Tuesday, 7 January 2020

असल हंगामा...आर्या ( पानिपत )

असल हंगामा तो इस बात पर बरपा हुआ है..
नक़ाबों को नक़ाबों से निपटना आ गया है..

उसे नारों जुलूसों की हवा से क्या मिलेगा
वो जिसके हाथ में बीमार बच्चे की दवा है..

तो फिर नादान तुझको पत्थरों की क्या ज़रूरत
तिरंगा हाथ में अपने अगर थामा हुआ है..

मेरे बच्चे ने भी कुछ गुल उजाड़े हैं चमन के
अगरचे कुछ तो इसमें बाग़बाँ की भी ख़ता है...

उसे लगता है उसकी हद में होगी पूरी दुनिया
सियासत ने जुनूँ-ओ-जोश को ऐसे छला है..

Aarya 
Panipat haryana

2 comments:

  1. बहुत ही शानदार ग़ज़ल 👌👌👌

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  2. ग़ज़ल पढ़ते ही वाह निकलता है
    बहुत सुंदर

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