जग से न्यारा देश हमारा।
हमको यह प्राणों से प्यारा।।
राम कृष्ण की पावन धरती।
शोभा जिसकी मन को हरती।
शस्य श्यामला भारत माता
अन्न धन्न से घर को भरती।।
अविरल बहती सलिला धारा।
हमको यह........
हिमगिरि जिसका मुकुट सँवारे।
रत्नाकर है चरण पखारे।
निशदिन जिसकी करें आरती,
सूरज चंदा और सितारे।।
वंदे मातरम् गाओ न्यारा।
हमको यह.....
ऋषि गण मुनि विद्वान यहाँ है।
वेद ऋचा का गान यहाँ है।
भक्तों की इस भव्य धरा पर
कण-कण में भगवान यहाँ है।
अर्पण करदें जीवन सारा।
हमको यह.....
पुष्पा विकास गुप्ता "प्रांजलि "
जय हिंद
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