[18/12 6:07 PM] बोधन राम विनायक: *कलम की सुगंध छंदशाला*
कुण्डलियाँ- शतकवीर हेतु
18.12.19
(5) *पायल*
पायल की झनकार से,दिल होता बेचैन।
आँखों में सपने सजे,चैन नहीं दिन रैन।।
चैन नहीं दिन रैन,सताती उनकी यादें।
आती उसकी याद,किये जो उसने वादें।।
कहे विनायक राज,प्रीत से होते घायल।
छम-छम की आवाज,पाँव में बजती पायल।।
(6) *कंगन*
कंगन हाथों में सजे,रोली कुमकुम माथ।
नार-नवेली राधिका,मेंहदी सजे हैं हाथ।।
मेंहदी सजे हैं हाथ,बावरी भोली भाली।
सुन्दर सी है चाल,कृष्ण की है मतवाली।।
कहे विनायक राज,राधिका महके चंदन।
नृत्य करे बृजनार,बजाती चूड़ी कंगन।।
छंदकार-
बोधन राम निषादराज "विनायक"
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)
[18/12 6:11 PM] सरला सिंह: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुंडलियाँ शतकवीर हेतु*
*18/12/2019*
*दिन - बुधवार*
*विषय -पायल*
*विधा-कुंडलियां*
*5-पायल*
पायल पैरों में सखी, चली पहनकर आज,
माता हैं हर्षित भयी, करें सुता पर नाज़।
करें सुता पर नाज़, लगे मनभावन सूरत,
देवी दिखती आज, सुता जैसे हो मूरत।
कहती सरला बात,भयी माता है कायल।
हाथों कंगन साथ,बजे पैरों में पायल।।
*कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुंडलियाँ शतकवीर हेतु*
*18/12/2019*
*दिन - बुधवार*
*विषय - कंगन*
*विधा-कुंडलियां*
*6-कंगन*
सोहे कंगन हाथ में,लगे सुहाना आज,
माथे चमके बिंदिया,करे मातु है नाज।
करे मातु है नाज,सजी बेटी की डोली।
द्वारे वन्दनवार , बड़ी फबती रंगोली।
कहती सरला बात,छवी बेटी की मोहे।
रोये दिल में मात, नहीं कुछ उसको सोहे।।
*डॉ सरला सिंह स्निग्धा*
*दिल्ली*
[18/12 6:13 PM] तोषन: ●●●●●कलम की सुगंध छंदशाला●●●●●
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कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
★★★★★★★★★★★★★★★★
दिनांक - 18.12.19
★★★★★★★★★★★★★★★★
कुण्डलियाँ (5)
विषय-पायल
पायल छनके पाँव में,हुआ दिल कुर्बान।
लब पे कतरा ओस की,मुश्किल में है जान।।
मुश्किल में है जान,शोख नखरे मदमाती।
चलती हिया कटार,कभी जो लट बिखराती।।
रहता दिल बेचैन,किये जैसे हो घायल।
लगती है संगीत,पाँव की बजती पायल।।
★★★★★★★★★★★★★★★★
कुण्डलियाँ (6)
विषय-कंगन
खनके कंगन हाथ में,छेड़े सरगम साज।
उड़ना चाहे बावरा,मन बाँधे परवाज।।
मन बाँधे परवाज,फिरे है वन वन प्यासा।
सजनी को दें भेट ,बिसा के अच्छा खासा।।
पायल बजती पाँव,बोल है छनछन छनके।
प्रियतम के मन भाय,लगे जब कंगन खनके।।
★★★★★★★★★★★★★★★★
रचनाकार का नाम
तोषण कुमार चुरेन्द्र धनगंइहा
डौंडी लोहारा बालोद, छत्तीसगढ़
[18/12 6:15 PM] अनुराधा चौहाण मुम्बई: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु*
*दिनाँक--18/12/19*
(5)
*पायल*
छनकी पायल पाँव में,देखे छुपके मीत।
शरमाती दुलहन चली,सजना गाए गीत।
सजना गाए गीत,देख दुलहन भरमाती।
होंठों पे मुसकान,झुका नयना शरमाती।
कहती अनु यह देख,सखी की चूड़ी खनकी।
चलदी साजन साथ,छनक छन पायल छनकी।
(6)
*कंगन*
कंगन चूड़ी साथ में,छेड़े ऐसा राग।
आँगन में गोरी नचे,खेले साजन फाग।
खेले साजन फाग,चली देखो बलखाती।
रंगों की बरसात,सजन से नेह दिखाती।
देखा अनु ने आज,लगा खुशियों का ठुमका।
बाँधे घुँघरू नाच,सजे है कंगन झुमका।
*अनुराधा चौहान*
[18/12 6:28 PM] सरोज दुबे: कलम की सुगंध छन्दशाला
कुंडलियाँ शतकवीर हेतु
दिनांक -18-12-19
कुंडलियाँ -5/
विषय -पायल
पायल पैरों में सजे, मधुर लगे झंकार l
मटक मटक गोरी चले,
कर सोलह श्रृंगार l
कर सोलह श्रृंगार,
देख के नजर चुराती l
करे पिया से प्यार,
रही यौवन छलकाती l
कहती सुनो सरोज, करे ये मन को घायल l
लगे महावर पाँव,
पहन चलती जब पायलl
सरोज दुबे
🙏🙏
[18/12 6:28 PM] सरोज दुबे: कलम की सुगन्ध छन्दशाला
कुंडलियाँ शतकवीर हेतु
दिनांक -
18-12-19
कुंडलियाँ -6/
विषय -कंगन
कोमल कोमल हाथ में, कंगन का श्रृंगारl
देखो बिटिया जा रही, छोड़ पिता का द्वारl
छोड़ पिता का द्वार,
चली जाती है पी घरl
बाँध प्रेम की डोर, करे सेवा जीवन भर l
कहती सुनो सरोज, पहन के कंगन सोनलl
रखती कुल की लाज, करे वो बातें कोमल ll
सरोज दुबे
🙏🙏
[18/12 6:29 PM] राधा तिवारी खटीमा: कलम की सुगंध छंदशाला
कुंडलियाँ शतकवीर हेतु
दिनांक -18/12/19
पायल (5)
पायल के घुँघरू कहे, चल साजन के पास।
साजन तो अच्छे लगे, हर दिन बारह मास।
हर दिन बारह मास, करेंगे हम तो छन छन। चूड़ी सबके हाथ,बजेगी खन खन खन खन।
कह राधे गोपाल, सजन को करदूँ कायल।
जाऊँ उनके पास, पहन के मैं तो पायल ।।
कंगन (6)
कंगन सोने के बने, चाँदी की पाजेब।
पहनो गोरी ये सभी, जाओ पिय के देश।।
जाओ पिय के देश, बसाओ अपने घर को।
जा बेटी ससुराल, वरण करलो तुम वरको।
कह राधे गोपाल, बिखेरे खुशबू चंदन।
लाओ तुम गलहार, सजन हाथों के कंगन।।
राधा तिवारी "राधेगोपाल"
खटीमा
उधमसिंह नगर
उत्तराखंड
[18/12 6:36 PM] पुष्पा विकास गुप्ता कटनी म. प्र: कलम की सुगंध छंदशाला
*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु*
दिनांक - 18.12.19
कुण्डलियाँ (5)
विषय- *पायल*
पायल छनकी पाँव की, मधुर-मधुर झनकार।
जो पग धरणी पे धरे, एक रूपसी नार।।
एक रूपसी नार, चली है पिय की नगरी।
थम-थम रखती पाँव, नयी चाहत की डगरी।।
पुरवा चली बयार, उड़े है उसका आँचल।
चली पिया की ओर, नार छनकाती पायल ।।
कुण्डलियाँ (6)
विषय- *कंगन*
कंगन के नग देखती, अपने पिय का रूप।
पलकें वह झपके नहीं, जोड़ी नवल अनूप।।
जोड़ी नवल अनूप, ब्याह है आज रचाया।
जैसे सीता- राम, युगल है सबको भाया।।
प्रांजलि दे आशीष, सलामत हो ये बंधन।
अखंड रहे सौभाग्य, खनकते चूड़ी -कंगन।।
रचनाकार का नाम- पुष्पा गुप्ता "प्रांजलि"
[18/12 6:38 PM] वंदना शर्मा: कलम की सुगंध छंदशाला
18/12/19
शतकवीर हेतु
कुण्डलिया
5 *पायल*
पायल की झंकार में,प्रणय निमंत्रण होय।
मन अधीर चंचल हुआ,नींद चैन सब खोय।
नींद चैन सब खोय, रुनकझुन पायल बाजे।
गोरे पाँवों बीच,महावर बिछिया साजे।
मंथर गौरी चाल,सजन हिय करती घायल।
घर आँगन महकाय, छमकछम बाजे पायल।
6 *कंगन*
पहने कंगन हाथ में, गौरी करे सिंगार।
कान सजे कुंडल मकर, गले नौलखा हार।
गले नौलखा हार,शीश पर टीका सोहे।
बाजूबन्द लड़ी चार, करघनी भी मन मोहे।
रत्न जड़ित शिशफूल, मणिक से चमके गहने।
परस पिछाने जात, कहाँ तन, कंचन पहने।।
वन्दना शर्मा'वृन्दा
अजमेर
[18/12 6:42 PM] अभिलाषा चौहान: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*******************
*कुण्डलिया़ँ शतकवीर हेतु*
*******************
विषय- *पायल*(५)
पायल पैरों में सजे,बेंदी चमके माथ।
कानों में कुंडल सजे,कंगन पहने हाथ।
कंगन पहने हाथ,गले मोती की माला।
ओढ़ चुनरिया लाल,कमर में गुच्छा डाला।
कहती 'अभि' निज बात,करे वो सबको घायल।
गोरी घूमें गांव,पहन पैरों में पायल।
विषय-*कंगन*(६)
वामा बोली प्रेम से,आया है त्योहार।
सजना अबकी से मिले, नया नौलखा हार।
नया नौलखा हार,साथ में कान के बाले।
कंगन ला दो नाथ,जड़ाऊ हीरे वाले।
वामा की सुन बात,सजन ने माथा थामा।
करती मांग अनेक,याद कर करके वामा।
अभिलाषा चौहान
सादर समीक्षार्थ 🙏🌷
[18/12 6:49 PM] सुकमोती चौहान रुचि: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
दिनाँक- 18/12/19
5. *पायल*
पायल बजती पाँव में,चूड़ी खनके हाथ।
रूप धरे है मोहिनी,कमला पति रघुनाथ।।
कमला पति रघुनाथ,स्वर्ग से देखो उतरे।
गाते सुमधुर गीत,असुर मोहित हो ठहरे।
कहती रुचि करजोड़,हुए दानव दल घायल।
मटकाती निज नैन,बजाती छमछम पायल।
6. *कंगन*
पहने रानीहार वह,झूले झुमका कर्ण।
नव दुल्हन के हाथ में,सोहे कंगन स्वर्ण।
सोहे कंगन स्वर्ण,माथ में बिंदी चमके।
मनमोहक है रूप,चेहरा अद्भुत दमके।
कहती रुचि करजोड़,लुभाते सबको गहने।
सज-धज कर तैयार,विविध आभूषण पहने।
✍ सुकमोती चौहान रुचि
बिछिया,महासमुन्द,छ.ग.
[18/12 6:51 PM] रवि रश्मि अनुभूति: 9920796787****रवि रश्मि 'अनुभूति '
*कुण्डलिया शतक वीर सम्मान हेतु मेरी रचना*
18.12 2019 .
कुण्डलिया छंद
***************
5 ) पायल
***********
पायल झनके तो कहे , आओ मेरे पास ।
तू तो मुझसे दूर है , निश दिन रहूँ उदास ।
निश दिन रहूँ उदास , पल - पल आस आने की ।
आती है अब याद , घड़ी प्रीत निभाने की ।
आने की है आस , तेरे वचन के क़ायल ।
बैठी रही उदास , छनकती अब है पायल ।।
6 ) कंगन
*********
कंगन हाथों में बजे , पायल छनके आज ।
अंग संग रहना पिया , रखना मेरी लाज ।।
रखना मेरी लाज , मेहँदी सजे हथेली ।
आयी वह जो आज , सखी संग संग खेली ।।
हमजोली का राज , कसकता अपना बंधन ।।
खुशियों की है रात , बजे हाथों में कंगन ।।
**************
(C) रवि रश्मि 'अनुभूति '
मुंबई ।
18.12.2019 , 6:40 पी.एम. पर रचित ।
%%%%%%%%%
●●
[18/12 6:54 PM] कमल किशोर कमल: नमन मंच
कुंडलियॉ शतकवीर हेतु।
18.12.2019
5-पायल
पायल मीना बोलते,सुहागिनों की बात।
बिन इनके सूना लगे,पिया मिलन की रात।
पिया मिलन की रात,भारती की है भाषा।
कर सोलह श्रृंगार,बना ली है परिभाषा।
कहे कमल कविराज,करें ये तन मन घायल।
सजन याद बस रहा,पहनकर मीना पायल।
6-
कंगन
चूड़ी कंगन बेंदिया,लगा बाल सिंदूर।
नारी सुंदरता बढ़े,झलक देखिए नूर।
झलक देखिए नूर,सुहावन शोभा न्यारी।
ज्यों फूले वन बाग,मनो छवि अनुपम प्यारी।
कहे कमल कविराज,विराजे गजरा जूड़ी।
मदमाती है चाल,खनकते कंगन चूड़ी।।
कवि-कमल किशोर "कमल"
हमीरपुर बुन्देलखण्ड।
👏🌹🌹🌹👏🌹👏
[18/12 7:07 PM] बाबूलाल शर्मा बौहरा: 👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀
~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
दिनांक - 16.12.19
कुण्डलियाँ (1)
विषय- *पायल*
बजती पायल स्वप्न में, प्रेमी होय विभोर।
कायर समझे भूतनी, डर से काँपे चोर।
डर से काँपे चोर, पिया भी करवट लेते।
जगे वियोगी सोच , मनो मन गाली देते।
शर्मा बाबू लाल, यशोदा हरि हरि भजती।
हँसे नन्द गोपाल, ठुमकते पायल बजती।
, 👀👀👀
कुण्डलियाँ (2)
विषय- *कंगन*
पहने चूड़ी पाटले , कंगन मुँदरी हार।
हिना हथेली में रचा, तके पंथ भरतार।
तके पंथ भरतार, मिलन के स्वप्न सँजोये।
बीत रहे दिन माह, याद कर जो पल खोये।
शर्मा बाबू लाल , न चाहत मँहगे गहने।
याद पिया की साथ, हाथ बस कंगन पहने।
, 👀👀👀
रचनाकार का नाम-
✍©
बाबू लाल शर्मा,बौहरा
सिकंदरा,दौसा,राजस्थान
👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀
[18/12 7:11 PM] प्रतिभा प्रसाद: *कुंडलियाँ प्रतियोगिता*
दिनांक 18.12.19........
(05) *पायल*
चंचल चितवन देखना , मुस्काय अंग अंग ।
है यह बंधन प्यार का , नेह मिलेगा संग ।
नेह मिलेगा संग , पहन पायल छमछम छम ।
है पायल उपहार , समझना यह तुम मत कम ।
कह कुमकुम करजोरि , प्यार दिखता जब अंचल ।
मत सहना फिर बात , नयन बोलेगा चंचल ।।
(06) *कंगन*
कर कंगन व कमरधनी , ले लो बाजूबंद ।
अधर गुलाब केश सजी , नयन हो गए छंद ।
नयन हो गए छंद , बोल तुम मीठे बोलो ।
सुंदर हो श्रृंगार , प्रेम रस मन में घोलो ।
कह कुमकुम कविराय , नहीं छूटे यह आंगन ।
तुम रखना मन बाँध , मिलेगा जब कर कंगन ।।
🌹 *प्रतिभा प्रसाद कुमकुम*
दिनांक 18.12.19.......
____________________________________________
[18/12 7:11 PM] अनंत पुरोहित: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु*
*दिन बुधवार 18.12.2019*
*5) पायल*
पायल छम-छम माधुरी, गूँज रही आवाज़
चिड़ियों की आवाज़ को, पायल देती साज़
पायल देती साज़, मातु उठ सुबह सवेरे
गोबर लीपे द्वार, महक तन मन को घेरे
कह अनंत कविराय, मातु ऋण के सब कायल
मौसम को ललकार, मातु छनकाती पायल
*6) कंगन*
बिंदी माथे शोभती, कंगन चूड़ी हाथ
सनातनी संस्कार है, लज्जा इनके साथ
लज्जा इनके साथ, करे प्रियतम को मोहित
निखरा उसका रूप, पहन साड़ी अति शोभित
कह अनंत कविराय, बनो गंगा कालिन्दी
भूलो मत संस्कार, लगा लो काजल बिंदी
*रचनाकारः*
अनंत पुरोहित 'अनंत'
सादर समीक्षार्थ
[18/12 7:13 PM] रजनी रामदेव: शतकवीर प्रतियोगिता
18/12/2019
(1)--पायल-
पहने पायल पाँव में , लगा महावर लाल।
गोरी अब जाने लगी, सँवर सँवर ससुराल।।
सँवर सँवर ससुराल,लिये मन स्वप्न सलोने।
द्वार रखा है थाल,लगी अब पाँव भिगोने।।
खड़ी पास ही सास, लगीं फिर उसको कहने।
ये तेरा घर-बार , धरो पग पायल पहने।।
(2)--कंगन-
पनघट जाती गोरियाँ, नवल नवेली भोर।
पायल,कंगन खनकते, चुहल करें पुरजोर।।
चुहल करें पुरजोर, लोक धुन पर हैं गाती।
सिर पर गगरी धार,चलीं हैं सब इठलाती।।
होती है अब देर, चलीं घर को वो झटपट।
सरपट सरपट चाल, चुहल सब छोड़ी पनघट।।
रजनी रामदेव
न्यू दिल्ली
[18/12 7:17 PM] चमेली कुर्रे: कलम की सुगंध छंदशाला
*कुण्डलियाँ शतकवीर*
दिनांक- 18/12/19
कुण्डलियाँ- (5)
विषय- *पायल*
*पायल* की झनकार ने, बहुत मचाया शोर।
प्रेमी मन उन्माद में ,आकर्षित बिन डोर।।
आकर्षित बिन डोर , कामना हिय की खोले ।
छम छम करके रोज, बजे घुँघरू यूँ बोले ।।
सुवासिता दे ध्यान, बनो न दिलों की हायल।
सुनो हृदय की बात, यही कहती हैं पायल।।
कुण्डलिया-(6)
विषय- *कंगन*
*कंगन* तो हर हाल में, बजने को तैयार।
नरम गरम से स्पर्श में, ढूंढे पी का प्यार ।।
ढूंढे पी का प्यार, हृदय की गति भी बढ़ती।
दिल का हर अरमान, बोल बिन सजनी पढ़ती।।
सुवासिता से आज, चहक उठता वह आंगन।
जहाँ प्रेम की डोर, बँधी कर में बन कंगन।।
🙏🙏🙏
✍चमेली कुर्रे 'सुवासिता'
जगदलपुर (छत्तीसगढ़)
[18/12 7:36 PM] सुशीला जोशी मुज़्ज़फर नगर: *कुण्डलिया* 18-12-2019
5-- *पायल*
रुन झुन पायल बज रही , लगे महावर पाँव
घर के आँगन बज रहा , देखो पूरा गाँव
देखो पूरा गाँव , सजनिया इत उत डोले
पायल की झंकार , बिन कहे सबकुछ बोले
चले लचीली चाल , करे है जबको घायल
हवा नाचती मस्त , बज रही रुन झुन पायल ।
6-- *कंगन*
सोने का कंगन सजा , हरी चूडियों बीच
सूरज सा मुस्का रहा , नभ किरणों को खींच
नभ किरणों को खींच , चमक अपनी दिखलावे
हरित रेशमी घास , जैसे स्वर्ण बिछावे
आभा करे गुहार , सम्मोहनी होने का
आज सजनिया हाथ ,सजा कंगन सोने का ।।
*कुण्डलिया*....
17-12-2017
3--- *काजल*
काजल आँखों मे सजा , आँखे हुई कटार
नैनो से ही मारती , दिल को बारम्बार
दिल को बारम्बार , हृदय को चैन न आवे
धड़कन होवे तेज , गात सगरा हियरावे
करती तीखे घात , हृदय में कर दी फाँके
करती बड़ा धमाल , सजी काजल से आँखे ।।
4-- *गजरा*
वेणी में गजरा लगा , इठलाती है नार
दर्पण मुखड़ा देख कर , बदले है व्यवहार
बदले है व्यवहार , देखती घूम घूम कर
गजरे की खुशबू , नचावे झूम झूम कर
टीका मांग सजाय , बहकता रहता कजरा
महक महक मुस्काय , सजा वेणी में गजरा ।।
सुशीला जोशी
मुजफ्फरनगर
[18/12 8:14 PM] अनुपमा अग्रवाल: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
दिनांक - 18.12.19
कुण्डलियाँ (3)
विषय- काजल
काजल की कैसी व्यथा,समझ न आये आज।
गोरी नयनों में सजे,बहुत छुपाये राज।
बहुत छुपाये राज,बहें गोरी के नैना।
बहती आँखों संग,छिना है मेरा चैना।
फिर भी रहना साथ,मुझे गोरी के आँचल।
यादों की ये राख,कहें इसको भी काजल।।
कुण्डलियाँ (4)
विषय- गजरा
गजरा लेकर हाथ में,बाला ढूंढे मात
जाने क्यूँ है जा छुपी,करे न कोई बात।
करे न कोई बात,मिले न कोई सहारा।
बाबा भी बेहोश,बहे नैनों से धारा
भूखी बैठी आज ,धुला आँखों का कजरा।
रो रो के बेहाल,गिरा हाथों से गजरा।।
रचनाकार का नाम- अनुपमा अग्रवाल
कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
दिनांक - 18.12.19
कुण्डलियाँ (5)
विषय- पायल
छनछन पायल यूँ बजे,जैसे धुन संगीत।
नववधु के पैरों सजे ,बरसों से है रीत।
बरसों से है रीत,नहीं तुम तोड़ो इसको।
पहनो जो तुम आज,पिया देखे फिर किसको।
जेवर नारी लाज,बजे है चूड़ी खनखन।
साजन की मनमीत, बजे जो पायल छनछन।।
कुण्डलियाँ (6)
विषय- कंगन
दुलहन आई अंगना ,लाई खुशियाँ साथ।
सासू माँ की लाडली,लाली वाले हाथ।
लाली वाले हाथ,बनाते देखो पूड़ा।
दादी से ले नेग,सजा फूलों का जूड़ा।
कंगन शोभा देख,बहू रानी हर्षाई।
सबका दिल यूँ जीत,नवेली दुलहन आई।।
रचनाकार का नाम- अनुपमा अग्रवाल
[18/12 8:18 PM] प्रतिभा प्रसाद: *शतकवीर सम्मान हेतु*
*कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुंडलियाँ प्रतियोगिता*
विषय *वेणी*
दिनांक 16.12.19......
(01) *वेणी*
वेणी नागिन सी लगे , भुइयां लोटे केश ।
कान्हा का मन बावरा , धर राधा का भेश ।
धर राधा का भेश , मिलेंगी राधा रानी ।
चतुराई व दर्शन , कान्हा भरेंगे पानी ।
कह कुमकुम करजोरि , नेह राधा से लेनी ।
माधव की है प्रीत , खिचे राधा की वेणी ।।
(02) *कुमकुम*
कुमकुम चिन्ह सुहाग है , ज्यों शोभित लीलार ।
नारी भी सुंदर दिखे , सीरत पावै प्यार ।
सीरत पावै प्यार , है सजना को रिझाना ।
छिड़कते नेह स्नेह , कभी मन को समझाना ।
कह कुमकुम कविराय , खड़े रहना हाँ गुमसुम ।
हो पावन पुण्य प्रीत , सदा पकड़ाते कुमकुम ।।
🌹 *प्रतिभा प्रसाद कुमकुम*
दिनांक 16.12.19.....
___________________________________
विषय *काजल*
दिनांक 17.12.19....
(3) *काजल*
आँखों में काजल लगा , सुंदर लगती नार ।
कौतुहल से झांक रही , लिय यौवन का भार ।
लिय यौवन का भार , दुलारी जिम्मेदारी ।
कभी न फिसले पाँव , हाँ देते होशियारी ।
कह कुमकुम करजोरि , रहेगी निज बाँतों में ।
घर की है सम्मान , दिखे काजल आँखों में ।।
(04) *गजरा*
बाँलों में गजरा लगा , झाँक रही है गेह ।
साजन से है माँगती , पावन सावन नेह ।
हाँ अपने लिय नेह , सदा तुम्हीं से पाना ।
है दिल का अरमान , प्यार देने तुम आना ।
कम कुमकुम करजोरि , स्नेह गुलाबी गालों में ।
केश कला यूँ तोल , लगा गजरा बालों में ।।
🌹 *प्रतिभा प्रसाद कुमकुम*
दिनांक 17.12.19....
___________________________________________
दिनांक 18.12.19.....
विषय *पायल*
(05) *पायल*
चंचल चितवन देखना , मुस्काय अंग अंग ।
है यह बंधन प्यार का , नेह मिलेगा संग ।
नेह मिलेगा संग , पहन पायल छमछम छम ।
है पायल उपहार , समझना यह तुम मत कम ।
कह कुमकुम करजोरि , प्यार दिखता जब अंचल ।
मत सहना फिर बात , नयन बोलेगा चंचल ।।
(06) *कंगन*
कर कंगन व कमरधनी , ले लो बाजूबंद ।
अधर गुलाब केश सजी , नयन हो गए छंद ।
नयन हो गए छंद , बोल तुम मीठे बोलो ।
सुंदर हो श्रृंगार , प्रेम रस मन में घोलो ।
कह कुमकुम कविराय , नहीं छूटे यह आंगन ।
रखना मन तुम बाँध , मिले यूँ जब कर कंगन ।।
🌹 *प्रतिभा प्रसाद कुमकुम*
दिनांक 18.12.19.......
____________________________________________
[18/12 8:26 PM] केवरा यदु मीरा: *कलम की सुगन्ध छंदशाला*
कुंडलिया छंद-शतकवीर हेतु
18-12-19
(5) पायल
पायल खनके पाँव में, साजन के मन भाय ।
कहती पायल सुन जरा ,धड़कन देत बढ़ाय ।
धड़कन देत बढ़ाय, गजब की खनक रही हो ।
लटक मटक कर हाय,मुझे तुम बुला रही हो ।
अरी सजनियाँ सँभल,उड़े हैं तेरा आँचल ।
तू इतराती जाय, बजाती छम छम पायल ।।
(6) कंगन
कंगन नग में देख कर, सिया राम का रूप ।
अपलक रही निहारती, यह तो लगता भूप ।।
यह तो लगता भूप,संग गुरुवर जो आया ।
धनुहा तोड़न हेतु,विधाता ने भिजवाया ।।
जनक नंदिनी ह्रदय, धार करती है सुमिरन ।
धन्य भाग मम राम, हेतु पहनी है कंगन।।
केवरा यदु "मीरा "
राजिम
[18/12 8:27 PM] आशा शुक्ला: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
दिनाँक-18:12:2019
कुंडलिया(5)
विषय-पायल
पायल की झंकार सुन,चौंक उठा खग-वृन्द।
कैसी ध्वनि ये सोच कर, किया चहकना बंद।
किया चहकना बंद, बजी वंशी मतवाली।
थिरक उठे खग मोर,मगन कोयलिया काली।
राधा के दो नैन,करें कान्हाँ को घायल।
छीन रही हैं चैन, बजें छम छम जब पायल।
कुण्डलिया(6)
विषय-कंगन
गोरी गगरी ले चली, कंगन पहने हाथ।
कंगन में हीरे जड़े , लगी चूड़ियाँ साथ।
लगी चूड़ियाँ साथ,चमक इनकी अलबेली।
ऐसे कंगन देख ,कहें सब सखी सहेली।
बहन बताओ भेद,करें सखियाँ बरजोरी।
चितवत पिय की ओर,हँसे आँखों में गोरी।
आशा शुक्ला
शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश)
[18/12 8:35 PM] मीना भट्ट जबलपुर: पायल
पायल मेरी खनकती ,मनवा भाव विभोर।
आयेंगे पिया आज तो,बँधी प्रीत की डोर।।
बँधी प्रीत की डोर,रैन देखो मतवाली।
चितवन है चितचोर, नजर कैसी ये डाली।।
पायल की झंकार,जिया को करती घायल।
छम छम करती देख,खनकती ये तो पायल।।
मीना भट्ट
[18/12 8:43 PM] इंद्राणी साहू साँची: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
दिनाँक - 18/12/19
कुण्डलिया (1)
विषय - पायल
**************
गोरी के पग में बँधी ,
पायलिया अनमोल ।
छुमछुम करती बज रही ,
भेद रही है खोल ।
भेद रही है खोल ,
सखी सब हँसी उड़ातीं ।
छुपती है कब प्रीत ,
सभी को यह बतलाती ।
पिया मिलन को जाय ,
खोलती सारी चोरी ।
हुई शर्म से लाल ,
लगे मन भावन गोरी ।।
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
कुण्डलिया (2)
विषय - कंगन
****************
कंगन के नग देखकर ,
रामचन्द्र का रूप ।
सुध बुध अपनी खो रही ,
लगती सिया अनूप ।
लगती सिया अनूप ,
वाटिका पुष्पों वाली ।
मर्यादित सी प्रीत ,
हृदय में उसने पाली ।
किया राम के नाम ,
जानकी ने मन जीवन ।
करती है मनुहार ,
पिया पहना दो कंगन ।।
************************************
✍️इन्द्राणी साहू "साँची"✍️
भाटापारा (छत्तीसगढ़)
★★★★★★★★★★★★★★★★
[18/12 8:47 PM] डा कमल वर्मा: कुंडलियाँ शतक वीर के लिए 18-12-19🙏🏻
🌹कुंडलियाँ🌹
1)पायल
गोरी तेरे पांव की, पायल बजती हाय।
जानें सारे लोग तू ,गैल कौन सी जाय।
गैल कौनसी जाय,भेद तेरे है खोलें।
लाखों करें उपाय,चले तू हौले हौले।
कहें कमल मत पाय,छोड़ यह पायल तोरी।
सब को मत कर जाय,कहीं यह घायल गोरी।
2) कंगन।
बोलें खनखन कंगना,सुंदर पीले लाल।
पकड़ें बालम बाँह तो, पूछ न दिल का हाल।।
पूछ न दिल का हाल, शर्म से होती पानी।
साजन है सरताज,बनी मैं उनकी रानी।
कमल कहें सुख यही, सभी को दो शिव भोले।
साजन पकडें बांह,प्यार में कंगन बोलें।
डॉ श्रीमती कमल वर्मा।
[18/12 8:50 PM] सुशीला साहू रायगढ़: *कुंडलियाँ शतकवीर हेतु*
*दिनाँक--18/12/2019*
*दिन-बुधवार*
*विषय-पायल*
*विधा-कुंडलियां*
*पायल*
=======
पायल छमके पाँव में,देख मीत मन भाय।
साजन संग दुल्हन चली,डोली चढ़ कर जाय।
डोली चढ़ कर जाय,देख चमक रही मूरत।
होंठों पर मुस्कान,सजी है भोली सूरत।
कह शीला कर जोड,प्रीत चितवन हो कायल।
चलती साजन साथ,बजे छम छम ये पायल।
*3-कंगन*
========
सजते कंगन हाथ में,लगी दुल्हनियाँ आज।
चमके माथे बिंदिया,सजे फूल सरताज।।
सजे फूल सरताज ,चढे़ प्रीत कुमकुम माथ।
पापा करते नाज, रचे मेंहदी अब हाथ।।
कह शीला कर जोड़,चलो मंगल गीत गाते।
छलके आँसू मात, देख डोली को सजते।।
*सुशीला साहू शीला*
*रायगढ़ छ.ग.*
[18/12 8:52 PM] विद्या भूषण मिश्र "ज़फ़र": *कुंडलिया शतक वीर*
*बुधवार, दिनांक--१८/१२/१९*
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*५--पायल--*
~~~~~~~~~~~~~
पायल छम-छम-छम बजे, बिछिया सोहे पाँव।
राधा जोहे श्याम को, बैठ कदम की छाँव।
बैठ कदम की छाँव, श्याम की राह निहारे।
आयेंगे कब श्याम, मिलन को नदी किनारे।
सुन बंशी की तान, हो गई राधा घायल।
चली कृष्ण की ओर, बजी राधा की पायल।।
~~~~~~~~~~~~
*६--कंगन--*
~~~~~~~~~~~~~~~~
प्यारे तुम मत दो मुझे, कंगन, चूड़ी, हार।
आभूषण चाहूँ नहीं, दे दो अपना प्यार।
दे दो अपना प्यार, हृदय में मुझे बसाओ।
कहीं न जाओ छोड़, गले से मुझे लगाओ।
तन मन तुम पर वार, रहूँगी साथ तुम्हारे।
बढ़े हमारा प्रेम, नित्य प्रति साजन प्यारे।।
~~~~~~~~~~
*--विद्या भूषण मिश्र "भूषण"-- बलिया, उत्तरप्रदेश।*
~~~~~~~~~~~~~~~~
[18/12 8:55 PM] वंदना सोलंकी: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुंडलियाँ शतकवीर हेतु*
दिन - सोमवार 16.12.2019
*विषय: वेणी*
*विधा कुण्डलियाँ*
1)
वेणी सिर पर शोभती
सुंदर लगती नार
बिन चोटी के कब सजे
गोरी का शृंगार
गोरी का शृंगार
पिया के मन को भावे
देख प्रशंसा भाव
प्रेमिका अति इतरावे
सुन 'वंदू' हिय भाव
लाज से सिमटी रमणी
प्रेमी की लटों से
लिपटी नाग सी वेणी ।।
2)
16-12-2019 सोमवार
विधा-कुंडलियाँ
विषय-कुमकुम
वंदे ढोंग न कीजिये,
सब जन एक समान
बैर भाव सब छोड़ के
बन जाओ इंसान
बन जाओ इंसान
तुम्हीं हो सच्चे मानव
मानुष वेश धरके
तुम बने हुए हो दानव
कुमकुम सजे ललाट
करते हो गोरखधंधे
ईश के मन भाए
निश्छल मन वाले वंदे।।
*वंदना सोलंकी*
*******
*कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुंडलियाँ शतकवीर हेतु*
बुधवार-18.12.19
5)
*पायल*
छमछम पायल बज रही,दिल में उठे हिलोर,
साजन बैरी न आए/
आए न बैरी साजन,कहाँ छुपे चितचोर
कहाँ छिपे चितचोर,कि दिल अब डूबा जाए
ताके नभ से चाँद,काली रैन तड़पाए
कह वन्दू ये बात,सुनो जी मेरे हमदम
मिन्नत करे हजार,बाजती पायल छमछम।।
6)
*कंगन*
कंगन पहना नार ने,सजे सलोने हाथ
पी को ताके ओट से,सुखद पिया का साथ
सुखद पिया का साथ,रीत है अजब सुहानी
बिंदी साजे माथ,यही है एक निशानी
सुन वंदू की बात,बसे क्यों जाकर लंदन
लेकर आओ नाथ,खरे सोने के कंगन ।।
*वंदना सोलंकी*
[18/12 9:10 PM] प्रमिला पाण्डेय: कलम की सुगंध शतक वीर
प्रतियोगिता कुंडलियां।
दिन -बुधवार/18-12-19
विषय- कंगन/पायल
(1) कंगन
घूंघट में बैठी सिया, मंडप बैठे भूप।
कंगन के नग में निरख ,लखें राम को रूप।।
लखें राम को रूप, लाज नैनन में छाई।
करै मधुप ज्यों पान, कमल नैनन परछाई।।
कह प्रमिला कविराय, चलीं सिय पूजन पनघट।
शगुन कलश भर धरें, चलीं सिय ओढ़े घूंघट ।।
(2)पायल
पायल धीरे बोल री, होले रखना पांव
पिया मिलन गोरी चली , जाग न जाये गांव।।
जाग न जाये गांव, पांव उसके हैं भारी।
उसको दो आशीष , सदा फूले फुलवारी।।
कह प्रमिला कविराय, करै निज नैनन घायल।
बोले मीठे बोल, पहन कर रुनझुन पायल।।
प्रमिला पाण्डेय
[18/12 9:16 PM] डॉ मीना कौशल: पायल बजती पांव में,है अनुपम श्रृंगार।
नारी का सौभाग्य ये,गुण गरिमा आगार।।
गुण गरिमा अंगार,मधुर धुन बजती जाये।
प्रीतम रहें निहाल,चरण छवि सजती जाये।।
करती सदा निहाल,रहे घर आंगन कायल।
होती मृदुल झंकार,चरण में बजती पायल।।
कंगन
कंगन शोभा कर गहे,चूड़ी शुभ हर्षाय।
सदा सुहागन कामिनी,धारण करे ं लुभाय।।
धारण करें लुभाय,हमारे घर की रौनक।
शोभा विविध प्रकार,बढ़ाते रुचिकर मौनक।।
मांग रही कर जोर,विधाता से ये मंगन।
रहे बनाये हाथ,सदा शुभ चूड़ी कंगन।।
डा मीना कौशल
[18/12 9:19 PM] अमित साहू: *कलम की सुगंध~कुण्डिलयाँ शतकवीर*
3-काजल (17/12/2019)
टीका काजल का लगा, मातु मनाये खैर।
करती यह शुभकामना, दूर रहे हर बैर।।
दूर रहे हर बैर, लाल को नजर न लागे।
अंजन करे कमाल, भावना अनिष्ट भागे।।
ममतामय श्रृंगार, कभी नहिँ होता फीका।
मुखमंडल अरु पाँव, सुरमई सोहे टीका।।
4-गजरा
मालन गजरा गूँथती, चुनकर कली प्रसून।
तब जाकर मिलता उसे, रोटी बस दो जून।।
रोटी नित दो जून, चले बस पेट गुजारा।
महक लुटाती हाथ, बने लख खुशी पिटारा।।
कहे 'अमित' कविराज, करे निज कुनबा पालन।
देती चुभन बिसार, वेदना सहती मालन।।
5-पायल (18/12/2019)
पायल की झंकार सुन, होता हृदय अधीर।
प्रेमपाश में फाँसता ,जैसे हो जंजीर।।
जैसे हो जंजीर, बोल छम-छम मन रमता।
कर्णप्रिय अनुनाद, स्वप्न में भी नहिँ थमता।।
कैसे जाऊँ भूल, हुआ नूपुर का कायल।
रोम-रोम रोमांच, रागिनी लगती पायल।।
6-कंगन
सजती सुंदर सुंदरी, चूड़ी कंगन हाथ।
चमचम चमके बिंदिया, सदा सुहागन साथ।।
सदा सुहागन साथ, संगिनी सहज सुहाती।
खनखन खन खनखात, लालसी सजन लुभाती।।
कहे 'अमित' कविराज, चूड़ियाँ बरबस बजती।
सुहासिनी सिरमौर, हँसी ही मुख पर सजती।।
कन्हैया साहू 'अमित'
भाटापारा छत्तीसगढ़
[18/12 9:25 PM] अटल राम चतुर्वेदी, मथुरा:
5- पायल
*****
पायल छमछम कर रही,
घर, आँगन औ द्वार।
यह नारी के पाँव का,
देती रूप निखार।
देती रूप निखार,
आगमन का यह सूचक।
निद्रा को दे तोड़,
आय गोरी जो औचक।
"अटल" शब्द का तीर,
करे सबको ही घायल।
छमछम शोर मचाय,
पाँव की शोभा पायल।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏
6- कंगन
*****
कंगन हाथों के बजे,
होता सुमधुर शोर।
हाथ उठा गोरी चले,
जैसे नाचे मोर।
जैसे नाचे मोर,
सँभल कर कदम बढ़ाये।
देख अनौखा रूप,
मोर अब स्वयं लजाये।
"अटल" कहे कर जोड़,
करें गोरी का वंदन।
सतरंगी परिधान,
खनकते उस पर कंगन।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏
[18/12 9:27 PM] कन्हैया लाल श्रीवास: 🙏नमन मंच.........कलम की सुगंध🙏
★★★★★★★★★★★★★★★★★★
विषय......................पायल
विधा....................... कुंडली
★★★★★★★★★★★★★★★★★★
पायल बाजे पाँव में,
छमछम की आवाज़।
श्याम कमर करधन झुले,
सजे मोर सिर आज।
सजे मोर सिर आज,
बढ़ी शोभा गोकुल की।
चहके कोयल देख,
चुनर मात यशोदा की।
बाबा सजाय सेज,
कृष्ण खेलन का कायल।
बरसे सुखदा गेह,
बाजे पाँव में पायल।
★★★★★★★★★★★★★★★★★★★
स्वलिखित
कन्हैया लाल श्रीवास
भाटापारा. छ.ग.
जि.बलौदाबाजार भाटापारा
[18/12 9:31 PM] डॉ मीता अग्रवाल: *कुंड़लिया शतकवीर हेतु सादर
18/12/19*
(5)
*पायल*
बाजे पायल अब नहीं, छुनछुन रुन झुन गान।
हुए आज अधुना सभी, सजने के सामान।
सजने के सामान,भार से अब हैं लागे।
ऊँची सैंडिल संग,जीन्स ही पहने भागे।
कहती मधुर विचार, राग मे सोहें साजे।
गीत नृत्य संगीत, मोहती पायल बाजे ।
(6) *कंगन*
गोरी पहने हाथ में, चूड़ी कंगन चार।
राँची हाथों मेहंदी, कंठ शोभता हार।
कंठ शोभता हार,करें है कंगन बतियाँ।
हुई पराई आज, ठिठोली करती सखियाँ ।
कहे मधुर ये सोच, बावरी थी जो छोरी।
करें प्रीत मनुहार, पहन आ कंगन गोरी ।
*मीता अग्रवाल मधुर रायपुर छत्तीसगढ़*
[18/12 9:37 PM] महेंद्र कुमार बघेल: कुण्डलियाॅ:- 18/12/19
5 .पायल
पाॅवो में पायल पहन ,सजी धजी वह आज।
साजन को भाने लगा,छम छम की आवाज।
छम छम की आवाज, लगे सबको मनभावन।
गमक उठे घर द्वार, प्रिया की चाल सुहावन।
ये अनुपम उपहार, करे अंंतस को घायल।
सृजित होय श्रृंगार,बजे जब पाॅवो में पायल।।
6. कंगन
कंगन खनकाकर प्रिया,पिय को करे सचेत।
पढ़ नयनों की भाव को,करती वह संकेत।
करती वह संकेत , भिन्न रूपों में आकर।
बढ़ता उनका स्नेह, सदा अपनों को पाकर।
सौम्य समर्पण भाव, शिष्ट है जिनका रंजन।
पिय भी करें पसंद, उसे जो खनकाती कंगन।।
महेंद्र कुमार बघेल
[18/12 9:42 PM] कैलाश चंद्र प्रजापति 'सुमा': सादर नमन मंच
कुंडलियाँ शतकवीर प्रतियोगितार्थ सादर निवेदित...
दिनांक:-18/12/2019
*************************************
5. पायल
पायल आँगन में चले, ठुनक-ठुनक कर मीत।
खुशियों से घर को भरे, रखती सबसे प्रीत।।
रखती सबसे प्रीत, बड़ी सूरत ये भोली।
दादा दादी संग, भरी पितु माता झोली।।
छोटे-छोटे पैर, कभी न होते घायल।
बिटिया रानी पहन, चले पैरों में पायल।।
*************************************
6. कंगन
पहने कंगन हाथ में, दिल में रख अति राग।
बाबुल के घर से चली, रहते जहाँ सुहाग।।
रहते जहाँ सुहाग, चली छोड़े फुलवारी।
जहाँ खेलती नित्य, सदा बाबुल की प्यारी।।
बिंदी सोहे भाल, सजे हैं सारे गहने।
खेल खिलौने त्याग, पिया हित सब कुछ पहने।।
*************************************
रचनाकार
प्रजापति कैलाश 'सुमा'
मेहन्दीपुर बालाजी, दौसा, राजस्थान।
[18/12 9:45 PM] घनेश्वरी देवांगन 'धरा': *कुँडलिया शतक वीर हेतु*
*दिनांक --------19/12/19*
*कुँडलिया (5)*
*विषय----पायल*
पायल मेरे पाँव की , लगे मधुर आवाज ।
रुन-छुन बजे नुपूर तो , बनती मोहक साज ।।
बनती मोहक साज , निंदिया नैनन उड़ती ।
खोये हैं चितचोर , आस में रतिया ढलती ।।
कहे धरा कर जोर ,करो मत साजन घायल ।
अब दो दरश दिखाय , कहे ये बजती पायल ।।
*कुँडलिया (6)*
*विषय-------कंगन*
कंगन कोमल हाथ की , बने पिया श्रृंगार ।
आती लज्जा आँच तो , बनती तेज कटार ।।
बनती तेज कटार ,करे भस्मित बन ज्वाला ।
सबला है अब नार , जगत को है संभाला ।।
कहे धरा कर जोर , कोटि कोटि तुझे वंदन ।
मिट जायेगा पाप , पहन ले नर अब कंगन ।
*धनेश्वरी देवाँगन"धरा"*
*रायगढ़, छत्तीसगढ़*
[18/12 9:48 PM] कुसुम कोठारी: कुण्डलियाँ
18/12/19
5 पायल
पायल तो नीरव हुई , पाखी हुए उदास ,
कैसे में कविता लिखूं , शब्द नहीं है पास,
शब्द नही है पास ,हृदय कागज है कोरा ,
सूना अब आकाश , बुझा है मन का तारा ,
बिन रस की लेखनी ,भाव मूक और घायल ,
मुक्ता चाहे हार , घुंघरू चाहे पायल ।।
कुसुम कोठारी
6 कंगन
कंगन खनका जोर से,गोरी नाचे आज
पायल औ बिछिया बजे,घर में मंगल काज
घर में मंगल काज ,उठा ली जिम्मेदारी
चूनर सुंदर लाल , अति लंहगा है भारी
दौड़ी दौड़ी फिरे ,उसी से सजता आगँन
सारे घर की आन ,हाथ में दो दो कंगन।
कुसुम कोठारी।
[18/12 9:48 PM] संतोष कुमार प्रजापति: कलम की सुगंध छंदशाला
*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु*
दिनांक - 18/12/2019
कुण्डलियाँ ( 5 )
विषय- पायल
=========
पायल बजती पैर में, हरती प्रियतम ध्यान I
मादकता ध्वनि में अजब, बौना हो सब ज्ञान ll
बौना हो सब ज्ञान, बहकते अच्छे - अच्छे l
कोविद, योगी, संत, कहें बस भाषण लच्छे ll
कह 'माधव कविराय', सभी को करती कायल l
साज -बाज, सुरताल, मिले फिर देखो पायल ll
कुण्डलियाँ ( 6 )
विषय- कंगन
=========
नारी के श्रंगार बहु, कंगन उनमें एक l
हाथों की शोभा बढ़े, कहते हैं सब नेक ll
कहते हैं सब नेक, सुहागन इसको पहने l
सुखद,सुभग,रमणीक,खनकते अनुपम गहने Il
कह 'माधव कविराय', सभी की इससे यारी l
भले न भरता पेट, मनोरथ कंगन नारी ll
रचनाकार का नाम-
सन्तोष कुमार प्रजापति 'माधव'
महोबा (उ.प्र.)
[18/12 9:49 PM] पाखी जैन: कुंडलिया शतकवीर हेतु
कंगन
18/12/2019
5-
कंगन खनके हाथ में, होकर के स्वच्छंद।
जैसे चूड़ी से सदा, करता है नित द्वंद।
करता है नित द्वंद, और है वह इठलाता।
जैसे प्रेयसि छेड़, सहज आनंद उठाता।
भरकर उर मृदु नेह, है करता जब आलिंगन।
होती भाव विभोर, चूड़ियाँ पाकर कंगन।
मनोरमा जैन पाखी ।
6--
शतकवीर हेतु कुंडलिया
विषय --पायल
दिनांक -18/12/2019
पायल की आवाज को, सुने यहाँ अब कौन।
बजते बजते थक गयी,रहती है अब मौन
रहती है अब मौन, पीर है उर अति भारी।
तकती प्रिय की राह,वियोगिनि जैसे नारी।
पृथक हो रहे प्राण,तड़पती है हो घायल।
बिखरे सारे राग, नहीं अब बजती पायल।
मनोरमा जैन पाखी
[18/12 9:52 PM] नीतू जी: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु*
*दिनांक - 18.12.19*
*कुण्डलियाँ (5)*
*विषय :- पायल*
पायल पैरों में सजी, बिछुआ शोभे साथ।
चूड़ी कंगन से करे, जाने क्या क्या बात।।
जाने क्या क्या बात, करें ये सारे गहनें।
देते रूप निखार, खुशी से जो भी पहनें।।
करे शरारत खूब, पिया को करती घायल।
खूब मचाती शोर, छनन छन बजती पायल।।
*कुण्डलियाँ (6)*
*विषय :- कंगन*
कंगन चूड़ी साथ में, खनक रहे दिन रात।
बालों में गजरा सजा, हुई सुगंधित रात।।
हुई सुगंधित रात, मिलन की बेला आई।
चमके नभ में चाँद, बजी मन में शहनाई।।
बरस रहे हैं मेघ, खुशी से झूमा आँगन।
खोले मन के भेद, बाँवरे चूड़ी कंगन।।
*रचनाकार का नाम :- नीतू ठाकुर*
[18/12 9:55 PM] अर्चना पाठक निरंतर: *कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु*
-------------------------------
*कुण्डलिया*
--------------
5-पायल
------------
मेरी पायल गूँजती, झनझन करती साज।
धीमे पाँव धरा रही,मस्त मगन भर आज।।
मस्त मगन भर आज,बढ़े तब शोभा नारी।
घर आँगन गुँजाय,पड़ोसन खुश है सारी।।
कहे निरंतर आज,कैद है पायल में तेरी।
दुल्हन बन झनकाय,बनी अब परिणिति मेरी।।
6-कंगन
-----------
मोहे कंगन चाहिए ,चमकीले नगदार।
हाथ घुमा के नाच लूँ, अब न रहूँ मन मार ।।
अब न रहूँ मन मार ,कभी कंगन खनकाऊँ।
धारे वसन मिलान,मौन मन कर झनकाऊँ।।
पहन "निरंतर" आज,मिले सुख तन मन सोहे।
बढ़ जाये सौभाग्य ,सदा ललचाये मोहे।।
अर्चना पाठक 'निरंतर'
अम्बिकापुर
@kalam ki sugandh
बहुत खूबसूरत कुण्डलियाँ ...सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई 💐💐💐
ReplyDeleteसभी कुंडलियाँ जैसे विभिन्न पुष्पों का गुलदस्ता।
ReplyDelete👌💐💐
सभी कुंडलियाँ जैसे विभिन्न पुष्पों का गुलदस्ता।
ReplyDelete👌💐💐
सभी कुंडलियाँ जैसे खूबसूरत गुलदस्ता 💐💐
ReplyDeleteसभी कुंडलियाँ जैसे खूबसूरत गुलदस्ता 💐💐
ReplyDeleteसभी कुंडलियाँ जैसे खूबसूरत गुलदस्ता 💐💐
ReplyDeleteआप सभी की रचनाधर्मिता को नमन।
ReplyDeleteबहुत शानदार सखी बहुत-बहुत आभार।
ReplyDeleteबहुत सुंदर संकलन... हार्दिक आभार सखी
ReplyDeleteलाजवाब कुण्डलियाँ.. सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
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