[04/01 5:58 PM] संतोष कुमार प्रजापति: कलम की सुगंध छंदशाला
*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु*
दिनांक - 04/01/2020
कुण्डलिया (31)
विषय- वीणा
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माता वीणाधारिणी, कमला वाणी आप I
वारिजासना शारदे, सुरसा देवी जाप ll
सुरसा देवी जाप, महाश्वेता ब्रह्माणी I
पद्मलोचना पीत, महाभद्रा कल्याणी ll
'माधव' हंस सवार, सुभद्रा तात विधाता l
चामुण्डा विख्यात, शिवा सावित्री माता ll
कुण्डलिया (32)
विषय- नैतिक
==========
मानव बनने के लिये, नैतिक गुण हैं खास I
लुप्त हुआ शायद यही, नहीं किसी के पास ll
नहीं किसी के पास, कपटता सबने ठानी l
जहाँ रखो विश्वास, करें वे बेईमानी ll
कह 'माधव कविराय', भले थे पहले दानव I
द्वेष, ईर्ष्या, दम्भ, बटोरें अबके मानव ll
रचनाकार का नाम-
सन्तोष कुमार प्रजापति 'माधव'
महोबा (उ.प्र.)
[04/01 5:59 PM] अटल राम चतुर्वेदी, मथुरा: 04.01.2020 (शनिवार )
31- वीणा
*********
वीणा की माँ धारिणी, तुझको नमन अपार।
बालक हम तेरे सदा, करती रह उद्धार।
करती रह उद्धार, ज्ञान का है तू तरुवर।
जिह्वा पर तू रहे, कृपा ऐसी हम पर कर।
"अटल" रखें यह चाह, हरे तू सबकी पीड़ा।
हर्षित सब जो जायँ, बजाए जब तू वीणा।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏
32- नैतिक
**********
नैतिक शिक्षा का हुआ, सबमें आज अभाव।
बुरी आदतें पड़ गयीं, जिनके बुरे प्रभाव।
जिनके बुरे प्रभाव, सभ्यता हमने खोई।
जानबूझकर फसल, गयी है घर-घर बोई।
"अटल" स्वार्थ भरपूर, काम अधिकाँश अनैतिक।
है अब सबसे दूर, हमारी शिक्षा नैतिक।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏
[04/01 6:00 PM] कुसुम कोठारी: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
दिनांक-४/१/२०
कुसुम कोठारी।
कुण्डलियाँ (३१)
विषय - वीणा
वीणा तू तो नाम की , सब तारों का काम ,
काया ज्यों बिन प्राण के ,धरी रहे निष्काम ,
धरी रहे निष्काम , नही कुछ सुर है तुझ में ,
नाम मधुरिमा झूठ , सत्व साधन है मुझ में ,
सुनो कुसुम की बात ,बात सन्मति से गुनणा ,
पड़े तार को चोट , कहें मृदु माया वीणा।
कुण्डलियाँ (३२)
विषय-नैतिक
भावों का सम्राट है , अर्थ समेटे गूढ़ ,
नैतिक गहरा शब्द है , समझ न पाए मूढ़ ,
समझ न पाए मूढ़ , हँसी में ठोकर मारी ,
करता भ्रष्टाचार , छोड़ नैतिकता सारी ,
कहे कुसुम ये बात , चैन से रहना चाहो ,
सन्मति सद्व्यवहार , सजे मन सुंदर भावों ।
कुसुम कोठारी।
[04/01 6:03 PM] बोधन राम विनायक: *कलम की सुगन्ध छंदशाला*
कुण्डलियाँ - शतकवीर हेतु-
दिनाँक - 04.01.2020 (शनिवार )
(31)विषय - वीणा
माता वीणा वादिनी, देना मुझको ज्ञान।
शीश झुकाऊँ द्वार पे, हूँ बालक नादान।।
हूँ बालक नादान, कृपा मुझ पर बरसाना।
वीणा की झंकार, सात सुर आप बजाना।।
कहे विनायक राज,नहीं मुझको कुछ आता।
करो हृदय में वास, शारदा आओ माता।।
(32) विषय - नैतिक
नैतिकता का ज्ञान हो, रखना अपना मान।
सदाचरण की राह पर,चलना वीर जवान।।
चलना वीर जवान, भावना द्वेष न लाना।
सदा सत्य की राह,सभी को तुम्हीं बताना।।
कहे विनायक राज,काम करना गंभिरता।
जग में होवे नाम,सदा पथ हो नैतिकता।।
बोधन राम निषादराज"विनायक"
[04/01 6:05 PM] सरोज दुबे: कलम की सुगंध शतकवीर हेतु
कुंडलियाँ- 31
दिनांक -4-1-20
विषय -वीणा
बजते वीणा से रहो, छेड़ मधुर तुम तान
तारों सी देना चमक, करम डगर का जान l
करम डगर का जान, पथिक के पथ पर सजना l
रहना उनके हाथ, करो से उनके बजना l
कहती सुनो सरोज, रहो साजो से सजते l
बनके वीणा वाद्य, खुशी से रहना बजते l
दिनांक 4-1-20
कुंडलियाँ -32
विषय -नैतिक
शिक्षा नैतिक हो सदा, नैतिक रखो विचार
नैतिकता पर मिल चलो, नैतिक हो आचार
नैतिक हो आचार,सोच नैतिक तुम रखना l
नैतिकता का मान,स्वाद नैतिक ही चखना l
कहती सुनो सरोज, सदा दो नैतिक भिक्षाl
हो नैतिक कल्याण, मिले जब नैतिक शिक्षा l
सरोज दुबे
रायपुर छत्तीसगढ़
🙏🙏🙏🙏
[04/01 6:05 PM] प्रतिभा प्रसाद: *कुंडलियाँ*
विषय --- *वीणा , नैतिक*
दिनांक --- 4…1.2020...
(033) *वीणा*
वीणा के ही तान पे , देती माँ वरदान ।
सुर साधक बनकर सदा , करना है श्रमदान ।
करना है श्रमदान , सुरों को जीतेगी ही ।
सीखेगी संगीत , गीत गा दम लेगी ही ।
कह कुमकुम करजोरि , सुनो ओ मेरी हीना ।
करो न कोई बात , सुना दो तुम तो वीणा ।।
(034) *नैतिक*
नैतिक मूल्यों के लिए , सुंदर हो व्यवहार ।
मधुरिम वाणी से सदा , जोड़ो तुम परिवार ।
जोड़ो तुम परिवार , नेह सदैव ही देना ।
निज करो कर्म धर्म , प्यार की नैया खेना ।
कही जगत ने बात , नहीं चाहो कुछ भौतिक ।
सभी यहीं रह जात , मुल्य रखना है नैतिक ।।
🌹 *प्रतिभा प्रसाद कुमकुम*
दिनांक 3.1.2020..
_______________________________________
[04/01 6:15 PM] अनिता सुधीर: शतकवीर
(31)
वीणा
आओ वीणा वादिनी,जीवन को दो तार ।
धवल वस्त्र नित धारिणी,करो सदा उद्धार।
करो सदा उद्धार,उजाला उर में कर दो
दूर करें अज्ञान ,शुद्ध भावों से भर दो।
देवी तुम संगीत,प्रीत जग में भर जाओ
अम्बे दो आशीष,हंस पर चढ़ कर आओ।
(32)
नैतिक
कच्ची मिट्टी के घड़े,सोच समझ कर ढाल।
उत्तम बचपन जो गढ़ो ,नैतिक होगा काल।।
नैतिक होगा काल,पतन क्यों होता जाता ।
भूल गये आधार ,विवश हो जाती माता ।।
नैतिकता का पाठ,सिखाना होगा सच्ची।
रखना होगा धैर्य ,अभी माटी है कच्ची ।।
अनिता सुधीर
[04/01 6:16 PM] धनेश्वरी देवाँगन 'धरा': *कुँडलिया शतक वीर हेतु*
*दिनांक----+04/01/2020*
(31 ). नैतिक
नैतिक शिक्षा जो मिले , उन्नति करे समाज ।
भर मन में संवेदना , करे समय आवाज ।।
करे समय आवाज , बने संस्कारी बच्चा ।
दया धर्म हो चित्त , ज्ञान पायें सब सच्चा ।
सुनो धरा की बात , आज युग होता भौतिक ।
बदल रहा परिवेश , जरूरी शिक्षा नैतिक।।
(32) वीणा
मधुरिम धुन से गूँजती , वीणा की झंकार ।
सात सुरों की रागिनी , झंकृत हो मन तार ।।
झंकृत हो मन तार , जुड़े साँसों का बंधन ।
सोहे सरगम साज , मनोरम मोहक गुंजन ।।
कहे धरा कर जोड़, कर दो जीवन स्वर्णिम ।
हे माँ वीणा पाणि, बने जग मधुरिम मधुरिम ।।
*धनेश्वरी देवांगन 'धरा*
*रायगढ़, छत्तीसगढ़*
[04/01 6:16 PM] रजनी रामदेव: विडंबनाओं के जीवन में
बाँसुरिया भी टूटी टूटी
लिखी कहानी हमने सच की
लोग कह रहे उसको झूठी
विडंबनाओं के जीवन में
बाँसुरिया भी टूटी टूटी
साज़ बजें अब नहीं सजीले
सरगम के सुर भी हैं ठीले
राग रागिनी फेल हो गए
घुँघरू आज नकेल हो गए
चूड़ी रहती रूठी रूठी.....
अब पनघट की भोर नहीं है
बालाओं का शोर नहीं है
हँसी ठिठोली भूल गए सब
अपने मे मशगूल हुए सब
हरिक हाथ से गागर छूटी.....
रजनी रामदेव
न्यू दिल्ली
[04/01 6:16 PM] इंद्राणी साहू साँची: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
दिनाँक -04 /01/2020
दिन - शनिवार
31 - कुण्डलिया (1)
विषय - वीणा
**************
झंकृत वीणा सी रहे ,अन्तर्मन के तार ।
ज्योतिर्मय निर्झर झरे , अंधकार को मार ।
अंधकार को मार , जलाए अनुपम ज्वाला ।
दिव्य हृदय आवेग , मिटाए कल्मष काला ।
फैली मधुर तरंग , हुई है दुनिया उपकृत ।
निकली ऐसी तान , करे तन मन को झंकृत ।।
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32 - कुण्डलिया (2)
विषय - नैतिक
****************
चन्दन सम सुरभित रहे ,निर्मल पावन प्यार ।
सभ्य सुसंस्कृत शिष्ट अरु ,नैतिक बनें उदार ।
नैतिक बनें उदार ,यही है पूँजी असली ।
मोती माणिक स्वर्ण , जगत में सब हैं नकली ।
नैतिकता का पुष्प , खिले जब मन के मधुवन ।
महके मनुज चरित्र ,महकता जैसे चन्दन ।।
*********************************
✍️इन्द्राणी साहू "साँची"✍️
भाटापारा (छत्तीसगढ़)
★★★★★★★★★★★★★★★★
[04/01 6:18 PM] बाबूलाल शर्मा बौहरा: ~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
दिनांक - ०४.०१.२०२०
कुण्डलियाँ (1)
विषय- *वीणा*
वीणा में स्वर है नहीं, होती निश्चल मौन!
होता वादक मौन है, स्वर देता है कौन!
स्वर देता है कौन, कहाँ से ध्वनि आ जाती!
अहो शारदा मात, कंठ वीणा में आती!
कहे लाल कविराय, सरे लय गीत अम्हीणा!
कसें संतुलित तार, गीत लय बजती वीणा!
अम्हीणा~हमारा
कुण्डलियाँ (2)
विषय- *नैतिक*
शिक्षा ऐसी दीजिये, नैतिक रहे विचार!
आन मान अरमान के, सीखें सद आचार!
सीखें सद आचार, भले संस्कार सिखावें!
मान ज्ञान विज्ञान, देश की शक्ति दिखावें!
शर्मा बाबू लाल, चाह सदगुण की भिक्षा!
उत्तम बने स्वभाव, देश हित नैतिक शिक्षा!
रचनाकार-✍©
बाबू लाल शर्मा,बौहरा
सिकंदरा,दौसा, राजस्थान
👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀
[04/01 6:30 PM] सरला सिंह: ***********************************
04.01.2020 (शनिवार )
*वीणा*
करती वीणा झंकार, सभी का मन मोहित,
माता के हाथों आज,रही है यह शोभित।
रही है यह शोभित,करे झंकृत मन सारा।
कहती सरला आज,लगे मातुरूप प्यारा।
होता बेड़ा पार,हाथ जिस पर वे धरती।
देती हैं आशीष,पार उसको हैं करती।।
*डॉ सरला सिंह स्निग्धा*
*दिल्ली*
*नैतिक*
नैतिक कहलाये वही ,करना ऐसा काम।
लोगों का करना भला,करो देश का नाम।
करो देश का नाम ,मान जग में पाओगे।
परचम ऊंचा सदा,देश का फहराओगे।
कहती सरला बात, रहे न कोई अनैतिक।
करना ऐसा काम, सभी बन जायें नैतिक।।
*डॉ सरला सिंह स्निग्धा*
*दिल्ली*
[04/01 6:32 PM] पुष्पा विकास गुप्ता कटनी म. प्र: कलम की सुगंध छंदशाला
*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु*
दिनांक - 4.1.2020
कुण्डलियाँ (31)
विषय- *वीणा*
वर दे वीणा वादिनी, भाव बनें अब कथ्य।
बनके कलम कृपाण ये, लिखती जाए तथ्य।।
लिखती जाए तथ्य, झुके न झूठ के सम्मुख।
करके सतत प्रयास, सदा सतपथ पर उन्मुख।।
कह प्रांजलि करजोर, मात यह झोली भरदे।
बन जाऊँ वागीश, कृपा कर ऐसा वरदे।।
कुण्डलियाँ (32)
विषय- *नैतिक*
नैतिक मूल्यों का पतन, देख रहे हम आप।
संस्कारों का ह्रास पर, बढ़े पाप संताप।।
बढ़े पाप संताप, रुदन करती मानवता।
किसको है आभाष, मनुज मन की दुर्बलता।।
प्रांजलि पश्चाताप, देखकर दुनिया दैनिक।
लीजै अब संज्ञान, दीजिए शिक्षा नैतिक ।।
रचनाकार का नाम- पुष्पा गुप्ता "प्रांजलि"
[04/01 6:49 PM] नवनीत चौधरी विदेह: कलम की सुगंध छंदशाला
*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु*
दिनांक -०४/०१/२०२०
*कुण्डलियाँ (31)*
*विषय- *वीणा*
शतरूपा माँ भारती, तेरी कृपा अपार |
सत्यलोक में गूँजती, वीणा की झनकार |
वीणा की झनकार, मातु की कृपा निराली |
बरसे है रसधार, ज्ञान को देने वाली |
कह विदेह नवनीत, तुम्हारा रूप अनूपा |
करो तमस का नाश,भारती माँ शतरूपा ||
*कुण्डलियाँ (32)*
*विषय- *नैतिक*
जग में नैतिक मूल्य का, नहीं शेष है मोल |
जीवन में अब पाशविक, नीति-नियत का बोल |
नीति-नियत का बोल, सयाने भी हैं कहते |
बनते हैं हुशियार,लोग सब उनको सहते |
कह विदेह नवनीत, खोट है उनकी रग में |
बचा नहीं आधार, मूल्य अब नैतिक जग में ||
*नवनीत चौधरी विदेह*
*किच्छा, ऊधम सिंह नगर*
*उत्तराखंड*
[04/01 6:50 PM] वंदना सोलंकी: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुंडलियाँ शतकवीर हेतु*
शनिवार-04.01.2020
31)-वीणा
मन वीणा झंकृत हुई,सुन मुरली की तान।
प्रेम मगन राधा हुई,भूली निज का भान।
भूली निज का भान,किशन सँग रास रचाएं।
देख अनोखा दृश्य,धरा पर सुर भी आए।
सुन वन्दू हिय भाव,उठा लूँ मैं इक बीड़ा।
बने सुखी संसार,बजे सुमधुर मन वीणा।।
32)-नैतिक
कैसी अजब विडंबना,क्या है जग का हाल।
नैतिक लोग अब न रहे,चलते टेढ़ी चाल।
चलते टेढ़ी चाल,रीत अब ऐसी आई।
दें दुर्मुख का साथ,कि बढ़ने लगी बुराई।
सुन वन्दू की बात,न कोई आज हितैषी।
चिंता की है बात, दुनिया हो गई कैसी।।
वंदना सोलंकी
[04/01 6:50 PM] अनुराधा चौहाण मुम्बई: कलम की सुगंध
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
दिनाँक--4/1/20
(31)
वीणा
बजते जीवन में सदा,मन वीणा के तार।
देती वरदान शारदे,मिटता तम का भार।
मिटता तम का भार,हरे जीवन से संकट।
करती जग उद्धार,मिटा सब काँटे कंटक।
कहती अनु यह देख,सुरों से जीवन सजते।
कोमल खिलते फूल,तार वीणा के बजते।
(32)
नैतिक
भाई भाई में मची,मेरा तेरा लूट।
नैतिक बातें भूल के,देते गाली छूट।
देते गाली छूट,बने आपस में बैरी।
भूले मन की प्रीत,बसी मन खट्टी कैरी।
कहती अनु सुन बात,बड़ी है किस्मत पाई।
सबसे सच्चा साथ,सदा देता है भाई।
अनुराधा चौहान
[04/01 6:59 PM] डा कमल वर्मा: कुंडलियाँ 4-1-2020
विषय 33)वीणा
हे माता श्वेतांबरी, धारे वीणा हाथ।
हम गुण विहीन मूढका,देना माता साथ।
देना माता साथ,सदा संग हे कल्याणी।।
मुझको विद्या दान,करो माँ वीणापाणी।
कहे कमल कर जोड़,कहाँ मुझको कुछ आता।
निपट मुर्ख हूँ जान,तार दो मुझ को माता।
विषय 34)नैतिक।
रक्षित हो हर बालिका,सब है जिम्मेदार।
ये नैतिक दायित्व है,क्यों कोसे सरकार।
क्यों कोसे सरकार,बोझ सब मिलकर बाटो।
अपने घर में बेल,इसे ही जड से काटो।
शिक्षा काअधिकार,कमल कैसे भक्षित हो।
शरीर बने सशक्त,तभी बेटी रक्षित हो।
रचना कार डॉ श्रीमती कमल वर्मा।
[04/01 7:10 PM] प्रमिला पाण्डेय: कलम की सुगंध कुंडलिनी शतक वीर प्रतियोगिता
दिन- शनिवार
4-1-2020
विषय शब्द/ वीणा/नैतिक
वीणा (1)
वीणा पाणि मातु मां, रख दो सिर पर हाथ।
शब्द -शब्द उत्कर्ष हो, रचनाओं के साथ।
रचनाओं के साथ , भाव हों मानव हित में
गूंजे स्वर हर ओर, काव्य हो देश भक्ति में।
कह प्रमिला कविराय, लिखूँ बस मानव पीड़ा
हृदय विराजो मात, लिए कर पुस्तक वीणा।।
(2)नैतिक
नैतिक मूल्यों का नही , रहा तनिक अब भान।
भृष्ट्रचारी नीति का, होता हैं सम्मान।
होता है सम्मान, नही ये रीति जगत की
अभी जागिए आप, यही पीड़ा घर- घर की।
कह प्रमिला कविराय, करो मत कार्य अनैतिक।
होगा देश उत्थान , अगर हर कार्य हो नैतिक।।
प्रमिला पाण्डेय
कानपुर
[04/01 7:11 PM] डॉ अर्चना दुबे: कुण्डलिया शतकवीर प्रतियोगिता
दिनांक - 04/01/2020
*विषय - वीणा*
माता वीणा वादिनी, विद्या की आधार।
बालक है हम आपके, दे दो उच्च विचार।
दे दो उच्च विचार, शरण में माँ हम आये ।
लेकर श्रीफल हार, शरण में शीश झुकाये।
'रीत' राखियो आन, मात ये रखना नाता।
देना मत ठुकराय, शरण में आयी माता ।।
*विषय - नैतिक*
नैतिक शिक्षा हो गया, विद्यालय में बंद ।
हुई विलुप्त मानवता, नैतिकता है मंद ।
नैतिकता है मंद, नहीं संस्कारी बच्चा ।
मानवता का पाठ, सिखाना होगा सच्चा ।
'रीत' कहे कर जोड़, देख दुनिया का भौतिक ।
चिन्ता बढ़ती जाय, जरूरी शिक्षा नैतिक ।
*डॉ. अर्चना दुबे 'रीत'*✍
[04/01 7:11 PM] कृष्ण मोहन निगम: दिनांक 4 जनवरी 2020
कलम की सुगंध छंद शाला
कुंडलियां शतक वीर प्रतियोगिता
विषय ( 31 )--- *वीणा*
वीणा से प्रस्फुटित हों , स्वर - मृदु मन -अभिराम ।
छेंड़े जाते तार जब , हों झंकृत अविराम ।।
हों झंकृत अविराम , तार तन कर ही बजते ।
शिथिल सूत्र के बीच, भला सरगम स्वर सजते । ।
कहे "निगम" कविराज , हरे यह मन की पीड़ा ।
नारद शारद हाथ , सुशोभित सुंदर वीणा ।।
विषय(32)--- *नैतिक*
नैतिक' वह जो नीति-युत , मानवीय आधार ।
अनुमोदन जिस कर्म का , सहज करे संसार ।।
सहज करे संसार , प्रशंसा और समर्थन ।
'निज' के संग 'समग्र ' , हेतु भी रहे समर्पन ।
कहे "निगम" कविराज , पंथ पौराणिक वैदिक।
हो न किसी को कष्ट , भाव यह पावन नैतिक।।
कलम से---
कृष्ण मोहन निगम
सीतापुर
जिला सरगुजा( छत्तीसगढ़)
[04/01 7:11 PM] अनुपमा अग्रवाल: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
दिनांक - 04.01.2020
कुण्डलियाँ (31)
विषय-वीणा
माता वीणा वादिनी, लेकर वीणा हाथ।
भामा सुरसा भारती,हरदम रहना साथ।
हरदम रहना साथ,महापाशा,सावित्री ।
वन्द्या सदा प्रणाम,विशालाक्षी,धारित्री।
अनु वाणी पर राज,शुभा मैं तेरी जाता।
अलंकार अरु छंद,महाभद्रा है माता।।
कुण्डलियाँ (32)
विषय-नैतिक
खोई है अब भावना,माँगें सब अधिकार।
प्रीत गीत गाते नहीं,नैतिक नहीं विचार।
नैतिक नहीं विचार,करें बस खींचातानी।
सुनें न कोई बात, करें अपनी मनमानी।
खोजे अनु मनमीत,नहीं है सच्चा कोई।
अपने लगते गैर, कहाँ नैतिकता खोई।।
रचनाकार का नाम-
अनुपमा अग्रवाल
[04/01 7:21 PM] कमल किशोर कमल: नमन
कुँडलियाँ शतकवीर हेतु
04.01.2020
33-वीणा
मन की वीणा बोलती,कर लो जनहित काम।
हर पल के उपयोग से,होगा जग में नाम।
होगा जग में नाम,सितारा बनकर चमके।
दया धर्म सद्भाव,हृदय से टप- टप टपके।
कहे कमल कविराज,हरो जन -जन की पीड़ा।
मिलता उर संतोष,बज गई मन की वीणा।
34-नैतिक
नैतिक मूल्यों का पतन,आदर्शी अवसान।
बैर भाव घर -घर पले,देखो सकल जहाँन।
देखो सकल जहाँन,सपेले घर में पलते।
कर मर्यादा शमन,दुष्टता कर -कर ढलते।
कहे कमल कविराज,ज्ञान जब मिलता दैहिक।
बढ़े स्वार्थ की बेल,मनुज ढलता है नैतिक।
कवि-कमल किशोर "कमल"
हमीरपुर बुन्देलखण्ड।
[04/01 7:22 PM] चमेली कुर्रे सुवासिता: कलम की सुगंध छंदशाला
*कुण्डलिया शतकवीर*
दिनांक- 04/01/2020
कुण्डलिया- ( *31*)
विषय- *वीणा*
वीणा की झंकार है , सब का जीवन आज।
सुख दुख के हर राग से, सजें हुए हैं साज।।
सजें हुए हैं साज, दृष्टि जन रखते जैसी।
स्वरलहरी की तान, बने फिर हरदम वैसी।।
सुवासिता दे ध्यान, अहम ही करता चूर्णा ।
गम को जाते भूल, बजे जब सुन्दर वीणा।।
कुण्डलिया-( *32*)
विषय- *नैतिक*
नैतिक मूल्यों की समझ, समझ सिद्ध हो काम।
भेद भाव मन से मिटे, होगा तेरा नाम।।
होगा तेरा नाम, बात भी मार्मिक होगी ।
आस बने विश्वास, स्वस्थ होते है रोगी ।।
सुवासिता दे ध्यान, लालची बने अनैतिक ।
समझो गीता सार, काम फिर करना नैतिक।।
🙏🙏🙏
✍चमेली कुर्रे 'सुवासिता'
जगदलपुर (छत्तीसगढ़)
[04/01 7:23 PM] रजनी रामदेव: शतकवीर प्रतियोगिता हेतु
4/01/2020::शनिवार
31--वीणा
सारे घर का लाडला, और सभी का प्यार।
तेरी मृदु मुस्कान से, बजते वीणा तार।।
बजते वीणा तार, नाचता जब तू दैविक।
मुखड़ा तेरा देख, खाद मिल जाती जैविक।।
पाया है उपहार, सलोना ये ईश्वर का।
बसती तुझमें साँस, लाडला सारे घर का।।
32--नैतिक
दलदल होती कीच की, डूबें वहाँ अनाम।
रह काजल की कोठरी, नैतिक भी बदनाम।।
नैतिक भी बदनाम, दाग लगता बेमानी।
करें सदाशय कार्य , फँसा देती नादानी।।
सीधा सादा रूप,न आता उनको छलबल।।
डूब रहें अनजान,जहाँ होती है दलदल।।
रजनी रामदेव
न्यू दिल्ली
[04/01 7:33 PM] डॉ मीता अग्रवाल: *कलम की सुगंध छंद शाला*
कुंड़लिया छंद शतकवीर हेतु
4/1/2020
*(31)वीणा*
वीणापाणी शारदे,गीत नाद लय प्रीत।
बजती वीणा बांसुरी, झंकृत हो संगीत।
झंकृत हो संगीत, शारदे ज्ञान दायिनी।
विद्या देवे मान,भवानी पुस्तधारिणी।
कहे मधुर ये बोल, मात संगीत प्रवीणा।
श्वेत वसना मात,हस्त में साजे वीणा ।
*(32)नैतिक*
नैतिक शिक्षा में छिपा, नैतिकता विश्वास ।
नैतिक मूल्यों से बढे, संस्कार की आस।
संस्कार की आस,जगाती मन में इच्छा ।
कच्ची माटी बाँध, देत है विवेक दीक्षा।
कहे मधुर की सोच, हुई है दुनिया भौतिक ।
गुनो समय की माँग,जरूरी शिक्षा नैतिक ।
*मीता अग्रवाल मधुर रायपुर छत्तीसगढ़*
[04/01 7:53 PM] गीता द्विवेदी: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलिया शतकवीर प्रतियोगिता हेतु
दिनांक-04-01-020
(31)
विषय-वीणा
तेरे शीश मुकुट सजा, कण्ठ पुष्प का हार।
वीणावादिनी शारदे, हर ले तम का भार।।
हर ले तम का भार, दया का तू है सागर।
मैं विद्या से रिक्त, त्वरित भर दे उर गागर
दुर्गुण हृदय हजार, खड़े हैं संकट घेरे।
कर मेरा उद्धार, पड़ी चरणों में तेरे।।
(32)
विषय-नैतिक
नैतिकता का हार है, जीवन में अनमोल।
पालन इसका कीजिए, मीठी वाणी बोल।।
मीठी वाणी बोल, बहे विकास की धारा।
दुर्गुण चादर त्याग, बनेगा तू बेचारा।।
जो भी बना उदार, मिली उसको सफलता।
निर्मल हो चरित्र, समझ लाती नैतिकता।।
सादर प्रस्तुत 🙏🙏
गीता द्विवेदी
[04/01 7:57 PM] केवरा यदु मीरा: शतक वीर कुंडलिया छंद
31
4-1-2020
माता वीणा वादिनी, सुनलो आज पुकार ।
मन मंदिर की मात तुम, झंकृत कर दो तार ।
झंकृत कर दो तार, मात तेरे गुण गाऊँ ।
चले लेखनी धार, अंब भव से तर जाऊँ।
तुम हो दुर्गा रूप, अन्नपुर्णा सुख दाता ।
मीरा कहे पुकार, हरो विपदा तुम माता ।।
नैतिक
भाई भाई अब लड़े, नैतिकता को भूल ।
दुश्मन लगता भ्रात है,बोल चुभे बन शूल ।
बोल चुभे बन शूल, कौन इनको समझाये ।
मात पिता है बोझ,आँख भी ये दिखलाये ।
आँगन में दीवार, देक कर रोती माई ।
चलते कटुक जुबान, बन गया अरि सम भाई ।।
केवरा यदु "मीरा "
राजिम
[04/01 8:09 PM] पाखी जैन: *कलम की सुगंध--छंदशाला*
*शतकवीर हेतु कुंडलियाँ*
31
*वीणा*
माता वीणापाणि के,चरणों कोटि प्रणाम।
मुखरित चारों वेद हैं,गुंजित चारों धाम।
गुंजित चारों धाम,सभी मिल राग सुनावैं।
अनेक इसके नाम ,ब्रह्मा शंकर भी गावैं।
पाखी आभा देख, हृदय गदगद हो जाता
करती कोटि प्रणाम, नित्य चरणों में माता ।
*मनोरमा जैन पाखी*
32--
*नैतिक..*
करता आँखें, लाल हैं, कैसे नैतिक -भाव?
आह निकलती देख कर, सबके ऐसे ताव?
सबके ऐसे ताव , बने हैं सभी विधर्मी
देते मन को घाव ,सिखा कर धर्म कुकर्मी।
पाखी खोज निदान,धर्म यूँ कभी न मरता
देखे पाप महान , लाल आँखों को करता।
पाखी
[04/01 8:23 PM] सुकमोती चौहान रुचि: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
दिनाँक - 04/01/2020
*वीणा*
जय हो वीणावादिनी,माँ दे दो वरदान।
स्वर की देवी शारदा,जगे हृदय सद्ज्ञान।।
जगे हृदय सद्ज्ञान,सात सुर जग में घोले।
मधुर राग संगीत,सखी री सुन मन डोले।।
कहती रुचि करजोरि,सृष्टि में पल पल लय हो।
रव बिन धरा श्मशान,यंत्र वीणा की जय हो।।
*नैतिक*
नैतिक धार्मिक ग्रंथ का,वाचन करिए रोज।
तन मन रहे प्रसन्न अति,मिले मानसिक ओज।।
मिले मानसिक ओज,तमस गुण का क्षय करता ।
बढ़ता ज्ञान विवेक,आचरण सम्यक रखता।।
कहती रुचि करजोरि,न शाश्वत कोई दैहिक।
धरती कर्म प्रधान,पाठ सीखें सब नैतिक।।
✍ सुकमोती चौहान रुचि
बिछिया,महासमुन्द,छ.ग.
[04/01 8:24 PM] आशा शुक्ला: कलम की सुगंध छंदशाला
कुंडलियाँ शतकवीर हेतु
दिनाँक-04/ 01 /2020
(३१)
विषय-वीणा
आया सहसा कौन ये , मेरे मन के द्वार।
झंकृत मन-वीणा हुई, झनक उठे सब तार।
झनक उठे सब तार, बजे सरगम अति प्यारी।
पीकर राग अमंद, कली अलि पर बलिहारी।
फूल के रंग बीच , लगे कोई मुस्काया।
प्रियतम लेकर प्रीत, मन की नगरिया आया।
(32)
विषय-नैतिक
गिरते नैतिक मूल्य ने , किया समाज बेरंग ।
सभी नशे में चूर हैं , पीकर जैसे भंग।
पीकर जैसे भंग,परिवेश बहुत है बिगड़ा।
बँटी धर्म है जाति, नित्य होता है झगड़ा।
क्या ही अच्छा होता, सद्भाव-से मन भरते।
होते जो नैतिक मूल्य ,नहीं तब इतना गिरते।
आशा शुक्ला
शाहजहाँपुर, उत्तरप्रदेश
🌷🙏🙏🌷
[04/01 8:44 PM] राधा तिवारी खटीमा: कलम की सुगंध
कुंडलीयाँ शतकवीर हेतु
दिनांक 04/01/2020
वीणाधारी (31)
वीणाधारी मातु है, विद्या का आधार।
माँ से राधे कर रही, हाथ जोड़ मनुहार।।
हाथ जोड़ मनुहार, खुशी सब पर बरसाना।
भरो सभी में मातु,सदा तुम ज्ञान खजाना।
कह राधेगोपाल, मधुर है तान तुम्हारी।
राधा आई द्वार, दरश दो वीणाधारी।।
नैतिक (32)
नैतिक शिक्षा दीजिए , निज संतति को आप ।
मिट जाए इस देश से , कुत्सित मन अभिशाप।
कुत्सित-मन अभिशाप , नीति पथ अवरोधित है ।
भले कठिन है राह , राह यह संशोधित है।
कह राधे गोपाल , बात है यह भी वैदिक।
कभी न छोड़ो सत्य, सत्य है शाश्वत नैतिक।।
राधा तिवारी "राधेगोपाल"
खटीमा
उधम सिंह नगर
उत्तराखंड
[04/01 8:44 PM] अनंत पुरोहित: कलम की सुगंध
कार्यक्रम शतकवीर कुंडलियाँ
अनंत पुरोहित 'अनंत'
दिन शनिवार 04.01.2020
31) वीणा
साधक स्वर सुर साधता, झनके झन झनकार
वरदे वीणावादिनी, साधूँ वीणा तार
साधूँ वीणा तार, स्वरों की छेड़ूँ सरगम
स्वर की सुर लय ताल, समझ मन चमके चमचम
कह अनंत कविराय, बनूँ मैं ऐसा वादक
मन को भी लूँ साध, साथ स्वर सुर सा साधक
नैतिक
नैतिक शिक्षा पे सदा, कक्षा में हो जोर
अक्षर के सह थाम ले, सदाचार की डोर
सदाचार की डोर, थाम कर जग सुधरेगा
नारी का सम्मान, तभी मन में उपजेगा
कह अनंत कविराय, काम होगा न अनैतिक
बचपन से ही सीख, युवा बन जाए नैतिक
रचनाकार-
अनंत पुरोहित 'अनंत'
[04/01 8:49 PM] अभिलाषा चौहान: *कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु*
*कुण्डलियाँ(३१)*
*विषय-वीणा*
वीणा साधक से कहे,बैठे क्यों हो मौन।
सुर तंत्री को छेड़ दो,तुम बिन मेरा कौन।
तुम बिन मेरा कौन,तार अब झंकृत कर दो।
सात सुरों से आज,प्राण तुम मुझमें भर दो।
कहती 'अभि' निज बात,सुरों में साधक श्रीणा।
छेड़े उसने तार,बज उठी मधुरिम वीणा।
श्रीणा-सर्वश्रेष्ठ
*कुण्डलियाँ-(३२)*
*विषय-नैतिक*
मानव जीवन के लिए, नैतिक मूल्य महान।
जीवन उत्तम हो सदा, दूर रहे अज्ञान।
दूर रहे अज्ञान,सत्य पथ बन अनुगामी।
दया,क्षमा अरु प्रेम,बनो करुणा के स्वामी।
कहती 'अभि' निज बात,कर्म करना है आनव।
पालन नैतिक मूल्य, बनोगे सच्चे मानव।
आनव-मानवोचित
*रचनाकार-अभिलाषा चौहान*
[04/01 9:03 PM] केवरा यदु मीरा: शतक वीर कुंडलिया छंद
31
4-1-2020
माता वीणा वादिनी, सुनलो आज पुकार ।
मन मंदिर की मात तुम, झंकृत कर दो तार ।।
झंकृत कर दो तार, मात तेरे गुण गाऊँ ।
चले लेखनी धार, अम्ब भव से तर जाऊँ।।
तुम हो दुर्गा रूप, अन्नपुर्णा सुख दाता ।
मीरा कहे पुकार, हरो विपदा तुम माता ।।
नैतिक
भाई भाई अब लड़े, नैतिकता को भूल ।
दुश्मन लगता भ्रात है,बोल चुभे बन शूल ।।
बोल चुभे बन शूल, कौन इनको समझाये ।
मात पिता है बोझ,आँख भी ये दिखलाये ।।
आँगन में दीवार, देख कर रोती माई ।
चलते कटुक जुबान, गया बन अरि सम भाई ।।
केवरा यदु "मीरा "
राजिम
[04/01 9:15 PM] गीतांजलि जी: कुण्डलिया शतकवीर
(३३) वीणा
वीणा के सुर छेड़ते, गजमुख उन्नत भाल।
गाते गदगद कण्ठ से, शिवसुत गौरी लाल॥
शिवसुत गौरी लाल, लाल रक्ताम्बर पट धर।
देते मृदंग ताल, ताल-ब्रह्म के तट पर॥
नंदी जन गण भूत, रहे नाच हुए लीना।
बजते सुंदर साज, साज रही कर वीणा॥
(३४) नैतिक
भाई चारों जा रहे, वसिष्ठ गुरु के पास।
नैतिक वैदिक पाठ की, ले कर मन में प्यास॥
लेकर मन में प्यास, चले चार ब्रह्मचारी॥
धारे वल्कल वस्त्र, जटा व जनेऊ धारी।
शास्त्र शस्त्र सब सीख, गदा धनु शर मन लाई।
भरत शत्रुघ्न राम, चले लक्ष्मण प्रिय भाई॥
गीतांजलि
[04/01 9:44 PM] सुशीला साहू रायगढ़: 🌷*कलम की सुगंध छंदशाला*🌷
*कुंण्डलियाँ शतकवीर हेतु मेरी रचना*
*33----वीणा*04/01/2020*
तरंग तन मन मोहती,बिन्दी सोहती भाल।
मधुर गीत भक्ति भरा,बजते मृदंग ताल॥
बजते मृदंग ताल,माँ श्वेताम्बर धरिणी।
ज्ञान दायिनी मात,शुभदा ब्रम्हा चारिणी॥
कह शीला कर जोड़,पूजते सर्वदा मृदंग।
मन में भरे उमंग ,बजे वीणा सुर तरंग॥
*34----नैतिक*
भाई नैतिकता रहे, हम सब सीखें पाठ।
वैदिक काल से चले,बाँध मनुज अब गाठ।।
बाँध मनुज अब गाठ,पाकर नगर तज नैतिक।
धारण करते वस्त्र, जनेऊ संस्कार वैदिक।।
शास्त्र परम्परा सीख,गुरू आश्रम अब आई।
भरत शत्रुघ्न राम, संग प्रिय लक्ष्मण भाई।।
*सुशीला साहू शीला*
*रायगढ़ छ.ग.*
[04/01 9:53 PM] सुशीला जोशी मुज़्ज़फर नगर: *शतकवीर कुंडलियाँ प्रतियोगिता*2020
4-1-2010
*वीणा*
झंकृत न होवे कभी , टूटे वीणा तार
टूटे तारों से कभी, ध्वनि न होवे पार
ध्वनि न होवे पार , बेसुरा गीत सुनावे
आधी अधूरी होय , गीत की रीत निभावे
करे कसैला स्वाद , रीत न रहवे संस्कृत
जर्जर वीणा तार , न होते हैं फिर झंकृत ।
*नैतिक*
नैतिक दायित्व निर्वहन , करना सबका काम
नैतिकता अपनाय कर , जग में होता नाम
जग में होता नाम , उदाहरण बना रहता
औरो की सुधि लेय , स्वयं बढ़ता है रहता
धार आधुनिक सोच , कभी न होना अनैतिक
सभी कीजिए काम ,निभाय दायित्व नैतिक
सुशीला जोशी
मुजफ्फरनगर
[04/01 9:56 PM] विद्या भूषण मिश्र 'भूषण': कुंडलिया शतकवीर।
०४/०१/२०२०, शनिवार।
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*31--वीणा*
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हट जाये अज्ञान सब, सुन वीणा की तान।
हे माता कर दो कृपा, हम में भर दो ज्ञान।
हम में भर दो ज्ञान, कलम की धार बढ़ा दो।
रचें सरल साहित्य, कला मर्मज्ञ बना दो।
पायें हम शुभ ज्ञान, धुंध तम की छँट जाये।
फैले विशद प्रकाश , विघ्न बाधा हट जाये।।
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*३२-नैतिक*
नैतिक बल के सामने, सारे बल बेकार।
विजयी होता सत्य है, नित असत्य की हार।
नित असत्य की हार, युगों से होती आई।
ऋषियों ने सब काल ,सत्य की महिमा गायी।
हो जाता निरुपाय, हार जाता है छल-बल
सब हो जाते पस्त , विजय पाता नैतिक बल।।
*-- विद्या भूषण मिश्र "मिश्र"--*
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[04/01 10:11 PM] कन्हैया लाल श्रीवास: कलम की सुगंध........ कुण्डलियाँ शतकवीर
*विषय........वीणा*
विधा.........कुण्डलियाँ
माता वीणा धारती , देती विनय विवेक।
सजती कुंडल कर्ण पर,ज्ञान सदा दे नेक।
ज्ञान सदा दे नेक ,करें लेखन शुभ नामा।
रचती हर संगीत ,गीत सजे सब धामा।
मंदिर गूँजे गीत ,सभी मानव को भाता।
झुकता सबका शीश, वीणा धारती माता।
★★★★★
स्वलिखित
कन्हैया लाल श्रीवास
भाटापारा छ.ग.
जि.बलौदाबाजार भाटापारा
(संशोधन पश्चात)पुनः प्रेषित
[04/01 10:15 PM] डॉ मीना कौशल: वीणा
वीणा धारिणि शारदे,झंकृत कर दो तार।
रसधार अन्तस् बहे,हो ऐसी झंकार।।
हो ऐसी झंकार, अमल नव रस मंगलमय।
रहे प्रवाहित प्रेम,बुद्धि हो शुद्धि सुचिन्मय।।
हे सर्वेश्वरि देवि,सर्वहित रते प्रवीणा।
जगदम्बे झन्कार,करो अन्तस् में वीणा।।
नैतिक है कर्त्तव्य ये,परहित चिन्तन डोर।
मानवता की सुखद,जग में स्वर्णिम भोर।।
जग में स्वर्णिम भोर,दूर हो शोर शराबा।
मनुष्यता शुचि धर्म,नमन हो काशी काबा।।
निज शुचि सम्मति मार्ग,त्याग सब होते भौतिक।
है अपना सद्धर्म,बने मानव हम नैतिक।।
डा.मीना कौशल
शानदार रचनाएँ ...सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई 💐💐💐💐
ReplyDeleteबेहतरीन संकलन, रचनाकारों को हार्दिक बधाई 🌷🌷🌷🌷
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