Monday 11 November 2019

भाई दूज .... बंदना पंचाल

ना मांगू मैं सोना - चांदी
मांगू ना मैं कोई उपहार।
भाई दूज पर आना भैया,
बस करना इतना उपकार।

थाल सजाए बैठी हूं भैया,
कुमकुम, चावल ,मिठाई से।
करूंगी  मै ढेर सारी बातें,
अपने  प्यारे भाई से ।

अपने पलकों को बिछाकर
करूंगी तुम्हारा इंतजार।
भाई दूज पर आना भैया,
बस करना इतना उपकार।

मन से कामना करती बहना
जीवन में सदा खुशहाली हो।
दिन हो तुम्हारे ईद के जैसे,
 हर रात रोशन दिवाली हो ।

माता - पिता के जैसे ही
करते रहना  मुझको प्यार।
भाई दूज पर आना भैया,
बस करना इतना उपकार।

भैया तुम हो पिता की तरह
भाभी मां की परछाई है।
तुम सब की मुस्कान ने ही
बाबुल की बगिया महकाई है।

यूं ही हमेशा रहे महकता,
मेरे बाबुल का घर - द्वार।
भाई दूज पर आना भैया,
बस करना इतना उपकार।

                   बंदना पंचाल
                    अहमदाबाद

2 comments:

  1. भाई दूज की प्रेम रंगों को समेटे लाजवाब भावपूर्ण रचना ...
    दिल को छूती है नीतू जी ...

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  2. बहुत सुंदर 👌👌👌 बहुत बहुत बधाई 💐💐💐

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