Wednesday 15 January 2020

कुण्डलियाँ छंद...गलती,बदला


[15/01 5:34 PM]सरोज कंवर शेखावत: समीक्षार्थ प्रस्तुत🙏🙏
धागा
इक धागे के छोर से, उड़कर चली पतंग।
चली हवा के साथ वो,मन में भरी उमंग।।
मन में भरी उमंग,जोश जीवन में भरती।
बिखरे अम्बर रंग, तरंगें नभ में करती।।
उसके पीछे बाल, सभी नंगे पग भागे।
उड़ते देखो चाल, मटकते इक इक धागे।।

बिखरी
बिखरी पल में जिंदगी, उपवन हुए उजाड़।
कदम एक ऐसा पड़ा,दीना काम बिगाड़।।
दीना काम बिगाड़, सत्य के पथ से भटके।
मानुष है लाचार,काल के पड़ते फटके।।
सोच समझ चल चाल, जिंदगी पाए निखरी।
सच का देख कमाल, संवरे किस्मत बिखरी।।
        सरोज कंवर शेखावत
        जयपुर राजस्थान
[15/01 6:09 PM] बाबूलाल शर्मा बौहरा: °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
•••••••••••••••••••••••••••••बाबूलालशर्मा
.           *कलम की सुगंध छंदशाला*

.           कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु

.              दिनांक - १५.०१.२०२०

कुण्डलियाँ (1)
विषय-            *गलती*
गलती  हो  यदि  वैद्य से, दबे  बात शमशान!
अधिवक्ता  की  न्याय में, भले  बिगाड़े  मान!
भले  बिगाड़े  मान, वणिक  बस  घाटा खाए!
यौवन बालक शिल्प , क्षम्य वह भी हो जाए!
शर्मा   बाबू  लाल, भूप   की  दीर्घ  सुलगती!
शिक्षक कवि साहित्य, पड़े भारी भव गलती!
•.                  •••••••••• 
कुण्डलियाँ (2)
विषय-             *बदला*
बदला लिया कलिंग ने, किया मगध का ह्रास!
दोनो तरफ विनाश बस, पढिए जन इतिहास!
पढ़िये जन इतिहास, सत्य जो सीख सिखाए!
भूत  भावि   संबंध,  शोध  नव  पंथ  दिखाए!
शर्मा   बाबू   लाल, करो  मत  मानस  गँदला!
लेते    देते   हानि , सखे   दुख दायक बदला!
•.                     •••••••••
रचनाकार -✍©
बाबू लाल शर्मा,बौहरा
सिकंदरा,दौसा, राजस्थान
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[15/01 6:09 PM] रामलखन शर्मा अंकित: जय माँ शारदे

कुंडलियाँ

43. गलती

गलती होना मनुज से, स्वाभाविक सी बात।
पर दोबारा मत करो, वह गलती फिर तात।।
वह गलती फिर तात, इसे जीवन मे धारो।
की गई गलती बन्धु, अगर हो सके सुधारो।।
कह अंकित कविराय, हृदय से आस निकलती।
भूले से भी आप, करो मत फिर वह गलती।।

44. बदला

बदला बदला लग रहा, ये सारा परिवेश।
परिवर्तन का दे रहा, ये हमको संदेश।।
ये हमको संदेश, पड़ेगा हमे बदलना।
इसके ही अनुरूप, पड़ेगा हमको ढलना।।
कह अंकित कविराय, नहीं जीवन मे मद ला।
उत्तम रखो विचार, विचारों से युग बदला।।

45. बाबुल

बाबुल जब करता विदा, बेटी को ससुराल।
करता खुद से दूर जब, हो जाता बेहाल।।
हो जाता बेहाल, हाल उसका ये होता।
सारा धैर्य बिसार, लिपट बेटी सँग रोता।।
कह अंकित कविराय,हुआ है तन मन आकुल।
बेटी से हो दूर, हुआ है बेसुध बाबुल।।

46. भैया

भैया तुमसे माँगती, बस इतना वरदान।
जीवन मे रखना सदा, तुम बहना का ध्यान।।
तुम बहना का ध्यान, बनो तुम हमें सहारा।
तुमसे बढ़कर और, भला है कौन हमारा।।
कह अंकित कविराय, बहन है तेरी गैया।
रखना हरपल ध्यान, हमारे प्यारे भैया।।

----- राम लखन शर्मा ग्वालियर
[15/01 6:15 PM] प्रतिभा प्रसाद: *कुंडलियाँ*
विषय  ----   *गलती , बदला*
दिनांक  --- 15.1.2020....

(53)              *गलती*

गलती हो ही जाय‌ तो , कर देना तुम माफ ।
आँसू ढ़लके आँख से , बात करना यूँ साफ ।
बात करना यूँ साफ , नहीं ढ़ूढों हाँ गलती ।
गलती देती सीख , सदा गुण ही है फलती ।
गुण से मिलता सीख , काल जैसे भी चलती ।
काल बनाता लीक , कभी मत करना गलती ।।


(54)             *बदला*

बदले से बदला बढ़ें ,  बुझता पानी आग ।
जीवन संग रंग सदा , खेलो जीवन फाग ।
खेलो जीवन फाग , सदा खुशियाँ है छाईं ।
सुन लो तुम यह बात , नेह हरियाली लाई ।
कह कुमकुम करजोरि , समय से सब कुछ सह ले।
कभी न ऐसा सोच , कभी जो बदला बदले ।।



🌹 *प्रतिभा प्रसाद कुमकुम*
       दिनांक  15.1.2020......

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[15/01 6:22 PM] +91 94241 55585: शतकवीर कलम की सुगंध
कुण्डलिनीयां

    गलती

माने  गलती क्या जरा, अहंकार में भरा
 दोस्ती बदली जब कभी, होता वह मन खरा
 होता वह मन खरा,सोचता पगला बोला
चोरी गाली करें ,तभी वह खुद मुंह खोला
 हथकड़ी लगे उसे ,करे ना चोरी ठानों
 साथ सही पहचान ,सही जो बातें मानो

बदला

कपड़े बदले जब दिखे ,लगता नाटककार
 कान्हा राधा का अदा ,करता अभिनय सार
 करताअभिनय सार, रूप में मोहित होते
लेत अवतार ठौर ,दिखे वे हंसते रोते
 नकली कपड़े डाल ,वही सब करते लफड़े
 कहती सारा सार,बदल मत उसके कपड़े
   
    धनेश्वरी सोनी गुल बिलासपुर
[15/01 6:33 PM] इंद्राणी साहू साँची: कलम की सुगंध छंदशाला

कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु

दिनाँक - 15/01/2020
दिन - बुधवार
51 - कुण्डलिया (1)
विषय - गलती
**************
उलझा हुआ सवाल है , मानव की पहचान ।
पापसम्भवा है मनुज ,गलती निश्चय जान ।
गलती निश्चय जान , करो लेकिन प्रायश्चित ।
सच्चा ही इंसान ,सुधारे गलती नित नित ।
सही गलत का प्रश्न ,नहीं अब तक है सुलझा ।
दृष्टिकोण का भेद ,रखे मन उलझा उलझा ।।
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52 - कुण्डलिया (2)
विषय - बदला
****************
आया कैसा यह समय ,बीच भँवर में नाव ।
स्वार्थ लोभ में है घिरा ,बदला मनुज स्वभाव ।
बदला मनुज स्वभाव ,बना वह पुतला धन का ।
बदल गया उद्देश्य , आज सबके जीवन का ।
मधुर कहाँ संबंध , घिरे सब नफरत माया ।   
पशुओं सा व्यवहार ,जमाना कैसा आया ।।

********************************
✍️इन्द्राणी साहू "साँची"✍️
   भाटापारा (छत्तीसगढ़)
★★★★★★★★★★★★★★★
[15/01 6:37 PM] बोधन राम विनायक: *कलम की सुगन्ध छंदशाला*
कुण्डलियाँ - शतकवीर सम्मान हेतु-
दिनाँक - 15.01.2020 (बुधवार)

(51)
विषय - गलती

गलती कभी न कीजिये,काम बने सब नेक।
सोच-समझ हो फैसला, हो हजार में एक।।
हो हजार में एक, भूल मत तुम भी करना।
होगा सरल उपाय,उसी पर पग तुम धरना।
कहे  विनायक राज, रहेगी  हाथों  मलती।
पछतावा तब होय,करेगी फिर जब गलती।।

(52)
विषय - बदला

रहना है सब  प्रेम से, नहीं  दुश्मनी आज।
मिलकर करने काज हैं,इसमें कैसी लाज।।
इसमें कैसी लाज,चलो फिर हाथ बढ़ाओ।बदले का मत सोच,सभी को गले लगाओ।।
कहे विनायक राज,कष्ट को सबको सहना।
भाई-भाई   साथ, एक  दूजे   सँग  रहना।।


बोधन राम निषादराज"विनायक"
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)
[15/01 6:38 PM] कृष्ण मोहन निगम: दिनांक 15 जनवरी 2020
कलम के सुगंध छंदशाला शतकवीर हेतु

विषय .....   (51)   *गलती*
गलती  करता   'और' है,  दुष्फल पाता 'और' ।
मूषक खोदे भूमि जो , हिरण फँसे उस ठौर।।
हिरण फँसे उस ठौर , दृश्य सबको भरमाता।।
राजा का   अविवेक ,   दंड जनता सिर आता ।
कहे "निगम कविराज" ,  सरलता ऐसी फलती ।
पुत्र गया   वनवास ,   पिता ने   की थी गलती ।।

विषय ....   (52)  *बदला*
बदला  - बदला सा लगे  ,  भारत का परिदृश्य।
पढ़- बढ़ रहा समाज अब,  लुप्त भाव-अस्पृश्य।
लुप्त   भाव अस्पृश्य ,  चली है      खाई पटने ।
ऊँच-नीच की    बात ,   लगी है अब तो मिटने ।।
"निगम"    हुईं  आजाद ,   बेटियाँ देती बतला ।
होने लगा   विकास ,   देश है   बदला बदला ।।

कलम से
कृष्ण मोहन(सीतापुर)
सरगुजा(छ.ग.)
[15/01 6:38 PM] अनिता सुधीर: कुण्डलिया शतकवीर

गलती
गलती से गलती हुई ,गलती है स्वीकार ।
गलती को स्वीकारिये,मध्य बढ़ेगा प्यार  ।
मध्य बढ़ेगा प्यार ,नहीं रहता मन बोझिल।
दिल को मिलता चैन,नहीं हो दूजा चोटिल ।
करें गलत पर वार,तभी ये दुनिया चलती।
मत करिये उपहास,मानती अपनी गलती ।

बदला
'बदला' की जो सोचते ,खोते अपना चैन ।
रात रात भर जागते,रूठे रूठे नैन ।
रूठे रूठे नैन ,दिखाते  कितनी बातें ।
उलझ गया इंसान ,सोच के कितनी घातें।
कहती अनु ये बात ,समझ लो अगला पिछला ।
मत करना तुम वार ,नहीं लो कोई बदला ।

अनिता सुधीर
लखनऊ
[15/01 6:40 PM] सरला सिंह: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुण्डलिया शतकवीर हेतु*
*दिन-बुधवार*
 *विषय-गलती,बदला*
*दिनांक-15/02/2020*

     *51-गलती*
 गलती हो कोई अगर, करना उसको माफ,
 जीवन तुझको है दिया, दिल मेरा है साफ।
 दिल मेरा है साफ, दया बस इतनी करना।
 रखना सिर पर हाथ,सदा झोली यह भरना।
 कहती सरला आज, रहे दुनिया यह चलती।
 तेरा आशीर्वाद , माफ करना हर गलती।।
               *52-बदला*
 लगता सब बदला यहां, लगें बदलते लोग।
 स्वार्थ में डूबा हुआ, लगा अजब यह रोग।
 लगा अजब यह रोग, नहीं पहचाने अपने।
 माया का सब खेल, और उलझे से सपने।
 कहती सरला बात,दिखे जग खाली भगता।
 खोया है जज़्बात, नहीं अपनापन लगता।

*डॉ सरला सिंह स्निग्धा*
*दिल्ली*
[15/01 6:48 PM] चमेली कुर्रे सुवासिता: कलम की सुगंध छंदशाला
*कुण्डलिया शतकवीर*

दिनांक- 15/01/2020
कुण्डलिया- ( *49*)
विषय - *धागा*
धागा रक्षा सूत्र का , बांधे बहना प्यार ।
कच्चे को पक्का करे , रिश्तो में अधिकार।।
रिश्तो में अधिकार , सदा दे मन को जोड़े।
कुछ फूले मन आज , भरोसा पल-पल तोडे़।।
सुवासिता दे ध्यान , रहे कोई न अभागा।
पावन बंधन प्रेम , बना है कच्चा धागा।।

कुण्डलिया -( *50*)
विषय - *बिखरी*

बिखरी है ये जिंदगी , बीच राह में आज।
रोज रोटियों के लिए , करें बालिका काज ।।
करें बालिका काज , ईट पत्थर ये ढ़ोती ।
बचपन कर बर्बाद , बैठ कोने में रोती।।
सुवासिता फिर आज , वही शिक्षा से निखरी ।
कलम थमा दी हाथ , चाँदनी सी ये बिखरी।।

कुण्डलिया -( *51*)
विषय - *गलती*
गलती पर अपनी सभी , परदा देते डाल।
आदत ये इंसान की , करे हाल बदहाल।।
करे हाल बदहाल , नशे में ढूबे रहते।
नहीं सोच अंजाम , डरे मन से ये कहते।।
सुवासिता कर गौर , सदा खुद को क्यों छलती।
हाथ जोड़ कर रोज , वही फिर करती गलती।।

कुण्डलिया - ( *52*)
विषय - *बदला*
बदला जब जब वक्त है , बदल गये तब लोग।
अपने भी बदले सभी , यह परिवर्तन रोग।।
यह परिवर्तन रोग , लगा है जग में कैसे।।
लोटा पेन्दी देख , अलग रहते है ऐसे।
सुवासिता ले मान , भूल कर पिछला अगला।
रहे एकजुट साथ , त्याग दो मन का बदला।।

           🙏🙏🙏
✍चमेली कुर्रे 'सुवासिता'
जगदलपुर (छत्तीसगढ़)
[15/01 6:57 PM] आशा शुक्ला: कलम की सुगंध छंदशाला
कुंडलियाँ शतकवीर हेतु

(51)
गलती

  गलती मानव  ही करे , हो जाती  है भूल।
 चुभती है दिन रात ये, बनकर तीखा शूल।
बनकर तीखा शूल, खटकती फिर आजीवन।
 पछताता  दिन-रात , दुखित होता मानव मन।
 करते  शीघ्र   उपाय, नहीं जिजीविषा हिलती।
 होते  ज्ञानी लोग,  करें सुधार निज गलती ।


(52)
बदला

बदला- बदला सा लगे, अब मौसम का रूप।
कभी जोर है शीत का ,कभी खिली है धूप।
 कभी खिली है धूप, मृदुल मनभावन लीला।
 सहसा  बरसे  मेह,  बना  मौसम  रंगीला।
 अब देखो तत्काल, हटा नीरद रवि निकला।
 धूप छांँव का खेल, दिखाता मौसम बदला।


आशा शुक्ला
शाहजहाँपुर, उत्तरप्रदेश
[15/01 6:58 PM] धनेश्वरी देवाँगन 'धरा': कुँडलिया शतकवीर हेतु
51).   गलती

गलती से ही सीखता , करो सदा स्वीकार ।
उन्नति सीढ़ी गलतियाँ , चढ़कर कर लो पार।।
चढ़कर कर लो पार , भूल मानव से होती ।
मिलती त्रुटि  से सीख ,चमकते बनकर मोती ।।
सुनो "धरा" की बात , वचन कटु हर पल खलती ।
करो क्षमा बस आप , भले हो कितनी गलती ।।


52.)    बदला

बदला बदला जग हुआ ,बदले सारे लोग ।
बदल रहा ये देश जी , कैसा आया योग।।
कैसा आया योग , खो रही देखो संस्कृति ।
मान सम्मान भूल ,भूलते पूर्वज उपकृति ।।
कहे "धरा" कर जोड़ , सँवारे फिर से अचला ।
करो स्वच्छ बस हृदय  , लगे फिर सब कुछ बदला ।।


*धनेश्वरी देवांगन धरा*
*रायगढ़, छत्तीसगढ़*
[15/01 6:59 PM] वंदना सोलंकी: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुंडलियाँ  शतकवीर हेतु*
बुधवार-15.01.2020

*51)गलती*

तेरी गलती है बड़ी,मैं तो हूँ निर्दोष।
मनुज नहीं है मानता,उसका कोई दोष।
उसका कोई का दोष,स्वयं को माने सच्चा।
मैं हूँ बड़ा अबोध,सरल ज्यों भोला बच्चा।
कहते सब ये बात,भूल या चूक न मेरी।
कर लो तुम स्वीकार,कमी कोई हो तेरी।।

*52)बदला*

बदला बदला समय है,बदल गए हैं लोग।
सबको आज लगा हुआ,निज स्वारथ का रोग।
निज स्वारथ का रोग,नहीं है कोई साथी।
अंदर बाहर दांत,रखे ज्यूँ मुँह में हाथी।
सुन वन्दू की बात,हृदय है मेरा सरला।
देख जगत की रीत,नहीं मेरा दिल बदला।।

*रचनाकार-वंदना सोलंकी*
*नई दिल्ली*
[15/01 7:03 PM] प्रमिला पाण्डेय: कलम की सुगंध कुंडलियां शतक वीर
दिन-बुधवार

15/1/2020
 (51) बदला

लंका पति मारीच को,   ले आया  दरबार।
बदला लेने के लिए ,करने लगा विचार।
करने लगा विचार,   हरूं। कैसे मैं सीता
 बन कर कंचन हिरन, घूम तू कुटी पुनीता।
 राम की हो आवाज  तनिक नहि होवे  शंका।
 लू बदला मैं आज,   ले आउँ सीता  लंका।।

(52)गलती

 गलती मानत राम जी ,जोड़े  मुनि के हाथ।
 बार- बार पीछे हटे, लखन संग रघुनाथ।
 लखन संग रघुनाथ,  खड़े हैं दोनो भाई
 परशुराम ललकार,  कहें सुन लो रघुराई।
  खंड परे महि चाप , देख तन आग सी जलती।
  लाओ  सम्मुख  आज,   राम जिसने की गलती।।

 प्रमिला पान्डेय
[15/01 7:03 PM] पाखी जैन: कलम की सुगंध छंदशाला
शतकवीर हेतु कुण्डलिया

47--कोना ...

कोना घर का  गूंजता , सुन के  वह  किलकार ।
सुनो हँसी मासूम की , कह रहा  दिल पुकार  ।
कह रहा दिल पुकार ,रहे घर सदा चहकता
मिलने नन्ही जान,कौन इंतजार   करता।
पाखी भोली बोल , ठगे  मन सभी कहाँ पर ।
सुनने वह किलकार , दौड़ के  खोजे कोना
पाखी


48--मेला
मेला ये दुनियाँ बनी ,रोज तमाशा देख ।
कठपुतली सी नाचती,जगत मदारी भेष।
जगत मदारी भेष, रंग अनेक दिखते हैं।
भाजी खाजा दाम , एक  भाव ही
 बिकते हैं ।
पाखी होती दंग ,रहे आदमी  अकेला ।
दुनिया बनी सराय ,रोज लगता है मेला।

49--धागा

पाखी धागा प्रीत का , दिया तोड़. चटकाय ।
जुड़ता टूटा मन कहाँ ,  लाखों करो उपाय ।
 लाखों करो उपाय ,गाँठ जुडने पर  पड़ती।
बनता दूध पनीर , आँच पर खीर न चढ़ती।
कह पाखी मन पाय, नीम कड़वी कब चाखी ।
धागा पिरोय प्रीत ,आम रस चखती पाखी।

मनोरमा जैन पाखी
15/01/2020
[15/01 7:09 PM] सरोज दुबे: कलम की सुगंध शतकवीर हेतु
कुंडलियाँ -51
दिनांक -15-1-20

विषय -गलती

गलती से मत बोलना, वचन कभी कटु बोल l
लगती दिल को ठेस है, सोच समझ मुख खोल
सोच समझ मुख खोल, बोल मीठे ही भाते l
मन को मिले सुकून, याद जीवन भर आते l
देखे हाथ सरोज, समय निकले कर मलती l
रखना बस ये ध्यान, नहीं करना  तुम  गलतीl

कुंडलियाँ -52
दिनांक -15-1-20

विषय -बदला

बदला बदला सा लगे, देखो मौसम आज l
दस्तक जैसे दे रहा, ऋतुओं का ऋतुराज l
ऋतुओं का ऋतुराज, पवन खुश हो के झूमें 
खिलते जहाँ प्रसून, भ्रमर कलियों  को चूमें l
कहती सुनो सरोज, देख बसंत फिर मचला
सुन्दर सा ये रूप, लगे मौसम अब  बदला l

सरोज दुबे
रायपुर छत्तीसगढ़
🙏🙏🙏🙏
[15/01 7:18 PM] डा कमल वर्मा: कलम की सुगंध छंद शाला प्रणाम 🙏🏻
कुंडलियाँ शतक वीर के लिए रचना
दिनांक 15_1_2020
डॉ श्रीमती कमल वर्मा।
कुंडलियाँ क्र55
विषय_ गलती
 सारी खोदी जिंदगी,गलती समझ न आय।
उलट बरेली बास यें,वापस फिर क्यों जाय।। वापस फिर क्यों जाय,आज मैं वापस आई।
शुरू जहाँ की बाद,वहीं पर ला टपकाई।।
कमल कहीं मत सोच,यही तो दुख है भारी।
बूंद समझ कबआय,उम्र नद तैरी सारी।।

कुंडलियाँ क्र 56.
विषय _बदला।
बिगडा हिन्दूस्तान है,बदल गया परिवेश।
नकल दुनियाँ की करें, बदला मेरा देश।।
बदला मेरा देश, सुता साझा होती थी।
रोता सारा गाँव,बिदा जब वह होती थी।।
कमल कहे हो शील,भंग,या करते झगडा।
मानवता दी छोड़,कहे क्या मेरा बिगडा।।
कृपया समिक्षा करें।
[15/01 7:21 PM] सुकमोती चौहान रुचि: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु

दिनाँक- 14/01/2020

*धागा*

धागा रिश्तों का अमिट,एक दूसरे संग।
नहीं अछूता है बचा,अब कोई भी रंग।
अब कोई भी रंग,जुड़े ये सारी कड़ियाँ।
अनुपम परिणित बंध,गुँथे फूलों की लड़ियाँ।
कहती रुचि करजोड़,स्नेह बिन मनुज अभागा।
प्रीत रीत संबंध,न टूटे दिल का धागा।

*बिखरी*

बिखरी निर्मल चाँदनी,जगमग है आकाश।
मन को आनंदित करें,अंतस तम का नाश,
अंतम तम का नाश,विभा मद्धिम आकर्षित।
हृदय तरंगित भाव,चित्र कृति करती कल्पित।
कहती रुचि करजोड़,टिमटिमाती नित निखरी।
कृष्ण पक्ष की रात,चाँदनी अद्भुत बिखरी।


दिनाँक- 15/01/2020

*गलती*

गलती यदि हो जब कभी,करो उसे स्वीकार।
उससे लेकर अब सबक,लाओ और निखार।
लाओ और निखार,समय भी यही सिखाती।
अनुपम अनुभव नित्य,दुःख की घूँट पिलाती।
कहती रुचि करजोड़,शाम जब जब है ढ़लती ।
मंथन करें जरूर,किये क्या कितनी गलती।

*बदला*

बदला मौसम देख अब,आया पास चुनाव।
लड़ते  कुर्सी  के  लिए , खेले  नाना दाव।
खेले  नाना  दाव,लुभाते करके ये वादे।
दामन जिनके दाग,वस्त्र पहने वे सादे।
कहती रुचि करजोड़, भूलकर वादा पहला।
वही घोषणा पत्र,कहाँ है कुछ भी बदला।

✍ सुकमोती चौहान रुचि
बिछिया,महासमुन्द,छ.ग.
[15/01 7:22 PM] अमित साहू: कलम की सुगंध~कुण्डिलयाँ शतकवीर

51-गलती (15.01.2020)
अनजाने गलती सही, मानवीय यह भूल।
नहिँ पश्चाताप यदि, देता अतिशय शूल।
देता अतिशय शूल, वक्ष को छलनी करता।
भरकर आत्मग्लानि, स्वयं ही तिल-तिल मरता।।
कहे अमित कविराज, एक त्रुटि लाख बहाने।।
करें कभी नहिँ भूल, समय जाने अनजाने।।


52-बदला
विनिमय बदला नीति है, लेन-देन सिद्धांत।
एक वस्तु के स्थान पर, मिले सहज उपरांत।।
मिले सहज उपरांत, यही है अदला-बदली।
कर्मभोग परिणाम, आम्र पर कैसे कदली।
नियत अमित प्रतिकार, बदलने में क्यों विस्मय।।
पलटा अरु प्रतिशोध, अर्थ सम बदला विनिमय।।

कन्हैया साहू 'अमित'
[15/01 7:28 PM] उमाकांत टैगोर: *कुण्डलिया शतकवीर हेतु*
*दिनाँक- 08/01/20*
कुण्डलिया(41)
विषय- धरती

धरती दूषित हो रही, रखे कौन अब ध्यान।
राजनीति खामोश है, चुप बैठे इंसान।।
चुप बैठे इंसान, कौन इस सच को माने।
हुआ कौन है संत, मर्म इसका जो जाने।।
अपने सिर पर भार, लिए दुख जग की हरती।
लेकिन शोषित आज, हुई है अपनी धरती।।

कुण्डलिया(42)
विषय- मानव

मानव हित पर बात हो, संसद में इस बार।
इन बातों को छोड़कर, सब बातें बेकार।।
सब बातें बेकार, इसे ही अपनी जानों।
मंदिर मस्जिद छोड़, एक है ईश्वर मानों।।
मत हो अब तकरार, बने मत कोई  दानव।
हिंसा भी हो खत्म, क्रूर अब मत हो मानव।।


*दिनाँक- 09/01/20*
कुण्डलिया(43)
विषय- गागर

गोरी पनघट को चली, लिए ठुमकती चाल।
चंचल चितवन रूपसी, फेंके मोहित जाल।।
फेंके मोहित जाल, लौट पनघट जब आये।
अलकें जाती भीग, छलकती गागर जाये।।
कातर दृग से तीर, चलाये चोरी चोरी।
लेकिन करे न बात, गाँव की चंचल गोरी।।

कुण्डलिया(44)
विषय- सरिता

कविताई करनी अगर, मन को रखना शांत।
कोमल सुन्दर भाव हो, भीतर मत हो क्लांत।।
भीतर मत हो क्लांत, दया जीवों पर आये।
हर मानव से प्रेम, एक सा सब ही भाये।।
और किनारे बैठ, जहाँ बहती हो सरिता।
फिर तो अपने आप, निकलती जाये कविता।।


रचनाकार-उमाकान्त टैगोर
कन्हाईबंद, जाँजगीर(छत्तीसगढ़)
[15/01 7:35 PM] अनंत पुरोहित: कलम की सुगंध छंदशाला
कार्यक्रम कुंडलियाँ शतकवीर हेतु
अनंत पुरोहित 'अनंत'

दिन सोमवार 13.01.2020

47) कोना

*कोना-कोना* देश का, करता है अभिमान
वारा विह्वल वीर ने, किया *जान* बलिदान
किया *जान* बलिदान, *जान* लो *जन-जन* जनता
*कण-कण* कतरा रक्त, बहा बलिदानी बनता
कह अनंत कविराय, सुनो लोगों का रोना
क्रंदन करुण पुकार, देश का *कोना-कोना*

48) मेला

माया का मेला लगा, दुनियाँ एक प्रपंच
मानव कठपुतली हुआ, जग बना रंगमंच
जग बना रंगमंच, फिरा नर नाटक करता
धोखा चारों ओर, पेट छल करके भरता
कह अनंत कविराय, मिटे माटी की काया
पल भर में सब नाश, नहीं है शाश्वत माया

दिन मंगलवार 14.01.2020

49) धागा

धागा रेशम बाँधने, चली पूर्णिमा भोर
स्नेह स्वसा संसार में, बंधन पवित्र डोर
बंधन पवित्र डोर, थाल में बहन सजाकर
भ्राता रखता मान, भाल में तिलक लगाकर
कह अनंत कविराय, अनोखा है यह तागा
आन मान सम्मान, सभी रखता यह धागा

50) बिखरी

खुशियाँ बिखरी हैं पड़ी, पाना बहु आसान
अहंकार ईर्ष्या तजो, भेद यही लो जान
भेद यही लो जान, यही हैं दुख के कारण
प्रभु से करते दूर, करो तुम इनका वारण
कह अनंत कविराय, खिले हैं मनकी कलियाँ
जब नर देता वार, मिले तब उसको खुशियाँ

रचनाकार-
अनंत पुरोहित 'अनंत'
[15/01 7:36 PM] अटल राम चतुर्वेदी, मथुरा: *15.01.2020 (बुधवार)*

51-   गलती
**********
गलती करके ऐंठना, बहुत बड़ी है भूल।
अगर सहज स्वीकार लें, मिले न कोई तूल।
मिले न कोई तूल, भरोसा रहता कायम।
दुश्मन को लें जीत, भाव जो रखें मुलायम।
"अटल" कहें जो बात, न मारें उससे पलटी।
एक बार की माफ, सदा होती है गलती।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏


52-   बदला
**********
बदला लेने जो चला, भूला वह निज ज्ञान।
जिस-जिस की यह सोच है, कहाँ रहा इंसान ?
कहाँ रहा इंसान, समय पर कुछ तो छोड़ो।
देगा उचित जबाव, भरोसा यूँ मत तोड़ो।
"अटल" न माने बात, क्रोध कर बनता पगला।
समय करे सब ठीक, स्वतः ले लेता बदला।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏
[15/01 7:40 PM] अनुराधा चौहाण मुम्बई: कलम की सुगंध
कुण्डलियाँ शतकवीर
दिनाँक--15/1/20

51
गलती
गलती कर-कर सीखते,करते ऊँचा नाम।
गलती देती सीख ये,करले अच्छे काम।
करले अच्छे काम,तभी तो मंजिल मिलती।
सपने हो साकार,कली फिर दिल की खिलती।
कहती अनु सुन बात,बुराई पीछे चलती।
गलती से ले सीख,नहीं फिर होती गलती

52
बदला
जाने कैसा हो गया,मौसम का अब हाल।
बदला बदला रूप है,मानव है बेहाल।
मानव है बेहाल,चढ़ा मौसम का पारा।
करनी अपनी देख,उजाड़ा उपवन सारा।
रोता अब है बैठ, फिर भी गलती न माने।
बदला मौसम देख,खुद को न दोषी जाने।

अनुराधा चौहान
[15/01 7:42 PM] कुसुम कोठारी: कमल की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
१५/१/२०
कुसुम कोठारी।

कुण्डलियाँ :(५१)

विषय-गलती
मानव करता भूल है , जान और अन्जान ,
गलती कर जो सीखता ,वो ही है गुण खान ,
वो ही है गुण खान , करे जो उत्तम करनी ,
माने निज की भूल , विज्ञ की सुनता कथनी ,
सुनो कुसुम मधु बात , हठी ना होवे आनव ,
मंथन करे विवेक  , सजग हो प्रतिपल मानव  ।।

कुण्डलियाँ :(५२)

विषय-बदला
बदला-बदला रूप है , बदली सी है चाल ,
अभिमानी सम्मान पा  , होता है खुशहाल ,
होता है खुशहाल , घड़ा ज्यों छलका जाता ,
निज को समझें विज्ञ ,ज्ञान की थाह न पाता ,
कुसुम कहे ये बात ,हृदय इनका है काला ,
साम दाम की धार  , भाव में रहता बदला ।।

कुसुम कोठारी।
[15/01 7:43 PM] राधा तिवारी खटीमा: कलम की सुगंध
छंदशाला शतकवीर   हेतु कुंडलियां
15/01/2020


गलती (51)
गलती करने से नहीं, होते हैं बदनाम।
 गलती जो करते नहीं, उनके रूकते काम।
 उनके रुकते काम, कमी को हरदम बोलो।
 करने सच्ची बात, अरे तुम मुँह तो खोलो।
कह राधेगोपाल, कमी तो सबको खलती ।
सीखोगे हर काम, करोगे जब भी गलती।।

 बदला (52)

बदला लेने को कभी, मन में मत रख आस।
 इस जग में सबसे बड़ा, होता है विश्वास।
 होता है विश्वास, नहीं तुम इसको तोड़ो।
 रिश्ते नातें सदा, अरे तुम जग में जोड़ो।
 कह राधे गोपाल,यही तो सबको बतला।
जो करता हर काम,सदा ही वो है बदला।।

राधा तिवारी "राधेगोपाल"
खटीमा
उधम सिंह नगर
उत्तराखंड
[15/01 7:56 PM] अभिलाषा चौहान: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु*
*कुण्डलियाँ(५१)*
*विषय-बदला*

कैसा आया वक्त ये,बदला है परिवेश।
अपने बैरी बन गए,जीवन में है क्लेश।
जीवन में है क्लेश,टूटते रिश्ते -नाते।
पैसों का सब खेल,भाव मन मरते जाते।
कहती'अभि'निज बात,लगे जीवन रण जैसा।
रोते हैं मां-बाप,देखते दिन ये कैसा।

*कुण्डलियाँ(५२)*
*विषय-गलती*

गलती पर गलती करे,रहता बन अनजान।
ऐसा जन सुधरे नहीं ,कहते चतुर सुजान।
कहते चतुर  सुजान,भार यह तन का ढोता ।
बनता हैं विद्वान,अक्ल से पैदल होता।
कहती'अभि'निज बात,सीख इसको है खलती।
सबको देता कष्ट,करे गलती पर गलती।

*रचनाकार-अभिलाषा चौहान*
[15/01 7:59 PM] संतोष कुमार प्रजापति: कलम की सुगंध छंदशाला

*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु*

दिनांक - 15/01/2020

कुण्डलिया (51)
विषय- गलती
==========

गलती  पर  गलती  करें, जानबूझ  कर  लोग l
इनके आका भी वही, जिन्हें  रुपये का  भोग Il
जिन्हें रुपये का भोग, नियम  सब वही बनाते l
उल्टा - सीधा  काम, नहीं   किंचित   घबड़ाते ll
कह 'माधव कविराय', प्रजा मत दे कर मलती l
नृप  उनके  अवलम्ब, सदा जो  करते  गलती ll

कुण्डलिया (52)
विषय- बदला
===========

कैसे अब शासक हुए,  बदला - बदला भाव I
कभी जीतकर प्रेम था, आज जीतकर ताव Il
आज   जीतकर   ताव, पुराना   बैर  भँजाते l
दुरुपयोग   सामर्थ्य, उजागर  खार   सजाते ll
कह  'माधव कविराय', बने  हिरनाकुश  जैसे l
सदा   रहें   मदचूर, अमन  होगा  फिर  कैसे ll

रचनाकार का नाम-
           सन्तोष कुमार प्रजापति 'माधव'
                        महोबा (उ.प्र.)
[15/01 8:10 PM] अर्चना पाठक निरंतर: कलम की सुगंध
----------------------
कुंडलियाँ शतक वीर हेतु

 दिनांक 15/ 01/ 2020
 गलती
--------
गलती मेरी माफ हो,करती हूँ मनुहार।
दिल जब दुख जाये कभी, रच डाले अनुहार ।।
रच डाले अनुहार,नया सा कुछ कर पाते।
छोटी सारी बात,कहीं टूटे ये नाते।।
कहे निरंतर बात ,सपन सिंदूरी पलती।
तिल बन जाये ताड़ ,करो मत ऐसी गलती।।

बदला
-------
बदला  सारा रूप है, बदला लेगी आज।
बहुत किया विध्वंस तो, बिगड़ा सारा काज।।
बिगड़ा सारा काज ,पवन धूमिल है सारा।
धुआँ भरा आकाश, रहा है बढ़ता पारा।।
कहे निरंतर बात ,धरा को जैसे अदला ।
अब क्या देगी साथ, ठीक वैसे ले बदला।।

अर्चना पाठक
[15/01 8:13 PM] गीतांजलि जी: कुण्डलिया शतकवीर

दिनांक - १५/०१/२०

(५१) ग़लती

गलती इक क्षण की बड़ी, दीर्घ दे गई दाह।
भेजा हठ कर राम को, हिरण्य मृग की चाह।।
हिरण्य मृग की चाह, सुनी न कही जो भाई।
रहा रक्ष जो भ्रात, उसे भी भेजा माई।।
चतुर आसुरी चाल, रही पग पग मति छलती।
त्रिजटा से कह बात, सिया पछताती गलती।।

(५२) बदला

बदला वन का वेश है, जब से आये राम।
संकट असुरों का टला, किया वीर शुभ काम।।
किया वीर शुभ काम, हने जो दानव गिन गिन।
भाई लक्ष्मण संग, चले सुधर्म मग दिन दिन।।
हुए उपद्रव शांत, स्वच्छ हुआ जल गंदला।
जय जय जय श्री राम, वनी जन जीवन बदला।।

गीतांजलि अनकही
[15/01 8:14 PM] रामलखन शर्मा अंकित: जय माँ शारदे

कुंडलियाँ

43. गलती

गलती होना मनुज से, स्वाभाविक सी बात।
पर दोबारा मत करो, उस गलती को तात।।
उस गलती को तात, इसे तुम अभी सम्हारो।
अपनी गलती बन्धु, अगर हो सके सुधारो।।
कह अंकित कविराय, हाथ फिर दुनिया मलती।
होवे पश्चाताप, करो मत ऐसी गलती।।

44. बदला

बदला बदला लग रहा, ये सारा परिवेश।
परिवर्तन का दे रहा, ये हमको संदेश।।
ये हमको संदेश, पड़ेगा हमे बदलना।
इसके ही अनुरूप, पड़ेगा हमको ढलना।।
कह अंकित कविराय, नहीं जीवन मे मद ला।
उत्तम रखो विचार, विचारों से युग बदला।।

45. बाबुल

बाबुल जब करता विदा, बेटी को ससुराल।
करता खुद से दूर जब, हो जाता बेहाल।।
हो जाता बेहाल, हाल उसका ये होता।
सारा धैर्य बिसार, लिपट बेटी सँग रोता।।
कह अंकित कविराय,हुआ है तन मन आकुल।
बेटी से हो दूर, हुआ है बेसुध बाबुल।।

46. भैया

भैया तुमसे माँगती, बस इतना वरदान।
जीवन मे रखना सदा, तुम बहना का ध्यान।।
तुम बहना का ध्यान, हमारा बनो सहारा।
तुमसे बढ़कर और, भला है कौन हमारा।।
कह अंकित कविराय, बहन है तेरी गैया।
रखना हरपल ध्यान, हमारे प्यारे भैया।।

----- राम लखन शर्मा ग्वालियर
[15/01 8:15 PM] केवरा यदु मीरा: शतक वीर कुंडलिया छंद
15-1-2020

गलती

गलती कर स्वीकार लें,बनते बिगड़े काम ।
झूठ बोलने से सदा, होय मनुज बदनाम ।
होय मनुज बदनाम, सुनो अब कहना मानो।
अकड़ दिखा कर देख, नहीं तुम झगड़ा ठानो ।
माफी हम लें माँग,रीत सदियों से चलती ।
गर्मी क्यों दिखलाय, मान तू अपनी गलती ।।

बदला

बदला की यह भावना, करता घर बरबाद ।
पीढ़ी दर पीढ़ी चले,होय कहाँ आजाद।।
होय कहाँ आजाद, बने वह जानी दुश्मन ।
हो चाहे परिवार, रहे जीवन भर अनबन ।
कहती मीरा सोच,खुश रहे पीढ़ी अगला ।
मन से देय निकाल, कभी मत लेना बदला ।

केवरा यदु "मीरा "
राजिम
[15/01 8:21 PM] विद्या भूषण मिश्र 'भूषण': *कलम की सुगंध छंदशाला। कुंडलिया शतक वीर आयोजन। दिनांक-१५/०१/२०२०, दिन -- बुधवार।*
~~~~~~~~~~~~
*५१--गलती*
~~~~~~~~~
गलती भीषण थी हुई, बाँटा हिंदुस्तान।
सत्ता की खातिर बने, भारत , पाकिस्तान।
भारत पाकिस्तान, रोज आपस में लड़ते।
कितने ही निर्दोष, अकारण ही है मरते।
नहीं परस्पर प्रेम, घृणा है मन में पलती।
देश हुआ कमजोर, हो गई भीषण गलती।।
~~~~~~~~~

*.५२--बदला*
~~~~~~~~~~~`
 बदला शासन देश में, बदल रहा है देश।
भारत की ताकत बढ़ी, बदल गया परिवेश।
बदल गया परिवेश, चकित है दुनिया सारी।
बनने की सिरमौर, देश की है तैयारी।
खत्म हुआ आतंक, चल रहा चुस्त प्रशासन।
शत्रु हो गए पस्त, ले रहा बदला शासन।।
~~~~~~~~~~
*विद्या भूषण मिश्र "भूषण"-*
~~~~~~~~~~~~~
[15/01 8:29 PM] रजनी रामदेव: शतकवीर प्रतियोगिता हेतु
15/01/2020:: बुधवार
बदला
 बदला मौसम ने सुनो, जब अपना अंदाज़।
लगी ठिठुरने जिंदगी, गिरी शीत बन गाज।।
गिरी शीत बन गाज, धरा कुहरे ने पाटी।
लोग हुए बेहाल, बर्फ़ ने ढक ली घाटी।।
झेल रहा अब विश्व, प्रकृति ने बदला झबला।
तुमने छेड़ा खूब, आज ये लेती बदला।।

गलती
सोया शेर जगा दिया, उसने गलती से यार।
पकड़-धकड़ होने लगी, मचा रहे अब रार।।
मचा रहे अब रार, दे रहे गीदड़ भभकी।
आती समझ न बात, करें अबकी या तबकी।।
सिर पर रहे सवार, शान्ति से उसने ढोया।
अब क्या करें उपाय, जगाया, खुद ही सोया।।
                  रजनी रामदेव
                     न्यू दिल्ली
[15/01 8:35 PM] कन्हैया लाल श्रीवास: कलम की सुगंध छंद शाला.....कलम शतकवीर
हेतु
                  ★★★★★
           *विषय...........गलती*
             विधा ...........कुण्डलियाँ
                  ★★★★★
गोपी खोजे कृष्ण को,वन वन गोकुल धाम।
राखे मुरली  अधर में ,डाल डाल पर श्याम।
डाल डाल पर श्याम,देख जब राधा प्यारी।
ऐसा   सुंदर   रूप , धरें   माधव  बनवारी।
कहता है श्रीवास , कहाँ वो छलिया  टोपी?
गलती  करती  नार , कृष्ण को  ढूंढें गोपी।                                           
                  ★★★★★
              *विषय.........बदला*
                विधा..........कुण्डलियाँ
                  ★★★★★
बदला  सारा  देश है , बदल गया  परिवेश।
बोली भाषा भी सभी,  लेकर  अपना भेष।
लेकर  अपना  भेष , देख  कर  झूमें  नारी।
चलती  नेकी  राह , लगें वह सब पर भारी।
कहता है श्रीवास ,जाग  हे  भारत  सबला।
कोई  न  करें  वार, लोक में  विचार बदला।
                  ★★★★★
स्वलिखित
कन्हैया लाल श्रीवास
भाटापारा छ.ग.
जि.बलौदाबाजार भाटापारा
[15/01 9:00 PM] कमल किशोर कमल: नमन
कुंडलियाँ‌ शतकवीर हेतु।
15.01.2020

49-
गलती

गलती करके सीख ले,समाधान का ज्ञान।
प्रश्नों के उत्तर मिले,प्राणी बने महान।
प्राणी बने महान,निखरता है पल प्रतिपल।
कर्म चाल हो तेज,प्राप्त हो मनमोहक फल।
कहे कमल कविराज,दिवारें रोधक ढलतीं।
उड़े हवाई चाल,खुशी दे अव्वल गलती।
50-
बदला
बदले -बदले रूप से,भारत जन हैरान।
युद्ध आदि को छोड़कर,रखिए सीमा मान।
रखिए सीमा मान,पाक ने बात कही है।
भारत को विश्वास,बतायें कौन सही है।
कहे कमल कविराज,शत्रु की पढ़ चल शकलें।
कब बन जाये नाग,पलटकर तेवर बदले।

कवि-कमल किशोर "कमल"
        हमीरपुर बुन्देलखण्ड।

👏🌹
[15/01 9:04 PM] रवि रश्मि अनुभूति: 9920796787****रवि रश्मि 'अनुभूति '

  🙏🙏

51 ) गलती
*************
गलती कर पछता रहे , हैं वही गुनहगार ।
भुगतें अब तो वे सज़ा , क्यों लगे दरबार ।
क्यों लगे दरबार , माँगते क्यों वे माफ़ी ।
गुनहगार न सुधरे , सज़ा मिले वही काफी ।।
आया न ख़्याल तभी , माफ़ी अभी क्यों पलती ।
कारागृह में बंद , पछता रहे कर गलती ।।
%%%%%%%


52 ) बदला
************
बदला शासन है अभी , बदला काम व राज ।
सत्ता के गलियारे में , काम ठप्प है आज ।।
काम ठप्प है आज , शासन कैसे चलेगा ।
नारेबाज़ी चले , परिवेश अब बदलेगा ।।
मौज़ मनाते सभी , बजाते सब हैं तबला ।
बदला लेते लोग , अभी शासन है बदला ।।
$$$$$$$$$$$

(C) रवि रश्मि 'अनुभूति '
15.1.2020 , 8:20 पीएम पर रचित ।
%%%%%%%%%%%%%

●●
🙏🙏समीक्षार्थ व संशोधनार्थ 🌹🌹
[15/01 9:08 PM] नीतू ठाकुर 'विदुषी': *कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुंडलियाँ  शतकवीर हेतु*
बुधवार-15.01.2020

*गलती*

गलती को स्वीकार कर,करो दोष को दूर।
सच का दर्पण तोड़ते, लोग वहम में चूर ।।
लोग वहम में चूर, सत्य को हैं ठुकराते।
पग पग खाते मात, मार्ग ऐसा अपनाते।।
जिस मन में हो खोट,वहीं शंका है पलती।
शुभचिंतक हों मित्र,वही दिखलाते गलती।।

*बदला*
कितना बदला देश है, बदले बदले लोग।
बदल गया संसार पर, कहाँ बदलते भोग।।
कहाँ बदलते भोग, अँधेरा मन में छाया।
पल पल रहे सँवार, सभी यह नश्वर काया।।
बढ़ती मन की प्यास,कमाते धन वो जितना।
अपनों का कर त्याग,लगे मानुष खुश कितना।।

*रचनाकार-नीतू ठाकुर 'विदुषी'*
[15/01 9:13 PM] शिवकुमारी शिवहरे: Title: जीवन

Date: 15 Jan 2020

Note:
जीवन

यात्रा जीवन की सदा,पथ मे मिलते शूल।
कभी कंटकों से भरा कहीं महकते फूल।
कहीं महकते फूल तो,कभी निशा अंधियारी
कभी अंधेरी रात ,कभी पूनम उजियारी।
चिंता की कभी धूल, हुई उम्र की कम मात्रा।
खिले राह मे फूल, महकती जीवन यात्रा।

शिवकुमारी शिवहरे


संशोधित


Title: सैनिक

Date: 15 Jan 2020

Note:
सैनिक
सीना पर गोली लगी,हृदय दिया है चीर।
जब देश के लिये लड़े, अनगित सैनिक वीर।
अनगित सैनिक वीर,सैनिक हुये हैं घायल।
दिया हृदय को चीर,हमारा देश है कायल।
कहते वीर जवान, था देश हमारा छीना।
मर जायें हम आज,  गोली झेलत सीना।


शिवकुमारी  शिवहरे

संशोधित
[15/01 9:29 PM] सुशीला जोशी मुज़्ज़फर नगर: *कलम।की सुगंध कुंडलियाँ प्रतियोगिता 2019-2020*

51--  *गलती*
गलती कर पछता रहे , बिन देखे निज दोष
गलती करने के समय ,खोया था जब होश
खोया था जब होश , धरा ने संयम खुद पर
करी भूल पर भूल, बिठा कर मन को हठ पर
काम बिगाड़े रोय , रहे जब मन मे जलती
बिन देखे निज दोष, और की दिखती गलती।
52---  *बदला*

बदला लेने के लिए , जले क्रोध में रोज
अपने मन की मान कर , रस्ते रहते खोज
रस्ते रहते खोज ,मवाली  बन कर रहते
नए नए हथियार , खोज कर लाते कहते
देख सुशीला आज , करे जीवन ये गदला
करे ढेर से पाप , न चुकता फिर भी बदला ।।

,सुशीला जोशी
मुजफ्फरनगर
[15/01 9:47 PM] अर्चना पाठक निरंतर: सरस्वती टीम की समीक्षा सादर प्रेषित है
जय माँ शारदे

कुंडलियाँ

43. गलती

गलती होना मनुज से, स्वाभाविक सी बात।
पर दोबारा मत करो, वह गलती फिर तात।।
वह गलती फिर तात, इसे जीवन मे धारो।
*की गई गलती बन्धु*अगर हो सके सुधारो।।
कह अंकित कविराय, हृदय से आस निकलती।
भूले से भी आप, करो मत फिर वह गलती।।

44. बदला

बदला बदला लग रहा, ये सारा परिवेश।
परिवर्तन का दे रहा, ये हमको संदेश।।
ये हमको संदेश, पड़ेगा हमे बदलना।
इसके ही अनुरूप, पड़ेगा हमको ढलना।।
कह अंकित कविराय, नहीं जीवन मे मद ला।
उत्तम रखो विचार, विचारों से युग बदला।।

45. बाबुल

बाबुल जब करता विदा, बेटी को ससुराल।
करता खुद से दूर जब, हो जाता बेहाल।।
हो जाता बेहाल, हाल उसका ये होता।
सारा धैर्य बिसार, लिपट बेटी सँग रोता।।
कह अंकित कविराय,हुआ है तन मन आकुल।
बेटी से हो दूर, हुआ है बेसुध बाबुल।।



46. भैया

भैया तुमसे माँगती, बस इतना वरदान।
जीवन मे रखना सदा, तुम बहना का ध्यान।।
तुम बहना का ध्यान, बनो तुम हमें सहारा।
तुमसे बढ़कर और, भला है कौन हमारा।।
कह अंकित कविराय, बहन है तेरी गैया।
रखना हरपल ध्यान, हमारे प्यारे भैया।।

----- राम लखन शर्मा ग्वालियर

#आ0 सुंदर भाव
गलती  की गई गलती बंधु 12 मात्रा
बदला   बहुत सुंदर भाव त्रुटि 0
बाबुल   उत्तम
भैया   उत्तम



°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
•••••••••••••••••••••••••••••बाबूलालशर्मा
.           *कलम की सुगंध छंदशाला*

.           कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु

.              दिनांक - १५.०१.२०२०

कुण्डलियाँ (1)
विषय-            *गलती*
गलती  हो  यदि  वैद्य से, दबे  बात शमशान!
अधिवक्ता  की  न्याय में, भले  बिगाड़े  मान!
भले  बिगाड़े  मान, वणिक  बस  घाटा खाए!
यौवन बालक शिल्प , क्षम्य वह भी हो जाए!
शर्मा   बाबू  लाल, भूप   की  दीर्घ  सुलगती!
शिक्षक कवि साहित्य, पड़े भारी भव गलती!
•.                  •••••••••• 
कुण्डलियाँ (2)
विषय-             *बदला*
बदला लिया कलिंग ने, किया मगध का ह्रास!
दोनो तरफ विनाश बस, पढिए जन इतिहास!
पढ़िये जन इतिहास, सत्य जो सीख सिखाए!
भूत  भावि   संबंध,  शोध  नव  पंथ  दिखाए!
शर्मा   बाबू   लाल, करो  मत  मानस  गँदला!
लेते    देते   हानि , सखे   दुख दायक बदला!
•.                     •••••••••
रचनाकार -✍©
बाबू लाल शर्मा,बौहरा
सिकंदरा,दौसा, राजस्थान

#अति उत्तम त्रुटिहीन



*कुंडलियाँ*
विषय  ----   *गलती , बदला*
दिनांक  --- 15.1.2020....

(53)              *गलती*

गलती हो ही जाय‌ तो , कर देना तुम माफ ।
आँसू ढ़लके आँख से , बात करना यूँ साफ ।
बात करना यूँ साफ , नहीं ढ़ूढों हाँ गलती ।
गलती देती सीख , सदा गुण ही है फलती ।
गुण से मिलता सीख , काल जैसे भी चलती ।
काल बनाता लीक , कभी मत करना गलती ।।


(54)             *बदला*

बदले से बदला बढ़ें ,  बुझता पानी आग ।
जीवन संग रंग सदा , खेलो जीवन फाग ।
खेलो जीवन फाग , सदा खुशियाँ है छाईं ।
सुन लो तुम यह बात , नेह हरियाली लाई ।
कह कुमकुम करजोरि , समय से सब कुछ सह ले।
कभी न ऐसा सोच , कभी जो बदला बदले ।।



🌹 *प्रतिभा प्रसाद कुमकुम*
       दिनांक  15.1.2020......
आ0 उत्तम भाव
बात करना यूँ साफ । 12 मात्रा
जाय का प्रयोग से बचे आ0
गुण से मिलती सीख
बढ़े
जीवन संग रंग सदा  कल दोष


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शतकवीर कलम की सुगंध
कुण्डलिनीयां

    गलती

माने  गलती क्या जरा, अहंकार में भरा
 दोस्ती बदली जब कभी,
होताजीवन संग रंग सदावह मन खरा
 होता वह मन खरा,सोचता पगला बोला
चोरी गाली करें ,तभी वह खुद मुंह खोला
 हथकड़ी लगे उसे ,करे ना चोरी ठानों
 साथ सही पहचान ,सही जो बातें मानो

बदला

कपड़े बदले जब दिखे ,लगता नाटककार
 कान्हा राधा का अदा ,करता अभिनय सार
 करताअभिनय सार, रूप में मोहित होते
लेत अवतार ठौर ,दिखे वे हंसते रोते
 नकली कपड़े डाल ,वही सब करते लफड़े
 कहती सारा सार,बदल मत उसके कपड़े
   
    धनेश्वरी सोनी गुल बिलासपुर
आ0
अहंकार में भरा  दोहे का सम चरण   21
रोले का विषम   21   चोरी गाली करें



कलम की सुगंध छंदशाला

कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु

दिनाँक - 15/01/2020
दिन - बुधवार
51 - कुण्डलिया (1)
विषय - गलती
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उलझा हुआ सवाल है , मानव की पहचान ।
पापसम्भवा है मनुज ,गलती निश्चय जान ।
गलती निश्चय जान , करो लेकिन प्रायश्चित ।
सच्चा ही इंसान ,सुधारे गलती नित नित ।
सही गलत का प्रश्न ,नहीं अब तक है सुलझा ।
दृष्टिकोण का भेद ,रखे मन उलझा उलझा ।।
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52 - कुण्डलिया (2)
विषय - बदला
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आया कैसा यह समय ,बीच भँवर में नाव ।
स्वार्थ लोभ में है घिरा ,बदला मनुज स्वभाव ।
बदला मनुज स्वभाव ,बना वह पुतला धन का ।
बदल गया उद्देश्य , आज सबके जीवन का ।
मधुर कहाँ संबंध , घिरे सब नफरत माया ।   
पशुओं सा व्यवहार ,जमाना कैसा आया ।।

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✍️इन्द्राणी साहू "साँची"✍️
   भाटापारा (छत्तीसगढ़)
★★★★★★★★★★★★★★★
गलती  उत्तम भाव  शिल्प उत्तम
बदला  अति उत्तम
[15/01 9:55 PM] अटल राम चतुर्वेदी, मथुरा: *15.01.2020 (बुधवार)*  संशोधन के उपरांत

51-   गलती
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गलती करके ऐंठना, बहुत बड़ी है भूल।
अगर सहज स्वीकार लें, मिले न कोई तूल।
मिले न कोई तूल, भरोसा रहता कायम।
दुश्मन को लें जीत, भाव जो रखें मुलायम।
"अटल" बदलते बात, न किस्मत उनको फलती।
एक बार की माफ, सदा होती है गलती।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏


52-   बदला
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बदला लेने जो चला, भूला वह निज ज्ञान।
जिस-जिस की यह सोच है, कहाँ रहा इंसान ?
कहाँ रहा इंसान, समय पर कुछ तो छोड़ो।
देगा उचित जबाव, भरोसा यूँ मत तोड़ो।
"अटल" न माने बात, क्रोध कर बनता पगला।
समय करे सब ठीक, स्वतः ले लेता बदला।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏

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