[01/02 6:00 PM] बाबूलाल शर्मा बौहरा: °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
•••••••••••••••••••••••••••••बाबूलालशर्मा
. *कलम की सुगंध छंदशाला*
. कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
. दिनांक - ०१.०२.२०२०
कुण्डलियाँ (1)
विषय- *मीठी*
मीठी बोली बोलिये, कोयल जैसे मित्र।
सत्य मान अपनत्व से, उत्तम बना चरित्र।
उत्तम बना चरित्र, भाव उपकारी मानव।
कर्कश बोले काग, कर्म भाषा ज्यों दानव।
शर्मा बाबू लाल, प्रेम रस पिस कर पीठी।
बने दाल पकवान, जिंदगी मानस मीठी।
•. ••••••••••
कुण्डलियाँ (2)
विषय- *बातें*
बातें कहती ज्ञान की, दादी नानी मात।
किस्से और कहानियाँ, अनुपम मन सौगात।
अनुपम मन सौगात, याद वे अब भी आती।
भूली बिसरी बात, सहज इतिहास बताती।
शर्मा बाबू लाल, कठिन कटती जब रातें।
करलें बचपन याद, पुरातन युग की बातें।
•. •••••••••
रचनाकार -✍©
बाबू लाल शर्मा,बौहरा
सिकंदरा,दौसा, राजस्थान
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[01/02 6:00 PM] अटल राम चतुर्वेदी, मथुरा: *01.02.2020 (शनिवार )*
77- मीठी
*********
मीठी बातों से नहीं, भरा किसी का पेट।
साफ कहें जो भी कहें, क्यों हो लाग-लपेट ?
क्यों हो लाग-लपेट, बुराई है कुछ पल की।
आगे सब कुछ ठीक, सोचिए जी सब कल की।
"अटल" रखो तुम पास, बात की गरम अँगीठी।
आग भले लग जाय, बात मत बोलो मीठी।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏
78- बातें
*********
बातें कम से कम करें, करें ठोस कुछ काम।
बातों से बोलो भला, क्या दिखते परिणाम ?
क्या दिखते परिणाम, निराशा बढ़ती जाए।
अच्छा होगा आप, करें कुछ बिना बताए।
"अटल" बाँट दें आप, सभी को शुभ सौगातें।
इतना रख लें ध्यान, रुलाती कोरी बातें।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏
[01/02 6:00 PM] संतोष कुमार प्रजापति: कलम की सुगंध छंदशाला
*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु*
दिनांक - 01/02/2020
कुण्डलिया (77)
विषय- मीठी
===========
मीठी बातें कर्णप्रिय, सुनना चाहें लोग l
मगर बोलने में करें, कञ्जूसी का योग ll
कञ्जूसी का योग, नहीं खर्चा कुछ होता l
दौलत के अनुरूप, कड़ा सम्भाषण खोता ll
कह 'माधव कविराय', शरद प्रिय लगे अंगीठी l
हर मौसम इंसान, सुहाए भाषा मीठी ll
कुण्डलिया (78)
विषय- बातें
===========
बातें लड़कों की सुनो, कीचड़ रहे उछाल I
लड़की को घर बाँधते, करते स्वयं बवाल ll
करते स्वयं बवाल, कहीं दिनभर ये घूमें l
धूम्रपान मद्यपान, गली चौराहे झूमें ll
'माधव जी' मत पूँछ, सखा घर कितनी रातें l
लड़की बाहर देख, करें मनमानी बातें ll
रचनाकार का नाम-
सन्तोष कुमार प्रजापति 'माधव'
महोबा (उ.प्र.)
[01/02 6:02 PM] बोधन राम विनायक: *कलम की सुंगध छंदशाला*
कुण्डलियाँ - शतकवीर सम्मान हेतु-
दिनाँक - 01.02.2020 (शनिवार )
(77)
विषय - मीठी
बोली अपनी तोल कर,हरदम मीठी बोल।
औरों को प्यारा लगे,सबसे हो अनमोल।।
सबसे हो अनमोल,यही जीवन की गाथा।
कटुक वचन मत बोल,धरोगे फिर तुम माथा।।
कहे विनायक राज,आज मिलके हमजोली।
मन शीतल हो जाय,बोलना मीठी बोली।।
(78)
विषय - बातें
बातें करते प्रेम के, मधुरस लगे मिठास।
बैठ समन्दर के निकट,इक दूजे के पास।।
इक दूजे के पास, प्यार की बातें करते।
जीने की ले चाह, साथ जीतें हैं मरते।।
कहे विनायक राज, बीत जाती हैं रातें।
मीठी सपने देख, सुहानी करते बातें।।
बोधन राम निषादराज"विनायक"
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)
[01/02 6:04 PM] सरला सिंह: *30/01/2020*
*दिन -वीरवार*
*विषय -मीठी ,बातें*
*विधा-कुंडलियां*
*77-मीठी*
बातें करता वह सखी, कितनी मीठी आज।
माता है पुलकित बड़ी, करती सुतपर नाज।
करती सुतपर नाज,लगे हर्षित बहु माता।
इतना सुन्दर पूत, मनुज किस्मत से पाता।
कहती सरला आज,लगे बातें सौगातें।
चलता डगमग पांव,करे तुतलाकर बातें।।
*78-बातें*
आती हैं मुझको बहुत , बातें उसकी याद।
चंचल चितवन खींचती,मन करता फरियाद।
मन करता फरियाद,करे बस पियकी बातें ।
खींचें अपनी ओर, नहीं देखती दिन रातें।
कहती सरला आज, दूर तक बातें जातीं।
जाती कुछ पल भूल, याद फिर फिर हैं आती।।
*डॉ सरला सिंह स्निग्धा*
*दिल्ली*
[01/02 6:09 PM] आशा शुक्ला: कलम की सुगंध छंदशाला
कुंडलियाँ शतकवीर हेतु
(77)
विषय-मीठी
बोली मृदु ऐसी लगे,ज्यों बरसे रसधार।
मीठी बोली के हुआ, वश में सब संसार।
वश में सब संसार, कठोर वचन जब सालें।
छलके बन उपचार, मधुर वचनों के प्याले।
करे बैर को दूर , मिले जो चंदन रोली ।
सबको करती एक, सुहानी मीठी बोली।
(78)
विषय-बातें
संप्रेषण का सेतु है, मानव मन की बात।
बातें ही तो बांटतीं, देशधर्म अरु जात ।
देश धर्म अरु जात, बीज विग्रह के बोतीं।
इन बातों के काज, बड़ी मुश्किल है होती।
पर फैले जब बात, कराती है अन्वेषण।
हर्षित होकर पूर्ण, करो सदैव संप्रेषण।
रचनाकार-आशा शुक्ला
शाहजहाँपुर, उत्तरप्रदेश
[01/02 6:12 PM] चमेली कुर्रे सुवासिता: कलम की सुगंध छंदशाला
*कुण्डलिया शतकवीर*
दिनांक- 01/02/2020
कुण्डलिया- ( *77*)
विषय - *मीठी*
मीठी मीठी सी लगे , तेरी पप्पी आज।
क्या खा कर तू आ गई , बता परी वो राज।।
बता परी वो राज , पिता गुड़िया से पूछे।
खाये क्या अंगूर , लिए थे कल दो गुच्छे।।
सुवासिता तुतलाय , कहे माँ ने मैं पीटी
लो लो कल वेहाल , लगू मैं तुमको मीठी।।
कुण्डलिया -( *78*)
विषय - *बातें*
बातें कर ले प्रीत की , मुख पर रख मुस्कान।
फूल संग काँटा मिले , सोच जरा इंसान।।
सोच जरा इंसान ,सभी रिश्ते को जाने।
कठपुतली के खेल , जगत को उपवन माने ।।
सुवासिता सुन बात , भूल मत ये सौगातें।
दिल से दिल के तार , जोड़ती मीठी बातें।।
🙏🙏🙏
✍चमेली कुर्रे 'सुवासिता'
जगदलपुर (छत्तीसगढ़)
[01/02 6:12 PM] धनेश्वरी देवाँगन 'धरा': कुँडलिया शतक वीर हेतु
73) खोना
खोना कैसा ,जानलो , उस माता की पीर ।
भेजा सीमा लाल को , कहलाये जो वीर ।।
कहलाये जो वीर , शत्रु की खाकर गोली ।
करती माता गर्व , नाज बेटे पर बोली ।।
सुनो "धरा" की बात ,दुखी मत माँ तुम होना ।
किया प्राण कुर्बान , नहीं कह इसको खोना ।।
74) पाना
पाना मुश्किल है कहाँ , करता चल संघर्ष ।
बाधा सारी तोड़ लो , मिले सदा उत्कर्ष ।।
मिले सदा उत्कर्ष , बने ये जीवन सोना ।
ढूँढ प्रगति का मार्ग , समय मत ये खोना ।।
सुनो "धरा" की बात , डगर मुश्किल है माना ।
रख मन में धीर ,सरल कब सब कुछ पाना ?।
*धनेश्वरी देवांगन "धरा"*
*रायगढ़, छत्तीसगढ़*
[01/02 6:13 PM] धनेश्वरी देवाँगन 'धरा': 75) यादें
यादें जीवन के सभी, होते सबसे खास।
खट्टी- मीठी चूर्ण सी , भरे चित्त उल्लास।।
भरे चित्त उल्लास , मधुर यादें बचपन की ।
चाहे करो प्रयास , मिटे कब यादें मन की ।।
कहे "धरा" कर जोड़ , सुनो मेरी फरियादें ।
रखना सदा सहेज , सुहानी मीठी यादें ।।
76 ) छोटी
छोटी चींटी देख लो , सीखाता नित पाठ ।
सतत अनवरत कर्म से, मिलती जग में ठाठ।।
मिलती जग में ठाठ , नित्य जो आगे बढ़ता ।
रखे प्रेम का भाव , उत्कर्ष पथ पर चढ़ता ।।
कहे "धरा' सच आज , नहीं ये बातें खोटी ।
सीख विजय का मंत्र , कहे ये चींटी छोटी ।।
*धनेश्वरी देवांगन धरा*
*रायगढ़,छत्तीसगढ़*
[01/02 6:19 PM] अनुराधा चौहाण मुम्बई: कलम की सुगंध
शतकवीर कुण्डलियाँ
दिनाँक--1/2/20
77
मीठी
मीठी वाणी से मिटे,मनके कड़वे भाव।
मीठी सी मुस्कान से,भरते मनके घाव।
भरते मनके घाव,हरे हर पीड़ा तन की।
सुंदर सरल स्वभाव,मिटे हर बाधा मन की।
कहती अनु सब बैठ,भाव की जला अँगीठी।
रिश्तों को दो आँच,भरो सुगंध मन मीठी।
78
बातें
बातों से बातें बने,बने बहाने चार।
बातों से होती सदा,आपस में तकरार।
आपस में तकरार,बिना सच्चाई जाने।
राई बनी पहाड़,कसे इस उस पे ताने।
कहती अनु कर बात,नहीं यह बीते रातें।
बातों से हल ढूँढ,तभी संभलती बातें।
अनुराधा चौहान
[01/02 6:20 PM] अभिलाषा चौहान: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलिया शतकवीर हेतु
कुण्डलिया(७७)
विषय-मीठी
मीठी-मीठी बोलते,लेते मन की थाह।
अपने बनते हैं सदा,मन में होती दाह।
मन में होती दाह, यही निंदक बन जाते।
मुँह से जपते राम,बगल में छुरी छुपाते।
कहती'अभि'निज बात,बात इनकी हो सीठी।
कहना कभी न भेद,भले बोली हो मीठी।
सीठी-सारहीन
कुण्डलिया(७८)
विषय-बातें
बातें जीवन में सदा,होती है अनमोल।
बिगडे़ इनसे काम भी,तोल मोल कर बोल।
तोल मोल कर बोल,असर इनका हो गहरा।
क्रोध हास परिहास,रखो इनपर तुम पहरा।
कहती अभि निज बात,चुभें तो कटे न रातें।
मीठी सुंदर शिष्ट,भली सदा लगती बातें।
रचनाकार-अभिलाषा चौहान
[01/02 6:27 PM] अनिता सुधीर: 01.02.2020 (शनिवार )*
शतकवीर हेतु
77
मीठी
खट्टी मीठी चटपटी,कड़वा तीखा स्वाद।
दही जलेबी पापड़ी, फीका रहा सलाद
फीका रहा सलाद,मिठाई सब पर भारी ।
खायें मीठा खूब ,करें पर कसरत सारी।
मीठे की थी रार , हुई थी मीठी कट्टी ।
सेहत पर अब मार,कि भाती चटनी खट्टी।
78
बातें
बातें प्यारी तोतली,पायल सी झंकार।
इत उत थी वो डोलती,बहती मुग्ध बयार।
बहती मुग्ध बयार,सुता का मुखड़ा चमके।
घर आँगन की शान,सदा वो ऐसे दमके।
सुन सुन उसकी बात,कटीं थी कितनी रातें।
सूना मन का द्वार ,करें अब किससे बातें ।
अनिता सुधीर
[01/02 6:30 PM] कुसुम कोठारी: कमल की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
१/२/२०२०
कुसुम कोठारी।
कुण्डलियाँ (७७)
विषय-मीठी
तेरी मोहक बाँसुरी , मीठी लगती श्याम,
छलिया ओ मनमोहना ,तुम् ही हो सुख धाम ।
तुम ही हो सुख धाम ,रात दिन रटती तुझको ।
और न है आराध्य , भरोसा तेरा मुझको।
कुसुम करे गुणगान , सदा सुध रखना मेरी ।
कभी करो तुम बात , बात हो मीठी तेरी ।।
कुण्डलियाँ (७८)
विषय-बातें
बातें हैं जादू भरी , मीश्री देती घोल ।
बाबा की तुम आस हो , मीठे तेरे बोल ।
मीठे तेरे बोल , अमृत कानों में घोले ।
बैठ पेड़ की शाख , बाग में कोयल बोले ।
कुसुम खिलों ज्यों फूल,उड़े सौरभ दिन रातें ।
बेटी चंपा डाल , नहीं कोरी ये बातें ।।
कुसुम कोठारी।
[01/02 6:31 PM] धनेश्वरी सोनी: शतकवीर सम्मान
कलम की सुगंध
शनिवार, 1/1/2020
कुण्डलिनी याँ
बाते
बातें मीठी सब करें, मीठा मीठा एहसास
सपने बुन ने सब लगे, लगती मंजिल पास
लगती मंजिल पास ,करे सभी है अभ्यास
कड़वी बातें छोड़, रहते सदा सब पास
सच्ची-सच्ची बोल, सभी खुश होते जाते
कहती गुल यह बात, करो सभी अच्छी बातें
मीठी
मीठी मीठी मधुरता ,मीठा मीठा स्वाद
सर्दी जुखाम की दवा ,करे शहद आबाद
करें शहद आबाद, रोग सब भगती जाती
मीठी चटनी सास, सदा से सबको भाती
दाल रोटी अरु भात ,और जो खाते मुलेठी
हँसते रहना साथ ,बोल बोली मीठी
छोटी
छोटी सी है यह परी,है जो नन्ही जान ।
सबेरे सड़कों पर दिखे ,करे नाच वह गान
करें नाच वह गान, सज्जन देखते जाते
दाना पानी खोज,डोल पर जाते गाते
करती करतब हैरान, परी है दिखती नाटी
रस्सी पकड़े बाँस, दिखें आतुर छोटी
यादें
यादें यादें मीठी तुम रखो, कड़वा देना फेक।
गुजरे सालों से मिलो, दुःख लेकर निरंक
दुख लेकर निरंक ,दुनिया खुशियां समेटे
जीवन जीओ खास,सुख दुःख को लपेटे
युगों युगों से जीत , वही है जो करते वादे
धर्म युद्ध की बात, राह पथ रहते यादें
धनेश्वरी सोनी गुल बिलासपुर✒
[01/02 6:35 PM] इंद्राणी साहू साँची: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
दिनाँक - 01/02/2020
दिन - शनिवार
77 - कुण्डलिया (1)
विषय - मीठी
**************
वाणी मीठी बोलिए , झंकृत हो मन तार ।
भरे हृदय के घाव सब , उत्तम कर उपचार ।
उत्तम कर उपचार , वचन कडुवा मत बोलो ।
जीवन सुधा समान , गरल मत इसमें घोलो ।
दे दो मधुरिम बोल , कृपा कर वीणापाणी ।
हर्षित हों सब जीव , शहद सम हो मधु वाणी ।।
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
78 - कुण्डलिया (2)
विषय - बातें
****************
बातें करते लोग सब , सबके भिन्न विचार ।
जैसी जिसकी भावना , वैसा ही व्यवहार ।
वैसा ही व्यवहार , नहीं इनसे तुम डरना ।
द्वेष भाव को त्याग , कर्म उत्तम ही करना ।
बतलाते गुण दोष ,समीक्षक वही कहाते ।
ऐसे भी हैं लोग , व्यर्थ करते जो बातें ।।
*********************************
✍️इन्द्राणी साहू "साँची"✍️
भाटापारा (छत्तीसगढ़)
★★★★★★★★★★★★★★★★
[01/02 6:37 PM] प्रतिभा प्रसाद: *कुंडलियाँ*
विषय ---- *मीठी, बातें*
दिनांक --- 1.2.2020....
(77) *मीठी*
मीठी वाणी बोलना , करना सब से प्यार ।
बालक बूढ़े हों सभी , हो सुंदर व्यवहार ।
हो सुंदर व्यवहार , प्रीत बसंत है लाया ।
पावन पुण्य प्रसून , खिले बागों में पाया ।
देना है उपहार , कसम खाना मत झूठी ।
ले लेना तुम प्यार , बोल नित वाणी मीठी ।।
(78) *बातें*
बातें होती हैं सदा , खट्टी मीठी ज्ञान ।
आँचल में बाँधी सदा , करती कभी न आन ।
करती कभी न आन , सुनेंगे बातें माँ की ।
स्नेह सुधा है दान, बात निज गुरुवर जाँ की ।
कह कुमकुम करजोरि , बचें दुनिया की घातें ।
पा जायेंगे ज्ञान , सुनेंगे माँ की बातें ।।
🌹 *प्रतिभा प्रसाद कुमकुम*
दिनांक 1.2.2020.......
___________________________________
[01/02 6:41 PM] वंदना सोलंकी: *कलम की सुगंध छंदशाला*√
*कुंडलियाँ शतकवीर हेतु*
सोमवार-27.01.2020
*69)साजन*
साजन को पुकार रही,नई नवेली नार।
हृदय बड़ा व्याकुल हुआ,सजन बसे उस पार।
सजन बसे उस पार,मिलन जाने कब होगा।
दिल मे उठती हूक,कष्ट कितना है भोगा।
आ भी आओ आज,पड़े हैं दिल मे छाजन।
रहा न जाए दूर,सत्य कहती हूँ साजन।।
*70)सजना*
रहना है साजन मुझे,तेरे दिल के पास।
सजना है तेरे लिए,साज करूँगी खास।
साज करूँगी खास,तुझी से लगन लगाई।
राह निहारें नैन,नींद भी दूर भगाई।
कह हो दिल की बात,कहो जो तुमको कहना।
ताने चाहे मार,संग में प्रिय तुम रहना।।
**
मंगलवार-28-01-2020
*71)डोरी*
डोरी ऐसी प्रीत की,बंधी पिय के साथ।
प्रिय बिन कैसे मैं रहूँ,सजन थाम लो हाथ।
सजन थाम लो हाथ,विरहा में मर न जाऊँ।
जागूँ मैं दिन रैन,नींद में तुझे बुलाऊँ।
मन में उठे हिलोर,नदी तट बैठी गोरी।
पथराए हैं नैन,नहीं टूटे ये डोरी।।
*72)बोली*
कागा कोकिल एक से,रंग रूप में जान।
बोली से अंतर दिखे,हो जाती पहचान।
हो जाती पहचान,कोकिला सबको भाए।
कर्कश बोले काग,सभी उससे कतराए ।
सुन वन्दू निज भाव,प्रेम का जोड़ो धागा।
बोलो मीठे बोल,नहीं बनना तुम कागा।।
*रचनाकार-वंदना सोलंकी*
*नई दिल्ली*
[01/02 6:41 PM] रजनी रामदेव: शतकवीर प्रतियोगिता हेतु
1/01/2020::शनिवार
मीठी
चंदन का पलना बना, झूल रहे गोपाल।
देकर मीठी लोरियाँ, सुला रही है लाल।।
सुला रही है लाल, मात है उसे झुलावे।
मुखड़ा रहीं निहार, यशोदा बलि- बलि जावे।।
सोवत हैं आराम, पालने पे नँद नन्दन।
रेशम की है डोर, बना है पलना चंदन।।
बातें
बातें करतीं औरतें, चुगली कहते लोग।
फुर्सत कब मिलती इन्हें, होता बस संजोग।।
होता बस संजोग, बैठतीं मिल जब सारी।
कभी बने सरकार, कभी भाजी तरकारी।।
हों गपशप के बीच,खुशी की भी सौगातें।
बैठें मिल जब चार, औरतें करतीं बातें।।
रजनी रामदेव
न्यू दिल्ली
[01/02 6:56 PM] डॉ मीता अग्रवाल: [01/02, 17:05] Dr.Meeta Agrawal: कलम की सुगंध छंद शाला*
कुंड़लिया छंद शतकवीर हेतु
*(73)पाना*
पाना हमको है अभी,बहु तकनीकी ज्ञान।
विजय प्राप्त कर ले सभी,हो भारत सम्मान।
हो भारत सम्मान, देश का नाम बढ़ाए।
मैत्री का आधार,विश्व परचम फहराए।
वसुधा कुटुंब एक,मूलमंत्र सदा माना।
विकसित शिक्षा ज्ञान, सार समृद्धि है पाना ।
*(74)खोना*
खोना है सो खो दिया,कारज नाही हाथ।
पाने की बस लालसा, मन मे है रघुनाथ ।
मन मे है रघुनाथ,कृपा तुम इतनी करना।
रहूँ भक्ति मे लीन,अर्ज सुन झोली भरना।
ध्येय जगत मे जीव,जागना खाना सोना।
मनुज जनम अनमोल,नेक कारज में खोना।
*(75)यादें*
यादें रहती साथ है, सुख दुख बारम्बार ।
यादों का है कुम्भ सदा,भरा रहे अनिवार।
भरा रहे अनिवार, देख मौका जब जागे।
अबोध शिशु सम बोल,तोतली वाणी लागे।
कहे मधुर ये सोच, किया मन से जो वादे।
सुखदुख जीवनआस,खजाना मन मे यादें ।
(76)छोटी
छोटी छोटी बात से,बनती बिगड़ी बात।
कोमल है संवेदना, प्रसून सम सौगात।
प्रसून सम सौगात, विचारों की है वाणी ।
कुशल शिल्प आकार,कला गढता है ज्ञानी।
कहती मधुर विचार, बात करना क्यों खोटी।
मेल जोल का भाव,बढ़े बातें हो छोटी।
*मीता अग्रवाल मधुर रायपुर छत्तीसगढ़*
[01/02, 17:07] Dr.Meeta Agrawal: कलम की सुगंध छंद शाला
कुंड़लिया छंद हेतु सादर
*(77)मीठी*
मीठी वाणी बोलिए लेती मन को जीत।
कौड़ी नाही दाम है,बाँट जगत को प्रीत।
बाँट जगत को प्रीत,मधुर रस ही बरसाती।
ऊँचा कर दे मान,हिया को है हरसाती।
कहती मधुर विचार,लवण बिन व्यंजन सीठी।
ऐसे बानी बोल,लगे शक्कर सी मीठी ।
*(78)बातें*
बाते बतरस लाल की,लाग लपेटे बोल।
इधर उधर की जो सुने, मन जाता है डोल।
मन जाता है डोल, खोट मन मे उपजाए ।
भेद भावना घात,बुराई घर कर जाए।
सोच समझ व्यवहार,करें खुशियाँ ही पाते।
बाते हो जब चार,मधुर यादें हो बातें।
*डाॅ मीता अग्रवाल मधुर रायपुर छत्तीसगढ़*
[01/02 7:11 PM] डा कमल वर्मा: कलम की सुगंध छंद शाला,
प्रणाम🙏🏻
डॉ श्रीमती कमल वर्मा
कुंडलियाँ शतक वीर के लिए रचना🙏🏻
कुंडलियाँ क्रमांक 83
विषय__मीठी
मीठी सी तेरी हंँसी,आये तुझ पर प्यार।
सुनके बोली तोतली, झूमें सब संसार।।
झूमें सब संसार, मुझे तूने बदला है,
गजल जिंदगी नाम,ग़ज़ल का तू मतला है।।
कमल कहे संसार,रहे सब बातें झूठी।
मांँ बच्चों का प्यार, बाल मुस्कानें मीठी।
कुंडलियाँ क्रमांक 84
विषय _बातें
बातें नानी मांँ कहें, होते पारस बोल।
जीवन का वह सार है, गांँठें रख दें खोल।
गाँठें रखदें खोल,सदा खुद को समझाना।
अनुभव है अनमोल,कहीं तू चूक न जाना।
कहे कमल रख याद, यही जीवन सौगातें।
जीवन आते काम, मात नानी की बातें।
कृपया समीक्षा करें । 🙏🏻
[01/02 7:23 PM] कन्हैया लाल श्रीवास: कलम की सुगंध छंद शाला.....कलम शतकवीर
हेतु
★★★★★★★★★★★☆★★★★★
*विषय.........यादें*
विधा......... कुण्डलियाँ
★★★★★★★★★★★★★★★★★
यादें है इतिहास की , चले सत्य की रीति।
लोक शील को गांठ लो,करो सभी से प्रीति।।
करो सभी से प्रीति, बनो सबके हितकारी।
रखो न मन में द्वेश, रहो जग मंगल कारी।।
कहता कवि श्रीवास,नेक रख अपने इरादें।
करो नेक सब काज,लोक में होंगी यादें।।
★★★★★★★★★★★★★★★★★
विषय.........छोटी*
विधा......... कुण्डलियाँ ★★★★★★★★★★★★★★★★★
छोड़ो छोटी बात को ,करो नहीं मत भेद।
आपस में घुलमिल रहो, रखो नहीं मनभेद।।
रखो नहीं मनभेद ,सदा कर कारज पावन।
मिलता जग सम्मान,बनो सबके मन भावन।।
कहता कवि श्रीवास,कलुष मन नाता तोड़ो।
चलो सदा सद राह ,झूठ कहना अब छोड़ो।।
★★★★★★★★★★★★★★★★★
*विषय.........मीठी*
विधा......... कुण्डलियाँ
★★★★★★★★★★★★★★★★★
बातें मीठी सब करें,भाता जग अनमोल।
वाणी है मनमोहना,प्रेम मधुर रस घोल।।
प्रेम मधुर रस घोल,सभी का मन हरषाता।
संत समागम राह,भजन प्रभु का बरसाता।।
कहता कवि श्रीवास, बीत जायेगी रातें।
सदियों तक हो नाम, करो सब प्यारी बातें।।
★★★★★★★★★★★★★★★★★
*विषय.........बातें*
विधा......... कुण्डलियाँ
★★★★★★★★★★★★★★★★★
बातें हो शालीनता , करता जग को मोह।
सादर आदर आपका,लो न किसी का टोह।।
लो न किसी का टोह ,करें सतसंगति अच्छी।
देवे जग को ज्ञान,सदा यश मिलता सच्ची।।
कहता कवि श्रीवास,लोक सद मानव भाते।
बोलो निश दिन राम, करें सब सुशील बातें।।
★★★★★★★★★★★★★★★★★
स्वलिखित
कन्हैया लाल श्रीवास
भाटापारा छ.ग.
जि.बलौदाबाजार भाटापारा
[01/02 7:25 PM] प्रमिला पाण्डेय: कलम की सुगंध शतकवीर कुंडलियां
(1)यादें
यादें मन में कौंधती , जिया हुआ बैचेन।
स्मृतियां हुई दामिनी, खुले रहें नित नैन।
खुले रहें नित नैन, आस चातक सी राखे।
प्रीतम छवी निहार, बूंद स्वांती सी चाखे।
कह प्रमिला कविराय, करूं नित - नित फरियादें।
कब आओगें पिया,सताती तेरी यादें।।
(2) छोटी
छोटी छोटी बात पर ,मत होना वेचैन।
सोच समझकर बोलना, चुभे तीर सम बैन।
चुभे तीर सम बैन, बात लगती जब तीखी।
बोलो मीठे बोल, न बोलो बोली चीखी।
कह प्रमिला कविराय, खुले जब सिर की चोटी।
चूनर सर के माथ, बात होती ना छोटी।।
प्रमिला पान्डेय
[01/02 7:28 PM] सरोज दुबे: कलम की सुगंध शतकवीर हेतु
कुंडलियाँ -77
दिनांक -1-2-20
विषय -मीठी
बोली मीठी बोलिये, मन को मिलता चैन l
कड़वी बोली से गिरे, झर झर अँसुवन नैन l
झर झर अँसुवन नैन, प्रेम की बोली भाती l
जागे दिल में आस,सदा सुंदरता लाती l
कहती सुनो सरोज, मैल दिल के धुल जाते l
दूरी करती दूर,कहो तुम मीठी बोली l
कुंडलियाँ -78
दिनांक -1-2-20
विषय -बातें
बातें हरदम कीजिये, समझ बूझ के जानl
बातों से ही दिल जुड़े, मिले कभी अपमान l
मिले कभी अपमान, ज्ञात सबको हो जाता l
कैसा है इंसान,भाव खुद ही बत लाता l
कहती सुनो सरोज, बोल अच्छे हैं भातें l
सबको लेते जोड़, सोच के करना बातें l
सरोज दुबे
रायपुर छत्तीसगढ़
🙏🙏🙏🙏
[01/02 7:29 PM] सुकमोती चौहान रुचि: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतक वीर हेतु
दिनाँक 29.01.2020
73 *पाना*
पाना तेरे प्यार को,न कभी था आसान।
पूछ न क्या क्या है किया,मीरा ने कुर्बान।
मीरा ने कुर्बान,लाज अपनी वह खोई।
राम रत्न धन हेतु,प्रेम की बेली बोई।
कहती रुचि करजोड़,बावरी जग ने जाना।
रंगी गिरधर रंग,कृष्ण को चाहे पाना।
74 *खोना*
अवसर को खोना नहीं,सुनिए मेरी बात।
जिसने मौका खो दिया,मिले न उसे प्रभात।
मिले न उसे प्रभात,करोगे फिर पछतावा।
चूक पड़ेगी भार,खौलता बनकर लावा।
कहती रुचि करजोड़, समय समझाता सत्वर।
चलना मेरे संग,दुबारा मिले न अवसर।
दिनाँक - 30/01/2020
75 *यादें*
बचपन की यादें अमिट,कोई सके न भूल।
निश्छल पाक स्वभाव वह,जाए आँखें झूल।
जाए आँखें झूल,खेलते थे मस्ताने।
हर चिंता से दूर,भेद छल से अनजाने।
कहती रुचि करजोड़,सुरक्षित पेटी अचकन।
जब खोलूँ संदूक,याद आता है बचपन।
76 *छोटी*
छोटी छोटी ये खुशी,जीवन देती रंग।
रखना सहेज कर इसे,निज जीवन पर्यंत।
निज जीवन पर्यंत,तुच्छ मत समझो इनको।
देती जीवन शक्ति,और दे खुशियाँ सबको।
कहती रुचि करजोड़,करें जब काज न खोटी।
ले लो खुशी समेट,मिले जो छोटी छोटी।
✍ सुकमोती चौहान रुचि
बिछिया,महासमुन्द,छ.ग.
[01/02 7:36 PM] गीता द्विवेदी: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलिया शतकवीर प्रतियोगिता हेतु
दिनांक-01-02-020
77
विषय-मीठी
नाता अनुपम नेह का, मीठी बोली सींच।
रूखी हो जब भावना, तब तू डोरी खींच।
तब तू डोरी खींच, बसे घर में सुख चंदन।
आदर अरु सम्मान, सदा देवों का वंदन।।
सम्बंध भी बने मधुर, तभी तो जीवन भाता।
बन जाए घर स्वर्ग, निभाओ मन से नाता।।
78
विषय-बातें
बातें मीठी ओढ़कर, झूठा आया द्वार।
तत्क्षण दूर भगाइए, करता सुख पर वार।।
करता सुख पर वार, कलह का कारण बनता।
आती तनिक न लाज, गलत होकर भी तनता।।
करता फिर वो स्वाँग, बिताता दिन अरु रातें।
खुल जाती जब पोल, रचे फिर झूठी बातें।।
सादर प्रस्तुत🙏🙏
गीता द्विवेदी
[01/02 7:40 PM] +91 99810 21076: कुण्डलिया शतक वीर हेतु
दिनांक-01/02/2020
मीठी
करते मीठी बात जो,पाते रहते मान।
भरे जहर जो बोल में,कहते हैं शैतान।।
कहते हैं शैतान,वचन से नफरत घोले।
भाईचारा खत्म,बिना सोचे जो बोले।।
वाणी मधुरस घोल,दर्द मानव का हरते।
भाषण देते नेक,समझ को पैदा करते।।
यादें
रखना यादें यार की,मस्ती की बात।
मिलकर रहना दोस्त से,मत करना घात।।
मत करना तुम घात,रहे बढ़िया ही यारी।
जाने कल को कौन,चार दिन की पारी।।
जीवन हो आनंद,स्वाद लेकर के चखना।
साथी आते काम,दोस्ती उनसे रखना।।
राजकिशोर धिरही
[01/02 7:51 PM] कमल किशोर कमल: नमन मंच
कुंडलियाँ शतकवीर हेतु।
01.02.2020
77-मीठा-
मीठा खाकर चल दिए,रोजगार के हेतु।
शहर-नहर गाँवन- गली,पार किया नद सेतु।
पार किया नद सेतु,परीक्षा देखो जारी।
पास -फेल का दौर,कर रहा मन को भारी।
कहे कमल कविराज,खुशी होगी बन चाकर।
एक आश -विश्वास,नौकरी मीठा खाकर।
78-बातें-
बातें रस से डूबकर,देती अजब मिठास।
अपनापन का भाव ले,रखती दूर खटास।
रखती दूर खटास,नेह का सागर बहता।
द्वेष भाव से दूर,अमन का सावन रहता।
कहे कमल कविराज,उजाले वाली रातें।
खुशियाँ हो हर ओर,करो मनुहारी बातें।
कलम से-
कमल किशोर "कमल"
हमीरपुर बुन्देलखण्ड।
👏🌹🌹🌹🌹👏
[01/02 8:02 PM] रामलखन शर्मा अंकित: जय माँ शारदे
कुंडलियाँ
79. मीठी
वाणी मीठी का नहीं, होता कोई मोल।
बोलो कुछ उससे प्रथम, लो शब्दों को तोल।।
लो शब्दों को तोल, तभी मुँह अपना खोलो।
करें किसी के घाव, शब्द वे कभी न बोलो।।
कह अंकित कविराय, बनें मानव कल्याणी।
मानव का हित सोच, बोलिये मीठी वाणी।
80. बातें
बातें मत करिए अधिक, करिए अपना काम।
बातों से ऊँचा नहीं, होता जग में नाम।।
होता जग में नाम, काम की अपनी गरिमा।
गाता सकल समाज, काम की केवल महिमा।।
कह अंकित कविराय, नहीं चाहो यदि लातें।
तो करना मत आप, किसी से उल्टी बातें।
----- राम लखन शर्मा ग्वालियर
[01/02 8:11 PM] राधा तिवारी खटीमा: कलम की सुगंध
शतकवीर हेतु कुंडलियां
विषय मीठी ,बातें
01/02/ 2020
मीठी(77)
मीठी बातें बोल के, मन को लेना जीत।
कड़वी बातों से सदा, बुरा मानते मीत।
बुरा मानते मीत, अरे तुम जब भी बोलो।
मन में करो विचार, तभी तुम मुँह को खोलो।
कह राधेगोपाल, करो मत बातें झूठी
मन को लेना जीत बोल कर बातें मीठी
बातें(78)
बातें करना प्रेम की, दिलबर से दिन रात।
लेकिन अपनी बात से, मत देना आघात।
मत देना आघात, गलत मत मुँह से बोलो।
बोलो जब भी बात, सदा मिश्री ही घोलो।
कह राधे गोपाल,सुहानी होगी रातें।
दिलबर से दिन-रात, करो जब भी तुम बातें।
राधा तिवारी"राधेगोपाल"
खटीमा
उधम सिंह नगर
उत्तराखंड
[01/02 8:12 PM] रामलखन शर्मा अंकित: जय माँ शारदे
कुंडलियाँ
79. मीठी
वाणी मीठी का नहीं, होता कोई मोल।
बोलो कुछ उससे प्रथम, लो शब्दों को तोल।।
लो शब्दों को तोल, तभी मुँह अपना खोलो।
करें किसी के घाव, शब्द वे कभी न बोलो।।
कह अंकित कविराय, बनें मानव कल्याणी।
मानव का हित सोच, बोलिये मीठी वाणी।
80. बातें
बातें मत करिए अधिक, करिए अपना काम।
बातों से ऊँचा नहीं, होता जग में नाम।।
होता जग में नाम, काम की अपनी गरिमा।
गाता सकल समाज, काम की केवल महिमा।।
कह अंकित कविराय, नहीं चाहो यदि लातें।
तो करना मत आप, किसी से उल्टी बातें।
----- राम लखन शर्मा ग्वालियर
[01/02 8:22 PM] शिवकुमारी शिवहरे: Title: पाना
Date: 01 Feb 2020
Note:
पाना
जीवन मै पाना मुझे, सदा पिया का प्यार।
सात फेरों मे बँधा, वो जीवन आधार।
वो जीवन आधार,बैठकर आई डोली।
सदा रहे ये प्रेम, मै बन गई हमजोली
प्यार मिले भरपूर, जैसे आ गया सावन।
सदा रहूँ मै संग, रहूँ मै सारा जीवन।
शिवकुमारी शिवहरे
Title: यादें
Date: 01 Feb 2020
Note:
यादें
यादें आती रहे, निशदिन आठो याम।
बिसरी वे यादें सदा,मन लेती है थाम।
मन लेती है थाम, सदा यादें हैं आती।
मन होता बैचैन,किसी से कह न पाती।
भूल रहे है लोग, जो सदा करते है वादे।
निशदिन आठों याम, रात को आती यादें।
शिवकुमारी शिवहरे
Title: छोटी
Date: 01 Feb 2020
Note:
छोटी
छोटी छोटी बात मे , टूटे है परिवार।
बातें जब खोटी लगे ,पड़ती सदा दरार।
पड़ती सदा दरार,छोटी बातों को लेकर।
बढ़ जाती तकरार,सदा ये ताने देकर।
कितना था वो प्यार, साथ मे खाते रोटी।
आज हुये है दूर,बात कितनी थी छोटी।
शिवकुमारी शिवहरे
Title: खिलना
Date: 01 Feb 2020
Note:
खिलना
खिलना सीखो फूल से,सदा शूल के साथ।
खुशबू रंगों से भरा, महका देता हाथ
महका देता हाथ, सदा खुशबू से महका।
रहे शूल के साथ ,हमेशा रहता चहका।
जीवन है कम आयु ,सदा कम होता मिलना।
रहे साथ मे शूल,हमें फूलों सा खिलना।
शिवकुमारी शिवहरे
[01/02 8:28 PM] अनुपमा अग्रवाल: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
दिनांक - 31.01.2020
कुण्डलियाँ (73)
विषय-पाना
पाना सबकी चाह है,खोना चाहे कौन?
कर लो प्रभु की चाहना,मुखरित होगा मौन।
मुखरित होगा मौन,कृपा हरि की मिल जाये।
दुर्गम प्रभु की राह,कौन उन तक पहुँचाये?
कहना अनु का मान,भक्ति में तुम रम जाना।
होगा बेड़ा पार,ध्येय हो हरि को पाना।।
कुण्डलियाँ (74)
विषय-खोना
खोना मत सम्मान को,रखना तुम संभाल।
रूखी भी खानी पड़े,चाहे जो हो हाल।
चाहे जो हो हाल,नहीं तुम हिम्मत हारो।
झुकने मत दो शीश,स्व को मत तुम मारो।
कहती अनु मत झुको,करो मत रोना- धोना।
साथी हो सम्मान,नहीं तुमको है खोना।।
रचनाकार का नाम-
अनुपमा अग्रवाल
[01/02 8:31 PM] विद्या भूषण मिश्र 'भूषण': *कलम की सुगंध। कुंडलिया शतकवीर आयोजन। दिन -- शनिवार, ०१/०२/२०२०.*
~~~~~~~~~~~~~~~
*७९-मीठी*
~~~~~~~~~~
बोले तो ऐसा लगे, ज्यों बंशी की तान।
अधरों पर खेले सदा, *मीठी* सी मुस्कान।
मीठी सी मुस्कान, सभी के मन को भाये।
देख मनोहर रूप, उर्वशी भी शरमाये।
सब से मिले सप्रेम , हृदय की गाँठें खोले।
झर- झर झरते फूल, रूपसी जब भी बोले।।
~~~~~~~~~~~~
*-80--बातें*
~~~~~~~
*बातें* करते तौल कर, जो हैं चतुर सुजान।
मन को ठेस नहीं लगे, रखें सर्वदा ध्यान।
रखें सर्वदा ध्यान, सभी को सुख पहुँचाते।
सन्तों की पहचान, सुभाषित वचन सुनाते।
बोलें मीठे बोल, प्रेम से मन हैं हरते।
व्यर्थ न करें प्रलाप, काम की बातें करते।।
~~~~~~~~~~
*-विद्या भूषण मिश्र "भूषण"--*
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[01/02 8:53 PM] कृष्ण मोहन निगम: दिनाँक ..०1/02/2020
*कुंडलियाँ शतकवीर हेतु*
विषय.... *मीठी*
मीठी गरम जलेबियाँ, या हों मीठे बोल ।
अंतर्मन मोहित करें, तू भी मीठा बोल ।।
तू भी मीठा बोल , न इसमें व्यय कुछ करना।
सम्मोहन का मंत्र, हृदय जन-जन का हरना।।
"निगम" न कोई मूल्य, वस्तु जो होती सीठी।
कर मन वाणी मृदुल, बोल बस बोली मीठी ।।
विषय ... *बातें*
बातें सुन उद्विग्न हो , मन, मुख मंडल म्लान।
उन बातों के मूल का, करिए अनुसंधान ।।
करिए अनुसंधान , सुजन मन शांत सुनिश्चय।
कारण का अनुमान, मिले, हल करिए निर्भय।।
"निगम" न पीड़ा पाल, व्यर्थ मत सह आघातें।
करती सदा विदीर्ण, हृदय को तीखी बातें।।
कलम से
कृष्ण मोहन निगम
सीतापुर,सरगुजा
[01/02 9:03 PM] सुशीला जोशी मुज़्ज़फर नगर: *कलम की सुगंध कुंडलियाँ प्रतियोगिता 2019-2020*
*01-02-2020 शनिवार*
*मीठी*
मीठी वाणी बोल कर , करो सरल व्यवहार
बदले में मिल जायेंगे ,मन चाहे उपहार
मन चाहे उपहार , हृदय को खुश कर देते
दूर कुटिलता भाग , जगत में प्रिय कर लेते
मीठे मीठे बोल , सदा होते कल्याणी
रखते सरल सुभाव , बोल कर मीठी वाणी ।
78-- *बातें*
बातें करके ही बने ,कोई बिगड़ी बात
बातें करके ही कटे , लम्बी पूरी रात
लम्बी पूरी रात , मने जंगल में मंगल
बिन शब्दों के बात , कहे कुछ अपनी कंगन
बात सहारे बैठ, भयावह समय बिताते
बनती बिगड़ी बात , सदा करके ही बातें ।
सुशीला जोशी
मुजफ्फरनगर
[01/02 9:08 PM] अर्चना पाठक निरंतर: कलम की सुगंध
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कुंडलियां शतकवीर हेतु
दिनांक 12 /01/2020
कुण्डिलयाँ
विषय -मीठी
मीठी लगती है मुझे, प्यार भरी मुस्कान ।
स्नेह भरे दो नैन हैं, मुखड़े की हैं शान।।
मुखड़े की हैं शान, लगे बोली गुड़ भेली ।
आओ कर लो बात ,बहुत तकलीफें झेली।।
बैठ निरंतर पास ,कहूँ क्या अब हूँ सीठी।
तुतलाते हैं बोल, बहुत लगती है मीठी।।
बातें
-----
बातें करे लुभावनी, मन में बजती ताल ।
चपल लगे हैं चंचला ,रखना ऊँचा भाल।।
रखना ऊँचा भाल, कभी भी सिर न झुकाये।
कर लो ऐसा काम, शर्म से मुँह न छुपाये।।
कहे निरंतर बात, बचे तब सारे नाते।
मीठी वाणी बोल, शहद घोले जो बातें।।
अर्चना पाठक 'निरंतर'
[01/02 9:10 PM] पाखी जैन: कलम की सुगंध -छंदशाला
*शतकवीर हेतु कुण्डलियाँ*
30/01/2020
*यादें*
मुझको निशदिन बाँधती,यादें हैं कटुपाश।
करती आलिंगन मुझे,तोड़ नेह के पाश।
तोड़ नेह के पाश,लाँघ उत्ताल भित्तियाँ।
भाव कलश हैं रिक्त,बहीं सब शब्द शक्तियाँ ।
किया प्रेम से मुक्त ,करते पुरस्कृत तुझको।
तेरा मन दुष्यंत,किया शकुन्तला मुझको।
पाखी
*छोटी*
छूकर कंचन देह को ,कर दी छोटी रेख ।
संवेदनायें कटु थी,मन की धारा देख।
मन की धारा देख,दिव अभिसार हैं करते।
रोम सुमन संतृप्त,प्रकाश प्रेम का भरते ।
करके अंगीकार,प्रणय हुआ कैसे मुखर।
किया देह को मुक्त,मारण तंत्र से छूकर।
पाखी
1/02/2020
*मीठी*
एक एक कर खोलती,मीठी सब की बात ।
मदमाती मुस्कान है,नवकिसलय से पात।
नवकिसलय से पात,पोटली में अभिलाषा।
निर्झर मीठा स्रोत,प्रेममय थी वह भाषा ।
गीतों की वह तान,लगे हृदय को नेक।
नेसा -नेसा बींध,करे तरू कानन एक।
*बातें*
कानन में होती सदा,बातें वो ही खास ।
होती घरपरिवार से ,नहीं पूरी वह आस।
नहीं पूरी वह आस,मन है क्यों यूँ उचाटी?
देख रहीं है बाट,धडकती साँसें छाती।
पाखी मन का दर्द,आज दिखता है आनन।
करती है महसूस,पिया को हर पल कानन।
मनोरमा जैन पाखी
1/02/2020
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