Sunday, 3 November 2024

कलम की सुगंध विभव विज्ञात छंद शतकवीर सम्मान समारोह संपन्न हुआ


दीपावली के शुभ दिवस पर विभव  विज्ञात  छंद  शतकवीर सम्मान समारोह का आयोजन हर्ष उल्लास के साथ संपन्न हुआ। सम्मान समारोह का उद्घाटन  संस्थापक गुरूदेव संजय कौशिक विज्ञात जी द्वारा किया गया। गुरूदेव विज्ञात जी ने अपने संबोधन में सबको बधाई देते हुए कहा की कलम की सुगंध  मंच पर इसके पहले बहुत सी विधाओं पर शतकवीर कार्यक्रम संपन्न हो चुके हैं। ऐसे आयोजन सृजनकारों को सृजन के लिए ऊर्जा प्रदान करते हैं। इस आयोजन में 34 शतकवीर सम्मिलित थे -  प्रेमलता उपाध्याय "स्नेह",  रवि रश्मि "अनुभूति",  शिवकुमारी शिवहरे, डॉ सरोज दुबे "विधा",  आशा शुक्ला "कृतिका" ,मधु राजेंद्र सिंघी, डॉ सरला सिंह "स्निग्धा", आरती श्रीवास्तव 'विपुला', डॉ एन के सेठी, परमजीत सिंह "कोविद" , श्वेता "विद्यांशी", किरण कुमारी "वर्तनी", अनिता मंदिलवार "सपना", सौरभ प्रभात, नीतू ठाकुर 'विदुषी', राधा तिवारी "राधेगोपाल",  सरला झा "संस्कृति",  कुसुम कोठारी "प्रज्ञा", डॉ मीता अग्रवाल "मधुर", पूनम दुबे "वीणा", हेमा जोशी "स्वाति", बिंदु प्रसाद "रिद्धिमा", सविता सिंह "मीरा", वन्दना नामदेव, डॉ रजनी रंजन, रीना गुप्ता "श्रुति", अनुराधा चौहान "सुधी",  रीना सिन्हा "सलोनी", इन्द्राणी साहू "साँची", अर्चना पाठक "निरंतर", चमेली नेताम "सुवासिता", वीणा कुमारी "नंदिनी", पूनम सिंह, नीलम पेड़ीवाल "विहाँगी" को विभव विज्ञात छंद शतकवीर सम्मान से सम्मानित किया गया। इस छंद का आविष्कार  गुरूदेव  कौशिक विज्ञात जी के द्वारा किया गया है। इस छंद को पंच परमेश्वर की उपस्थिति में कलम की सुगंध छंदशाला पटल पर शरद पूर्णिमा के अवसर पर  मान्यता दी गयी थी। नवल छंद पर इतने रचनाकारों द्वारा सौ छंद लिखकर  शतकवीर बनने का एक अनूठा प्रयास रहा। साथ ही अन्य नव निर्मित छंद जैसे विज्ञात विशाखा छंद, विज्ञात वैजयंती छंद, विज्ञात विटना छंद, विज्ञात व्याली छंद, विज्ञात विरंचि छंद इनपर भी निरंतर अभ्यास चल रहा है और इनपर भी शतकवीर आयोजित करने की योजना बन रही है। कलम की सुगंध परिवार के लिए यह गौरवान्वित करने वाला आयोजन सिद्ध हुआ।



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