[05/01 5:58 PM] संतोष कुमार प्रजापति: कलम की सुगंध छंदशाला
*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु*
दिनांक - 05/01/2020
कुण्डलिया (33)
विषय- विजयी
==========
प्यारा झण्डा हिन्द का, विजयी विश्व महान l
तीन रंग कहते कथा, चक्र करे गुणगान ll
चक्र करे गुणगान, प्रगति रफ्तार बताए l
केसरिया बलिदान, हरा उन्नति दर्शाए ll
कह 'माधव कवि' श्वेत, अमन का रँग है न्यारा I
वक्ष वास बिन वाद, वतन का झण्डा प्यारा ll
कुण्डलिया (34)
विषय- भारत
==========
माटी भारत देश की, कण - कण है अनमोल I
रत्न जहाँ उगते सदा, सके न कोई तोल ll
सके न कोई तोल, यहाँ अन्तक भी हारे l
रास रचाने कृष्ण, यहीं प्रभु राम पधारे ll
कह 'माधव कविराय', गजब इसकी परिपाटी l
अमर चाहते जन्म, मिले भारत की माटी ll
रचनाकार का नाम-
सन्तोष कुमार प्रजापति 'माधव'
महोबा (उ.प्र.)
[05/01 6:06 PM] अटल राम चतुर्वेदी, मथुरा: 05.01.2020 (रविवार )
33- विजयी
**********
हर्षित मन में छिपे हैं, देखो विजयी भाव।
बुझे-बुझे से रहे जो, चहुँदिश दिखे अभाव।
चहुँदिश दिखे अभाव, आप कुछ समझ न पाते।
मन की हालत बुरी, इसे अवसाद बताते।
"अटल" इसी में डूब, बहुत हो जाते चर्चित।
खुद को लेते मार, नहीं जो रहते हर्षित।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏
34- भारत
**********
भारत अपना देश है, हमको है अभिमान।
देश धर्म पर हुआ जो, वह अनुपम बलिदान।
वह अनुपम बलिदान, अमरता को वह पाता।
थाम तिरंगा हाथ, मृत्यु तक वह मुस्काता।
"अटल" कहें सँग आप, यही इस दिल की चाहत।
विश्व गुरू बन जाय, पुनः अपना यह भारत।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏
[05/01 6:08 PM] कृष्ण मोहन निगम: दिनाँक --5 जनवरी 2020
कलम की सुगंध छंद शाला
कुंडलियाँ शतक वीर प्रतियोगिता
विषय ... (33) *विजयी*
'विजयी' जो जीते ह्रदय , रहे ना किंचित क्षोभ ।
हो अजात- रिपु लोकप्रिय , रहित क्रोध मद लोभ ।।
रहित क्रोध मद लोभ , सदा सबका हित चिंतन ।
प्रगटे प्रेम पियूष , सिंधु - मन में नित मंथन ।।
"निगम" करे सो राज , नहीं जो द्वेषी- विषयी ।
जीते निज मन प्रथम , वही जानो जग विजयी।।
विषय (34) *भारत*
'भारत' वीरों की धरा , तपस्थली सुखधाम ।
क्षण-क्षण पुण्य प्रसाद सा , कण -कण उर-अभिराम।।
कण- कण उर अभिराम , नदी गिरि कानन सुंदर ।
जन - जन के प्रिय राम , बसें हृदयों के अंदर ।।
"निगम" लगाते कण्ठ , यहाँ हों जो जन आरत ।
भगत सिंह, अशफाक, भीम, गांधी का भारत ।।
कलम से --
कृष्ण मोहन निगम
सीतापुर, जिला सरगुजा
( छत्तीसगढ़)
[05/01 6:08 PM] सरला सिंह: 05/01/20
कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुंडलियाँ शतकवीर हेतु
*दिन - रविवार*
*दिनांक-05/01/20*
*विषय: विजयी*
*विधा कुण्डलियाँ*
33- *विजयी*
होते हैं विजयी सदा,भारत के ही पूत।
उनमें हैं क्षमता भरी,साहस भरा अकूत।
साहस भरा अकूत, देखकर दुश्मन भागे।
झंडा इसका रहे, सभी से आगे-आगे।
कहती सरला बात, लोग जब घर में सोते।
सरहद पर ये वीर, डटे वहां रक्षक होते।।
*डॉ सरला सिंह स्निग्धा*
*दिल्ली*
*दिन - रविवार*
*दिनांक-05/01/20*
*विषय: भारत*
*विधा कुण्डलियाँ*
*34 -भारत*
सबसे ही सुंदर लगे,भारत देश महान।
समता है इसकी नहीं,सभी करें सम्मान।
सभी करें सम्मान, राम व कृष्ण की धरती।
बसते हैं सब लोग,कई भाषाएं पलती।
सरला कहती ज्ञान,वेद पुराण हैं कबसे।
रहता ज्ञानागार, देश यह सुन्दर सबसे।।
*डॉ सरला सिंह स्निग्धा*
*दिल्ली*
*************************************
[05/01 6:11 PM] डा कमल वर्मा: कुंडलियाँ 35.
विजयी
जिंदा जिद्दी जूझते,दुनियाँ दारी देख।
गरीब,गुरबती गति की।पार न पाये रेख।
पार न पाये रेख,नियम नैतिकता धारे।
सत्य शांति संघर्ष,शील सब उनको प्यारे।
विजयी वो ही कमल, मात भारत बाशिंदा।
मातृभूमि कुर्बान,प्राण दे कर भी जिंदा।
भारत। 36
भारत मेरी आन है, भारत मेरी शान।
भारत माता के लिए,मेरी जाँ कुर्बान।।
मेरी जाँ कुर्बान,सिद्ध है इसकी माटी।
माँ एं वारे पुत्र,यही इसकी परिपाटी।
कमल कहे हे मात,वही होगा बेगैरत,
कर न सके कुर्बान, वक्त,तन,मन,धन,भारत।
डॉ कमल वर्मा।
सुधार अपेक्षीत। कृपया समिक्षा करें। 🙏🏻
[05/01 6:19 PM] बोधन राम विनायक: *कलम की सुगन्ध छंदशाला*
कुण्डलियाँ - शतकवीर सम्मान हेतु-
दिनाँक - 05.01.2020 (रविवार )
(33) विषय - विजयी
प्यारा मेरा देश यह, विजयी हिंदुस्तान।
सदियों से हैं विश्व गुरु,जाने सकल जहान।।
जाने सकल जहान,आज लोहा सब माने।
झंडा ऊँचा आज,चले सब शीश झुकाने।।
कहे विनायक राज,यही है सबसे न्यारा।
विजयी विश्व महान,देश यह मेरा प्यारा।।
(34)विषय - भारत
माता तुझको है नमन,मैं बालक नादान।
जीवन भर रक्षा करुँ,बनके वीर जवान।।
बनके वीर जवान,आज सैनिक बन जाऊँ।
हो जाऊँ बलिदान,मातु महिमा मैं गाऊँ।।
कहे विनायक राज,देश हित मर मैं जाता।
लड़ता सीमा पार,जान पर भारत माता।।
बोधन राम निषादराज"विनायक"
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)
[05/01 6:19 PM] धनेश्वरी देवाँगन 'धरा': कुँडलिया शतकवीर हेतु
*दिनांक------05/01/2020*
33). विजयी
जब जब होवे संघर्ष , विजयी भव संसार ।
गायें मंगल गान सब , पहन खुशी के हार ।।
पहन खुशी के *हार* , *हार* मत डटकर लड़ना ।
कठिन काल की *सीख* , *सीख* ले आगे बढ़ना ।।
सुनो "धरा" की बात , सफलता मिलती तब तब ।
होगी मंजिल पास , लड़ो बाधा से जब जब ।।
हार = पराजित/ माला
सीख= सबक / सीखना
34) भारत
सुषमा भारत वर्ष की , जग से न्यारी शान ।
हिन्दू मुस्लिम सिख बने , भारत की पहचान ।।
भारत की पहचान , हिलोरें भरती नदियाँ ।
विभिन्न सारे राज्य, रहें हिलमिल ज्यों सखियाँ।।
सुनो "धरा" की बात , कहाँ है कोई उपमा ।
सारे जग में एक , अतुल भारत की सुषमा ।।
*धनेश्वरी देवांगन "धरा"*
*रायगढ़, छत्तीसगढ़*
[05/01 6:20 PM] अनिता सुधीर: शतकवीर
05.01.2020 (रविवार )
33)
विजयी
'विजयी भव'आशीष से' ,भरता मन में जोश ।
शुभ दायक मंगल वचन, भरे ज्ञान का कोश।
भरे गाने का कोश, सफलता मंजिल चूमे ।
जीवन में उल्लास ,खुशी से मन ये झूमे।
सच की होती जीत,यही जग में है स्थायी।
मातु पिता आशीष ,हुआ जीवन ये विजयी।
34)
भारत
रक्षा माटी की करें,गाथा लिखें महान।
प्राणों के उत्सर्ग कर ,भारत माँ का मान ।
भारत माँ का मान,मिली हमको आजादी
भूले क्यों बलिदान ,बने क्यों अब उन्मादी ।
सबका सम अधिकार,यही है उत्तम दीक्षा।
सबका है ये देश ,करें समृद्धि की रक्षा ।
अनिता सुधीर
[05/01 6:20 PM] रामलखन शर्मा अंकित: जय माँ शारदे
कुंडलियाँ
13. छाया
छाया भी देती नहीं, कभी किसी का साथ।
एक समय वो छोड़कर, चल देती है हाथ।।
चल देती है हाथ, सभी स्वारथ के नाते।
बस अपना किरदार, यहाँ पर सभी निभाते।।
कह अंकित कविराय, यही है प्रभु की माया।
कर देती जो दूर, मनुज से उसकी छाया।।
14. निर्मल
निर्मल मन से कीजिये, परम् तत्व का ध्यान।
उसके आगे है विवश, सभी ज्ञान विज्ञान।।
सभी ज्ञान विज्ञान, नहीं उसको पा सकता।
जो पलभर में प्रेम, विवश होकर आ सकता।
कह अंकित कविराय,सभी को देता सम्बल।
मिलता है वो किन्तु, उसे जो रहता निर्मल।।
15. आँचल
आँचल की छाया बनी, जीवन का वरदान।
इसके नीचे है पला, दुनिया का विज्ञान।।
दुनिया का विज्ञान, यहाँ पर शीश झुकाता।
अम्बर का अस्तित्व, यहाँ बौना हो जाता।।
कह अंकित कविराय,हमेशा रहता निर्मल।
देता है सुख चैन, सभी को प्यारा आँचल।।
16. कजरा
कजरा आँखों मे लगा, कर सोलह श्रृंगार।
मंथर गति से जा रही, एक सुहागिन नार।।
एक सुहागिन नार, थाल पूजा का लेकर।
करके नीची दृष्टि, ध्यान में धरकर ईश्वर।।
कह अंकित कविराय,बाँध जूड़े में गजरा।
चली सुहागिन नार, लगाकर मोटा कजरा।।
----- राम लखन शर्मा ग्वालियर
[05/01 6:38 PM] रजनी रामदेव: शतकवीर प्रतियोगिता हेतु
5/10/2020::रविवार
33-विजयी
जीवन देकर ईश ने, किया बहुत उपकार।
कदम-कदम विजयी रहें, मिले यही उपहार।।
मिले यही उपहार, जन्मदिन की है बेला।
साथ रहे परिवार, और सखियों का रेला।।
सदा रहे मजबूत, सभी रिश्तों की सीवन।
ईश्वर दें आशीष , सजे फूलों सा जीवन।।
34-भारत
जलता भारत देख के, जन-जन में है क्रोध।
भेड़ चाल से आ गए,करने यहाँ विरोध।।
करने यहाँ विरोध,आ गए बन उन्मादी।
लेकर चलते भीड़, यही कुछ अवसरवादी।।
अर्थव्यवस्था लचर, हमेशा इनको खलता।
खूब करें नुकसान, देखिये भारत जलता।।
रजनी रामदेव
न्यू दिल्ली
[05/01 6:40 PM] चमेली कुर्रे सुवासिता: कलम की सुगंध छंदशाला
*कुण्डलिया शतकवीर*
दिनांक- 05/01/2020
कुण्डलिया- ( *33*)
विषय- *विजयी*
होते है विजयी वही, करते कर्म महान।
वक्त पकड़ आगे बढ़े, बने नेक पहचान।।
बने नेक पहचान, नाम भी जग में होता।
यश का खुलता द्वार, बीज श्रम का जो बोता।।
सुवासिता दे ध्यान, समय खो कर क्यों रोते।
लिखो नया इतिहास, स्वप्न पूरे सब होते।।
कुण्डलिया-( *34*)
विषय- *भारत*
अपना भारत देश तो,दिखता विश्व महान।
अनेकता में एकता, है इसकी पहचान।।
है इसकी पहचान, लोग मिलकर सब रहते।
दुनिया में इतिहास, नया हरदम जन रचते।।
सुवासिता को गर्व, करे पूरा सब सपना।
दिव्य ज्ञान का दान, किये है भारत अपना।।
🙏🙏🙏
✍चमेली कुर्रे 'सुवासिता'
जगदलपुर (छत्तीसगढ़)
[05/01 6:44 PM] राधा तिवारी खटीमा: कलम की सुगंध छंदशाला
कुंडलियाँ शतकवीर हेतु
दिनांक -05/01/2020
विजयी(33)
विजयी होने के लिए, करना मत अाराम।
सीख सिखाती हार तो, समझो मत नाकाम।।
समझो मत नाकाम, यही सीढ़ी चढ़ने की।
हार दिखाती राह, सदा आगे बढ़ने की।
कह राधेगोपाल , बनो मत बच्चों विषयी।
करके मेहनत आप, रहो तो हरदम विजयी।।
भारत (34)
भारत मेरा देश है, सब देशों की शान।
इसने पूरे हैं किए ,सबके ही अरमान।
सबके ही अरमान, दिखी वीरों की जोड़ी।
नारी ने भी राह, यहाँ खुद अपनी मोड़ी।
कह राधेगोपाल, यहीं से हुआ सवेरा।
सब देशों की शान, बन रहा भारत मेरा।।
राधा तिवारी "राधेगोपाल"
खटीमा
उधम सिंह नगर
उत्तराखंड
[05/01 6:44 PM] इंद्राणी साहू साँची: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
दिनाँक - 05/01/2020
दिन - रविवार
कुण्डलिया (1)
विषय - विजयी
**************
जीते मन आवेग जो ,विजयी वह इंसान ।
काम क्रोध मद लोभ पर ,करके सर संधान ।
करके सर संधान , कलुषता मार भगाए ।
भवसागर कर पार ,परम पद वो ही पाए ।
करते ऐसी युक्ति ,प्रेम घट रहे न रीते ।
है वह मनुज महान ,हृदय जो सबका जीते ।।
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
कुण्डलिया (2)
विषय - भारत
****************
सारी दुनिया में रहे ,भारत माँ की शान ।
विश्व पटल पर देश की ,बने अलग पहचान ।
बने अलग पहचान ,कर्म वैसा ही करना ।
कोमल रहे स्वभाव , मगर न किसी से डरना ।सौम्य शिष्ट व्यवहार , अतुल है शक्ति हमारी ।
इससे उपकृत आज ,हुई यह दुनिया सारी ।।
*********************************
✍️इन्द्राणी साहू "साँची"✍️
भाटापारा (छत्तीसगढ़)
★★★★★★★★★★★★★★★
[05/01 6:53 PM] बाबूलाल शर्मा बौहरा: 👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀
~~~~~~~~~~~~~~बाबलालशर्मा
. *कलम की सुगंध छंदशाला*
. कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
दिनांक - ०५.०१.२०२०
कुण्डलियाँ (1)
विषय- *विजयी*
हल्दीघाटी युद्ध में , उभय पक्ष वश मान!
मान मुगलिया सैन्य वर, मान प्रतापी शान!
मान प्रतापी शान, निभाई चेतक कीका!
कीका का सम्मान , मान का पड़ता फीका!
फीका हुआ गुलाल, लाल थी चन्दन माटी!
माटी विजयी गर्व, गुमानी हल्दीघाटी!
कीका~महाराणा प्रताप
कुण्डलियाँ (2)
विषय- *भारत*
मेरा देश महान है, विविध बने मिल एक!
धर्म पंथ निरपेक्षता, संविधान जन नेक!
संविधान जन नेक, मूल अधिकार बतावे!
देश हितैषी कर्म , सभी कर्तव्य निभावे!
शर्मा बाबू लाल, स्वर्ण खग करे बसेरा!
गाते कृषक जवान, सुहाना भारत मेरा!
. °°°°°
रचनाकार -✍©
बाबू लाल शर्मा,बौहरा
सिकंदरा,दौसा, राजस्थान
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
[05/01 6:58 PM] प्रतिभा प्रसाद: *कुंडलियाँ*
विषय ---- *विजयी , भारत*
दिनांक --- 5.1.2020....
(35) *विजयी*
विजयी भव कहना सदा , रखो जीत में ध्यान ।
नेक नियत में जीत है , रखना यह भी ज्ञान ।
रखना यह भी ज्ञान , सही नेता को चुनना ।
देश रखें संभाल , सदा दिल में यह गुनना ।
कह कुमकुम करजोरि , कर्म करना कालजयी ।
सुनो देश की बात , सदा होना तुम विजयी ।।
(36) *भारत*
अपने भारत प्रीत की , सदा करें गुनगान ।
जन-गण को प्रेरित करें , रखें देश का मान ।
रखें देश का मान , जगत कहता है सुंदर ।
नहीं करेंगे आन , सीख जाओ मन अंदर ।
भारत की है प्रीत , सदा देे मधुरिम सपने ।
पावन ही है रीत , सभी लगते हैं अपने ।।
🌹 *प्रतिभा प्रसाद कुमकुम*
दिनांक 5.1.2020.....
_______________________________________
[05/01 7:29 PM] कुसुम कोठारी: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
५/१/२०
कुसुम कोठारी।
कुण्डलियाँ (३३)
विषय-विजयी
दानव दंश कर विजयी , विजया तुझे प्रणाम ,
भगवती भीति भंजना ,सुखद सकल परिणाम ,
सुखद सकल परिणाम , क्लेश काया के हरती ,
जग में शुचि विस्तार , हर्ष के वर्तुल भरती ,
कहे कुसुम कर जोड़ , कठिन भव पाया मानव ,
तू कर परोपकार , भगा दे मन का दानव ।।
कुण्डलियाँ (३४)
विषय-भारत
भारत देश महान है , हम सब का सम्मान ,
सब राष्ट्रों में श्रेष्ठ ये, हिन्द मान बहुमान ,
हिन्द मान बहुमान , शीश पर ताज सुहाना ,
सागर पाँव पखार ,बाँह में गंगा यमुना ,
कहे कुसुम ये बात , ऋचाएं और सगारत ,
कर्म करें सब शुद्ध , सदा शुचिता मम भारत ।।
कुसुम कोठारी।
[05/01 7:33 PM] नवनीत चौधरी विदेह: *कलम की सुगन्ध छंदशाला*
कुण्डलियाँ - शतकवीर सम्मान हेतु-
दिनाँक - 05.01.2020 (रविवार )
*(33) विषय - विजयी*
गठबंधन के साथियों, विजयी तुम हो खास |
बाटूँगा उम्दा सुरा , आगे करो गिलास |
आगे करो गिलास , कि मत लोटा लुढ़काओ |
थोड़ी पी लो आज, सुरा कुछ भर ले जाओ |
मुफ्त मिला है तात, घिसो चंदन रघुनन्दन |
शायद इक-दो साल ,चलेगा ये गठबंधन ||
*(34)विषय - भारत*
आगत को देता शरण, अपना भारतवर्ष |
मिलता है सत्कार से, हम सबको अति हर्ष |
हम सबको अति हर्ष, सुरक्षा सबको देते |
बाँटे सबसे प्यार,सभी को अपना लेते |
कह विदेह नवनीत, करें सबका हम स्वागत |
बन जाता है मीत, शरण आता जो आगत ||
*नवनीत चौधरी विदेह*
*किच्छा, ऊधम सिंह नगर*
*उत्तराखंड*
[05/01 7:36 PM] गीता द्विवेदी: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलिया शतकवीर
प्रतियोगिता हेतु
दिनांक-05-01-020
(33)
विषय-विजयी
भारत की माटी तुझे, नित्य लगाऊँ शीश।
मैं रहूँ विजयी सदैव, इतना दो आशीष।।
तेरी महिमा जान, हुआ है जगत अचंभित।
हम सब तेरे लाल, कभी भी न रहें खण्डित।।
तेरी रक्षा हेतु, करें संकट का स्वागत।
जय हो पावन भूमि, अमर यश तेरा भारत।।
(34)
विषय-भारत
हिंसा की लपटें उठीं,चीख उठा जब देश।
वीरों ने कस ली कमर, तत्क्षण मिटाया क्लेश।।
आतंकी का अंत,बजा तब विजयी डंका।
लौटे ज्यों हनुमान, जला सोने की लंका।।
माने सारा विश्व, रहे शांति अहिंसा।
भारत प्यारा देश, कभी नहीं पनपे हिंसा।।
सादर प्रस्तुत🙏🙏
गीता द्विवेदी
[05/01 7:48 PM] सुशीला साहू रायगढ़: 🌷*कलम की सुगंध छंदशाला*🌷
*कुंण्डलियाँ शतकवीर हेतु मेरी रचना*
*35----विजयी---05/01/2020*
महिमा जीवन भर चले,यही करें उपकार।
कदम-कदम में सफलता,हमें मिले उपहार।।
हमें मिले उपहार,जंग हो विजयी हमारा ।
सदा रहे मजबूत,बंधन रिश्तों का प्यारा।
कह शीला निज बात,सूरज जैसे लालिमा।
ईश्वर दें आशीष ,चले जीवन की महिमा।।
*36------भारत*
भारत लौ पथ गामिनी ,चले पग पग कतार।
जवान सब रक्षा करें ,डटे सैनिक अपार।।
डटे सैनिक अपार, देशहित जन धन रक्षा।।
हिमालय हिम द्वार, करें हमारी सुरक्षा।।
कह शीला कर जोड़,होन कोई अब आहत।
बचाए हमारी जान ,देश सुरक्षित भारत।।
*सूशीला साहू शीला*
*रायगढ़ छ.ग.*
[05/01 7:50 PM] अनुराधा चौहाण मुम्बई: कलम की सुगंध
कुण्डलियाँ शतकवीर
दिनाँक--5/1/20
33
भारत
सारी दुनिया में बढ़ी,भारत की पहचान।
वीरों की यह भूमि है,हम सबका है मान।
हम सबका है मान,हमे प्राणों से प्यारा।
भारत देश महान,जगत में सबसे न्यारा।
कहती अनु सुन आज,समय की यह बलिहारी।
भारत की संतान,दुखी हैं बेटी सारी।
34
विजयी
माखन मटकी फोड़ के,छेड़े मुरली तान।
आँचल में माँ के छुपा,ले विजयी मुस्कान।
ले विजयी मुस्कान,नटखट है नंदलाला।
मैया माने झूठ,लाल है भोला भाला।
कहती अनु सुन मात,करे लीला मनभावन।
फोड़ी मटकी आज,बैठ के खाता माखन।
अनुराधा चौहान
[05/01 8:02 PM] कन्हैया लाल श्रीवास: कलम की सुगंध.......कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
★★★★★★★★★★★★★★★★★
*विषय............नैतिक*
विधा .............कुण्डलियाँ
★★★★★★★★★★★★★★★★★
मानव नैतिकता पढ़े,सीखे नैतिक पाठ।
यह सनातन परंपरा,रखे सदा यह गांठ।
रखे सदा यह गांठ,करें जन हित मानुष।
होता जग में मान,बात बोले मृदु भाषी।
करना गुणता गान,छोड़ विकार अभिलाषी।
बनें धरा की शान,पढ़े नैतिकता मानव।
★★★★★★★★★★★★★★★★
स्वलिखित
कन्हैया लाल श्रीवास
भाटापारा छ.ग.
जि.बलौदाबाजार भाटापारा
[05/01 8:10 PM] डॉ मीता अग्रवाल: *कलम की सुगंध छंद शाला*
कुंड़लिया छंद शतकवीर हेतु
5/1/2020
*(33)विजयी*
वीरों का ये देश है,वीरों से हैआन।
विजयी भव आशीष हैं,भारत की संतान ।
भारत की संतान, देश हित जान लुटाते।
मौसम की सह मार, पार वो सरहद जातें ।
कहती मधुर विचार, हमेशा लड़ते हीरों ।
रक्षा करने खड़े,जागते भारत वीरों ।
*(34)भारत*
वंशज भारत मात के, बोली भाषा ज्ञान ।
सादा जीवन ही रहा, संस्कार पहचान ।
संस्कार पहचान, रीत औ प्रीत निराली।
देश धर्म औ जान,हथेली रखते लाली।
करे मधुर व्यवहार, भारती थाती अंशज।
परचम है लहरात,प्रवासी भारत वंशज।
*मीता अग्रवाल मधुर रायपुर छत्तीसगढ़*
[05/01 8:12 PM] केवरा यदु मीरा: शतक वीर कुंडलिया छंद
दिनाँक - 5-1-2020
33) विजयी
बन कर विजयी देश हित, आना मेरे लाल ।
तेरा अरु माँ भारती, यश चमकेगा भाल ।।
यश चमकेगा भाल, काम तुम ऐसा करना ।
शीश कटे कट जाय, नहीं पग पीछे धरना ।।
सैनिक तू है आन, डटे रहना तुम तन कर ।
मीरा कहती लाल, चले तू विजयी बनकर ।।
34) भारत
मेरे भारत देश को, जाने सकल जहान ।
भाईचारा प्रीत का, सभी करे गुणगान ।।
सभी करे गुणगान,कपट छल हमें न भाये ।
मेरा देश महान, हमें अरि शीश झुकाये ।
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख,सभी से प्रीत घनेरे ।
मंदिर मस्जिद देख, शिवायल कण कण मेरे ।।
केवरा यदु "मीरा "
राजिम
[05/01 8:15 PM] अनंत पुरोहित: कलम की सुगंध
कार्यक्रम शतकवीर कुण्डलियाँ
अनंत पुरोहित 'अनंत'
दिन रविवार 05.01.2020
33) विजयी
विजयी होकर युद्ध में, दिया देश को मान
या फिर न्योछावर किया, किया देह बलिदान
किया देह बलिदान, त्याग निज को हर्षाया
सैनिक वर्दी देख, पिता सीना चौड़ाया
कह अनंत कविराय, देश तुमपर है विनयी
दिया सुरक्षा मान, हुए जब सैनिक विजयी
34) भारत
गौतम गाँधी की धरा, इक्षवाकु के आर्य
हम भारत के वाशिंदे, ज्ञान बाँटना कार्य
ज्ञान बाँटना कार्य, गणन हमने सिखलाया
शून्य दशमलव जान, जगत को भी बतलाया
कह अनंत कविराय, वेद हरते मन का तम
शांति पाठ अवदान, दिया हमने ही गौतम
रचनाकार-
अनंत पुरोहित 'अनंत'
[05/01 8:15 PM] अभिलाषा चौहान: कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु*
*कुण्डलियाँ(३३)*
*विषय-विजयी*
सीमा पर विजयी हुए ,सदा देश के लाल।
देशभक्ति की वे बने,सुंदर सदा मिसाल।
सुंदर सदा मिसाल,देश पर सब कुछ वारे।
रहते सीना तान,मृत्यु भी उनसे हारे।
कहती 'अभि' निज बात,शत्रु पड़ता है धीमा।
विजयी होते वीर, सुरक्षित रहती सीमा।
*कुण्डलियाँ(३४)*
*विषय-भारत*
माटी चंदन देश की, अतुलित वैभव धाम।
अखिल विश्व वंदन करे,भारत जिसका नाम।
भारत जिसका नाम,ज्ञान का है संस्थापक।
पंचशील सिद्धांत, धर्म मानवता व्यापक।
कहती'अभि' निज बात,जगत को करुणा बाँटी।
वीरों का यह देश,महकती इसकी माटी।
*रचनाकार-अभिलाषा चौहान*
[05/01 8:38 PM] सरोज दुबे: कलम की सुगंध शतकवीर हेतु
कुंडलियाँ -33
दिनांक -5-1-20
विषय -विजयी
होना विजयी तुम सदा, देश के नव जवान l
तुमही पर तो है टिका,
सारा हिंदुस्तान l
सारा हिंदुस्तान,डटे सरहद पर रहना l
ठंड या बरसात, नहीं दुश्मन से डरना l
कहती सुनो सरोज,नहीं घबरा कर रोना l
हमारे हो सरताज,सदा तुम विजयी होना l
कुंडलियाँ 34
दिनांक -5-1-20
विषय -भारत
रहते भारत में सदा,
करतें इनका मान l
सभी धरम के लोग हैं,भारत की पहचान,
भारत की पहचान,
भिन्न है सबकी बोली l
अलग अलग है नाम,
रंग बिरंग की टोली ll
कहती सुनो सरोज,
दुख दर्द मिलकर सहते
जैसे सारे फूल,
साथ गमले में रहते ll
सरोज दुबे
रायपुर छत्तीसगढ़
🙏🙏🙏🙏
[05/01 8:42 PM] रवि रश्मि अनुभूति: 9920796787****रवि रश्मि 'अनुभूति '
🙏🙏
31 ) वीणा
***********
वीणा मन की बज रही , कहती दे माँ तार ।
सांसारिक माया सुनो , देती पीर अपार ।।
देती पीर अपार , चाह अब तो उड़ जाऊँ ।
झटपट उड़ कर मातु , पास तेरे मैं अब आऊँ ।।
दूरी सह धर धीर , सुधा को धीरे पीना ।।
करो उद्धार मातु , कहे मन की यह वीणा ।।
%%%%%%%
32 ) नैतिक
*************
नैतिक ऐसा शब्द रहा , अपनाये जो जान ।
भावों की सरिता यही , मान सके तो मान ।।
मान सके तो मान , रहे दर्पण सी प्यारी ।
नैतिकता से मान , बेईमानी छोड़ सारी ।
पड़ती भीषण मार , करे जो काम अनैतिक ।।
मान - सम्मान मिले , ग्रहण करो शिक्षा नैतिक ।
¤¤¤¤¤¤¤¤¤●••••●¤¤¤¤¤¤¤¤¤
(C) रवि रश्मि 'अनुभूति '
4.1.2020 , 10:48 पी.एम. पर रचित ।
%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%
●●
🙏🙏समीक्षार्थ व संशोधनार्थ 🌹🌹
[05/01 8:46 PM] पाखी जैन: *
कलम की सुगंध छंदशाला
शतकवीर हेतु कुण्डलिया
33- *विजयी*
विजयी ध्वज होगा सदा,झुको चरण में आन।
नित प्रति इसको कर नमन,रखो हृदय सम्मान।
रखो हृदय सम्मान,लुटाओ नेह जवानी।
करो याद हरबार, देश की सब कुरबानी।
कह पाखी सुन आज ,न बनना अधम निर्दयी।
होगी तेरी जीत,बनेगा भारत विजयी।
मनोरमा जैन "पाखी"
5/01/2020
*34-भारत*
वीरों की यह भूमि है, भारत इसका नाम ।
मिलती शरण सदैव है,रख माँ का सम्मान
रख माँ का सम्मान ,बजे दुनिया में डंका।
जो करता अपमान,जला दे उसकी लंका।
भारत है सिरमौर ,बनी है दुनिया जीरो ।
आतंक अब न और, याद रखना तुमवीरों
*34--*
मनोरमा जैन "पाखी"
5/01/2020
[05/01 8:47 PM] वंदना सोलंकी: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुंडलियाँ शतकवीर हेतु*
रविवार-05.01.2020
33)*विजयी*
नारी विजयी थी सदा,कहते वेद पुराण।
फिर भी जंग छिड़ी हुई,पाने को सम्मान।
पाने को सम्मान,हर जगह धाक जमाई।
है इतिहास गवाह,वीर थी लक्ष्मी बाई।
सुन वन्दू की बात,मानती दुनिया सारी।
जग में उसका नाम,हिन्द की गर्वित नारी।।
34)*भारत*
भारत माता कर रही,कब से करुण पुकार।
बैर भाव को छोड़ के,,करो परस्पर प्यार।
करो परस्पर प्यार,लड़ो मत आपस में अब ।
वीर हुए बलिदान,देश था संकट में जब।
सुन वन्दू के वचन,बनो तुम भाग्य विधाता।
देख उपेक्षित पूत,रो रही भारत माता।।
*रचनाकार-वंदना सोलंकी*
*नई दिल्ली*
[05/01 8:48 PM] प्रमिला पाण्डेय: कलम की सुगंध कुंडलिनी प्रतियोगिता
दिन-रविवार/5-1--2020
शब्द- विजयी/भारत
लंका पति को मार कर , वो विजयी श्री राम।
गिरे भूमि दश शीश जब, हुआ घोर संग्राम।
हुआ घोर संग्राम, दोउ योद्धा बलशाली।
करता कोई वार ,चूक नहि जाये खाली।
कह प्रमिला कविराय, बजा जब रण का डंका।
हुई पलों में खाक, जली सोने की लंका।।
(2)
भारत भूमि राम की, सरयू तट के पास ।
नगर अयोध्या में हुआ ,राम जनम जँह खास ।
राम जनम जँह खास, बना सरयू तट भारी।
बने अलौकिक महल , सभी की शोभा न्यारी।
कह प्रमिला कविराय, नहि कोउ दुखी न आरत।
सभी सुखी हैं लोग, रहें जो मिलकर भारत।।
प्रमिला पान्डेय
[05/01 8:51 PM] आशा शुक्ला: कलम की सुगंध छंदशाला
कुंडलियाँ शतकवीर हेतु
05 /01 /2020
(33)
विषय-विजयी
सच्चा जन कहलाय वो,जिसके मन सद्भाव
विजयी बनता है वही, जीते जिसने भाव।
जीते जिसने भाव, बना नरेश निज मन का।
शुचि प्रेमी मन साफ,घमंड नहीं कुछ धन का
करुणा से परिपूर्ण, अतीव चरित्र है अच्छा।
करता पर उपकार, वही मानव है सच्चा।
(34)
विषय-भारत
अपना प्यारा देश है, भारत वर्ष महान ।
योग गुरु जग का बना, चमके इसकी शान।
चमके इसकी शान ,बड़ी तेजी से छाया।
चल विकास की राह, नया इतिहास बनाया।
नभ में लगी छलाँग, सच्चा हुआ है सपना।
विजित हुए सब क्षेत्र, जयति भारत हो अपना।
आशा शुक्ला
शाहजहाँपुर, उत्तरप्रदेश
[05/01 8:56 PM] प्रमिला पाण्डेय: कलम की सुगंध कुंडलिनी प्रतियोगिता
दिन-रविवार/5-1--2020
शब्द- विजयी/भारत
(31)विजयी
लंका पति को मार कर , वो विजयी श्री राम।
गिरे भूमि दश शीश जब, हुआ घोर संग्राम।
हुआ घोर संग्राम, दोउ योद्धा बलशाली।
करता कोई वार ,चूक नहि जाये खाली।
कह प्रमिला कविराय, बजा जब रण का डंका।
हुई पलों में खाक, जली सोने की लंका।।
(32)भारत
भारत भूमि राम की, सरयू तट के पास ।
नगर अयोध्या में हुआ ,राम जनम जँह खास ।
राम जनम जँह खास, बना सरयू तट भारी।
बने अलौकिक महल , सभी की शोभा न्यारी।
कह प्रमिला कविराय, नहि कोउ दुखी न आरत।
सभी सुखी हैं लोग, रहें जो मिलकर भारत।।
प्रमिला पान्डेय
[05/01 8:58 PM] अनुपमा अग्रवाल: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
दिनांक - 05.01.2020
कुण्डलियाँ (33)
विषय-विजयी
जीते मन को जो अभी,है विजयी वो वीर।
इच्छाओं को जीत लो,धर लो फिर मन धीर।
धर लो फिर मन धीर,यही है सच्ची शिक्षा।
इंद्रिय वश में करो, कभी मत मांगो भिक्षा।
सुन लो अनु मन बात,करो पल याद न बीते।
विजय नहीं रण जीत,जयी जो मन को जीते।।
कुण्डलियाँ (34)
विषय-भारत
भारत देश महान है,भारतवासी *मान* ।
*मान* सको तो *मान* लो,रखना इसकी आन।
रखना इसकी *आन* , *आन* पड़े न फिर विपदा।
हर कदम अलग वेश,यही अनमोल संपदा।
करती अनु अब गर्व,नहीं हो कोई आरत।
हरियाली चहुँ ओर,हर्ष है सबका भारत।।
मान - सम्मान/बात मानना
आन - शान/आना
रचनाकार का नाम-
अनुपमा अग्रवाल
[05/01 9:05 PM] सुशीला जोशी मुज़्ज़फर नगर: 5-1-2020
5-1-2020
*विजयी*
हो विजयी हर काम में , बढ़े जगत में साख
अगर न विजयी हो सके , करो नही नम आँख
करो नही नम आँख , मेहनत थोड़ी कर लो
बहा पसीना आप , पेट अपना ही भर लो
श्रम करलो निःस्वार्थ , भावना लिए श्रममयी
इतना कीजिए कार्य , रहो फिर तुम ही विजयी ।।
*भारत*
सूरज की पहली किरण ,गति ऊषा सन्देश
अँगड़ाई ले जागता , मेरा भारत देश
मेरा भारत देश , रहा चिड़िया सोने की
करे नही अफसोस ,उसे कोई खोने की
फिर भी सब संसार , हिन्द की मांगे पद रज
करलो स्वागत आप ,उदित होता है सूरज ।।
सुशीला जोशी
मुजफ्फरनगर
[05/01 9:06 PM] विद्या भूषण मिश्र 'भूषण': *कुंडलिया शतक वीर -२०२० दिनांक-- ०५/०१/२०२०, दिन - रविवार।*
*32--विजयी*
~~~~~~~~~~
आओ हम निर्मित करें, कुछ ऐसा परिवेश।
जब भी होवे युद्ध तो, विजयी होवे देश।
विजयी होवे देश, आधुनिक शस्त्र मंगाओ।
सीमा पर तैनात, सुरक्षा और बढ़ाओ।
छिपे हुए जयचंद, मिलें जो उन्हें भगाओ।
करें सुरक्षित देश, देश प्रेमी सब आओ।।
~~
*३४--भारत*
सबसे बढ़ कर विश्व में ,भारत देश महान।
सारा जग अब कर रहा, भारत का सम्मान।
भारत का सम्मान, कर रही दुनिया सारी।
विश्व शक्ति हो देश, चल रही है तैयारी।।
चलो करें जय-घोष, हिमालय पर हम चढ़ कर।
भारत परम महान, विश्व में सब से बढ़ कर।।
~~~
*--विद्या भूषण मिश्र "भूषण"--*
~~~~~~~~~~~~~~~~
[05/01 9:14 PM] सुशीला जोशी मुज़्ज़फर नगर: *शतकवीर कुंडलियाँ प्रतियोगिता*2020
4-1-2010
31-- *वीणा*
झंकृत न होवे कभी , टूटे वीणा तार
टूटे तारों से कभी, ध्वनि न होवे पार
ध्वनि न होवे पार , बेसुरा गीत सुनावे
आधी अधूरी होय , गीत की रीत निभावे
करे कसैला स्वाद , रीत न रहवे संस्कृत
जर्जर वीणा तार , न होते हैं फिर झंकृत ।
32-- *नैतिक*
नैतिक दायित्व निर्वहन , करना सबका काम
नैतिकता अपनाय कर , जग में होता नाम
जग में होता नाम , उदाहरण बना रहता
औरो की सुधि लेय , स्वयं बढ़ता है रहता
धार आधुनिक सोच , कभी न होना अनैतिक
सभी कीजिए काम ,निभाय दायित्व नैतिक
सुशीला जोशी
मुजफ्फरनगर
[05/01 9:15 PM] सरोज दुबे: कलम की सुगंध शतकवीर हेतु
कुंडलियाँ -33
दिनांक -5-1-20
विषय -विजयी
होना विजयी तुम सदा, सुनलो वीर जवानl
तुम पर ही तो है टिका, सारा हिंदुस्तान l
सारा हिंदुस्तान,डटे सरहद पर रहना l
ठंडी या बरसात, नहीं दुश्मन से डरना l
कहती सुनो सरोज,नहीं घबरा कर रोना l
हमारे हो सरताज,सदा तुम विजयी होना l
कुंडलियाँ 34
दिनांक -5-1-20
विषय -भारत
रहते भारत में सदा, करतें इनका मान l
सभी धरम के लोग हैं,भारत की पहचान,
भारत की पहचान, भिन्न है सबकी बोली l
अलग अलग है नाम, रंग बिरंग की टोली ll
कहती सुनो सरोज, दर्द दुख मिलकर सहते
जैसे सारे फूल, साथ गमले में रहते ll
सरोज दुबे
रायपुर छत्तीसगढ़
🙏🙏🙏🙏
[05/01 9:29 PM] कन्हैया लाल श्रीवास: कलम की सुगंध.......कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
★★★★★★★★★★★★★★★★★
*विषय............नैतिक*
विधा .............कुण्डलियाँ
★★★★★★★★★★★★★★★★★
मानव नैतिकता पढ़े,सीखे नैतिक पाठ।
यह सनातन परंपरा,रखे सदा यह गांठ।
रखें सदा यह गांठ,बात बोले मृदु भाषी।
करना गुणता गान, छोड़ विकार अभिलाषी।
होता जग में मान,बनें मत कोई दानव।
बनें धरा की शान,पढ़े नैतिकता मानव।
★★★★★★★★★★★★★★★★
स्वलिखित
कन्हैया लाल श्रीवास
भाटापारा छ.ग.
जि.बलौदाबाजार भाटापारा
संशोधन पश्चात प्रेषित
[05/01 10:01 PM] डॉ मीना कौशल: विजयी
विजयी हैं विनयी वही,जिन पर राम दयालु।
शरणागत वत्सल भगत,करुणापुंज कृपालु।।
करुणापुंज कृपालु,रहें जापर रघुराई।
व्यथा विगत हो जाय,मिले जीवन सुखदाई।।
कृपासिन्धु की परम ,कृपा से मन हो विनयी।
मिटे मोह मद लोभ,स्वयं पर होवें विजयी।।
भारत
भारत वैभव है अतुल,अप्रतिम योद्धा वीर।
मातृभूमि हित तज रहे,अपना श्वास शरीर।।
अपना श्वास शरीर,गिने न कोई बाधा।
रहे सुरक्षित देश,लक्ष्य मानस में साधा।।
सैनिक हैं इस धन्य ,धरा की पुण्य विरासत।
गौरवगाथा पूर्ण,देश अपना ये भारत।।
डा.मीना कौशल
No comments:
Post a Comment