छंदशाला पर आल्हा छंद शतकवीर सम्मान समारोह संपन्न
वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप के जन्म जयंती के शुभ दिवस पर आल्हा छंद शतकवीर सम्मान समारोह का आयोजन हर्ष उल्लास के साथ संपन्न हुआ । इस आयोजन में संस्थापक कलम की सुगंध संजय कौशिक विज्ञात, महासचिव अर्णव कलश एसोसिएशन- डाॅ अनिता भारद्वाज अर्णव, मंच संचालिका अनिता मंदिलवार सपना, अध्यक्ष- बाबूलाल शर्मा विज्ञ, मुख्य अतिथि और मीडिया प्रभारी - नीतू ठाकुर विदुषी, विशिष्ट अतिथि- इन्द्राणी साहू साँची, अर्चना पाठक निरन्तर
की उपस्थिति में संपन्न हुआ । सम्मान समारोह का उद्घाटन संस्थापक गुरूदेव संजय कौशिक विज्ञात जी द्वारा किया गया । गुरूदेव विज्ञात जी ने अपने संबोधन में सबको बधाई देते हुए कहा की कलम की सुगंध मंच पर इसके पहले ग्यारह विधाओं पर शतकवीर कार्यक्रम संपन्न हो चुके हैं । दो संचालित हैं । ऐसे आयोजन सृजनकारों को सृजन के लिए ऊर्जा प्रदान
करते हैं । कलम की सुगंध छंदशाला की मुख्य संचालिका ने जानकारी दी कि मंच पर 51 शतकवीर सम्मान कुसुम कोठारी प्रज्ञा, परमजीत सिंह कोविद, डॉ एनके सेठी,गुलशन कुमार साहसी, नीतू ठाकुर विदुषी,बाबूलाल शर्मा बौहरा विज्ञ,डॉ ओमकार साहू मृदुल, आरती श्रीवास्तव विपुला, प्रवीण कुमार ठाकुर,धनेश्वरी देवांगन धरा, गीता विश्वकर्मा नेह,कृष्ण मोहन निगम, इंदु साहू,इन्द्राणी साहू सांँची,डॉ दीक्षा चौबे, पुष्पा गुप्ता प्रांजलि ,डॉ मीता अग्रवाल मधुर, अनीता सुधीर आख्या, चमेली कुर्रे सुवासिता,राधा तिवारी "राधेगोपाल" सुधा देवांगन शुचि ,धनेश्वरी सोनी गुल,अर्चना पाठक निरंतर ,संतोष कुमार प्रजापति माधव, डॉ मंजुला हर्ष श्रीवास्तव मंजुल ,अनिता मंदिलवार सपना,कन्हैया लाल श्रीवास, सरोज दुबे विधा,गीतांजलि विधायिनी, गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न,केवरा यदु मीरा, श्रद्धान्जलि शुक्ला"अंजन",राजीव देवांगन 'प्रेम'"*मधु सिंघी, सुरेश कुमार देवांगन,अलका जैन आनंदी,अनुराधा चौहान, आरती मेहर रति, लीना पटेल दिव्य, इन्दिरा गुप्ता यथार्थ, अनीता सिंह अनु, कंचन वर्मा विज्ञांशी, प्रियंका गुप्ता, सुशीला साहू विद्या, अभिलाषा चौहान सुज्ञ,गुलशन कुमार साहसी, अजय पटनायक मनोज पुरोहित, हेमलता शर्मा मनस्विनी, सौरभ प्रभात, संगीता राजपूत श्यामा, कंचन वर्मा
विज्ञांशी, केवरा यदु मीरा, सुशीला साहू विद्या, अलका जैन आनंदी,भावना शिवहरे को और तीन श्रेष्ठ समीक्षक सम्मान सरस्वती, वीणापाणि और हंसवाहिनी समीक्षक समूह के प्रमुख समीक्षक बाबूलाल शर्मा बौहरा 'विज्ञ', इंद्राणी साहू साँची और अर्चना पाठक निरन्तर को साथ ही 25 सहसमीक्षक सम्मान और मंच संचालक सम्मान अनिता मंदिलवार सपना और श्रेष्ठ प्रचारक सम्मान नीतू ठाकुर विदुषी, मंच सह संचालक राधा तिवारी राधे गोपाल को सम्मान से सम्मानित किया गया । सृजन करने वाले भारत के साथ विदेश के रचनाकार भी शामिल हुए ।
इस अवसर पर सभी का आभार व्यक्त करते हुए गुरुदेव संजय कौशिक 'विज्ञात' जी ने कहा...लगभग एक महीने तक दिन रात का सतत श्रम आपने किया है नमन आप सही सभी आल्हा शतकवीरों को नमन करता हूँ आप सभी को, सादर प्रणाम 🙏🙏🙏
मुझे हर्ष है इसबार लगभग 45 आल्हा शतकवीर बने हैं सभी को आत्मीय बधाई एवं शुभकामनाएं 💐💐💐
साथ ही मंच प्रमुख संचालक आदरणीया अनिता मंदिलवार सपना जी को अनंत बधाई सफल आयोजन लगातार तृतीय शतकवीर कार्यक्रम के आयोजन के लिए 💐💐💐
सह संचालिका महोदया आदरणीया राधा तिवारी राधेगोपाल जी को हार्दिक बधाई 💐💐💐 समय - समय पर मंच को मार्गदर्शित करती रही हैं प्रमुख मंच संचालक को अच्छे से सहयोग कर दिखाया है। सभी जिम्मेदारियों को समय पर निभाया है। पुनः हार्दिक बधाई 💐💐💐
प्रमुख समीक्षक समूह पावन त्रिवेणी धारा के मुख्य समीक्षक
आदरणीय बाबूलाल शर्मा विज्ञ जी बहुत सुंदर समीक्षा दी है पूरे ही कार्यक्रम में सबसे बड़ी उपलब्धि आप अपने जैसे समीक्षक तैयार भी कर रहे हैं आपको अनंत बधाई आपके समीक्षक समूह सहित 💐💐💐💐
आदरणीया इंद्राणी साहू साँची जी आपकी भी जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है बहुत सुंदर समीक्षा दी गई है आपके समीक्षक समूह द्वारा विश्वास है आपके समीक्षक समूह से भी कुछ अच्छे समीक्षक निकल सकें आपको अनंत बधाई आपके समीक्षक समूह सहित 💐💐💐💐
तीनों शतकवीर कार्यक्रम के अनुपम प्रयोग
आदरणीया अनिता सुधीर आख्या जी
आदरणीया नीतू ठाकुर विदुषी जी
आदरणीया अर्चना पाठक निरंतर जी
आप तीनों की समीक्षा भी प्रशंसनीय रही है नमन आप तीनों को विश्वास है आपके समूह से भी कुछ अच्छे समीक्षक देखने को मिलेंगे आप तीनों को अनंत बधाई आपके समीक्षक समूह सहित 💐💐💐💐
निवेदन सहयोगी समीक्षक की भूमिका शिल्प की गहराई सिखाती है कथन को सुदृढ बनाती है अतः सभी इस भूमिका में स्वयं को आगे लाएं ताकि लेखनी सशक्त होकर निखरे 🙏🙏🙏
मीडिया प्रभारी आदरणीया नीतू ठाकुर विदुषी जी प्रत्येक कार्यक्रम में अपनी भूमिका को आदर्श रूप से निभाती आई हैं जिससे मंच पर शतकवीर प्रतिभागिता का ग्राफ ऊपर चढ़ता आ रहा है आगे भी इस कार्य को और सुंदर तथा आकर्षक बने इसमें आपके श्रेष्ठ योगदान की अपेक्षा रहेगी सादर 💐💐💐💐
अंत में आप सभी सतत साहित्यिक साधकों को सादर नमन 🙏🙏🙏
संजय कौशिक 'विज्ञात'
सादर आभार
🙏🏻🌹🤟🎸
आ विज्ञात सरजी और पटल के सभी समीक्षक कार्यकर्ता ओर स्नेही स्वजन।
आभार धन्यवाद सब शब्द व्यर्थ है आपके स्नेहिल व्यवहार ओर सशक्त सानिध्य के आगे ....मैं हू ना ...वाक्य का सही पर्याय है आप सब ॥साधुवाद
नमन , वंदन।अभिनंदन सब छोटे है आप सब के दृढ़ता भरे साथ।और सतत मेहनत के आगे ।
उस पर मेरे जैसा असाहित्यिक इंसान ।
जिसे सिखाना पत्थर पर लकीर खीचने जैसा था ।
पर वो खीच दी आप सब ने मिल कर ।पुनः आभारी हू ।
इस सम्मान का मुझ से अधिक आ विज्ञात जी का है । जब भी समय असमय उनसे कुछ भी पूछा उन्होने मुझे उसी समय समझाया बताया । वंदन सर
मैं अपना सम्मान पत्र आ विज्ञात जी को समर्पित करती हू ।
plz सर इसे स्वीकर कर मुझे अनुग्रहीत करे ।
धन्यवाद पुनः आभार
*डा इन्दिरा गुप्ता 'यथार्थ'*
*आल्हा शतकवीर की यात्रा*
आल्हा शतकवीर आरंभ होने जा रहा था हम भाग लेना चाहते थे लेकिन पहले दो शतकवीर नवगीत तथा उल्लाला शतकवीर के बीच से ही हटना पड़ा ,कारण अस्वस्थ होना ।
तभी गीतांजलि जी ने कहा आल्हा शतकवीर में भाग ले रही हो, हमने कहा मन तो हैं लेकिन लगता नहीं है कि नियमित रूप से लिख पाएगे । गीतांजलि जी ने प्रेरित किया और आज पहला शतकवीर प्राप्त किया ।
संतुष्टि हैं कि एक कार्य तो ऐसा हुआ जो हम नियम से कर पाये ।
बीच बीच में ऐसा लगा कि इस बार भी नहीं हो सकेगा शायद लेकिन समीक्षकों की निस्वार्थ भावना हमेशा लिखने के लिए विवश करती थी ।
बीच में कुछ दिन आल्हा छंद ना लिखने के कारण पीछे रह गये ।
सपना बहन ने कहा कि कल सभी को समय पर 100 आल्हा
छंद भेजने हैं हमारे 16 छंद बिना समीक्षा के रह गये थे। चमेली बहन को हमने रात के लगभग नौ बजे कहा कि क्या वे 16 छंदों की समीक्षा कर देगी और उन्होंने आधे घंटे के भीतर ही समीक्षा करके दे दी ।
सच में ये हदय को सुख देने वाला अनुभव है। आल्हा शतकवीर की यात्रा बहुत कुछ सीख दे गयी ।
आदरणीय गुरूदेव जो सदैव पटल पर एक नयी उर्जा लेकर आते हैं उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है ।
कलम की सुगंध छंदशाला के मंच को प्रणाम जो हम जैसे कोयले को हीरा बना रहे हैं
*संगीता राजपूत "श्यामा"*
आल्हा छंद शतकवीर यात्रा
कलम की सुगंध छंदशाला एक जीवंत व ज्ञानवर्धक साहित्यिक समूह है।इस समूह से जुड़ना बड़े ही सौभाग्य की बात है।अपनी व्यस्तता के चलते मैं बहुत अधिक सक्रिय नहीं रह पाती परंतु इस बार आल्हा छंद शतकवीर लिखने का मोह संवरण नहीं कर पाई। शुरुआत में लगा कैसे यह संभव हो पाएगा पर पावन मंच का वातावरण स्वतः प्रेरणा देता है।समय -समय पर आदरणीय विज्ञात गुरुदेव व मंच संचालिका आदरणीया अनीता मंदिलवार जी का उत्साह वर्धन मिलता रहा जिससे यह यात्रा सुगम हो पाई।मैं उनका आत्मीय आभार प्रकट करती हूँ।🌷🙏🌷
तीनों समीक्षक समूह और उनके साथ आदरणीय विज्ञ भाई जी की श्रम साध्य सटीक समीक्षा ने मन मोह लिया।कुशल निपुण समीक्षकों के सान्निध्य में बहुत कुछ सीखने को मिला।उन सबको बहुत बहुत साधुवाद।🙏🙏
मंच संचालिका आदरणीया अनीता मंदिलवार जी ने पूरे समय व्यवस्था व अनुशासन की आदर्श मिसाल प्रस्तुत की।मेरी आल्हा छंद लिखने की यात्रा बहुत ही आनंदमयी व ज्ञानवर्धक रही।अब तो एक और शतकवीर लिखने का साहस जग गया है।😊
अंत में पूरे मंच का हार्दिक आत्मीय आभार प्रकट करती हूँ। एक बार फिर सभी शतकवीरों को बधाई व हार्दिक शुभकामनाएं!🌹🌹🙏🌹🌹
*---अनीता सिंह"अनु"*
आल्हा शतकवीर के अनुभव
सर्वप्रथम आ0 गुरु जी और सभी विद्वजन को सादर अभिवादन ।
ये सम्मान मैं गुरु जी और पटल को समर्पित करती हूँ।
ये शतकवीर पूरा होना असंभव लग रहा था । इसका पूरा होना किसी रोमांच से कम नहीं है ।कुछ घरेलू व्यस्तता के कारण आरम्भ में अपना नाम नही दिया था,पर न लिखने की बेचैनी थी।
स्वतंत्रता आंदोलन विषय का चुनाव इसी लिये किया था कि ये शतकवीर से आगे कई शतकवीर के द्वार खोलेगा ।
ये केवल प्रतिदिन के चार छन्द नही अपितु शोध का विषय था ।
एक बार फिर से अपने इतिहास को पढ़ रहे थे ,उसमें कभी क्षोभ कभी खिन्नता और उस काल की पीड़ा का ,
उनके जज्बातों को आत्मसात कर रहे थे।
मेरा पूरा कार्य नही हो पाया था ,आज अंतिम दिन रात में जग कर जब पूरा किया तो इसका अहसास शब्दों में
बयान कर पाना मुश्किल हैं ।
वैसे तो कई शतकवीर हुए हैं पर इस शतकवीर की अनुभूति कुछ अलग है
*गाल लगा* का अद्भुत प्रयोग इतिहास के नाम के साथ
अविस्मरणीय रहा ।
अभी *उन्नीस सौ पाँच* में कैसे प्रयोग करें कृपया बताएं ।
आ0 गुरुदेव जी का और पटल का आभार है जो इस शतकवीर की ऐसी रूपरेखा बना कर एक नई विधा को
जड़ाऊ शिल्प के साथ इतिहास के झरोखे तक ले गए ।
आप सबके आशीर्वाद से इसे और आगे ले जाना चाहूंगी
खंड काव्य तक ।
जिस मानसिक हालात और समय व्यस्तता में लिखा मैं उससे संतुष्ट नही हूँ ,पर आगे अपनी भूमिका से न्याय करने का प्रयास करेंगे।
भावुक हूँ मैं इस समय ।
सादर
क्षमा सहित
और एक बात कहना चाहूंगी कि जब यहाँ समीक्षा का समय होता था तो वहाँ सुबह के 6 बजे होते थे मेरी छोटी सी गुड़िया मेरे पास होती थी तो उल्लाला और आल्हा छन्द उसने भी सुना और 😄
और समीक्षा की
सादर
*अनिता सुधीर 'आख्या'*
बहुत बहुत धन्यवाद गुरुदेव 🙏
इस पटल से बहुत कुछ सीखने को मिला है या ये कहें जो कुछ सीखा वो आपके मार्गदर्शन का ही परिणाम है तो अतिश्योक्ति नही होगी। कुछ छंद लिख लेना अलग बात है पर 100 बंध लिखते लिखते शिल्प अच्छे से समझ आ जाता है। शतकवीर लंबा आयोजन है पर सबको हमेशा ऊर्जावान रखते हैं और लिखने के लिए प्रेरित करते हैं। हमारे लिए गर्व कि बात है कि हम कलम की सुगंध का हिस्सा हैं और आप हमारे गुरुदेव 🙏
सपना जी का संचालन प्रशंसनीय है। राधे जी से पटल पर रौनक बनी रहती है और उनकी सक्रियता सब में ऊर्जा भर देती है।
शर्मा सर, साँची जी, अर्चना जी इनके अथक प्रयासों को नमन 🙏
हर विधा पर सभी सह समीक्षक बहुत ही मेहनत करते हैं और अच्छे से अच्छी समीक्षा देने का प्रयास करते हैं ...किसी समीक्षक की अनुपस्थिति में अतिरिक्त श्रम करते हैं। एक दूसरे का मार्गदर्शन करते हैं।उन सभी से बहुत प्रेरणा मिलती है।
यह पटल एक परिवार की तरह है जहाँ सब एक दूसरे की मदत करते हैं।
कलम की सुगंध इसी तरह निरंतर अपने प्रयासों से साहित्य की सेवा करते हुए अपनी सुगंध चारों ओर फैलाये यही ईश्वर से प्रार्थना 🙏
स्नेहाशीष बनाये रखियेगा गुरुदेव 🙏
*नीतू ठाकुर 'विदुषी'*
एक अनोखा सफ़र,’आल्हा सफ़र ‘💐💐💐
प्रथम उल्लाला शतकवीर समाप्त हुआ। सभी को देख कर बहुत ख़ुशी का एहसास हुआ। सभी को बधाई देते हुए मैंने कहा की ईश्वर करे की मुझ में भी लगन आए और मैं भी शतकवीर बनूँ। तभी आदरणीय गुरु जी ने मुझे उल्लाला शतकवीर समूह का हिस्सा बनाया। उसी टाइम लॉक्डाउन भी हो गया तो कार्यक्षेत्र का समय लेखन कार्य को मिल गया। उल्लाला शतकवीर से आल्हा शतकवीर के लिए उत्साह और लगन मिली। शुरू में तो लगा की मैं तो वीर छंद लिख ही नहीं सकती। लेकिन गुरु जी ओडीओ सुन कर जोश आ गया फिर पन्नाधाय पर लिखा तो अनिता जी से बहुत सुंदर समीक्षा मिली। दो दिन देरी से शुरू किया लेकिन शतकवीर की दूसरी दौड़ का मैं हिस्सा थी। फिर गुरु जी का संतप्त नारी का अभिशाप से खंड काव्य की प्रेरणा मिली। इसी बीच गुरु जी के मनहरन की एक पंक्ति ‘अम्बा जंगलों के बीच,भोग रही नीच शाप ‘ से मनहरन जैसे आभूषण से अपने खंड काव्य को सजाने की प्रेरणा मिली। पहली बार मैंने ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर कुछ लिखने की कोशिश की।पृथ्वी राज चौहान के अध्ययन के सफ़र में एक बार फिर बचपन वाली दुनिया में पहुँचाया। यानी मैं फिर से इतिहास की कक्षा में थी लेकिन इस बार इतिहास की कक्षा का हिंदी की कक्षा में समावेश हुआ। मेरा आज तक तक सबसे बेहतरीन सफ़र है मेरा आल्हा सफ़र। आदरणीय गुरु देव जी और समूह के सभी गुणीजनों को मेरा हार्दिक नमन जो मेरी लेखनी को भिन्न भिन्न दिशाओं में अग्रसर कर रहें हैं ❤️❤️❤️😊😊😊🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻❤️❤️🙏🏻🙏🏻
*कंचन वर्मा ‘विज्ञांशी’*
*मेरी आल्हा शतकवीर काव्य यात्रा*
सर्वप्रथम मैं पावन पटल *कलम की सुगंध छंदशाला* को नमन करती हूंँ एवं परम आदरणीय गुरूजी विज्ञात सर जी को सादर नमन करती हूंँ। आदरणीया अनिता मंदिलवार दीदी जी को मैं सादर धन्यवाद एवं आभार व्यक्त करती हूंँ, कि उन्होंने इस पावन पटल पर मुझे जोड़ा एवं आल्हा छंद शतकवीर पर कार्य करने की प्रेरणा मुझे दिया।
आल्हा छंद मेरा प्रिय छंद है इसमें लिखने का शौक मुझे शुरू से था। मैं पटेल के सभी गुरुजनों सभी समीक्षक साथियों को सहृदय आभार व्यक्त करती हूंँ कि उन्होंने अपने कीमती अमूल्य समय निकाल कर हम छंद साधकों के छंदों को समीक्षा करके उसे परिमार्जित किया और हमें अपनी त्रुटियों से अवगत करा कर सही मार्गदर्शन दिया है। आल्हा छंद में ऐसे बहुत सारे विधान हैं जिसे हमने पहली बार सीखा है। अभी तक हमने कोई भी दो त्रिकल एक साथ करने का प्रावधान जाना था लेकिन इसमें हमने सीखा कि त्रिकल को भी गेयता के आधार पर लिखा जाता है जैसे *गाल लगा* साथ ही अपने लेखन विषय की पूरी गहनता से अध्ययन करने का मौका मिला निश्चित ही इसमें, हमारा ज्ञान बढ़ा है। यह मेरे लिए बहुत ही सार्थक रहा है और इसके लिए मैं सहृदय आभार व्यक्त करती हूंँ🙏🏻
*लीशा पटेल दिव्य, रायगढ़*
माँ वीणा पाणी को वंदन🙏 गुरुदेव को नमन🙏
आल्हा छंद पर शतकवीर बनने का नहीं, बनाने का श्रेय आदरणीय गुरुदेव को देती हूँ, जिनकी वाणी के ओज ने हमें लिखने का ओज दिया।
दो शतकवीर लिखने के बाद घर की व्यस्तता और आँखों की परेशानी की वज़ह से सोचा था अब काफी दिन लेखन से दूर रह आँखों को विश्राम दूंगी ,पर कायम नही रह पाई , गुरुदेव ने शतक वीर से पहले हमें आल्हा के बारे में जानकारी दी थी और हमने एक दो नवगीत भी आल्हा पर लिख दिये थे।
तब तक सोचा नहींं था कि आल्हा पर शतक वीर का आयोजन होगा ।
आल्हा पर खंडों काव्य की रूपरेखा बन रही थी ,और आल्हा मुझे गुरुदेव के जादुई शब्दों से इतना आकर्षित कर रहा था मैंने भी कुछ आल्हा लिखें बस बीच में ही आल्हा शतक वीर की योजना आई और विपरित परिस्थितियों में भी लेखन शुरू किया ,
समीक्षा का कार्य इतना रोमांचक रहता था कि बयान नहीं कर सकती समीक्षा के दौरान बहुत कुछ सीखने मिला।
गुरुदेव की पैनी दृष्टि हर समीक्षक पर थी ,बीच बीच में कई दिशानिर्देश मिले,जो और अच्छा करने को प्रेरित करती थी ।
और समीक्षा के बाद आधा घंटा जमकर खिंचाई एक दूसरे की,मस्ती, सहयोग तो देखने लायक था एक दूसरे का जैसे संयुक्त परिवार में विवाह होता था तो कैसे सभी मिलजुल कर हँसी मजाक में बड़े से बड़ा काम कर जाते हो ,ठीक वैसी ही अनुभूति थी।
कुल मिलाकर एक सुखद समय।
साथ ही शतकवीर बनने का अदम्य आनंद।
सभी संचालक वर्ग और सभी समीक्षक वर्ग का हृदय से आभार।
सभी शतकवीरों को आत्मीय शुभकामनाएं और बधाई।
*कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'*
सर्वप्रथम आदरणीय संजय कौशिक विज्ञात जी को बहुत बहुत साधुवाद जो इतना सुंदर उपक्रम आप चला रहें हैं।इस तरह की साहित्य की सेवा सचमुच अद्भुत है।आपके नम्रता की तो मैं पहले से कायल थी । कलम की सुगंध छंदशाला से जुड़ने के बाद मुझे एक अलग ही आनंद की अनुभूति हो रही है। लगातार नम्रतापूर्वक कुछ नया सीखना और सिखाना इस समूह की विशेषता है। सोने पे सुहागा त्रिवेणी संगम के रूप में हंसवाहिनी समूह,वीणापाणि समूह और सरस्वती समूह के सभी सहयोगी समीक्षक बड़े स्नेह के साथ समझाते हैं। यहाँ सभी एक से बढ़कर एक साहित्यकार हैं। आदरणीय विज्ञात जी और विज्ञ जी की लेखन शैली अद्भुत है। काफी कुछ सीखने को मिलता है। आप लोगों के सान्निध्य में विशेष रूप से आल्हा /वीर छंद में खंड काव्य लिखने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ है।आल्हा शतकवीर की यात्रा अविस्मरणीय रहेगी। यह मेरे जीवन की बहुत बड़ी उपलब्धि है।सखी अनिता मंदिलवार सपना जी की मंच पर लगातार सक्रियता ,स्नेह ,अनुशासन बहुत कुछ सिखा देता है।नीतू ठाकुर विदूषी,राधा तिवारी जी के स्नेह की विशेष आभारी हूँ।
*मधुसिंघी (नागपुर)*
कलम की सुगंध छंद शाला मंच को नमन करती हूँ परम आदरणीय गुरुदेव संजय कौशिक विज्ञात जी को नमन करती हूँ। मंच संचालिका अनिता मंदिलवार जी के प्रोत्साहन से ही मैं यहाँ तक पहुँच पाई। उन्होंने सरस्वती टीम के मुख्य समीक्षक के लिए मुझे नामित किया और एक जिम्मेदारी सौंपी ।
प्रारंभ में मुझे भय था परंतु समीक्षा समय मेरे सह समीक्षक साथी गण का प्रथम दिवस ही इतना अच्छा सहयोग मिला कि मैं बता नहीं सकती ,मेरा पूरा भय जाता रहा। इस सरस्वती टीम में आदरणीया चमेली कुर्रे सुवासिता जी, आदरणीया अनीता सुधीर जी, आदरणीया कुसुम कोठारी जी, आदरणीया गीतांजलि विधायनी जी, आदरणीया कंचन वर्मा विज्ञांशी जी, आ.परमजीत सिंह कल्लूरी कोविद जी, आ.गुलशन कुमार साहसी जी ,डॉक्टर सीमा अवस्थी जी, आ.मीता अग्रवाल जी ,आ.महेंद्र जी आप सभी का सहयोग अतुलनीय रहा। मैंने कल्पना भी नहीं की थी उससे भी ज्यादा आप लोगों ने सहयोग किया और किसी विषम परिस्थिति के लिए भी आप तुरंत उपस्थित रहे मैं आप सभी को नमन करती हूँ और आपके सहयोग की तहे दिल से सराहना करती हूँ।ऐसे ही आप सभी का सहयोग हमेशा मिलता रहे और बधाइयाँ एवं शुभकामनाएँ। समय का पता ही नहीं चला हँसते खेलते समीक्षा संपन्न हो गई और शतकवीर को अंजाम तक पहुँचा दिया।
मैंने आल्हा छंद शतकवीर के लिए महाराणा प्रताप विषय का चयन किया। यह व्यक्तित्व मेरे लिए एक आदर्श है मेरे मन में उनके लिए एक विशिष्ट स्थान है उनका जीवन चरित्र मुझे आकर्षित करता है शतकवीर होने के बाद भी मेरी तृप्ति नहीं हुई और मैं आगे और लिखने का प्रयास कर रही हूँ।
हमेशा याद रखूँगी यह सफर ,कुछ समीकरण बनते हैं तो कुछ अच्छा होता है हमेशा कुछ न कुछ सीखने को मिलता रहा ।आल्हा में भी कुछ नए प्रयोग किए गए ।त्रिकल का प्रयोग *गाल लगा* का अनूठा रहा इससे लय प्रवाहित होती है और लेखन भी बहुत सुंदर लगने लगता है ।
सबकी रचनाओं की समीक्षा करते करते हमारी रचनाएँ खुद ही सुधरने लगती है और फिर गलतियाँ कम होने लगती हैं। कलम की सुगंध छंद शाला मंच का आभार व्यक्त करती हूँ जिसकी वजह से ही मैं इसका हिस्सा बन पाई और मैंने छंदों के विषय में सीख पा रही हूँ।
वीणापाणि समूह के मुख्य समीक्षक आदरणीय बाबूलाल शर्मा जी का हृदय की गहराईयों से आभार व्यक्त करती हूँ जिन्होंने ढाल बनकर हमेशा संरक्षण दिया और मार्ग प्रशस्त किया, उन्हेंं नमन करती हूँ ।जाने अनजाने यदि कभी मैंने दिल दुखाया होगा तो इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।
हंस वाहिनी समूह की मुख्य समीक्षक इण्द्राणी साहू साँची जी और आ. नीतू ठाकुर विदुषी जी का आभार व्यक्त करती हूँ जिन्होंने मुझे मार्गदर्शन किया।
*सभी शतकवीरों को हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनाएँ।*
धन्यवाद
*अर्चना पाठक 'निरंतर'*
मुख्य समीक्षक (सरस्वती समूह)
🙏🏼🙏🏼💐🙏🏼🙏🏼
कोटि नमन गुरुदेव!
इस बार का आयोजन अत्यंत सुंदर रहा। विषय मनोनीत हो तो सबकी लेखनी और निखर उठती है।
मात्र एक माह में ४५ उत्कृष्ट खण्ड काव्यों का सफल सृजन कदाचित किसी अन्य मंच पर न हुआ होगा।
सब साथियों का निरंतर सहयोग रहा। सब समीक्षकों का सतत उत्साह भी। मंच संचालकों का अथक परिश्रम और धैर्य सराहनीय है।
किंतु सर्वोपरि सत्य तो यह है कि आपके मार्गदर्शन से ही सब सम्भव हुआ है। 🙏🏼
*गीतांजलि, अमेरिका*
आदरणीय गुरुदेव को कोटिश नमन🙏 सभी विद्वजनों का सादर वंदन🙏
सभी साथियों को हार्दिक बधाई ।आल्हा शतकवीर लिखने से पहले मन में डर था कि कैसे लिखेंगे ,पर आप सबके सहयोग से इस आयोजन में अत्यंत आनंद आया।सभी समीक्षकों को धन्यवाद जिन्होंने अथक परिश्रम से हमारी रचनाओं की समीक्षा की।
*अभिलाषा चौहान 'सुज्ञ'*
*आल्हा शतकवीर के अनुभव...*
सर्वप्रथम मैं
आ. विज्ञात गुरुदेव जी
आ. विज्ञ भैया जी
आ. सपना दीदी जी
आ. राधा तिवारी राधे गोपाल दीदी जी
और तीनों समीक्षक समूह के सदस्यों को सादर नमन करती हूँ...
🌹🙏🌹
और हृदय तल से बहुत बहुत धन्यवाद प्रेषित करती हूँ...
और मैं अपने इस *सम्मान पत्र* को *आ.संजय कौशिक विज्ञात* गुरुदेव जी को समर्पित करती हूँ ।
जब आल्हा शतकवीर कार्यक्रम की घोषणा की गई थी तो मैं बहुत खुश हुई थी पर जैसे ही विषय के लिए नाम सूचीबद्ध किए मैं 13/05/21 को एक बजे नाम सूचीबद्ध कर दी पर अंतस से बहुत डरी हुई थी सोच-विचार करने के बाद *गुण्डाधुर* विषय पर आल्हा छंद लिखना सुनिश्चित की 16/05/21 को पूरी रात मैं नहीं सोई और 17/05/21 को सुबह छः बजे से बिना चाय-नाश्ता किये पेन पकड़ कर बैठी रही इसी बीच आ. संजय कौशिक विज्ञात गुरुदेव जी को अपने विषय अवगत करते हुए बोली कि गुरुदेव जी मैं *गुण्डाधुर* विषय पर लिख रही हूँ । पर मैं मुख्य पटल में मैं डर से विषय के नाम नहीं लिखी क्यों कि मैं अपने आप को टटोल रही थी कि मैं सौ आल्हा छंद लिख पाऊंगी कि नहीं ।
इस तरह से दोपहर के 2:25 में *आ. प्रियंका गुप्ता दीदी जी* विषय -- गुण्डाधुर लिख दी देख कर मैं बहुत रोई क्योंकि मैं अंदर से हार गई थी और अपनी गलती की सजा स्वयं पर गुस्सा होते हुए मैं अपना मनपसंद विषय *गुण्डाधुर* को छोड़ दी और आल्हा छंद नहीं लिखना है ये मन बना ली थी पर *आ. विज्ञात गुरु देव जी* के सलाह पर 2:27 मिनट में मैं *अश्वमेघ पर लवकुश युद्ध* विषय में अपना नाम लिख तो दी पर इनके बारे कुछ भी नहीं जानती थी और न ही किसी प्रकार के कोई पुस्तक था मेरे पास पर गुरुदेव जी बहुत ही प्यार से समझाते हुए बोले कि घटना क्रम को क्रम से लिखते हुये और *अतिशयोक्ति अलंकार* का प्रयोग करते हुए चलो और मैं गुरदेव जी के मार्गदर्शन और आशीर्वाद से अपने विचार में *अतिशयोक्ति अलंकार* का प्रयोग करते हुए 24 आल्हा छंद लिख ली पर मन में डर था ही कहीं गलत तो नहीं लिख रही हूँ मैं ये सोच कर डर रही थी जैसे ही कलम की सुगंध छंद शाला समूह में *आ. विज्ञात गुरु देव जी* मेरी आल्हा छंद पढ़ कर मेरी प्रशंसा किए जिसे सुन कर मैं और मेरी लेखनी फूले नहीं समाये और मन मोरनी बन कर पूरा दिन चहकती रही और मेरी लेखनी भी दौड़ने लग गई।
इस तरह से मैं गुरुदेव जी के मार्गदर्शन और आप सभी के आशीर्वाद से *विषय -अश्वमेघ पर लवकुश युद्ध* में
*गाल लगा और अतिशयोक्ति अलंकार* का प्रयोग करते हुए सौ आल्हा छंद कब पूरा लिख ली पता ही नहीं चला । आल्हा छंद में शतकवीर की यात्रा यादगार रहा और सदा रहेगा क्योंकि *डर के सामने जीत है*।
और हाँ... *आ. कुसुम कोठारी दीदी जी* को हृदय तल से बहुत बहुत धन्यवाद कहना चाहूंगी क्यों कि उन्हें अंतिम दिवस तक मैं परेशान करती रही ।
*आ. परमजीत सिंह कोविद भैया जी* को बहुत बहुत धन्यवाद लवकुश लीला भाग एक, दो और तीन देने के लिए।
सरस्वती समूह के सभी सदस्यों को आभार व्यक्त करती हूँ ।
पुनः मैं आ.विज्ञात गुरुदेव जी के श्रीचरणों को प्रणाम करते हुए साधुवाद कहती हूँ।
आप सभी को धन्यवाद
🌹🙏🌹
*✍️चमेली कुर्रे 'सुवासिता'*
*आल्हा छंद पर शतकवीर यात्रा*
गुरुदेव जी को कोटि-कोटि प्रणाम🙏🙏 सभी समीक्षक गण एवं संचालिका दीदी सब को नमन वंदन अभिनंदन🙏
आल्हा शतकवीर सुखद यात्रा की सोच मात्र से ही रोमांचित हो जाती हूं ।मैंने *उल्लाला शतकवीर* भी पूरा किया था ,दूसरी उल्लाला भेद -1 महामारी से ग्रस्त पारिवारिक व्यस्तता के कारण पूरा नहीं कर सकी। 20 ही छंद लिख पायी थी,,,,इसका अफसोस अब तक है ।
आल्हा छंद मैंने *जोधाबाई* पर पूरा किया है। 50 छंद के बाद मैं विषय बदलना चाह रही थी पर *अनीता सपना दीदी* ने कहा *गुरुदेव जी* भी चाहते हैं कि आप इस विषय पर लिखें शतक वीर बने। तभी मैंने निश्चय किया कि एक ही विषय पर आगे लिखूंगी। हर बार अलग अलग आदरणीय समीक्षक मिले पर समीक्षा का मापदंड सभी में एक सा,,,, सच में बड़ा आश्चर्य,,, साथ बैठकर भी 5 लोग एक तरह की समीक्षा शायद ही कर पाते हो🙏
मैं खुद को इस परिवार में पाकर धन्य मानती हूं ।पहले की अपेक्षा अब गलतियां कम होती हैं या नहीं भी होते हैं 🙏धीरे-धीरे मात्रा भार में भी पकड़ मजबूत हो रही है ।अपनी समीक्षा के साथ अन्य प्रतिभागियों की समीक्षा पढ़कर ज्ञान बटोरती हूं। आगे भी छंद शाला से जुड़ी रहूंगी और आप गुणी जनों श्रेष्ठ जनों से सीखती रहूंगी🙏
तहे दिल से *कलम की सुगंध* परिवार को धन्यवाद करती हूं।
🙏🙏
*बिंदु प्रसाद रिद्धिमा* , रांँची झारखंड
आल्हा छंद पर शतकवीर यात्रा।
कलम की सुंगध में एक और शतकवीर शुरु होने वाला है,जानकर बहुत खुशी हुई।देश के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद को मैने चुना ,यही सोचकर की अपने समाज में प्रोग्राम होने से मैं वहाँ भी इसे प्रस्तुत कर सकती हूँ, "एक पंथ दो काज।"
सबसे अच्छी बात मुझे इस पटल पर यही लगता है कि यहाँ बहुत ही सहजता से सीखाय जाता है ।एक नियम के तहत सीखाने से ज्यादा भटकना नही पड़ता है, जैसै,चौकल और त्रिकल से ही पूरा छंद लिखा जाता है।सौ छंद लिख लेने से उस छंद में आत्मविश्वास जाग उठता है।गुरुदेव संजय कौशिक व बहना नीतू ठाकुर विदूषी सपना बहन सभी का मैं आभार व्यक्त करती हूँ, जिनके बिना सहयोग मैं कोई भी शतकवीर नही बन पाती ।अपने सभी समीक्षकों का मैं आत्मिय आभार व्यक्त करती हूँ ।भले मैं पटल पर प्रतिदिन आभार व्यक्त नही कर पाई थी,लेकिन मैं दिल से सबका आभार वयक्त करती हूँ, ।
आरती श्रीवास्तव 'विपुला'
आप सभी ने बहुत सुन्दर आल्हा छंद की यात्रा लिखी । पढ़कर बहुत अच्छा लगा । ऐसे ही सब आगे बढ़ते रहें । सीखिए और सिखाइए यही मंच का उददेश्य हैं । मंच सदैव सच्चे और अच्छे साथियों के साथ है ।🙏🙏🙏🙏
आज हम सभी आल्हा शतक वीर लिखने वालों के 100 आल्हा हो जाएंगे।
आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
हम सभी ने एक विषय लिया था और उस पर शतक वीर बनाना था इसी क्रम में मैंने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का सहयोग करने वाली झलकारी बाई के व्यक्तित्व को आप सभी के सामने आल्हा छंद के माध्यम से प्रस्तुत किए थे मुझे बहुत आनंद की अनुभूति हुई।
*अनिता मंदिलवार 'सपना'*
*मैं राधा तिवारी "राधेगोपाल" खटीमा उधम सिंह नगर उत्तराखंड*
मंच सह संचालिका* बतौर आपके समक्ष पिछले कई दिन से हूँ।बहुत आनंद का अनुभव किया मैंने। समय और श्रम बहुत लगता है मगर फिर भी आप सभी की लेखनी को मैं नमन करती हूंँ। अगर इस बीच मैंने कभी किसी को कुछ बुरा कहा हो या त्रुटि वश कुछ गलत हो गया हो तो मैं आप सभी से क्षमा चाहूंँगी। इन्हीं शुभकामनाओं के साथ में *मैं छंद शाला के संस्थापकपरम श्रद्धेय गुरुदेव संजय कौशिक विज्ञात जी, मंच संचालिका अनीता मंदिलवार सपना जी, नीतू ठाकुर विदुषी जी ,परम आदरणीय बाबूलाल शर्मा बौहरा विज्ञ जी, हमारे सभी विद्वान बुद्धिमान समीक्षक और प्यारे प्यारे प्रतिभागी जो अपनी प्यारी-प्यारी लेखनी का प्रदर्शन करते रहे हैं आप सभी को नमन* 🙏
जो सदस्य मंच पर होते हुए भी अपनी लेखनी का प्रयोग नहीं कर रहे हैं उन से मेरी🙏 करबद्ध प्रार्थना है कि आप भी सक्रिय हो जाएँ ।जब तक हम लिखेंगे नहीं तब तक हम सीख नहीं पाएंगे और मंच पर सक्रिय रहने का मतलब है कि गुरुदेव का आशीर्वाद हम पर बना रहेगा। हमारी गलतियांँ सुधरेंगी और बहुत कुछ अच्छा ही होगा।।
*राधा तिवारी*
*"राधेगोपाल"*
*मंच सह संचालिका आल्हा शतकवीर*
*एल टी अंग्रेजी अध्यापिका*
*खटीमा,उधम सिंह नगर*
*उत्तराखंड*