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•••••••••••••••••••••••••••••बाबूलालशर्मा
. *कलम की सुगंध छंदशाला*
. कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
. दिनांक - ०२.० २.२०२०
कुण्डलियाँ (1)
विषय- *चमका*
चमका मेरा भाग्य तब, मिल कर कलम सुगंध!
करूँ छंद शाला नमन, कहे 'लाल' मति अंध!
कहे 'लाल' मति अंध, शौक बस था कविताई!
लगे प्रेत सम छंद, मिले संजय सम भाई!
अनिता मंदिलवार, विदूषी पावन भभका!
सपन फलित विज्ञात,पटल का है यश चमका!
•. ••••••••••
कुण्डलियाँ (2)
विषय- *गीता*
गीता अनुपम ग्रंथ है, कर्म ज्ञान प्रतिमान!
सार्थ करे जो पार्थ का, कहे कृष्ण भगवान!
कहे कृष्ण भगवान, महर्षि व्यास लिखाये!
अष्टादश अध्याय, सात सौ श्लोक समाये!
शर्मा बाबू लाल, समय को किसने जीता!
काल कर्म अधिकार, धर्म पथ दर्शी गीता!
•. •••••••••
रचनाकार -✍©
बाबू लाल शर्मा,बौहरा
सिकंदरा,दौसा, राजस्थान
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[02/02 6:05 PM] बोधन राम विनायक: *कलम की सुगन्ध छंदशाला*
कुण्डलियाँ - शतकवीर सम्मान हेतु-
दिनाँक - 02.02.2020 (रविवार )
(79)
विषय - चमका
तारा चमका भाग्य से,देखे स्वप्न हजार।
मन में उठी उमंग अब,जीवन छाय बहार।।
जीवन छाय बहार,खुशी हर पल है मिलता।
कलियों सा मुस्कान,फूल आँगन में खिलता।।
कहे विनायक राज,जिंदगी सुखमय सारा।
देखो नया प्रभात,भोर का चमका तारा।।
(80)
विषय - गीता
गीता वेद पुराण का,मनन करो जी आप।
कट जायेंगे आपकी, सारे दुख संताप।।
सारे दुख संताप, ध्यान गीता का करना।
दिया कृष्ण उपदेश,इसे जीवन में धरना।।
कहे विनायक राज,आज मन हो मत रीता।
भर लो शक्ति अपार,पढ़ो नित साथी गीता।।
बोधन राम निषादराज"विनायक"
[02/02 6:13 PM] कृष्ण मोहन निगम: दिनाँक02/02/2020
कुंडलियाँ शतकवीर हेतु
विषय.... *चमका*
चमका यश श्रीराम का, गढ़े शुद्ध प्रतिमान ।
'मर्यादा' इस धर्म का, किया सदा सम्मान। ।
किया सदा सम्मान , कर्मणा-वाचा-मनसा ।
त्याग प्रेम कर्तव्य, निभाया किसने उन सा ।।
" निगम" सिंधु पर सेतु, रचा' उद्घाटन श्रम का ।
किया असुर संहार, नाम-यश उनका चमका।।
विषय.... *गीता*
गीता गाती गीत नित, 'कर कर्तव्य सुजान'।
इस पर ही अधिकार है, फल दाता भगवान ।।
फल दाता भगवान, न्याय सच्चा वह करता ।
एकमेव सिद्धांत , करें जो जैसा, भरता ।।
"निगम" चले जो राह,- सत्य की वो ही जीता।।
निर्भय कर निज कर्म, सिखाती निशि-दिन गीता।।
कलम से ..
कृष्ण मोहन निगम
सीतापुर
जिला सरगुजा (छत्तीसगढ़)
[02/02 6:13 PM] अभिलाषा चौहान: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलिया शतकवीर हेतु
कुण्डलिया(७९)
विषय-चमका
चमका देखो चंद्रमा,चमके तारे साथ।
जागी कवि की कल्पना, कलम लिए अब हाथ।
कलम लिए अब हाथ,गगन में देखे कविता।
बीती सारी रात,व्योम पर चमका सविता।
कहती'अभि'निज बात,भाव तब हिय में दमका।
कर्म हुआ साकार,रूप कविता का चमका।
कुण्डलिया(८०)
विषय-गीता
गीता का उपदेश दे,किया लोक कल्याण।
थर-थर अर्जुन काँपते,किया कृष्ण ने त्राण।
किया कृष्ण ने त्राण,डरो मत शस्त्र उठाओ।
पालन अपना धर्म,धरा से पाप मिटाओ।
'अभि'ने पाया ज्ञान,हाथ रहता है रीता।
क्या लाए हम साथ,सदा यह कहती गीता।
रचनाकार-अभिलाषा चौहान
[02/02 6:19 PM] अनिता सुधीर: शतकवीर हेतु
79
चमका
तारा चमका भोर का,हुआ अंधेरा दूर।
सजती थाली आरती,दीपक और कपूर।
दीपक और कपूर,भरे मन में उजियारा ।
करो प्रभो का ध्यान,मिटे अंतस अँधियारा ।
भवसागर से पार ,फिरे क्यों इत उत मारा ।
मिलता जो आशीष,चमकता जीवन तारा ।
80
गीता
**
गीता का उपदेश ये, कर्म करो निष्काम।
लोभ मोह अरु क्रोध तज, जपो कृष्ण का नाम।
जपो कृष्ण का नाम, करो ये जीवन अर्पण।
रहो सदा समभाव ,सदा हो प्रेम समर्पण ।
कृष्ण हरे अज्ञान , भरें फिर हिय घट रीता ।
श्रद्धा के भगवान , यही कहती है गीता ।
अनिता सुधीर
[02/02 6:19 PM] सरला सिंह: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुंडलियाँ शतकवीर हेतु*
*02/02/2020*
*दिन -रविवार*
*विषय - चमका ,गीता *
*विधा-कुंडलियां*
79-चमका
चमका चंदा गगन पर,फैला यहां उजास,
पुलकित मन ये हो गया, कोई नहीं उदास।
कोई नहीं उदास,खुशी मुखपर है छाया।
कान्हा के ही साथ,साथ राधे को लाया।
कहती सरला आज, लगे सारा जग गमका।
महारास की रात,चांद भी चमचम चमका।।
80-गीता
गीता तुम पढ़ना सदा,देता है बहु ज्ञान।
आंखों को खोलता,करता दूर अज्ञान।
करता दूर अज्ञान , खेल खेले है माया।
उसके वश में लोग,मोह दिलपर है छाया।
कहती सरला बात, छोड़ अब जो है बीता।
पाना है यदि ज्ञान,पढ़ो हरदिन तुम गीता।।
डॉ सरला सिंह स्निग्धा
दिल्ली
[02/02 6:26 PM] कुसुम कोठारी: कमल की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
१/२/२०२०
कुसुम कोठारी।
कुण्डलियाँ (७९)
विषय-चमका
चमका तारा रात में ,नभ भी है निर्मेघ ।
पूनम की इस रात में , सागर में उद्वेग ।
सागर में उद्वेग , तेज गति उठती लहरें ।
घोर मचाए शोर , ज्वार पानी में गहरे ।
कुसुम चाँद की रात , तीर चाँदी ज्यों दमके ।
बाँध मोह की डोर ,गगन में चंदा चमका।।
कुण्डलियाँ (८०)
विषय-गीता
गीता का अध्याय थे ,लाल बहादुर नाम ।
जीवन कर्म प्रधान था , भरा था स्वाभिमान ।
भरा था स्वाभिमान ,देश हित कारज करता।
सैनिक और किसान , शान है नारा भरता।
कहे कुसुम वो निष्ठ , सौम्य जीवन ही जीता ।
सिद्धांतो का दास, मान था उसका गीता ।।
कुसुम कोठारी
[02/02 6:44 PM] प्रतिभा प्रसाद: *कुंडलियाँ*
विषय ---- *चमका, गीता*
दिनांक --- 2.2.2020....
(79) *चमका*
सितारा देखो चमका , जगाय मुझमें आस ।
अंबर कहता प्यार है , कभी न फटके पास ।
कभी न फटके पास , देख चमचम है चमका ।
मुझको क्यूँ ललचाय , कभी यूँ हीं आ धमका ।
कह कुमकुम करजोरि , सुनो बजता इकतारा ।
जीवन में है प्यार , देख चमका इ सितारा ।।
(80) *गीता*
गीता के ज्ञाता मिले , दिया कर्म का ज्ञान ।
मैं ने भी सज्ञान लिया , मिला धर्म ही आन ।
मिला धर्म ही आन , मर्म सबका है कहना ।
तमस से दूर भाग , रहे लोगों को सहना ।
कह कुमकुम कविराय , धर्म समझो तुम सीता ।
सदा मिलेगा ज्ञान , पढ़ोगे जब तुम गीता ।।
🌹 प्रतिभा प्रसाद कुमकुम
दिनांक 2.2.2020...
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[02/02 6:44 PM] वंदना सोलंकी: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुंडलियाँ शतकवीर हेतु*
बुधवार-29.01.2020
*73)पाना*
पाना है सबको यहाँ, रुपया पैसा दाम।
बिना कर्म उनको मिले,जग में ऊँचा नाम।
जग में ऊँचा नाम,सभी को देते धोखा।
न ही फिटकरी हींग,रंग चढ़ जाए चोखा। सुन वन्दू के भाव,नहीं झांसे में आना।
करना श्रम भरपूर,और सफलता पाना।।
*74)खोना*
खोना कुछ हमको नहीं,प्रभु हैं सबके नाथ।
खाली कर आए यहाँ,जाएं खाली हाथ।
जाएं खाली हाथ,करो सत्कर्म कमाई।
हे दाता भरतार,शरण तेरी मैं आई।
कहती वन्दू बात,नहीं सदैव तुम सोना।
जप लो प्रभु का नाम,समय अनमोल न खोना।।
***
गुरुवार-30.01.2020
*75)यादें*
मीठी यादें सुख भरी,रहतीं हर पल पास।
कटु बातों को याद कर,होता मनुज उदास।
होता मनुज उदास,फाँस सी दिल मे चुभती।
सुखमय बातें सोच,कली दिल की खिल उठती।
सुनी अरुचिकर बात,जलन की जली अँगीठी।
भूलो कल की बात,बसाओ यादें मीठी।।
*76)छोटी*
छोटी छोटी बात पर,मानव करे वबाल।
मर्यादा को भूल कर,करता फिरे सवाल।
करता फिरे सवाल,आप कर्तव्य न निभाये।
बिना किये मिल जाय,कर्म पथ उसे न भाए।
वन्दू सरल स्वभाव,समझ न बात ये खोटी।
सबको देना मान,भूल कर बातें छोटी।।
*रचनाकार-वंदना सोलंकी*
*नई दिल्ली*
[02/02 6:48 PM] सरोज दुबे: कलम की सुगंध शतकवीर हेतु
कुंडलियाँ -79
दिनांक -2-1-20
विषय -चमका
सोना चमका जब तपा, जानो हे इंसान l
तपने से जग में मिले, वो सच्ची पहचान l
वो सच्ची पहचान, राछ लोहा बन जाता l
मानव बने महान, निखर के जब गुण आता l
कहती सुनो सरोज, चमक कर हीरा होना l
छोड़ मूल्य का गर्व, सदा चमको बन सोना l
कुंडलियाँ -80
दिनांक -2-1-20
विषय -गीता
गीता पावन ग्रंथ से, मिले कृष्ण उपदेश l
जीवन में इस बात पे, गर्वित भारत देश l
गर्वित भारत देश, कला जीने की सीखें l
लेकर गीता ज्ञान, इसी से ज्ञानी दीखें l
कहती सुनो सरोज, ज्ञान बिन जीवन रीताl
सच्चा है ये मीत, हमेशा पढ़ना गीता l
सरोज दुबे
रायपुर छत्तीसगढ़
🙏🙏🙏🙏
[02/02 7:01 PM] रजनी रामदेव: शतकवीर प्रतियोगिता हेतु
2/02/2020 ::रविवार
चमका
चमका सूरज रात में, होता जैसे झूठ।
ए मेरे महबूब सुन , बैठे वैसे रूठ।।
बैठे वैसे रूठ, पकड़ कर तुम इक कोना।
यूँ मत हो नाराज़ ,छोड़ ये झूठा रोना।।
मेरे मन का बाग, प्यार से तेरे गमका।
सुन मेरे मनमीत, चाँद भी चमका चमका।।
गीता
गीता का उपदेश जब, दिया कृष्ण ने पार्थ।
धागे टूटे मोह के, जाना तभी यथार्थ।।
जाना तभी यथार्थ, न कोई जग में अपना।
सारे रिश्ते स्वार्थ, जगत है झूठा सपना।।
घट दिखता सम्पूर्ण, रहे वो अक्सर रीता।
इसी बात का ज्ञान, सदा दे हमको गीता।।
रजनी रामदेव
नह दिल्ली
[02/02 7:13 PM] सुशीला जोशी मुज़्ज़फर नगर: स*कलम की सुगंध कुंडलियाँ प्रतियोगिता 2019-2020*
*01-02-2020 शनिवार*
77-- *मीठी*
मीठी वाणी बोल कर , करो सरल व्यवहार
बदले में मिल जायेंगे ,मन चाहे उपहार
मन चाहे उपहार , हृदय को खुश कर देते
दूर कुटिलता भाग , जगत में प्रिय कर लेते
मीठे मीठे बोल , सदा होते कल्याणी
रखते सरल सुभाव , बोल कर मीठी वाणी ।
78-- *बातें*
बातें करके ही बने ,कोई बिगड़ी बात
बातें करके ही कटे , लम्बी पूरी रात
लम्बी पूरी रात , मने जंगल में मंगल
बिन शब्दों के बात , कहे कुछ अपनी कंगन
बात सहारे बैठ, भयावह समय बिताते
बनती बिगड़ी बात , सदा करके ही बातें ।
सुशीला जोशी
मुजफ्फरनगर
*कलम सुगन्ध कुंडलियाँ प्रतियोगिता 2019-2020*
*02-02-2020*
79---- *चमका*
चमका नभ के बीच में, सुंदर तारा एक
और जलन से भर गए, चमके साथ अनेक
चमके साथ अनेक, गगन में बिखरे मोती
ले चन्दा को साथ, चांदनी धीरज खोती
चन्दा से कर बात, रही मानो वो धमका
तारे भले अनेक, मंद इनसे क्यों चमका ।
80 --- *गीता*..
गीता का संदेश है, धरो कर्म में ध्यान
अच्छे हों परिणाम सब, भरो हृदय में ज्ञान
भरो हृदय में ज्ञान, खुलेगा रास्ता तेरा
करे नही ये भेद, विधाता तेरा-मेरा
करो प्रेम से कर्म, आज जो कल था बीता
निश्चित करता कर्म, दिलाती फल वो गीता ।।
सुशीला जोशी
मुजफ्फरनगर
[02/02 7:42 PM] अटल राम चतुर्वेदी, मथुरा: *02.02.2020 (रविवार )*
79- चमका
************
चमका तारा गगन में, जागी मन में आस।
पूरी होगी कामना, होगा अपना पास।
होगा अपना पास, जिसे चाहा है हमने।
रखते उसको याद, जिसे छोड़ा था तुमने।
"अटल" हमारा प्यार, एक लाखों में दमका।
उस पर है अधिकार, गगन में जो है चमका।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏
80- गीता
************
गीता जीवन सार है, देती सबको ज्ञान।
जिसने इसको पढ़ लिया, समझो उसे महान।
समझो उसे महान, सफलता का पैमाना।
दया, धर्म और द्वेष, राग यह सब वह जाना।
मिटते "अटल" विकार, जगत को उसने जीता।
होता कर्म प्रधान, बताती है यह गीता।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏
[02/02 7:47 PM] पाखी जैन: कलम की सुगंध छंदशाला
शतकवीर हेतु कुंडलियाँ
दिनांक 02/02/2020
79-- *चमका*
तारा चमका भोर का,जागे हैं बटेऊ।
जागा सारा गाँव है,सो रहे नंदेऊ।
सो रहे नंदेऊ,ननदी आग सुलगाई।
गुस्सा नंबरदार,किरण छत पर है आई।
हुई देख भिनसार,चढ़ा सबका है पारा।
मुर्गों का सरदार,भोर का चमका तारा।
80-- *गीता*
होगा गीता ज्ञान तब,बदलेगा संसार।
बिना ज्ञान के भी कभी ,करता अंगीकार?
करता अंगीकार,यही अर्जुन को बोला ।
दिया वही उपदेश,कृष्ण ने था जो तोला।
पाखी ले पहिचान,सभी ने यह दुख भोगा।
यह है गीता ज्ञान ,सीखना सबको होगा।
मनोरमा जैन पाखी
🙏🏻🙏🏻
[02/02 7:50 PM] इंद्राणी साहू साँची: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
दिनाँक - 02/02/2020
दिन - रविवार
79 - कुण्डलिया (1)
विषय - चमका
**************
तारा चमका भाग्य का , हुआ देश खुशहाल ।
शूर वीर संतान से , चमके भारत भाल ।
चमके भारत भाल , पूत हो कर्मठ ऐसा ।
करे धरा श्रृंगार ,बने नर देवों जैसा ।
कर्महीन इंसान , किसी का नहीं सहारा ।
समझे कर्म प्रधान , उसी का चमका तारा ।।
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80 - कुण्डलिया (2)
विषय - गीता
*****************
गीता वाणी है अमृत , निःसृत प्रभु मुख जान ।
कर्म मार्ग करती प्रखर , पावन ग्रंथ महान ।
पावन ग्रंथ महान , मोह का फंद छुड़ाए ।
काम क्रोध मद लोभ , हृदय से सभी मिटाए ।
सुख दुख सम व्यवहार,करे जो वह जग जीता ।केवल कर्म प्रधान , सिखाए पावन गीता ।।
********************************
✍️इन्द्राणी साहू "साँची"✍️
भाटापारा (छत्तीसगढ़)
★★★★★★★★★★★★★★★★★
[02/02 7:59 PM] डा कमल वर्मा: कलम की सुगंध छंद शाला,
प्रणाम। 🙏🏻
कुंडलियाँ शतक वीर के लिए,
कुंडलियाँ क्र 85
विषय_चमका
चमका तारा भोर का,पहला जो आकाश।
देने राहों को लगा,थोड़ा देख प्रकाश।
थोड़ा देख प्रकाश,मुसाफ़िर चलतें जाना।
इस दुनियां मे चांद,कहाँ है सब ने पाना।
कमल न जाना भूल,नसीबा आ कर धमका। खुश हुई तू सोच,सितारा तेरा चमका।
कुंडलियाँ क्र 86
विषय_गीता।
गीता में हमने पढा,कर्म करे इंसान।
चिंता फल की जो करें, मानव वह नादान।
मानव वह नादान,कहाँ है तेरे बस में।
कहाँ किसी के हाथ,रहे दुनिया की रस्में।।
कमल दर्द का टाट,सभी जीवन भर सीता,
करता रह तू कर्म,यही सिखलाती गीता।।
कृपया समिक्षा करें। 🙏🏻
[02/02 8:00 PM] राधा तिवारी खटीमा: कलम की सुगंध
शतकवीर हेतु कुंडलियां
विषय चमका,गीता
02/02/ 2020
चमका(79)
चमका सूरज की तरह, मेरा प्यारा लाल।
आसमान का चंद्रमा,है भारत का भाल।।
है भारत का भाल,करें हम नित ही वंदन।
जैसे खुशबूदार,हमारे बाग का चंदन।
कह राधेगोपाल,सदा ही वो है दमका।
मेरा प्यारा लाल सदा सूरज बन चमका।।
गीता (80)
गीता से हमको मिले, सदा धर्म का ज्ञान।
बिना पढ़े रहना नहीं, तुम खुद से अनजान ।
तुम खुद से अनजान, जिंदगी बहुत है छोटी।
करना युद्ध विराम ,नहीं कर बातें खोटी ।
कह राधेगोपाल, जिंदगी वो ही जीता
धर्म का लेना ज्ञान ,सदा ही पढ़कर गीता।।
राधा तिवारी"राधेगोपाल"
खटीमा
उधम सिंह नगर
उत्तराखंड
[02/02 8:09 PM] धनेश्वरी देवाँगन 'धरा': कुँडलिया शतकवीर हेतु
77). मीठी
बोली मीठी बोल कर , लो सबका दिल जीत ।
बातों में मिश्री घुले , रहे हृदय में प्रीत ।।
रहे हृदय में प्रीत , बने ये जीवन उत्तम ।
सुन्दर बने समाज, बोलिए शब्द मधुरतम।।
कहे "धरा" कर जोड़ , भरी हो सबकी झोली ।
वाणी सुन्दर साज , बोलिए मीठी बोली ।।
78). बातें
बातें मन की बोल दो , कल पर अब मत छोड़ ।
गया समय जब बीत तो , कैसे पाये जोड़ ।।
कैसे पाये जोड़ , बहुत ही मन पछताता ।
गाँठ हृदय की खोल , कहाँ बीता क्षण आता ?।
सुनो 'धरा' की बात , चैन से कटती रातें ।
बहे चित्त रस धार ,रहे मत मन में बातें ।।
*धनेश्वरी देवांगन धरा*
*रायगढ़, छत्तीसगढ़*
[02/02 8:14 PM] संतोष कुमार प्रजापति: कलम की सुगंध छंदशाला
*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु*
दिनांक - 02/02/2020
कुण्डलिया (79)
विषय- चमका
===========
चमका सूरज गगन में, सुन्दर सुखद प्रभात I
तम भागा - भागा फिरे, नष्ट हुआ सब गात ll
नष्ट हुआ सब गात, छिपा कंकाल धरा में l
रवि जाते विकराल, जमाई धाक जरा में ll
कह 'माधव कविराय', यही कारण है गम का l
दुर्जन पाता स्नेह, दिवाकर जब भी चमका ll
कुण्डलिया (80)
विषय- गीता
===========
गीता वाणी श्याम की, सभी करो रसपान I
शब्द - शब्द सुरभोग सम, यही नीति की खान ll
यही नीति की खान, समझ पढ़ चिन्तन इसका l
दुर्गुणमय संसार, सहारा समझो किसका ll
कह 'माधव कविराय', सुना जिसने रण जीता l
उसका भी उद्धार, किया मन्थन जो गीता ll
रचनाकार का नाम-
सन्तोष कुमार प्रजापति 'माधव'
महोबा (उ.प्र.)
[02/02 8:18 PM] गीतांजलि जी: कुण्डलिया शतकवीर
दिनांक ०२/०२/२०२०
७७) मीठी
मीठी तेरी वाक है, कहें सिया से राम।
पल पल छिन छिन संग तू, देती मुझे विश्राम।।
देती मुझे विश्राम, प्रिया नित सेवा तेरी ।
धारे मन उत्साह, सदा तू सहाई मेरी।।
कंद मूल को भून, खिलाती तुम अंगीठी।
सीते, तेरे हाथ, रसोई लगती मीठी।।
७८) बातें
बातें करते आप से, जग कर सारी रात।
भाई भाभी सो रहे, करे न कोई घात।।
करे न कोई घात, खड़े पहरे पर लक्ष्मण।
बना हृदय का मीत, प्रकृति जड़ चेतन कणकण।।
तकते धरती व्योम, बिता देते हैं रातें।
कभी द्रुम से कभी पात, कहें निज मन की बातें।।
७९) चमका
चमका नभ में चंद्र है, अर्घ दे रहे देख।
करते अर्चन भरत हैं, कटे कष्ट की रेख।।
करे कष्ट की रेख, सुखी हों वन में भैया।
रहे निरोगी देह, संग नित सीता मैया।।
लक्ष्मण का शुचि भाल, रहे सत बल से दमका।
माँग रहे कर जोड़, रहे पथ ग्रह शुभ चमका।।
८०) गीता
गीता की महिमा बड़ी, कहते गुणी सुजान।
धारण करलो चित्त में, नित पढ़ सुंदर ज्ञान।।
नित पढ़ सुंदर ज्ञान, करो तन मन को पावन।
करो जगत कल्याण, सुना कर वार्ता भावन।।
मत फिर कल पर टाल, घड़ी में जीवन बीता।
जान ले वेद का सार, कहा जो प्रभु ने गीता।।
गीतांजलि अनकही
[02/02 8:35 PM] रामलखन शर्मा अंकित: जय माँ शारदे
कुंडलियाँ
81. चमका
चमका वो संसार में, बनकर के दिनमान।
मंजिल पाने के लिए, रहता जो गतिमान।।
रहता जो गतिमान, नहीं हर कहीं ठहरता।
पथ पर आई और, नहीं बाधा से डरता।।
कह अंकित कविराय, नहीं डर जिसको तम का।
वो ही बनकर सूर्य, गगन में हरपल चमका।।
82. गीता
गीता उपयोगी बहुत, कर लो इसका ज्ञान।
कूट कूट इसमें भरा, जीवन का विज्ञान।।
जीवन का विज्ञान, कर्म का पथ दिखलाती।
शोक, मोह, भय आदि, मनुज के दूर भगाती।।
कह अंकित कविराय,मनुज गौरव से जीता।
हमको सच्चा ज्ञान, कराती भगवत गीता।।
----- राम लखन शर्मा ग्वालियर
[02/02 8:41 PM] शिवकुमारी शिवहरे: Title: मीठी
Date: 02 Feb 2020
Note:
मीठी
बोली मीठी बोल के,सब हो अपने साथ।
रिश्ते सदा मीठे बने, सिर पर होता हाथ।
सिर पर होता हाथ,सदा बनते है फरिश्ते
बोलो मीठे बोल, बोली से बनते रिश्ते।
जैसे कोयल बोल,बनी सबकी हमजोली।
सब हो अपने साथ ,बोलिये मीठी बोली।
शिवकुमारी शिवहरे
Title: छोटी
Date: 02 Feb 2020
Note:
छोटी
छोटी छोटी बात मे , टूटे है परिवार।
बातें जब खोटी लगे ,पड़ती सदा दरार।
पड़ती सदा दरार,छोटी बातों को लेकर।
बढ़ जाती तकरार,सदा ये ताने देकर।
कितना था वो प्यार, साथ मे खाते रोटी।
आज हुये है दूर,बात कितनी थी छोटी।
शिवकुमारी शिवहरे
Title: बातें
Date: 02 Feb 2020
Note:
बातें
बातें बातें मे सदा, बढ़ जाती है बात।
बात बतंगड़ वो बने, दिख जाती औकात।
दिख जाती औकात,न तुम बात मे उलझो।
दिल मे न लो बात ,जरा बातें को समझो।
दिल लगती बात, फिक्र से कटती रातें।
होती है तकरार,सदा बढ़ जाती बातें।
शिवकुमारी शिवहरे
Title: डोरी
Date: 02 Feb 2020
Note:
(No Text Provided...)
डोरी से वह बँधे, कृष्ण कन्हैया लाल।
माँ यशोदा हे बाँधती, हँसता दे दे ताल।
हँसता दे दे ताल, बड़ा नटखट गोपाला।
दही मुख लिपटाय,बँधे आज भूपाला।
जब सोता है लाल,सदा माँ गाती लोरी।
नटखट है गोपाल, बाँध कान्हा को डोरी।
शिवकुमारी शिवहरे
[02/02 8:53 PM] पुष्पा विकास गुप्ता कटनी म. प्र: कलम की सुगंध छंदशाला
*कुंडलिया शतकवीर हेतु*
दिनाँक- 1.2.2020
कुंडलिया (77) *मीठी*
मानस पटल सहेजिए, हरदम मीठी याद।
भूलें कड़वी बात को, बीते वर्षों बाद।।
बीते वर्षों बाद, भूलकर भूल पुरानी।
करें नयी शुरुआत, लिखें नित नयी कहानी।।
कहती प्रांजलि आज, छोड़िए अब तो आलस।
ऊर्जा से भरपूर, रहेगा सुंदर मानस।।
कुंडलिया(78) *बातें*
बातें करते जो बड़ी, करते कभी न काम।
आदी ये आराम के, बड़ा चाहते नाम।।
बड़ा चाहते नाम, परिश्रम पड़े न करना।
मिले किए बिन श्रेय, प्रदर्शन हो या धरना।।
प्रांजलि करो प्रयास, कटेगी सुखमय रातें।
इनका क्या विश्वास, बड़ी जो करते बातें।।
दिनाँक-2.2.2020
कुंडलिया (79) *चमका*
चमका चंचल चंद्रमा, चितवन हुए चकोर।
चैन चुराता चित्त का, निरख रहे दृग छोर।।
निरख रहे दृग छोर, कल्पना कलम चलाए।
होकर भाव विभोर, भोर तक लिखती जाए।।
प्रांजलि का चितचोर, चैन ये चातक मन का।
जागूँ सारी रात, चाँद पूनम का चमका।।
कुंडलिया (80) *गीता*
गीता के उपदेश को, समझ गए जब पार्थ।
उठा लिया गांडीव कर, करने को पुरुषार्थ।।
करने को पुरुषार्थ, सारथी बने मुरारी।
चले धर्म के मार्ग, धनंजय से धनु धारी।।
वाणी हरि अनमोल, सदा है परम पुनीता।
देती सच्चा ज्ञान, जगत को श्रीमद् गीता।।
_____पुष्पा गुप्ता "प्रांजलि"
जैसे हो चितचोर,
[02/02 8:54 PM] प्रमिला पाण्डेय: कलम की सुगंध शतक वीर प्रतियोगिता कुंडलिया
दिन-रविवार
(1)चमका/
आता पूनम रात को , चम चम चमके चांद।
रात अमावश को छिपे, सिंह छिपे ज्यों मांद।
सिंह छिपे ज्यों मांद, चांद फिर नही निकलता।
चमके तारे रात, तिमिर रजनी भर रहता।
कह प्रमिला कविराय, डूब सागर में जाता ।
लिए चांदनी संग , रात पूनम को आता।।
(2)गीता
गीता जीवन सार है, कर्म भूमि का ज्ञान।
गीता के नित पाठ से, मिटे मोह अज्ञान।
मिटे मोह अज्ञान, बोध हो कर्तव्य पथ का।
बने सारथी कृष्ण, चले पहिया निज रथ का।
कह प्रमिला कविराय, युद्ध अर्जुन ने जीता।
युद्ध भूमि में सुनी, आज अर्जुन ने गीता।।
प्रमिला पान्डेय
[02/02 8:54 PM] अर्चना पाठक निरंतर: कलम की सुगंध
कुंडलियाँ शतक वीर हेतु
दिनाँक-०२/०१/२०२०
कुंडलियाँ
विषय -चमका
चमका तारा भाग्य का ,करना मत अभिमान।
फल दे ये तो कर्म का, पाते हैं सम्मान ।।
पाते हैं सम्मान, कभी चहुँ कीर्ति दिलाये।
अपनी-अपनी लेख ,कहाँ जा रहा मिलाये।।
कहे निरंतर बात,खुशी से मुख ये दमका ।
नहीं परिश्रम व्यर्थ, भाग्य फिर से है चमका।।
गीता
गीता पथ दे कर्म का,कृष्णा का उपदेश।
सही राह दिखला रही,लिया युद्ध का वेश।।
लिया युद्ध का वेश,सदा मनु सार बताये।
कैसे लें मुख फेर,कष्ट स्वजन का सताये।।
कहे निरंतर बात,सदा मन को है जीता।
छोड़ राग सब द्वेष,चलो सत पर सब गीता।।
अर्चना पाठक 'निरंतर'
[02/02 8:55 PM] केवरा यदु मीरा: शतक वीर कुंडलिया छंद
2-2-2020
चमका
चमका नभ के बीच फिर,सुन्दर तारा एक ।
कहते ध्रुव तारा जिसे, काम किया था नेक ।।
काम किया था नेक, मात आखों का तारा ।
नाम अमर है आज,गगन का है उजियारा।।
नारायण जप नाम, भजन कर कैसा धमका ।
धन्य धन्य वह लाल,जगत में ध्रुव है चमका ।।
गीता 80
गीता का उपदेश सुन,अर्जुन करे विचार ।
झूठा यह संसार है,नारायण है सार।।
नारायण है सार, जगत है झूठी माया ।
मूरख मनवा सोच, कौन है कब क्या पाया।।
भूला हरि का नाम, जन्म बस यूँ ही बीता ।
भव सागर से पार, लगाती बस इक गीता ।।
केवरा यदु"मीरा "
राजिम
[02/02 8:56 PM] कन्हैया लाल श्रीवास: कलम की सुगंध छंद शाला.....कलम शतकवीर
हेतु
★★★★★★★★★★★☆★★★★★
*विषय........चमका*
विधा.........कुण्डलियाँ
★★★★★★★★★★★★★★★★★
चमका झुमका कान में,नथनी सोहे नाक।
पैंजन बाजे पाँव में ,शोभा गरदन हार।।
शोभा गरदन हार ,सजे नग हीरा मोती।
करती नव सिंंगार , रखें व्रत पोता पोती।।
कहता कवि श्रीवास,नाच कर मारो ठुमका।
घर पर मंगल गान, कान में झूले झुमका।।
★★★★★★★★★★★★★★★★★
*विषय........गीता*
विधा.........कुण्डलियाँ
★★★★★★★★★★★★★★★★★
गीता का उपदेश है,सदा करो सद काज।
कर्म शील मानव बनो,होगा जग में राज।।
होगा जग में राज , लोक मन को हरषाता।
मिलता सुख अधिकार,नेह रस जन बरसाता।।
कहता कवि श्रीवास,काम हो सकल पुनीता।
होगा मंगल काम ,पढ़ो सब भगवत गीता।।
★★★★★★★★★★★★★★★★★
स्वलिखित
कन्हैया लाल श्रीवास
भाटापारा छ.ग.
जि.बलौदाबाजार भाटापारा
[02/02 8:59 PM] अनुपमा अग्रवाल: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
दिनांक - 02.01.2020
कुण्डलियाँ (75)
विषय-यादें
यादें तो अनमोल हैं, तुम न लगाओ मोल।
थाती जीवन की बनीं,इनको न सकूँ तोल।
इनको न सकूँ तोल,कटे इनसे ही जीवन।
बातें आतीं याद,भिगो देतीं ये तन मन।
कहती अनु ये आज,बोझ क्यों मन पर लादें?
सुख पहुँचातीं खूब,मनोहारी ये यादें।।
'
कुण्डलियाँ (76)
विषय-छोटी
छोटी होती बात है,क्यों कर देते खींच?
बना बतंगड़ बात का,लेते मुट्ठी भींच।
लेते मुट्ठी भींच,बुरा करने की सोचें।
क्यों कर करना क्रोध?ज्ञान को ये ही नोचें।
मानो अनु की बात,बात मत करना मोटी।
रखना ज्ञान विवेक,लुभाती बातें छोटी।।
रचनाकार का नाम-
अनुपमा अग्रवाल
[02/02 9:00 PM] नीतू ठाकुर 'विदुषी': कुँडलिया शतकवीर हेतु
*विषय-चमका*
चमका पीतल इस तरह, सोना माने हार।
सत्य किसे है खोजना, व्यस्त सकल संसार।।
व्यस्त सकल संसार , झूठ का चूमे माथा।
कितनों का बलिदान , भूल बैठे हर गाथा।।
कलयुग का आशीष , भाग्य कितनों का दमका।
ज्ञानी हैं कंगाल , मूर्ख चंदा सा चमका।।
चार दिनों की चाँदनी ,
*विषय-गीता*
गीता पढ़ते है कई, समझे कितना सार।
भटका अपने मार्ग से, देखो यह संसार।।
देखो यह संसार, झूठ का करे दिखावा।
मुख से भजता राम , ह्रदय में भरा छलावा।।
आया ऐसा काल , धर्म से पापी जीता।
बिकते हैं अखबार , धूल खाती है गीता।।
*नीतू ठाकुर 'विदुषी'*
[02/02 9:19 PM] चमेली कुर्रे सुवासिता: कलम की सुगंध छंदशाला
*कुण्डलिया शतकवीर*
दिनांक-0 2/02/2020
कुण्डलिया- ( *79*)
विषय - *चमका*
चमका मेरा भाग्य का, तारा देखो आज।
हार कभी मानी नही, यही जीत का राज।।
यही जीत का राज, कही अच्छी है बातें।
पल में पल की आज , मिला सुन्दर सौगातें।।
सुवासिता दे ध्यान, सोचती ज्यादा कमका ।
तारे चंदा देख , अकेला चंदा चमका ।।
कुण्डलिया -( *80*)
विषय - *गीता*
गीता लेकर हाथ में, करो प्रतिज्ञा आज।
सत्य वचन बोलो सदा, रहे सत्य आवाज।।
रहे सत्य आवाज, झूठ हम फिर क्यों बोले।
नरक यही वो स्वर्ग, कर्म काँटे से तोले।।
सुवासिता ये देख, झूठ में क्यों मानव जीता।
मिले कर्म फल ज्ञान, यही कहती है गीता।।
🙏🙏🙏
✍चमेली कुर्रे 'सुवासिता'
जगदलपुर (छत्तीसगढ़)
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