Tuesday 16 February 2021

कलम की सुगंध - बसंत पंचमी साहित्यिक उपनामकरण समारोह २०२१

 


कलम की सुगंध परिवार द्वारा आज १६/०२/२०२१ को  बसंत पंचमी के पावन पर्वोत्सव पर शाम ४:०० बजे  साहित्यिक उपनामकरण समारोह का आयोजन हुआ। इस आयोजन में देश के अनेक राज्यों से कवि और कवयित्री जुड़े। इस समारोह में रचनाकरों को प्राप्त साहित्यिक उपनाम उन्हें साहित्य जगत में विशेष स्थान दिलाये तथा उनका भावपूर्ण सृजन एवं सशक्त लेखन अटल ध्रुव की तरह स्थापित हो कर निरन्तर धुतिमान रहे ..

परिवार की इन्ही मंगलकामनाओं के साथ बसंत पंचमी पावन पर्वोत्सव की हार्दिक बधाई सभी सहभागी साथियों को और आपको 


इस समारोह से जुड़कर उपनाम प्राप्त करने वाले साहित्य साधकों की सूची ....


1 रानू मिश्रा 'अजिर'

2 सपना नेगी 'कुमकुम'

3 परमजीत सिंह 'कोविद'

4 रमा श्रीवास्तव 'रम्या'

5 कंचन वर्मा 'विज्ञांशी'

6 रिंकू मोगरे 'निष्णात'

7 मीना सिन्हा मीनू मीनल

8 सुगम शर्मा 'वागीश्वरी'

9 रीना सिंह 'गुनिता'

10 संतोषी देवी 'सगुणा'

11 अनुराधा कुमारी 'एहसास'

12 कौशल शुक्ला 'विज्ञांश'

13 डा. सीमा अवस्थी 'मिनी'

14 अजित कुमार कुम्भकार 'निर्भीक'

15 शिशुपाल गुप्ता 'विद्यांश'

16 सुषमा शर्मा  'चित्रा'

17 सरला झा 'संस्कृति'

18 हरिओम अवस्थी 'भावुक'

19 निर्मल जैन 'स्वस्तिक' 

20 सीमा सिन्हा 'मैत्री'

21 निवेदिता श्रीवास्तव 'गार्गी'

22 देवेन्द्र कुमार 'विख्यात'

23 किरन कुमार 'दधीचि'

24 रीना गुप्ता 'श्रुति'

25 हेमा जोशी 'स्वाति'

26 बेलीराम कनस्वाल 'प्रारम्भिक'

27 नंदी बहुगुणा 'कीर्ति'

28 आशा तिवारी 'अग्रिमा'

29 सुखमिला अग्रवाल 'भूमिजा'

30 मीनाक्षी जायसवाल 'स्वरा'

31 शरद अग्रवाल 'नव्या'

32 अंजना सिन्हा 'नवनीता'

33 वीणा कुमारी 'नंदिनी'

34 सुनीता श्रीवास्तव 'जागृति'

35 अनिता निधि 'दीपशिखा'

36 प्रवीणा श्रीवास्तव 'रश्मि'

37 सविता सिंह 'हर्षिता'

38 बिंदू प्रसाद 'रिद्धिमा'

39 कृष्णा श्रीवास्तवा रत्नावली

40 सरोज गर्ग 'रत्नप्रभा'

41 उपासना सिन्हा 'काव्यशिखा'

42 मनोज सिंह 'यशस्वी' 

43 पूनम सिन्हा 'भावशिखा'

44 कविता सिन्हा 'शिल्पशिखा'

45 संध्या चौधुरी 'उर्वशी'

46 सुदीप्ता जेठी राउत 'कृतिशिखा'

47 पद्मा प्रसाद 'विन्देश्वरी'

48 सरोज सिंह 'विमला'

49 मुनमुन ढाली 'इंदुप्रभा'

50 श्वेता 'विद्यांशी'

51 महेंद्र सिंह 'विजेता'

52 मीरा द्विवेदी 'शचि'


इस विशेष अवसर पर गुरुदेव संजय कौशिक 'विज्ञात' जी ने सभी को बधाई देते हुए कहा कि...

 मंच द्वारा दिये जा रहे आपके इस उपनाम की यश कीर्ति दसों दिशाओं में शुक्ल पक्ष के चंद्रमा की भांति बढ़ती एवं चमकती रहे। आपका सृजन सदैव समाज कल्याण के लिए अग्रसर होकर मार्गदर्शक के रूप में अपनी एक अलग पहचान बना सके, सभी रसों में आपकी सशक्त लेखनी का प्रवाह प्रशंसनीय रहे और निरन्तर प्रगति पथ पर बढ़ते ही रहें ...💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐


सहभागी कलमकारों ने एक दूसरे को बधाई दी और मंच का आभार व्यक्त किया


कौशल शुक्ला ''विज्ञांश'' जी ने कहा....


उपनाम समारोह के अवसर पर गुरुवर 'विज्ञात' जी  के चरणों में समर्पित एक सृजन 


इससे अच्छा क्या धाम जहाँ में होगा?

कोई प्यारा उपनाम जहाँ में होगा


प्यारे वसंत ने सबके मन को जीता 

पेड़ों में बौर लगी है, पतझड़ बीता  

अंतर की वीणा झंकृत होना चाहे

माथे पर शोभा अंकित होना चाहे


यह कृपादृष्टि गुरुवर से पायी ऐसे

मां वीणापाणि प्रकट हो आयी जैसे  

माना नव-अंकुर हैं हम इस उपवन में

बरसे प्रोत्साहन धार मधुर जीवन में 


उर्वर धरती अपनी किसान श्रमरत है

'विश्वास लिए घनघोर सृजन में रत है 

जैसे भी हो इस श्रम का फल पाना है 

फलदार वृक्ष बनकर ही दिखलाना है  


'विज्ञांश' धीर ही है जीवन का दर्शन

अब छोड़ निराशा स्वयं जगाओ तन-मन

गुरुवर के पद को छूकर आज्ञा पालो 

चमकेगा जीवन, यही राह अपना लो 


रचनाकार - कौशल शुक्ला 'विज्ञांश'

रचना दिनांक-१६-०२-२०२१

🙏🙏


उपनाम प्राप्त करने वाले सभी मित्र रचनाकारों को हार्दिक बधाई 

आप सब के सुनहरे भविष्य की कामना के साथ कुछ पंक्तियां प्रेषित हैं-


गुरुजन पर जिनका भी विश्वास अटल है 

रचनाएँ लिखना उनके लिए सरल है

उपनाम नहीं, समझो वरदान मिला है

सृजनोत्सुक जन को नव-उत्थान मिला है


सपने देखें हर रोज, जियें सपने को 

इस योग्य बनायें हम कविजन अपने को 

तप से ही बहुधा सम्यक ज्ञान मिला है 

लड़कर ही जीवन में सम्मान मिला है


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नंदी बहुगुणा 'कीर्ति' जी ने कहा 


हार्दिक धन्यवाद सभी आदरणीय जनों को जिन्होंने आज नामकरण समारोह में  आज मुझे एक अनमोल उपहार दिया माता पिता एक नामकरण समारोह करते हैं और उससे हम अपने नाम से जीवन भर पहचाने  जाते हैं जाते हैं साहित्यिक उपनाम तो किसी कवि साहित्यकार के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है और जब प्रबुद्ध जनों द्वारा वह नाम रखा जाए तो वह साहित्यकार भाग्यशाली होता है क्षमा प्रार्थी हूं कि मैं एक प्रशिक्षण में थी इस कारण मैं इस कार्यक्रम का हिस्सा नहीं बन सकी फिर भी आदरणीय जनों ने ने इस  नामकरण समारोह मे मुझे जैसी एक छोटी सी कवित्री को अपने समारोह में स्थान दिया और मेरा नाम का नामकरण किया इसके लिए मैं आपकी कृतज्ञ रहूंगी

नंदी बहुगुणा कृति अध्यापिका चंबा टिहरी गढ़वाल🙏🙏🙏🙏🙏


अजित कुंभकार 'निर्भीक' जी ने कहा ...


उपनाम करण में गुरुजी संजय विज्ञात जी को नमन साथ ही साथ नीतुजी को दिल से आभार , उपनामकरण समारोह में आपका योगदान देखकर अभिभूत हूँ कोटिशः कोटिशः आभार नमन ,अपना उपनाम को हमेशा सही साबित करने की कोशिश करूंगा , पुनः गुरुजी को कोटिशः नमन नीतुजी को नमन सह आभार , सभी कलमकारों को दिल से बधाई 🌹🙏🙏🌹🙏🌹🍁🙏🙏🙏🙏🌺🌺🌷🙏🙏🥀🍂🌺🌷🍁🌹🙏


शरद अग्रवाल 'नव्या' जी की भावाभिव्यक्ति ....


आ० गुरुदेव के श्री चरणों में सादर  समर्पित


नाम दिया गुरु आपने', है अद्भुत अभिराम I

चरणों में रख शीश मैं,शत-शत करूं प्रणाम।l

'नव्या' हर्षित हो रही, पूर्ण हुई है आस।

गुरु की आशीषें मिलें, फैले कलम सुवास ॥

नवल सृजन नित मैं रचूँ, बहे काव्य की धार।

शब्दों में भर ओज माँ, बन जाओ पतवार ॥

,---- शरद अग्रवाल 'नव्या'

हृदय से कोटि कोटि धन्यवाद एवं नमन गुरुदेव🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿💐💐💐💐💐💐🌹🌹🌹🌹🌹

अपने आशीर्वचन से हमारा मार्गदर्शन करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय गुरुदेव । 🙏🏿🙏🏿🌹🌹🌹💐💐💐जैसा कि आपने कहा हम आपकी अपेक्षाओं पर उतरने का पूर्ण रूप से प्रयास करेंगे, वास्तव में हम भाग्यशाली है कि हमें इस पावन मन से जुने का अवसर मिला है।

प्रिय सखी नीतू जी की जितनी प्रशंसा की जाए कम है उन्होंने सचमुच उन्होंने बहुत ही सुंदर नामकरण पत्र सृजित किए हैं और इतना सुंदर कार्यक्रम आयोजित किया है निश्चित रूप से वह इसके लिए बधाई के पात्र हैं, आपका हृदय से स्नेहिल आभार प्रिय नीतू जी🙏🏿🙏🏿🌹🌹🌹💐💐💐😘😘

देवेंद्र कुमार 'विख्यात' जी ने कहा 


आदरणीय गुरुदेव व सभी विद्वान एवं विदुषी जनों को देवेन्द्र कुमार का प्रणाम। आप सभी को बसंत पंचमी पर्व की अनेकों शुभकामनाएँ। जिन साथियों को उपनाम दिए गए है उन्हें भी बहुत बहुत शुभकामनाएँ। आशा करता हूँ की जो उपनाम दिए गए है हम सभी उसको सार्थक करने का प्रयास करेंगे। किसी कार्य में व्यस्तता के कारण कार्यक्रम में सम्मिलित नहीं हो पाया। इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।


नीतू ठाकुर 'विदुषी' जी ने गुरुदेव और सभी साथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा ...


आपकी बात से पूर्णतः सहमत हैं गुरुदेव। साहित्य एक गंभीर विषय है और उसे गंभीरता से ही लेना चाहिए। आत्मसुखाय लेखन से हट कर विविध विधाओं पर और रसों पर खुदको परखना चाहिए। साहित्य साधना सरल नही पर योग्य मार्गदर्शन से शीघ्र सुधार निश्चित ही सम्भव है। साहित्य जगत में एक से बढ़कर एक कलमकार हैं उनके बीच हमें प्रयास अवश्य करना चाहिए कि हमारी रचना सर्वश्रेष्ठ भले न हो पर प्रसंशनीय अवश्य हो और यह निरंतर प्रयास से ही संभव है। कोई भी विधा इतनी कठिन नही होती कि उसे सीखा न जा सके ...बस थोड़ा समय देने की आवश्यकता होती है।और यह भी सत्य है कि जिनमें सीखने की लगन होती है वे लक्ष्य को प्राप्त कर ही लेते हैं।हमारा सौभाग्य ही है जो हम कलम की सुगंध मंच से जुड़े और आपका मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। साहित्य की सही परिभाषा समझने का अवसर मिला। अनेक विधाओं पर लेखनी चली और आगे भी सीखने की इच्छा जीवित है।साहित्य की इस यात्रा में बहुत दूर तक जाना है इसलिए अपना स्नेहाशीष बनाये रखियेगा 🙏

परमजीत सिंह 'कोविद' जी ने दोहे के माध्यम से अपना आभार व्यक्त किया








सफल आयोजन की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐💐💐💐

Wednesday 10 February 2021

मन की वीणा कुण्डलियाँ संग्रह : कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'


शुभकामना .... 

कवयित्री कुसुम कोठारी प्रज्ञा द्वारा रचित मन की वीणा कुण्डलियाँ एकल संकलन जिसमें कवयित्री द्वारा100 रचनाएं ली गई हैं लेखन कौशल, शब्द चयन, छंद शिल्प, भाव पक्ष सहित समीक्षक के दृष्टिकोण से देखें तो यह एक अनुपम संग्रह निर्मित हुआ है। अतुकांत कविता से छंद की और पग बढ़ाना तथा इतने कम समय में छंद विधा को आत्मीयता तथा गहनता से अपना लेना  किसी चमत्कार से कम नहीं है प्रज्ञा ने अपने नाम की सार्थकता को सिद्ध कर दिखाया है।  साधारण पाठक के दृष्टिकोण से देखें तो पाठक रचनाओं को पढ़ते समय रचना प्रति रचना एक लेखन कौशल के मोहिनी मंत्र से सम्मोहित हुआ दिखता है जैसे मैं अपने ही बारे में बताऊँ तो मैंने जब इस संकलन को पढ़ना शुरू किया तो आकर्षण पाश इतना सशक्त आभास देता प्रतीत हो रहा था कि अनायास ही अग्रिम रचना की और बढ़ने का मन करता रहा और यह संग्रह पढ़ने में पूर्ण हो गया फिर भी पढ़ने की पिपासा शांत न हो सकी ऐसे में कवियित्री से प्रज्ञा से विशेष आग्रह है कि कुण्डलियाँ का एक और संग्रह अवश्य निकालें।  कलम की सुगंध छंदशाला मंच का यह प्रयास अत्यंत सराहनीय रहा जिसमें क्लिष्ट विधा को सरलता से सिखाया और लिखवाया गया जिसमें कवयित्री वर्ग एक नूतन इतिहास लिख कर दिखाया। कहते हैं कि कवयित्रियों ने कुण्डलियाँ छंद अभी तक इतना नहीं लिखा था परन्तु कलम की सुगंध मंच को देखें तो यह तथ्य मिथक सा प्रतीत होता है यहाँ पर छंदशाला में कवयित्रियाँ न केवल छंद लिखती हैं बल्कि छंद लिखवाती भी हैं मंच के प्रयास सराहनीय हैं मुख्य संचालिका अनिता मंदिलवार सपना तथा समीक्षक समूह के विशेष प्रमुख बाबूलाल शर्मा बौहरा, इंद्राणी साहू साँची, अर्चना पाठक निरन्तर के सहयोग से शतकवीर कार्यक्रम वीणापाणि, हंसवाहिनी, सस्वती समीक्षक परिवार में 10- 10 समीक्षक स्थापित करते हुए एक अद्भुत आयोजन कर दिखाया जिसकी अन्य मंचों पर भी जम कर प्रशंसा हुई। 

कुसुम कोठारी प्रज्ञा की पुस्तक मन की वीणा छंद विधा के पाठकों को तृप्ति प्रदान अवश्य करेगी। पाठकों को यह संग्रह खरीदकर अवश्य पढ़ना भी चाहिए। इस संग्रह पर लगाए गए पैसे पूर्णतः एक उत्तम दिशा में लगेंगे। यह संग्रह मन को प्रफुल्लित कर आनंद प्रदान करने में सफल कहाँ तक रहा अवश्य बताएं .... ? 

 पाठक की प्रोत्साहना ही लेखनी को एक नई दिशा प्रदान करती है मुझे विश्वास है यह सशक्त लेखनी एक दिन बड़े नाम के रूप में अवश्य स्थापित होगी इन्हीं शुभ कामनाओं के साथ ।

संजय कैशिक 'विज्ञात'