Monday, 25 November 2019

राग मेघ मल्हार ....इन्द्राणी साहू " साँची "

विषय - मल्हार
विधा - राग मेघ मल्हार ,
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मात्रा  - 16
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बरसो मेघा प्यारे आओ ,
चमचम बिजुरी अब चमकाओ ।
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राग मल्हार सुना रही हूँ ,
मत प्यारे अब देर लगाओ ।
बरसो मेघा प्यारे आओ ।।
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सुध बिसराए क्यों बैठे हो ,
नील गगन से मोह छुड़ाओ ।
बरसो मेघा प्यारे आओ ।।
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धरती प्यासी तड़प रही है ,
आकर उसकी प्यास बुझाओ ।
बरसो मेघा प्यारे आओ ।।
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लता वृक्ष सब सूख रहे हैं ,
नव जीवन संचार कराओ ।
बरसो मेघा प्यारे आओ ।।
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नम आँखों से कृषक निहारे ,
उनकी आस नही ठुकराओ ।
बरसो मेघा प्यारे आओ ।।
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चुप हैं कोयल मोर पपीहा ,
इनके मन में शोर मचाओ ।
बरसो मेघा प्यारे आओ ।।
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रिमझिम रिमझिम मोती बरसा ,
धरती का श्रृंगार सजाओ ।
बरसो मेघा प्यारे आओ ।।
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हरियाली धरती पर लाकर ,
जीव जगत खुशहाल बनाओ ।
बरसो मेघा प्यारे आओ ।।
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✍️इन्द्राणी साहू "साँची"✍️
   भाटापारा (छत्तीसगढ़)
★★★★★★★★★★★★★★★★★
@Kalam ki Sugandh

2 comments:

  1. सुंदर रचना 👌👌👌....बहुत बहुत बधाई 💐💐💐

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  2. बहुत सुंदर सृजन 👍👍

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