Monday 3 February 2020

कुण्डलियाँ...माना , कहना

[03/02 6:01 PM] बाबूलाल शर्मा बौहरा: °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
•••••••••••••••••••••••••••••बाबूलालशर्मा
.           *कलम की सुगंध छंदशाला*

.           कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु

.              दिनांक - ०३.० २.२०२०

कुण्डलियाँ (1)
विषय-  *माना*
माना मानुष तन मिला, बल मन भाषा भाव!
मानवता  हित  कर्म  में, रखिये मीत लगाव!
रखिये मीत लगाव, मान  यह  जीवन नश्वर!
प्राकृत ही बस सत्य, नियंत्रक  हैं जगदीश्वर!
शर्मा   बाबू  लाल, गोल  पृथ्वी  यह  जाना!
जहाँ मिला सद् ज्ञान, उसी को परखा माना!
•.                  •••••••••• 
कुण्डलियाँ (2)
विषय-   *कहना*
कहना  बस मेरा यही, सुन नव कवि प्रिय मीत!
शिल्प कथ्य  भाषा सहित, रखें  भाव  सुपुनीत!
रखें  भाव  सुपुनीत, छंद  लिखना  कुण्डलियाँ!
सृजन धरोहर काव्य, उठे क्यों कभी अँगुलियाँ!
शर्मा   बाबू  लाल, समीक्षा  निज  हित  सहना!
अनुपम   लिखना   छंद, प्रभावी  बातें  कहना!
•.                     •••••••••
रचनाकार -✍©
बाबू लाल शर्मा,बौहरा
सिकंदरा,दौसा, राजस्थान
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[03/02 6:03 PM] रामलखन शर्मा अंकित: जय माँ शारदे

कुंडलियाँ

83. माना

माना उसने प्रगति के, चढ़े नए सोपान।
मुट्ठी में उसने किया, दुनिया का विज्ञान।।
दुनिया का विज्ञान, किन्तु खुद को ही भूला।
यह नश्वर संसार, और वह फिरता फूला।।
कह अंकित कविराय,रहा खुद से अनजाना।
कर्ता, कारण और, कर्म खुद को ही माना।।

84. कहना

कहना सुनना व्यर्थ अब, करो युद्ध की बात।
करता वो आघात जो, उसपर हो प्रतिघात।।
उसपर हो प्रतिघात, बात अब करना छोड़ो।
अपने पथ को शक्ति, शौर्य साहस से जोड़ो।।
कह अंकित कविराय,छोड़ दो पीड़ा सहना।
केवल युद्ध विकल्प, मान लो मेरा कहना।।

----- राम लखन शर्मा ग्वालियर
[03/02 6:04 PM] अटल राम चतुर्वेदी, मथुरा: *03.02.2020 (सोमवार )*

81-    माना
***********
माना गलती हो गयी, करें हमें अब माफ।
दूर करें शिकवे सभी, रख अपना दिल साफ।
रख अपना दिल साफ, गले से हमें लगाएँ।
हाथ हमारा थाम, हौसला आप बढ़ाएँ।
"अटल" करे जो काम, उसी को सबने जाना।
गलती उससे होय, जहां में सबने माना।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏


82-    कहना
***********
कहना मानें आप जो, गलती से बच जायँ।
मान रहे कायम सदा, आप बड़प्पन पायँ।
आप बड़प्पन पायँ, होय कम जिम्मेदारी।
जिस-जिस की लें राय, सभी की हिस्सेदारी।
"अटल" मान कर जीत, यही है सच्चा गहना।
अपनी जिद दे छोड़, मान तू सबका कहना।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏
[03/02 6:08 PM] आशा शुक्ला: कलम की सुगंध छंदशाला
कुंडलियाँ शतकवीर हेतु

(79)

विषय-चमका

दिनकर अब चढ़ने लगा, प्राची की दीवार।
छिन्न-भिन्न तम हो गया ,चमका सब संसार ।
चमका सब संसार, तरणि ने हर्ष बढ़ाया।
फेर धूप का हास,समूचा जगत खिलाया।
 किरणें रवि से मांँग ,लुटाता शशि निशि हंँसकर।
 कर परहित का काम ,चला अस्ताचल दिनकर।




(80)
विषय-गीता
गीता का यह सार है, अति पावन है ज्ञान।
 कर्म सतत करते रहो,देगा फल भगवान ।
देगा फल भगवान, निडर बनकर तुम रहना।
 कल का है क्या मोह , विनाश पतन का सहना।
बही रहेगी साथ, लिखा होगा सब बीता।
 कर्म करो निष्काम ,सँवारे  जीवन गीता।



(81)
विषय-माना
माना मैं अति मूढ़ हूँ,अल्प ज्ञान नादान।
 पर थोड़ा वर्णन करूँ, अतिशय सरस बखान।
अतिशय सरस बखान, कुपित रुठे गोपाला।
 मांँग खिलौना चांँद ,नहीं समझें नंँदलाला।
लख थाली में बिंब, चाहे चांँद को पाना ।
धन्य यशोदा मातु, बुद्धि को तेरी माना।



(82)
विषय-कहना

कहना है संसार का, जप लो हरि का नाम।
 सदा सत्य पालन करो , मिले ईश का धाम।
मिले ईश का धाम, इसमें कुछ और बढ़ा लो।
 सत्कर्मों के साथ, नेह की चमक चढ़ा लो।
 जीवन से कर प्यार, नित्य उमंग में बहना।
 मन में भर उल्लास ,वचन अमृत ही कहना।



रचनाकार- आशा शुक्ला
शाहजहाँपुर, उत्तरप्रदेश
[03/02 6:10 PM] बोधन राम विनायक: *कलम की सुगन्ध छंदशाला*
कुण्डलियाँ - शतकवीर सम्मान हेतु-
दिनाँक - 03.02.2020 (सोमवार )

(81)
विषय - माना

माना है पितु - मातु को,देव तुल्य भगवान।
इनकी चरणों में सदा,करते हैं हम ध्यान।।
करते हैं हम ध्यान,सुबह नित शीष झुकाते।
मन वांछित वरदान, इन्हें  पूजा कर पाते।।
कहे विनायक राज,भूल इनको मत जाना।
सेवा  करना  आप, देवता  सबने  माना।।

(82)
विषय - कहना

कहना मेरा मानलो, जप लो तुम श्रीराम।
सारे शुभ फल हैं मिले,बनते बिगड़े काम।।
बनते बिगड़े काम,राम सीता तुम जपना।
भक्ति भाव को जान,सदा मन ही मन रटना।
कहे विनायक राज,सुखी से फिर तुम बहना।
राम भजन कर आज,मानलो मेरा कहना।।


बोधन राम निषादराज"विनायक"
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)
[03/02 6:11 PM] सुशीला जोशी मुज़्ज़फर नगर: *आज के विषय पर दोहे*

      *पशुधन*....


निज हित पशु को पालना ,पशुधन बस बन जाय ।
पशु मानव सम्बन्ध को , दृढ़तर करता जाय ।। 1

पशुधन बलिष्ठ  स्रोत है, फिर भी है लाचार ।
मानव बल के सामने , सहता दुर्व्यवहार ।। 2

आज पशुधन बना हुआ  , नया नया आहार
अपना सबकुछ दे रहा , फिर निर्मम व्यवहार ।।  3

ग्राम्य जीवन के लिए ,पशुधन बड़ा विशेष ।
जीवन यापन के लिए , जहाँ न कुछ हो शेष ।। 4

द्रव्य भोजन वस्त्र तलक  , पशुधन का है दान
पर मानव  की  क्रूरता , उसका है प्रतिदान ।।  5

सुशीला जोशी
मुजफ्फरनगर
[03/02 6:11 PM] कृष्ण मोहन निगम: दिनांक 3 फरवरी 2020
कुंडलियाँ शतकवीर हेतु
विषय..... *माना*
 माना सबने सत्य की , शक्ति  अपरिमित मित्र।
 सत्य धर्म है सत्य ही , सबसे अधिक पवित्र ।।
सबसे अधिक पवित्र,  मानता है जग सारा ।
दुर्जन को तो झूठ,  सत्य सज्जन को प्यारा ।।
कहे "निगम कविराज" , कभी मत करो बहाना।
 होते शाश्वत तथ्य, उजागर सबने माना ।।

विषय ....    *कहना*
मन का  माँ से वैद्य से , कहना तन का मर्म ।
संशय कहना गुरू से ,, यह शुभ जीवन धर्म।।
यह शुभ जीवन धर्म , बंधु से बातागत की ।
तिय से कहना नर्म , अतिथि के शुचि स्वागत की।।
" निगम" न कहना राज,  किसी से संचित धन का ।
नहीं छिपाना किंतु , पिता से कुछ भी मन का ।।

 कलम से
 कृष्ण मोहन निगम
सीतापुर
जिला सरगुजा (छत्तीसगढ़)
[03/02 6:22 PM] केवरा यदु मीरा: नमन-मंच

पशुधन

पशुधन सबसे है बड़ा, बन जाओ गोपाल
दूध दही घी छाछ दे, करदे मालामाल ।।

लक्ष्मी जी की वास है, गौमाता के शीश।
सुरभि कहते हैं इसे, साथ रहे जगदीश ।

औषधि है गौमूत्र भी, गोबर बनते खाद।
खेतों की सब्जी रहे, लिए अनोखे स्वाद ।।

दर पर रंभाती मिले, चांट रही हो द्वार।
शुभफल दाती मात है,कर गौ माँ से प्यार ।।

वैतरणी से तारती, करती है उद्धार।
गो वध कभी न कीजये, कहते संत पुकार ।।

केवरा यदु"मीरा "
राजिम
[03/02 6:41 PM] इंद्राणी साहू साँची: कलम की सुगंध छंदशाला

कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु

दिनाँक - 03/02/2020
दिन - सोमवार
81 - कुण्डलिया (1)
विषय - माना
**************
माना मोहन मीत मन , छोड़ दिया संसार ।
हुई बावरी घूमती , भेष जोगिया धार ।
भेष जोगिया धार , फिरे है वन वन मीरा ।
प्रियतम रही पुकार , प्रीत में हुई अधीरा  ।
भाता संतन संग , तुच्छ इस जग को जाना ।
लोक लाज को त्याग ,कृष्ण को सब कुछ माना ।।
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82 - कुण्डलिया (2)
विषय - कहना
****************
कहना शब्द सँभाल कर , शब्द बड़े अनमोल ।
एक मधुर मधु सम लगे  , दूजा विष का घोल ।।
दूजा विष का घोल , हृदय छलनी कर जाता ।
मधुरिम मीठा बोल , वैद्य सम घाव मिटाता ।
क्रोध द्वेष आवेग , अगर हो चुप ही रहना ।
वश में रहे विवेक ,संयमित भाषा कहना ।

********************************
✍️इन्द्राणी साहू "साँची"✍️
   भाटापारा (छत्तीसगढ़)
★★★★★★★★★★★★★★★★
[03/02 6:45 PM] प्रमिला पाण्डेय: कलम की सुगंध कुंडलियां शतकवीर
 दिन-सोमवार/3-1-2020
शब्द-माना/कहना

(1) माना

माना माखन चोर है,   नित्य करे बस रार।
 फिर क्यों तुम सब कह रहीं, गोकुल गयो विसार ।
 गोकुल गयो विसार, न छोरे कोई गइया
 जाय न गगरी फोर, न  आज गिराय मलइया।
 कह प्रमिला कविराय,   नहीं  मोहन को जाना।
  नाथा काली नाग ,  सभी ने अचरज माना।।

(2) कहना

कहना  मानो बड़ों का, मिले मान सम्मान।
 करो धर्म की  अनुसरण, हो जाये कल्यान।
हो जाये कल्यान,  होय पूरी अभिलाषा।
   बोलो मीठे बोल, न बोलो तीखी भाषा।
 कह प्रमिला कविराय,  सदा संयम में रहना।
 मिले जहां सत्संग, मान संतो का कहना।।

 प्रमिला पान्डेय
[03/02 6:47 PM] अनुराधा चौहाण मुम्बई: कलम की सुगंध
शतकवीर कुण्डलियाँ
दिनाँक--3/2/20

81
माना
माना इस संसार में,भाँति-भाँति के लोग,
इसका मतलब यह नहीं,चुनो कपट के रोग।
चुनो कपट के रोग,सदा ही कड़वा कहना।
मिले न शीतल छाँव,सदा फिर जलते रहना।
जीवन की यह रीत,लगा है आना-जाना।
वही सुखी है आज,कर्म को ऊँचा माना।

82
कहना
कहना कभी न चूकना,कहना सच्ची बात।
झूठी बातों से सदा,लगता मन को घात।
लगता मन को घात, नहीं दुख जाता मन से।
बातों के कटु बाण,जहर से चुभते तन से।
कहती अनु सुन बात,प्रेम से हिलमिल रहना।
रखो न मन में बात,सभी से मीठा कहना।

अनुराधा चौहान
[03/02 6:51 PM] अभिलाषा चौहान: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलिया शतकवीर हेतु

कुण्डलिया(८१)
विषय-माना

माना मनमानी करी,किए कर्म बेकार।
पछतावा है साथ में,हुई हमारी हार।
हुई हमारी हार,पिता के तोड़े सपने।
ममता को दुत्कार,किसी के बने न अपने।
कहती'अभि'निज बात,सत्य अब हमने जाना।
सबका था उपकार,अंत में हमने माना।

कुण्डलिया(८२)
विषय-कहना

कहना-सुनना बाद में,पहले खुद को जान।
समय सरकता हाथ से,करो सत्य का भान।
करो सत्य का भान,लक्ष्य को सदा विचारो।
करलो उसको पूर्ण,तभी जीवन से हारो।
कहती'अभि'निज बात,बहुत कुछ पड़ता सहना।
जीवन है संघर्ष,किसी से क्या है कहना।

रचनाकार-अभिलाषा चौहान
[03/02 6:52 PM] रवि रश्मि अनुभूति: 🙏🙏मोबाइल गिरने के कारण बंद हो गया था , विज्ञात सर को सूचित किया था , और सब कुण्डलिया छंद एक साथ पोस्ट करने की सूचना दी थी  ।🌹🌹

9920796787****रवि रश्मि 'अनुभूति '



71 ) पाना
***********
पाना हो सम्मान जो , करो नेक तुम  काम ।
गाना गुण उस मान का , करना ऊँचा नाम ।।
करना ऊँचा नाम , बढ़े मंज़िल पर माना ।
उन्नति का हो दौर , सभी को भूल न जाना ।।
अब घमंड को छोड़ , करो  कोई न बहाना ।
बढ़ना ले आशीष , जिन्दगी में सब पाना ।।
%%%%%%


72 ) खोना
************
खोना माँ से पूछिए , खोया जिसने लाल ।
मातृभूमि पर मर मिटा , माता हुई निहाल ।।
माता हुई निहाल , बना बेटा बलिदानी ।
फिर उन्नत कर भाल , चले सब बन अभिमानी ।।
देशभक्ति की बात , करो फिर आहत होना ।
माता गर्वित होय , कहे बेटा सब खोना ।।
$$$$$$$$$$$$$$

(C) रवि रश्मि 'अनुभूति '
30.1.2020 , 5:30 पीएम पर रच


73 ) यादें
**********
यादें हैं मन को मथे , मचले हैं अब तेज़  ।
कितना करते याद हैं ,  हम तो चिट्ठी भेज ।।
हम तो चिट्ठी भेज , थके हैं तुझे बुलाते ।
तुमने ठेका सोच , नहीं तुम अब  हो आते ।।
थाम प्रीत की डोर , हिलें अब नहिँ बुनियादें ।
टूटे मन तो आज ,मथे मन को हैं यादें ।।
%%%%%%%


74 ) छोटी
************
छोटी हैं बातें लगे, मन को देतीं तोड़ ।
जिद्द कभी करना नहीं , बातों को तू छोड़ ।।
बातों को तू छोड़ , कहे मन सुनना  अपना ।
रहे सदा जो झूठ , कभी अब देख न सपना ।।
बच्चों को मिल देख , मिलें खायें सब रोटी ।
प्यार सिखाये सीख , भुला बातें अब  छोटी ।।
#################

(C) रवि रश्मि 'अनुभूति '
30.1.2020 , 7:54 पीएम पर रचित ।


  75 ) मीठी
*************
मीठी बात लगे मृदुल , मिस्री लेती घोल ।
कोयलिया के बैन ये , लायी कब से बोल ।।
लायी कब से बोल ,राज का क्या है कहना।
तू सुन मेरे बोल , सुखी मेरा तू बहना।।
मन मेरा ले जीत ,बजाकर सुन्दर सीठी ।
कोमल नम आवाज़ , मृदुल लगता है मीठी ।।

76 ) बातें
***********
बातें प्यारी अब लगें, मीठे प्यारे बोल ।
निकले मुख से बात जो, हर जो बात टटोल ।।
हर जो बात टटोल , बने बंदा तू प्यारा ।
मीठी मीठी बोल,मिले दुख से छुटकारा।।
सुंदर हो व्यवहार , करे न कोई घातें ।।
रखना मीठे बोल , लगें सब प्यारी बातें ।।
%%%%%%%%

(C) रवि रश्मि 'अनुभूति '
2.2020 , 1:22 पीएम पर रचित ।


77 ) चमका
************
चमका गजरा हाथ में , कजरा नैनन साज ।
मन मोहे सौंदर्य है , चमका झुमका आज ।।
चमका झुमका आज ,वही इत उत  है  डोले ।
मीठी मधुरस बैन,सभी से सुन्दर बोले।।
रूप सलोना आज , लौंग सम वो है दमका  ।
नैनन दिखती लाज , तभी तो गजरा चमका ।।


78 ) गीता
************
गीता भर संदेश से , सदा बाँटती ज्ञान ।
गीता के हर सार का , रखो सदा ही ध्यान ।।
रखो सदा ही ध्यान , रहे सुन प्रभु का साया ।
सच्चा प्रभु का ध्यान , सदा झूठी है  माया ।।
चौरासी लख योनि , तभी तो जीवन बीता ।
सब जन्मों में तार , रही यह पावन गीता ।।
&&&&&&&&&

(C) रवि रश्मि 'अनुभूति '
2.2.2020 , 8:42 पीएम पर रचित ।
%%%%%%%%%
[03/02 6:56 PM] चमेली कुर्रे सुवासिता: कलम की सुगंध छंदशाला
*कुण्डलिया शतकवीर*

दिनांक- 03/02/2020
कुण्डलिया- ( *81*)
विषय - *माना*
माना आकर्षक दिखे , हरदम काला रंग।
 खींची अपनी ओर ये , मन में भरे उमंग।।
मन में भरे उमंग , यही डर रूप घनेरा ।
भले रूप विकराल , बीगड़ेगा क्या मेरा ।।
सुवासिता ये सूर्य , करे उजियारा जाना।
अपनो की पहचान, समय देती है माना।।

कुण्डलिया -( *82*)
विषय - *कहना*
कहना आवश्यक नही , तुमको मन के बोल ।
नयन नयन से कह उठे , भाव बिना ही तोल ।।
भाव बिना ही तौल , गगरिया कैसे फोड़ी ।
बिन मुरली आवाज़ , कहाँ पायलिया तोड़ी।।
सुवासिता ये मौन , नदी पावन बन बहना।
आयेगा वो तीर , तभी उससे कुछ कहना।।
           🙏🙏🙏
✍चमेली कुर्रे 'सुवासिता'
जगदलपुर (छत्तीसगढ़)
[03/02 6:57 PM] सरला सिंह: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुंडलियाँ शतकवीर हेतु*

  *03/02/2020*
*दिन - सोमवार*
*विषय - माना , कहना *
*विधा-कुंडलियां*

 *81-माना*

माना है तुझको प्रभू,जीवन का आधार।
रखना मेरी लाज तुम,करना भव से पार।
करना भव से पार, नहीं अब करना देरी।
तुमने तो रघुनाथ,कई की किस्मत फेरी।
कहती सरला आज, जिया में मैंने ठाना।
नैया तेरे हाथ,आप को नाविक माना।

  *82-कहना*

कहना है कुछ भी नहीं,सब लोगे तुम जान।
लगता है अब मन नहीं, लो बातें अब मान।
लो बातें अब मान, पार कर देना नैया।
दुनिया लगे अपार,सुन लो मेरे खिवैया।
कहती सरला आज, नहीं मन चाहे सहना।
प्रभुवर मेरे नाथ, मान लो दिलका कहना।।

  *डॉ सरला सिंह स्निग्धा*
  *दिल्ली*
[03/02 6:59 PM] प्रतिभा प्रसाद: *कुंडलियाँ*
विषय  ----   *माना, कहना*
दिनांक  --- 3.2.2020....

(81)               *माना*

माना हम नादान है , तब भी करना बात ।
नई जिंदगी के लिए , होगी यह शुरुआत ।
होगी यह शुरुआत , मिले जीवन की कीमत ।
लेगा कोई सीख , कहे  मानव से सहमत ।
कह कुमकुम करजोरि , कभी मत जाना थाना ।
गलती करो सुधार , कहो नादानी माना ।।


(82)             *कहना*

कहना करने के लिए , सदा जोड़ती हाथ ।
सुता में गुण भरा करो, तभी रहेंगे साथ ।
तभी रहेंगे  साथ , काम सुंदर सिखलाना ।
सदा रहेंगे पास , सभी मन को बहलाना ।
कह कुमकुम कविराय , बात तुम सब ही सहना ।
सुंदर हो घर द्वार , सदा  करना तुम कहना ।।



🌹 प्रतिभा प्रसाद कुमकुम
      दिनांक  3.2.2020.....


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[03/02 7:01 PM] धनेश्वरी सोनी: कलम की सुगंध
    शतकवीर सम्मान
      कुण्डलिनीयाँ
      सोमवार ..3/1/2020
                       
                     कहना

कहना माने है सभी, करते आदर मान ।
 जीवन सच्चा है यहाँ, मिले सभी सम्मान ।
 मिले सभी सम्मान ,यहाँ सब खुशियाँ बहती।
 राधा गोपी संग ,सखी जो दिनभर रहती  ।
 बोली मीठी बात ,सभी से मिलकर रहना।
 कहती गुल यह सार ,सभी का मानो कहना।


                        माना

 माना सपनों में मिले, भगवन राजा राम ।
 श्वेत पुष्प पकड़े दिखे ,धनुष बाण धर धाम।
 धनुष बाण धर धाम ,चले जो बनमें जाते ।
 माता सीता साथ ,धरा पे पग पग धरते ।
 काँटे पत्थर झाड़ ,बिखर कर चाहे छुना ।
 कहती सीता सार, सभी ने माता माना ।

             धनेश्वरी सोनी गुल बिलासपुर
[03/02 7:02 PM] धनेश्वरी देवाँगन 'धरा': कुँडलिया शतक वीर हेतु

79)     चमका

चमका सूरज व्योम‌ में ,  लाया नवल उजास ।
आभा मंडित है मही , दिनकर करे प्रवास।।
दिनकर करे प्रवास , अवनि में फैली लाली।
अंजलि भरा नव ज्योति, इन्द्र धनुषी खुशहाली।।
करे "धरा" स्वीकार , सूर्य से जीवन दमका ।
तारा बड़ा महान , लाल अंबर में चमका ।।

80)   गीता

गीता संकट सार है , नव्य सृष्टि कल्याण ।
बाँचे गीता पाठ हम , पावन पुण्य पुराण ।।
पावन पुण्य पुराण , शुद्ध होती है आत्मा ।
समझें गीता धर्म , मिलेंगे फिर परमात्मा ।।
सुनो "धरा" की बात , वही जग में है जीता ।
समझे जो पर पीर , सत्य शास्वत  है गीता ।।

  81).   माना

माना दुनिया है बुरी , धोखा भरा अपार ।
पर हम तो सच्चे  बनें ,कर लो तनिक विचार।।
कर लो तनिक विचार , बने जीवन तब सुलझा ।
मिला भाग्य से लोक ,रहे मत कोई उलझा ।।
कहे "धरा" स्वीकार , कठिन है मिलना दाना  ।
नश्वर सारा जीव , बड़ा दुश्वर है माना ।।

82).  कहना

बोलो बातें तोल कर , कहना समझ सुजान ।
कहना सुनना सोचकर , यही परम हित ज्ञान‌।।
यही परम हित ज्ञान , बने फिर जग मंगल‌मय ।
बुरी बात को त्याग , करो ये जीवन सुखमय ।।
कहे "धरा" कर जोड़ , कहो पर पहले तोलो ।
बने गरल भी बात  ,तनिक सोचो फिर बोलो ।।


*धनेश्वरी देवांगन धरा*
*रायगढ़,छत्तीसगढ़*
[03/02 7:06 PM] अटल राम चतुर्वेदी, मथुरा: *03.02.2020 (सोमवार )* *आंशिक संशोधन उपरांत पुनः प्रेषित*

81-    माना
***********
माना गलती हो गयी, करें हमें अब माफ।
दूर करें शिकवे सभी, रख अपना दिल साफ।
रख अपना दिल साफ, गले से हमें लगाएँ।
हाथ हमारा थाम, हौसला आप बढ़ाएँ।
"अटल" करे जो काम, उसी को सबने जाना।
गलती उससे होय, जहाँ में सबने माना।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏


82-    कहना
***********
कहना मानें आप जो, गलती से बच जायँ।
मान रहे कायम सदा, आप बड़प्पन पायँ।
आप बड़प्पन पायँ, होय कम जिम्मेदारी।
जिस-जिस की लें राय, सभी की हिस्सेदारी।
"अटल" मान कर जीत, यही है सच्चा गहना।
अपनी जिद दे छोड़, मान तू सबका कहना।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏
[03/02 7:07 PM] वंदना सोलंकी: ****
*कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुंडलियाँ  शतकवीर हेतु*
शनिवार-01.02.2020

*77)मीठी*

मीठी मीठी चाशनी,बनती है इक तार। कहती है ये बहुत कुछ,समझो इसका सार।
समझो इसका सार,घोल में घुली जलेबी।
ऐसे जग में लोग,ज्यूँ उलझी वन जलेबी।
सुन वन्दू की बात,बनी है दाल की पीठी।
बहुत हुआ मिष्ठान,वस्तु न सुहाए मीठी।।

*78)बातें*

तेरी बातें याद कर,दिल में उठती हूक।
बेटी ऐसे चहकती,जैसे कोकिल कूक।
जैसे कोकिल कूक,गृह बगिया में डोलती।
रस घुलता है कान,गीत-से बोल बोलती।
करें रक्षा भगवान,सुता मेरी या तेरी।।
आकुल होंगे प्राण,विदा जब बेटी मेरी।।

रविवार-02.02.2020

*79)चमका*

चमका तारा नयन में,जननी का वो लाल।
उन्नति उसकी देख कर,माता हुई निहाल।
माता हुई निहाल,स्नेह से उसे निहारे।
बालक और जवान,कष्ट में मात पुकारे।
बच्चों को खुश देख,हृदय में दीपक दमका।
माँ चाहे संतान,दिखे ज्यों तारा चमका।।

*80)गीता*

गीता ग्रंथ इस देश की,है अनुपम  पहचान।
भारत में सब पूजते,इसको माता मान।
इसको माता मान,सार जीवन का इसमें।
रख कर इस पर हाथ,लोग खाते हैं कसमें।
सुन वन्दू निज भाव,भरा दिल था जो रीता।
माधव के हैं बोल,हमारी भगवतगीता।।

*रचनाकार-वंदना सोलंकी*
*नई दिल्ली*
[03/02 7:13 PM] अर्चना पाठक निरंतर: कलम की सुगंध
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
दिनाँक-२९/०१/२०२०

विषय-पाना

पाना  है संतोष तो ,खुशियाँ हो भरपूर ।
छोटी-छोटी बात पे,हँस लें सभी जरूर।।
हँस ले सभी जरूर, तान कुछ हमें सुनाओ।
घर आँगन हो स्वच्छ, नित्य तम दीप जलाओ।।
कहे निरंतर बात, शाम घर वापस आना।
मिलने की हो चाह,मुझे है तुमको पाना।।

विषय-खोना

खोना पाना है यहाँ, क्या लाया था साथ।
खाली अपना आगमन, भेजे हैं प्रभु नाथ।।
भेजे हैं प्रभु नाथ, लोभ मद लालच छोड़ो।
कन्या रहे सशक्त, लाज के बंधन तोड़ो।।
कहे निरंतर बात ,छोड़ अबला का रोना ।
रखना हरदम धैर्य, नहीं निज आपा खोना।।


 दिनांक 3/2 /2020

 कुंडलियाँ

 विषय -माना

माना मन  बेचैन है ,चिंता से है चूर।
मन अनुरागी है जहाँ, रहे भले वो दूर ।।
रहे भले वो दूर ,याद में उसकी खोये।
छुप छुप चुप है चाँद, रात भर हम कब सोये।
कहे निरंतर बात, चुभे है तेरा जाना ।।
आ जाओगे लौट ,एक दिन हमने माना।।

विषय-कहना

कहना है तुमसे मुझे ,इतनी बात जरूर ।
पीछे हैं बाकी यहाँ,जाना मत अति दूर।।
जाना मत अति दूर ,बाल बच्चे हैं प्यारे।
पत्नी जाए टूट, देख ली सपने न्यारे।।
कहे निरंतर बात ,लाज रख कर तुम रहना ।
बस इतनी सी आस,पास मानो ये कहना।।

अर्चना पाठक 'निरंतर '
[03/02 7:20 PM] पुष्पा विकास गुप्ता कटनी म. प्र: कलम की सुगंध छंदशाला
*कुंडलिया शतकवीर हेतु*

दिनाँक- 3.2.2020
कुंडलिया(81) *माना*


माना मैं अबला नहीं, अनपढ़ नहीं गँवार।
किंतु अकेली  राह में, हो  जाती लाचार।।
हो  जाती  लाचार,  भेड़िए  पड़ते  भारी।
वे  होते  खूंखार, करे  क्या कोमल नारी।।
कहाँ सख्त कानून,  बेटियाँ  बनी निशाना।
नहीं सुरक्षित नार,  आज  ये  मैने  माना।।

कुंडलिया (82) *कहना*

कहना  मेरा  मानिए,  नहीं  अकेले  आप।
अडिग रहें जो मार्ग पर, वही छोड़ते छाप।।
वही  छोड़ते  छाप, आदर्श फिर बन जाते।
हो मुश्किल का दौर, ढाल बनके तन जाते।।
प्रांजलि हो श्रृंगार, सदा साहस का गहना।
स्वयं निभाएँ साथ, आज ये सबसे कहना।।


_____पुष्पा गुप्ता प्रांजलि
[03/02 7:38 PM] कमल किशोर कमल: नमन
03.02.2020
कुंडलियाँ शतकवीर हेतु।

81-माना
माना कि संसार में,भाँति-भाँति के जीव।
पर मानव ही श्रेष्ठ है,प्यार पपीहा पीव।
प्यार पपीहा पीव,हँसी की विद्या जाने।
मन मानस धनवान,जीव जग बने सयाने।
कहे कमल कविराज,प्रकृति का दाना-दाना।
हो सब पर अधिकार,यही मानव ने माना।
82-कहना
कहना सब कुछ सरल है,करना गगन समान।
वचन निभाकर मर गये,उनको ही सच मान।
उनको ही सच मान,साँच संग त्याग जरुरी।
मन चंचलता मार,बात करना है पूरी।
कहे कमल कविराज,गले का सुंदर गहना।
तोल -तोलकर पहन,यही सदगुरु का कहना।

कवि-कमल किशोर "कमल"
        हमीरपुर बुन्देलखण्ड।
[03/02 7:51 PM] कुसुम कोठारी: कमल की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
३/२/२०२०
कुसुम कोठारी।

कुण्डलियाँ (८१)

विषय-माना
माना राहें है कठिन , चलना तेरी शान ।
राहों में रुकना नहीं ,इस सच को  पहचान ।
इस सच को पहचान , सदा बढ़ते ही रहना ।
जो करना संकल्प ,उसी की बातें कहना ।
कुसुम ज्ञान की बात , क्रिया करते ही जाना ।
उनका फलता भाग्य,कर्म को ईश्वर माना ।।

कुण्डलियाँ (८२)

विषय-कहना
खारा कितना हो मगर, कहना हरदम सत्य ।
सत्य बोलता जो यहाँ  , आदर पाता नित्य ।
आदर पाता नित्य ,शान से शीश उठाता ।
आदर करता विश्व, आँख पर उसे बिठाता।
कुसुम  न होता अस्त,  सत्यवादी का तारा ।
चाहे कड़वे बोल  ,हृदय न हो कभी खारा ।।

कुसुम।
[03/02 7:54 PM] रजनी रामदेव: शतकवीर प्रतियोगिता हेतु
3/01/2020:: सोमवार

माना
समझाया उसको बहुत, किन्तु न माना यार।
करता  जो संवाद वो, बन कर चले कटार।।
बनकर चले कटार, घाव करता भीतर तक।
देता हिय को भेद, बहुत होती फिर झकझक।।
करता रहे कुतर्क, समझ न उसके आया।
बढ़ता तभी विवाद, बहुत उसको समझाया।।


कहना
कहना कड़वा सत्य हो, कहिए धर कर धीर।
शब्द बनें तलवार तो, करते बहुत अधीर।।
करते बहुत अधीर, ध्यान धरकर ही बोलें।
कर्ण प्रियम हो शब्द, सरस रस मिश्री घोलें।
सहन शीलता मान , सदा मानव का गहना।
कहनी हो जो बात, धीर धर कर ही कहना।।
            रजनी रामदेव
               न्यू दिल्ली
[03/02 7:58 PM] डा कमल वर्मा: डॉ श्रीमती कमल वर्मा।
कुंडलियाँ शतक वीर के लिए रचना। 🙏🏻प्रणाम।
कुंडलियाँ क्र.87.🌹
विषय_माना
माना देश किसान है,निर्धन और गरीब।
 फिर भी मानूं मैं उसे,देव गण के करीब।।
 देव गण के करीब,पेट दुनिया का भरता।
करता दिनभर कष्ट,भूख से फिर भी मरता।।
कहे कमल तू सीख,धर्म कर्तव्य निभाना।
 करते परोपकार,देव मै उनको माना।।
कुंडलियाँ क्र 88🌹
विषय _कहना।
कहना कम,ज्यादा सुनें,यही नीति अपनाय।  गुरुजन ऐसी सीख दें,हमें राह दिखलाय।।
हमें राह दिखलाय,जीव सब खुशियाँ पायें।
 मानव का व्यवहार, जगत में धीरज लाये।
कहे कमल कर जोड़,नीति मन का है गहना।
एक बात बस सीख,वदन से थोड़ा कहना।
कृपया समिक्षा करें। 🙏🏻
[03/02 8:13 PM] संतोष कुमार प्रजापति: कलम की सुगंध छंदशाला

*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु*

दिनांक - 03/02/2020

कुण्डलिया (81)
विषय- माना
===========

माना  प्रभु ने  तात का, वचन  दिया  जो मात I
वन   जाकर   ही   राम   ने, कई  बनाईं  बात ll
कई   बनाईं   बात, पिता   बदला   बाली   से l
पम्पापुर  में   ताज, तिलक   कैसे   थाली  से ll
कह 'माधव कविराय', विभीषण अग्रज जाना l
रखा  बड़ों  का  मान, तभी  पुरुषोत्तम  माना ll

कुण्डलिया (82)
विषय- कहना
===========

कहना तो आसान कुछ, बहुत कठिन निर्वाह I
अम्बर सा जग छा गया, किया वचन परवाह ll
किया  वचन  परवाह, बिके  सुत पत्नी राजा I
हरिश्चन्द्र  का  सत्य, लखा  नभ  बाजे बाजा Il
'माधव' बाबा भीष्म,दिया पितु को सुख गहना l
ब्रम्हचर्य    संकल्प, निभाया  अपना   कहना ll

रचनाकार का नाम-
           सन्तोष कुमार प्रजापति 'माधव'
                        महोबा (उ.प्र.)
[03/02 8:13 PM] विज्ञात: कलम की सुगंध शतकवीर हेतु
कुंडलियाँ -81
दिनांक -3-1-20

विषय -माना

माना तुमको ही सदा, जीवन का आधार l
रखना सर पर हाथ प्रभु, देना मुझे सँवार l
देना मुझे सँवार,दया अपनी तुम करना  l
पकड़े रखना हाथ, मुझे फिर क्यों है डरनाl
कहती सुनो सरोज, वहाँ सबको है जाना l
इस दुनिया को छोड़, तथ्य ये मैंने माना l

कुंडलियाँ -82
दिनांक -3-1-20

विषय -कहना

कहना तुमसे चाहती, मन की सारी बात।
ओठों पर आते नहीं, मेरे क्यूँ  जज्बात  l
मेरे क्यूँ जज्बात, सोच में है मन डूबा l
दुनिया की हालात, देख मेरा दिल ऊबा l
कहती सुनो सरोज, भाव में क्यूँ है बहनाl
चलना सच्ची राह, सार तुमसे ये कहनाl

सरोज दुबे
रायपुर छत्तीसगढ़
🙏🙏🙏🙏
[03/02 8:15 PM] पाखी जैन: 03/02/2020
कलम की सुगंध छंदशाला
*शतकवीर हेतु कुण्डलियाँ*
81- *माना*
मानव मन कब मानता,माना है अवधूत।
शंकर रूप औघड था,लिपटी अंग भभूत ।
लिपटी अंग भभूत,दरश भैरव का होता।
काया निखरा रूप,भस्म से तन जब  धोता ।
पाखी बनी अजान,कहे रघु को क्यों राघव।
है चिरंजीव कौन,सदा खुश रहता मानव।
82- *कहना*
रखना तुम संभाल के,कहना है जो राज ।
परिणति केवल बिछड़ना,यही बताना आज ।
यही बताना आज,घटा मैं रेगिस्तानी।
तुम सागर की बूँद,रही मैं सिमटा पानी ।
बहे तटीय समीर,स्वाद क्यों तुमको चखना ।
आतुरता अभिसार,ख्याल मुझको रखना।
मनोरमा जैन पाखी
मध्य प्रदेश
[03/02 8:16 PM] सुशीला साहू रायगढ़: *81-----मीठी---03/02/2020*
मीठी बातें बोलिए,यादें रहती खास।
सखी सहेली साथ हैं,यादें रहती पास।।
यादें रहती पास,भावना रीत निभाओ।
सुन्दर घर परिवेश,सजी धजी सजाओ।
कह शीला कर जोड़,खोच करते संजीवन।
सखी सहेली देख ,बात बोलें अब मीठी।।
*82------बातें*
कहते बातें खास तो,श्रवण कर लो ज्ञान।
सबको तो ये ध्यान हो,गीता की पहचान।।
गीता की पहचान,कृष्ण अर्जुन को बताते।।
गाठ बाँध ले ज्ञान,सभी को यह सुख मिलते।
कह शीला कर जोड़,पीर प्रभु पीरा हरते।
बोलें मीठे बोल,प्रेम की बातें कहते।।

*83----चमका----*
तारे चमके नैन में,रंग बिरंगी लाल।
आस पास देख कर,मैं हो गई निहाल।
मैं हो गई निहाल,प्रियतम नैन सहारे।
आसमान सतरंग,नैन दिखे अब निहारे।
कह शीला ये बात, देख ये नभ उजियारे।
जगमग हो आकाश,दिखे ज्यों चमके तारे।।

*84-----गीता*
गीता देते ज्ञान तो,लगता अनुपम जान।
अखंड भारत पूजते,जिससे मिलता ज्ञान।
जिससे मिलता ज्ञान,जीव सार हैं समझते।
कसमें खाते लोग,हाथ इसमें हैं रखते।।
कह शीला निज बात,केशव संग है मित्रता।
कृष्ण प्रेम की रीत ,हमारी भगवत गीता।।

*सुशीला साहू शीला*
*रायगढ़ छ.ग.*
[03/02 8:27 PM] सुशीला जोशी मुज़्ज़फर नगर: *कलम की सुगंध कुंडलियाँ प्रतियोगिता 2019-2020*


81-- *माना*

माना हमने आपको , श्रेष्ठ और करतार
जिसे देखने के लिए , जपा रोज भरतार
जपा रोज भरतार , करी अर्चन औ पूजा
रहा हृदय में ध्यान , किया कुछ काम न दूजा
ईश और भगवान , तुम्हीं को सब है जाना
छाए रहे सदैव , जिसे था अपना माना ।।

82--- *कहना*

कहना मेरा मान कर, धरो दूध की लाज
अपना चरित सँवार कर , निर्मित करो समाज
निर्मित करो समाज , जहाँ कन्या सुख पाए
बढ़े अस्मिता शान , कहीं कोई दुख न आए
सहती आई नित्य , आज कुछ तुम भी सहना
धरो दूध की लाज , यही है मेरा कहना ।

सुशीला जोशी
मुजफ्फरनगर
[03/02 8:29 PM] राधा तिवारी खटीमा: कलम की सुगंध
 शतकवीर हेतु कुंडलियां
विषय  माना,कहना
03/02/ 2020


माना (81)
माना जीवन में कठिन, आते हैं सब दौर।
फिर भी हँस करके बना, जग में अपना ठौर।
 जग में अपना ठौर,समझ ले सबको अपना।
 करके अपना काम, देखते जाओ सपना।
कह राधेगोपाल, यहाँ है खोना पाना।
कठिन रहे हर दौर, सभी ने हरदम माना।।

कहना (82)

कहना मेरा मान लो, करना सबसे प्यार।
 हँसी-खुशी रहना यहाँ, जीवन के दिन चार।
 जीवन के दिन चार, रहो आपस में मिलकर।
 जैसे रहता फूल, सदा काँटों में खिलकर।
 कह राधेगोपाल, जगत में जब तक रहना।
 करना सबसे प्यार, यही है मेरा कहना।।

राधा तिवारी"राधेगोपाल"
 खटीमा
उधम सिंह नगर
 उत्तराखंड
[03/02 8:35 PM] गीतांजलि जी: कुण्डलिया शतकवीर

दिनांक ०३/०२/२०

८१) माना

माना तुमको है पिया, मैंने मन का मीत।
आ विदर्भ मिलो मुझे, पाल प्रीत की रीत।।
पाल प्रीत की रीत, हुई है रुक्मण तेरी।
करते अरि मिल घात, न होवे प्रीतम देरी।
मंदिर पुर के द्वार, वहीं तुम केशव आना।
लेना रथ पर खींच, तुम्हें ही स्वामी माना।।

८२) कहना

कहना अनुज सुग्रीव से, करे न कृतघ्न काज।
मैंने पाला था वचन, बारी तेरी आज।।
बारी तेरी आज, हुआ समाप्त अब सावन।
ढूंढो भिजवा दूत, कहाँ सिय रक्खी रावण।।
मास गए दो बीत, नहीं अब विरहा सहना।
होवे और न देर, करो पूरा निज कहना।।

गीतांजलि ‘अनकही’
[03/02 8:35 PM] गीता द्विवेदी: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलिया शतकवीर प्रतियोगिता हेतु
दिनांक-02-02-020

79
विषय-चमका

चमका रवि आकाश में, किरणें भागीं तेज।
सारा जग आलोकमय, उर्जा रहा सहेज।।
उर्जा रहा सहेज, कमल दल पुलकित होता।
लहरों में संगीत, सभी का तन मन खोता।।
दूर अभी है शाम, गगन घन दल आ धमका।
रजनी के घन केश, सजाने चंदा चमका।।

80
विषय-गीता

गीता है गौ दूध सम, पीते सुधिजन रोज।
जग लगे पावन तड़ाग, खिलता प्राण सरोज।।
खिलता प्राण सरोज, बसे उसमें हरि छाया।
हर्ष शोक से मुक्त, नहीं घेरे तब माया।।
पाता उनका धाम,मगन उनमें ही जीता।
कर्म करो निष्काम, यही कहती है गीता।।

सादर प्रस्तुत🙏🙏
गीता द्विवेदी
[03/02 8:41 PM] अनिता सुधीर: शतकवीर हेतु
03.02.2020 (सोमवार )*

81
माना
माना है गुरु आपको,सीखे नये विधान ।
कुंडलियां नवगीत रच ,पाते नूतन ज्ञान ।
पाते नूतन ज्ञान ,धैर्य रख आप सिखाते ।
हो भाषा उत्थान,इसी में समय लगाते ।
लेते हम संकल्प,लक्ष्य अब हमको पाना ।
मिला कलम का साथ,इसे गुरु अपना माना।
82
कहना
फैला शिक्षा क्षेत्र में ,ये कैसा व्यापार।
कहना है यह बात अब ,इस पर करो विचार ।
इस पर करो विचार,जड़ें है कितनी गहरी।
गुरु का कर सम्मान,रहे ये शिक्षा पहरी ।
नहीं रहे वो शिष्य,रखे रहते मन मैला ।
गुरु वशिष्ठ सम कौन,सकल यश जिनका फैला ।

अनिता सुधीर
[03/02 8:58 PM] अनुपमा अग्रवाल: कलम की सुगंध छंदशाला

कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु

दिनांक - 02.01.2020

कुण्डलियाँ (77)
विषय-मीठी
मीठी सी मासूम हैं,मीठे इनके बोल।
दिल को छूती बात हैं,मन की गाँठें खोल।
मन की गाँठें खोल,सुहाना होता बचपन।
सबको लेते जीत,कभी जैसे हों पचपन।
सुन लो अनु की बात,लगें ये गुड़ की पीठी।
मन हर लेते बाल,करें ये बातें मीठी।।



कुण्डलियाँ (78)
विषय-बातें
बातें बोलो सोचके,बातें देतीं चोट।
बने बतंगड़ बात का,पड़तीं जैसे सोट।
पड़तीं जैसे सोट,जुड़े ना टूटा नाता।
बोलो मीठी बात,तुम्हारा क्या है जाता।
मानो अनु की बात,वृथा न करो तुम रातें।
बातें रहतीं याद,हँसातीं प्यारी बातें।।


 
   

रचनाकार का नाम-

अनुपमा अग्रवाल
[03/02 9:06 PM] नीतू ठाकुर 'विदुषी': 03/02/2020
कलम की सुगंध छंदशाला
*शतकवीर हेतु कुण्डलियाँ*
विषय - *माना*

माना ईश्वर श्रेष्ठ हैं, हम हैं उनके दास।
सुख की छाया से ढके, दुख में रहते पास।।
दुख में रहते पास , ह्रदय को धीरज देते।
रखते सबका ध्यान, पुष्प श्रद्धा के लेते।।
उनके नाम अनेक , सत्य को किसने जाना।
फलता है हर रूप , अगर मन से है माना।।

विषय- *कहना*
कहना सब का मानिए , जाँच,परख सब सोच।
कलयुग पापी से भरा, खाये तन को नोच।।
खाये तन को नोच , सोच कितनी है दूषित।
अपराधी को मान , हुआ कुंठित हर शोषित।।
मौन सहे अपराध , सत्य को पड़ता सहना।
झूठों का संसार , मान ज्ञानी का कहना।।

*नीतू ठाकुर 'विदुषी'*

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