Sunday, 6 October 2019

चाहत बदलें -कलम से...अलका मधुसूदन पटेल

चाहत बदलें -कलम से 

हम लिखते हैं तो बस अपनी ,
चाहत में खुशियां ही लिखते हैं।
ढूंढते हैं तो बीच समंदर में भी ,
किनारे ही ढूंढा करते हैं।
अपनी पसंद में हम सर्वदा ,
सूरज चांद सितारे लिखते हैं।
होते हैं जमीं में पर ये ख्वाब,
औ आकाश प्यारे लगते हैं।
अपनी लेखनी से आसमान के,
इंद्रधनुषी रंगों की कल्पनाएं लिखते हैं।
प्रकति की रची बसी वसुधा के ,
फूलों की बहारों की वर्षा करते हैं।
बहती नदियां झरने कलकल ,
ऊंचे पर्वत नवीन नजारे लिखते हैं।
*अपनी चाहत बदलें* गहरे भंवर की,
डूबते तूफ़ानों के बारे में लिखें।
सांसे जब तक चलें  हां बस ,
इन्ही तूफ़ानी जंग का आव्हान लिखें।
देखें समझें इस धरणी पर बिखरी,
मानवता का प्यार अब लिखें।
आओ मानवता के बिंधे शूलों को,
हटाएं ,उलझनों को उमंगों में बदलें,
निःसहायों पर नेहा बरसे रिमझिम,
कुछ ऐसी प्यारी फुहार लिखें।
जीवन अनमोल मिला है समय थोड़ा है,
ममता सौहाद्र का इजहार ही लिखें।
स्नेह की पत्तियां,स्निग्धता की कलियां,
स्नेही श्रद्धा के कुछ फूल उगाएं।
न हो विषमता की आंधी घृणा की 
लहरें ,शीतल हवा आस्था की आये।
सब जन मन मिल बैठें स्नेह की,
एक नई सुखी दुनिया बनाएं।
लिखें हम कुछ ऐसा कुविचारों को ,
तोड़ें आपस में जोड़ें ,मन हर्शाएं।
गरीबों की पीड़ा ,वंचितों को नीड़ा,
बांटे उनके आंसू ,रोतों को हंसाये।
जितना बांट सकें प्यार ,निर्बलों को दें
पूरा अधिकार ,ये ही संकल्प बनाएं।
देकर का शिक्षा का दान,मिटा उनका 
अज्ञान ,मंजिल उनकी *कलम* बनाएं।
कलम को संवाद बनाएं करों में उनके ,
पकड़ाएं , पूर्ण स्वाभिमानी बनाएं।
कलम को यज्ञ बनाकर करें संकल्प,
हर मनु को पुष्पित फलित सम्मान दिलाएं।
आओ चाहत बदलेंमनभ्रम तोड़ें,
ऐसा करके हम सब अपनी कलम चलाएं।

*अलका मधुसूदन पटेल* 
*जबलपुर*

1 comment:

  1. लाजवाब रचना 👌👌👌 शानदार सृजन की ढेर सारी बधाई 💐💐💐

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