Wednesday 18 December 2019

कुण्डलिया छंद ...काजल ,गजरा

[17/12 6:07 PM] आदेश कुमार गुप्ता पंकज: कुण्डलियाँ शतक वीर कलम की सुगंध सम्मान -2019
दिनाँक *** 17/12/2019
आज की कुण्डलियाँ 
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काजल 
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काजल से शोभा बढ़े ,नयनों की सुन मित्र ।
श्वेत श्याम मन मोहिनी ,लगती हैं चल चित्र ।।
लगतीं हैं चलचित्र ,निखारे मुख की सूरत ।
बढ़ता नित्य निखार ,लगे प्यारी सी मूरत ।।
होता यह वरदान ,सुशोभित लगते श्यामल ।
बढ़ती इससे ज्योति ,लगा नयनों में काजल ।।
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गजरा
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गजरा लगा के केश में ,गोरी रहि इठलाय ।
बार - बार दर्पण लखे ,मन ही मन हरषाय ।।
मन ही मन हरषाय ,लगे महलों की रानी ।
सबको पास बुलाय ,कहे सब सुनो कहानी ।।
करके सब श्रृँगार ,लगा नयनो में कजरा ।
कैसी रहि पगलाय ,सजा बालों में गजरा ।।
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डाँ. आदेश कुमार पंकज
[17/12 6:09 PM] अटल राम चतुर्वेदी, मथुरा: आज 17 दिसम्बर की कुंडलियाँ
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काजल
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गोरी ने काजल लगा,
किए नुकीले नैन।
अनजाने में कर दिया,
बहुतों को बेचैन।

बहुतों को बेचैन,
निशाने पर था कोई।
घायल वह हो गया,
चैन से गोरी सोई।

मिनटों में कर गयी,
"अटल" वह दिल की चोरी।
काजल है बदनाम,
बड़ी चंचल है गोरी।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏
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गजरा
*****
गजरा बालों में लगा,
गोरी है तैयार।
जाने कितनों में पड़े,
बिना मार की मार।

बिना मार की मार,
न मुँह से कह पायेंगे।
देख रूप अनमोल,
लगे सब सह जायेंगे।

"अटल" कयामत हुई,
देख आँखों में कजरा।
गोरी लेगी जान,
सजा बालों में गजरा।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏
[17/12 6:13 PM] तोषन: ●●●●●कलम की सुगंध छंदशाला●●●●●
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            कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
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              दिनांक - 17.12.19
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              कुण्डलियाँ (1) 
                विषय-काजल

भावे काजल आँख को,हिय में चले कटार।
गौर बदन को शोभती,तरंग उठे हजार।।
तरंग उठे हजार,मेघ है आन समाया।
लगे प्रकृति का मेल,देख तन मन हरषाया।।
मन में करे गुमान,लगे काजल इतरावे।
लेना रख सम्हाल, आँख को काजल भावे।।

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              कुण्डलियाँ (2) 

              विषय-गजरा

महकी गजरा रात में,सजना के मन भाय।
देख नार श्रृंगार को,हिय हिचकोले खाय।।
हिय हिचकोले खाय,रात है सारी जागे।
पीकर मानों भंग,नशा महुआ जस लागे।।
रहे नहीं अब धीर,गगनचर ये अब चहकी।
प्रेम मिलन की आस,रात में गजरा महकी।।

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             रचनाकार का नाम
      तोषण कुमार चुरेन्द्र धनगंइहा
    डौंडी लोहारा बालोद, छत्तीसगढ़
[17/12 6:15 PM] बोधन राम विनायक: कुण्डलियाँ - शतकवीर सम्मान के लिए-
दिनाँक -17.12.19

(3) काजल 
सुंदरता की चाह में,काजल आँजे नैन।
हिरनी जैसी देखती,कुछ नहिँ बोले बैन।।
कुछ नहिँ बोले बैन,आँख से सब कुछ कहती।
दिल में हरदम प्यार,सजाकर वो ही रहती।।
कहे विनायक राज,देख मन मेरा भरता।
नारी रूप निहार,लगे कितनी सुंदरता।।

(4) गजरा 
साजे  गजरा केश  में, सुन्दर  लागे  रूप।
सबके मन को मोहती, रंक भले या भूप।।
रंक  भले  या  भूप, सभी  होते  दीवाना।
वेणी सुन्दर होय, नाग सी  हमने जाना।।
कहे विनायक राज, केश में नागिन राजे।
लहराती जब चाल,सोहती गजरा साजे।।


बोधन राम निषादराज"विनायक"
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)
[17/12 6:18 PM] सरला सिंह: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुंडलियाँ शतकवीर हेतु*

17.12.19
दिन - मंगलवार
विषय -काजल 
विधा-कुंडलियां

काजल ते काले भये,सखी नयन हैं आज।
माथे पर चमके बिंदी, सजी आंख में लाज।
सजी आंख में लाज, लगे गोरी बहु भोली।
करत संभल के बात,सभी की वो हमजोली।
कहती सरला आज, सखी साजन हित पागल।
चहुंदिशि ढ़ूंढै पीय,बहे अखियों से‌ काजल।

*कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुंडलियाँ शतकवीर हेतु*

17.12.19
दिन - मंगलवार
विषय -गजरा
विधा-कुंडलियां

  गजरा बालों में लगा , सजा महावर पांव,
  गोरी झूमति है चली,अरी‌ कौन से गांव।
  अरी कौन से गांव, कहां की है तू गोरी,
  बोलत मुख ते नाहिं, करे काहे मुंहजोरी।
  कहती सरला बात,चली पनघट ले गगरा,
  सभी सहेली साथ,लगा बालों में गजरा।।

डॉ सरला सिंह स्निग्धा
दिल्ली
[17/12 6:25 PM] डा कमल वर्मा: कुंडलियाँ शतक वीर के लिए, 17-12-19
कुंडलियाँ।🙏🏻
विषय 1)काजल🌹
नैना काजल आंज के, कर सोलह सिंगार, 
तकती राधा आ रहें,कान्हा मेरे द्वार। 
कान्हा मेरे द्वार,अभी तो सूनी राहें। 
  मनवा करत पुकार,कृष्ण को तकें निगाहें। 
 कमल कहें तू भूल,सजन के झूठे बैना,                        
 काहें दिल तड़पाय,नीर बरसायें नैना।। 
डॉ श्रीमती कमल वर्मा। 
कुंडलियाँ 
विषय 2) गजरा🌹
गेसूं मेरे बांँध दे,गजरा संग सजाय। 
आते होंगे प्रिय अभी,कैसे देर लगाय? 
कैसे देर लगाय,बात थी प्रिय आवन की। 
देखों बीत न जाय,सखी यह ऋतु सावन की। 
कहे कमल मत सोच, पोछ ले सजनी आसूँ। 
 मैं सवार के केश, बांध दूंँ तेरे गेसूं।। 
डॉ श्रीमती कमल वर्मा। 🙏🏻
[17/12 6:54 PM] बाबूलाल शर्मा बौहरा: 👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀
~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा

कलम की सुगंध छंदशाला 

कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु

दिनांक - 16.12.19

कुण्डलियाँ (1) 
विषय- काजल
,                👀👀
भाता  भारत  मात को , रक्षा  हित  बलिदान।
बिँदिया काजल नारि को,सदा सुहाग निशान।
सदा  सुहाग   निशान, रहे  होठों  पर   लाली।
कुमकुम  से  भर  माँग, सजे  नारी  मतवाली।
शर्मा   बाबू   लाल , मान   हर   नारी   माता।
भारत माता  सहित, मात का यश गुण भाता।
,               👀👀


कुण्डलियाँ (2) 
विषय- गजरा
,                    👀👀
धरती दुल्हन सी सजी, हरित पीत परिधान।
शबनम चमके  भोर में, भारत  भूमि महान।
भारत भूमि महान, ताज हिम का जो पहने।
पर्वत खनिज पठार,सरित वन सरवर गहने। 
कहे लाल  कविराय, नारि  गजरे से सजती। 
हिम से  निकले धार, नीर से सजती  धरती।
,                  👀👀


रचनाकार का नाम-
✍©
बाबू लाल शर्मा, बौहरा
सिकंदरा,दौसा,राजस्थान
👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀
[17/12 6:57 PM] रजनी रामदेव: शतकवीर प्रतियोगिता हेतु
17/12/2019::मंगलवार

(1)--काजल---
काजल वारे नैन सों, गोरी करे प्रहार।
मन भँवरा घायल हुआ, नैना बने कटार।।
नैना बनें कटार, करें थोड़ी मनमानी।
लगते हैं वाचाल, मूक बन कहें कहानी।।
मनवा हो बेहाल, उड़े है बनकर बादल।
गोरी करे कमाल, लगा लेती जब काजल।।

(2)-- ग़ज़रा--
वेणी ग़ज़रा गूँथते, श्याम करें मनुहार
दर्पण लेकर राधिका, उनको रही निहार।।
उनको रही निहार , न देखत है छवि अपनी
मंद मंद मुस्काय , हिले तब मुख पर नथनी।।
श्याम राधिका साथ, प्रेम की बहे त्रिवेणी।
तीन लोक के नाथ, गूँथते ग़ज़रा वेणी।।
                    रजनी रामदेव
                       न्यू दिल्ली
[17/12 6:58 PM] अनुराधा चौहाण मुम्बई: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु*
*दिनाँक--17/12/19*

(1)
*विषय--काजल*
*काजल*
चूड़ी से बिँदिया कहे,तू क्यों देती साज।
तेरी खन खन में बसे, नारी मन का राज।
नारी मन का राज।लगाती काजल बिँदिया। 
सजती जब ये नार,चुराती हैं यह निँदिया।
कहती अनु सुन आज,बनाओ हलवा पूड़ी।
साजन आए द्वार, खनक-खनकें है चूड़ी।

(2)
*विषय--गजरा*
*गजरा*
महके बालों में लगे,गजरा जूही आज।
झुमके कानों में सजे,कँगना चूड़ी साज।
कँगना चूड़ी साज,पहनती चूनर सारी।
कर सोलह श्रृंगार,लग रही सुंदर नारी।
कहती अनु यह देख,खुशी से सखियाँ चहके।
लटका लट में आज,जुही का गजरा महके।
*अनुराधा चौहान*
[17/12 7:01 PM] सरोज दुबे: 17-12-19
काजल 
नारी काजल से सजे, नैनों की है शान l
चाहे जितना भी सजे, पर फीकी मुस्कान ll
पर फीकी मुस्कान, बुरी नजर से बचाती l
एक यही श्रृंगार, नयन नार के  सजातीl 
कहती सुनो सरोज, कहे दुनिया ये सारी  l
काजल का श्रृंगार, लगे सुन्दर हर नारी  

सरोज दुबे 
🙏🙏
[17/12 7:01 PM] सरोज दुबे: गजरा -17-12-19
गजरा हाथों बाँध के, मुँह में लेकर पान l
कोठे पर हैं बेचते, दानव नन्ही जान l
दानव नन्ही जान, सदा खुशबू को मसले l
गजरा बिना जुबान, कली का भँवरा रसले l
कहती सुनो सरोज, तृप्त करता ज्यूँ बजरा ll
इसके रूप अनेक, सजे बालों में गजराll 
सरोज दुबे 
🙏🙏
[17/12 7:12 PM] घनेश्वरी देवांगन 'धरा': *कुँडलिया शतक वीर  हेतु*

कुँडलिया (3)

*विषय------काजल*

काजल माथे में लगा , बन जा खुद तू ढाल ।
नजर बुरी जो उठे ,  फिर ले जला मशाल ।।
फिर ले जला मशाल, धधकती जो चिंगारी ।
फूल नहीं अंगार ,   शुरू कर दे तैयारी ।।
नारी की आवाज , बुरी नजरें कर घायल ।
हैवानों को भस्म ,  लगा के माथे काजल ।।

कुँडलिया  (4)
*विषय------------गजरा*

गजरा  बेचे राह  में ,  चुन- चुन कर वो फूल ।
निर्धन अनपढ़  बेबसी , चुभते बनके शूल ।।
चुभते बनके शूल‌ ,  अशिक्षा है बीमारी ।
सहती पीर अबोध ,  दर्द सहना लाचारी ।।
करती धरा सवाल , बहे क्यूँ निशदिन कजरा ?
देकर पैसे चंद  ,   खरीदे कोई गजरा ।।


*धनेश्वरी देवांगन धरा*
*रायगढ़, छ.ग.*
[17/12 7:12 PM] पुष्पा विकास गुप्ता कटनी म. प्र: कुण्डलिया शतकवीर हेतु

दिनाँक -17.12.19

कुण्डलिया (3)

*काजल*

लगती तेज कटार सी, यह काजल की कोर।
नभ से उतरी अप्सरा, देख रही किस ओर।।
देख रही किस ओर, बता दे हे मृगनयनी।
रूपवती  हो  कौन,  परी  या जादूगरनी।।
कभी मिलाए नैन, कभी नजरों से ठगती।
यह काजल की रेख, तीर सी सीने लगती।।

कुण्डलिया (4)

*गजरा*

गजरा वेला फूल का, महके सारी रैन।
जूड़े ऊपर है सजा, करता मन बेचैन।।
करता मन बेचेन, नजर कब इससे हटती।
ताक  रहे  दो नैन, रैन मुश्किल से कटती।
करो प्रणय स्वीकार, बनूँ आँखों का कजरा।
बाँधू  अपने  हाथ, केश  में  तेरे गजरा।।

रचनाकार का नाम- पुष्पा गुप्ता "प्रांजलि"
[17/12 7:21 PM] आशा शुक्ला: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
 दिनाँक-17:12:1019
विषय: काजल,गजरा


(1)
विषय-काजल


काजल नैनों में लगा, प्रिया छिपी जा ओट।
 तिरछी चितवन से करें, सीधे मन पर चोट ।
सीधे मन पर चोट, नैन उसके कजरारे।
 करें प्रेम की बात,मधुप ,नैनों से हारे
जागी पूरी रैन, आस मिलने की पल-पल।
छीने पिय का चैन,प्रिया का गहरा काजल।


(2) विषय- गजरा


महका गजरा देख के, जियरा गया लुभाय।
जूही बेला की कली,  मनवा को ललचाय।
मनवा को ललचाय, बड़ा सुंदर यह गहना ।
फूलों का रस रंग, सजी वेणी क्या कहना।
कह आशा ये बात,लगा कजरा मन बहका
भरे हिया में प्रीत, लगे जब गजरा महका।

आशा शुक्ला
[17/12 7:26 PM] सुकमोती चौहान रुचि: कुण्डलियाँ

3.  *काजल*

काजल  आँजे  नैन  में,गोल मटोल कपोल।
मीठी मिश्री  से  मधुर,लगते जिनके बोल।
लगते  जिनके  बोल ,रिझाये सबके मन को।
करके  तर्क  वितर्क , हिलाते निज आनन को।
कहती रुचि करजोड़,धन्य यशुमति का आँचल।
कृष्ण  लुकाये  पोंछते, स्वयं नैनों का  काजल।


4.   *गजरा*

गजरा बालों में सजा,सिर पर चुनरी छोर।
हाथों में  चूड़ी पहन,नार बने चितचोर।
नार  बने  चितचोर ,सजाती  राधा रानी।
सोहे  बिंदी  लाल , गात में साड़ी धानी।
कहती रुचि करजोड़,देखने आये बदरा।
लचक लचीली चाल,सजा बालों में गजरा।

✍ सुकमोती चौहान "रुचि"
बिछिया,महासमुन्द,छ.ग.
[17/12 7:26 PM] वंदना शर्मा: कुण्डलिया शतकवीर 16/12/12

वेणी

वेणी में गजरा लगा, चली नवेली नार।
मंथर गति मनमोहिनी, नयनन कजरा धार।
नयनन कजरा धार,बाल नागिन सम लहरे।
अधरों पर मुस्कान, लालिमा बनकर गहरे।
करें केश विन्यास,साज की उत्तम श्रेणी।
लहर लुभाती खूब, तिलिस्मी होती वेणी।

कुमकुम

चुटकी भर की लालिमा,भर अखण्ड सौभाग्य।
मस्तक पर जब राजती, गर्वोंनत हों भाग्य।
गर्वोंनत हो भाग्य,सहस दल नीरज खिलता।
विरही आत्म स्वरूप,परम् पति से जा मिलता।
जर्जर भया शरीर,औषधी है बस कुटकी।
भर दो मस्तक बीच,लाल कुमकुम की चुटकी।

वन्दना शर्मा 'वृन्दा'
अजमेर

17/12/19
शतकवीर कुण्डलिया
*काजल*

काजल कुमकुम आलता,सजे महावर लाल।
अगणित तिय श्रृंगार है, बेंदी शोभित भाल।
बेंदी शोभित भाल,सुहागन वह कहलाती।
रिक्त हृदय में प्रीत,ऋतु अर्धांगिनी लाती।
अगहन में फल देय,प्रिया तुम ऐसा राजल।
वशीकरण सा मंत्र,खींचता तेरा काजल।

राजल-अगहन में पकने वाला धान


2  *गजरा*

गजरा फिर से बाल में,चलो सजा दूँ आज।
सुनो ढूँढ़ लायें वही,प्रेम प्रीत के राज।
प्रेम प्रीत के राज,न जाने कहाँ खो गए।
इक घर में अनजान,अकेले अभी हो गए।
रंग अधर पर लाल,आँख का बनकर कजरा।
महकूँगा दिन रात,मोगरे का हो गजरा।।

वन्दना शर्मा'वृन्दा
अजमेर
[17/12 7:27 PM] अनंत पुरोहित: *कलम की सुगंध छंदशाला* 

*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु* 

*दिन मंगलवार 17.12.2019* 

 *1) काजल*
काजल से है सुरमयी, मृगनयनी के नैन
इन नैनों में डूब के, प्रेमी खोया चैन
प्रेमी खोया चैन, प्रीत मन झूले झूला
विद्युत सी मुख कान्ति, देख कर सुध-बुध भूला
कह अनंत कविराय, बाल हैं जैसे बादल
हो जाती है रात, लगा ले जब वह काजल

 *2) गजरा* 
गोरी इत-उत डोलती, गलियों को महकाय
गजरा कलियों से बना, वेणी में लटकाय
वेणी में लटकाय, भ्रमर प्रेमी ललचाया 
झटकी गजरा नार, देख प्रियतम मुस्काया
कह अनंत कविराय, लली मृगनयनी छोरी
मधुकर भरता आह, देख मुस्कायी गोरी 

 *रचनाकारः* 
अनंत पुरोहित 'अनंत'
सादर समीक्षार्थ
[17/12 7:28 PM] चमेली कुर्रे: कलम की सुगंध छंदशाला 
*कुण्डलियाँ शतकवीर*

दिनांक- १७/१२/१९
कुण्डलियाँ- (3)
विषय- *काजल*

फैली *काजल* आँख पर,बहे आँख से नीर ।
नमी धरा की देख कर, उठे हृदय में पीर ।।
उठे हृदय में पीर, न जाने कितनी रोती।
बहे गंग की धार , मैल मन का यूँ धोती ।। 
सुवासिता मासूम, हुई है गंगा मैली । 
यमुना का क्या दोष, घटायें नभ में फैली।।

कुण्डलिया-(4)
विषय- *गजरा*

ला दो *गजरा* तुम पिया, कर लू मैं श्रृंगार। 
डोर पिरो ले प्रेम की , महक जाय घर द्वार।। 
महक जाय घर द्वार, बाग की वो सब कलियाँ। 
रहे सुगंधित गाँव , रहें हँसती सब गलियाँ।। 
देख चमेली फूल, राग खुशियों के गा दो ।
मनमोहक हो रूप, फूल ऐसा तुम ला दो।।
🙏🙏🙏
✍चमेली कुर्रे 'सुवासिता'
जगदलपुर (छत्तीसगढ़)
[17/12 7:33 PM] अभिलाषा चौहान: *कलम की सुगंध छंदशाला*
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*कुण्डलियां शतकवीर हेतु*
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दिनांक-१७/१२/२०१९

*कुण्डलियां(३)*


*कजरा*

भोली सी वह नायिका,चंचल उसके नैन।

आनन पंकज सा लगे,छीने दिल का चैन।

छीने दिल का चैन,आंख में काजल डाले।

मीठे उसके बोल, हुए हैं सब मतवाले।

कहती 'अभि' निज बात,चढ़ी है जब वह डोली।

भीगे सबके नैन,चली जब पथ पे भोली।

*कुण्डलियां(४)*
   *गजरा*

चंचल चपला सी लली,खोले अपने केश।

मुख चंदा सा सोहता,सुंदर उसका वेश।

सुंदर उसका वेश,चली वो लेकर गजरा।

देखा उसका रूप,आंख से दिल में उतरा।

कहती अभि निज बात,मचा है हिय में दंगल।


देख सलोना रूप,प्रेम में तन-मन चंचल।

अभिलाषा चौहान
सादर समीक्षार्थ 🙏🌷
[17/12 7:46 PM] डॉ मीता अग्रवाल: कुंड़लिया  शतकवीर हेतु सादर  
                *3   कजरा** 

सोहे बाण कटार सी,नैनन कजरा धार।
कजरारी अखियाँ करें, प्रियतम से मनुहार ।
प्रियतम से मनुहार,चषक नीलम सी प्याली।
बतिया नैनो बीच, लाज ते मुख पे लाली।
शरमाई सकुचाय,नैन ही डगमग जोहे।
घटा घनेरी चाह,छिपाये कजरा  सोहे।


                 *4*गजरा** 
गजरा भर कर टोकरी,चली राह धर आस।
बेच चार पैसे मिले,पहुंचे माँ के पास।
पहुंचे माँ के पास,तके है माँ बेचारी।
चुन कर गजरा फूल,बताती है लाचारी।
कहती मधुर विचार,  बहे नैनो से कजरा।
अनपढ़ है लाचार,कमाई है ये गजरा।

मीता अग्रवाल मधुर रायपुर छत्तीसगढ़
[17/12 7:56 PM] प्रतिभा प्रसाद: *शतक वीर सम्मान हेतु*
*कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुण्डलियाँ प्रतियोगिता*
विषय  *काजल*
दिनांक  *17.12.19.......* 

(03)           *काजल*

आँखों में काजल लगा , सुंदर लगती नार ।
कौतुहल से झांक रही , लिय यौवन का भार ।
लिय‌ यौवन का भार , दुलारी जिम्मेदारी ।
पाँव फिसले न कभी  , हाँ देते होशियारी ।
कह कुमकुम करजोरि ,  रहेगी निज बाँतों में ।
घर की है सम्मान , लगाती काजल आँखों में ।।


(04)            *गजरा*

बाँलों‌ में  गजरा लगा , झाँक रही है गेह‌ ।
साजन से है माँगती , हाँ अपने लिय नेह‌ ।
हाँ अपने लिय नेह , सदा तुम्हीं से पाना ।
है दिल का अरमान , प्यार देने तुम आना ।
कम कुमकुम करजोरि , स्नेह गुलाबी गालों में ।
केश कला यूँ तोल , लगा गजरा बालों ‌में‌ ।।


🌹 *प्रतिभा प्रसाद कुमकुम*
       दिनांक  17.12.19....


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[17/12 8:08 PM] विद्या भूषण मिश्र "ज़फ़र": *कुंडलिया शतकवीर प्रतियोगिता*
*दिनांक--१७/१२/१९, मंगलवार।*
~~~~~~~~~~~~~~
*३- कुंडलिया-काजल!*
~~~~~~~~~~~~~~
सुंदर मुख मंडल मुदित, नैनन काजल डारि।
प्रियतम से मिलने चली, मंंथर गति सुकुमारि।
मंथर गति सुकुमारि, अधर पर सोहे लाली।
बिंदी चमके भाल, कमर पर चोटी काली।
झुकी लाज से आंख, चाल हिरनी सी चंचल।‌
दमकें गौर कपाल, लाल, सुंदर मुख मंडल।।
~~~~~~

*४ -कुंडलिया- गजरा--*
~~~~~~~~~~~~~~
गजरा फूलों का लगा, चोटी ली लटकाय।
बिंदी चमकी भाल पर, कुमकुम दिया लगाय।
कुमकुम दिया लगाय, सुगंधित है घर सारा।
द्वारे बंदनवार, लगे मन को अति प्यारा।
राह तके सुकुमारि, सजा आंखों में कजरा।
मुख पर चमके प्यार, केश में सोहे गजरा।।
~~~~~~~~~

*--विद्या भूषण मिश्र "भूषण"--बलिया, उत्तर प्रदेश!*
[17/12 8:14 PM] केवरा यदु मीरा: शतक वीर- सृजन 

17-12-19

काजल 

काजल नित ही आँजती, मन मोहन को माय।
कहती मेरे लाल को, नजर नहीं लग जाय ।।
नजर नहीं लग जाय, मात मन में घबराती ।
मुखड़ा चूमे जाय, श्याम पर वारी जाती ।
लाला मेरा छौन,देख ओढ़ाती आँचल ।
जादू वाले नैन, लगाती मैंया काजल ।।

गजरा  - शतक वीर 

गजरा बालों में लगा, चली मटकती चाल ।
देख रहे हैं साजना, जूड़ा आज कमाल ।।
जूड़ा आज कमाल, बड़ी लगती हो प्यारी ।
नैना तीर कमान, चलाती आज कटारी ।।
कहती मीरा आज,लगादो नैनन कजरा ।
सज सोलह श्रृंगार, लगादो साजन गजरा ।।

केवरा यदु "मीरा "
राजिम
[17/12 8:16 PM] सतविंद्र कुमार राणा सृजन: कुण्डलिया शतक वीर के लिए 17-12-2019

विषय : *काजल* 


काजल की है कोठड़ी, राजनीति लो जान
हर पल रहती ताक पर, जिसमें अपनी आन
जिसमें अपनी आन, बुराई को है पकड़े
कोमल रखो स्वभाव, रहो मत साहब अकड़े
सतविंदर कह कार्य, ध्यान सह जाता है चल
बुरी नज़र से दूर, तभी रख पाता काजल।

*गजरा*


धागा मेरे प्रेम का, पुष्प हृदय के भाव
डेली जिनसे है भरी, लाया चुन सह चाव
लाया चुन सह चाव, बुनूँगा गजरा प्यारा 
खूब खिले सिंगार, सदा ही सुनो तुम्हारा
सतविंदर कह भाव, यही अब मन में जागा
सदा-सदा का बंध, बने प्रेम-रूप  धागा।

©सतविन्द्र कुमार राणा
[17/12 8:20 PM] राधा तिवारी खटीमा: कलम की सुगंध छंदशाला
कुंडलियाँ शतकवीर हेतु 
दिनांक -17/12/19

काजल (3)

काजल आँखों पर लगा, नैन रही मटकाय।
देख सजन को सामने, गोरी भी इठलाय।।
 गोरी भी इठलाय, झुका वो नैना बोले।
  मुस्काती वो आय, सजन सम्मुख वो डोले।
 कह राधे गोपाल, सजन को देखे हरपल।
 नैन रही मटकाय, लगाकर वो तो काजल।।

गजरा (4)

लेके गजरा हाथ में, साजन जी मुस्काय।
 सजनी जी के बाल पे, पिन से वो अटकाय।।
पिन से वो अटकाय, करे वो बातें मन की।
 सोनी सी हो नार,अरे मेरे जीवन की।
 कह राधे गोपाल, लुभाओ कजरा देके।
 जाओ साजन धाम, सदा तुम गजरा लेके।।

©राधा तिवारी "राधेगोपाल"
खटीमा 
उधम सिंह नगर 
उत्तराखंड
[17/12 8:26 PM] कमल किशोर कमल: नमन
17.12.2019

कुंडलियॉ शतकवीर हेतु

3-कजरा

कजरा आँखों में लगा,गोरी चली विहार।
लचक कमर मटके बहुत,भौंहें तनी कटार।
भौंहें तनी कटार,गुलाबी साड़ी पहने।
कंगन बिछिया हार,कान में झुमकी गहने।
कहे कमल कविराज,वेणि में बॉधे गजरा।
पहुॅच गई बाजार,लगाकर काला कजरा।

4-गजरा

गोरी गजरा बाल में,बाँध चली ससुराल।
पिया मिलन सपने लिए,हिया जिया खुशहाल।
हिया जिया खुशहाल,सोंचती नभ के तारे।
हरी धरा कचनार,फूलते गेंदा न्यारे।
कहे कमल कविराज,गॉव की अनुपम छोरी।
सुंदर लिए विचार,सोहता गजरा गोरी।

कवि-कमल किशोर "कमल"
        हमीरपुर बुन्देलखण्ड।
[17/12 8:42 PM] इंद्राणी साहू साँची: कलम की सुगंध छंदशाला

कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु

दिनाँक -17 /12/19
कुण्डलिया (1)
विषय - काजल
**************
मंगल करती कामना ,
             काजल तिलक लगाय ।
बुरी शक्तियों को भगा ,
                     माता प्रेम लुटाय ।
माता प्रेम लुटाय ,
              रंग काला अति पावन ।
काजल नयन सजाय ,
              नार लगती मन भावन ।     
सोहे नयनन माथ ,
                लगे जैसे शुभ संदल ।     
सजे सुहागन आँख ,
               करे जीवन में मंगल ।।
                     ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
कुण्डलिया (2)
विषय - गजरा
****************
गजरा फूलों से बना ,
                देवी माँ को भाय ।
अद्भुत सौरभ हृदय में ,
             पावन भक्ति जगाय ।
पावन भक्ति जगाय ,
             बने जीवन सुंदरतम ।
गजरा नार लगाय ,
         लुभाती है मन प्रियतम ।
चंचल नयन कटार ,
            सजी है सुंदर कजरा ।
जैसा जिसका भाव ,
                लगे है वैसा गजरा ।।

************************************
✍️इन्द्राणी साहू "साँची"✍️
   भाटापारा (छत्तीसगढ़)
★★★★★★★★★★★★★★★★★
[17/12 9:00 PM] प्रमिला पाण्डेय: कुंडलियां शतकवीर
 मंगलवार/17-12-19
   विषय-काजल/गजरा
       नैना दोऊ कमल हैं , काजल सोहे कोर।
  मोर मुकुट है शीश पर,  वृंदावन भयो शोर।
 वृंदावन भयो शोर ,  मिले नहि गोकुल कान्हा।
   मधुवन खोजत फिरै,  ग्वाल कह कान्हा-कान्हा।
  कह प्रमिला कविराय, आय नहि मन को चैना।
 इत उत ढूंढ़त श्याम,   सखि अब वांवरे नैना।।


(2) गजरा
  चुन- चुन लाये एक दिन,  फूल अनेक प्रकार।
अपने हाथों से किया ,प्रभु ने फिर श्रृंगार।।
 प्रभु ने फिर श्रृंगार ,  दिया नैनों में कजरा।।
   करन फूल गल हार,    शीश वेणी   पे गजरा।।
  कह प्रमिला कविराय,  गा  रहे भौंरे गुन-गुन।
  लाते हैं नित फूल , लखन भैया भी चुन -चुन।।

 प्रमिला पान्डेय
[17/12 9:03 PM] गीतांजलि जी: *शतकवीर कुण्डलिया - दिवस २*
===================
*काजल*

नयनन में काजल भरा, सिर पर घूँघर केश।
रूप सलोना सज रहा, श्यामल शांत विशेष।।

श्यामल शांत विशेष, पहिरे तन पीले वसन।
जमुना जल के तीर, करते हैं कान्हा रमन। 
मुरली का मृदु गीत, मोह रहा गोपियन मन। 
पुलकित पावन नीर, बरस रहा सखी, नयनन।

===================
*गजरा*

चुन चुन कलियाँ अधखिली, शुचि शुभ सुरभित वास। 
आया है अंजुल भरे, बालक माँ के पास। 

बालक माँ के पास, कहे दो गजरा इक बुन। 
जिन जिन वर्ण श्वेत, परख पिरोइये उन उन।
पाकर मादक गंध, गाए भँवरा गुन गुन।
मिष्ठ मकरंद पान, कर रहा बैरी चुन चुन। 
===================
*गीतांजलि ‘अनकही’*
[17/12 9:08 PM] कैलाश चंद्र प्रजापति 'सुमा': सादर नमन मंच..🙏🏾🙏🏾🌹
कलम की सुगंध छंदशाला

*कुंडलियाँ शतक वीर प्रतियोगिता हेतु सादर प्रेषित...*
(16/12/2019 से 17/12/2019)

दिनांक:-16/12/2019
विषय:- वेणी/कुमकुम
विधा कुंडलियाँ

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*१.* *वेणी*

बालों की वेणी सजा, नयन होठ अरु गाल।
कानों में झुमके लगा, चली मटकती चाल।।
चली मटकती चाल, सजाकर नथनी प्यारी।
सितारानी पहन, बनी है राज दुलारी।।
कहे 'सुमा' कविराय, सजी है विनिता श्रेणी।
गजरा से ही खूब, सजे बालों की वेणी।।

*२.* *कुमकुम*

सजनी सजने को चली, सजन हेतु रख प्यार।
बिंदी कुमकुम चमकती, माथे का श्रृंगार।।
माथे का श्रृंगार, लटकती कानों बाली।
कजरा, गजरा खूब, लगी होठों पर लाली।।
कहे 'सुमा' कविराय, लगे ज्यों चन्दा रजनी।
ऐसे चमकी आज, बहुत मेरी ये सजनी।।
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दिनांक:-17/12/2019
विषय:- काजल/गजरा
विधा:- कुंडलियाँ

**********************************
*१.* *काजल*

अबला रहना छोड़ दो, करो हिम्मती काज।
बहते काजल की सुनो, कौन बचावे लाज।।
कौन बचावे लाज, छलें अब चलती नारी।
माता बहना आज, सताते बेटी प्यारी।।
कहे 'सुमा' कविराय, बनो अब तुम भी सबला।
बदलो अब इतिहास, मिटा दो अब तो अबला।।

*२.* *गजरा*

नारी तो सुंदर लगे, करने से श्रृंगार।
गजरा बालों में रखे, पिया हेतु जो प्यार।।
पिया हेतु जो प्यार, सजावे बिंदी प्यारी।
काजल लाली लगे, नाक में नथनी  न्यारी।।
झुमके सजते कान, गले में है गलसारी।
रखन चूँप से दांत, रखे जो सुंदर नारी।।

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अप्रकाशित/मौलिक/स्वरचित
रचनाकार
प्रजापति कैलाश 'सुमा'
मेहन्दीपुर बालाजी, दौसा राजस्थान।

देरी के लिए क्षमा प्रार्थी🙏🌺
[17/12 9:14 PM] रवि रश्मि अनुभूति: 9920796787****रवि रश्मि 'अनुभूति '

*कुण्डलिया शतकवीर हेतु*

कुण्डलिया छंद 
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1 ) काजल 
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नैनों में काजल सजे , सुन्दर नैना आज ।
कुण्डल झूमें बोलते, अब नैनों में लाज ।।
अब नैनों में लाज, इत उत डोले गोरी ।
छवि साजन जो देखता , कहे वो हाँकी छोरी ।।
जादू कितना छाय , सुनो जो इन बैनों में  ।
जादू छाया हाय , सजे काजल नैनों में   ।।
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कुण्डलिया छंद 
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2 ) गजरा 
**********
गजरा देखो घूमता , बालों लिया लगाय । 
कमुदिनी की है ख़ुशबू , महक महकती जाय ।
महक महकती जाय , सुगंधी कितनी प्यारी ।
गजरे के ये फूल , लगाती है हर नारी ।
कहती गोरी आज , लगा नैनन में  कजरा ।
खाती गोरी भाव , लगा बालों में गजरा ।।
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(C) रवि रश्मि 'अनुभूति '
17.12.2019 , 6:35 पी.एम. पर रचित ।
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[17/12 9:33 PM] पाखी जैन: कुंडलिया शतकवीर हेतु 
दिनांक -16/12/2019
विषय --वेणी ,कुमकुम 

[12/17, 14:08] Manorama Jain: कुंडलिया ,शतकवीर हेतु प्रयास 🙏🏻🙏🏻
विषय -वेणी ,कुमकुम 
दिनांक -16/12/2019

1--वेणी 

वेणी ..(चोटी)
बालों वेणी गूंथ के ,चल दी दुल्हन आज 
साजन से वादा किया ,करती माता नाज
करती माता नाज,सिखाती धीरज धरना
करके सारे काम ,बताती गौरव करना ।
करके वह श्रृंगार ,लगे है  सुंदर बोलो 
सजा रही माँ  मांग ,लगाती वेणी बालों.
पाखी 
कुंतल -बाल 
वेणी -गजरा
16/12/2019



2--कुमकुम...
कुमकुम चमके भाल पे,देता मुख चमकाय ।
नयनों में अंजन लगा ,देख पिया मुस्काय।

देख पिया मुस्काय,करे नैनों से बातें
दिवस सुनहरे लगे,चाँद सी चमकी  रातें ।

शोभित बिंदी भाल,सजाती सजनी  चुन चुन 
मन मोहे सिंदूर  , लगाते सजना  कुमकुम।

मनोरमा जैन पाखी 
16/12/2019



3---काजल 


काजल पर ....
कुंडलिया छंद का प्रयास 🙏🙏

कजरारे इन नैन के ,कैद जाल में आज ।
तिरछी चिवनन देख कर,भुला दिये सब काज ।
भुला दिए सब काज ,नयन  देखे कजरारे।
बजता दिल का साज,हम्हीं काजल से हारे ।
जागूँ सारी रैन ,पिया-छवि जाऊँ वारी। 
छीने मन का चैन,सदा अँखियाँ कजरारी ।
पाखी
17/12/2019

4--गजरा..

जूड़ा तो ऐसा  बँधा ,जैसे गोभी-फूल 
केश सजा गोरी चली ,गजरा फूल-बबूल 
गजरा  फूल -बबूल, चले तनती, इतराती।
दिखता ऊल-जलूल,हाय होठों पर आती॥
पाखी भर उर प्यार, कहे सिर बाँध न कूड़ा।
 लो गजरे का हार, न बाँधो ऊँचा जूड़ा।
मनोरमा जैन पाखी
17/12/2019
[17/12 9:39 PM] वंदना सोलंकी: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुंडलियाँ  शतकवीर हेतु*
17.12.19 मंगलवार
3)
*विधा-कुंडलियां*
*विषय-काजल*

गोरी इठलाकर चली,
पुलक पिया के पास।
नैनों में काजल सजे,
पिया मिलन की आस।
पिया मिलन की आस,
सजन अब पास बुलाये।
कैसे आये पास,
लाज  गोरी को आये।
मूंद कर चली पलक,
लाज की तोड़ी डोरी।
आज मिलन की घड़ी,
मिली साजन से गोरी।

4)

गजरा*

गजरा महका केश मे,
पिय के मन को भाय
प्रीतम तेरे प्यार में,
सुधबुध गई भुलाय
सुधबुध गई भुलाय,
सुनो जी सजना प्यारे
तेरा साथ जो पाऊं
भूल जाऊँ दुख सारे
कह वन्दू इक बात
जरा सा दिल है बहका 
पिया हुए मदहोश
केश में गजरा महका।।

*वंदना सोलंकी*
[17/12 9:44 PM] डॉ मीना कौशल: संशोधित
वेणी सोहै शीश पर ,सुमुखि सुलोचनि नारि।
मुखमण्डल आभा सुखद,लालन वदन निहारि।।
लालन वदन निहारि, सदा सुख शोभित नारी।
सबके सुख में सुखी,रहे नारी बेचारी।।
गंगा यमुना सरस्वती,है अक्षि त्रिवेणी।
शोभा निरखि निहाल,सुखद कटि तट है वेणी।।

कुमकुम छवि मस्तक सजे,भाग्यवती पहचान।
पूजा में रोली परम,सुखदायक गुणगान।सुखदायक गुणगान ,ध्यान चन्दन शुभ वंदन।
खुश होते भगवान ,श्रीहरि यशुदानन्दन।।
अक्षत रोली बिन्दु सुखद,है सुखमय संगम।
माथे पर से सदा,सुवासित रोली कुमकुम।।
डा‌‌ मीना कौशल
[17/12 9:45 PM] नीतू जी: *कलम की सुगंध छंदशाला*

*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु*

*दिनांक - 17.12.19*

*कुण्डलियाँ (3)*
*विषय :- काजल*

काजल नैनों में सजा , हैं घुँघराले बाल।
कान्हा की पायल बजे, चले ठुमकती चाल।।
चले ठुमकती चाल, छेड़ती सारी सखियाँ।
देख मनोहर रूप,खुशी से छलके अँखियाँ।।
माता के हैं प्राण , बाँवरी देखे हर पल।
लेती नजर उतार, लगाती मुख पर काजल।।


*कुण्डलियाँ (4)*
*विषय :- गजरा*

गजरा बालों में सजा, महक उठा घर द्वार।
राह पिया की देखती, कर सोलह श्रृंगार।।
कर सोलह श्रृंगार, कई पकवान बनाये।
करती वो हर काम,पिया के मन जो भाये ।।
देख नशे में चूर, बहा आँखों का कजरा।
लगता जैसे शूल, सजा बालों का गजरा।।

*रचनाकार का नाम :- नीतू ठाकुर*
[17/12 9:45 PM] संतोष कुमार प्रजापति: कलम की सुगंध छंदशाला 

कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु

दिनांक - 17.12.19

कुण्डलियाँ (3) 
विषय- काजल
==========

मेरा काजल नाम है, काले  तन  अभिमान l
बुरी  बलाएँ  टालता, माथे   लगा   निशान ll
माथे  लगा निशान, भवन नव काली हण्डी l
सदा  बचाऊँ  हाय, रहूँ  बनकर  मैं  चण्डी ll
कह 'माधव कविराय', सदन में सबके डेरा l
नयन   रूपसी  साज, बताये  रिश्ता   मेरा ll

कुण्डलियाँ (4) 
विषय- गजरा
===========

गजरा  सिर में  त्यों लगे, ज्यों तरु ऊपर मोर l
आकर्षित  सबको  करे, है  अनंग  का  जोर ll
है अनंग का जोर, महक अनुपम अति भीनी l
मन मचले दिल वेध, युवाओं  की मति छीनी ll
कह 'माधव कविराय', लगा  लोचन में कजरा l
चार चाँद  छवि देह, चिकुर  रमणी के गजरा ll

रचनाकार का नाम-
        सन्तोष कुमार प्रजापति 'माधव'
                    महोबा (उ.प्र.)
[17/12 9:47 PM] कुसुम कोठारी: कुण्डलियाॅ॑ 3

विषय-काजल

नयना काजल रेख है,और बिॅ॑दी है भाल
बनठन के गोरी चली,ओढ़ के चुनर लाल
ओढ़ के चुनर लाल ,नाक में नथनी डोली
छनकी पायल आज ,हिया की खिड़की खोली 
कैसी सुंदर नार,आंख लज्जा का गहना
तिरछी चितवन डाल , बाण कंटीले नयना ।।

कुसुम कोठारी।

कुण्डलियाॅ॑4
विषय-गजरा

सजधज नखराली चली,आज पिया के द्वार
बालों में गजरा सजे, नख शिख है शृंगार
नख शिख है शृंगार ,आंख में अंजन ड़ाला
कान में झुमर सजे  ,कंठ  शोभित है माला
पिया मिलन की आस, झुके झुके नैत्र सलज
सुंदर मुख चितचोर मृगनयनी चली सजधज।।

स्वरचित

कुसुम कोठारी।
[17/12 9:53 PM] आशा भारद्वाज: 1--
गजरा

बालों में गजरा सधे,बाँध चली है नार ।
पिया मिलन की आस में,बहे अश्रु की धार ।।
बहे अश्रु की धार,साजन की राह तकती ।
कटे समय अब कहाँ,हर पल यही बस कहती ।।
बरसा दो अब प्रीत,मिले है जैसे सालों ।
महके पुलकित शाम,बाँध गजरा से बालों ।।

2--

कुमकुम
माथे कुमकुम है सजी,नारी की पहचान ।
सुहाग रहे अमर सदा, मिला उसे वरदान ।।
मिला उसे वरदान,बना साथी जनमों का ।
वचन निभाते सात,भरे झोली मर्मों का ।।
लाली दमके माथ,लगाये प्रीत साधे ।
साजे सुंदर रूप,कुमकुम सजी है माथे ।।

3--

काजल

खिलती काजल आँख में,साजन के मन भाय ।
बुरी नजर से बचा के,जीवन हो सुखदाय।।
जीवन हो सुखदाय,छबि निहारती आइना।
मन ही मन बतियाय,करती अखंड कामना ।।
कह आशा कविराज,मनभावन संग मिलती ।
भौंहे है मटकाय,कजरारे नैन खिलती ।।

    आशा भारद्वाज
[17/12 9:56 PM] अर्चना पाठक निरंतर: कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
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दिनाँक -16/12/2019

कुण्डलियाँ

विषय

1-वेणी
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 वेणी लहराये जहाँ ,झूम रही है नार।
 इठलाती बल खा रही, सुंदर केश निहार।।
 सुंदर केश निहार, बने वेणी जब जूड़ा ।
 लगती अद्भुत नार, कभी बिखराये चूड़ा।।
 दिन दिन बढ़ता रूप, बने सुंदर तम श्रेणी।
  लगती ठंडी धूप ,गढ़ो लहराती वेणी।।
           ------------------------

2- कुमकुम 
    ------------
माथा चमके रंग से, कुमकुम तिलक लगाय।
 तेज बढ़े मुखड़ा खिले ,ऊर्जा तब मिल जाय।।
 ऊर्जा तब मिल जाय, भाल ओजस्वी पूरा ।
 प्रतिदिन कुमकुम धार्य, सदैव बढ़े ही नूरा।।
 हैं प्रसिद्ध वो आर्य, सुनो वैदिक शिव गाथा ।
 शुभ सदैव हो प्रात, सदा दमके हैं माथा।।

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अर्चना पाठक "निरंतर"
अम्बिकापुर
[17/12 9:57 PM] महेंद्र कुमार बघेल: कुण्डलियाॅ:-

*काजल*

आॅखों में काजल लगा,ओंठ गुलाबी गाल ।
अपना रूप सॅवार कर,नारी होय निहाल।
नारी होय निहाल , सदा वो सपना बुनती।
सही गलत को तौल,सरलतम मारग चुनती ।
अनुपम इनकी सोच,अलग दिखने लाखों में।
सजतीं हैं सब नार,लगा काजल आॅखों में।।

*गजरा*

गजरा को पहचानिए, इसमें खनिज पदार्थ।
गाजर की यह सहचरी ,सौ फीसदी यथार्थ।
सौ फीसदी यथार्थ, यही भोजन चौपाया।
वांच्छित पोषक तत्व, लवण अत्यंत समाया।
हो इसका उपयोग, नहीं ये कोई कचरा।
पशुधन का आहार, बने गाजर का गजरा।।

महेंद्र कुमार बघेल
[17/12 10:00 PM] अर्चना पाठक निरंतर: दिनाँक -17/12/2019

3-काजल
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  आँखों में  कजरा लगा ,लगते नैन कटार।
  चितवन है मधु गामिनी, छुप के देख अटार।।
   छुपके देख अटार, मटक रहती कजरारी।
   नजर हुई जब चार,झुकी कारी मतवारी।।
   लोगों की जब हाय,उड़े सशक्त पाँखों में।
    काजल भरके झाँक,नयन मृग सी आँखों में।।
        --------------------------------------

4-गजरा
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   बाला अब गजरा लगा, सादा केशर रंग।
   बनते पुष्पों  से भले, सज्जा अनुपम ढंग।।
   सज्जा अनुपम ढंग, चार चाँद  हैं लगाते ।
   मधुर बिखरती गंध, भाव ह्रदय में जगाते।।
   बोल "निरंतर" राज, केश लहराते काला।
   सुघर रखे व्यक्तित्व ,पूज्य बनती सब बाला।।

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अर्चना पाठक "निरंतर"
अम्बिकापुर

@kalam ki sugandh

6 comments:

  1. बहुत सुन्दर संकलन सर जी

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  2. बहुत ही शानदार रचनाएँ ...सभी रचनाकारों को इस शानदार सृजन की बहुत बहुत बधाई 💐💐💐💐

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  3. बहुत सुंदर संकलन 👌

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  4. बहुत ही लाजवाब कुण्डलियाँ...
    वाह!!!

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