विषय - उम्मीद
विधा - गीत
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मात्रा भार 14 - 14
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"मन उम्मीद जगाता चल ,
मंजिल मिलती जाएगी ।।"
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बोध ज्ञान का हो जाए ,
मत रहो माया में लिप्त ।
प्रखर प्रज्ञा जगा रखना ,
चेतना को रखो प्रदीप्त ।
आगे कदम बढ़ाता चल ,
राहें चलती जाएगी ।
मन उम्मीद जगाता चल ,
मंजिल मिलती जाएगी ।।
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ज्ञान यज्ञ की ज्योति जला ,
पथ आलोकित कर देना ।
उपवन हो वीरान भले ,
उसमें सुमन खिला लेना ।
पथ से कण्टक चुनता चल ,
बगिया खिलती जाएगी ।
मन उम्मीद जगाता चल ,
मंजिल मिलती जाएगी ।।
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आँधी में भी बुझे नही ,
ऐसा दीपक बन जाना ।
छोड़ निराशा का दामन ,
आशा को ही अपनाना ।
सच का दीप जलाता चल ,
ज्वाला जलती जाएगी ।
मन उम्मीद जगाता चल ,
मंजिल मिलती जाएगी ।।
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जीवन हो संघर्ष भरा ,
मुख मुस्कान सजा रखना ।
बुलन्दियों को छू लोगे ,
हिम्मत सदा बड़ा रखना ।
दृढ़ संकल्प उठाता चल ।,
विपदा गलती जाएगी ।
मन उम्मीद जगाता चल ,
मंजिल मिलती जाएगी ।।
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✍️इन्द्राणी साहू "साँची"✍️
भाटापारा (छत्तीसगढ़)
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