Friday 25 June 2021

गीत - यह मुमकिन नहीं है : जसवीर सिंह हलधर

आज फेसबुक और व्हाट्सएप पर अनेक सुंदर सुंदर रचनाएं देखने पढ़ने को मिल जाती हैं ऐसे ही गीतकार हलधर के गीतों को पढ़ना उन्हें भीड़  से अलग करता है सुंदर शब्द शिल्प आकर्षक भाव और सरल भाषा के प्रयोग से हलधर जी के गीत अलग सा दृश्य बनाकर अनुपम छटा बिखेरते हैं 

कविवर जसवीर सिंह 'हलधर' जी के इस प्रयास से जुड़ कर आप की भी सुखद अनुभूति का आभास अवश्य होगा ...

- संजय कौशिक 'विज्ञात'





गीत - यह मुमकिन नहीं है

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झूँठ का सच से करूँ व्यापार यह मुमकिन नहीं है ।

मान  लूँ कठिनाइयों से  हार  यह मुमकिन नहीं है ।।


रात मेरी आँख से काजल चुराया चांदनी ने ।

जल गए सपने सुहाने कहर ढाया दामिनी ने ।

सांस अब भी चल रही है , जिंदगी को छल रही है ,

छोड़ दूँ मैं हाथ से पतवार यह मुमकिन नहीं है ।

मान लूँ कठिनाइयों से हार यह मुमकिन नहीं है ।।1


राह का मैं वो मुसाफिर जो कभी  रुकना न जाने ।

काव्य का रस्ता चुना है छोड़ कर सारे ठिकाने ।

खार भी कुछ अनमने हैं ,फूल भी पत्थर बने हैं,

जीत लूँ मैं लोभ का संसार यह मुमकिन नहीं है ।

मान लूँ कठिनाइयों से हार यह मुमकिन नहीं है ।।2


काम की रति भी यहां पल भर नहीं आराम पाती ।

काल की गति भी यहां पर नित नए पैगाम लाती ।

मुड़ रहा हूँ वासना से ,जुड़ रहा हूँ साधना से ,

खुल न पायें चेतना का द्वार यह मुमकिन नहीं है ।

मान लूँ कठिनाइयों से हार यह मुमकिन नहीं है ।।3


चार दिन की रोशनी है इन अँधेरों की डगर में ।

मौत ही पक्की सहेली जन्म से पनपे सफर में ।

प्रश्न का उत्तर न पाया ,घूम सारा विश्व आया ,

गीत में "हलधर" लिखे शृंगार यह मुमकिन नहीं है ।

मान लूँ कठिनाइयों से हार यह मुमकिन नहीं है ।।4


हलधर -9897346173




4 comments:

  1. हलधर जी का लेखन वाकई कमाल का होता है। उनके विषय बेहद आकर्षक होते हैं और कथन पक्ष इतना मजबूत की पाठक अनायास ही उनके विचारों से सहमत हो जाता है। निराशा के तिमिर में आशा के दीप जलाते से उनके गीत,ग़ज़ल और कविता हैं। सशक्त लेखनी के धनी को सादर नमन 🙏

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  2. बहुत खूब आदरणीय हलधर जी , कुछ कुछ तो रोज पढ़ने के लिए मिल जाता whatsapp ग्रुप से

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  3. बेहद खूबसूरत गीत आदरणीय 👌👌👌👌

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  4. कविवर हलधर जी की रचना एक अलग ही आकर्षण रखती हैं जिन्हें पढ़कर पाठक अनायास ही इनसे जुड़ जाता है । यह जुड़ाव पाठक को अपने सौभग्य पर गर्वित होने का अनुभव कराता है कि वे एक अच्छे गीतकार को पढ़ रहे हैं।आज कलम की सुगंध पर हलधर जी का आगमन प्रशंसनीय है। कविवर को अनंत बधाई एवं शुभकामनाएं 💐💐💐

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