विषय - उड़ान
विधा - दोहा
*******************************
बेटी के अरमान को ,दो मजबूत उड़ान ।
जकड़ कुरीति नहीं करो ,कुंठित नन्ही जान ।।
***
पिंजरबद्ध विहंग सा ,पराधीन इंसान ।
विवश गगन को देखते , बाधित सभी उड़ान ।।
***
पर छीने पक्षी पड़े , कैसे भरे उड़ान ।
साहस का मरहम लगा ,फूँके खुद में प्राण ।।
***
परवशता को त्याग कर , साहस संबल धार ।
नारी उच्च उड़ान से , जीत रही संसार ।।
***
उत्तरोत्तर समृद्ध हो , भरते उच्च उड़ान ।
विश्व पटल पर है अमिट ,भारत की पहचान ।।
***
जंजीरों को तोड़कर ,भर लो उच्च उड़ान ।
नवल सृजन हित आज सब , छेड़ो नव अभियान ।।
***
क्षमता के अनुरूप ही ,रखिए सदा उड़ान ।
चाहत करना अधिक की , देता है अपमान ।।
***
**********************************
✍️इन्द्राणी साहू "साँची"✍️
भाटापारा( छत्तीसगढ़)
★★★★★★★★★★★★★★★
@kalam ki Sugandh
बहुत सुंदर रचना 👌👌👌 बहुत बहुत बधाई 💐💐💐
ReplyDelete