*विधा- कुंडलिया छंद*
*भाईदूज*
(१)
आती शुभ दीपावली, फिर गोबरधन पूज।
अंतिम दिन त्यौहार का, कहते भाई दूज।।
कहते भाई दूज, दिवस यह लगता प्यारा।
बंधन बड़ा अटूट, जगत में सबसे न्यारा।।
कह प्रांजलि सुन भ्रात, तुझे है बहन बुलाती।
वही प्यार तकरार, याद बचपन की आती।।
(२)
करती हूँ मैं कामना, बना रहे यह प्यार।
रखना भाई याद तुम, नहिं माँगू उपहार।।
नहिं माँगू उपहार, खुशी से रीत निभाएँ।
रिश्ता है अनमोल, भला क्या मोल लगाएँ।।
जुग-जुग जीना वीर, दूज यम विपदा हरती।
तिलक लगाकर भाल, कामना प्रभु से करती।।
___पुष्पा गुप्ता "प्रांजलि"
कटनी (म.प्र.)
बहुत सुंदर 👌👌👌 बहुत बहुत बधाई 💐💐💐
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