Thursday, 24 June 2021

माहिया छंद - डॉ विजेंद्र पाल शर्मा


 वरिष्ठ कविवर  डॉ. विजेंद्र पाल शर्मा सहारनपुर की सशक्त लेखनी काव्य रस की अनेक विधाओं में पूर्णाधिकार से जम के चलती है इन्हें पढ़ने का और लाइव सुनने का जब-जब सौभाग्य प्राप्त हुआ तब-तब इनके शब्द शिल्प और भावों ने कुछ हटकर आकर्षण की छाप छोड़ी है ऐसे में प्रस्तुत हैं इनकी शशक्त लेखनी से अंकुरित माहिया छंद -- संजय कौशिक 'विज्ञात'

पढ़िए और आप भी आनंद लीजिये ...




क्या उससा कोई है
 फूलों में खुशबू
 क्या खूब पिरोई है

 तितली को रंग दिए
 ऊपर वाले ने
 सब माहिर दंग किए 

मत जी लाचारी में
 श्रम के गहने रख
 तन की अलमारी में

 घूंघट खोलो राधे
 कृष्ण खड़े दर पर
कर नयनों के बांधे

 जो प्रेम पुजारी हैं
 वे ही जीने के
 सच्चे अधिकारी हैं

 हम प्रेम पुजारी हैं
 कंस सामने हो
 तो कृष्ण मुरारी हैं

 चल सूरज बन जाएँ
 खु़द जलकर जग का
 अंधियारा पी जाए्ँ

 दिल भर - भर कर आया
 वह था संग सदा
 मैं देख नहीं पाया

 सुख चाहो जीवन में
 काँटे मत बोना
 औरों के आँगन में

 हम जितना रूठेंगे
 उतने मीठे पल 
हाथों से छूटेंगे 

घूँघट खोलो राधे
कृष्ण खड़े कब से
अपनी साँसें साधे

डॉ विजेंद्र पाल शर्मा 
5 / 3151 न्यू गोपाल नगर 
नुमाइश कैंप
 सहारनपुर 247001
 मोबाइल 941243 5728


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4 comments:

  1. निःसन्देह वरिष्ठ कविवर महोदय की सशक्त लेखनी उनके लेखन से किसी भी पाठक को न केवल जोड़ती है बल्कि उनके लेखन कौशल से भी परिचित करवाती है बहुत सुंदर माहिया छंद ... कुछ ...

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  2. सादर नमन 🙏
    गुरुदेव आपने सत्य कहा ...बहुत ही शानदार लेखन है।

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  3. बहुत सुंदर सृजन आदरणीय 🙏💐
    नमन🙏🏻💐

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  4. बहुत सुंदर सृजन बधाई

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