Thursday, 30 January 2020

कुण्डलियाँ...यादें ,छोटी


[30/01 6:00 PM] अटल राम चतुर्वेदी, मथुरा: *30.01.2020 (गुरूवार)* 

75-    यादें 
*********
यादें जीवन की सभी, रखिए आप खँगाल।
अच्छी यादें साथ रख, दें जो बुरी निकाल।
दें जो बुरी निकाल, सोच अच्छी अपनायें।
जिनसे मिलें विचार, उन्हें हँस गले लगायें।
सीमित रखिए "अटल", हृदय की सभी मुरादें।
समय-समय कर आप, पलटते रहिए यादें।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏

76-   छोटी
*********
छोटी-छोटी बात हैं, मत करिए तकरार।
एक बार जो टूटते, कभी न जुड़ते तार।
कभी न जुड़ते तार, दिलों में कटुता आती।
आपसदारी छोड़, ईर्ष्या-बैर बढ़ाती।
"अटल" लड़ें हर जगह, आपकी आदत खोटी।
दिल को रखें विशाल, बात लंबी या छोटी।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏
[30/01 6:03 PM] धनेश्वरी देवाँगन 'धरा': कुँडलिया शतक वीर हेतु 

 69).  साजन‌

मेरी चूड़ी  कंगना , मेरा हर श्रृंगार ।
साजन मेरे साथिया , जीवन के आधार ।।
जीवन के आधार , युगों की मैं हूँ थाती ।
छूटे मत अब संग  ,रहें ज्यों दीपक बाती ।।
कहे "धरा" स्वीकार , रहूँ हर युग में तेरी ।
कहती पायल पाँव , चमकती बिंदी मेरी ।।

70  ).   सजना

सजना सजना के लिए , निखरे छटा अनूप।
बनते साजन आरसी,  नैन निहारे रूप ।
नैन निहारे रूप , देखते रहते अपलक‌।
आये मोहे लाज , करे हिय धड़कन धकधक ।।
कहे 'धरा 'ये आज , सदा तुम में ही रजना ।
रहना हरदम साथ ,साजना खातिर सजना ।।

सजना =साजन‌/ श्रृंगार करना। 

*धनेश्वरी देवांगन "धरा"*
*रायगढ़, छत्तीसगढ़*
[30/01 6:04 PM] कृष्ण मोहन निगम: 30 जनवरी 2020
*कुंडलियाँ शतकवीर हेतु*
विषय।  ----   *यादें*
यादें   बचपन की   सदा,  देती हैं आनंद ।
छल प्रपंच से दूर थे , था जीवन   स्वच्छंद ।।
था जीवन स्वच्छंद ,  खेल, बस खेल सुहाता।
निज घर सा सब गाँव , कहीं भी खाना खाता ।।
"निगम" करें हठ चीज ,  पड़ोसी भी वह ला दें।
काम सभी   निष्काम ,  अहा ! ये मीठी यादें।।

 विषय      --  *छोटी*

छोटी बूंदे नीर की , मिलकर बनती सिंधु ।
छोटी कणिकाएं मिलें, हो.निर्मित गिरि,बन्धु।।
हो निर्मित गिरि बंधु, समुच्चय है जग,  लघु का।
ज्यों  कण-लघु-मकरंद, बनाते छत्ता मधु का ।।
कहे "निगम कविराज", भूख हित जैसे रोटी ।
उपयोगी हर  वस्तु., भले ही हो वो  छोटी ।।

कलम से....
*कृष्ण मोहन निगम* 
सीतापुर 
जिला सरगुजा (छत्तीसगढ़)
[30/01 6:07 PM] कुसुम कोठारी: कमल की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
३०/१/२०२०
कुसुम कोठारी।

कुण्डलियाँ (७५)

विषय-यादें
महके यादें फूल सी , सुरभित जीवन बाग ।
होली रंग गुलाल ज्यों , छाया मन में फाग ।
छाया मन में फाग , विगत बातें मधु रस थी ।
मुख पर लाती हास , रसा मकरंद   सरस थी ।
कुसुम बोध की शाख, पपीहा बैठा चहके।
खोल के रखूं द्वार , याद का पौधा महके।।

कुण्डलियाँ (७६)

विषय-छोटी 
छोटी छोटी बात से ,कभी न करना डाह ।
एक बार बिगड़े अगर ,मिट जाती है चाह ।
मिट जाती है चाह , मनों में बैर पनपता ।
थोड़े में दो टाल ,प्रेम सुख भाव चमकता ।
कुसुम हृदय धर बात, प्यार से खाना रोटी ।
डालो उन पर धूल , कड़ी बातें जो छोटी।।

कुसुम कोठारी।
[30/01 6:07 PM] धनेश्वरी देवाँगन 'धरा': कुँडलिया शतक‌वीर हेतु

 71)     बोली  

बोली मीठी बोलिए, मधुर शब्द रस घोल ।
कड़वी वाणी बाण सम , सोच समझ के बोल ।।
सोच समझ के बोल , कहे सब जन ज्ञानी ।
बोली से ही  मेल , बात ये सबने मानी ।।
करे "धरा" स्वीकार , जीभ मृदु चंदन‌ रोली ।
संत जनों का ज्ञान , सदा कर मीठी बोली ।।

72)       डोरी

डोरी बंधन नेह का , मध्य मातु संतान ।
अंश हृदय का लाडले , रख माता का मान ।।
रख माता का *मान* , *मान* ले मेरा कहना ।
मातु सुरक्षा डोर ,   सदा ही बाँधे रहना ।।
आती सुख की नींद , सुनाये माँ जब लोरी ।
माँ से सकल जहान , कभी टूटे मत डोरी।।

मान = सम्मान/ मानना

*धनेश्वरी देवांगन "धरा"*
*रायगढ़, छत्तीसगढ़*
[30/01 6:07 PM] बाबूलाल शर्मा बौहरा: °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
•••••••••••••••••••••••••••••बाबूलालशर्मा
.           *कलम की सुगंध छंदशाला* 

.           कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु

.              दिनांक - ३०.०१.२०२०

कुण्डलियाँ (1) 
विषय-  *यादें*
यादें हैं इतिहास की, रखिये याद सुजान।
खट्टी मीठी बात सब, गौरव  मान गुमान।
गौरव  मान गुमान, उन्हे हम रखें सँभालें।
करलें गलती याद, बचें उनसे  प्रण पालें।
शर्मा बाबू लाल, सोच  फिर अटल इरादे।
करें देश हित कर्म, रहें  अपनी  भी यादें।
•.                  ••••••••••  
कुण्डलियाँ (2) 
विषय-   *छोटी*
छोटी सी गुड़िया मिली, जिसे जन्म सौगात।
भाग्यवान वह है पिता, धन्य धन्य वह मात।
धन्य धन्य वह मात, पालने  शक्ति झुलाती।
सब  परिवार  प्रसन्न, सुने  बोली  तुतलाती।
शर्मा  बाबू  लाल, सुता सुन्दर  नख - चोटी।
कुदरत का वरदान, सृष्टि धुर गुड़िया छोटी।
•.                     •••••••••
रचनाकार -✍©
बाबू लाल शर्मा,बौहरा
सिकंदरा,दौसा, राजस्थान
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[30/01 6:07 PM] चमेली कुर्रे सुवासिता: कलम की सुगंध छंदशाला 
*कुण्डलिया शतकवीर*

दिनांक- 30/01/2020
कुण्डलिया- ( *73*)
विषय - *पाना*
पाना हरदम लक्ष्य को, चाहे जग में लोग। 
अपने अपने कर्म से, लेते दुख को भोग।। 
लेते दुख को भोग, नही सत कोई जाने। 
मिलती किस्मत लेख,सभी इसको है माने।। 
सुवासिता दे ध्यान, समझ इस जग में आना। 
करे परिश्रम रोज, लक्ष्य जिसको है पाना।।


कुण्डलिया -( *74*)
विषय - *खोना*
खोना किनको कष्ट दे, पूछो उनसे आज। 
मात पिता जिनके गये , बाल करे वे काज।। 
करे जगत में काज, अधूरा रहते सपने। 
अहंकार में लोग, दूर करते है अपने।। 
सुवासिता कर जोड़, कहे मत पल पल रोना। 
पकड़ हाथ में हाथ , नही अपनो को खोना।।

कुण्डलिया -( *75*)
विषय- *यादें*
यादें रहती साथ में , कहते हर इंसान। 
द्वार खड़े आ मौत जब , याद करे भगवान।। 
पथ देखे भगवान , वही लगते तब अपने। 
पल में पल को जोड़ , कहो अपने तुम सपने।। 
सुवासिता कर जोड़ , करो बस यही इरादे। 
गलती को कर माफ , बना खुशियों की यादें।।

कुण्डलिया - ( *76*)
विषय- *छोटी*

छोटी छोटी बात पर , लड़ते घर में लोग। 
सुख दुख में फिर साथ दे , मन में रख संयोग।। 
मन में रख संयोग , कहें वे जो है अपने। 
आँगन लेते बाट , तोड़ देते हर सपने।। 
सुवासिता दे ध्यान ,गूंथ गम की चोटी। 
मन में रख विश्वास , करे क्यों बाते छोटी।।

          🙏🙏🙏
✍चमेली कुर्रे 'सुवासिता'
जगदलपुर (छत्तीसगढ़)
[30/01 6:08 PM] सरला सिंह: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुंडलियाँ शतकवीर हेतु*

  *30/01/2020*
*दिन -वीरवार*
*विषय - यादें,छोटी*
*विधा-कुंडलियां*

      *75-यादें* 
भूली सी यादें मेरी , आतीं मुझको याद।
कहती चल फिरसे वहीं,करती हैं फरियाद।
करतीं हैं फरियाद,बड़ा बचपन था प्यारा।
सारा बीता आज, बड़ा लगता है न्यारा।
कहती सरला बात,लगें दुनिया ये शूली।
लगती सुन्दर आज, रही यादें जो भूली।
      *76-छोटी*
बनती है देखो बड़ी ,छोटी-छोटी बात,
समझो फिर बोलो सखी, रहे ध्यान जज्बात।
रहे ध्यान जज्बात,साथ सबका तुम देना।
बनना सबके मीत, सभी के दुख हर लेना।
कहती सरला बात ,लगे दीवाली मनती।
जिनका ऐसा साथ,बात उनकी है बनती।।

    *डॉ सरला सिंह स्निग्धा*
     *दिल्ली*
[30/01 6:12 PM] बोधन राम विनायक: *कलम की सुंगध छंदशाला*
कुण्डलियाँ - शतकवीर सम्मान हेतु-
दिनाँक - 30.01.2020 (गुरूवार)

(75)
विषय - यादें 

यादें  तड़पाती  मुझे, चैन  नहीं दिन रात।
हर पल आती याद है,उससे की जो बात।।
उससे की जो बात,हमें जब याद सताती।
मिलने को मजबूर,वही यादें घिर आती।।
कहे विनायक राज, किये उसने जो वादें।
उन्हीं दिनों की बात, बसी है मन में यादें।।

(76)
विषय - छोटी

छोटी-छोटी बात पर,कभी न लड़ना आज।
रहो सदा ही  प्रेम से, बनते हैं सब काज।।
बनते हैं सब काज,सहारा सब का बनना।
भाई-भाई प्रेम, सदा ही जीवन भर करना।।
कहे विनायक राज,काम समझो मत खोटी।
सबका आज महत्व,बड़ी चाहे हो छोटी।।


बोधन राम निषादराज"विनायक"
[30/01 6:13 PM] प्रतिभा प्रसाद: *कुंडलियाँ*
विषय  ----   *यादें, छोटी*
दिनांक  --- 30.1.2020....

(75)              *यादें*

यादों को कैसे भुलूँ , जीवन का है सार ।
लेखा जोखा कर्म का , मत कह जीवन भार ।
मत कह जीवन भार , सदा मुल्यांकन करना ।
रिश्तों को कर याद , भावना में बह डरना ।
कह कुमकुम कविराय , प्रीत देना वादों को।
जीवन की है रीत , रखो जीवित यादों को ।।



(76)              *छोटी*

छोटी क्यों ना भूल हो‌ , रखना इसको याद ।
जीवन की यह सीख है , सदा काम है बाद ।
सदा काम है बाद , भूल हो जाती छोटी ।
भूल से लिया सीख , काम मतकर खोटी ।
कह कुमकुम करजोरि , काम नित करना बेटी ।
मिले प्यार परिवार , भूल करना मत छोटी ।।


🌹 *प्रतिभा प्रसाद कुमकुम*
       दिनांक  30.1.2020.....

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[30/01 6:14 PM] राधा तिवारी खटीमा: कलम की सुगंध
 शतकवीर हेतु कुंडलियां 
विषय यादें छोटी 
30/01/ 2020

यादें(75) 

यादें बिटिया की करे, माता को हलकान।
 माता बनना जगत में, समझो मत आसान।
 समझो मत आसान ,करे वो सब पर छाया।
रखती उसका ध्यान, अरे जो गोदी आया।
कह राधेगोपाल, करें बच्चों से बातें।
आती रहती याद, अरे बिटिया की यादें।।

छोटी (76)

 छोटी छोटी बात को, देना मत तुम तूल।
 रिश्ते रखने के लिए,कुछ बातों को भूल।।
 कुछ बातों को भूल, सभी से विनती मेरी।
  करने सबको माफ, कभी करना मत देरी।
 कह राधेगोपाल, करो मत बातें खोटी।
 देना मत तुम तूल ,कभी बातों को छोटी।

राधा तिवारी"राधेगोपाल"
 खटीमा 
उधम सिंह नगर
 उत्तराखंड
[30/01 6:21 PM] वंदना सोलंकी: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुंडलियाँ  शतकवीर हेतु*

गुरुवार-23.01.2020

*65)आशा*

आशा मन में जागती, अच्छा होगा साल।
बीत गया वो भूल जा,खुश रहना हर हाल।
खुश रहना हर हाल,छोड़ दो बीती बातें।
जग परिवर्तन शील,खुशी गम आते जाते।
सुन वन्दू की बात,घटा कर घोर निराशा।
मानव दिल के भाव,रखो तुम मन में आशा।।

*घटा कर=कम कर

*66)उड़ना*

उड़ना नहीं घमंड में,रखो धरा पर पैर।
मीठी बोली बोलना,नहीं किसी से बैर।
नहीं किसी से बैर,सहज स्वभाव में रहना।
सबसे बढ़कर प्रेम, वचन मत तीखे कहना।
सुन वन्दू के बोल,सहज है सबसे जुड़ना।
रखना विनीत भाव,नहीं अम्बर में उड़ना।।
**
शनिवार-25.01.2020

*67)खिलना*

खिलना सुंदर पुष्प का,अजब प्रकृति का राज।
रूप रंग विभिन्न धरे,खेल खेले रंगबाज।
खेल खेले रंगबाज,धरा की छटा लुभाये।
खिली आभा चहुँओर,सभी के दिल को भाए।
करता मन ये भ्रम,धरा अम्बर का मिलना।
कभी झरेगे फूल,कभी उन्हें हैं खिलना।।

*68)होली*

होली का त्यौहार है, जिसमें रंग हजार।
शत्रु मित्र हर एक का,मिलता सबको प्यार।
मिलता सबको प्यार,पर्व की छटा निराली।
हो सबमें सद्भाव,नहीं तुम देना  गाली।
सुन वन्दू निज भाव,न बोलो कड़वी बोली।
छोड़ो सब मतभेद,खुशी से खेलो होली।।

*रचनाकार-वंदना सोलंकी*
*नई दिल्ली*

सादर समीक्षार्थ
[30/01 6:29 PM] राधा तिवारी खटीमा: दिनांक  30/01/2020
दिन  गुरुवार
विषय  सरस्वती वंदना विधा  चौपाई छंद

आज बसंत दिवस है आया
 बाग फूल बूटा इतराया
 तितली ने भी पँख फैलाए 
काले भँवरे भी उड़ आए

सूरज जब नभ में आएंगे 
धरा  पे किरणें बिखराएंगे
चारों ओर हुई खुशहाली
 फूल तोड़ने आए माली

 सरस्वती की करो वंदना 
महकेगा सबका घर अँगना
 माता जी का ध्यान करेंगे।
उनके दुखड़े सदा हरेंगे

तुम स्वर की देवी कहलाती
 बजा के वीणा हमें सुनाती
 ज्ञान जिसे भी है मिल जाता 
वह फिर कभी नहीं गिर पाता

 धन्य धन्य हो मातु शारदे
 अज्ञानता से हमें तार दे
 राधे जपती नाम तुम्हारा
 तुम दे देना सदा सहारा

 राधा तिवारी' राधेगोपाल'
[30/01 6:38 PM] डॉ मीना कौशल: यादों के संसार में,विचरण मन का रोज।
खट्टी मीठी याद में,खुशियाँ लेता खोज।।
खुशियाँ लेता खोज,निराली है ये दुनिया।
बचपन की वो याद,खेलना गुड्डे गुड़िया।।
खेल खिलौने मौज,सुनहरे वादों के।
हम जीते है खुशी,सहारे यादों के।।

छोटी

छोटी सी पहचान से,मानव जाता फूल।
चन्दन माटी देश की,उसको जाता भूल।।
उसको जाता भूल,मूल की बातें सारी।
करे दिखावा रोज ,भूल बचपन किलकारी।।
आज गरीबों की थाली,में चहिए रोटी।
बनों स्वयं से वीर,सृजन की सेना छोटी।।
डा.मीना कौशल
[30/01 6:42 PM] रामलखन शर्मा अंकित: जय माँ शारदे

कुंडलियाँ

77. यादें

यादें रखो सहेजकर, तब आएंगी काम।
घिर आएगी जब कभी, विरहा की वो शाम।
विरहा की वो शाम, दूर जब होंगे प्रियतम।
बेबस हो दिल आप, छोड़ देगा जब संयम।।
कह अंकित कविराय, काम उर भाव जगा दें।
करने तब प्रिय ध्यान, काम आएंगी यादें।।

78. छोटी

छोटी छोटी बात पर, करो नहीं तकरार।
मानव क्या हर जीव से, कीजै सच्चा प्यार।।
कीजै सच्चा प्यार, सभी को अपना मानो।
समझो मानव धर्म, स्वयं को भी पहचानो।।
कह अंकित कविराय,छोड़ दो नीयत खोटी।
सोचो करो विचार, बात हो चाहे छोटी।।

----- राम लखन शर्मा ग्वालियर
[30/01 6:44 PM] +91 99810 21076: कुण्डलिया शतक वीर हेतु
दिनांक-30/01/2020

11-यादें

बचपन की हर बात को,यादें अपनी जान।
साथी जब हो मेल,मिलकर करना मान।।
मिलकर करना मान,भूलना है गद्दारी।
खेले जिनके साथ,याद रखना सब यारी।।
उमर हुआ जो आज,रहे चाहे वह पचपन।
सखा मिले जो मोड़,चेतना में हो बचपन।।

12-छोटी

छोटी छोटी बात में,झगड़ा करते लोग।
मानव भूले प्यार को,नफरत बनता रोग।।
नफरत बनता रोग,कहें किसको जो माने।
करना मानव प्रेम,इसी में जन्नत जाने।।
भेद भाव हो दूर,देख मत मोटा मोटी।।
बने सभी दिलदार,सोच छोड़े हम छोटी

राजकिशोर धिरही
[30/01 6:51 PM] अनिता सुधीर: शतकवीर हेतु

75
यादें 
बीती यादें कोष में ,मिले जुले हैं भाव ।
कुछ यादों से सुख मिले,कुछ से रिसते घाव ।
कुछ से रिसते घाव,भूलना इनको चाहा ।
कब तक सुनें कराह,किया घावों को स्वाहा।
कहती अनु ये बात ,गरल वो कब तक पीती।
जीवन की अब साँझ ,भुलाईं बातें बीती ।

76
छोटी
बातें छोटी ही सही,बिगड़ रहे सम्बन्ध।
सहन शक्ति का ह्रास हैं,छूटा जाये स्कंध।
छूटा जाये स्कंध,बने थे  कभी सहारा ।
हुई अहम की जीत,करें ये जीवन स्वाहा ।
बीत गया वो काल ,जहाँ सब मिल जुल खाते।
लायें सुखद प्रभात,भूलिये वो सब बातें ।

अनिता सुधीर
[30/01 6:57 PM] शिवकुमारी शिवहरे: Title: बोली

Date: 30 Jan 2020

Note:
(No Text Provided...)
बोली 

बोली ऐसी बोलिये, मुँह मे मिश्री घोल।
औरन को मीठी लगे, बोलो ऐसे बोल।
बोलो ऐसे बोल, सदा मन को है भावे।
वाणी रहे मिठास, सभी चरणों मे आवे।
मीठी रहे जुवान,सदा मिश्री रही घोली।
बोलो मीठे बोल, बोलिये ऐसी बोली।


शिवकुमारी शिवहरे




Date: 30 Jan 2020

Note:
खिलना

बाग खुशबू से भरा, खूब खिले है फूल।
खिलता रहता है सदा,साथ रहे है शूल।
साथ रहे है शूल, फूल खुशबू से महका।
समय रहे प्रतिकूल, हमेशा रहता चहका।
कोयल गाती गान,वो पंचमसुर का  राग।
खिले बाग मे फूल, भरता खुशबू से बाग।

शिवकुमारी  शिवहरे


Title: आशा

Date: 30 Jan 2020

Note:
आशा

आशा मन की भावना, भाव रहित मन रोग।
 तृष्णा लालच सदा बढ़े, सदा करे मन भोग।
सदा करे मन भोग, सदा आशा  दुखदाई।
लालच है भरपूर,  नही है यह सुखदाई।
आशा पर विश्वास, सदा से मिले निराशा।
लालच बना है रोग ,तू न इतनी कर आशा।


शिवकुमारी शिवहरे


Title: खोना

Date: 30 Jan 2020

Note:
खोना

खोना कभी न चाहिये, सम्मान ,मान विश्वास।
रखिये जरा सभाँल के,मन भरता उल्लास।
मन भरता उल्लास, सभी से हँसकर बोलो
करना ऐसे काम ,हमेशा भाव से तोलो।
मिलकर रहना साथ,सदा जीवन भर रोना.
बना रहे सम्मान,नही विश्वास है खोना।

शिवकुमारी शिवहरे
[30/01 6:57 PM] रजनी रामदेव: शतकवीर प्रतियोगिता हेतु
30/01/2020:: वीरवार

छोटी
छोटी-छोटी बात पे,आँसू खोलें राज़।
झरझर झरते आँख से, होती जब नाराज़।।
होती जब नाराज़ , हमारी प्यारी बीवी।
खट्टी मीठी और, रसीली सी जो कीवी।।
एक टाँग पर खड़ा ,करूँ क्या बतला मोटी।
क्यूँ होती नाराज़, बात पर छोटी- छोटी।।

यादें
यादें कुछ अनमोल सी, रहतीं बन मनमीत।
यदा कदा वो आन कर, गातीं मधुरम गीत।।
गाती मधुरम गीत, बने स्वर लेखा-जोखा।
रहता सँग संगीत ,बनाकर एक झरोखा।
झनक-झनक झनकार,नृत्य जो झूम करा दें।
करतीं आ मनुहार, सरस सी मधुरिम यादें।।
          
                  रजनी रामदेव
                    न्यू दिल्ली
[30/01 7:01 PM] इंद्राणी साहू साँची: कलम की सुगंध छंदशाला

कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु

दिनाँक - 30/01/2020
दिन - गुरुवार
75 - कुण्डलिया (1)
विषय - यादें
**************
होती यादें कीमती , हृदय बसे दिन रात ।
चल देते हैं लोग पर , रह जाती है बात ।
रह जाती है बात , याद हर पल वो आती ।
कडुवी हमें रुलाय , बोल मीठी हरषाती ।
अच्छी प्यारी याद , चमकती है ज्यों मोती ।
जीना कर आसान  , बीज खुशियों के बोती ।।

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76 - कुण्डलिया (2)
विषय - छोटी
****************
छोटी सी है जिंदगी , क्षण क्षण है अनमोल ।
कडुवी बातें छोड़कर , बोलो मीठे बोल ।
बोलो मीठे बोल , यही मन को हरषाता ।
भरकर कडुवे घाव , हृदय में प्रेम जगाता ।
करके कलुषित काम , नियत मत करना खोटी ।
भर दो खुशी अपार , बात में छोटी छोटी ।।

********************************
✍️इन्द्राणी साहू "साँची"✍️
   भाटापारा (छत्तीसगढ़)
★★★★★★★★★★★★★★★★
[30/01 7:24 PM] आशा शुक्ला: कलम की सुगंधछंदशाला
कुंडलियाँ शतकवीर हेतु

(75)
विषय-यादें
मेला  सपनों  का लगा , नींदों  से अनुबंध।
यादें  रिस-रिस आ रहीं,तोड़ ह्रदय-तटबंध।
तोड़  ह्रदय-तटबंध, नित्य  सपनों में आतीं।
सूत्रधार की भाँति, डोर पर जगत  नचातीं।
यादों का यह लोक ,बड़ा अद्भुत अलबेला।
यादें   बनतीं  रोज, दिवास्वप्नों  का  मेला।


(76)
विषय-छोटी
देखा अक्सर है गया ,एक अनोखा तथ्य।
बनता छोटी बात का ,भारी भरकम कथ्य।
भारी भरकम कथ्य, बना पर्वत राई का।
एक जरा सी बात ,बनी बीज लड़ाई का।
करके छोटी भूल ,सिया ने लाँघी रेखा।
झेला दुख का दंश,नहीं सुख का मुख देखा।

आशा शुक्ला
शाहजहाँपुर, उत्तरप्रदेश
[30/01 7:25 PM] अनुराधा चौहाण मुम्बई: कलम की सुगंध
शतकवीर कुण्डलियाँ
दिनाँक--30/1/28

75
यादें
यादें धड़कन हैं बनी,दिल में करती वास।
खट्टे-मीठे रूप में,बनती जीवन आस।
बनती जीवन आस,खुले यादों की खिड़की।
होंठों पे मुसकान,कभी दे कड़वी झिड़की।
कहती अनु सुन आज,चलो कुछ ऐसा गा दें।
भूले बीती बात,कभी सताएंँ न यादें।

76
छोटी
छोटी सी है लाडली,छुप-छुप करती शोर।
माँ को आते देख के,भागे घर की ओर।
भागे घर की ओर,चढ़ी दादा की गोदी।
झूठे आँसू आँख,लिपट दादी से रो दी।
कहती अनु यह देख,करे शैतानी खोटी।
नन्ही सबकी जान, बड़ी प्यारी है छोटी।

अनुराधा चौहान
[30/01 7:28 PM] गीता द्विवेदी: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलिया शतकवीर प्रतियोगिता हेतु
दिनांक-30-01-020

75
विषय-यादें

यादें नागिन डस रहीं, देतीं गरल उड़ेल।
क्षण दिखतीं क्षण में छिपें, खेलें मुझसे खेल।।
खेलें मुझसे खेल, कभी तो हरषा जातीं।
बन जातीं वो बीन, मुझे लहराती जातीं।।
करतीं रह रह वार, नहीं हैं नेक इरादे।
बैठ कुण्डली मार, बहुत दुख देतीं यादें।।


76
विषय-छोटी

छोटी मछली ताल में, तैरे दिन अरु रात।
लक्ष्य कभी साधा नहीं, फिरती है बिन बात।
फिरती है बिन बात,मचलती निर्मल धारा।
डरती छाया देख, गगन में हँसता तारा।।
जब तक जीती राह, नहीं अपनाती खोटी।
सर उसका संसार, मगन नित मछली छोटी।।



सादर प्रस्तुत🙏🙏
गीता द्विवेदी
[30/01 7:30 PM] गीता उपाध्याय: आज दिनाँक - 30/02/2020
दिन - गुरुवार
विषय - सरस्वती वंदना
विधा - चौपाई छन्द
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जय जय जय सरस्वती माता।
विद्या   दायक  ज्ञान  प्रदाता।।
हंसवाहिनी     मंगल     दाता।
करती कृपा तभी तम जाता।।

कमल आसिनी माता वर दे।
मेरा तन मन पावन कर दे।।
वीणापाणि अभयता भर दे।
उर अंतर में ज्योति अमर दे।।

पावन अपना धर्म निभाऊँ।
अपने पथ पर बढ़ती जाऊँ।।
कर माँ कृपा ज्ञान मैं पाऊँ।
अपना जीवन सफल बनाऊँ।।

            ✍सुश्री गीता उपाध्याय
                  रायगढ़ (छत्तीसगढ़)
[30/01 7:33 PM] अनुपमा अग्रवाल: कलम की सुगंध छंदशाला 

कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु

दिनांक - 30.01.2020

कुण्डलियाँ (69) 
विषय-साजन
साजन ही सौभाग्य हैं,साजन से श्रृंगार।
साजन मन के मीत हैं,साजन मेरा प्यार।
साजन मेरा प्यार,सखी मैंने है जाना।
साजन से हूँ  पूर्ण,यही मैंने तो माना।
अनु साजन हैं प्रभु,वही इस भव के राजन।
सच्ची उनसे प्रीत,प्रिय मुझको हैं साजन।।




कुण्डलियाँ (70)
विषय-सजना
सजना मन के भाव का,काया तो दिन चार।
सुन्दरता आचार में,सुन्दर हो व्यवहार।
सुन्दर हो व्यवहार,रहो हरदम निर्मल।
सजना मन अनिवार्य,करो न दुखी मन निर्बल।
सुन लो अनु की बात, सदा ही हरि को भजना। 
प्रभु का दिल पर राज,चाह में प्रभु की सजना।।



   
     

रचनाकार का नाम- 

अनुपमा अग्रवाल 

कलम की सुगंध छंदशाला 

कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु

दिनांक - 30.01.2020

कुण्डलियाँ (71) 
विषय-डोरी
डोरी बँधी पतंग से,छूना है आकाश।
बंधन लगता डोर का ,जाने डोरी  पाश।
जाने डोरी पाश,नहीं बंधन में रहना।
बंधन को फिर तोड़, बयार संग है बहना।
सुन लो अनु की बात,करो मत जोराजोरी।
जुड़ो जड़ से जरूर,यही कहती है डोरी।




कुण्डलियाँ (72)
विषय-बोली
बोली ऐसी बोलिये,दूर करे संताप।
सुनने में मीठी लगे,वाणी छोड़े छाप।
वाणी छोड़े छाप,बोल मीठे ही बोलो।
शब्दों से हों घाव,शब्द शब्दों से   तोलो।
कहती अनु ये शब्द,शब्द बन जाते  गोली।
वाणी ले मन जीत,सदा हो मीठी बोली।।




   
     

रचनाकार का नाम- 

अनुपमा अग्रवाल
[30/01 7:43 PM] पुष्पा विकास गुप्ता कटनी म. प्र: कलम की सुगंध छंदशाला
*कुडलिया शतकवीर हेतु*

दिनाँक- 30.1.2020
कुडलिया(75) *यादें*

जाती कभी न छोड़कर, रहती दिल के पास।
कभी-कभी ये याद भी, करती हमें उदास।।
करती हमें उदास, बहें फिर बनके पानी।
दिन हो चाहे रात, वही हर बात पुरानी।।
प्रांजलि का ये हाल, हँसाती कभी रुलाती।।
सदा निभाए साथ, याद ये आती जाती।।

कुडलिया (76) *छोटी*

छोटी-छोटी  बात  से, बनते  बड़े बवाल।
है बिडम्वना देश की, सबसे बड़ा सवाल।।
सबसे बड़ा सवाल, बदलता आँदोलन में।
आपस में मतभेद, चोट भी लगती मन में।।
धिक-धिक ऐसा दृश्य, मनुज की नीयत खोटी।
रूप धरे विकराल, बात जो लगती छोटी।।

पुष्पा गुप्ता "प्रांजलि"
[30/01 7:52 PM] अभिलाषा चौहान: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलिया शतकवीर हेतु
*******************
कुण्डलिया(७५)
विषय-यादें
यादें साया बन चली, कदम-कदम पर साथ।
अच्छी हों या हों बुरी,कभी न छोड़ें साथ।
कभी न छोड़ें साथ,बनी ये ठंडी छाया।
बनके साथी मीत,सदा ही दिल बहलाया।
कहती'अभि'निज बात,घाव को ये सहला दें।
जीवन में बस एक,रहीं बन अपनी यादें।

कुण्डलियाँ(७६)
विषय-छोटी

छोटी-छोटी गलतियाँ,बुनती मायाजाल।
आदत जो इनकी पड़ी, उठते कई सवाल।
उठते कई सवाल,असर जीवन पर भारी।
गले पड़े फिर हार,बुद्धि जाती है मारी।
कहती'अभि'निज बात,जोर फिर एड़ी-चोटी।
बने नहीं फिर बात,भले हो कितनी छोटी।

रचनाकार-अभिलाषा चौहान
[30/01 7:53 PM] विज्ञात: कलम की सुगंध शतकवीर हेतु 
कुंडलियाँ -75
दिनांक -30-1-20

विषय -यादें

यादें अच्छी दे खुशी,  कड़वी दे मन चीर l
भूले से कब भूलती, हिरदे की कुछ  पीर  l
हिरदे की कुछ पीर, करे विचलित पल बीते l
रहता हृदय उदास, लगे भीतर से रीते l
कहती सुनो सरोज, अभी कुछ मीठा गा दें l
देखो अपना आज, याद कर अच्छी यादें l


कुंडलियाँ -76
दिनांक -30-1-20

विषय -छोटी

छोटी छोटी बात पर, जाते क्यूँ तुम रूठ l
बात बात पर बोलते, जाने कितने झूठ l
जाने कितने झूठ, हँसी में बातें टाली l
गजरा आये भूल, गले में बाहें डाली 
कहती सुनो सरोज, प्रीत की अंखियाँ मोटी। 
बालम हैं मगरूर, करे नित गलती छोटीl

सरोज दुबे 
रायपुर छत्तीसगढ़ 
🙏🙏🙏🙏
[30/01 8:00 PM] कन्हैया लाल श्रीवास: विषय ..........सरस्वती वंदना
विधा............ चौपाई
★★★★★★★★★★★★★★★★★
पावन  तिथि आये शुभदायक।
दिन बसंत है अति फलदायक।
            जनम  दिवस  है  शारद  माता।
            अखिल जगत के बुद्धि प्रदाता।।1।।
★★★★★★
वीणा  धारे  हंस सवारी।
वंदन चंदन मात दुलारी।
            कला ज्ञान के  तुम अवतारी।
            गीत साज के सिरजन कारी।।2।।
★★★★★★
माथ नवाऊँ शुभ फल पाऊँ।
शारद  माँ को  मंच  बुलाऊँ।
           नमन करूँ मैं प्रथम गणेशा।
           ता  पाछे  जग माँ  वागीशा।।3।।
★★★★★★
तिमिर हरो हे जग कल्याणी।
सत्य  वचन  हो  मेरी  वाणी।
           सात स्वरो के तुम हो ज्ञानी।
           ज्ञान विवेक के तुम वरदानी।।4।।
★★★★★★★★
द्वार खड़े है सब जन तेरे।
कृपा  करो  हे  माता मेरे।
           विमल वसन धारे जग माता।
           पाठ  सदा  मंगलमय  भाता।।5।।
★★★★★★★★
पाठ करें जो सब नर नारी।
पावे  शुभदा  मंगल  कारी।            
           शील मनोहर जन हितकारी।
           सादर शारद अति सुखकारी।।6।।
★★★★★★★★★★★★★★★★★
स्वलिखित
कन्हैया लाल श्रीवास
भाटापारा छ.ग.
बलौदाबाजार भाटापारा
[30/01 8:12 PM] कमल किशोर कमल: नमन मंच
कुंडलियाँ शतकवीर हेतु
30.01.2020
73-पाना

पाना है संसार में,धन वैभव यश मान।
श्रम तप सेवा कर बढ़ो,पूरे हों अरमान।
पूरे हों अरमान,परिश्रम पूंजी समझो।
जितना बड़ा निवेश,सूद संग मिलना समझो।
कहे कमल कविराज,धरा का मोती दाना।
चला सरल अभियान,इसे मिल- जुलकर पाना।

74-खोना

खोना पाना जानकर,चलो करें संधान।
अमर तत्व  देता यहाँ,हलधर वीर किसान।
हलधर वीर किसान,धरा का सच्चा बालक।
कर पैदा खाद्यान्न,बना है सबका पालक।
कहे कमल कविराज,उगाता असली सोना।
इससे भरता पेट,इसे कोई मत खोना।

75-यादें

जीवन के इतिहास में,यादें रहतीं शेष।
कैसे- कैसे लोग थे,कैसे-कैसे भेष।
कैसे -कैसे भेष,भावना कैसी रखते।
कैसा था परिवेश,कामना कैसी रखते।
कहे कमल कविराज,खोजते हैं संजीवन।
अपना- अपना छोड़,याद कर जीते जीवन।
76-छोटी-

छोटी-छोटी भूल जब,बन जाती नासूर।
जीना हो जाता दुखद,मानस लिए फितूर।
मानस लिए फितूर,लक्ष्य से दूरी बढ़ती।
श्रम पूंजी बेकार,सफलता सीढ़ी ढलती।
कहे कमल कविराज,देखकर चलना गोटी।
हार जीत के बीच,जीतना है बस छोटी।

कवि-कमल किशोर "कमल"
        हमीरपुर बुन्देलखण्ड।
[30/01 8:15 PM] संतोष कुमार प्रजापति: कलम की सुगंध छंदशाला 

*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु* 

दिनांक - 30/01/2020

कुण्डलिया (75) 
विषय- यादें
==========

यादें     तेरी    रात - दिन, चेरापूँजी     नेत्र I
दर्शन को  पथ  ताकती, देख दूर तक क्षेत्र ll
देख दूर तक क्षेत्र, पथिक जब कोई आता l
सोचूँ  मेरा  श्याम, समझ  पाया अब नाता ll
'माधव' धोखा  देख, लगाऊँ पुनि फरियादें l
जलबिन  तड़पे  मीन, वही विधि तेरी यादें ll

कुण्डलिया (76) 
विषय- छोटी
===========

छोटी - छोटी  बात  में, नहीं  पकड़िये  तूल l
अच्छी  सेहत  के लिए, आप  जाइये  भूल ll
आप  जाइये  भूल, फणी विष  चन्दन जैसे l
शीतलता  अरु  गन्ध, सदा  बरसाता  वैसे ll
कह 'माधव कविराय', पहुँचिए उन्नति चोटी l
पथ कंकड़ सम बात, भुलाओ छोटी-छोटी ll

रचनाकार का नाम-
           सन्तोष कुमार प्रजापति 'माधव'
                        महोबा (उ.प्र.)
[30/01 8:26 PM] सुशीला जोशी मुज़्ज़फर नगर: *कलम की सुगंध कुंडलियाँ प्रतियोगिता 2019-2020*
30-01-2020

75-- *यादें*

धुनिया ये हिय हो गया ,कर कर उनको याद ।
कभी याद आये हँसी , कभी त्रिभंगी पाद ।
कभी त्रिभंगी पाद , याद आये  बाँसुरिया ।
कभी मोर का पंख ,सभी विरहन का हरिया।
गल बैजंती माल , गोपिकाओं की दुनिया।
कर कान्हा को याद , हुआ ये उर भी धुनिया ।

76---- *छोटी*

छोटी छोटी बात पर ,मत उलझो तुम यार ।
छोटी छोटी बात ही , बने बड़े व्यापार ।
बने बड़े व्यापार , दुश्मनी पैर पसारे ।
मन में रचते घाव ,कभी पीड़ा न बिसारे ।
मुँह से उगले आग ,बात कहते कुछ खोटी ।
टालो सारी बात  ,बात जो  छोटी छोटी ।

सुशीला जोशी।
मुजफ्फरनगर
[30/01 8:27 PM] कन्हैया लाल श्रीवास: कलम की सुगंध छंद शाला.....कलम शतकवीर 
हेतु
★★★★★★★★★★★☆★★★★★                    
          *विषय.....सजना*
            विधा........कुण्डलियाँ
★★★★★★★★★★★★★★★★★
सजना मुझको साँवरे,चाँद मिलन की रात।
चटक चाँदनी  रात में, करें  प्रेम  बरसात।।
करें  प्रेम  बरसात ,बने जब अखियन मोती।
करती  निर्मल  प्रेम,सजी प्रियतम की होती।।
कहता कवि श्रीवास, रहे मधुबन सा अंँगना।
भाता  मधुरस  प्रीत,लगी सजनी का सजना।।
★★★★★★★★★★★★★★★★★
               *विषय .......डोरी*
                 विधा........ कुण्डलियाँ
★★★★★★★★★★★★★★★★★
डोरी रेशम की बँधी,पाया बहना प्यार।
मात पिता के साथ,बहन ईश उपहार।।
बहन ईश उपहार,रही बुलबुल सी प्यारी।
करती वह मनुहार,बनी  घर राज दुलारी।।
कहता कवि श्रीवास,सुने सुंदर सी लोरी।
करती  सबसे  नेह , प्रेम  से  खीचें डोरी।।
★★ ★★★★★★★★★★★★★★★
स्वलिखित
कन्हैया लाल श्रीवास
भाटापारा छ.ग.
बलौदाबाजार भाटापारा
[30/01 8:41 PM] सुकमोती चौहान रुचि: कलम की सगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु

दिनाँक- 28/01/2020

71 *डोरी*

कृष्णा माखन चोर से,होकर यशुमति तंग।
डोरी लेकर बाँधती,बड़ी ओखली संग।
बड़ी ओखली संग,नहीं दूँगी मैं रोटी।
ज्यों ज्यों जोड़े और,पड़ी दो अंगुल छोटी।
धन्य धन्य है भाग्य, बुझी रज्जू की तृष्णा।
प्रभु का पाये स्पर्श,और बाँधे श्रीकृष्णा।

72 *बोली*

बोली ऐसी बोलिए,सबको दे संतुष्टि।
मलहम जैसी शांतमय,खुशियों की  हो वृष्टि।
खुशियों की हो वृष्टि,दूर होंगी बाधाएँ।
मधुर वचन तू बोल,हरेंगी सब पीड़ाएँ।
कहती रुचि करजोड़,न दागो हिय में गोली।
बनकर अचूक तीर,करे घायल यह  बोली।

सुकमोती चौहान रुचि 
बिछिया,महासमुन्द,छ.ग.
[30/01 8:43 PM] गीतांजलि जी: कुण्डलिया शतकवीर 
दिनांक ३०/०१/२०

७५) यादें (स्मृति)

स्मृति सुमधुर ममता भरी, आकर मन के द्वार। 
सहला जातीं है मुझे, दे कर माँ का प्यार।।
दे कर माँ का प्यार, भरे नव बल मम तन में। 
करे उजागर राह, घने तम दण्डक वन में।।
सुनो लक्ष्मण भ्रात, बरस चौदह रख कर धृति।
करे प्रतीक्षा मात, धरे मन में मृदु मम स्मृति।।

७६) छोटी

कहती रानी हो दुखी, छोटी तुझको जान। 
स्नेह सरल दिया सदा, सादर सह सम्मान।।
सादर सह सम्मान, नहीं कुछ अंतर ठाना।
अनुजा का दे स्थान, नहीं सौतन था माना।।
पति को तुझ से बाँट, रही बरसों मैं सहती।
क्यूँ, कैकेयी, घात, किया, कौशल्या कहती।।

गीतांजलि अनकही
[30/01 8:46 PM] डा कमल वर्मा: कलम की सुगंध छंद शाला प्रणाम🙏🏻।                                     कुंडलियाँ शतक वीर के लिए रचना। 
 डॉक्टर श्रीमती कमल वर्मा। 
 कुंडलियाँ क्रमांक81
 विषय _यादें
 यादें तेरी है पिया,सदा जलाती अंग।
 भेज वन को क्यों दिया,नाथ लखन के संग। 
 नाथ लखन के संग,बहे नैनों से धारा। 
 बिरहन तड़पे आज, कौन है सखा हमारा। 
 कमल दिए बन भेज,सिया को कौन इरादे। 
 पुत्र पालती गर्भ,संग रघुवर की यादें।
 कुंडलियाँ क्रमांक82
 विषय_छोटी
 छोटी सी यह जिंदगी,करना मत बेकार। 
 अलग काम ऐसा करें,नाम बढे संसार। 
 नाम बढे संसार,मदद दुखियों की करना। 
 देख कई बीमार,दवा के बिन है मरना।। 
 कमल यही है काम, करें मत इसमें खोटी। 
 स्वास्थ्य करना दान, बढा आयु जो छोटी।। 
 कृपया समीक्षा करें
[30/01 8:46 PM] केवरा यदु मीरा: शतक वीर कुंडलिया छंद 
30-1-2020

यादें 72

यादें खुशियाँ दे रही, देती भी है पीर 
मीठी तो भाती हमें, कटुक कलेजा चीर ।
कटुक कलेजा चीर, कभी है कसक बढ़ाती ।
मीठी कहती सोच, याद तो आती जाती ।
कहती मीरा आज, चलो अब सभी भुलादें ।
जीवन है इक गीत, समझ लो वैसी यादें ।।

छोटी 74

छोटी छोटी बात पर, करते हैं तकरार ।
इसी बात पर देखिये, बँटता है परिवार ।
बँटता है परिवार, भ्रात से लड़ता भाई ।
लेकर के तलवार, बना है देख कसाई ।
रोते हैं पित मात,  साथ जो खाते रोटी ।
लड़ते अपने आज, बात है कितनी छोटी ।।

केवरा यदु"मीरा "
राजिम
[30/01 8:58 PM] पाखी जैन: 30/01/2020
*शतकवीर हेतु कुंडलियाँ*
29/01/2020 की 
*पाना*
पाना सरल है जग में,वैभव ,धन औ' मान ।
दुर्लभ है संसार में ,एक जथारत ज्ञान।
एक जथारथ ज्ञान,वही तुम हो क्यूँ भूले ।
नीरस होते भाव,झूठ के झूले ,झूले।
पाखी रख लो याद,सरल है श्रम से दाना।
शारद माँ का ज्ञान, सभी को है जो पाना ।
जथारथ--यथार्थ 

*खोना*
खोना सीता का हुआ,राम पर वज्रपात।
आँसू बहते आँख से,दुर्बल होता गात।
दुर्बल होता गात,बने वनचर अनुगामी ।
लखन संग हैं राम,पूत दशरथ के नामी।
 पाखी कह चितलाय,लखन,निराश मत होना।
रखो साकेत मान,मर्यादा नहीं खोना।
मनोरमा जैन पाखी।
[30/01 9:11 PM] विद्या भूषण मिश्र 'भूषण': *कलम की सुगन्ध छंदशाला। कुंडलिया शतकवीर आयोजन। वृहस्पतिवार,३०/०१/२०२०*
‌~~~~~~~~

*७७-यादें--*
~~~~~~~~
प्रियतम *यादें* आपकी, करतीं हैं बेचैन।
नींद न आती रात में, दिन में मिले न चैन।
दिन में मिले न चैन, अश्रु आँखें बरसायें।
भूली बातें याद, पिया आकर तड़पायें।
सात जन्म तक साथ , रहेंगे दोनों  हमदम।
मन में अनुपम प्रेम, बसा है मेरे प्रियतम।।
~~~~~~~~
*-७८--छोटी*
~~~~~~~~~~
*छोटी* छोटी बात पर, करते हम संग्राम।
जिस कारण से देश यह, होता  है बदनाम।
होता है बदनाम, सभी हैं हँसी उड़ाते।
इसी देश के लोग, सदा अपमान कराते।
कैसे हैं ये लोग, सोच जिनकी है खोटी।
खुद में करें सुधार, बात मत समझें छोटी।।
~~~~~~~~~
*-विद्या भूषण मिश्र "भूषण"-*
~~~~~~~~~~~~~

Wednesday, 29 January 2020

कुण्डलियाँ... डोरी , बोली


[28/01 6:03 PM] बोधन राम विनायक: *कलम की सुगन्ध छंदशाला*
कुण्डलियाँ - शतकवीर सम्मान हेतु -
दिनाँक - 28.01.2020 (मंगलवार )

(71)
विषय - डोरी

टूटे  कभी  न  डोर  ये, बनते  ये   संजोग।
रिश्तें  बन्धन  प्रेम का, बँधे  सभी हैं लोग।
बँधे  सभी हैं  लोग, जहां  में  देखो  प्यारे।
कहलातें परिवार, सभी  मिल रहते सारे।।
कहे विनायक राज, यहाँ  कोई  मत  छूँटे।
प्रेम-भाव निःस्वार्थ, कभी  मत डोरी टूटे।।

(72)
विषय - बोली

ऐसी बोली बोलिए,लेकर शुद्ध विचार।
मानवता मन में बसे,पूजे सब संसार।।
पूजे सब संसार, नाम अपना सब जाने।
सादा उच्च विचार,बोलना धर्म निभाने।।
कहे विनायक राज,बोल कोयल की जैसी।
वाणी मधुरस घोल,तुम्हारी बोली ऐसी।।

बोधन राम निषादराज"विनायक"
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)
[28/01 6:04 PM] सरला सिंह: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुंडलियाँ शतकवीर हेतु*

*28/01/2020*
*दिन - मंगलवार*
*विषय - डोरी, बोली*
*विधा-कुंडलियां*

71-डोरी
डोरी बांधे प्रेम की,देखे पिय की राह,
दुनिया सारी छोड़ दी, साजन की बस चाह।
साजन की बस चाह, करे सांसों की गिनती।
भवसागर  से  पार, करो सुन लो ये विनती।
सरला कहती आज,चली साजन घर गोरी।
माया तृष्णा छोड़,प्रेम की बांधे डोरी।।

72-बोली
बोली है सबसे बड़ी ,बोलो इसको तोल।
सबका मन जीते यही, जानों इसका मोल।
जानो इसका मोल,बोल बस मीठे बोलों।
नफ़रत सारे छोड़़,सभी कड़वाहट धोलो।
कहती सरला आज, भरें प्रभु तेरी झोली।
मिलकर रहना साथ,सदा बोलो मृदु बोली।।

डॉ सरला सिंह स्निग्धा
दिल्ली
[28/01 6:11 PM] धनेश्वरी सोनी: शतकवीर कुण्डलिनी याँ
         कलम की सुगंध
         सोमवार।   27/1/2020

             डोरी

रेशम डोरी बांधकर, राखी लेकर हाथ।
उपहार देता रहता ,बहना पाता साथ ।
बहना पाता साथ ,माता बढ़कर मानता ।
धागे रिश्तों डोर,कच्ची कटती जानता ।
पावन मौली हाथ, देकर दाता बांधता
कहती गुल यह सार , निकलती धागा कोसम
 खिलते सभी उपवन ,डोर है प्यारी रेशम 

                         बोली

बोली मीठी है लगे ,बोलो मीठा बात ।
 कड़वा बोली क्यों कहें, लगती सबको लात ।
 लगती सबको लात ,शब्दों से होत घायल 
 सभी बोलते लोग ,बजती छनन छन पायल ।
 बोली करे घमंड ,अकड़ते बनते टोली ।
 भाषा कोमल जान ,देखकर बोलो बोली ।

         धनेश्वरी सोनी गूल बिलासपुर
[28/01 6:11 PM] वंदना सोलंकी: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुंडलियाँ  शतकवीर हेतु*
रविवार-19-1-2020

*57)आगे*

आगे पीछे क्यों चलूँ, पिया चलूंगी साथ।
मैं तो हूँ सहभागिनी,जन्म जन्म का साथ।
जन्म जन्म का साथ,लिए हैं सातों फेरे।
रहूँ सदा सुहागन,हिय उद्गार हैं मेरे।
सुन वन्दू की बात,प्रीत के दृढ़ हैं धागे।
यम से भी लड़ जाय,रहूँ तब पिय के आगे।।

*58)सावन*

सावन बरसा जोर से, प्रमुदित हुआ किसान।
लगा रोपने खेत में,बड़ी खुशी से धान।
बड़ी खुशी से धान,दूर होगी निर्धनता।
लगे देवसम मेघ,फलित होवे कर्मठता।जागी मन मे आस,बरस होगा मनभावन।
हरियाली चहुँओर, सुहाना आया सावन।।

सोमवार-20-1-2020

*59)करना*

करना धरना कुछ नहीं, सिर्फ बजाते गाल।
बड़बोले मनुष्यों से,करता कौन सवाल।
करता कौन सवाल,पड़े प्रमाद में रहते।
छल से लेते काम,सत्कर्म कभी न करते।
बड़े आलसी लोग,खाट पर देते धरना।
क्या इस तन का मोल,जब सदुपयोग न करना।।

*60)जाना*

आना जाना है लगा,जग परिवर्तन शील।
आज जन्म कल मरण है,काल न होवे कील।
काल न होवे कील,जगत  की रीत निराली।
माटी का ये गात,अमर प्रेम की पियाली।
सुन वन्दू हिय भाव,जगत का ताना बाना।
है सोचनीय बात,अजब सा आना जाना।।

*रचनाकार-वंदना सोलंकी*
*नई दिल्ली*
[28/01 6:12 PM] अनुराधा चौहाण मुम्बई: कलम की सुगंध
शतकवीर कुण्डलियाँ
दिनाँक--28/1/20

71
डोरी
डोरी हाथों में बँधे,बन जाती है खास।
बहना की इसमें छुपी,प्यारी-सी है आस।
प्यारी-सी है आस,कभी हमको न भुलाना।
राखी आए पास,बहन से मिलने आना।
अनु आँसू अब पोंछ,बची बस यादें कोरी।
छूटा ऐसा साथ,गिरी हाथों से डोरी।

72
बोली
बोली बोलो प्रेम की,बनते बिगड़े काम।
कड़वी बोली से सदा,होते हैं बदनाम।
होते हैं बदनाम,बढ़े रिश्तों में दूरी।
कोमल सदा स्वभाव,करे अभिलाषा पूरी।
कहती अनु सुन बात,ज्ञान से भर लो झोली।
मधुर सदा व्यवहार,अगर हो मीठी बोली

अनुराधा चौहान
[28/01 6:13 PM] बाबूलाल शर्मा बौहरा: °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
•••••••••••••••••••••••••••••बाबूलालशर्मा
.           *कलम की सुगंध छंदशाला* 

.           कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु

.              दिनांक - २८.०१.२०२०

कुण्डलियाँ (1) 
विषय-  *डोरी*
डोरी   रेशम  सूत  की, बनती  रही  सदैव।
जैसी जिसकी  भावना,  हो उपयोग तथैव।
हो  उपयोग  तथैव, प्रीत के  बंध  सुहावन।
बुनते फंदा जाल, करे कुछ काज अपावन।
शर्मा  बाबू  लाल, अन्न  हित  बनती  बोरी।
भले  भलाई  बंध, नेह   मय  राखी  डोरी।
•.                  ••••••••••  
कुण्डलियाँ (2) 
विषय-   *बोली*
बोली  मीठी   बोलना, कहते  संत सुजान।
यही करे अंतर मनुज, कोयल कागा  मान।
कोयल कागा मान, मनुज सच मीठा बोले।
झूठ  बोल  परिवेश, हलाहल  मत तू घोले।
शर्मा  बाबू  लाल, दवा  की बनकर  गोली।
करती  भव  उपचार, घाव  भी देती बोली। 
•.                     •••••••••
रचनाकार -✍©
बाबू लाल शर्मा,बौहरा
सिकंदरा,दौसा, राजस्थान
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[28/01 6:14 PM] अटल राम चतुर्वेदी, मथुरा: *28.01.2020 (मंगलवार )* 

71-   डोरी
********
डोरी बाँधी प्यार की, फिर कैसा इंकार ?
जब दो दिल मिल रहे हों, सहज करें स्वीकार।
सहज करें स्वीकार, जनम का बंधन बाँधो।
हो जिनसे टकराव, न हित कुछ ऐसे साधो।
"अटल" न रखिए आप, कभी आपस में चोरी।
साथ रखें यह याद, प्यार की नाजुक डोरी।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏

72-  बोली
*********
बोली में रस घोलिए, बोल प्यार के बोल।
जिससे जो भी कह रहे, बातों में रस घोल।
बातों में रस घोल, न करिए कोई झगड़ा।
हो चाहे कमजोर, या रहे कोई तगड़ा।
"अटल" भरे वह घाव, जिसे दे कोई गोली।
देती दिल पर चोट, हमेशा कड़वी बोली।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏
[28/01 6:14 PM] सरोज दुबे: कलम की सुगंध शतकवीर हेतु 
कुंडलियाँ -71
दिनांक -28-1-20

विषय -डोरी 

डोरी से जकड़ा हुआ,    सारा ही संसार 
जिसको  पकड़े नाथ हैं, डरना है बेकार l
डरना है बेकार,चरण में उनके रहना l
जपना उनका नाम, भक्ति  में उनके बहनाl
पूछे यही सरोज,भक्ति  
कब होती चोरी l
भक्त प्रभो जब एक, भाव हिय बांधे डोरी l


कुंडलियाँ -72
दिनांक -28-1-20

विषय -बोली 

बोली मीठी बोलिये,बोली से ही प्रीत l
बोली ही तो घाव है, बोली मलहम मीत l
बोली मलहम मीत,जीत सबका मन लेती l
कोयल सी आवाज ,स्नेह हिरदे  भर देतीl
कहती सुनो सरोज,लगे जैसे मधु  घोली l
मिटते सब संताप,सुनें   जब मीठी बोली l

सरोज दुबे 
रायपुर छत्तीसगढ़ 
🙏🙏🙏🙏
[28/01 6:14 PM] संतोष कुमार प्रजापति: कलम की सुगंध छंदशाला 

*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु* 

दिनांक - 28/01/2020

कुण्डलिया (69) 
विषय- साजन
==========

साजन  तेरे  प्यार में,  बहिन, बन्धु, माँ, बाप I
सबको  तज  मैं आ गई, करूँ  तुम्हारा जाप ll
करूँ  तुम्हारा  जाप, सकल  दुनिया  हो मेरी I
तुमसे   ही   श्रृंगार, परम  पावन   पग   चेरी ll
कह 'माधव कविराय', नहीं अर्धांग विभाजन l
उन्नति की गति तेज, पकड़ मेरा कर साजन ll

कुण्डलिया (70) 
विषय- सजना
==========

सजना  सजना  के  लिए, दिल को  भाए खूब I
मधु मधुरम  मुस्कान में, नख शिख जाती डूब ll
नख  शिख  जाती  डूब, मुझे जब पास बुलाते l
आलिंगन   मुख   चूम, बदन   मेरा    सहलाते ll
कह 'माधव कविराय', अजब साँसों का बजना l
कामदेव   उत्कर्ष, अलौकिक  सुख दे  सजना ll

कुण्डलिया (71)
विषय - डोरी
=========

डोरी  सा  मुखिया  भला, बाँधे   वंश   समेट I
लघु,मोटी,पतली, बड़ी, सब लकड़ी  से भेंट ll
सब  लकड़ी से  भेंट, बड़ा  सा  गट्ठर  बनता l
नहीं   ढील, नुकसान, लपेटे  खुद भी तनता ll
कह 'माधव कविराय', कल्पना मत यह कोरी l
कुछ तो  मानव  सीख, सिखाए तुमको डोरी ll


कुण्डलिया (72)
विषय - बोली
==========
बोली  बोलो  कोकिला, हरलो   सबका   ध्यान I
वर्ण,जाति  खुद  ही  मिटे, तुमसे  लें सब ज्ञान ll
तुमसे  लें   सब   ज्ञान, भुला   दें   रट्टू   तोता l
सुन्दरता   क्या   अर्थ, उमर  पिंजरे  में  खोता ll
कह 'माधव कविराय', चलाओ क्यों मुख गोली l
मित्र  -  शत्रु    निर्माण, कराए     तेरी     बोली ll

रचनाकार का नाम-
           सन्तोष कुमार प्रजापति 'माधव'
                        महोबा (उ.प्र.)
[28/01 6:21 PM] अर्चना पाठक निरंतर: कलम की सुगंध 
कुंडलियाँ शतक वीर हेतु 
दिनाँक -28 /01 /2020  
कुंडलियाँ

विषय -डोरी 

डोरी मेरे प्रेम की,बाँध जरा मजबूत।
झटके से मत तोड़ना ,ये हैं कच्चे सूत।।
ये हैं कच्चे सूत ,जरा विश्वास दिखाओ।
पड़ जाए जब गाँठ,इसे धीरे सुलझाओ।।
कहे 'निरंतर' बात, निकट आ जाए गोरी।
प्रेम और सौहार्द ,कभी टूटे मत डोरी ।।

बोली

बोली मेरे देश में, बोले कई प्रकार ।
अपने -अपने रंग हैं,अपनी है झंकार।।
अपनी है झंकार ,मधुर सरगुजिहा भाये।
हैं मिट्टी के लोग, भाव मुखड़े पे लाये।।
कहे 'निरंतर' आज ,सुनो दुनिया है डोली।
हिंदी के ये पूत ,बड़ी मीठी है बोली।।

अर्चना पाठक 'निरंतर'
[28/01 6:24 PM] रामलखन शर्मा अंकित: जय माँ शारदे

कुंडलियाँ

73. डोरी

डोरी थामे हाथ में, जो बैठा है दूर।
वही नाचने को हमें, करता है मजबूर।।
करता है मजबूर, बहुत वो कुशल मदारी।
उसकी इच्छा मात्र, नाचती दुनिया सारी।।
कह अंकित कविराय, हमारी मति है भोरी।
समझे नहीं रहस्य, हाथ किसके है डोरी।।

74. बोली

बोली मीठी बोलकर, हरो जगत संताप।
जड़, चेतन सबके लिए, बन जाओ प्रिय आप।
बन जाओ प्रिय आप,लोग सुनकर सुख पाएं।
मुरझाये जो पुष्प, हृदय के वे खिल जाएं।।
कह अंकित कविराय,बनें हमसब हमजोली।
बालक, वृद्ध, जवान, बोलकर मीठी बोली।।

----- राम लखन शर्मा ग्वालियर
[28/01 6:30 PM] इंद्राणी साहू साँची: कलम की सुगंध छंदशाला

कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु

दिनाँक - 28/01/2020
दिन - मंगलवार
71 - कुण्डलिया (1)
विषय - डोरी
**************
डोरी बाँधो प्रीत की , लेकर इक विश्वास ।
नाजुक होती है बड़ी , लेकिन बंधन खास ।
लेकिन बंधन खास ,बाँधती है जग सारा ।
रहे न ईर्ष्या द्वेष , प्रेम की बहती धारा ।
प्यार बिना बेकार , लगे है दुनिया कोरी ।
मन से मन के बंध , बाँधती यह शुभ डोरी ।।


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72 - कुण्डलिया (2)
विषय - बोली
****************
बोली ऐसी बोलिए , बन जाएँ सब मीत ।
वशीकरण यह मंत्र है , लेता है मन जीत ।
लेता है मन जीत , द्वेष का भाव मिटाता ।
कोमल शब्द अनूप , हृदय को अति हरषाता ।
झूठा कर्कश बोल , लगे है जैसे गोली ।
भरिए सबके घाव , बोलिए मीठी बोली ।।
********************************
✍️इन्द्राणी साहू "साँची"✍️
   भाटापारा (छत्तीसगढ़)
★★★★★★★★★★★★★★★★
[28/01 6:36 PM] डॉ मीता अग्रवाल: *कलम की सुगंध छंद शाला* 
कुंड़लिया छंद शतकवीर हेतु 
          
             *(71)डोरी* 

सावन झूला पड गए,डोरी रेशम बाँध।
भैया झूला बाँधता, बहना बैठी काँध।
बहना बैठी काँध,पुकारे सखियाँ आजा।
झूला झूले आज,बाँधता भैया राजा।
मची मधुर मनुहार, ठिठोली है मनभावन।
छेड़े कजरी तान,लगा सोलहवां सावन। 
             *(72)बोली* 
बोली मीठी बोलिए,कोयल की सी कूक।
कटुक वचन छलनी करें,  जिया मचायें  हूक।
जिया मचायें  हूक, कटारी सी है लगती।
 सभी बिगाड़े काज,चेतना जड हो जगती।
बोल मधुर तम बोल,चाशनी सी सम गोली।
खींचे सबका ध्यान,मान दे मीठी बोली। 

 *मीता अग्रवाल मधुर रायपुर छत्तीसगढ़*
[28/01 6:42 PM] शिवकुमारी शिवहरे: Title: मेला

Date: 28 Jan 2020

Note:
मेला

मेला देखन मै चली, सब सखियों के साथ।
सजी धजी सब है सखी, चूड़ियाँ पहनी हाथ
चूड़ियाँ पहनी हाथ, सभी मिल झूला झूले।
लगी सभी दुकान,देखकर मन मे फूले।
बहुत अधिक है भीड़, भरा नरनारी ठेला।
माँ गंगा के घाट, लगे हरवर्ष है मेला।

शिवकुमारी  शिवहरे


Title: बिखरी

Date: 28 Jan 2020

Note:
बिखरी

बिखरी सतरंगी छटा, उदय हुआ दिनमान।
मधुवन फूलों से खिला,कोयल गाती गान।
कोयल गाती गान, निखरी सुबह की धूप
भौरो करे गुंजार, मनभावन लगता रूप  ।
देख शिवा ये आन, धरा है सुंदर निखरी।
सतरंगी आकाश,छटा है सुंदर बिखरी।

शिवकुमारी शिवहरे।


Title: दीपक

Date: 27 Jan 2020

Note:
दीपक

जलता दीपक देख के, बाती रहे उदास।
रात भर जलती रही, दीपक होता खास।
दीपक होता खास, सदा से जलती आई।
दीपक है आधार,  हमेशा  सदा सहाई।
तम होये हो दूर, अँधेरा सब को खलता।
होती है जब शाम, दीपक सदा ही जलता।

शिवकुमारी शिवहरे


Title: पूजा

Date: 27 Jan 2020

Note:
पूजा

पूजा जब भी करो, मन मे रखो भाव।
प्रेम समर्पण भावना,पूजा मे हो चाव।
पूजा मे हो चाव, तुम करो प्रभु का बंदन। 
चाँवल कुमकुम धूप, सदा लगा भाल चंदन।
संकट मोचन राम, कोई नही है दूजा।
मन मे हो विश्वास, सदा किया करो पूजा।

शिवकुमारी  शिवहरे
[28/01 6:46 PM] पुष्पा विकास गुप्ता कटनी म. प्र: कलम की सुगंध छंदशाला
*कुंडलिया शतकवीर हेतु*

दिनाँक 25.1.2020
कुंडलिया(67) *खिलना*

खिलना कलियों का भरे, अंतर में अनुराग।
लगी खेलने तितलियाँ, संग सुमन के फाग।।
संग सुमन के फाग, महकता मधुमय चंदन।
उर  में  भरे उमंग, भ्रमर भी करते गुंजन।।
मिला ताल से ताल, सुखद पत्तों का हिलना।
दुर्लभ है ये दृश्य, दिव्य कलियों का खिलना।।

कुंडलिया (68) *होली*

बरसाने चलना सखी, देखें फागुन रंग।
लट्ठमार  हैं  खेलते,  होली अद्भुत ढंग।।
होली  अद्भुत  ढंग, रंग मौसम में घुलते।
उड़े  प्रेम  गुलाल, ढाल  ले ग्वाले जुड़ते।।
परंपरा  प्राचीन,  निभाते  छोरे छलिए।
लेना  है  आनंद, चलो  बरसाने चलिए।।

दिनाँक - 27.1.2020
कुंडलिया (69) *साजन*

जबसे अनबन हो गई, बैरी साजन संग।
उनके बिन सुन री सखी, जीवन है बेरंग।।
जीवन  है  बेरंग, सिसकियाँ कर दी अर्पण।
फीका  हर  श्रृंगार, नहीं  भाता  है दर्पण।।
रूठी प्रांजलि प्रीति, चुराते अँखियाँ हमसे।
बंद  हुआ  संवाद, पिया से अनबन जबसे।।

कुंडलिया (70) *सजना*

सजना -धजना छोड़ के, लिया जोगिया वेष।
श्याम भजन गाती फिरे, नहीं किसी से द्वेष।।
नहीं किसी से द्वेष, मगन हो मीरा रानी।
बैठी संतों पास, सुने वह हरि की बानी।।
प्रांजलि ऐसा प्रेम, नहीं अब मोहन तजना।
नहीं  दूसरा  मीत,  तुम्ही  मीरा  के सजना।।

पुष्पा गुप्ता प्रांजलि
[28/01 6:47 PM] अनिता सुधीर: शतकवीर हेतु कुंडलिया
28.01.2020  मंगलवार

डोरी

डोरी नटिनी साधती, प्राण कष्ट में  डाल।
दो रोटी की आस में ,जीवन है बदहाल।।
जीवन है बदहाल,.कहाँ अब इन्हें सहारा l
पापी पेट सवाल,नहीं ढकता तन सारा ll
ताली बजते  हाथ,दिखाती करतब गोरी।
लिये भरण का भार,रखें बल्ली अरु डोरी ।।

बोली

बोली क्यों है विष भरी,तोल मोल के बोल।
बात करें अब नीति की,बिगड़ा है माहौल ।
बिगड़ा है माहौल ,सुधारें  मिल कर नेता ।
अपनी ढपली राग ,बजा !ये बनें चहेता ।
पीछे छूटा देश  ,बनाई अपनी टोली ।
अपने हित को साध ,बोलते कड़वी बोली।।

अनिता सुधीर
लखनऊ
[28/01 6:49 PM] डा कमल वर्मा: कलम की सुगंध शाला प्रणाम
डॉ श्रीमती कमल वर्मा। 
 कुंडलियाँ शतक वीर के लिए 
रचना।
 कुंडलिया क्र.75
 विषय  डोरी
 डोरी मीठे बोल है,देती जो दिल जोड़। 
 कोई रहता कष्ट में,जीवन के उस मोड।
 जीवन के उस मोड़,पलट दे राहें मन की, 
 भागे फिर अवसाद,टलें विपदा उस तन की। कहे कमल कर जोड़,करो मत जोरा जोरी।
लगा प्रेम से अंग, बांध दिल को बिन डोरी।। 

 कुंडलिया क्र.76
 विषय_बोली
 बोली ऐसी बोलिए,मीठे लगते बोल। 
सहला देते कष्ट को गाँठें मन की खोल।। 
 गाँठें मन की खोल,आप संस्कार दिखाती, 
  दंभ दर्प के बोल,कहाँ है तेरी थाती।। 
 कहे कमल कर जोड़,शब्द लग जाते गोली। 
  बने सुलभ सब काम,बोल तू मीठी बोली।।           कृपया समीक्षा करें ।
[28/01 6:51 PM] कृष्ण मोहन निगम: दिनाँक 28/01/2020
*कुंडलियाँ शतकवीर हेतु*
विषय  *डोरी*
 डोरी'   निज ग्रीवा कसे,   लोटा उतरे कूप ।
भर लाए जल अमिय सा, पिये प्रजा या भूप ।।
पिये प्रजा या भूप, श्रेय    कब    डोरी चाहे ।
लोटा की वह मीत ,  न   छोड़ें    प्रीति  सराहे।।
"निगम" न समझो मात्र, कि यह होती है कोरी।
जीवन की शुभ नीति , सिखाती हमको डोरी ।।

विषय      *बोली* 
बोली'   होनी चाहिए, आकर्षक - मृदु-  मंजु ।
बोली वह कैसी भला ,  हो न जो कि उर-रंजु।।
हो न जो कि  उर-रंजु ,हृदय को चुभे निरंतर ।
कर  दे  सब से   दूर ,   प्रदूषित हो अभ्यंतर ।।
"निगम" न बोलो बोल , तीक्ष्ण जैसे हो गोली ।
स्वत्व-भाव आपूर्ण ,  प्रभावित करती बोली।।

 कलम से
 *कृष्ण मोहन निगम* 
सीतापुर, जिला सरगुजा छत्तीसगढ़
[28/01 7:05 PM] रजनी रामदेव: शतकवीर प्रतियोगिता हेतु
28/01/2020::मंगलवार

बोली
बोली मन को मोहती, करती आत्म-विभोर।
चीं चीं करती आ रहे, गौरैया जब भोर।।
गौरैया जब भोर, फुदकती आकर आँगन।
आज हुई मजबूर, लगी है आश्रय माँगन।।
खत्म हुए सब विपिन,निराश्रय ये हमजोली।
खूब लगाओ वृक्ष, सुनाएगी फिर बोली।।

डोरी
डोरी तोड़ी नार ने, झटके से झझकोर।
कठपुतली बनती नहीं, समझ नहीं कमजोर।
समझ नहीं कमजोर, वक्त से कभी न हारी।
बँधी प्रेम की डोर, उसे मत मान बेचारी।।
भरती जब परवाज़,गगन को छूती गोरी।
जब वो बने पतंग, बनो तुम उसकी डोरी।।
                    रजनी रामदेव
                       न्यू दिल्ली
[28/01 7:07 PM] चमेली कुर्रे सुवासिता: कलम की सुगंध छंदशाला 
*कुण्डलिया शतकवीर*

दिनांक- 28/01/2020
कुण्डलिया- ( *71*)
विषय - *डोरी*
डोरी में दी ढील जब , बिगडा़ खुद का लाल।
हालत देख किशोर की , बदली इनकी चाल।। 
बदली इनकी चाल , नही ये माने  कहना। 
पीते नित्य शराब , कष्ट पड़ता है सहना।।
सुवासिता दे ध्यान , आँख की पकड़ी चोरी। 
मात पिता बन मित्र , कसो ये ढीली डोरी।।


कुण्डलिया -( *72*)
विषय - *बोली*
बोली ऐसे बोलिए , मन को ले जो जीत। 
दुख में जब जब पग पडे , साथ चले हर मीत।। 
साथ चले हर मीत , काम संयम से लेते। 
कटु वाणी तो आज , तोड़ रिश्ते को देते।। 
सुवासिता जब झूठ , बोल देती जो भोली। 
जीवन में सब कष्ट , खड़े करती है बोली।।


          🙏🙏🙏
✍चमेली कुर्रे 'सुवासिता'
जगदलपुर (छत्तीसगढ़)
[28/01 7:11 PM] गीता द्विवेदी: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलिया शतकवीर प्रतियोगिता हेतु

दिनांक-28-01-020

71
विषय-डोरी

डोरी टूटी साँस की, मुक्त हुआ तन जीव।
उड़ चला हरि धाम को, लेटा है निर्जीव।।
लेटा है निर्जीव, इसे है केवल जलना।
जलकर बनता राख, तभी माटी में मिलना।।
झोली भर सत्कर्म, नहीं अधर्म की बोरी।
पछताएगा मीत, समझ मत वश में डोरी।।


72
विषय-बोली

बोली में घुलती सुधा, हिय आनंद अपार।
पीते हैं हम कान से, शीतलता आधार।।
शीतलता आधार, सभी को वश में करती।
सर्व दिशा सम्मान, जहाँ ये विचरण करती।।
कड़वाहट भरपूर, वहाँ  रुधिर की होली।
भाईचारा सींच, सदा रसमय हो बोली।।

सादर प्रस्तुत🙏🙏
गीता द्विवेदी
[28/01 7:20 PM] केवरा यदु मीरा: शतक वीर कुंडलिया छंद 

70
डोरी 
ड़ोरी कहती है सुनो, सब डोरी से खास।
भइया के हाथों बँधी, देखो सावन मास ।
देखो सावन मास, प्रीत तुम सदा निभाना।
राखी का त्योहार, सदा मेरे घर आना ।
बहना माँगे आज, बैठ दोऊ कर जोरी ।
लिये सजा कर थाल,मिठाई रेशम ड़ोरी ।।

बोली 71

बोली में रस घोलिये,कटुक वचन मत बोल ।
वाणी देते घाव है, बोली पहले तौल ।
बोली पहले तौल, ठोस दिल पर न लगाना ।
अपने होते गैर, प्रीत की रीत निभाना ।
दो दिन जीवन मान, प्रेम की भरलो झोली ।
हर दिन है त्योहार, बोल हो मीठी बोली ।।

केवरा यदु"मीरा "
राजिम
[28/01 7:21 PM] आशा शुक्ला: कलम की सुगंध छंदशाला
कुंडलियाँ शतकवीर हेतु

(71)
विषय-डोरी

डोरी कई प्रकार की, अलग-अलग हैं काम।
उनको लो जिस रूप में ,उसी रूप में नाम।
उसी रूप में नाम , कभी डोरी अनुशासन।
कभी प्रेम की डोर, छुड़ाए नृप सिंहासन।
बँधी डोर की पाश, बनी चातक सी गोरी।
रखती जग को बाँध, यही अनजानी डोरी।


(72)
विषय-बोली

बोली  ऐसी  बोलिए ,जैसे  झरते  फूल।
मीठी बोली फूल है, कड़वी बोली शूल।
कड़वी बोली शूल, घाव मन को दे जाती।
कितना करो उपाय ,नहीं मिठास रह पाती।
नहीं सके है  लौट ,ज्यों  बंदूक  की गोली।
बोलें बहुत संँभाल ,बड़ी अमोल है बोली।


रचनाकार-आशा शुक्ला
शाहजहाँपुर, उत्तरप्रदेश
[28/01 7:26 PM] धनेश्वरी देवाँगन 'धरा': कुँडलिया शतक वीर हेतु

थाली  63)

थाली व्यंजन से सजे , विविध - विविध पकवान ।
थाली कई प्रकार के , बाँट दिये भगवान ।।
बाँट दिये भगवान , किसी की थाली श्रम की।
छीना झपटी जोर , कहीं रिश्वत से चमकी ।।
कहे "धरा" कर जोड़ , बात मत जाये टाली ।
निर्धन हो या दीन , भरी हो सबकी थाली ।।


बाती   64)

बाती दीपक‌ में जले , मिला प्रेम का तेल ।
आधे दूजे के बिना , अनुपम जगमग मेल ।।
अनुपम जगमग  मेल , चले कर जग उजियारा ।
रिश्ता सुखद अटूट , जन्म का  बंधन न्यारा ।।
सुनो धरा की बात , दीप से ही द्युति आती ।
जीवन साथी साथ , रहें ज्यों दीपक बाती ।।



*धनेश्वरी देवांगन "धरा"*
*रायगढ़, छत्तीसगढ़*
[28/01 8:05 PM] राधा तिवारी खटीमा: कलम की सुगंध
शतकवीर हेतु कुंडलियां
28/01/2020

बोली(71)
 बोली भाषा प्रेम की, समझो आे नादान।
जीवन जीना भी नहीं,  है इतना आसान।।
  है इतना आसान, रहो आपस में मिलकर ।
जैसे महके फूल, सदा बगिया में खिलकर।
 कह राधेगोपाल, नहीं बन इतनी भोली।
 समझो ओ नादान, प्रेम की भाषा बोली।।

 डोरी (72)
डोरी बाँधू प्रीत की, मैं साजन के साथ।
 साथ हमारा तो रहे, हरदम ही निस्वार्थ।
 हरदम ही निस्वार्थ, रहे बंधन का जाला।
  ईश्वर ने तो यहाँ, सभी का संकट टाला ।
कह राधेगोपाल, अरे मैं सीधी गोरी।
 साजन जी के साथ, प्रीत कि बाँधू डोरी।।

राधा तिवारी "राधेगोपाल"
 खटीमा 
उधम सिंह नगर
 उत्तराखंड
[28/01 8:12 PM] गीतांजलि जी: कुण्डलिया शतकवीर 

दिनांक २८/०१/२०

(७१) डोरी

डोरी बंधी है प्रीत की, साजन तोरे संग। 
कितना भी हम दूर हों, कभी न होवे भंग।।
कभी न होवे भंग, रहे दृढ़ बंधन अपना। 
अवध मैं तुम अरण्य, भाग्य दोनों के तपना।।
निस दिन ध्या कर ईश, कुशल मनायुँ में तोरी। 
दें वर मुझको देव, रहे अटूट यह डोरी।

(७२) बोली

बोली हँस कर दानवी, हे वनवासी वीर।
छवि तव मोहे भा गयी, हृदय न पाता धीर।।
हृदय न पाता धीर, करो मत अब तुम देरी। 
दक्षिण दिश में द्वीप, वहीँ लंका है मेरी।।
सुवर्णमयी अतुल्य, लूट लो निधि अनमोली। 
पकड़ो मेरा हाथ, शठा शूर्पनखा बोली।।

गीतांजलि ‘अनकही’
[28/01 8:14 PM] अभिलाषा चौहान: कलम की सुगंध छंदशाला
कुंडलिया शतकवीर हेतु
कुंडलिया(७१)
विषय-डोरी

डोरी बाँधो प्रेम की,रहो घृणा से दूर।
संबंधों की डोर से,अहम सदा हो चूर।
अहम सदा हो चूर,मिटे मतभेद हमारे।
डोरी प्रेम प्रतीक,पिरो दो मोती सारे।
कहती'अभि'निज बात,सूत की डोरी कोरी।
रक्षा सूत्र प्रतीक,बँधी दृढ़ता से डोरी।

कुंडलिया(७२)
विषय-बोली

बोली कड़वी तीर सी,देती ऐसा घाव।
रिश्ते-नाते टूटते,नीरस होते भाव।
नीरस होते भाव,घृणा घर करती मन में।
बोली मीठी सदा,प्रेम भरती जीवन में।
कहती'अभि'निज बात,बनो मत इतनी भोली।
कटुक वचन को त्याग,रखो मिश्री सी बोली।

रचनाकार-अभिलाषा चौहान
[28/01 8:29 PM] विद्या भूषण मिश्र 'भूषण': *कलम की सुगंध छंदशाला कुंडलिया शतकवीर आयोजन।दिन--मंगलवार, दिनांक--२८/०१/२०२०*~~~~~~~~
*७३--डोरी*
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बाँधी डोरी प्रीति की, थामा जिसका हाथ।
माना है प्रियतम जिसे, रहना उसके साथ।
रहना उसके साथ, सात जन्मों  का नाता।
पति- पत्नी संबंध, बना ऊपर से आता।
तोड़ न पाए डोर, दुखों की भीषण आँधी।
ईश्वर ने मजबूत, प्रीति की डोरी बाँधी।।
~~~~~~~~~~~~

*७४--बोली*
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बोली मीठी बोलिये,
रखिये मृदु व्यवहार।
मन में नफरत हो नहीं, सबसे करिए प्यार।
सबसे करिए प्यार, चार दिन का है जीवन।
जाएगा जग छूट, बन्द होते ही धड़कन।
लगते हैं कटु बैन , नीम की जैसे गोली।
मन को लेती जीत, प्रेम की मीठी बोली।।
~~~~~~~~~
*विद्या भूषण मिश्र "भूषण"--*
~~~~~~~~~~~~~~
[28/01 8:31 PM] अनुपमा अग्रवाल: कलम की सुगंध छंदशाला 

कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु

दिनांक - 28.01.2020

कुण्डलियाँ (63) 
विषय-थाली
थाली भावों  से भरी,चाहे कम पकवान।
हो अर्पण बस भाव का,दो आगत को मान।
दो आगत को मान,परंपरा ये हमारी।
दो जितनी सामर्थ्य,भावना शुभ  तुम्हारी।
अनु की मानो बात,न जाये आगत खाली।
आगत जानो देव,भरी भावों  से  थाली।।





कुण्डलियाँ (64)
विषय-बाती
बाती जलती दीप में,कहे दीप लो मान।
हूँ  तेरा अस्तित्व मैं,तू मेरी पहचान।
तू मेरी पहचान,प्रीत में तेरी जलती।
चाहूँ मैं कब नाम,हृदय में तेरे पलती।
अनु सुन बाती बात,न दूरी मुझको  भाती।
जब तक रहती साँस,संग दीपक के बाती।।



   
     

रचनाकार का नाम- 

अनुपमा अग्रवाल

कलम की सुगंध छंदशाला 

कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु

दिनांक - 28.01.2020

कुण्डलियाँ (65) 
विषय-आशा
आशा से संसार है,आशा जीवन सार।
आशा मत दो टूटने,आशा देती तार।
आशा देती तार, छँटें फिर दुख के बादल।
आशा रहे न साथ,निराशा कर दे पागल।
 अनु का कहना मान,न छाये कभी निराशा।
जीवन है अनमोल,कभी मत तोड़ो आशा।।



कुण्डलियाँ (66)
विषय-उड़ना
उड़ना है आकाश में,बेटी कहती आज।
मेरे पर मत काटना,पहनूँगी फिर ताज।
पहनूँगी फिर ताज,करूँगी पूरा  सपना।
कदम न मेरे रोक,यही है जीवन अपना।
कहती अनु ये बात,जड़ों  से अपनी जुड़ने।
उनमुक्त गगन राह,चाह है मेरी उड़ना।।


   
     

रचनाकार का नाम- 

अनुपमा अग्रवाल
[28/01 8:39 PM] कुसुम कोठारी: कमल की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
२८/१/२०२०
कुसुम कोठारी।

कुण्डलियाँ (७१)

विषय-डोरी
डोरी गूँथों सूत की ,सूत-सूत मिल एक ।
एक एक मिलते तभी ,काज सभी हो नेक ।
काज सभी हो नेक , बढ़े आपस में नाता
बढ़ता सद्व्यहवार , मनुज सुख साधन पाता ।
कहे कुसुम सुन बात , काम की करों न चोरी ।
मिलजुल रहना साथ ,प्रीत की बाँधों डोरी ।।

कुण्डलियाँ (७२)

विषय-बोली
बोली मीठी बोलिये ,  नहीं लगेगा मूल्य ।
जो मृदु भाषा बोलते , लगे शहद के तुल्य ।
लगे शहद के तुल्य , सभी से पाते  आदर ।
बोल बोलते मंजु , ओढ़ सत्संगी  चादर ।
कहे कुसुम सुन भद्र, बांध शब्दों की मोली ।
बैण सुधारे काज , बोल  बस मीठी बोली ।।

कुसुम कोठारी।
[28/01 8:43 PM] प्रतिभा प्रसाद: *कुंडलियाँ*
विषय  ----   *डोरी, बोली*
दिनांक  --- 28.1.2020....

(71)              *डोरी*

डोरी बाँधी प्रेम की , मैं कान्हा के संग ।
मीत सदा वो ही बने , प्रेम चढ़ेगा रंग ।
प्रेम चढ़ेगा रंग , नित्य कान्हा ही भजती ।
लगन लगी है कृष्ण , गोपियाँ सब हैं हँसती ।
कह कुमकुम करजोरि , प्रेम मतकर बरजोरी ।
हो जाता है प्रेम , नेह से बाँधो डोरी ।।


(72)             *बोली*

मीठी बोली बोलना , दिल को लेना जीत ।
स्नेह सुधा मिलता रहे , मिल जाए मन मीत ।
मिल जाए मन मीत , सदा तुम सच ही बोलो ।
सुंदर होगा देश , वचन में मिश्री घोलो ।
खिले सदा मन प्रीत , वचन मत कहना झूठी ।
बोली से लो जीत , लगे दुनिया तब मीठी ।।



🌹 *प्रतिभा प्रसाद कुमकुम*
       दिनांक  28.1.2020......

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[28/01 8:43 PM] पाखी जैन: कलम की सुगंध छंदशाला
शतकवीर हेतु कुण्डलियाँ 
25/01/2020
*होली*
आई फागुन ऋतु सजन,खेलें होली आज ।
गायें मिल कर फाग हम,और रचाये रास।
और रचायें रास,रंग सच्चा ही डालो।
झूठ कपट सब छोड़,प्रीत रंग,रंग डालो।
न्यारा यह त्यौहार,मिलाये सबको भाई ।
चमके मुखड़ा रंग,देख होली है आई।
पाखी 

26/01/2020
*साजन*
करती  साजन अनुकरण,रहे हाथ में हाथ।
शामिल खुशियों में रहूँ,और दुखों में साथ ।
और दुखों में साथ,साथ लगता ये प्यारा ।
साजन तेरा प्रेम,मुझे लगता है न्यारा।
मेरा यह संसार,ललाट बिन्दिया सजती।
अधरों धर मुस्कान, इंतजार सजन करती ।
पाखी

*सजना*
सजती सजना के लिये ,करके सोलह श्रृंगार ।
अधरों पर मुस्कान थी, कजरा पैनी धार।
कजरा पैनी धार,चले जिया पर कटारी।
देखो आधी रात,पिया चढ़े हैं अटारी।
धर मीठी मुस्कान,अधर है घायल करती।
अद्भुत है श्रृंगार,सजन पाखी है सजती।
मनोरमा जैन पाखी।
[28/01 8:47 PM] रवि रश्मि अनुभूति: ****रवि रश्मि 'अनुभूति '

  🙏🙏

  कुण्डलिया शतकवीर 

67 ) साजन 
**************
सजना के लिए सजना , श्रृंगार मुझे भाय ।
नैनों में रहे कजरा , बिंदिया शीश लुभाय ।।
बिंदिया शीश लुभाय , मधुर हैं गान हमारे ।
सजना मिलन में आज , सुनो तो हृदय  पुकारे ।।
आ रहे पिया आज , शुरू है ढोल बजना ।
खड़े हम सजा रूप , सुनो तो आये सजना ।।
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68 ) सजना 
************
 सजना मेरे अब सुनो , सजना सुन्दर  आज ।
करना अभी इंतज़ार , करके सारे काज ।।
करके सारे काज , बैठे हम अभी द्वारे । 
आओ वापस आज , बने रहो अब  सहारे ।।
सजना बस तेरे संग , शुरू हुआ ढोल बजना ।
सजना साजन सोच , अभी है साजन सजना ।।
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(C) रवि रश्मि 'अनुभूति '
27.1.2020 , 8:35 पीएम पर रचित ।
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🙏🙏समीक्षार्थ व संशोधनार्थ 🌹🌹
[28/01 9:15 PM] कमल किशोर कमल: नमन मंच
कुंडलियाँ शतकवीर हेतु।
28.01.2020

75-डोरी-
डोरी भैया प्रेम की,सदा राखिए साथ।
बहना के ऊपर रहे,बड़े भाई का हाथ।
बड़े भाई का हाथ,सदा वरदानी रहता।
सुख का होता वास,दुखों का प्रस्तर ढहता।
कहे कमल कविराज,कि बंधन‌ सच्चा जोरी।
निडर बढ़ी विरान,सुरक्षा करती डोरी।
75-बोली

बोली गोली से बढ़ी,जो दिल करती घाव।
सरल सहजता बोलिए,बिना दिखाये ताव।
बिना दिखाये ताव,बोलिए मीठा- मीठा।
झलके प्रेम दुलार,लिए जैसे सतरीठा।
कहे कमल कविराज,चल रही साथी टोली।
अपनापन का राग,गा रही प्यारी‌ बोली।

कवि-कमल किशोर '"कमल"
हमीरपुर बुन्देलखण्ड।
[28/01 9:43 PM] सुशीला जोशी मुज़्ज़फर नगर: कलम की सुगंध कुंडलियाँ प्रतियोगिता 2019-2030

27-01-2020

71--- *डोरी*

डोरी से बंधा हुआ , राधा माधव प्यार 
वही डोर है बांधती , सारा जग संसार 
सारा जग संसार , प्रेम हर दिशा समाया 
बंधी डोर से डोर , सहज ये पर्व मनाया  
साजन सजनी एक , प्रभावित करती गोरी 
इक दूजे का प्यार , हृदय में बांधे डोरी ।।


72-- *बोली*

कोयल भाए कूकती , अपनी बोली बोल 
कलियाँ भी बौरा रही , अपनी पाँखें खोल 
अपनी पाँखें खोल , बनी सुंदर सी सुमना 
मृदु भैरवी राग ,बनाये चंचल यमुना 
पंचम स्वर में बोल , कर रही सबको घायल 
बैठ आम्र की डाल , लुभाती कूकी कोयल ।

सुशीला जोशी 
मुजफ्फरनगर