Tuesday, 21 January 2020

कुण्डलियाँ छंद...दीपक ,पूजा

[21/01 6:01 PM] कृष्ण मोहन निगम: दिनांक 21 जनवरी 2020
*कुंडलियां शतक वीर हेतु* 
विषय       ---      *दीपक* 
दीपक - हृदय    जलाइए, फैले प्रेम प्रकाश ।
छाया है जो अति गहन ,   हो उस तम का नाश।।
हो उस तम का नाश,   मार्ग सारे खुल जाएँ। 
भावों को गति मिले,  व्यथित मुखड़े मुस्काएँ।।
कहे "निगम कविराज", तिमिर अस्तित्व तभी तक।
हो   निराश - मन   आप ,   बुझाए बैठे दीपक ।।

विषय ......    *पूजा* 
पूजा मन का भाव शुभ,  सुखद सुरस  सम्भ्रांत ।
बैठो सन्मुख ईष्ट के ,  एक चित्त मन शान्त ।।
एक चित्त मन शान्त,  न हो कुछ दुविधा मन में ।
कर अर्पण निज 'मान,  मिले ध्रुव फल जीवन में।।
कहे "निगम कविराज" हृदय में अन्य न  दूजा ।
एकमेव हो   ईष्ट  , फलित हो   तब ही    पूजा।।
कलम से..
कृष्ण मोहन निगम
सीतापुर, जि. सरगुजा (छ.ग.)
[21/01 6:01 PM] बाबूलाल शर्मा बौहरा: °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
•••••••••••••••••••••••••••••बाबूलालशर्मा
.           *कलम की सुगंध छंदशाला* 

.           कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु

.              दिनांक - २१.०१.२०२०

कुण्डलियाँ (1) 
विषय-  *दीपक*
जलता पहले तो स्वयं, पीछे  तिमिर पतंग।
देता   दीपक  रोशनी, घृत  बाती  के  संग।
घृत बाती के संग, जले नित जन उपकारी।
करें प्राण उत्सर्ग, लोक हित बन तम हारी।
शर्मा  बाबू  लाल, स्वप्न  नित नूतन पलता।
चाहे तम का अंत, नित्य ही दीपक जलता।
•.                  ••••••••••  
कुण्डलियाँ (2) 
विषय-   *पूजा*
करना पूजा  ज्ञान  की, मानस मान सुजान।
राष्ट्र गान  से  वन्दना, संसद  वतन  विधान।
संसद वतन विधान, पूज निज भारत माता।
सरिता सागर भानु, धरा शशि प्राकृत नाता।
शर्मा  बाबू  लाल, शीश  चंदन  रज  धरना।
गुण मानवता  सत्य, न्याय की पूजा करना।
•.                     •••••••••
रचनाकार -✍©
बाबू लाल शर्मा,बौहरा
सिकंदरा,दौसा, राजस्थान
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[21/01 6:07 PM] सरला सिंह: *21.01.2020 (मंगलवार )*
*कलम की सुगंध छंदशाला*
*कुंडलियाँ शतकवीर हेतु*

*दिन - मंगलवार* 
*दिनांक-21/01/20*
*विषय- दीपक, पूजा*
*विधा कुण्डलियाँ*

      *61-दीपक*

करती उजियारा सखी,दीपक जलकर आज।
पूजा का माध्यम बनी,जलती सबके काज।
जलती सबके काज,सदा से राह दिखाती।
भटके  पाते  राह, नहीं बदले कुछ पाती।
कहती सरला बात, सदा अंधेरा  हरती।
जलती तिलतिल आज़,नाज़ है फिरभी करती ।

                *62-  पूजा*
  पूजा की थाली सजा, लेकर सखियां आज।
  मनही मन सुमिरन करे,रखना प्रभुजी लाज।
  रखना प्रभुजी लाज,नाथ तुम ही बस मेरे।
  दुविधा अब दो हटा , रही मन को जो घेरे।
  कहती सरला बात, नहीं तुम बिन है दूजा।
  करती विनती नाथ, सदा करती है पूजा।


*डॉ सरला सिंह स्निग्धा*
*दिल्ली*
[21/01 6:08 PM] पुष्पा विकास गुप्ता कटनी म. प्र: कलम की सुगंध छंदशाला
*कुंडलिया शतकवीर हेतु*

दिनाँक- 21.1.2020
कुंडलिया(61) *दीपक*

जलता  दीपक  देहरी, हरता है अँधियार।
जबतक बाती तेल है, करता पर उपकार।।
करता पर उपकार, सदन को करता जगमग।
जलता है नि:स्वार्थ, न होता पथ से डगमग।।
झोका एक समीर, सदा से इसको छलता।
देता पुंज प्रकाश, रात भर दीपक जलता।।

कुंडलिया (62) *पूजा*

करते  पूजा  आरती,  नित्य  जलाकर दीप।
भक्त सदा भगवान को, समझें हृदय समीप।।
समझें हृदय समीप, बनाकर देह शिवाला।
आती जाती साँस, जपे हरि-हर की माला।।
प्रांजलि के वे नाथ, सकल भव बाधा हरते।
मिट जाते संताप, नाम का सुमिरन करते।।

पुष्पा गुप्ता प्रांजलि
[21/01 6:11 PM] प्रतिभा प्रसाद: *कुंडलियाँ*
विषय  ----   *दीपक , पूजा*
दिनांक  --- 21.1.2020....

(61)              *दीपक*

दीपक देवी को दिखा , करूं आरती रोज ।
माँ की ही आराधना , नित्य भोग ही भोज ।
नित्य भोग ही भोज , करूं माता की सेवा ।
पा जाती हूँ ओज , मिलेगा तब ही मेवा ।
कह कुमकुम कविराय , नहीं है जीवन क्षेपक ।
रखें इसे संभाल , सदा जलता है दीपक ।


(62)        ‌‌    *पूजा*

पूजा प्रभूवर की करूं , भजती आठों याम ।
इच्छा माता की रही  , सिया राम के वाम ।
सिया राम के वाम , लगें कितनी ही सुंदर ।
होता है मन तृप्त , खुशी मिलती मन अंदर ।
कह कुमकुम करजोरि , नहीं दिखता वर दूजा ।
जोड़ी सीता राम , सदा करतें हैं पूजा ।।


🌹 *प्रतिभा प्रसाद कुमकुम*
        दिनांक  21.1.2020.....

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[21/01 6:11 PM] इंद्राणी साहू साँची: कलम की सुगंध छंदशाला

कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु

दिनाँक - 21/01/2020
दिन - मंगलवार
61 - कुण्डलिया (1)
विषय - दीपक
**************
पावन दीपक ज्ञान का , अद्भुत करे प्रकाश ।
अंधकार को चीरकर , हृदय भरे नव आस ।
हृदय भरे नव आस , मनुज को राह दिखाते ।
इसका हो सान्निध्य , मूढ़ ज्ञानी बन जाते ।
उज्वल होय चरित्र , लगे तब नर मनभावन ।
पूजन अर्चन ध्यान , सिखाता दीपक पावन ।।
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62 -कुण्डलिया (2)
विषय - पूजा
****************
सच्ची पूजा ईश की , सेवा अरु सहकार ।
बैर भाव को भूलकर , करिए सबसे प्यार ।
करिए सबसे प्यार , यही उत्तम आराधन ।
कलुष मुक्त व्यवहार , मोक्ष का बनता साधन ।
श्रद्धा रखिए पुष्ट , साधना रहे न कच्ची ।
हर लें जग की पीर , यही है पूजा सच्ची ।।
********************************
✍️इन्द्राणी साहू "साँची"✍️
   भाटापारा (छत्तीसगढ़)
★★★★★★★★★★★★★★★
[21/01 6:15 PM] बोधन राम विनायक: *कलम की सुगन्ध छंदशाला*
कुण्डलियाँ - शतकवीर सम्मान हेतु -
दिनाँक - 21.01.2020 (मंगलवार)

(61)
विषय - दीपक

आये  हैं  संसार  में, करने  हैं  कुछ  काज।
दीपक बन जलता रहे,रखने कुल की लाज।।
रखने कुल की लाज,काम कुछ ऐसा करना।
मातु-पिता भगवान, कष्ट  इनके  हैं  हरना।।
कहे विनायक राज, हँसी मुख से छलकाये।
अँधियारी हो दूर, दीप जब  बनकर आये।।

(62)
विषय - पूजा

पूजा  की  थाली  सजे, आया  पावन  पर्व।
अपनी ये संस्कृति भली,इन पे हमको गर्व।।
इन पे हमको गर्व, मान सम्मान है मिलता।
खुशियों मिले अपार,फूल आँगन है खिलता।।
कहे  विनायक राज, नहीं सम  व्रत है दूजा।
इनसे   हैं  संस्कार,  आरती  करलो  पूजा।।


बोधन राम निषादराज"विनायक"
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)
[21/01 6:20 PM] अनिता सुधीर: *21.01.2020 (मंगलवार)* 


दीपक
बाती अंतस की  बना ,तेल समर्पण डाल ।
दीपक बन कर खुद जलें,जीवन उत्तम ढाल।
जीवन उत्तम ढाल,सत्य का पालन करना ।
करना पर उपकार ,सदा नदिया सम चलना।
कहती अनु ये बात ,इसी धरती का खाती ।
जीवन समिधा डाल,बनाऊं अंतस की बाती ।

पूजा
पूजा  है उत्तम यही , रखें बड़ों का ध्यान।
सेवा का जो व्रत लिये ,तभी मिलें भगवान।।
तभी मिलें भगवान,मिला अनमोल खजाना।
मिलता है आशीष,उसी से सपन  सजाना ।
जीवन का है सार ,नहीं उत्तम है दूजा ।
रखिये श्रद्धा भाव ,समझ सेवा ही  पूजा ।

अनिता सुधीर
[21/01 6:33 PM] धनेश्वरी सोनी: शतकवीर कलम की सुगंध.....
मंगलवार  21/1/2020        

              पूजा 

पूजा भगवन की करें, पत्थर पूजे कोय ।
 हरिहर मिलते ध्यान से, झूठे फरेब रोय ।
 झूठे फरेब रोय, सत्य में बस्ती माता ।
 लक्ष्मी गौरी पूज,चढ़े जो प्रसाद पाता ।
 पावन पर्वत बैठ ,लगे जो आसन गिरजा।
 जागते सारी रात, करे सब दुर्गा पूजा ।

               दीपक 

 जलते दीपक जब रखा, स्मरण करें प्रभु नाम ।
 अंधकार मिटने लगे, बनने लगते काम ।
 बनने लगते काम,ध्यान करें वीणा पानी ।
 विचार पावन राख, मधुर सब बोले वाणी ।
 करते मंगल गान ,वहां जो उत्सव मनते  ।
 कहती गुल यह बात ,घरों-घर दीपक जलते ।
              
                 धनेश्वरी सोनी गुल बिलासपुर
[21/01 6:35 PM] आशा शुक्ला: कलम की सुगंध छंदशाला
कुंडलियाँ शतकवीर हेतु

(61)
विषय -दीपक
जलता है  यह रात भर, करता तम को दूर।
दीपक इसका  नाम है, दे  प्रकाश  भरपूर।
दे  प्रकाश  भरपूर,  काम  दूजे  के  आया ।
यह  उपकारी  भाव, इसे  देवों तक  लाया ।
कह आशा निज बात,नाम दानी का चलता।
चमका कर  संसार ,दीप  मंदिर में जलता।




(62)
विषय-पूजा
पूजा शुचि मानस करे ,पावन है यह कर्म ।
पर सच्चे मन से करे, यह मानव का धर्म।
यह मानव का धर्म, पुण्य पूजा  का पाए।
करे दया  उपकार ,दीन को सुखी बनाए।
इससे बढ़कर  पुण्य,  नहीं है  कोई  दूजा।
खुश हो  जाएं देव ,यही  है  सच्ची पूजा।

आशा शुक्ला
शाहजहाँपुर, उत्तरप्रदेश
[21/01 6:39 PM] अटल राम चतुर्वेदी, मथुरा: *21.01.2020 (मंगलवार)* 

61-   दीपक
***********
घर में दीपक प्यार का, जला करे दिन रात।
समझो खुशियाँ आ रहीं, लेकर शुभ सौगात।
लेकर शुभ सौगात, रहेगा शेष न दुखड़ा।
देखेंगे जिस ओर, दिखेगा हँसता मुखड़ा।
"अटल" चलेगी वायु, खुशी की हर पल सर-सर।
जीवन का यह सार, प्यार का दीप जले घर।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏
62-   पूजा
*********
पूजा तीन प्रकार की, छोटी, बड़ी, मझोल।
जब जैसा मौका लगे, वैसी दीजे खोल।
वैसी दीजे खोल, समय पर सभी सुहाता।
इसका रखिये ध्यान, प्रतीक्षा करे न आता।
"अटल" न जाने कौन, पीर में डूबा दूजा ?
पर-पीड़ा दो मेंट, नहीं कम यह भी पूजा।
🙏अटल राम चतुर्वेदी🙏
[21/01 6:57 PM] अनुराधा चौहाण मुम्बई: कलम की सुगंध
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
दिनाँक--21/1/20

61
पूजा
पूजा मनसे कीजिए,पूजा मन का भाव।
पूजा से मनके सदा,मिटते सभी अभाव।
मिटते सभी अभाव,मिटा जीवन से हर दुख।
पूजा से कल्याण,मिले मनचाहा हर सुख।
कहती अनु सुन बात,पिता सम देव न दूजा।
माता देवी मान,करो तुम निशदिन पूजा

62
दीपक
दीपक सा दमके सदा,जग में तेरा नाम।
करना जीवन में सदा,सुंदर सुंदर काम।
सुंदर-सुंदर काम,बनो तुम सबके रक्षक।
चलना सच की राह, नहीं बन जाना भक्षक।
कहती अनु सुन बात,रखो दिल सुंदर रूपक।
दिल में भरो उजास,जलो तुम बनके दीपक

अनुराधा चौहान
[21/01 7:25 PM] नवनीत चौधरी विदेह: *कुंडलियाँ शतकवीर प्रतियोगिता हेतु*
*दिनांक:-२१/०१/२०२०*

*विषय:-दीपक*
*६१*

दीपक  में  चर्बी  जले , बनी  रसायन  धूप |
शुद्ध तुम्हारा साधको , कितना अंतस-कूप ||
कितना अंतस-कूप, पूजते हो किसको तुम |
मन में सरस विचार,सहज हो जाते हैं गुम |
कह विदेह कविराय, थाम लेना उद्दीपक |
कहता है ये मित्र,रात-दिन जलता दीपक ||

*विषय:-पूजा*
*६२*

पूजा हर पाषाण था, घूम-घूमकर देश |
मुख देखा माँ-बाप का, व्यर्थ गया परदेश |
व्यर्थ गया परदेश, अरे हर पत्थर चूमा |
घर में थे भगवान, और मैं मंदिर घूमा |
कह विदेह कविराय, मिला ना कोई दूजा |
कितना मैं नादान, कहाँ पर करता पूजा ||

*नवनीत चौधरी विदेह*
*किच्छा, ऊधम सिंह नगर*
*उत्तराखंड*
[21/01 7:32 PM] संतोष कुमार प्रजापति: कलम की सुगंध छंदशाला 

*कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु* 

दिनांक - 21/01/2020

कुण्डलिया (61) 
विषय- दीपक
===========

जलता  दीपक  रातभर, कभी  न   माने   हार l
करे   तमी   तमहीन   जब, तब  सुन्दर  उद्गार ll
तब   सुन्दर   उद्गार, बदन  कितना   लघु  मेरा l
वदन  जलन  सह  यार, मिटाया  तमस घनेरा ll
कह 'माधव कविराय', कठिन लोहा भी गलता l
मेरे  सम  निष्काम, जगत  कोई  जब  जलता ll

कुण्डलिया (62) 
विषय- पूजा
===========

पूजा उसकी व्यर्थ है, हृदय न जिसका साफ I
पर  पीड़ा  ही  लक्ष्य बस, ईश्वर करे न माफ ll
ईश्वर   करे   न  माफ, असर  भी उल्टा होता l
कर - कर   पश्चाताप, अनाथों   जैसा   रोता ll
कह  'माधव कविराय', सही मानो  जो कूजा l
उर   दुर्गुण  का  ढेर, निरर्थक  उसकी  पूजा ll

रचनाकार का नाम-
           सन्तोष कुमार प्रजापति 'माधव'
                        महोबा (उ.प्र.)
[21/01 7:37 PM] डॉ मीता अग्रवाल: *कलम की सुगंध छंद शाला* 
कुंड़लिया छंद शतकवीर हेतु 
          
             *(61) दीपक*

करता दीपक रौशनी, होत तमस का नाश।
टिमटिम करती लौ करें, अंधियारे मे आस।
अंधियारे मे आस,दीप ही होत सहारा ।
धरम ध्वजा की साख,जले दीपक है प्यारा ।
कहती मधुर विचार, नेह मे पतंगा जलता।
दीपक जल उपकार, मनुज अरु तम पर करता।

                   *(62)पूजा*    

निश दिन पूजा कीजिये, पूजन उपजे भाव।
सतगुण भरता ह्रदय में, हो बढ़िया स्वाभाव ।
हो बढ़िया स्वाभाव,कामना शुभ ही करता ।
जीवन का हर क्लेश,मिटाता दुख को हरता।
 कहती मधुर विचार करो अर्चन तुम दस दिन ।
बेटी माता मान,करो पूजन जी निश दिन ।

 *मीता अग्रवाल मधुर रायपुर छत्तीसगढ़*
[21/01 7:43 PM] डॉ मीना कौशल: जलता

जलता दीपक यामिनी हुआ तिमिर संहार।
ज्योतिपुंजमय हो गया,विभावरी संसार।।
विभावरी संसार,चाँदनी नभ में छायी।
तारों का संसार,रात्रि की बेला आयी।।
गिरते बिन्दु तुषार,दूब में मोती पलता।
दिये अँधेरे टाल,मगन हो दीपक जलता।।

पूजा

पूजा मेरी कर्म हो,सदाचार शुचि धर्म।
मानवता उपकार ही,जीवन का है मर्म।।
जीवन का है मर्म,करो दुखियों की सेवा।
मिलते कृपानिधान,कृपा ही उनकी मेवा।।
दीनों पर उपकार,धर्म कोई न दूजा।
मात पिता पद सेव्य,हमारी पावन पूजा।।

डा .मीना कौशल
[21/01 7:46 PM] गीतांजलि जी: *कुण्डलिया शतकवीर* 
दिनांक २१/०१/२०
(६१) दीपक

धरना दीपक देहरी, दोनों दिशा प्रकाश।
भीतर बाहर लौ जले, करे तमस का नाश। 
करे तमस का नाश, बले बाती घृत कण कण।
सारी सारी रात, जगे जल जल कर क्षण क्षण।
पग पग पूछे काल, कौन सा पथ है वरना।
सत का शुचि शुभ दीप, सखी, जिह्वा पट धरना।

(६२) पूजा

*पूजा* गौरी मात की. करती सिय कर *मूँद*।
*मूँद* दृग और मूँद मुख, बूँद अश्रु जल *बूँद*। 
*बूँद* अश्रु जल बूँद, पखारे पद दो *पावन*। 
*पावन* मन के भाव, बहें ज्यूँ नयना *सावन*। 
*सावन* की यह स्नेह, रहे मम मन में *गूँजा*। 
*गूँजा* मंदिर शंख, प्रजा जन करते *पूजा*। 

गीतांजलि
[21/01 7:46 PM] रामलखन शर्मा अंकित: जय माँ शारदे

कुंडलियाँ

63. दीपक

हमको जलना चाहिए,दीपक बनकर नित्य।
भूले भटके पथिक के, लिए बनें आदित्य।।
लिए बनें आदित्य, रास्ता उन्हें दिखाएं।
उर अन्तर में आत्म, तत्व की ज्योति जलाएं।।
कह अंकित कविराय,छिपाएं अपने गम को।
मिल जाये कुछ कष्ट, भले जलने से हमको।।

64. पूजा

पूजा, जप, तप, साधना, जीवन के आधार।
इनसे करना चाहिए, अन्तर मन से प्यार।।
अन्तर मन से प्यार, शान्ति ये चित में लाते।
ये मानव का धर्म, हमें हर समय सिखाते।।
कह अंकित कविराय,रास्ता और न दूजा।
सच्चे मन से आप, करो ईश्वर की पूजा।।

----- राम लखन शर्मा ग्वालियर
[21/01 7:49 PM] रवि रश्मि अनुभूति: 9920796787****रवि रश्मि 'अनुभूति '

  🙏🙏

 कुण्डलिया शतकवीर सम्मान 

59 ) दीपक 
************
बालो दीप द्वार धरो , हो जाये उजियार । 
पूजा की है यह घड़ी , खोलो सारे द्वार ।।
खोलो सारे द्वार , चले अब हवा सुहानी ।
पावन बेला आज , बड़ा मौसम रूहानी ।।
दीपक जलता रोज़ , सँझा गीत अभी गालो ।
पथिक न भूले राह , द्वार धर दीपक बालो ।।

●  *बालो*  का अर्थ   ==  जलाना ।


60 ) पूजा 
***********
पूजा कर लो अब सभी , मन पावन हो जाय ।
सिमरन प्रभु का तुम करो , पूजा अर्चन भाय ।।
पूजा अर्चन भाय , कभी चिन्ता क्यों  घेरे ।
मंदिर जाओ रोज़ , लगाओ परिक्रमा फेरे ।।
कष्ट कटेंगे सोच , करो भले काम दूजा ।
घर आये सुख शांति , करो अभी सभी पूजा ।।
€€€€€€€€€€€

(C) रवि रश्मि 'अनुभूति '
21.1.2020 , 7:20 पीएम पर रचित ।
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🙏🙏समीक्षार्थ व संशोधनार्थ 🌹🌹
[21/01 7:55 PM] सुशीला जोशी मुज़्ज़फर नगर: कलम की सुगंध कुंडलियाँ प्रतियोगिता 2019-2010

21-01-2020

61--- *दीपक*
दीपक हरता व्याधियाँ, हरे सभी सन्ताप 
अंधेरे को दूर कर, क्षय कर देता पाप 
क्षय कर देता पाप, दीप मन्दिर में जलता 
नेह ज्योति के साथ, क्षरण सारे है सहता 
कर आलोकित पंथ, तमस चाटे जब दीमक 
रोग शोक सब ताप, सब हरता है दीपक॥

62--- *पूजा*
पूजा करना धर्म है, ईश्वर का ले नाम 
पर उपकारी को मिले, वही धर्म का काम 
वही धर्म का काम, दीन में ईश्वर बसता  
हरे दुखी के कष्ट, पुण्य का देता रसता
जोशी चोटिल जीव, मदद सा कर्म न दूजा 
ईश्वर का ले नाम, धर्म करना ये पूजा॥

सुशीला जोशी 
मुजफ्फरनगर
[21/01 8:00 PM] कन्हैया लाल श्रीवास: कलम की सुगंध छंद शाला.....कलम शतकवीर 
हेतु
★★★★★★★★★★★☆★★★★★                   
          *विषय.......दीपक*
            विधा........कुण्डलियाँ
★★★★★★★★★★★★★★★★★
नंदन दीपक  है बना, कहता जग का ज्ञान।
तनया जग माता बनी,रखती दो कुल मान।।
रखती दो कुल मान,रही है बुलबुल बगिया।
पीहर आयी जान, बात की  सारी सखियाँ।।
कहता  है  श्रीवास,  करें जग तनया  वंदन।
पूत सुता एक  समान, वंश उजियारा नंदन।।
★★★★★★★★★★★★★★★★★
          *विषय....... पूजा*
            विधा.........कुण्डलियाँ
★★★★★★★★★★★★★★★★★
पूजा  माता  की  करें, पायें  सुख  वरदान।
सुबह शाम कर  आरती, पूरण हो धनधान।।
पूरण  हो धनधान, चलो  सब  जायें मंदिर।
गाओ  मंगल  गान ,मात   देवालय   अंदर।।
कहे कवि श्रीवास ,धर्म  से  बढ़ा न दूजा।
सच्चे मन से सभी ,करें शुभ मंगल पूजा।।
★★★★★★★★★★★★★★★★★

स्वलिखित
कन्हैया लाल श्रीवास
भाटापारा छ.ग.
जि.बलौदाबाजार भाटापारा
[21/01 8:01 PM] अनंत पुरोहित: कलम की सुगंध छंदशाला
कार्यक्रम कुंडलियां शतकवीर हेतु
अनंत पुरोहित अनंत 

57) आगे

आगे कल की सोच मत, रह इस पल में मग्न।
आया भी था नग्न तू, जाएगा भी नग्न।
जाएगा भी नग्न, सभी पीछे छूटेगा।
क्या लाया था संग, कि क्या लेकर जाएगा।
कह अनंत कविराय, मोह के पीछे भागे।
माया मिले न राम, सोच मत कल की आगे।

58) मौसम

मौसम निर्धारण करे, सदा मनुज की आयु।
घट है यह  पर्यावरण, मुखड़ा है जलवायु।
मुखड़ा है जलवायु, पेड़ पौधे पशु पक्षी।
सब मिलकर आधार, यही मानव के रक्षी।
कह अनंत कविराय, विषम जलवायु हो सम।
पौधे पेड़ विहंग, बचेगा तब यह मौसम।

59) जाना
आना-जाना खेल है, प्रभु की लीला मात्र।
इससे होगा मुक्त वो, जो गुणवान सुपात्र।
जो गुणवान सुपात्र, वही लीला समझेगा।
प्रभु पर अपने प्राण, निछावर कर रख देगा।
कह अनंत कविराय, सुधा रस प्रभु का पाना।
भव सागर से पार, मुक्त हो आना-जाना।

रचनाकार-
अनंत पुरोहित अनंत
[21/01 8:03 PM] प्रमिला पाण्डेय: कलम की सुगंध शतकवीर प्रतियोगिता कुंडलियां
21/1/2020
दिन- मंगलवार

 (61) दीपक

 जलता दीपक ज्ञान का, मिटे तिमिर अज्ञान
 विद्या से बढ़ता रहे , धीरे -धीरे ज्ञान।
 धीरे -धीरे ज्ञान,  बने जब  वेदभ्याासी।
 मिटे जन्म की प्यास, बने जग में संन्यासी। 
 कह प्रमिला कविराय, सहज में ईश्वर मिलता।
 मिट जाये अंधकार, ज्ञान दीपक जब जलता।।

(62)पूजा
          पूजा मन से कीजिए, मत कीजै छल   दंभ।
   अर्पण कर सब प्रभू को, कर दीजे आरम्भ।
 कर दीजे आरम्भ,   पूर्ण हो इच्छा सारी। 
   मन से कीजे ध्यान, नाम जपकर त्रिपुरारी।।
 कह प्रमिला कविराय,  गुरू  सम देव न दूजा।
 गुरु चरणन चित लाय, कीजिए मन से पूजा।।
 प्रमिला पान्डेय
[21/01 8:11 PM] रजनी रामदेव: शतकवीर प्रतियोगिता हेतु
21/01/2020::मंगलवार

दीपक
गहरी काली रात में, दीपक का उजियार।
सूरज सम है चमकता, दूर करे अँधियार।।
दूर करे अँधियार, सभी के मन को भाता।
नैनों को दे ज्ञान, भान हर चीज़ कराता।।
बाती देती साथ, हृदय पर उसके ठहरी।।
साथी बनता तेल, रात जब होती गहरी।।

पूजा
पूजा अपने देश की, सर्वोपरि  है मान।
 चरण धूलि मस्तक धरूँ, प्यारा हिंदुस्तान।।
प्यारा हिंदुस्तान, बसे है हिय के अंतस।
बनकर ये अभिमान, बहे है मेरी नस-नस।।
भारत जैसा देश, नहीं है कोई दूजा।
लिए तिरंगा हाथ, करूँ मैं इसकी पूजा।।
        रजनी रामदेव
          न्यू दिल्ली
[21/01 8:14 PM] कुसुम कोठारी: कमल की सुगंध छंदशाला
कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु
२१/१/२०२०
कुसुम कोठारी।

कुण्डलियाँ (६१)

विषय-दीपक
जलता दीपक देखकर, बोला दीपक एक ।
जलता औरों के लिए , राय  तुझे है नेक ।।
राय  तुझे है नेक  ,तमस अपना भी हर ले ।
तम से बाहर झांक ,आत्म दर्शन तो कर ले ।
कुसुम ज्ञान की बात , गंध अंतर  को छलता ।
भटके रे सारंग ,अनल अबूझ में जलता ।।

कुण्डलियाँ(६२)

विषय-पूजा
ज्ञानी बन पूजा करें  , समझ सार का तथ्य ।
सद्ज्ञानी बूझे सदा ,झूठ नहीं ये  कथ्य ।
झूठ नहीं ये कथ्य , बात सन्मति की जानो ।
बगुले जैसा ध्यान , कार्य अकार्य ही मानो ।
कुसुम रटे ज्यों तुंड़ , रटन रटता अज्ञानी ।
कर्म धूप मति दीप , भाव पूजा कर ज्ञानी।।

कुसुम कोठारी।
[21/01 8:17 PM] अभिलाषा चौहान: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलिया(६१)
विषय-दीपक

जलता दीपक दे रहा, सुंदर सा संदेश।
मानवता कल्याण में,धर लो मुझ सा वेश।
धर लो मुझ सा वेश,करो तुम रोशन जग को।
जब तक बाती-तेल,काम में ले लो तन को।
कहती'अभि'निज बात,भाव परहित मन पलता।
दीपक बाती तेल,लगे ज्यों जीवन जलता।

कुण्डलिया(६२)
विषय-पूजा

पूजा मन का भाव हो,करने का हो चाव।
प्रेम समर्पण त्याग हो,इष्ट से हो लगाव।
इष्ट से हो लगाव,करो फिर तन-मन अर्पण।
धर्म-न्याय पथ चुनो,बनो तुम जैसे दर्पण।
कहती'अभि'निज बात,प्रेम सा भाव न दूजा।
करो सदा सत्कर्म,सफल तब होगी पूजा।

रचनाकार-अभिलाषा चौहान
[21/01 8:26 PM] केवरा यदु मीरा: शतक वीर कुंडलिया छंद 
21-1-2020
विषय- दीपक 

जलता दीपक द्वार पे,देता यह संदेश ।
तम को हरता है सदा,हरता विपत कलेश ।।
हरता विपत कलेश, करे घर घर उजियारा ।
यह उपकारी होय,जगत में सबसे न्यारा ।।
दीपक से लो सीख, और के हित यह चलता ।
खुद को दीप मिटाय, द्वार पर है यह जलता ।।

पूजा 

पूजा करने को चली,सिया अंब के द्वार।
धनुहा टूटे राम से, सुनलो मात पुकार ।।
सुनलो मात पुकार ,यही है विनती मेरी ।
ह्रदय बसे श्री राम, उसी से प्रीत घनेरी ।।
मन मंदिर में वास, नहीं माँ कोई दूजा ।।
माँगू मैं कर जोड़, चरण में करके पूजा ।।

केवरा यदु"मीरा "
राजिम
[21/01 8:38 PM] राधा तिवारी खटीमा: कलम की सुगंध
 शतक वीर हेतु कुंडलिया
21/01/2020

दीपक(61)
दीपक की लौ नित जले, करे तिमिर का नाश।
 अँधियारा छँट जाएगा, होगा सदा प्रकाश।।
 होगा सदा प्रकाश,करेगा जीवन उज्ज्वल।
मिले सदा आशीष ,चरित भी अनुपम निर्मल।।
कह राधेगोपाल,बाग की शोभा चम्पक।
घर को दे मुस्कान, जले जब जगमग दीपक।।

 पूजा(62)
 पूजा करने को चली, नारी शिव के धाम ।
कर सोलह सिंगार वो, करती अपने काम ।
करती अपने काम, हाथ ले पूजा थाली ।
लेती सुंदर फूल, अरे जो लाता माली। 
कह राधेगोपाल, नहीं है शिव सा दूजा।
 ले गंगा का नीर, करो तुम शिव की पूजा।।
 राधातिवारी
"राधेगोपाल"
 खटीमा 
उधम सिंह नगर
 उत्तराखंड
[21/01 8:40 PM] विद्या भूषण मिश्र 'भूषण': *कलम की सुगंध छंदशाला। कुंडलिया शतक वीर समारोह।दिनांक २१/०१/२०२०, दिन --मंगलवार।*

~~~~~~~~~
*६३--दीपक*
~~~~~~~~~
मेरे सँग जलता रहा, *दीपक* सारी रात।
साजन घर आये नहीं, हुई न मन की बात।
हुई न मन की बात, पिया की राह निहारी।
रोयी सारी रात , बैठ कर मैं दुखियारी।
मन में उठे सवाल, हजारों शंका घेरे।
गए मुझे क्यों छोड़, हाय तुम साजन मेरे।।
~~~~~~~~~~~

*६४--पूजा*
~~~~~~~
*पूजा*, वंदन में करूँ, माँ मेरा भगवान।
माँ के चरणों में सदा,अपना मंदिर मान।
अपना मंदिर मान, नित्य ही शीश झुकाता।
ले माँ का आशीष, अलौकिक सुख मैं पाता।
इससे बढ़ कर काम, नहीं है कोई दूजा।
मंदिर जाना छोड़, करो माता की पूजा।।
~~~~~~~
*--विद्या भूषण मिश्र "भूषण"--*
~~~~~~~~~~~~~~~~
[21/01 8:43 PM] गीता द्विवेदी: कलम की सुगंध छंदशाला
कुण्डलिया शतकवीर प्रतियोगिता हेतु

दिनांक-19-01-020

57
विषय-आगे

तेरे तरकश बाण प्रभु, मार गिरा दो पाप।
कर दो नाश अधर्म का , जग तारक हो आप।।
जग तारक हो आप,दया अब तो दिखलाओ।
नित तपता तन क्लेश, त्वरित अब दाह मिटाओ।
दुर्गम हो यदि राह, रहो आगे तुम मेरे।
तेरी जय जयकार, रहूँ चरणों में तेरे।।

58
विषय-मौसम

बिखरा पुष्प सुगंध है, उपवन में चहुँ ओर।
आया मौसम मधुमास है, सुन्दर स्वर्णिम भोर।
सुन्दर स्वर्णिम भोर, भृंग की टोली डोले।
नीरवता तू भाग, कहीं कोने में रो ले।।
किरीट सम तरु शीश, पीत पल्लव दल निखरा। 
समीर नव उत्साह, चतुर्दिश है सुख बिखरा।।


59
विषय-आना

आना जाना रीत है, इस जग में मत भूल।
पुष्प बिछाना राह में, चुन ले सारे शूल।
चुन ले सारे शूल, मधुर बोली हो तेरी।
फिर पाए आनंद, मिटेगी पीर घनेरी।।
हृदय दम्भ विहीन, सदैव नाता निभाना।
इतना रहे प्रयास, सफल दुनिया में आना।।

60
विषय-करना

पशु पक्षियों को भी है, जीने का अधिकार।
प्रेम भावना से भरे, कर लो उनसे प्यार।
कर लो उनसे प्यार, समझ उनमें भी होती। रक्षा कर रख ध्यान, मिलेंगे सुख के मोती।।
बन्द करो व्यापार, बनो मत उनके भक्षी।
सदा निभाएँ साथ, बने साथी पशु पक्षी।।

सादर प्रस्तुत🙏🙏
गीता द्विवेदी
[21/01 8:53 PM] सरोज दुबे: कलम की सुगंध शतकवीर हेतु 
कुंडलियाँ -61
दिनांक -21-1-20

विषय -दीपक

बनके दीपक तुम जलो, करो तिमिर का  नाश l
झोंको से तुम मत डरो, 
करते रहो प्रकाश l
करते रहो प्रकाश,बनों शुभ प्रतीक जगका l
करना  गुस्सा राख, दिखे जो मेरी रग का  l
कहती सुनो सरोज,हरो तम जन जनके l
बनों प्रेम के  दीप, 
जलो तुम दीपक बनके  

कुंडलियाँ -62 
दिनांक -21-1-20

विषय -पूजा

करती हूँ पूजा सदा, लिये भाव का फूल l
करना माफ प्रभु मुझे,करूँ अगर मैं भूल l 
करूँ अगर मैं भूल,दोष मेरे तुम हरना l
रहना मेरे साथ, कृपा मुझ पर तुम करना l
कहती सुनो सरोज, भक्ति जब हिय में भरती  l
जपती तेरा नाम, नमन शत शत मैं  करती l

सरोज दुबे 
रायपुर छत्तीसगढ़ 
🙏🙏🙏🙏
[21/01 9:01 PM] अनुपमा अग्रवाल: कलम की सुगंध छंदशाला 

कुण्डलियाँ शतकवीर हेतु

दिनांक - 21.01.2020

कुण्डलियाँ (51) 
विषय-गलती
गलती से ही सीखते,ये दुनिया की रीत।
भूलों से जो सीख लो, जीवन हो संगीत।
जीवन हो संगीत,सुखों का रैन बसेरा।
दुख को जायें भूल,छोड़ कर तेरा मेरा।
अनु फिर कहती आज,यहाँ न  किसी की चलती।
सुख दुख का है मेल,सीखते करके गलती।।










कुण्डलियाँ (52)
विषय- बदला
छोड़ो  बदला भावना,रखना कभी न बैर।
जाँत पाँत को भूलके,माँगो सबकी खैर।
माँगो सबकी खैर, भला होगा फिर सबका।
बाँटो खुशी हजार,दुआ सुन लेगा कबका।
कहती अनु ये आज,प्यार का नाता जोड़ो।
जान लो सब हिसाब,बैर को तुम अब छोड़ो।।



   
     

रचनाकार का नाम-

अनुपमा अग्रवाल
[21/01 9:06 PM] कमल किशोर कमल: नमन
21.01.2020
कुंडलियाँ प्रतियोगिता हेतु।
59-
जाना था हरिभजन को,ओटन लगी कपास।
दुनियाँ ऐसी बाँवली,चरा रही है घास।
चरा रही है घास,गुफ़ा में  शेर विराजे।
गधा बजायें बीन,अश्व तक धिन-धिन नाँचे।
कहे कमल कविराज,पार कब भ्रम से पाना।
अफवाहों का दौर,धरा पर आकर जाना।
60-
करना-
करना जनहित काम है,लेकर हरि का नाम।
सेवा- सेवा जप करे,सुबह दोपहर शाम।
सुबह दोपहर शाम,इसी से जीवन सजता।
आत्मा करे पुकार,प्रेमवश बाजा बजता।
कहे कमल कविराज,रिक्तियाँ हरदम भरना।
एक एक हों चार,यहीं मिल जुलकर करना।

61-दीपक

दीपक बाती तेल से,रोशन हो घर द्वार।
दबा पूँछ भागे तिमिर,बढ़े मेल अरु प्यार।
बढ़े  मेल अरु प्यार,सभी में भाईचारा।
मन में हो उल्लास,गूँजता बम -बम नारा।
कहे कमल कविराज,किलकते देखो नाती।
मिलती खुशी अपार,प्रकाशित दीपक बाती।
62-
पूजा

पूजा करते रात दिन,जपते प्रभु का नाम।
स्वारथ का चश्मा लगा,फिरते आठो याम।
फिरते आठो याम,जेबकतरे हैं सारे।
चले तिलक के साथ,हितैषी बनते तारे।
कहे कमल कविराज,काटते ज्यों खरबूजा।
एक हाथ में छुरी,दूसरे में भ्रम पूजा।

कवि-कमल किशोर "कमल"
         हमीरपुर बुन्देलखण्ड।

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