गीत और नवगीत में छंदों का बढ़ता महत्व
सबसे पहले हमें यह जानना है कि हिन्दी काव्य में छंद का महत्व क्या है।
लय न हो तो काव्य में सरसता का भान कम हो जाता है ।
लय लाने के लिए कविता या गीत में वर्णों की संख्या और स्थान से सम्बंधित नियमों का निर्धारण किया जाता है, जो छंद के द्वारा होता है।
काव्य सृजक सब जानते हैं कि
छंद लेखन कोई नई विधा नहीं है यह वेदिक युग से चली आ रही है ।
हिंदी गीतों में छंद का महत्व गीत को संगीत के साथ जोड़ता है।
संगीत हिंदी में भाव व्यक्त करने का सबसे सहज माध्यम है ।
गीत छंदों से जुड़कर सरस संगीतात्मक और मनोहर हो जाते है, इनमें रंजकता बढ़ती है।
कोई भी साधारण उक्ति विशेष लय ,मात्रा और वर्ण योजना में बंधकर निखरती है ,तो वो भाव रस व्यक्त करने में और भी सक्षम हो जाती है।
गीत एक ऐसी विधा है जिसमें भावों की कोमलता प्रधान रहती है, इसलिए सदा भावों के लालित्य और मर्म को स्पष्ट प्रवाहता और गति देना ही प्रधान अभिष्ट रहता है।
काव्य में गीत संप्रेषण का मुख्य घटक है ,ये श्रोता और पाठक दोनों को बांधने में सक्षम है, ऐसे मुख्य स्रोत को संबल सक्षम और जनप्रिय बनाने में छंदों का महत्व पूर्ण योगदान है ।
इसलिए आजकल रचनाकारों का रुझान छंदों की तरफ बढ़ता परिलक्षित हो रहा है ।
गीत और नव गीत भी छंद में बंधकर नये बिंब नये प्रतीकों के साथ अपना अलग और उच्च स्थान बना रहे हैं ।
गीतों में छंद का प्रचलन अब साफ साफ दिखने लगा है आम रचनाकार भी छंदों से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता कारण साफ है।
छंदों से सौंदर्यबोध होता है,जो पाठक और श्रोता को आपस में जोड़ता है।
छंद मानवीय भावनाओं को
आडोलित करते हैं जिससे गीतों में निहित संदेश सुनने वालों तक सहज पहुंच ये है।
छंदों में स्थायित्व होता है,जिससे रचनाकार के सृजन को स्थायित्व मिलता है ।
छंद सरस होने के कारण मन को भाते हैं और बार-बार गुनगुनाने को लालायित करते हैं।
छंद निश्चित लय पर आधारित होते हैं इसलिए सुगमतापूर्वक कण्ठस्थ हो जाते हैं।
आज भारतीय चित्रपट संगीत जन-जन के मुंह चढ़ा है ,
आश्चर्यजनक तथ्य ये है कि कुछ गाने मील का पत्थर बन गये कुछ बस थोड़े दिन में लोगों के दिल से उतर जाते हैं ।
अब देखते हैं थोड़ा गहराई से कि ज्यादा प्रसिद्ध गीतों ( गाने ) का आधार कोई ना कोई सनातनी छंद अवश्य है ।
छंदों पर आधारित होने के कारण ये सहज कंठस्थ हो जाते हैं और इनकी प्रवाहित लय के कारण ये सरलता से मन में स्थापित होजाते हैं ।
यही बहुत से कारण हैं जो गीत और नवगीत के रचनाकार छंद आधारित गीत लिखने लगे जिससे गीतों में छंदों का प्रचलन पिछले सालों में बहुतायत से बढ़ा है , जो साहित्य के लिए एक सकारात्मक परिणाम होगा ।
गीतों में छंद का प्रचलन अब साफ साफ दिखने लगा है आम रचनाकार भी छंदों से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता कारण साफ है।
छंदों से सौंदर्यबोध होता है,जो पाठक और श्रोता को आपस में जोड़ता है।
छंद मानवीय भावनाओं को
आडोलित करते हैं जिससे गीतों में निहित संदेश सुनने वालों तक सहज पहुंच ये है।
छंदों में स्थायित्व होता है,जिससे रचनाकार के सृजन को स्थायित्व मिलता है ।
छंद सरस होने के कारण मन को भाते हैं और बार-बार गुनगुनाने को लालायित करते हैं।
छंद निश्चित लय पर आधारित होते हैं इसलिए सुगमतापूर्वक कण्ठस्थ हो जाते हैं।
आज भारतीय चित्रपट संगीत जन-जन के मुंह चढ़ा है ,
आश्चर्यजनक तथ्य ये है कि कुछ गाने मील का पत्थर बन गये कुछ बस थोड़े दिन में लोगों के दिल से उतर जाते हैं
अब देखते हैं थोड़ा गहराई से कि ज्यादा प्रसिद्ध गीतों( गाने)का आधार कोई ना कोई सनातनी छंद अवश्य है ।
छंदों पर आधारित होने के कारण ये सहज कंठस्थ हो जाते हैं और इनकी प्रवाहित लय के कारण ये सरलता से मन में स्थापित होजाते हैं ।
यही बहुत से कारण हैं जो गीत और नवगीत के रचनाकार छंद आधारित गीत लिखने लगे जिससे गीतों में छंदों का प्रचलन पिछले सालों में बहुतायत से बढ़ा है ,जो साहित्य के लिए एक सकारात्मक परिणाम होगा ।
-कुसुम कोठारी ,कोलकाता
सबसे पहले हमें यह जानना है कि हिन्दी काव्य में छंद का महत्व क्या है।
लय न हो तो काव्य में सरसता का भान कम हो जाता है ।
लय लाने के लिए कविता या गीत में वर्णों की संख्या और स्थान से सम्बंधित नियमों का निर्धारण किया जाता है, जो छंद के द्वारा होता है।
काव्य सृजक सब जानते हैं कि
छंद लेखन कोई नई विधा नहीं है यह वेदिक युग से चली आ रही है ।
हिंदी गीतों में छंद का महत्व गीत को संगीत के साथ जोड़ता है।
संगीत हिंदी में भाव व्यक्त करने का सबसे सहज माध्यम है ।
गीत छंदों से जुड़कर सरस संगीतात्मक और मनोहर हो जाते है, इनमें रंजकता बढ़ती है।
कोई भी साधारण उक्ति विशेष लय ,मात्रा और वर्ण योजना में बंधकर निखरती है ,तो वो भाव रस व्यक्त करने में और भी सक्षम हो जाती है।
गीत एक ऐसी विधा है जिसमें भावों की कोमलता प्रधान रहती है, इसलिए सदा भावों के लालित्य और मर्म को स्पष्ट प्रवाहता और गति देना ही प्रधान अभिष्ट रहता है।
काव्य में गीत संप्रेषण का मुख्य घटक है ,ये श्रोता और पाठक दोनों को बांधने में सक्षम है, ऐसे मुख्य स्रोत को संबल सक्षम और जनप्रिय बनाने में छंदों का महत्व पूर्ण योगदान है ।
इसलिए आजकल रचनाकारों का रुझान छंदों की तरफ बढ़ता परिलक्षित हो रहा है ।
गीत और नव गीत भी छंद में बंधकर नये बिंब नये प्रतीकों के साथ अपना अलग और उच्च स्थान बना रहे हैं ।
गीतों में छंद का प्रचलन अब साफ साफ दिखने लगा है आम रचनाकार भी छंदों से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता कारण साफ है।
छंदों से सौंदर्यबोध होता है,जो पाठक और श्रोता को आपस में जोड़ता है।
छंद मानवीय भावनाओं को
आडोलित करते हैं जिससे गीतों में निहित संदेश सुनने वालों तक सहज पहुंच ये है।
छंदों में स्थायित्व होता है,जिससे रचनाकार के सृजन को स्थायित्व मिलता है ।
छंद सरस होने के कारण मन को भाते हैं और बार-बार गुनगुनाने को लालायित करते हैं।
छंद निश्चित लय पर आधारित होते हैं इसलिए सुगमतापूर्वक कण्ठस्थ हो जाते हैं।
आज भारतीय चित्रपट संगीत जन-जन के मुंह चढ़ा है ,
आश्चर्यजनक तथ्य ये है कि कुछ गाने मील का पत्थर बन गये कुछ बस थोड़े दिन में लोगों के दिल से उतर जाते हैं ।
अब देखते हैं थोड़ा गहराई से कि ज्यादा प्रसिद्ध गीतों ( गाने ) का आधार कोई ना कोई सनातनी छंद अवश्य है ।
छंदों पर आधारित होने के कारण ये सहज कंठस्थ हो जाते हैं और इनकी प्रवाहित लय के कारण ये सरलता से मन में स्थापित होजाते हैं ।
यही बहुत से कारण हैं जो गीत और नवगीत के रचनाकार छंद आधारित गीत लिखने लगे जिससे गीतों में छंदों का प्रचलन पिछले सालों में बहुतायत से बढ़ा है , जो साहित्य के लिए एक सकारात्मक परिणाम होगा ।
गीतों में छंद का प्रचलन अब साफ साफ दिखने लगा है आम रचनाकार भी छंदों से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता कारण साफ है।
छंदों से सौंदर्यबोध होता है,जो पाठक और श्रोता को आपस में जोड़ता है।
छंद मानवीय भावनाओं को
आडोलित करते हैं जिससे गीतों में निहित संदेश सुनने वालों तक सहज पहुंच ये है।
छंदों में स्थायित्व होता है,जिससे रचनाकार के सृजन को स्थायित्व मिलता है ।
छंद सरस होने के कारण मन को भाते हैं और बार-बार गुनगुनाने को लालायित करते हैं।
छंद निश्चित लय पर आधारित होते हैं इसलिए सुगमतापूर्वक कण्ठस्थ हो जाते हैं।
आज भारतीय चित्रपट संगीत जन-जन के मुंह चढ़ा है ,
आश्चर्यजनक तथ्य ये है कि कुछ गाने मील का पत्थर बन गये कुछ बस थोड़े दिन में लोगों के दिल से उतर जाते हैं
अब देखते हैं थोड़ा गहराई से कि ज्यादा प्रसिद्ध गीतों( गाने)का आधार कोई ना कोई सनातनी छंद अवश्य है ।
छंदों पर आधारित होने के कारण ये सहज कंठस्थ हो जाते हैं और इनकी प्रवाहित लय के कारण ये सरलता से मन में स्थापित होजाते हैं ।
यही बहुत से कारण हैं जो गीत और नवगीत के रचनाकार छंद आधारित गीत लिखने लगे जिससे गीतों में छंदों का प्रचलन पिछले सालों में बहुतायत से बढ़ा है ,जो साहित्य के लिए एक सकारात्मक परिणाम होगा ।
-कुसुम कोठारी ,कोलकाता
No comments:
Post a Comment