।
बड़ी हमारी चाह, दिखें छोटे हम तारे।।
दिनांक-25-12-019
(17)
विषय-बाबुल
दुख के घेरे में रही, संकट भी घनघोर।
बाबुल का साया नहीं, बनी गरीबी चोर।।
बनी गरीबी चोर, मैंने हिम्मत न हारी।
माँ की दी सीख ने,नहीं बनने दी बेचारी।।
माता थी आधार, पिता थे प्रेरक मेरे।
निकली थी मैं तोड़, घिरे जो दुख के घेरे।।
(18)
विषय - भैया
चंदन का टीका लगा, दीपक दिया जलाय।
रेशम का आसन लगा, भैया को बैठाय।।
भैया को बैठाय, कलाई बाँधी डोरी।
दे दो अब आशीष, सुखी हो बहना तोरी।।
नाता अमर रहे, करूँ मैं ईश्वर वंदन।
संकट तुमसे दूर, विजय का माथे चंदन।।
सादर प्रस्तुत 🙏🙏
गीता द्विवेदी
[26/12 8:05 PM] कन्हैया लाल श्रीवास: कलम की सुगंध.......कुण्डलियाँ शतकवीर
7....विषय..............जीवन
विधा ..............कुंडली
***********************************
जीवन मानव का मिला,
दिया ईश उपहार।
कर्म पथ पर बढ़े रहो,
करो जगत उपकार।
करो जगत उपकार,
मिले सम्मान हमेशा।
सबसे करना प्यार,
खुशी करेगा बसेरा।
रहना मिलकर हमें,
बने कोई न दानव।
पावन संगति रखें,
मिला मानव का जीवन।
**********************************
स्वलिखित
कन्हैया लाल श्रीवास
भाटापारा छ. ग.
जि.बलौदाबाजार भाटापारा
[26/12 8:05 PM] कन्हैया लाल श्रीवास: कलम की सुगंध.......कुण्डलियाँ शतकवीर
8....विषय..............उपवन
विधा...............कुण्डलियाँ
★★★★★★★★★★★★★★★★
उपवन छाया पुष्प से,
धरती लगे सुहाय।
शीत धरा पर जब गिरे,
लगे पुष्प मनभाय।
लगे पुष्प मनभाय,
चढ़े सदैव प्रभु चरणन।
बना धन्य फिर पुष्प,
करे देवो को अरपण।
रंग बिरंगे फूल,
लगे खिलने अब बगियन।
सदा रहे भरपूर,
पुष्प से छाया उपवन।
★★★★★★
स्वलिखित
कन्हैया लाल श्रीवास
भाटापारा छ.ग.
जि.बलौदाबाजार भाटापारा
[26/12 8:05 PM] कन्हैया लाल श्रीवास: कलम की सुगंध.......कुण्डलियाँ शतकवीर
9....विषय................बाबुल
विधा ................कुण्डलियाँ
★★★★★★★★★★★★★★★★★
बाबुल बगियन में पली,
इक नन्ही सी फूल।
पीहर सींचें फूल को,
बनी सबकी बुलबुल।
बनी सबकी बुलबुल,
लगी चहकने दुवारी।
रखती घर की लाज,
सभी की बनती प्यारी।
लेकर घर की याद,
साथ प्रियतम घर उपवन।
रखती दो कुल मान,
पली बाबुल की बगियन।
★★★★★★★★★★★★★★★★
स्वलिखित
कन्हैया लाल श्रीवास
भाटापारा छ. ग.
जि.बलौदाबाजार भाटापारा
[26/12 8:06 PM] सरोज दुबे: कलम की सुगंध शतकवीर हेतु
कुण्डलियाँ -20
दिनांक -26-12-19
विषय -बहना
बहना आवोगी सदा, मुझे बहुत तुम याद l
साथ बड़े हम मिल हुये, करते ढेरों बात l
करते ढेरों बात, रात भर जागा करते l
हो जाती थी भोर,माँ की डाट से डरते l
कहती सुनो सरोज, दूर तुमसे अब रहना l
सबका रखो खयाल,
सुनो तुम मेरी बहना
कुंडलियाँ -21
दिनांक -26-12-19
विषय -सखियाँ
मेरी सब सखियाँ गईं, चली गईं सब दूरl मिलना अब होता नहीं, होती बात जरूरl होती बात जरूर, याद बचपन की आतीl करते मस्ती खूब, सोच आँखे भर जाती l
कहती सुनो सरोज, राह देखती हूँ तेरी l
बना रहे ये प्यार, रहो यादों में मेरी l
सरोज दुबे
रायपुर छत्तीसगढ़
🙏🙏🙏🙏
[26/12 8:06 PM] सरला सिंह: *************************************
26.12.19
*कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुंडलियाँ शतकवीर हेतु*
*दिन - वीरवार*
*दिनांक-26/12/19*
*विषय: बहना*
*विधा कुण्डलियाँ*
*19-बहना*
बहना तुम डरना नहीं,बनो बहादुर वीर,
छोड़ो बनना तुम कली,रखो हाथ में तीर।
रखो हाथ में तीर, करें अब वार न कोई।
बीती सदियां आज,रही तू अब तक सोई।
कहती सरला आज,कभी अन्याय न सहना।
भाई का आशीष ,सदा सुखी रहे बहना।।
*डॉ सरला सिंह स्निग्धा*
*दिल्ली*
*कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुंडलियाँ शतकवीर हेतु*
*दिन - वीरवार*
*दिनांक-26/12/19*
*विषय: सखियां*
*विधा कुण्डलियाँ*
*20-सखियाँ*
डोलत बगियों में सखी, घूमें सखियां साथ।
झूलत है झूला कभी, लिए हाथ में हाथ।
लिए हाथ में हाथ,करें आपस में मस्ती।
गाती मिल के गीत, लगे मनभावन बस्ती।
सरला कहती बात,यहां सब मिलके बोलत।
सुन्दर लगती आज,सखी जब वन में डोलत।।
*डॉ सरला सिंह स्निग्धा*
*दिल्ली*
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[26/12 8:14 PM] कुसुम कोठारी: कुण्डलियाँ
26/12/19
19 बहना
बहना कहे उदास हो , छूटा अब परिवार ,
मां बाबा की लाडली , चली दूसरे द्वार ,
चली दूसरे द्वार , भरा नयनों में पानी ,
भ्राता कहे भर अंक , रहे तू बनके रानी ,
मैं तो तेरे साथ , मान तू मेरा कहना ,
यही जगत की रीत , खुशी से रह तू बहना ।
20 सखियाँ
सखियाँ सुख की खान है , मीठा मधु रस पान ,
हिलमिल हँसती खेलती , एक एक की प्राण ,
एक एक की प्राण , खुशी में झूमे नाचे
करे कुंज में केलि , हाथ सुरंग रँग राचे ,
कहे कुसुम ये बात ,रखो पुतली भर अखियाँ,
ये जीवन का सार , जगत में प्यारी सखियाँ। ।।
कुसुम कोठारी।
[26/12 8:18 PM] वंदना शर्मा: शतकवीर
कुण्डलिया
21/12/19
*9* आँचल
माँ का आँचल भी अजब,मिलता था सुख चैन।
दिन भर खुशियाँ बाँटता,नींद सुखारी रैन।
नींद सुखारी रैन, तनिक भी डर कब लागे।
विघ्नहरण का रूप,निशाचर डर कर भागे।
आँचल छतरी छाँह, चाँदनी भरे चन्द्रमा।
आज हुई भयभीत, ढाँप ले आँचल में माँ।
*10,कजरा*
गहरा कजरा डाल कर,नयन कटारी कोर।
जादू काला कर दिया,खींचे अपनी ओर।
खींचे अपनी ओर,जाल में बाँध सतावे।
कुटिल चतुर चितचोर, स्वयं को सरल बतावे।
कह वृन्दा निर्दयी, हृदय पर उसका पहरा।
करती नयन कटाक्ष ,डालकर कजरा गहरा।।
22/12/19
*११,चूड़ी*
रंग बिरंगी चूड़ियाँ, हाथों का श्रृंगार।
नथनी टीका करघनी,झुमका जगमग हार।
झुमका जगमग हार,पाँव में पायल बाजे।
कर सोलह श्रृंगार, चुनर में गोरी साजे।
ऐसा सुंदर रूप,मोड़ पर सजे कलँगी।
खनखन खनके हाथ,चूड़ियाँ रंग बिरंगी।
*12,झुमका*
बन्धन भूषण हैं सभी,कंगन झुमका हार।
परम्परा के नाम पर,बेड़ी पड़ें हजार।
बेड़ी पड़ें हजार,देहरी सीमा बाँधे।
घूँघट ही परिमाप,गुलामी तेरे काँधे।
नारी तू श्रधेय ,भावना तेरी चंदन।
सुरभित हृदय अनूप,सभी आभूषण बन्धन।
वन्दना शर्मा'वृन्दा
अजमेर
[26/12 8:30 PM] अभिलाषा चौहान: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु*
*(१९)विषय-बहना*
बहना बनकर बावरी,नाचे जैसे मोर।
भैया वर के रूप में,लगता नंदकिशोर।
लगता नंदकिशोर,चंद्र सा मुख है चमका।
पीत वसन हैं अंग, सूर्य ज्यों नभ पर दमका।
अधरों पर मुस्कान,शीश पगड़ी है पहना।
देती नजर उतार,लगाती काजल बहना।
(२०)विषय-सखियाँ
सखियाँ झूला झूलती, वृंदावन के बाग।
मनमंदिर में मीत का,बसा हुआ है राग।
बसा हुआ है *राग*, *राग* वे मधुर सुनाती।
*ऐसे छेड़ें तान,लगे बुलबुल हैं गाती।*
मदन करे श्रृंगार,देखती सबकी अखियाँ।
रति का लगती रूप,बाग में सारी सखियाँ।
राग-प्रेम,राग-लय, संगीत,गान
*रचनाकार-अभिलाषा चौहान*
[26/12 8:44 PM] विद्या भूषण मिश्र 'भूषण': *सादर समीक्षार्थ आदरणीय*
*शतकवीर सम्मान हेतु कुंडलिया*
*दिनांक:-२६/१२/२०१९*
*दिवस:-गुरुवार।*
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*१९--बहना*
~~~~~~~~~
भाई से बहना कहे, सुन लो मेरे बीर।
सुख - दुख में हम साथ हैं, होना नहीं अधीर।
होना नहीं अधीर, न छूटे साथ हमारा।
पावन परम पवित्र , सदा ये नाता प्यारा।
बढ़े हमेशा नेह, न होवे कभी लड़ाई।
खुशियाँ मिलें हजार, बहन के प्यारे भाई।।
~~~~~~~~~
*२०---सखियाँ--*
~~~~~~~~~~~~~~
सखियाँ आतीं याद जब, होता चित्त उदास।
कब पूरी होगी भला, पुनर्मिलन की आस।
पुनर्मिलन की आस, लिए उनसे बतियाती।
काम धाम सब छोड़, हाथ में फोन उठाती।
करते करते बात, अश्रु से भरतीं अँखियाँ।
सब कुछ जाती भूल, याद जब आतीं सखियाँ।।
~~~~~~~~~~~~
*---विद्या भूषण मिश्र "भूषण"--बलिया, उत्तरप्रदेश*
~~~~~~~~~~~~~~
[26/12 8:48 PM] इंद्राणी साहू साँची: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
दिनाँक - 26/12/19
कुण्डलिया (1)
विषय - बहन
**************
चितवन चंचल चन्द्र सी ,
चमक चाँदनी पाय ।
नन्ही नाजुक नटखटी ,
निर्मल नयन समाय ।
निर्मल नयन समाय ,
बहन है भोली भाली ।
पावन परिमल रूप ,
पुण्य पूजा की थाली ।
सुंदर सुमन समान ,
सुगन्धित है गृह उपवन ।
भ्राता का अभिमान ,
अनुपमा प्यारी चितवन ।।
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कुण्डलिया (2)
विषय - सखियाँ
****************
मिलती मुश्किल से बड़ी ,
सच्ची सखियाँ आज ।
संग सहे सुख दुख सभी ,
होवे जिस पर नाज ।
होवे जिस पर नाज ,
सगी बहना बन जाती ।
सहती संकट साथ ,
राह को सरल बनाती ।
मिले नेक हमदर्द ,
कली मन की तब खिलती ।
ऐसी कोई एक ,
सखी मुश्किल से मिलती ।।
*********************************
✍️इन्द्राणी साहू "साँची"✍️
भाटापारा (छत्तीसगढ़)
★★★★★★★★★★★★★★★★
[26/12 8:52 PM] सुशीला साहू रायगढ़: *शतकवीर हेतु मेरी कुडंलियाँ*
*विषय------बहना* 26/12/2019*
बहना की डोली सजे, दिखे सुन्दर वो आज ।
हाथ में मेंहदी लगे,करे अब तुम्हें साज।।
करें अब तुम्हें साज,गीत गाते अब सखियाँ।
बिछड़े आँगन आज,भरे कितने सिसकियाँ ।।
कह शीला निज बात,लाज रिश्तों का रखना।
मात पिता रख मान,चढ़े डोली अब बहना।।
*विषय------सखियाँ*
सखियाँ गगरी ले चली,पहन कंगन हाथ।
कंगन में नगीना जड़े , लगे मोतियन साथ।
लगे मोतियन साथ,देख दमके अलबेली।
राधा पकडे़ हाथ ,कहें अब सखी सहेली।
कर शीला निज बात,देख नैन अट खेलियाँ।
छुपन छुपाई करें ,यहीं तो झाँकत सखियाँ।।
*सुशीला साहू शीला*
*रायगढ़ छ.ग.*
[26/12 9:09 PM] कमल किशोर कमल: नमन
26.12.2019
कुंडलियाँ शतकवीर हेतु
19-
बहना
प्यारी बहना खुश रहे,यही चाहता भ्रात।
राजदुलारा मातु का,सियादुलारी तात।
सियादुलारी तात,फूलती ज्यों फुलवारी।
कोमल नाजुक बहुत,रूपसी है मनुहारी।
कहे कमल कविराज,बाग की अनुपम क्यारी।
भैया रखता ख्याल,उछलती बहना प्यारी।
20-
सखियाँ
सखियाँ अखियँन से करें,मन ही मन की बात।
समझ- समझ कर हँस रहीं,जान रहीं औकात।
जान रहीं औकात,चिढ़ातीं इठलातीं हैं।
शर्म हया को छोड़,कमरिया मटकातीं हैं।
कहे कमल कविराज,नेह की न्यारी बतियांँ।
मनभावन अंदाज,नचनियाँ अँखियाँ सखियाँ।
कवि-कमल किशोर "कमल"
हमीरपुर बुन्देलखण्ड।
[26/12 9:14 PM] पुष्पा विकास गुप्ता कटनी म. प्र: कलम की सुगंध छंदशाला
*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु*
दिनांक - 26.12.19
कुण्डलियाँ (19)
विषय- *बहना*
बहना को कब चाहिए, धन दौलत उपहार।
बाँधे बंधन नेह का, बना रहे यह प्यार।।
बना रहे यह प्यार, समय जो साथ बिताया।
कहे न ऐसी बात, मायका लगे पराया।।
आती है वह याद, रूठकर माँ से कहना।
बचपन की तकरार, नहीं यह मेरी बहना।।
कुण्डलियाँ (20)
विषय- *सखियाँ*
सखियाँ गौरी पूजती, माँग रही अहिवात।
रहे खनकती चूड़ियाँ, वर दो अंबे मात।।
वर दो अंबे मात, रहूँ मैं सदा सुहागन।
छूटे चाहे साँस, न छूटे पिय का आँगन।।
कह प्रांजलि सिर नाय, मातु अब खोलो अँखियाँ।
झोली भर आशीष, आज सब माँगे सखियाँ।।
रचनाकार का नाम- पुष्पा गुप्ता प्रांजलि
[26/12 9:30 PM] उमाकांत टैगोर: कलम की सुगंध छंदशाला
*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु*
दिनांक - 23/12/19
कुण्डलियाँ (13)
विषय- जीवन
जीवन में उत्साह हो, हो जीने की चाह।
बाधाएँ लाखों रहे, रोक सके मत राह ।।
रोक सके मत राह, सदा बढ़ते ही जायें।
सबके हित पर रोज , गीत मंगलमय गायें।।
हरदम बाँटे प्यार, झूम जाये मन आँगन।
करके नेकी काम, बीत जाये यह जीवन।।
कुण्डलियाँ (14)
विषय- उपवन
उपवन हो हर जिंदगी, खिले नित्य ही फूल।
खरपतवार उगे नहीं, उगे कभी मत शूल।।
उगे कभी मत शूल, नरम घासें उग आये।
जो भी जाये बैठ, मगन होकर मुस्काये।।
शीतल-ठंडी छाँव, लुभाये सबका ही मन।
फूलों की क्या बात, बने जीवन ही उपवन।।
*दिनाँक- 24/12/19*
कुण्डलियाँ (15)
विषय- कविता
जाना मैंने आज है, है जीवन का सार।
कविता मन का भाव है, है मन का उद्गार।।
है मन का उद्गार, बनावट इसमें मत हो।
लिखते जायें नित्य, सभी हम इसमें रत हो।।
कविता में है काव्य, यही आलाप तराना।
कुत्सित उसके भाग, नहीं जिसने यह जाना।।
कुण्डलियाँ (16)
विषय- ममता
हे माते ममतामयी, कर इतना उपकार।
सुख से भर दे राष्ट्र को, बहे प्रेम की धार।।
बहे प्रेम की धार, मातु! वंदन है तुमको।
दो ऐसा आशीष, ज्ञान से भर दो सबको।।
रहें सदा मजबूत, यहाँ सब रिश्ते-नाते।
रहें सभी खुशहाल, रहें मिलजुल हे माते।।
*रचनाकार- उमाकान्त टैगोर*
*कन्हाईबंद, जाँजगीर (छ.ग.)*
[26/12 9:31 PM] गीतांजलि जी: सादर समीक्षार्थ
कुण्डलिया शतकवीर
१३) जीवन
ज्वाला जीवन जब जले, जड़ जंगम जुग जाल।
जीता जँह जँह जीव जो, जोड़े जुट जंजाल।
जोड़े जुट जंजाल, जड़ जड़ जटिल जुगतियाँ।
जतन जलाएँ ज्योत, जंगल जुगनू जुगनियाँ।
जैसा जो जब जान, जगत जकड़े जन जाला।
जभी जुगत जग जीत, जले जोगी जी ज्वाला।
गीतांजलि ‘अनकही’
(१५) कविता
कविता कब कैसे कहूँ, कवि कर कहता क्रोध।
अक्षर अक्षर आँकते, शब्द शब्द शुचि शोध।
शब्द शब्द शुचि शोध, शिक्षक सर्व-शक्ति-शाली।
मात्रा मात्रा माप, ख़ामियाँ खोजें ख़ाली।
नियम निराले नित्य, सीख सूखे स्वर-सरिता।
भगे भव्य भल भाव, कहो करे कौन कविता।
गीतांजलि ‘अनकही’
[26/12 9:39 PM] रवि रश्मि अनुभूति: 9920796787****रवि रश्मि 'अनुभूति '
🙏🙏
कुण्डलिया छंद शतक वीर सम्मान , 2019 हेतु ।
🙏🙏
19 ) बहना
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बहना मैं कहती सुनो , रखो ज़रा तुम धीर ।
ज़ुल्मों को सहना नहीं , कभी रहो न अधीर ।।
कभी रहो न अधीर , समय का मूल्य जानो ।
जो भी हो जग में सुनो , ज़रा दुश्मन पहचानो ।
सुन लो मेरी बात , चलो मानो यह कहना ।
बन तू वीरांगना , कभी झुको नहीं बहना ।।
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20 ) सखियाँ
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सखियाँ बाहर हैं आज , सब अपने सुनातीं राग ।
मंदिर में पूजा करें , तीज के लिए वे जाग ।।
तीज के लिए वे जाग , सभी त्योहार मनातीं ।
मिल सखियाँ सब आज , झूल सभी हैं झुलातीं ।।
निभे साथ का साथ , सभी करती हैं बतियाँ ।
आज तीज त्योहार , हैं बाहर आज सखियाँ ।।
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(C) रवि रश्मि 'अनुभूति '
26.12.2019 , 8:19 पी.एम. पर रचित ।
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🙏🙏समीक्षार्थ व संशोधनार्थ 🌹🌹
[26/12 9:45 PM] वंदना सोलंकी: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुंडलियाँ शतकवीर हेतु*
26/12/2019-गुरुवार
19)
*बहना*
बहना अल्हड़ है मेरी,है चंचल भरपूर।
वाणी मीठी बोलती, मिश्री रस में चूर ।
मिश्री रस में चूर,शरारत दिन भर करती
बन जाती दीवार,कदापि नहीं वो डरती।
सुन वन्दू हिय भाव,यही है मेरा कहना।
कविता सी मृदु मुंज,बहे सरिता सी बहना।।
20)
*सखियाँ*
सखियाँ सालों में मिलीं,गलबहियां दीं डाल।
बिहँस बिहँस कर पूछतीं,इक दूजे का हाल।
इक दूजे का हाल,,कि वे सब हैं हमजोली।
वनिता,ललिता नाम,इकट्ठी सब ही हो लीं।
सुन वन्दू के राज,सजल हैं सबकी अखियाँ।
दिल है भावविभोर,विदा जब लेती सखियाँ ।।
*वंदना सोलंकी*
[26/12 9:48 PM] चमेली कुर्रे: कलम की सुगंध छंदशाला
*कुण्डलिया शतकवीर*
दिनांक- 26/12/19
कुण्डलियाँ- (18)
विषय - *बहना*
बहना है मेरी सखी, रहते है हम साथ।
हर गम मिलकर बाटती, चले पकड़ कर हाथ।।
चले पकड़ कर हाथ, हाथ ये विजय दिलाता ।
समझे कैसे भेद, भेद ये समय बनाता ।
सुवासिता सुन राग , राग मय हो कर रहना।।
करना मत ये भूल, भूल मत जाना बहना।।
हाथ- कर, दाव
भेद -रहस्य, मत भेद
राग - गायन राग, प्रेम
भूल- गलती, भूलना
कुण्डलिया-(20)
विषय- *सखियाँ*
सखियाँ मेरी स्वर्ण सी , मैं कुंदन का शोर ।
तारा माही संग में, आती घर की ओर। ।
आती घर की ओर, कहें चल खो खो खेले।
किठ किठ खेले आज, एक पल जीवन जी ले।।
सुवासिता मन सोच, चमक उठते मन अखियाँ।।
अच्छे थे वो वक्त, याद अब तक वो सखियाँ।।
🙏🙏🙏
✍चमेली कुर्रे 'सुवासिता'
जगदलपुर (छत्तीसगढ़)
शानदार कुण्डलिया 👌👌👌 सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई 💐💐💐💐
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